Speeches

May 20, 2017

Speaking at national workshop on Energy Efficiency in Building in Mumbai

विद्यार्थियों की और फिर आगे चलके राजनीतिक कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण हुआ है, हम सबको जो सीखने को मिला, जो आदर्श और सिद्धांत चंद्रकांत दादा ने हम सबको सिखाए उसके लिए सदैव मैं आपका ऋणी रहूँगा दादा |

कभी कभी आश्चर्य होता है कि ऐसे संत आदमी को कहाँ PWD का department दे दिया | बड़ा मुश्किल होगा आपके अधिकारियों को | श्री जसपाल सिंह बिंद्रा जी, कई वर्षों तक Standard Chartered Bank में इन्होंने बहुत अच्छी सेवा की, विश्व भर में भारत का नाम रोशन किया | अब भारत लौटे हैं, भारत में सेवा करने में लगे हुए हैं | श्री अनिल जैन, एडिशनल सेक्रेटरी, नीति आयोग में भारत की ऊर्जा क्षेत्र में आगे 10 साल, 20 साल, 30 साल, क्या vision रहेगा, किस प्रकार से भारत आगे अपनी ऊर्जा सुरक्षा करेगा, ऊर्जा के बारे में क्या नीतियां रहेंगी इन सब पर चिंता कर रहे हैं |

अभी अभी मात्र तीन दिन पहले मान्य प्रधानमंत्री जी के सामने इन्होंने पूरे भारत की ऊर्जा नीति आगे की कैसी develop होगी उसपर पेशकश की थी | और शायद वह आखरी मीटिंग थी हमारे सहयोगी, हमारे बड़े भाई, हमारे मित्र अनिल दवे जी ने जिसे attend किया और लगभग ढाई घंटे तक धर्मेन्द्र जी, अनिल जी और मैं, मान्य प्रधानमंत्री जी के साथ पूरी ऊर्जा नीति के बारे में चर्चा कर रहे थे तीन दिन पहले, और परसों ही बहुत दुखद देहांत हो गया उनका, मैं उनको श्रद्धांजलि देता दूं |

श्री राजपाल जो मेरे साथ Power Ministry में Economic Advisor की भूमिका अदा कर रहे हैं और energy efficiency का पूरा काम देख रहे हैं, श्री सागाहने जी, Secretary Works, PWD, मेरे पुराने मित्र अरविन्द सिंह जी, Principal Secretary Energy, जिनके हाथों में मैं समझता हूँ ऊर्जा विभाग आने के बाद मुझे विश्वास है कि यहाँ पर हम और तेज़ गति से ऊर्जा को और अच्छा कर सकेंगे, और इसको जनता की सेवा के लिए कार्यवृत्त कर सकेंगे |

वास्तव में पीछे 23,000 MW तक गयी थी आपकी power demand? 23,500 MW की power demand महाराष्ट्र में एक ही समय पर जो भारत के इतिहास में कोई भी राज्य के ऊपर इतना बड़ा बोझ, इतना बड़ा डिमांड आजतक नहीं आया है | और जिस ख़ूबसूरती से महाराष्ट्र ने उसका संभाला और पूरे प्रदेश में बिजली की व्यवस्था को ठीक-ठाक से चालू रखा, लोगों को असुविधा न हो उसकी चिंता की, मैं महाराष्ट्र सरकार को बधाई देता हूँ उसके लिए |

श्री सीपी जोशी, Secretary Roads, मेरे सहयोगी सौरव कुमार जी, Managing Director Energy Efficiency Services Limited, World Bank की बड़ी lucrative job, बहुत अच्छी तनख्वाह वाली job छोडके आपने भारत आने का निर्णय लिया, एक ऐसे subject के लिए जिसके बारे में शायद जब आप आये थे तब भारत में कोई पहचान नहीं थी, कोई उसकी अहमियत नहीं मानी जाती थी, 2013 में आप वापस आये थे | यह अलग बात है कि अनाप-शनाप आरोप लगाये जा रहे हैं कुछ विपक्षी नेताओं के द्वारा कि World Bank से एक private sector officer को पियूष गोयल भारत में लेके आया है | आप तो सरकार में ही थे ना पहले? Income Tax में थे, Income Tax से World Bank गए थे, उसके बाद छोडके भारत आये और energy efficiency का काम करने ज्योतिरादिया सिंधिया लाए थे, शायद एक अच्छा काम किया था उस सरकार ने पहले |

