Speeches

May 4, 2017

Speaking at Press Conference at State Power Ministers Conference in New Delhi

An outcome-oriented Power Ministers’ Conference has been going on since yesterday, and I would at the outset like to thank all my colleague Ministers. And I was checking today, this probably is one of the most well-attended Power Ministers’ Conference finally, we have had a number of Power Ministers also join us, some who were unable to be here yesterday. So end of the day, we feel very satisfied at the overall turnout. Every state except one was represented in large measure by the officials of the states, the officials at the highest level; Power Secretaries, Principal Secretaries, DISCOM, Transco, Genco officials, other agencies, mining officials, renewable energy officials. So all in all, I would like to express my gratitude to all the states, the leadership, political leadership Ministers, the officials for participating whole-heartedly in this Conference.

वास्तव में जब हम सब मिलकर काम करें तो काम आसान भी हो जाता है और इस पूरी Conference का अगर कोई निचोड़ निकालें तो मैं समझता हूँ नयी चीज़ों पर जितना इस Conference में हमने विचार किया, चर्चा की और मुझे खुद को हैरानी है कि आम सहमति बनी | ऐसे ऐसे बड़े गंभीर विषय थे, ऐसे विषय थे जहाँ पर हम सोच रहे थे यह सिर्फ एक consultation शुरू होगी, सिर्फ चर्चा का एक विषय रख रहे हैं कि इस बार एक traditional Power Ministers’ Conference न हो, नए नए ideas float करें | पर मुझे बड़ी ख़ुशी है कि बहुत अच्छा participation रहा, लगभग unanimity रही हर चीज़ पर, फिर चाहे वह Power For All 24/7 का विषय हो, हर घर तक बिजली पहुंचाने का विषय हो, हर व्यक्ति को अच्छी क्षमता वाली बिजली, अच्छी quality की बिजली, uninterrupted बिना कोई power outages के सब कारखानों को मिले, हर घर को मिले, हर अस्पताल, स्कूल को मिले | इसपर लगभग सभी ने reinforce किया जो बरोडा में commitment दी गयी थी, थोडा किसी के परिस्थिति में 2-4 महीने आगे पीछे हो सकता है लेकिन अभी भी हम सबका संयुक्त प्रयास एक स्वर में यह है कि दिसम्बर 2018 तक हम लगभग अधिकांश इस देश में हर एक को 24/7 बिजली, अच्छी क्षमता, quality की बिजली दे पाएंगे और हम सब संयुक्त रूप से इसके लिए संकल्पित हैं |

इस Conference में 2-3 बहुत ही महत्वपूर्ण नए विषयों पर चर्चा हुई, उदाहरण के लिए पानी का इस्तेमाल, आज power plants में जो पानी इस्तेमाल होता है वह अगर पेयजल में चले जाए, लोगों के घरों में पहुँच जाए और जो केंद्रीय सरकार की योजना है कि 50 km के radius में जितने power plants हैं शहरों के या जहाँ पर भी पानी साफ़ करने की व्यवस्था है, sewage treatment plant, वह यह साफ़ किया हुआ पानी इस्तेमाल करें और गरीब जनता को, सामान्य आदमी को शुद्ध पेयजल मिले, इस कल्पना को आज लगभग, कल सभी राज्यों ने स्वीकार किया | इसमें ज़रूर थोडा बहुत खर्चा बढेगा बिजली का पर वह बड़ा मामूली है | आज देश में बिजली हमारे पास पर्याप्त है, सबसे बड़ा अगर संकट कुछ है तो आगे चलके पानी बन सकता है | और हम सब संवेदनशील तरीके से इसको पालन करें, इसको लागू करें उसके लिए बहुत अच्छी चर्चा हुई है और मुझे लगता है कि आगे चलके अगर हम इसमें सफल हुए तो लगभग 4.5 करोड़ घरों को शुद्ध पेयजल मिलने की संभावना मात्र इस एक कदम से बन जाती है |

