Speeches

July 23, 2018

Speaking at Confederation of All India Traders (CAIT)

साथीगण, भाईयों और बहनों, मीडिया के मेरे मित्रों और मैं समझता हूँ इस देश की अर्थव्यवस्था के पूरी तरीके से इस अर्थव्यवस्था को संयोजित रूप से, अच्छे तरीके से चलाने वाले, ईमानदारी से चलाने वाले मेरे व्यापारी भाईयों और बहनों।  जैसे प्रवीण जी ने कहा जीएसटी हमारा दुश्मन नहीं है, मैं आपको बता दूँ  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, अरुण जेटली जी बार-बार मुझे यही बताते हैं कि व्यापारी, उद्यमी, उद्योजक हमारा दोस्त है, हमारा दुश्मन नहीं है| और भारत का व्यापारी, भारत का उद्योजक मूलतः ईमानदार है, मूलतः चाहता है कि व्यवस्था के साथ जुड़े, व्यवस्था के अंदर काम करे।

शायद दशकों से, वर्षों से जो आई हुई प्रणाली थी उसमें मजबूर होकर शायद कुछ गलत काम कभी किसी को करना पड़ गया हो लेकिन हमारे खून में ईमानदारी है, हमारी मूलतः इच्छा है कि ईमानदार व्यवस्था हो। और यह मैं नहीं कह रहा हूँ, यही बात मुझे प्रधानमंत्री मोदी जी, माननीय अरुण जेटली जी बार-बार समझाते हैं, सिखाते हैं कि जो भी फैसले लें, जो भी प्रणाली बने वह सरल हो, समझने में आसान हो, कार्यान्वित करने में लोगों को सहूलियत हो। इसकी दिशा में हमें देश को लेकर जाना है।

अफसरशाही से मुक्त करना है, करदाता को, कर देने वाले को अफसरशाही से मुक्त करना है। प्रधानमंत्री जी ने तो इसको गुड एंड सिंपल टैक्स का दायरा दिया और उनकी दिली इच्छा है कि पूरा व्यापार करने का जो ढंग है देश में वह एकदम सरल हो जाए, लोगों को सहूलियत मिले अपना व्यापार बढ़ाने के लिए, लोगों को सहूलियत मिले कि व्यवस्था ऐसी हो कि जो कम्पटीशन होती है हमारे बिज़नेस में, हमारे व्यापार में वह इस बात पर ना हो कम्पटीशन कि एक व्यक्ति दूसरे से ज़्यादा टैक्स की चोरी करके अपना सामान सस्ता कर सके लेकिन सामान्य दरों पर सबको टैक्स हो जिससे कम्पटीशन हो गुणवत्ता पर, कम्पटीशन हो हमारे सर्विस स्टैण्डर्ड पर कितनी अच्छी हम कस्टमर को, उपभोक्ता को सर्विस देते हैं| हमारा जो सामान है वह दूसरों के सामान से ज़्यादा अच्छा है कि नहीं| इसपर होनी चाहिए सही मायने में कम्पटीशन।

और एक प्रकार से पूरे देश में एक टैक्स हो, एक इनडायरेक्ट टैक्स हो – गुड्स एंड सर्विसिज़ टैक्स – जैसे पूरे देश में इनकम टैक्स एक है| कोई हर एक राज्य का अलग-अलग टैक्स नहीं है, ऐसा एक टैक्स हो यह डिमांड मैं समझता हूँ आप सभी की वर्षों-वर्षों से चली आ रही थी लेकिन सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी जी और अरुण जेटली जी में यह साहस था कि इतना निर्णायक फैसला ले सकें और उसको कार्यान्वित कर सकें|

और मैं समझता हूँ वास्तव में ताली तो मोदी जी को और अरुण जेटली जी को सुननी चाहिए, जिन्होंने 2014 में कमान सँभालते ही और मुझे अभी तक मेरी आँख के सामने याद है 2014 के जून महीने में पहली बैठक हुई थी जीएसटी की इस सरकार के आने के बाद, जून 2014 में|