और उपस्थित सभी भाइयो बहनों, मैं बहुत दिनों बाद कोई सरकारी कार्यक्रम महाराष्ट्र में कर रहा हूँ | और दादा आपको उसके लिए धन्यवाद देता हूँ | मेरी कर्मभूमि है, वास्तव में महाराष्ट्र से ही आता हूँ लेकिन मौका नहीं मिला बहुत दिनों से की कुछ ऐसा कार्यक्रम यहाँ करें जिसमें केंद्र सरकार और महाराष्ट्र की सरकार मिलके कुछ तेज़ गति से joint programme launch करें ऊर्जा विभाग में | अभी अभी हुई Power Ministers’ Conference में बावनकुले जी मुझे बता रहे थे और शायद अरविन्द जी उसको validate कर सकते हैं कि महाराष्ट्र को क्योंकि पर्याप्त मात्रा में कोयला उपलब्ध होता है जितना चाहिए, जब चाहिए, अधिकांश कोयला अब western coalfields से उपलब्ध होता है जिसकी वजह से transportation cost काफी कम हो गया है और कोयले की दक्षता, उसकी quality improve होने से, कोयले की गुणवत्ता improve होने से जिस प्रकार का लाभ बिजली बनाने में हुआ है, बिजली के बनाने में कम कोयला इस्तेमाल होना, अच्छा कोयला इस्तेमाल होना, ज्यादा बिजली भारत से उत्पादन किये हुए कोयले से होना, import पर dependence ख़त्म होना और western coalfield जिसको rationalisation of coal supply, उससे लगभग 20% variable cost बिजली उत्पादन करने का महाराष्ट्र का बचा है, 20% saving in variable cost |

और यह अपने आप में बहुत, इसलिए बहुत अहम् भूमिका रखता है कि पहले हम सबको आदत थी कि बिजली के दाम तो बढ़ते ही जाने वाले हैं, शायद महाराष्ट्र पहला राज्य है जिसने बिजली की कीमतों को कम किया जिससे और ज्यादा उद्योग को यहाँ पर attract कर सके, और ज्यादा यहाँ पर नए रोज़गार के अवसर बन सकें | और इन सब कारणों से आज मुझे लगता है कि जब यह project launch कर रहे हैं energy efficiency का तो आज मुझे विश्वास आता है की महाराष्ट्र इसको सिर्फ एक energy saving project नहीं लेकिन एक ऐसा project जिसमें अपनी क्षमता भी नज़र आये पूरे देश को, इस प्रकार से इस project को लेगा |

दादा आपने कहा एक साल और समझो 6 महीने ज्यादा, 18 महीने में कर देंगे | मैं उसको थोड़ा बदलना चाहूँगा, एक साल तो समय-सीमा आपने तय की है, आपको सोचना पड़ेगा इसको 6 महीने पहले कैसे कर सकते हैं | हमारे यहाँ तो वही सिस्टम चलता है दिल्ली में और प्रयत्न करने वालों की जीत नहीं होती है, संकल्प लेने वालों की जीत होती है | और आपके अधिकारियों को इसका संकल्प लेना पड़ेगा कि हम इसको 6 महीने में कैसे कर सकते हैं उसके बारे में बनाइये, आखिर 1500 building कोई ऐसी बड़ी बात नहीं है इतने बड़े प्रदेश और इतनी बड़ी सरकार के लिए | और 1500 building का एक का दूसरे building से कोई लेना देना नहीं है | मैं तो 1500 building में सोचूंगा कि आज हम दो हफ्ते के बाद 1500 building में एक साथ काम कर सकते हैं | दो हफ्ते इसलिए दे रहा हूँ कि ईमानदारी से transparent bidding से लेना, पुराने तरीके से मत लेना |

और PWD तो ऐतिहासिक भूमिका रहती थी इसकी भ्रष्टाचार की पहले, यहां PWD के कितने officials हैं वैसे? बता सकते हैं या? देखिए, आप इतना hesitatingly जो हाथ उठा रहे हैंना | No, I am very serious. I am sorry there is press in this room. But इसपर आप ज़रा अंतर्गह में देखिए अपने कि आपको इतना hesitatingly हाथ क्यों उठाना पड़ रहा है | जब मैंने कोयला विभाग संभाला, शायद देश का सबसे बदनाम विभाग था, सबसे बदनाम company थी coal की, Coal India Limited, तब हमने जब लक्ष्य रखा कि हम एक बिलियन टन कोयला बनाएंगे और भारत सिर्फ domestic coal पर निर्भर होगा तब लक्ष्य यह नहीं था कि कोयले का उत्पादन बढ़ाना ही हमारा end purpose है, that is not the end of our journey | और यह मुझे याद है, यह अगस्त 2014 की घटना बता रहा हूँ, इसलिए दादा बता रहा हूँ क्योंकि आपके विभाग के लिए यह एकदम apt example है | Energy efficiency पर तो मैं जितना चाहिए 2-4 घंटे भाषण दे सकता हूँ लेकिन Coal India Limited का मैं अधिकारी हूँ, Coal India Limited में मैं सेवा करता हूँ, नौकरी करता हूँ यह मुझे एक शर्मिंदगी का विषय होना चाहिए, और मैं बाहर सड़क पर जाऊं और कोई पूछे तुम क्या करते हो, तो मुझे घुमा-फिरा के बोलना पड़ेगा कि मैं एक सरकार में काम करता हूँ, मैं government employee हूँ वगैरा वगैरा, या मैं छाती तान के बोल सकता हूँ मैं Coal India का employee हूँ और मेरी वजह से एक अच्छी कंपनी चल रही है और सामने वाला देखे – अरे वह, आपके काम से मेरे घर में सस्ती बिजली आती है | यह हमारा लक्ष्य होना चाहिए, यह लक्ष्य हमने अगस्त 2014 में निर्धारित किया था और मैं उम्मीद करता हूँ कि जल्दी वह दिन आएगा जब आदमी बाहर सड़क पर जाके छाती तान के बोल सके, छप्पनी छाती बनाके बोल सके कि मैं Coal India Limited का employee हूँ और सामने वाला उसको एक with a twinkle in his eye, एक इज्ज़त की नज़र से देख सके | क्या आप लोग नहीं चाहते हो कि मैं पूछूँ PWD में कौन है तो हाथ ऐसे उठना चाहिए? क्योंकि मैं जो काम करता हूँ उससे महाराष्ट्र की सडकें अच्छी रहती हैं, महाराष्ट्र की बिल्डिंगें अच्छी, साफ़-सुथरी सुन्दर रहती हैं | मैं ईमानदारी से काम करता हूँ इसलिए हजारों करोड़ रुपये सरकार के बचते हैं, मैं अपना काम समय पर करता हूँ इसलिए जनता को असुविधा नहीं होती है |