इसी प्रकार से NTPC ने एक नया Concept Paper float किया था कि अगर हम pool करें सभी NTPC plants के fixed cost को और एक average fixed cost सबको लगाते हैं तो साधारणतः देश में हर एक राज्य को और सस्ती बिजली मिलने की एक संभावना बनेगी और सैंकड़ों करोड़ रुपये overall power sector के और DISCOMs के बचेंगे, यह उदय के लिए और एक महत्वपूर्ण कदम होगा, उदय में और एक ज्यादा फायदा states को मिलने का लाभ होगा |

इसी के साथ साथ ash management जो पर्यावरण की और एक बड़ी गंभीर समस्या हमें विरासत में मिली थी | कुछ ऐसा मुझे जानकारी मिली कि लगभग 100 crore tonne ash का देश में अलग अलग जगह पर ash ponds वगैरा में पड़ा है, साथ ही साथ नया ash हर वर्ष उत्पादन होता रहता है | तो लगभग सबने यह सहमति दी है कि हम नए तरीके खोजें, कुछ ideas table पर भी आएँ, जैसे cement plants को encourage करें, जहाँ power plant है उसी के साथ अगर हमें ज़मीन मिल जाए या 20 km के अंतर्गत ज़मीन मिल जाए क्योंकि आजकल fly ash आप slurry के form में pipeline से भी भेज सकते हैं | NTPC ने तो एक नया railway couch भी design किया है, railway wagon, जिसमें उस design के wagon में ash transport करना भी सस्ता हो जाएगा, सरल हो जाएगा और जल्दी से जल्दी वह consumption centre तक लेके जा पाएंगे |

तो हम सबने यह प्रयास करने का तय किया है कि जल्द से जल्द 100% current ash utilization पर हम ध्यान दें | हरियाणा जैसे राज्य में तो 156% जो ash generate होता है उसका 156% वह अभी भी इस्तेमाल कर लेते हैं, तो पुराना ash भी उनका कम होते जा रहा है, तो हम सब उसपर भी संयुक्त रूप से प्रयास करेंगे | साथ ही साथ power sector के reforms जो merit order dispatch है यह public domain में डाला जाए, transparent हो जाए, पारदर्शिता हो तो जनता भी हमारे काम पर निगरानी रख सके और देख सके कि अच्छी तरीके से जो सस्ते से सस्ती बिजली हम लेके जनता की सेवा कर सके, उसके बारे में भी चर्चा हुई है, उसके बारे में जल्दी एक app निकाला जाएगा जो आप सबके लिए उपलब्ध होगा |

Renewables, नवीकरणीय ऊर्जा को प्रोत्साहन देने के कई अहम् पहलुओं पर चर्चा हुई और उसका integration grid में कैसे अच्छी तरीके से हो, Green Energy corridors को कैसे और प्रोत्साहन मिले | आप सब जानते हैं कि inter-state transmission charges हम socialize करते हैं तो वह लगता नहीं है और उसका लाभ अब यह wind bidding में पहले 1000 MW जो 3.46 रुपये में अब आया है उसका लाभ अब उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों को भी मिलेगा जहाँ wind की संभावना नहीं है | पर अगर वह लगाने जाते हैं wind अपने RPO के लिए तो शायद 7 रुपये unit पर भी न बन पाए, लेकिन जहाँ wind ज्यादा है वहाँ से वह निःशुल्क transmit करके अपना RPO भी fulfill कर पाएंगे | ऐसे ऐसे नयी नयी चीज़ों का जो हमने प्रयोग शुरू किया उसका लाभ पूरे sector को होगा |

