Today is an important day when India got victory over Pakistan; we celebrate it as Vijay Diwas. I would like to pay my respects to all those who fought in that war and all those who gave their life for this country. It’s also the day we had that very unfortunate atrocity on our young sister, Nirbhaya.
And today, as a part of our programme, about which I will inform you a little later, we are thinking in the railways, we have decided in the railways that we will take up the next year 2018, calendar 2018, as a year where we collectively work to fight against atrocities against women, against children, particularly, human trafficking. And that’s going to be a focused effort across Indian railways to address this big challenge of human trafficking.
And, today, amongst other discussions, we are working what can be done for safety, security and other passenger needs. Friends, actually, I just called you at short notice. I thought it was a very-very interesting first half we have had today of a conclave where the entire top management team of the Indian railways, all officers amongst the senior management cadre which we call the Additional Secretary and above, equivalent ranks, about 250-270 participants from all over the country have assembled in Delhi today, except those who are on essential duties.
And, we have titled it ‘Sampark Samanvay Samvad,’ to bring about cohesiveness in the working of Indian railways and bring about a change in the mindset to work as a team to collectively bring about the transformation of Indian railways to align a new rail with New India-2022.
In the morning session, we had Mr Sonam Wangchuk. I think you will all recall, he’s the gentleman on whose story the movie 3 Idiots was conceptualised – an outstanding and remarkable educationist. He gives a truly inspiring message to each one of the participants today, and if I can sum up the two important things that were the biggest takeaways, amongst many other takeaways, one was that one must find a simple solution to the most complex problem, because otherwise the solution itself creates too many problems. And the second was it’s great to have challenges and difficulties and problems, because while you are in a comfort zone, you will never evolve.
And with these two messages, we actually set the tenor for the day’s engagement. We are having discussions on a variety of subjects. We started with safety being the primary focus of the Indian railways, then we spoke about punctuality and passenger comfort. We will be discussing and taking feedback about what we can do to increase the overall capacity of the Indian railways, so we can expand both passenger services and the freight services across the country, ultimately leading to improved profitability.
We are also having serious deliberations on issues related to efficiency and effectiveness in our actions, technology, what new technologies need to be brought-in in different areas of work, how to bring better transparency in the working of the Indian railways. Since it interests all of you, we are working at dynamic pricing in the railways which also we have kept a session on where we will be taking feedback and ideas from all our colleagues. The basic thought process being that this will be a collective and collaborative approach in which the Indian railways will work, taking ideas from some of the best minds who have put 30-35 years, many of them 37-38 years.
So, you can imagine the power of knowledge in that room with an average of 34-35 years put in by 270 odd people, it’s truly a remarkable set of talent that we have in the Indian railways, which we are trying to unleash so that we can further the very good work that Mr Suresh Prabhu has done in the last 3 years. We can take further the ideas that came out of the first Rail Shivir about 2 years ago, and assess what has happened so far in the 2 years and prepare a roadmap for the next 5 years to prepare Indian railways to become the new Rail for New India-2022.
Question & Answer
प्रश्न: आपने कहा कि बड़े तौर पर रेलवे में ट्रांसफॉर्मेशन आप करने जा रहे हैं, बदलाव लाने जा रहे हैं| मेरा सवाल यह है सर कि सिक्योरिटी सबसे बड़ा कंसर्न रहा है, यात्रियों की सिक्योरिटी की अगर बात करें, और एक बड़ी समस्या रेलवे फेस कर रहा है कि जो बड़े शहरों में ट्रैक किनारे झुग्गियां हैं उससे, कई जगह ट्रेन रोक ली जाती है और लोगों के साथ लूटपाट होती है| कई घटनाएं दिल्ली में भी आई हैं कई इलाकों में और दूसरे शहरों में, तो इसको लेकर कोई प्लान है रेलवे का कि जो ट्रैक किनारे स्लम्स हैं उनको हटाकर रेलवे को सुरक्षित बनाया जा सके?