आप हज़ार बिल्डिंग करें, 1500 करें या 5000 करें, मैं समझता हूँ लक्ष्य को बदलिए | लक्ष्य यह बनाइये कि मैं ऐसा काम करके दिखाऊंगा कि पूरा देश बोले कि PWD Department महाराष्ट्र जैसे काम करता है हम सबको करने की आवश्यकता है, वह लक्ष्य रखिए | यह लक्ष्य रखिए कि हमें कैबिनेट में यह न बोलना पड़े कि भाई project CPWD को हम नहीं देंगे, केंद्र की बात कर रहा हूँ मैं, किसी तरीके से private sector को involve करो नहीं तो जो अनिल जैन के साथ हुआ वह होगा,…नहीं नहीं नहीं, हमको साथ में जोड़ोगे तो ही हम अपनी बिल्डिंग में हाथ लगाने देंगे | उसके बदले अनिल जैन ने बोलना चाहिए था हमें और किसी की ज़रूरत नहीं है, CPWD है अच्छी तरीके से कर लेगा, उनको अपना जगह, रास्ता निकालने के लिए ज़बरदस्ती wedge-in नहीं करना पड़े |

तो बड़ा नाम कमाना हमारा लक्ष्य होना चाहिए और नाम कमाने का एक साधन आज हम आपके पास देके जा रहे हैं energy efficiency अपनी buildings में लाने का | तो इसको मात्र एक साधन देखिए अपने अच्छे काम का जनता के सामने प्रदर्शन करने का, जनता को बताने का कि energy efficiency नहीं, I am an efficient person. I am an efficient Sevak, person who is serving the people, public servants ही हैना हम सब? मैं अभी अभी दादा को भी कह रहा था कि जैसे यह dashboard अभी launch किया है, कि हर एक चीज़ में जितनी transparency लाएंगे उतना ज्यादा हमारा काम सुधर सकेगा |

प्रधानमंत्री मोदी जी ने नए नए मंत्री हम सब बने थे एक दिन एक कार्यक्रम था हमारा, मुझे अभी याद नहीं है specific कार्यक्रम, पर उसदिन बताया था कि energy efficiency पर जितना ज्यादा हम बल दे सकें उतना देश हित होता है | आखिर एक यूनिट जब आप बिजली की बचाते हैं तो लगभग सवा यूनिट बिजली को उत्पादन करने के बराबर है | और सवा यूनिट बिजली उत्पादन करने में कोयला लगता है, प्रदूषण होता है, उतना ज्यादा अपना infrastructure भारी पड़ता है, investment लगती है और खासतौर पर lighting, LED lighting हो या air conditioning हो यह तो peak hours में सबसे ज्यादा चलती हैं | और peak hour में load reduce करना तो सबसे ज्यादा valuable है |

Actually, Arvind you should start the time of day metering across the state at the earliest, along with rationalisation of tariffs. तब जाके लोगों को ध्यान में आएगा कि यह जो हम बिजली बचा रहे हैं इसकी अहमियत कितनी है | खासतौर पर शाम को जब 6 बजे अँधेरा होना शुरू होता है और रात के 10-11-12 बजे तक मैं नहीं समझता हूँ सभी लोग 2-3 बजे तक काम करते होंगे पर जो भी समय तक आप काम करते हैं या घर में TV देखते हैं या जो भी, उसमें आप कल्पना करिए कि वह शाम की बिजली और peak hours तो ऐसे होते हैं कि न्यू यॉर्क जैसी जगह में एक specific बड़ी भारी capacity सिर्फ एक घंटे चलती है दिन में, one hour, to meet their peak load requirement and ensure कि कोई एक सेकंड के लिए भी बिजली न जाये | और वह हजारों मेगावाट अगर आधे हो सकें या कम हो सकें, उसकी वैल्यू एक प्रकार से चौबीस गुना है | जो प्लांट चौबीस घंटा चलना चाहिए अगर एक ही घंटा चलता है तो उसकी fixed cost, जो भी यहाँ पर economic students हैं या जो थोड़ा बहुत financial understanding रखते हैं, अगर मैं एक करोड़ रुपये लगाता हूँ, चौबीस घंटे के बदले सिर्फ एक घंटे इस्तेमाल करता हूँ तो ब्याज जो है, depreciation जो है जो मेरी पूरी व्यवस्था उसके साथ जुडी रहती है जिसको सबको मिलाके fixed cost होता है, वह चौबीस गुना हो जाता है | परन्तु ज़रूरी है क्योंकि आप नहीं चाहोगे कि 7 से 8 शाम को आपके घर में बिजली चली जाये, suddenly बिजली गुल हो जाये |