हमने एक निर्णय और लिया कि एक और 1000 MW का wind की bidding जल्दी खोली जाए, शायद इस महीने के आखिरी तक उसकी bidding process भी शुरू हो जाएगी | Cyber Security – payment सभी bills के digitally pay हों, energy-efficient agricultural pumps का और प्रोत्साहन दिया जाए, solar pumps को कैसे और ज्यादा देश के हमारे किसानों को उपलब्ध कराए जाएँ | साथ ही साथ कोयले में और क्या सुधार किया जा सकता है, आप सब जानते हैं कि कोयले में वह था एक ज़माना पहले जहाँ shortages रहती थीं, shortages के कारण सरकारी कंपनियों को या तो import करना पड़ता था या सभी power plants को, steel, cement plants import पर निर्भर रहते थे जो महंगा था, कई बार e-auction से कोयला लेना पड़ता था जो 400-500 रुपये प्रति टन महंगा हो जाता था | साथ ही साथ कोयले के grades वह monopolistic situation में बहुत अलग ही grade, boulders की समस्या लेकिन क्योंकि आपके पास कोई पर्याय नहीं था तो coal companies जैसा bill करें आपको pay करना पड़ता था | प्रधानमंत्री मोदी जी के आदेश अनुसार और उन्होंने तो खुद राज्य चलाया है 12 साल और झेला है इन समस्याओं को, तो वह यह सब विषयों को बड़ी बारीकी से समझते थे तो उनके निर्देश के अनुसार हमने इन सब चीज़ों को tackle किया |

आज coal surplus है जिसकी वजह से import कम हुआ है, आज coal surplus है जिसकी वजह से आपको e-auction के ऊपर निर्भर नहीं रहना पड़ता है | आज coal की quality को हमने regrade करके correct किया है scene-wise, mine-wise, जहाँ जहाँ third party inspection से पता चला कि गलत billing हुई है, proper credit note दिया गया है राज्य सरकारों को और बाकी बिजली घरों को | तो हर प्रकार से हमने कोयले की स्थिति को ऐसा मज़बूत बना दिया है कि आगे चलके कोयला समस्या के बदले हमारी एक ऊर्जा सुरक्षा का साधन बन जाएगा | और मुझे ख़ुशी है कि कई राज्यों ने इसके ऊपर केंद्र सरकार के काम की सराहना भी की, महाराष्ट्र ने बताया कि उनके तो बिजली के average price बहुत significantly, लगभग 10% overall और fixed cost तो fix रहता है तो अगर variable cost देखें तो लगभग 18 से 20-22%, 30 पैसा variable cost लगभग 1.30 में is almost 20% | 20% उन्होंने कोयले की cost में बचत की है, ईमानदार quality का पर्याप्त कोयला मिलने के कारण |

अब अगले सत्र में खनन क्षेत्र पर चर्चा होने वाली है, कैसे वह प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना जो District Mineral Foundation बने हैं उसका सदुपयोग हो local areas में, खासतौर पर आदिवासी क्षेत्रों में इसका लाभ मिले लोगों को, इन सबके ऊपर और चर्चा होगी | एक प्रमुख विषय जो मेरे से रह गया और बहुत मैं समझता हूँ आप सबने भी मुझे अलग अलग समय पर इसपर बहुत प्रश्न पूछे हैं – Rationalization of tariff structure, इसपर जो data compile हुआ है एक committee बैठी थी, कई जगह, ऐसा नहीं कहूँगा सब जगह पर कई जगह गंभीर स्थिति है कि कई अलग अलग slabs और tariff पर complications हैं, वह भी एक भ्रष्टाचार का माध्यम भी बनता है, misuse का माध्यम बनता है | उसमें भी बहुत ही अच्छी चर्चा हुई है, सभी राज्यों ने उसको पुनः विचार करने की बात की है और बिहार ने जिस प्रकार से अपना एक नया concept float किया है बड़ी सफलता से, जिसमें tariff को उन्होंने determine किया as per the cost of power and on good economic principles और जनता को subsidy उसके ऊपर देके power का price नहीं बढाया ज्यादा | लेकिन जनता को अवगत कराया कि देखिए real price यह है हम उसमें आपको इतना subsidy देते हैं, इससे आपका bill इतना कम हो जाता है | यह वास्तव में बहुत अच्छी पहल बिहार ने की है और कई और राज्यों ने, त्रिपुरा ने भी इस प्रकार का काम किया है इसलिए दोनों को मैंने बाजू में बिठाया है | और मैं समझता हूँ और भी राज्य इसमें पहल करेंगे तो यह भी एक बड़ा देशहित का कदम होगा | बहुत बहुत धन्यवाद |