उत्तर: जहाँ तक सुरक्षा का सवाल है स्वाभाविक है हम सब चिन्तित हैं उस विषय में, उसके लिए लगभग हमारा मन बन गया है कि हम एक पूरे रेलवे नेटवर्क में इन्टरनेट कनेक्टिविटी देने की चेष्टा कर रहे हैं| और उसी के साथ-साथ एक सीसीटीवी का जाल जो हर रेलवे स्टेशन और आगे चलकर हर ट्रेन पर भी होगा जिससे हम मॉनिटर कर सकें सिक्योरिटी कंसर्न्स| यह दोनों इसलिए साथ-साथ चलते हैं क्योंकि इन्टरनेट कनेक्टिविटी होगी तभी उसकी लाइव फीड हम कंडक्टर या ड्राइवर को दे सकेंगे जिससे फ़ास्ट एक्शन होगा, या जो सिक्योरिटी गार्ड ट्रेन में है he can take action on that.
तो यह प्रोजेक्ट पर चर्चा शुरू हो गयी है, हमारी टीम्ज़ उसपर काम कर रही हैं, तो पूरे रेल नेटवर्क को सीसीटीवी कैमरा से मैप कर देना और उस सीसीटीवी कैमरा की फुटेज एक लेवल पर हमारे स्टेशन मास्टर और ट्रेन गार्ड्स, मोटरमैन के पास जाये, वही फीड फिर लोकल पुलिस स्टेशन में जाये और फिर उसी का एक फीड.. क्योंकि एक बार कंप्यूटर में आ गया, इन्टरनेट पर आ गया तो वही फीड फिर डिविजिनल और ज़ोनल पर भी जाये, ऐसी एक कल्पना पर हम काम कर रहे हैं| जैसे ही वह एकदम फर्म-अप हो जाएगी हम आपके साथ उसकी डिटेल शेयर करेंगे और कैबिनेट में लेकर जायेंगे|
इसमें हमें निर्भया फंड का भी बहुत अच्छा सपोर्ट होम मिनिस्ट्री से मिल रहा है, कुछ 700 या 900 स्टेशन्ज़ पर आलरेडी निर्भया फंड के तहत सीसीटीवी का या करीब हज़ार स्टेशन पर सीसीटीवी नेटवर्क लगाने के फंड्स भी दिए उन्होंने और यह भी assure किया कि अगर हम इसको और स्टेशन्ज़ पर लगाने जायें तो funds would be made available.
और दूसरा आपका जो झुग्गी-झोपड़ी का था सवाल उसमें हमें स्टेट गवर्नमेंट के साथ ही और लोकल बॉडीज के साथ काम करना पड़ेगा| Eviction of those slum dwellers बहुत संवेदनशील विषय होता है, उसमें लोकल बॉडी की सपोर्ट चाहिए क्योंकि magisterial powers रेलवे अधिकारियों के पास नहीं है, law and order के पावर्स भी हमारे अधिकारियों के पास नहीं है| हमारे सुरक्षाकर्मी भी सिर्फ complain local government और local bodies, police के साथ ही actionate कर सकते हैं| तो हम अलग-अलग जगहों पर स्टेट्स के साथ चर्चा करते हैं और उसमें से रास्ता निकलता है कि क्या रिसोल्व कर सकें|
In the meantime, in the interest of hygiene and sanitation, हमने एक ज़रूर policy intervention तय किया है कि जो slums हैं रेलवेज के पास वह लोग जो defecation के लिए रेल ट्रैक्स पर आते हैं उससे एक्सीडेंट भी होते हैं कई जगह पर और उससे ट्रैक भी damage होता है, uric acid and other chemical problems. तो हमने यह तय किया है कि अगर railway land हो तो पहले toilets allow नहीं होते थे अब हम उसको allow कर देंगे तो कम से कम उनको एक respectability और respectable sanitation facilities मिल सकें|
प्रश्न: सर निर्भया फंड जब दिया गया था रेलवेज को तो how much has already been spent and what is still in deliberation?
A: I wouldn’t know the exact details of what has been spent so far, but I do know that there were some funds available. But I have now scaled up the entire programme, because I believe that just like we did in the LEDs, once you have a larger scale project which goes across the network, you get economies of scale, your whole cost goes down and the effectiveness is much more. So, instead of 17 zones using different technologies, or for the first 1000 stations, somebody gets a contract and uses one technology, future we do another 1000, somebody may use another technology. Here what we are trying to do is have the backend common and then other different contractors can do the front end, so that there is a uniformity across the whole network. But I wouldn’t know the exact details, that I am sure Saxena can make it available.