तो really, what you are trying to do in Maharashtra through this programme has a dimension far beyond what is just reflected on the dashboard also. It is that peak hour जिसमें आप बिजली का consumption कम कर पाओगे, बाकी तो saving होगी, प्रदूषण कम होगा वह तो स्वभाविक है | और आज आपको सबको मुझे शेयर करते हुए मुझे ख़ुशी होती है और यह खासतौर पर पेरिस समझौता जो COP21 में हुआ जिसमें पूरे विश्व के 193 countries ने unanimous agreement किया, उसका प्रतीक है कि energy efficiency आज पूरे विश्व में एक बहुत महत्वपूर्ण विषय बन गया है और इसका नेतृत्व भारत करा रहा है, यह हम सबके लिए गर्व की बात है |

मान्य प्रधानमंत्री जी ने जब पेरिस समझौता हो रहा था जो नेतृत्व पूरे विश्व का किया यह तो हमने सबने देखा, हम सबने उसके बारे में सुना कैसे President Obama हो, President Hollande हो, Chancellor Merkel हो, पूरे विश्व के leaders भारत की तरफ देख रहे थे क्योंकि एक कल्पना रहती थी कि भारत always defensive position लेगा और हर अंतरराष्ट्रीय समझौते पर भारत की पुराने ज़माने में भूमिका यह रहती थी कि नहीं नहीं यह developed world का agenda है, हम developing world अलग हैं और हम एक block के तरीके से developing world का नेतृत्व करने अलग रहते थे | मान्य प्रधानमंत्री जी के कहा कि पर्यावरण अच्छा रहे, पर्यावरण ठीक करना यह हम सबकी सामूहिक ज़िम्मेदारी है और इसमें भारत तो ऐतिहासिक 5000 साल पहले भी भारत में तो पर्यावरण की चिंता होती थी |

आप अपना इतिहास देखें, अपनी माइथोलॉजी देखें, हमने तो पेड़ों को, पहाड़ों को, नदियों को, सबको पूजनीय माना है | We have respected the environment traditionally, as a part of our heritage, as a part of our culture. तो भारत पर्यावरण के समझौते में adversarial role play करे, एक अलग थलग पड़ा रहे, वह क्यों होगा, भारत इसमें नेतृत्व करेगा और उसमें जब प्रधानमंत्री ने sustainable lifestyle की बात की कि हम जिस प्रकार का जीवन जीते हैं वह जीवन भी पर्यावरण के हित में होना चाहिए, विश्व के हित में होना चाहिए, वह पूरे विश्व ने उसको स्वीकार किया | तो पेरिस समझौते में पहली बार पूरे विश्व ने स्वीकार किया कि sustainable lifestyle is equally important as any other form of energy saving or reducing the carbon footprint of the world.

और मैं कोई Dashboard नहीं खोल रहा हूँ पर आपको एक दो चित्र बताने की कोशिश कर रहा हूँ, आज आप कोई विश्व के capital में या बड़े शहर में चले जाइये, London, New York, Washington, Sydney, Tokyo, रात रात भर आप देखेंगे कि बिल्डिंगों की lights जल रही हैं | सुन्दर लगता है, Manhattan looks beautiful because all the nights are on full night. बड़ी बड़ी बिल्डिंगों में एक भी व्यक्ति, एक भी व्यक्ति काम नहीं कर रहा होगा | और मुझे तो आदत है रात को लेट काम करने की तो कभी रात को 2-2.30-3 बजे जब मैं सोने जाता था तो विंडो के बाहर देखो तो बड़ी बड़ी buildings all lit up all through the night. तो मैंने शुरू कर दिया हर जगह फोटोस लेना और आपको आश्चर्य होगा कि 100-100 मंजिला buildings जिसमें एक भी व्यक्ति पूरी building में काम नहीं कर रहा है पर इतनी brightly lit up कि अन्दर मैं एक telescope ले लूं तो कागज़ में लिखा क्या है वह भी पड़ सकूँगा दूर hotel room से, इतनी brightly lit up buildings और आप विश्व में किधर, यह 27 मई, 2016 की है, आज से ठीक एक साल पहले |

अब यह देखिए, यह Pearl Hotel New York में उसके बाहर का दृश्य, पूरी building है brightly lit up whole night, और यह एक के बाद एक building, यह तो एकदम होटल के बाजू में थी, सब लाइटें on | और यह हम जब पूरे विश्व में दिखाते हैं तो पूरा विश्व recognize करता है कि इसके बारे में कुछ न कुछ चिंता करने की आवश्यकता है, इसको ठीक करने की आवश्यकता है |