कई बार यह विषय उठता है कि पहली बात यह जीएसटी शुरु हुई थी 2002-03 में जब शायद केलकर जी की एक कमिटी ने इस बात का ज़िक्र किया था कि पूरे देश मे एक टैक्स होना चाहिए| उसके बाद 2006 में या 2006-07 में जीएसटी का कानून पहली बार देश के समक्ष रखा गया| उसके बाद 6-7 वर्षों तक चर्चा चलती रही टैक्स आना चाहिए, लगना चाहिए, एक टैक्स होना चाहिए लेकिन आम सहमति देश में हो नहीं पाई, अलग-अलग कारण थे| प्रदेशों के बीच और केंद्र सरकार के बीच तालमेल नहीं था, विश्वसनीयता नहीं थी और मैं मानता हूँ सबसे बड़ा अगर कोई फर्क हुआ 2014 के पहले और 2014 के बाद वह है कि आज पूरा देश एक ऐसे नेता को देख रहा है जिसमें सब लोग विश्वास करने के लिए तैयार हैं।

और 29 प्रदेश, अलग-अलग यूनियन टेरिटरीज, सबमें अलग-अलग राज्य सरकारें हैं अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों की सरकारें हैं, कई जगह मिल जुलकर कोएलिशन गवर्नमेंट है| उसमें विपक्ष की भी सरकारें हैं, कांग्रेस की सरकारें हैं, यहाँ पर दिल्ली में आम आदमी पार्टी है, टीआरएस है तेलंगाना में, कश्मीर में अलग पार्टी थी कुछ दिनों पहले तक जब जीएसटी लगा तब नैशनल कांफ्रेंस थी उसके बाद पीडीपी आई, पश्चिम बंगाल में माननीय ममता जी की तृणमूल कांग्रेस है, ऑल इंडिया अन्ना डीएमके है दक्षिण में, केरल में सीपीएम की सरकार है, आंध्र प्रदेश में तेलगु देसम है|

सभी अलग-अलग दलों की सरकारों ने भी आखिर अगर जीएसटी को सर्वसम्मति से लागू किया और हर मीटिंग में निर्णय, मीटिंग के अंदर सर्वसम्मति से होते हैं, बाहर थोड़ी बहुत आलोचना-वगैरा चलती रहती है, वह तो ठीक है राजनीति, रूम के बाहर राजनीति रहे तब तक ठीक है, कमरे के अंदर एकजुट होकर, एक साथ मिलकर जब फैसले हुए तो मैं समझता हूँ यह सबसे बड़ी विशेषता है जीएसटी की और पहली बार देश ने पूरे विश्व को दिखाया है कि कोआपरेटिव और कॉलेबोरेटिव फेडरलिज्म कैसे इस देश में पनपती है और फूलती है, और कैसे हर एक निर्णय को सभी दल मिल जुलकर भी ले सकते हैं।

और यह वास्तव में माननीय अरुण जेटली जी का साहस था और उनकी पेशेंस थी कि उन्होंने इतनी मीटिंग्स में सबको साथ जोड़ते-जोड़ते इस जीएसटी को सफल बनाया। कई बार होता था कि मीटिंग में किसी का मत थोड़ा भिन्न हो सकता है लेकिन किसी में एक राज्य का भिन्न मत है, किसी में दूसरे का है, किसी में तीसरे का है, वह भिन्न मत को भी सामने रखते हुए एक देशहित और जनहित में जितने फैसले लेने की आवश्यकता समय-समय पर पड़ी उसको जीएसटी काउंसिल ने लिया| इस मीटिंग में भी सभी फैसले सर्वसम्मति से हुए|

मैंने माननीय अरुण जेटली जी के मार्गदर्शन को प्राप्त किया मीटिंग के पहले कैसे मीटिंग रहेगी, कैसे मीटिंग में निर्णय होंगे और मैं समझता हूँ मेरे लिए तो अपने आपमें आश्चर्यजनक स्थिति थी कि अपनी-अपनी बात रखते हुए सभी प्रदेशों ने अंत में हर निर्णय को स्वागत किया, स्वीकार किया और सर्वसम्मति से पारित किया| और यह दर्शाता है कि व्यापार सरल हो, देश की अर्थव्यवस्था में उछाल आए, डिमांड बढ़े, कंप्लायंस सुधरे| यह सभी चाहते हैं और जैसा माननीय प्रवीण जी ने कहा कि तीन करोड़ करदाता होने चाहिए, वास्तव में आप ही के लिटरेचर में लिखा है कि आज 6.50 करोड़ ट्रेड और इंडस्ट्री से जुड़े हुए लोग फर्म्स के नाते, प्रोप्राइटरशिप के नाते, प्राइवेट लिमिटेड, पब्लिक लिमिटेड, LLPs अलग-अलग तरीके से 6.5 करोड़ organizations व्यापार में जुड़ी हुई हैं देश भर में|