प्रश्न: सर डायनामिक प्राइसिंग को लेकर आपने कहा कि चर्चा हुई तो उसको लेकर क्या…?
उत्तर: चर्चा होने वाली है अभी afternoon session में है वह|
प्रश्न: तो सर इसको लेकर काफी लोगों में यह कंसर्न देखा जाता है कि उनको एक तो महंगा किराया देना पड़ता है …. और महंगा भी काफी है क्योंकि अगर all of sudden आप टिकेट ले रहे हैं तो काफी ज्यादा महंगा होता है?
उत्तर: स्वाभाविक है इसी के लिए हम उसको review भी कर रहे हैं और मैं तो एक कदम आगे जाने के लिए तैयार हूँ| अभी तक चर्चा हो रही थी कि डायनामिक प्राइसिंग में प्राइस इनक्रीस नहीं होनी चाहिए, I am even looking exploring the possibility कि जहाँ पर ट्रेन्स फुल नहीं जाती हैं तो एयरलाइन में जैसे discounted fares भी मिलते हैं हम उस टाइप का मॉडल – और अश्विनी लोहानी एयरलाइन से ही आये हैं यहाँ पर तो उनके एक्सपीरियंस का लाभ लेकर, होटल्स में भी ऐसा ही रहता है, डायनामिक प्राइसिंग रहती है| पहले कम होता है, अगर भरने लगता है तो बढ़ जाता है, एंड में कोई रूम रह जाता है तो BookMyHotel में जाओ तो एकदम सस्ता मिल जाता है| तो we are looking at dynamic pricing, not one-way flexi fare.
प्रश्न: सर आपने इंफ्रास्ट्रक्चर की बात की, पिछले दिनों में मुंबई में एक foot over bridge गिर गया था…?
उत्तर: Excuse me, कोई भी foot over bridge आज तक नहीं गिरा है|
प्रश्न: सर एक्सीडेंट हुआ था|
उत्तर: हाँ! तो ज़रा मेहरबानी करके आप लोग बहुत carefully reporting करिए नहीं तो ग़लतफहमी होती है लोगों में|
प्रश्न: जहाँ-जहाँ पर हुए हैं इस तरह के डैमेज तो उनके लिए क्या उसके बाद (Inaudible)?
उत्तर: आपकी जानकारी के लिए एलफिन्स्टन पर जब वह दुखद घटना हुई उसके बाद मैंने लगभग दो दिन लगातार सुबह से रात तक पूरे इस चीज़ को रिव्यू किया था और पूरे रेलवे बोर्ड के अधिकारी भी दूसरे दिन पूरे दिन साथ में रहे थे जिसमें बहुत सारे निर्णय उसी समय वहीँ बैठे हुए रेलवेज ने लिए थे, मैंने उसकी जानकारियां तो पहले दी हैं, सक्सेना जी उपलब्ध करा देंगे| लेकिन उसमें एक प्रमुख निर्णय यह था कि उस दिन के बाद हमने platforms, foot over bridges, और entry-exit points जो होते हैं, एक प्रकार से रेलवे स्टेशन, उसको हमने safety category में डाल दिया बजाये कि passenger amenity.