लेकिन हम भारत में फिर क्या कदम उठा रहे हैं energy efficiency पर यह विश्व भी देख रहा है और हम यह इसलिए नहीं कर रहे हैं कि विश्व देख रहा है या विश्व ने हमें कुछ conditions डाले हैं | आपको याद होगा जब प्रेसिडेंट ओबामा आये थे भारत Republic Day के लिए तब हमारे bilateral के बाद एक press briefing में एक पत्रकार ने पूछा प्रधानमंत्री मोदी जी से, और यह 2015 की बात है | In a way it was prophetic, शायद 25 जनवरी या 27 जनवरी 2015 की बात है आज से 2 साल पहले, और पत्रकार ने पूछा कि अगर बाकी देश इस प्रोग्राम से हट जायें और energy saving, pollution control, climate change की लड़ाई में पीछे हट जायें तो क्या भारत भी अपना अक्षय ऊर्जा या नवीकरणीय ऊर्जा का कार्यक्रम रोक देगा | तो प्रधानमंत्री जी ने कहा कि भारत यह नवीकरणीय ऊर्जा, renewable energy को या energy efficiency को इसलिए नहीं promote कर रहा क्योंकि कोई और देश या कोई और विश्व स्तरीय commitment की वजह से हम नहीं रोक रहे हैं, हम नहीं बिजली की खपत को रोक रहे हैं, हम नहीं नए ऊर्जा के स्रोत ढून्ढ रहे हैं | हम यह इसलिए कर रहे हैं क्योंकि यह हमारा दृढ़ विश्वास है | It is an article of faith for me personally, that means Prime Minister Modi personally and for the people of India. यह भारत के लोगों का प्रतिबद्धता है | It’s our commitment कि हम पर्यावरण साफ़ रखें, हम विश्व को ऐसा बनाएं कि हमारी अगली आने वाली पीढ़ी हमको कोसे नहीं कि क्या करके हमने छोड़ दिया उनके लिए इस planet को, इस विश्व को |

We are after all trustees. We have inherited the earth not to mess it up. We have inherited to enhance it, to make it better place to live in for our next generation, for our children. और वह तभी हो सकता है जब इसमें जन-भागीदारी हो, हम सब सामूहिक रूप में इसमें चिंता करें, काम करें | अनिल जी ने अपने खुद के उदाहरण बताये कैसे उनको लाभ हुआ है नीति आयोग में, नीति आयोग की बिल्डिंगों में |

सोक्रेटस एक ग्रीक फिलोसोफेर होता था, सबने नाम सुना होगा I think, और कितने साल पहले | Socrates का एक मानना था – The secret of change is to focus all your energy, not on fighting the old, but on building the new. आज आपके पास वह मौका है | मेरे मंत्रालय में तो वैसे एक रूल ही है सौरव बता सकेगा या राजपाल जी बता सकेंगे कि अगर कोई अधिकारी आके मुझे बताता है, साहब पहले ऐसा काम होता था या पहले यह तरीके से काम होता था तो he is thrown out of the meeting. 26 मई, 2014 के पहले कैसे काम होता था, क्या काम होता था, क्या स्पीड पर काम होता था, किस स्केल पर काम होता था, किस स्किल से काम होता था, क्या तरीका था सरकारी दखल अंदाजी कितनी थी लोगों के जीवन में, इस सब पर मुझे कोई रुची नहीं है और न ही हमारी भारतीय जनता पार्टी की कोई सरकार को उसमें रुची है |

We have to go with the change. We have to live a new life. We have to make a new India. और वह new India बनाने के लिए हम सबको मिलके एक एक विषय में तेज़ गति से विकास हो, विकास की धारा ऐसी हो कि सामान्य से सामान्य, गरीब से गरीब आदमी के जीवन में सुधार हो सके, उसको एक नया ज्यादा अच्छा जीवन मिल सके | आखिर प्रधानमंत्री जी ने पहले दिन ही घोषणा की थी कि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में जो एनडीए की सरकार बनी है यह सरकार गरीबों के लिए काम करेगी, किसानों के लिए काम करेगी, गावों के सुधार के लिए काम करेगी | दलितों के लिए, पिछड़ों के लिए, जिनका समाज में सही स्थान नहीं मिला इतने वर्षों में उनके लिए काम करेगी |

और आप अपने अंतर्गह में देखिए कि हम मुंबई में, शहरों में किस प्रकार से बिजली का इस्तेमाल करते हैं, अब यही रूम देख लीजिये | दिन का समय है, bay windows हैं, probably the most beautiful room of Mumbai, हम जब भी यहाँ आते थे इसलिए यहाँ कार्यक्रम रखते थे कि खड़े होके पूरा आप समुन्दर देख सकें, मुंबई का skyline देख सकें | और हमने इसमें curtains draw कर दिए हैं, I don’t know शायद air conditioning के लिए हो सकता है वह trade off देखना पड़ेगा कि air conditioning load कम होने का लाभ ज्यादा है या lighting का load | Probably, that trade off I may not be able to immediately speak. But, otherwise, पूरे दिन भर हम सबके दफ्तर में लाइट चालू रहती है क्योंकि आजकल buildings ही ऐसे design होती हैं |