नहीं नहीं, मैं correct करदूं, यह leader मुझे बोल रहे हैं वैसे संयुक्त रूप से वहां तय हुआ है कि विजेंद्र जी हमारे सबके senior हैं और वह हमारे team के leader हैं | और इसलिए यह भी तय किया है कि उन्होंने हम सबको आमंत्रित किया है कि हम सब राजगीर जाएँ नालंदा में और अगली Power Ministers’ Conference राजगीर नालंदा में इस वर्ष के अंत तक हम सब उसका लाभ लेंगे, हम सबको बुद्ध सर्किट भी देखने का एक मौका मिलेगा | पर्यटन का एक बड़ा और धर्म का बहुत बड़ा क्षेत्र है और उधर हम आप सबको भी आमंत्रित करेंगे, धन्यवाद |

Q&A.

Q: Sir, a small clarification, Sarita from ET, have the states agreed to the NTPC’s tariff pooling proposal or fixed cost tariff?

Ans.: These things are not agreed across the table. It’s the first time we have promoted a new concept, everybody has welcomed it. By and large, there was unanimity that it is good and in the interests of the country. Now they will go back, talk to their departments, talk to their regulators, ultimately, tariff setting is not driven by the centre. It is a function between the state and the regulator and being a concurrent subject, as Vijendra ji rightly corrected me yesterday, being a concurrent subject we both work as partners. But final decision will be taken at the state level.

Q: सर, हर घर को बिजली देने का मामला, बिहार और उत्तर प्रदेश जिनमें करोड़ों घरों में बिजली नहीं है, क्या वह भी दिसम्बर 2018 के लिए सहमत हुए हैं और महाराष्ट्र जहाँ 25 लाख से अधिक गाँव घरेलू…?

Secretary: बिलकुल, हमारा संकल्प है कि दिसम्बर 2018 में हमारे यहाँ 1 करोड़ 84 लाख घर हैं जहाँ तक हमको बिजली पहुंचानी है और करीब 68 लाख हैं जहाँ हमको metering करनी है | तो हम लोग संकल्पबद्ध हैं मान्य प्रधानमंत्री जी के सपने को साकार करने के लिए, मान्य ऊर्जा मंत्री जी के सपने को साकार करने के लिए, मान्य योगी जी के सपने को साकार करने के लिए | Thank you.

Secretary 2: जो national target है, nation तो एक है, बिहार तो कम ही है बचा हुआ है | हम तो उसके पहले भी कोशिश करेंगे कि गोयल साहब का जो आदेश है वह पालन हो जाए |

Q:गोयल साहब, वह private sectors जहाँ जहाँ बिजली supply करती है वहां बिजली की दशा अच्छी होती है, वह ज्यादा से ज्यादा लोगों तक बिजली पहुँचती है, लेकिन वहां पर tariff ज्यादा हो जाता है, क्यों होता है ऐसा ?

Ans.: मैं समझता हूँ ऐसा कोई formula नहीं है, अलग अलग राज्य की, अलग अलग शहर की अलग अलग परिस्थितियां होती हैं | अगर आपके ध्यान में कोई ऐसा राज्य है या कोई ऐसा private company है जिसमें कोई भी कारण से बिजली का tariff ज्यादा है तो हमारे ध्यान में लाइये, हम उसको ज़रूर investigate करेंगे | वैसे merit order dispatch को private sector companies पर भी लागू किया जाएगा, उनको भी transparently देना पड़ेगा किससे खरीदते हैं, कितने का खरीदते हैं, क्यों खरीदते हैं | कुछ PPAs तो हमें विरासत में मिले हैं, इस room में बैठे हुए लगभग हम सब relatively नए सेक्रेटरी हैं, नए मंत्री हैं, मैं नहीं समझता हूँ हमारी टीम में कोई भी ऐसा है जिसने शायद 2 या 3 साल पहले इस विभाग को देखा होगा | लेकिन हम विरासत से भागते नहीं हैं, विरासत को सम्मान करते हुए, उसको स्वीकार करते हुए, आगे का रास्ता एक सकारात्मक तरीके से ढूंढ रहे हैं, पूरे टाइम रोते नहीं हैं पुराने बारे में, आगे के रास्ते को काँटों से गुज़रते हुए निकाल लेंगे |