हो सकता है काफी छोटी-छोटी भी इसमें होंगी तो 6.5 करोड़ में तीन करोड़ का लक्ष्य रखना कोई बहुत इंपॉसिबल टारगेट नहीं है, संभव है| और जब मुझे प्रेस के मित्रों ने पूछा कि आप इतने सारे निर्णय ले रहे हो, आप quarterly return allow कर रहे हो 5 करोड़ तक जिसके लिए किसी ने मांग नहीं था| सबका लगभग मांग इतने तक सीमित थी कि composition dealer को आपने quarterly return file करने allow कर दिया है| Monthly tax pay करो quarterly return करो, आप डेढ़ करोड़ तक सभी को हर महीने हम टैक्स देने के लिए तैयार हैं|

जैसे इनकम टैक्स में होता है हर 3 महीने में टैक्स दिया जाता है एक return साल में होता है| आप सबकी मांग यही थी कि भाई हम मंथली टैक्स भरेंगे जिससे टैक्स का भोजा एक साथ 3 महीने बाद नहीं आए लेकिन रिटर्न कम से कम quarterly हो जाए, डेढ़ करोड़ तक| लेकिन मेरा विश्वास था और फिर सभी माननीय वित्त मंत्री सभी राज्यों के इस बात में एक स्वर से बोले कि भाई क्यों ना सीधा 5 करोड़ तक व्यापारी को यह छूट दी जाए कि हर महीने आप टैक्स भर दो, ईमानदारी से भरो उसमें गड़बड़ मत करना| यह डर था कि लोग पहले महीने छोटा सा भरेंगे, दूसरे महीने छोटा सा और रिटर्न के साथ तीसरे महीने पूरे भर देंगे और इस बात पर गाड़ी अटक सी गयी थी| मैंने कहा मुझे पूरा विश्वास है मेरे व्यापारी भाई पूरा टैक्स भरेंगे हर महीने|

और मैंने कहा कि भाई ज्यादा से ज्यादा कानून की कमेटी कुछ इसका विचार करके रास्ता निकाल ले कि भाई एक-तिहाई, एक-तिहाई, एक-तिहाई भर देंगे हर महीने या सेल्स कम से कम फिगर भर देंगे हर महीने का उसके साथ टैक्स जोड़ देंगे| या अगर आपको दिखता है बाद में कि किसी ने टैक्स ईमानदारी से हर महीने नहीं भरा आप ब्याज ले लेना भाई हमसे लेकिन विश्वास करके तो देखो मेरे व्यापारियों के ऊपर और फिर सबने स्वीकार किया कि ठीक है भाई टैक्स हर महीने होगा,  रिटर्न हर quarter में होगा, जो भी प्रावधान लाने पड़ेंगे यह सुनिश्चित करने के लिए ले आओ लेकिन सुविधा दो सबको|

और मुझे खुशी है कि सबने इस बात को स्वीकार किया और 93 परसेंट टैक्सपेयर्स, 93% अब quarterly रिटर्न भरेंगे| मात्र 7 परसेंट को हर महीने रिटर्न भरना पड़ेगा| फिर रही बात रिटर्न की, मुझे याद है शुरू-शुरू में बड़ी आलोचना होती थी कि तीन-तीन रिटर्न, हर महीने 3 रिटर्न| अब आपको सिर्फ एक रिटर्न भरना पड़ेगा हर quarter में और उसको भी इतना सरल बनाने की कोशिश कर रहे हैं जो इन-प्रिंसिपल एप्रूव हो गया है अब उसको IT, जो GSTN नेटवर्क है उसमें सॉफ्टवेयर वगैरा बदलना पड़ेगा उसके हिसाब से बनेगा| बेसिकली आप सेल्स डेटा दोगे और उसके अलावा आपकी कोई और परेशानी नहीं रहेगी| आपका सेल्स डेटा दूसरे का परचेस डेटा बनेगा, ऑटोमेटिक उससे क्रेडिट कैलकुलेट हो जाएगा आपको आईटीसी क्रेडिट कितना मिलना है और कंप्यूटर ही बता देगा कि आपकी टैक्स की लायबिलिटी कितनी है|