आप गोलकोंडा फोर्ट देख लीजिये, पुरानी कोई बिल्डिंग, मोधेरा सन टेम्पल देख लीजिये, पहले तो हमारा जो वास्तु था और वास्तु शास्त्र कुछ लोग believe करते हैं, कुछ नहीं believe करते हैं, मैं कोई उसको advocate करने या उसको oppose करने यहाँ नहीं खड़ा हूँ | पर उसके एक एक element को अगर आप देखें तो उस element में दर्शाता है कि हम, शायद 5000-10000 साल पहले भी भारत conscious था कि ventilation अच्छी हो, ठंडा breeze कहाँ से आएगी, light कहाँ से flow करेगी building के अन्दर और ऐसे हज़ारों example देश में आपको पुराने मिलेंगे | जयपुर का हवा महल, लाइट कहाँ से आएगी, बिजली कहाँ से आएगी, बिजली मतलब रोशनी कहाँ से आएगी, कैसे ठंडा रहेगा कमरा गर्मी के दिनों में और गर्म रहेगा कमरा ठंडी के दिनों में | तब तो कोई बिजली नहीं थी, nobody had invented electricity.

तो मैं समझता हूँ we are only going back into the past, और इतिहास से सीखने को तो बहुत कुछ मिलता है | Architects भी आये हैं कुछ यहाँ पर? अब आयोजकों को यह सोचना चाहिए कि यह काम आप कैसे करोगे बिना architects के support के, या architects की understanding के लिए | जब मैंने देखा FICCI तब वास्तव में मेरे मन में आया कि actual partner तो इसका होना चाहिए था Architectures Association of Maharashtra or India, whatever, होगा कोई न कोई association, कई होंगे | तो तुरंत उनसे संपर्क करिए, उनसे tie-up करिए, आखिर यह building codes आप notify करते हैं, बनाते हैं उसको ईमानदारी से implement भी करना और कानून तोडके, or rather बिना तोड़े implement न करना वह दोनों उनकी expertise है | तो मुझे लगता है उनका (Inaudible) भी इसमें हो, वह भी इस काम में जुडें, वह भी समझें तो उसका लाभ अधिक होगा, उसकी progress ज्यादा होगी, private buildings में भी होगी | और यह तो एक ऐसी चीज़ है, it is like a, अभी तो 1000 रुपये का तो नोट है नहीं, तो 2000 रुपये का bill जैसे सड़क पर पड़ा हो, और 2000 रुपये का नोट पड़ा रहता है तो अक्लमंद आदमी क्या करता है? वह उठाता है कि उसको छोड़ देता है? You are confused?

देखिए अकल्मन्द आदमी सोचता है मैं उठा लूं पर जो ज्यादा अकल्मन्द आदमी होता है वह बोलता है यार पड़ा है चार लोग गए हैं, किसी ने उठाया नहीं है मतलब फर्जी नोट होगा, छोड़ दो | हमसब ज्यादा अकल्मन्द वाले लोग हैं, बिजली की खपत हो रही है हमारे सामने, wasteful खपत हो रही है, एकदम हमारी नज़र के सामने लेकिन हम उस opportunity को grab नहीं कर रहे हैं | हम सबके हर चीज़ में, I will talk of a simple thing like mobile phone. अब मैं भी उसका वास्तव में एक प्रकार से शिकार हूँ इस छोटी, और छोटी गलती 125 करोड़ के देश में बहुत बड़ी गलती हो जाती है | हम मोबाइल फ़ोन को दिन भर चार्ज करते रहते हैं with chargers, particularly, with those handheld chargers | मेरा भी लड़का अभी handheld में कर रहा था तो जब मैं दिल्ली से मुंबई आया, आजकल मुंबई बहुत कम आता हूँ तो चार्जर लाना भूल गया | तो रात भर चार्ज नहीं हुआ तो मैंने अभी उसको दिया वह चार्ज करते हुए मैंने देखा और मेरे मन में आया पहले वह बैटरी चार्ज होती है, उसमें waste, losses होते हैं फिर वह इसको चार्ज करती है, फिर 10-15 मिनट चार्ज हुआ होगा और मैंने फ़ोन मंगा लिया, और inefficiency add हो गयी | इस बैटरी को जितनी बार चार्ज करोगे 10-15 मिनट आधा घंटा, सोलंकी जी यहाँ IIT Mumbai के प्रोफेसर हैं यह बता पाएंगे आपको, उतना ज्यादा inefficiency add होते जा रही है इसकी battery life भी ख़राब हो रही है | फिर हम गाली देते हैं iphone का बैटरी तो चलती ही नहीं है |