Q:Sir, in the past, private sector participation in the power sector has been an issue and NPAs. Any thoughts on that? Any discussion on that?

Ans.: On NPAs? वह इस फोरम का विषय नहीं है | देखिए, अभी यह फिर वही बात हो जाएगी कि अब पुरानी बातें दोहरानी पड़ती हैं लेकिन दुर्भाग्य यह है कि इस देश में संकट जो artificially create किया गया कि बड़ी बिजली की कमी है, बिजली की समस्या है, उसमें कभी भी ठीक से अनुमान ही नहीं लगाया गया कि कितनी बिजली की समस्या है, कितने plant लगाने की ज़रूरत है | यह एक प्रकार से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने जो निर्णय किया कि Planning Commission को बंद किया जाये, यह इसको भी इस बात को दर्शाता है कि उसका काम में कितनी खामियां रह जाती थी जिसकी वजह से आज देश में इतनी surplus capacity create हो गयी है कि power purchase agreement हम में से किसी को नहीं चाहिए, हर state के पास surplus बिजली है | थोड़ी साल में एक-आद बार कभी थोड़ी कम पड़ती है, power exchange में पर्याप्त बिजली है | तो ऐसी परिस्थिति में NPAs resolution वास्तव में bank और companies मिलके करेंगी, हम सब भी सहयोग करेंगे जहाँ हो सकेगा लेकिन NPA resolution के लिए ज़बरदस्ती कोई नया PPA float करके अपने ऊपर fixed cost की liability तो नहीं ले सकता ना, we are accountable to all of you.

तो जैसे जैसे ज़रूरत पड़ेगा ज़रूर उनसे PPAs float किये जाएँगे, नई coal की policy भी जल्द आने वाली है, साथ ही साथ power exchange में कुछ लोग power generators जिनके पास PPA नहीं है वह power exchange में बेच रहे हैं, आज भी बेच रहे हैं आगे भी चलके बेच सकेंगे | पर NPA resolution के लिए मैं DISCOM को कोई और भार नहीं पहुंचा सकता, परंतु उसके लिए भी हमारी बड़ी संवेदना से रास्ते निकालेंगे कैसे उसको भी करें, जैसे मैंने कल आप लोगों को कहा था कि manufacturing को, Make in India को promote करने के लिए क्या हम कुछ नयी schemes ला सकते हैं उसपर हमने ज़रूर चर्चा करी | क्या हम पर्याप्त बिजली commit कर सकते हैं जिससे कोई भी नया निवेश आये भारत में उसको पता हो कि मुझे इतने रुपये की 10 साल तक बिजली मिलेगी, अपनी planning अच्छी तरीके से कर सके, क्या हम कुछ high power generating units encourage कर सकते हैं, आपको मैंने पहले भी बताया यह देश का दुर्भाग्य है कि हम सोचते थे बिजली महँगी है, कोयला है नहीं इसलिए Aluminium plant हम Iran में लगाने जा रहे थे NALCO का |

मेरा खनन मंत्री बनने के बाद amongst my first decisions, Mr Arun ji was not there, his predecessor will know, amongst my first decisions was, what nonsense? Setting up a plant in Iran when we have sufficient power, sufficient coal, low-cost power! तो हमने तय किया कि ओडिशा में लगभग one of the largest aluminium plants लगाने जा रहे हैं और उसको NTPC-NALCO का JV कर दिया जिससे जल्द से जल्द वह लोग लगा सकें हर एक जने की core competence लेके भारत को लाभ हो और import कम हो जो आज runaway रूप से भारत में import हो रहा है |

Q: Piyushji, I am Anton from Jaya TV, the Tamil Nadu government is asking to allocate the ….. power generation of Kudankulam third and fourth unit, will the central government allocate this thing?