स्वाभाविक है आप चेक करोगे कि भाई जितनी मैंने परचेस की वह सामने वाले ने डाला कि नहीं सेल्स सही डेटा| नहीं डाला तो कुछ समय दिया जाएगा आप फोन करके उसको बोल सकते हो कि भाई अपना सेल डालो मेरी क्रेडिट नहीं मिल रही है मुझे| पर हमारी ज़िम्मेदारी सिर्फ हमारे सेल डेटा डालने तक सीमित रह जाएगी| बाकी सब क्रेडिट ऑटोमेटिक परचेस के रूप में ऑटोपॉप्युलेट हो जाएगी दूसरे के सेल्स इनवॉइस से| और जहां B2C है वहां पर तो क्रेडिट का सवाल ही नहीं है सेल्स डेटा दे दो, आपने कंज्यूमर को कितना बेचा उसका कोई किसी ने क्रेडिट लेना नहीं है|

और आपने एक बहुत अच्छी बात कही जो मैंने भी रखी जीएसटी काउंसिल में और आपको बता दूँ यह मेरी डायरी है इसलिए मैं वहां से उठाकर लेकर आया हूँ| कोई युवा-युवती हो यहां पर तो इसको ब्लैक बुक बोलते हैं और ब्लैक बुक के कई, जैसे ब्लैक बॉक्स होता है एयरक्राफ्ट में जो सब रिकॉर्ड करता है क्या-क्या हुआ कि कभी कोई दुर्घटना हो तो ब्लैक बॉक्स से मालूम पड़ता है कि वास्तव में सब equipment ठीक चला, नहीं चला, बातचीत क्या हो रही थी पायलट की और ATC की, आपस में पायलट की बात क्या हो रही थी, अनाउंसमेंट क्या हुआ केबिन में वह ब्लैक बॉक्स सब रिकॉर्ड करता है|

तो यह मेरी ब्लैक बुक रिकॉर्ड करती रहती है जब-जब व्यापारी लोग आते हैं मेरे पास कि क्या-क्या समस्या है तो यह रिकॉर्ड करती रहती है जो-जो समस्याएँ आप बताते हो मुझे| मैं भोपाल गया, जो-जो आपने बताया यहाँ रिकॉर्ड हो गया, मुंबई गया जो-जो आप लोगों ने बताया यहाँ रिकॉर्ड हो गया| रायपुर गया, कोलकाता गया, जयपुर गया, नागपुर गया और लगभग इसका अगर निचोड़ कुछ मैं बोल सकूं तो निचोड़ यह निकला मुझे कि वास्तव में पूरे व्यापारी समाज ने जीएसटी को बड़े दिल से अपनाया है| समस्याएं छोटी-छोटी रह गयी हैं कोई बड़ी विशाल समस्या अब रही नहीं है और छोटी-छोटी समस्या का अगर एक रास्ता निकाल दो, एक समाधान निकाल दो तो पूरे दिल से, जान से लोग लग जाएंगे जीएसटी को और सफल बनाने में| और इसलिए शनिवार की बैठक में जब सभी वित्त मँत्री और मैं बैठे थे हमने सोचा एक बार पूरे दिल से व्यापारी समाज को, छोटे लघु उद्योग को पूरे दिल से समर्थन दें, पूरे दिल से उनकी बातें मानें और जैसा आपने कहा जो मांगा नहीं है वह भी दें जिससे आगे आप भी दिल से, पूरे दिल से सिर्फ रजिस्टर नहीं होंगे टैक्स भी पूरा भरेंगे|

और आज बाज़ी यह तो क्रिकेट मैच की तरह है या शायद वॉलीबॉल की तरह है, अब हमने वॉलीबॉल की बॉल आपकी तरफ़ फेंक दी है| अब आपके हाथ में है बॉल| और वॉलीबॉल में तो नहीं लेकिन बास्केटबॉल में ज़रूर यह होता है कि आप ड्रिब्लिंग करते रहते हो बॉल को कहीं वैसा मत करना कि हमने तो बॉल आपको दे दी गेंद दे दी आप बस कबड्डी-कबड्डी-कबड्डी-कबड्डी करते रहो और टैक्स पे करना भूल जाओ, ऐसा न हो जाए मेरे ऊपर आ जाएगी पूरी प्रॉब्लम।