Problem हेमने create की, blame किसी और को या किसी और वस्तु को कर रहे हैं, लेकिन अगर व्यवस्थित रात को और रात को देश में सरप्लस इतनी ज्यादा बिजली होती है कि यह Power Secretaries के लिए nightmare है, सबसे सस्ती बिजली होती है रात को | रात को एक shot चलाके पूरा full charge करके और फिर switch off करें, अगर charge on रखेंगे तो वह थोड़ा थोड़ा power loss होता रहेगा और फिर एक साथ पूरे फ़ोन को चार्ज करें, अगले दिन पूरा दिन use करें, ख़राब बंद ख़त्म हो जाये, कुछ लोग ज्यादा फ़ोन पर बैठे रहते हैं, गाने सुनते हैं वगैरा वगैरा | ऑफिस में काम तो करने की आदत कम ही हो गयी हैना वैसे भी | फिर वापिस चार्ज करो तो फुल चार्ज करो, फिर part part charge मत करो | सोलंकी जी इसपर आप थोड़ा रिसर्च करिए कि अगर पूरा देश यह सिर्फ मॉडल इस्तेमाल करे तो उसकी कितनी सेविंग हो सकती है | 125 करोड़ लोग और हम में से पाँचों लोगों के पास दो-दो फ़ोन होंगे यहाँ पर |

Just imagine what can be the potential saving for a country like India. इसलिए जब मजाक होता था, LED bulb, एक bulb से क्या होता है? तो प्रधानमंत्री मोदी जी की कभी कोई कल्पना छोटी-मोटी नहीं होती है | उन्होंने कल्पना की 77 bulb बदलेंगे, 77 crores, यह अलग बात है कि महाराष्ट्र में हमें थोड़ी विलंभ हुई उसको launch करने में क्योंकि कोई एक campaign सा शुरू हो गया कुछ लोगों द्वारा कि नहीं बचत नहीं होनी चाहिए, गरीब आदमी के बिल में बचत नहीं होनी चाहिए | पता नहीं उसके पीछे हेतु क्या था वह तो दादा आपको ही पता करना पड़ेगा, लेकिन देर आये दुरुस्त आये | जब देश में सभी बल्ब बदल जायेंगे तो कोई कल्पना करिए आप, लगभग 40,000 करोड़ रुपये आप सबके इलेक्ट्रिसिटी बिल में बचत होगी, Rs 40,000 crore in the country, हर वर्ष, every year, Rs 40,000 | और जो हम प्रदूषण करते हैं, pollution, carbon dioxide emission, लगभग 80 million tonne carbon dioxide emission कम होगा | लगभग 112 billion unit, 112 billion यानी 11,200 crore unit बिजली के कम खपत होंगे, 11,200 crore units saving in electricity, सिर्फ LED bulb बदलने से, बाकी तो programmes में गिन ही नहीं रहा हूँ | और peak hours में 20,000 MW की क्षमता कम इस्तेमाल होगी और अभी अभी मैंने समझाया peak hour reduction का मतलब कितना बड़ा फायदा होता है देश को | आप 20,000 MW लगाने जायें तो मुझे लगता है डेढ़ लाख करोड़ रुपये कम से कम लग जायें |

और यह बल्ब जब शुरू किया, यह ‘Pay as you save’ model में तब बड़ी प्रतिक्रिया हुई, लोगों को लगता था कैसे होगा, क्या होगा, यही EESL यही कंपनी जिसने आज का कार्यक्रम किया यह 6 लाख बल्ब सालाना बेचा करती थी, in one year 6 lakh bulbs. इसमें भी केंद्र सरकार 100 रुपये शायद सब्सिडी देती थी, हमने सबसे पहला निर्णय यह लिया कि सब्सिडी बंद करो | Subsidy is the worst thing जो projects और programmes को limit करती है और खींच लेती है बजाये कि उसको expand करने में मदद करे | और मुझे याद है जब 310 रुपये में आप LED bulb खरीदते थे, मैंने Rs 99, मैंने कहा 2 digit में होना चाहिए, लोग समझे नहीं यह 2 digit क्या होता है | मैंने कहा Rs 99 में खरीदना होगा वह, और हमने बेचना ही उसको शायद 100 या 110 रुपये में शुरू किया चाहे loss हो मैंने कहा पर 100-110 में हम देंगे | Management के विद्यार्थियों के कहा थोड़ा बहुत तो लाभ लेना चाहिए और देश को भी लाभ देना चाहिए |

मुझे विश्वास था कि जब इतने हाई स्केल पर, वॉल्यूम पर हम काम करेंगे तो उसका लाभ होगा और हमने कहा आप 10 रुपये दीजिये शुरू में और हर महीने 10 रुपये 11 महीने दीजिये, बल्ब आपका, कोई ब्याज नहीं, कुछ नहीं | मैंने अपने मन में 99 एक ऐसे ही, मैं तो तुक्के से फिगर दे देता हूँ कभी ज्यादा दिमाग-विमाग नहीं लगाता हूँ | ऐसे ही बैठे बैठे मीटिंग में, in my conference room, you remember that day, you were there. मैंने कहा 2-digit purchase figure आ जायेगा आप करो बिंदास, मुंबई में हूँ बिंदास बोल सकता हूँ | और आपको जानके ख़ुशी होगी शायद 310 से, अरे और हमने क्या किया, हमने सब suppliers को बिठाया, समझा, क्या क्या ….. थी, क्या क्या गलतियाँ थी, purchase process में क्या क्या सुधार लाया जा सकता है, payment process में क्या सुधार लाया जा सकता है, बड़े volume का कितना लाभ होगा तो एक tender कितना बड़ा होना चाहिए, tender कैसे transparent bidding के माध्यम से ख़रीदा जाये, सब चीजों को किया | और यह मैंने हर 6 महीने किया उनके साथ, तो आपको जानके ख़ुशी होगी कि डेढ़ साल बाद, डेढ़ साल में गिर गया था final price, जो 310 रुपये में सरकार खरीदती थी आज 40 रुपये में खरीदती है – Rs 40 | उलटे Phillips जो विश्व की सबसे बड़ी lighting company है उसने तो Rs 38 में 5 करोड़ बल्ब दिए थे और पहले 7W का LED bulb होता था आज 9W का बल्ब है, 30% ज्यादा रोशनी देता है | और अमेरिका के भी जो पॉवर मिनिस्टर थे, अभी नहीं रहे, सेक्रेटरी मुनिज़, वह पूरे विश्व में जाके भारत के इस प्रोग्राम की वकालत करते थे, इसके बारे में बताते थे कि अब पूरे विश्व को भारत के नेतृत्व वाला कार्यक्रम करना चाहिए | India today leads the world, we don’t follow the world.