Ans.: We are discussing this issue within the government and along with the states how to allocate power. The interesting thing in this is also for all of you that always power allocation was being done by the central government like a lord and master. In the erstwhile shortage regime, the central government had the ability to favour one state or not to give power to another state, which was also a very sorry state of affairs. Today, the government’s relevance and role in allocation has almost become nil. In a situation of surplus power where people can bid and get cheaper power, allocating power is no more of much significance. Therefore, we are re-crafting the allocation of power policy, the old Gadgil formula and all, we are re-looking at that to see how we can make it more robust. But I have one very strong view which came from the Tamil Nadu government originally, and I endorse that view, that any state which does not permit nuclear plant to come up within their state, but after some neighboring state set up a nuclear plant wants to enjoy the fruits of that power. That should not be allowed. So that we are planning to bring into the policy, which is what I think is of your interest that if a particular state supports setting up nuclear power which gives 100 years almost of very clean energy to that state, we will try and give maximum of that power to that state. And those states which do not encourage nuclear plants will not be able to enjoy this benefit.

Q:And there’s surplus power also in Tamil Nadu, so they are asking for a special corridor to share the surplus power to nearby states?

Ans.: All that we will do, once we formulize the policy then all that will be a natural outcome of that.

Q: मंत्री जी बहुत सारे राज्यों में thermal power और hydro power के बहुत सारे project अधूरे पड़े हैं, उनके पास बहुत सारी ज़मीनें भी हैं, काफी सारा investment है उसके अन्दर, बैंकों का भी है, राज्य सरकारों का है, प्राइवेट कंपनियों का है | तो इनको regulate करने के लिए और इनको किस तरह से राष्ट्रहित में इसका सही उपयोग हो पाए इसके लिए क्या किया जा रहा है ?

Ans.: बहुत अच्छा question है, कोई ऐसा न समझे कि मैंने उनको कहा था यह पूछने के लिए | परन्तु यह भी एक बड़ी गंभीर समस्या मेरे सामने आई थी जब नया नया मंत्री बना आप सबको याद होगा तीस्ता, सिक्किम में, 90% से ज्यादा plant पर खर्चा हो चुका था | सिक्किम में 90% यानी लगभग 9000 करोड़ और यह पैसा बैंकों का, investors का, एक प्रकार से हम सबका पैसा था, इस देश का पैसा था | 9000 करोड़ लगा हुआ वह प्लांट बंद पड़ा था, ठप पड़ा था, झगड़ों में लिपटा हुआ था | हमने उसको सबकी मंज़ूरी के साथ resolve किया और आप सबको जानके ख़ुशी होगी मार्च 2017 से समयसीमा के अनुसार वह plant पूरी तरीके से लग गया है, 1200 MW अच्छी बिजली, साफ़-सुथरी, green energy, hydro power वहां से अब produce हो रहा है और पूरे North East को इसका लाभ मिल रहा है Teesta के completion का |