मैंने पूरे खुले दिल से और मेरे साथ देश के 29 राज्यों के वित्त मंत्रियों ने पूरे दिल से इस मीटिंग में आपकी लगभग सभी बातें जो राजस्थान ने कहा, जो तेलंगाना से आया, जो तामिलनाडु के मंत्री ने कहा, जो केरल के मंत्री ने कहा हमने हर एक चीज़ को समाधान करने की कोशिश की। आपने एक विषय उठाया अभी-अभी और मुझे लगता है मेरा तो गला बैठ गया है उस दिन बोल भी नहीं पा रहा था प्रेस के सामने, फिर भी काफ़ी कुछ मैंने चेष्ठा की सभी निर्णय बताऊँ पर स्वाभाविक है 9-10 घंटे चली हुई मीटिंग की सभी चीज़ें बोलना भी मुश्किल होता है| पर वह विषय जो आपने अभी उठाया कि भाई अगर हमने किसी से सामान ख़रीदा और वह व्यक्ति टैक्स न भरे तो उसकी ज़िम्मेदारी मेरे ऊपर क्यों आनी चाहिए| यह आपने आज विषय उठाया, इसका भी समाधान मैंने उस दिन मीटिंग में चर्चा की है और क़ानून डिपार्टमेंट को कहा है इसका भी रास्ता निकालो और आईटी डिपार्टमेंट को कहा है इसका भी रास्ता निकालो|

और जब यह सब चेंजेस होंगे स्वाभाविक है यह ओवरनाइट कम्प्यूटर में और सिस्टम में चेंज नहीं हो सकते हैं आप भी समझेंगे कि इतना विशाल GSTN नेटवर्क बदलने में चार-छः महीने लगेंगे| लेकिन रास्ता सही है यह मैं आपको बताना चाहता हूँ। मैंने उनको कहा आप ऐसा करो आख़िर अगर मैं प्रवीण जी से कुछ सामान ख़रीदूं, मेरे मित्र हैं इसलिए बोल सकता हूँ उनका नाम, तो मुझे विश्वास है कि यह टैक्स भर देगें, फिर तो मै नार्मल कोर्स में बिज़नेस करूँगा| लेकिन इनको तो मैं कभी पहले मिला ही नहीं हूँ, मैं जानता नहीं हूँ कौन है कहाँ है और यह समस्या मेरे समक्ष छत्तीसगढ़ मे आयी थी, रायपुर में| और लोहे के कुछ व्यापारी कहने लगे कि भाई हमने सामान, आप थे? आप थे! इन्होंने मुझे कहा मैं सामान किधर से बाहर से ख़रीदा मैं प्रदेश का नाम नहीं लूँगा और अब वह व्यक्ति भाग गया तो उसकी टैक्स की लायबिलिटी मेरे गले आ रही है।

मैंने तो डांट फटकार दिया था उनको वहाँ पर कि आपने कोई ज़रूर कोई ब्रीफ़केस कंपनी से सामान ख़रीदा होगा और ब्रीफकेस कंपनी क्या है वह तो यहां पर बैठा हुआ हर एक व्यक्ति जानता है, मुझे ज्यादा खुलासा करने की ज़रूरत नहीं है| लेकिन फिर भी उसका भी समाधान मैंने निकाला है कि कभी कोई हम में से किसी के झांसे में ना आ जाए, कहीं फंस न जाए, मैनें विभाग को कहा है कि इसका रास्ता ऐसा निकालो कि अगर यह आए इनका सामान मुझे अच्छा लगा, मैं ईमानदार व्यापारी हूँ, मैं कोई बिल-विल नहीं खरीद रहा हूं, मैं वास्तव में सामान खरीद रहा हूं तो मैं इनको बोल सकता हूँ भाई तुम्हारा GSTN नंबर दे दो, जो आपके सामान का दाम है वह आप ले लो और जो आपका GSTN की लाइबिलिटी है आपके नंबर से मैं भरके आपको चालान दे देता हूं। ठीक है प्रवीण जी?

इसके बाद तो कोई शिकायत नहीं हो सकती? अगर उसके बाद भी आप किसी से सामान खरीदते हो और वह टैक्स नहीं भरता है फिर तो वह आपकी बेवकूफी है उसकी जिम्मेदारी मेरे ऊपर नहीं आ सकती है, या बेवकूफी है या… थोड़ा बहुत तो व्यापार से, जगत से जुड़े रहने का 30 साल का लाभ होना चाहिए ना मंत्री बनने के बाद| और कुछ गलत बोल रहा हूं मैं? अगर आप कोई अनजान आदमी से लेते हो तो भाई टैक्स भी आप ही भर दो उसको क्यों पैसा देते हो और अगर आप कुछ गलत काम करते हो तो फिर उसका भुगतान भी आप ही भरो| फेयर कॉमर्स? चलिए यह तो मेरे विभाग को मैंने आदेश दे दिया है इसका रास्ता निकालेंगे और सिस्टम ऐसा बनाएंगे कि कोई अनजान आदमी से आप खरीदो तो आप टैक्स भी खुद ही भर दो भाई, आपको लायबिलिटी नहीं आएगी कभी| इसको एक Alvin Toffler की किताब थी Future Shock, आपके ऊपर कोई future shock नहीं आएगा कि किसी और ने आपको सामान बेच दिया और टैक्स नहीं भरा|