आपको जानकर हैरानी होगी यह 150 साल की प्रथा थी कि railway platform was an amenity, जैसे कोई बहुत सुविधा का ही विषय है, safety का विषय नहीं है और foot over bridge भी सिर्फ एक safety में माना जाता था, beyond one सुविधा में माना जाता था| हमने उस amenity को बदलाव करके safety में लेने से अब वह necessity हो गया है| तो अब रेलवे अधिकारियों को lower level पर पूर्ण रूप से अधिकार दे दिया है जहाँ पर repair की आवश्यकता हो, जहाँ expansion की आवश्यकता हो, कभी प्लेटफार्म बढ़ाना है, कभी entry-exit points को दुरुस्त करना है, बढ़ाना है कम करना है, toilets बनाने हैं स्टेशन पर, foot over bridge अगर कोई जगह ज्यादा passenger footfall है तो extra बनाना, widen करना| यह सब अभी decentralize किया है, railway board पर आना नहीं पड़ता है|
दूसरा जो महत्वपूर्ण बदलाव इसी दौरान निर्णय लिया है लगभग पौने तीन हज़ार के करीब, ढाई-पौने तीन हज़ार escalators देश भर में लगने वाले हैं जिसमें 372 सिर्फ मुंबई सबर्बन में लगेंगे क्योंकि मुंबई सबर्बन में एक-तिहाई भारतीय रेल के passengers उस 115 स्टेशन में सीमित रहते हैं, 80 लाख passenger रोज़|
तो वह निर्णय तो हमने already out of turn लेकर supplementary budget में डाल दिया है और बाकी की assessment करके अब figure आ गयी है इस बजट में लगभग 2500 और escalators approve होकर अगले 5 साल का प्रोग्राम दे देंगे जो Make in India में भी लोगों को escalator, high quality escalator बनाने के लिए – अब समझो 4-5 साल का पूरा work programme हो जाये तो उससे भारत में बनेंगे, भारत में नौकरियां मिलेंगी लोगों को और Make in India के तहत अच्छी क्वालिटी मिल पायेगी|
और आखिरी एक बहुत महत्वपूर्ण निर्णय उस दिन लिया गया जिसमें मुझे लगता है आप सबका समर्थन भी मुझे मिलेगा| अभी तक रेलवेज में category of station मात्र revenue के ऊपर होती थी, हमने उसको बदलकर अब तीन मापदंड बना दिए हैं| Revenue एक मापदंड ज़रूर है लेकिन साथ ही साथ passenger footfall, कितने passenger उस स्टेशन को इस्तेमाल करते हैं उसको भी एक महत्वपूर्ण मापदंड दिया है|
उदाहरण के लिए अगर कोई स्टेशन है सबरीमाला के नजदीक, हो सकता है originating traffic या revenue बहुत ज्यादा न हो, लेकिन अगर साल में करोड़ लोग उधर आते हैं तो उसको एक अलग ही रूप से देखना पड़ेगा, या किधर कुंभ मेला हो रहा है, या अजमेर शरीफ में लाखों-करोड़ों लोग साल में जाते हैं, तो revenue नहीं वह passenger के प्रति संवेदना भी हमारी उतनी ज़िम्मेदारी है|
और तीसरा मापदंड उसकी strategic importance, जैसे मुग़ल सराय है, passenger भी ज्यादा नहीं है, originating traffic नहीं है, लेकिन एक प्रकार से पूरे भारतीय रेल का दिल मुग़ल सराय स्टेशन पर है| It is the centre point, most congested railway station point, junction. तो इस प्रकार से हमने recategorize करने से fund allocation भी अब इन मापदंडों पर जब देंगे तो स्वाभाविक है कि important stations पर focus बढ़ेगा|
प्रश्न: सर अभी रिसेंटली (inaudible) 3 ऑफिसर्स सस्पेंशन हुए हैं…. (inaudible)?
उत्तर: मुझे इसकी जानकारी नहीं है, वह आप बाद में ले लेना इन से| शायद मुझे सस्पेंशन हुआ है ऐसा जानकारी नहीं है पर आप चेक कर लेना| I wouldn’t know, but there is a zero tolerance towards corruption. मैंने भी अपने opening remarks में इस बात पर बल दिया है, कुछ मैंने अपने पूर्व के अनुभवों से कुछ principles of good governance जिसपर मैंने तीन-साढ़े तीन साल अपना पहले के मंत्रालय भी चलाये थे उसका ज़िक्र करते हुए मैंने कहा कि इन 10 principles के साथ-साथ सबसे महत्वपूर्ण अगर कोई बात है तो वह highest level of transparency, integrity, honesty, ethics, इन चीज़ों पर हम सब बल दें as a team. लेकिन फिर भी 13 लाख लोगों की organisation में कुछ occasional incidents ऐसे आयें तो वह दुर्भाग्यपूर्ण है| लेकिन सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी, कोई प्रकार की रिहायत भ्रष्टाचार में भारतीय रेल जिस प्रकार से मोदी सरकार ने zero tolerance to corruption रखा है अपना ethos.