इसी प्रकार से एक और समस्या जो शायद 7-8 सालों से बंद पड़ा है, सुबानसिरी, सुबानसिरी कुछ राजनीतिक कारण, कुछ local issues, कुछ शायद कोर्ट कचेरी के मामलों के कारण कई वर्षों से 6-6500 करोड़ लागत के बाद बंद पड़ा था | मुझे आप सबको बताते हुए ख़ुशी है कल ही दोनों मान्य राज्य मंत्री और उनके अधिकारियों को मैंने धन्यवाद दिया, बधाई दी क्योंकि पिछले हफ्ते असम के मान्य मुख्यमंत्री और अरुणाचल के मान्य मुख्यमंत्री, दोनों मुझे मिलके गए हैं और दोनों ने मंज़ूर किया है कि यह देश की संपत्ति है, यह जनता के हित का प्रोजेक्ट है इससे बिजली बनके असम, अरुणाचल और पूरे पूर्वांचल को लाभ होगा | और इसके कारण उसको दोनों ने मंज़ूरी दी है कि वह चलाना चाहते हैं और अब हम जल्द ही NGT के सामने सभी पक्ष अपना अपना बात रखके इसको resolve करेंगे |

इसी के साथ एक तीसरा बड़ा गंभीर विषय, दाभोल का था, RGPPL – Ratnagiri Gas Power Plant, इसका विषय भी कई वर्षों से अटका पड़ा था | मान्य प्रधानमंत्री जी का आदेश था कि इस प्रकार के जितने विषय खासतौर पर सरकार के अंतर्गत जो resolve हो सकते हैं जहाँ private sector की मंजूरी की आवश्यकता नहीं है, जिसको हम force नहीं कर सकते हैं | तो दाभोल पर भी NTPC, GAIL, Indian Railways, Bankers (both PSU and private bankers), महाराष्ट्र की सरकार, सभी ने मिलके संयुक्त रूप से और एक प्रकार से बाकी भी neighbouring states जहाँ railway अभी नहीं लेगा लेकिन दाभोल से बिजली लेगा, सभी ने अपना हाथ बटाया और सभी के संयुक्त प्रयास से हम दाभोल को भी अब जल्दी शुरू करने जा रहे हैं | उसका power plant का एक यूनिट का पूरा बिजली railways लेने वाली है, आगे के लिए हम और रास्ते खोज रहे हैं सस्ती गैस मिल जाये और LNG terminal को breakwater लगाके उसको expand करेंगे जिससे हजारों करोड़ की लागत में नया LNG terminal लगाने से हम इस पैसे को भी बचा पाएंगे और जल्द से जल्द देश में और LNG की re-gasification सुविधा बढ़ा पाएंगे |

Q: मंत्री जी कई सारी ऐसी निजी कंपनियां हैं जो स्वभाव से ऐसा करती हैं कि कई जगह शुरुआत कर देती हैं, बैंकों से पैसा ले लेती हैं, क्या उन्हें blacklist करेंगे?

Ans.: ऐसे को ना Reserve Bank, ना कोई bank और ना सरकारें, ऐसी कंपनियों को कोई रिहायत नहीं देंगी, उनपर कड़ी से कड़ी कार्रवाई होगी और आपने हमारा 3 साल का track record इसमें देखा है |

Q:Sir last question, क्या बिजली बिलों को आधार से जोड़ने की प्रक्रिया पर काम चल रहा है?

Ans.: देखिए mandatory तो नहीं है लेकिन आप लोग सबके ही हित में है क्योंकि उससे आप जब bill digitally pay करते हैं तो वह proper log in हो जाएगा कि आपने bill pay किया | कल को किसी को excess billing आ गयी, गलत bill आया तो बड़े आसानी से पता चल जाएगा पुराने bill कितने के थे, यह suddenly bill कैसे बढ़ गया | तो यह एक जनता को सुविधा देने का एक पहल करी जा रही है, कोशिश की जा रही है, सभी राज्य को freedom है कि वह यह करे ना करे, हमारी तरफ से कोई mandatory नहीं है | लेकिन मुझे लगता है आप भी सब agree करेंगे कि यह consumer के interest में है और हमने इस दो दिन में पूरा focus जो रखा, महात्मा गाँधी जी के कहने के अनुसार हमने customer is king, उपभोक्ता के ऊपर ही पूरा हमारा ध्यान आकर्षित किया कि उपभोक्ता को कैसे अच्छी सुविधाओं से हम लाभान्वित कर सकते हैं |

Thank you.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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