उलटे Sweden, Finland पीछे गया था वहां के ऊर्जा मंत्री ने मुझे बताया कि आपके कारण हमारे यहाँ LED के prices कम हो गए हैं | इतनी बड़ी, you know our share of LED in the world has increased from .2% to some 12% today, .2% to 12% of the world market. और जो 6 लाख बल्ब एक महीने में बेचते थे, वह 6 लाख बल्ब यही कंपनी, सरकारी कंपनी आज एक दिन में 6 लाख बल्ब बेचती है, per day, यानी 300 गुना हो गया प्रोग्राम, within two years | यह Speed होती है, यह Scale होती है, यह Skillfully project implement होता है | और हमारी कोई दखल अंदाजी नहीं है, ऐसे कार्यक्रमों के इलावा मैं तो शायद एक साल से सौरव को और किधर मिला ही नहीं हूँ | यह अलग बात है कि मेरा लास्ट कार्यक्रम और भी उत्साहजनक था क्योंकि वह London में था, और पिछले Saturday, आज से ठीक 7 दिन पहले इसी समय, मतलब timezone को छोड़ दो, पर London के इसी समय हमने उजाला कार्यक्रम, यहाँ पर तो Unnat Jyoti Affordable LEDs For All है भारत में, उसका इन्होंने बड़े ख़ूबसूरती से UK Joins Affordable LEDs For All, कार्यक्रम उजाला ही launch किया London में एक हफ्ता पहले और हमने लक्ष्य रखा है कि London में भी हम 10 करोड़ बल्ब बेचेंगे |

तो मैं समझता हूँ London खरीदले और महाराष्ट्र न ख़रीदे यह हमसे गुस्ताखी न हो जाये, और महाराष्ट्र ने तो अभी तक एक करोड़-सवा करोड़ ही बल्ब लिए हैना, देखें ज़रा | 2 crores! चलो figure आपके dashboard में आ जायेगा, दिखा देना, real time data हम सबके सामने रखते हैं | अब कोई यहाँ पर room में बैठा हुआ मेरे को मान ले कि पूरे महाराष्ट्र में 2 करोड़ ही बल्ब इस्तेमाल होते हैं फिर तो मैं समझता हूँ Maharasthra will be the most dark state on the NASA planet, आपने NASA planet map देखा है कि नहीं किसी ने? NASA ने planet map निकाला है जो गत 4-5 सालों में विश्व में कौन से इलाकों में बिजली बढ़ी है, रोशनी बढ़ी है और कौन से इलाकों में कम हुई है | India is the only country in the world जहाँ across India, availability of electricity has increased or India is lit up, very drastically improved than what it was 4 years, 5 years ago.

मतलब हम सबके लिए हर्ष का विषय है | आज देश power surplus है, coal surplus है, देश energy efficiency को बहुत seriously ले रहा है और अब आज के इस करार के बाद अगर बिल्डिंगों में भी महाराष्ट्र में energy efficiency को एक तेज़ गति दी जाये तो मैं समझता हूँ महाराष्ट्र at least इस प्रोग्राम में पूरे देश की leadership कर सकता है | मैं नहीं समझता हूँ और कोई स्टेट ने अभी तक इतने व्यापक रूप में बड़े पयमाने पर इस प्रोग्राम को अभी तक adopt किया है |

I must thank you and congratulate you Dada for your leadership in this. और आपके नेतृत्व में मुझे पूरा विश्वास है, देवेंद्र फडणवीस जी मान्य मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में मुझे पूरा विश्वास है कि अब Maharshtra will lead the way on energy efficiencies in building construction and building codes. देश में अभी तक हजारों लाखों बिल्डिंगें बननी हैं, हर व्यक्ति के सर पर छत हो यह भारतीय जनता पार्टी, प्रधानमंत्री मोदी जी का सपना है | 2022 तक हर एक व्यक्ति को अपना घर बने, इस सपने को पूरा करते करते साथ साथ में हम energy efficiency को भी उतना ही बल दें, इस विश्वास के साथ में आज दिल्ली जाऊंगा, आप सबको बहुत बहुत शुभकामनाएं, बहुत बहुत शुभेक्षा | And I wish this programme all success.

Thank you.

 

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