लेकिन आपने तीन करोड करदाता बनाने की बात करी और यह भी कहा कि टैक्स खत्म हो जाना चाहिए, चाहे वह इनकम टैक्स हो, चाहे वह जीएसटी हो, जितना ज्यादा हम उसको ईमानदार व्यवस्था से जोड़ेंगे और उसके लिए मैं सरलता करने को तैयार हूं। आपने देखा इस वर्ष इतिहास में पहली बार प्रधानमंत्री मोदी जी और अरुण जेटली जी के निर्देश पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने 99.5 परसेंट इनकम टैक्स के रिफंड बिना कोई स्क्रूटनी के आपके खाते में सीधा डाल दिया है| और अगर आपमें से किसी के पास इनकम टैक्स रिफंड नहीं मिला तो तुरंत अपने डिपार्टमेंट में जाकर पता कर लो क्योंकि 70000 करोड़, ऐतिहासिक 70000 करोड़ रुपए जून तक इनकम टैक्स से रिफंड आपके पास भेज दिए हैं, बिना किसी को दफ्तर जाए, बिना आपको कोई जूते घिसाए, हाँ जूतों पर भी अभी बढ़ा दिया है ₹500 से ₹1000 कर दिया है 5 परसंट  टैक्स।

तो यह तो अन्याय हो गया आपको हम जूते भी नहीं घिसाते और टैक्स भी कम कर देते हैं, पर बिना मांगे आपका इनकम टैक्स रिफंड आपके खाते में गया है| किसी के खाते डिटेल्स नहीं है तो आपको चेक मिला है और मुझे भी मिल गया है मेरा रिफंड। इसी प्रकार से इनकम टैक्स, कस्टम्स, एक्साइज़, सर्विस टैक्स, इस सबमें आपने देखा होगा हमने लिटिगेशन की सीमाएं बढ़ा दी हैं| अब tribunal मे वही केस जाएगा पहले 10 लाख पर जाता था अब 20 लाख कर दिया है, हाईकोर्ट में 20 लाख पर जाता था उसको 50 लाख कर दिया है, सुप्रीम कोर्ट में 25 लाख के ऊपर केस जाते थे उसको एक करोड़ कर दिया है, सुप्रीम कोर्ट में अभी चलते हुए इनकम टैक्स के 54  प्रतिशत केस मैं withdraw करने वाला हूं स्वयं| आपको भी अप्लाई नहीं करना पड़ेगा, हम withdraw करेंगे|

ऐसे 42 प्रतिशत इनकम टैक्स के जो आजकल लिटिगेशन चल रही है ट्राइब्यूनल, हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट सब मिलाकर वह सरकार स्वयं से withdraw करने जा रही है| और जितना-जितना आप लोगों के लिए हम सरलता करने की कोशिश कर रहे हैं मैं तो चाहता हूं केस होना ही नहीं चाहिए, कोर्ट में जाने की आवश्यकता ही नहीं पड़नी चाहिए। और जैसे-जैसे टैक्स बढ़ेगा, टैक्स रेवेन्यू ईमानदार व्यवस्था में और सुधरेगा तो मैं समझता हूं और अधिक रेट्स को कम करने में हमारी क्षमता बढ़ेगी हमारे हाथ मजबूत होंगे|