और आपने देखा है 4 साल, साढ़े तीन साल में जो ईमानदारी की सरकार रही है केंद्र में उसी प्रकार से भारतीय रेल में भी एक बहुत major thrust दिया जा रहा है ईमानदारी पर| और मैं समझता हूँ अधिकांश हमारा जो पूरा रेल टीम है अधिकांश ईमानदारी से मेहनत करने के लिए तैयार है, करना चाहती है और हम उसके लिए प्रतिबद्ध हैं|
प्रश्न: (inaudible)
उत्तर: Specific projects की जानकारी तो आप बाद में ले सकते हैं लेकिन धनबाद की जो लाइन है वह जो coal mine safety देखती है, authority, उनके आदेश के अनुसार वह लाइन unsafe हो गयी थी, नीचे आग ने खोखला बना दिया था, नीचे ज़मीन और कभी भी collapse हो सकती थी इसलिए वह लाइन बंद करनी पड़ी है| जब तक safety के clearance नहीं मिलें वह लाइन शुरू करना मुश्किल है क्योंकि safety is of paramount importance. मैं हजारों लोगों की जान को खतरे में नहीं डाल सकता हूँ वहां पर| और उसके लिए alternate routes क्या हो सकते हैं उसका survey भी किया गया है और उसपर हम जल्द से जल्द action लेंगे|
Q: Sir, in the railways, will the procurement policy be also reviewed in the view of….?
A: We have had extensive discussions on that, and yes, there will be a lot of changes in the procurement policy. You will be happy to know that stores has already, railway stores, has listed out 38 items, which will now be going in for reverse bidding to get us more competitive prices. There are many more changes in the offing to bring in more competitiveness, and I am quite confident and I have set a target today that we should seriously look at bringing down our procurement costs significantly.
Q: In your early speeches, you mentioned that a lot of international or foreign companies are not listed as vendors…?
A: You will be happy to know, now RDSO has no deadlines for application, so all the items, I think there are about 600 odd items which are procured after RDSO approval. They have all been listed on the RDSO website, all the items. And now there is no more a deadline that you have to apply before this date or within this date – 365 days a year, and I wish all of you will communicate this to the people of India and to potential suppliers. Please write about it, please talk about it because it’s very-very important. You will actually be serving your nation if you propagate this that 365 days a year RDSO is now open to accept new vendors, new suppliers. We want to expand the pool of suppliers, good quality suppliers.
Second, for every item, we have put a timeline, how much will be the time within which they have to either accept or reject, and if they reject they have to give reasons in writing why they are rejecting, and we will make all that transparent. And last point, there are about 500 odd applications which are currently pending with RDSO. We have put all that data on the website, and I think it is open for public viewing.
It is open for public viewing, and in all those 540 odd cases I had said put a timeline by when you will take a decision so that there is complete transparency in the working. One of the best ways I have found to eliminate any possibility of misdemeanor or any wrong doing is to bring in transparency in the system.
Q: Sir, any thoughts on unification of the (inaudible)?
A: Some suggestions, of course, have come out in the course of the day today, but we can’t take all decisions across the table in the course of… Let ideas evolve.
Q: सर Ring railway को survive करने के लिए या उसको lifeline बनाने के लिए रेलवे का कोई प्रपोजल चल रहा है अभी?
A: उसकी स्टडी चल रही है अभी, दिल्ली में Ring railway ना? उसकी स्टडी चल रही है, हमारे मन में है कि जैसे मेट्रो के जाल ने एक बहुत अच्छी सुविधा दी है दिल्ली के लोगों के लिए, वैसे ही अगर यह रिंग रेल को भी हम और दुरुस्त कर दें और एक्टिवेट कर दें तो एक अच्छी कनेक्टिविटी हो जाएगी| उसको और मेट्रो को जोडकर, together, both the things will be able to give a lot of passenger relief और हो सकता है गाड़ियों की ज़रूरत और कम हो सके दिल्ली में|
प्रश्न: सर क्या राजधानी, जिस तरह से शताब्दी में round tripping होती है क्या राजधानी में भी यह प्रपोजल कुछ था कि ऐसा लगातार चर्चा हो रही थी कि ऐसा शायद राजधानी ट्रेनों के लिए भी हो?
उत्तर: यह मेरी एक दिली इच्छा है और कई वर्षों से मेरी इच्छा थी कि इसको अंग्रेजी में कहते हैं you should sweat your assets to its full capacity. मतलब अभी जैसे राजधानी 16 घंटे में जाती है बाकी 8 घंटे तो उसके खड़े रहते हैं ना मुंबई जाकर या दिल्ली आकर| तो मेरे मन में है कि पहले फेज में तो जो भी बचा हुआ समय है उसमें कोई शॉर्ट ट्रिप करके आ जाये या तो तो एसेट का इस्तेमाल उतना बढ़ जाये| पर अल्टीमेट मेरा ऑब्जेक्टिव है अगर राजधानी 11 घंटे में मुंबई-दिल्ली करे, आधे घंटे में लोग उतरे-चढ़ें और आधे घंटे में उसकी मेंटेनेंस हो| आखिर एयरलाइन जैसे आधे घंटे में पूरी तैयार हो जाती है अगले ट्रिप के लिए वैसे ही राजधानी के 20-22 डब्बे हम 22 टीम भेजके उसको चेकिंग भी कर लेंगे, सफाई भी कर लेंगे, आधे घंटे में करने की प्लानिंग हो सकती है|
तो as an example, not कि यह एक ही बस हमारा टारगेट है, as an example कैसे efficiency बढ़ाना, how to sweat your assets more कि गाड़ियाँ या coaches कैसे अधिकांश समय चौबीस घंटे में जनता की सेवा कर सके उसका एक example के रूप में राजधानी आज agenda में है|
प्रश्न: सर मुंबई-राजधानी जिस तरह से दिल्ली से मुंबई …..?
उत्तर: दो घंटे कम करके हमने बनाई है अभी|
प्रश्न: क्या इस तरह से दिल्ली से कोलकाता या दिल्ली से अहमदाबाद..?
उत्तर: अब एक एक्सपेरिमेंट बेसिस पर दिल्ली-मुंबई किया है उसमें भी मैंने सुझाव दिया है थोड़ा और परिवर्तन ट्राई करें| शाम को 4 बजे चलती है जैसे राजधानी उसको हम 5 बजे करें तो एक घंटा अधिक मिल जायेगा लोगों को काम करने के लिए यहाँ और सुविधाजनक हो जायेगा| और मुंबई में 6 बजे पहुँचने के बदले 7 बजे पहुंचे, तो थोड़ा और नींद पूरी हो जाये और फिर पहुंचे व्यक्ति| We are experimenting. एक बार एक ढांचा अच्छा बन जाये फिर उसके ऊपर और कहाँ-कहाँ परिवर्तन करना है वह हम करेंगे|
प्रश्न: स्वच्छता अभियान से रिलेटेड सवाल है, … ट्रेनें चलती हैं उनमें जितनी गन्दगी रहती है उसपर क्या….??
उत्तर: आज इस पर भी काफी चर्चा हुई है कि कैसे cleanliness contracts में और ज्यादा service level agreements को मज़बूत किया जाये, जो contractors हैं अधिकांश वह contractual activity है उसको कैसे और strong किया जाये| लेकिन मेरा मानना है उसका final solution तो CCTV cameras बनेंगे, एक बार CCTV camera आ गए तो जो व्यक्ति को contract मिला है वह स्वाभाविक है उसको अपना काम भी ठीक करना पड़ेगा और वह कैमरा के माध्यम से coach conductor या train conductor भी और station masters भी देख पाएंगे कि कहाँ पर गन्दगी हो रही है क्या हो रही है| उसके इलावा एक और मेरा initiative है पर ज़रा अभी preliminary stage पर है आगे चलकर उसको बताऊंगा that will be a game changer for Swacchta, पर आज की प्रेस में वह विषय नहीं है|
बहुत-बहुत धन्यवाद|