आखिर जब मीडिया ने कहा कि इतना रेवेन्यू लॉस होगा मैंने कहा है ₹1 का रेवेन्यू लॉस नहीं होगा, मेरे व्यापारी भाई, मेरे उद्योग जगत के लोग और खुले दिल से अपना व्यापार करेंगे, डिमांड बढ़ेगी इन सब वस्तुओं की, बढ़ते हुए डिमांड में टैक्स की रेवेन्यू भी बढ़ेगी, ईमानदार व्यवस्था में टैक्स की रेवेन्यू बढ़ेगी। और इसलिए जब टेक्सटाइल के क्षेत्र की बात आई और यह बड़ा पेचीदा मामला है एक साल से पूरे कपड़ा बाजार में अस्वस्थता है और एक साल तो अब जीएसटी आने के पहले से पूरा कपड़ा बाज़ार ओर अस्वस्थ था, अब 27 तारीख के बाद जो पुराना हो चुका उसको तो मैं रेट्रोस्पेक्टिव चेंज नहीं कर सकता हूं, 27 तक के पुराने मैं ITC रिफंड देने में मैं भी असहाय हूं क्योंकि यह पुराने रेट्रोस्पेक्टिव एमेंडमेंट करना तो मुश्किल है|

तो उसको पुराने मामले को छोड़ते हुए और यही ट्रेड ने यही कहा था मुझे साहब पुराना छोड़ दो आगे के लिए हमको आईटीसी रिफंड मिल जाए टेक्सटाइल में खासतौर पर छोटे लघु उद्योग को उसका नुकसान हो रहा था। जो कम्पोजिट इंटीग्रेटिड मिल थी वह तो पूरा आईटीसी का लाभ ले लेती थी लेकिन छोटे व्यापारी के पास कुछ आईटीसी पड़ा रह जाता था जो रिफंड के रूप में नहीं मिलता था तो 27 तारीख से जब नई नोटिफिकेशन वगैरा आ जाएं| अब कपड़े व्यापारियों को भी पूर्ण रूप से उनका आईटीसी रिफंड जो फाइबर पर पे करते हैं वह पूरा उनको आईटीसी रिफंड चेक से मिल जाएगा।

वैसे अभी तक कोई कपड़ा बाज़ार वाले तो रोज़ फोन किया करते थे शनिवार तक, शनिवार से आज तक मुझे एक भी फोन नहीं आया धन्यवाद का तो छोड़ो एकनॉलेज भी करने के लिए कि ऐसा हुआ| कभी-कभी तो लगता है कि कुछ ज्यादा दे दो तो लाभ दिखता नहीं है लोगों को, थोड़ा दुख होता है मुझे भी कि प्रधानमंत्री मोदी जी ने इतने खुले दिल से मुझे आदेश दिया अरुण जेटली जी ने मुझे मार्गदर्शन दिया कि चलो एक बार पूरी तरीके से व्यापारी वर्ग को खुश करो और हमें विश्वास है कि टैक्स का रेवेन्यू कलेक्शन बढ़ेगा, घटेगा नहीं आपके सहयोग और आशीर्वाद से|

और अब कोई कारण नहीं रहा उल्टे अब तो टेक्सटाइल के छोटे व्यापारी को लाभ है कि वह सेल बिल काटकर अपना व्यापार करें, ईमानदार व्यवस्था में व्यापार करेंगे कोई टेंशन नहीं, कोई अफसरशाही की तकलीफ नहीं, कोई प्रॉब्लम नहीं कि कोई आकर तंग करेगा, बार-बार रिकॉर्ड चेक करेगा, कोई ऑडिट पर कुछ चीज़ निकल आएगी कुछ नहीं, पूरे खुले दिल से 5 परसेंट चार्ज करके अपना सामान बेचो, फैब्रिक को बेचो, फाइबर पर अगर ज्यादा 12 पर्सेंट होने के कारण कुछ रह जाता है तो उल्टा हमको वह भी रिफंड मिल जाएगा, तो उल्टे लाभ में रहेंगे, रिकॉर्ड पर ईमानदार व्यवस्था से जुड़ने से आज हमें लाभ होगा।

तो मुझे लगता है कि, और कई सारी मतलब 88 आइटम पर तो रेट कम किया है बाकी कई चीजें क्लैरिफाई की हैं तो 100 से अधिक आइटम पर सुविधा होगी, सरलता होगी, रेट्स भी कम होंगे, डिस्प्यूट भी कम होंगे| और मुझे पूर्ण रूप से विश्वास है कि जैसे-जैसे यह सरलता का लाभ, यह आनंद हमारे सब उद्योग जगत के लोगों को मिलेगा तो उनका व्यापार भी बढ़ेगा। आखिर मैंने डेढ़ करोड़ को 5 करोड़ क्यों किया? वह मैं आज आपसे शेयर करता हूं|

समझो डेढ़ करोड़ की लिमिट रहती और व्यापारी सब डेढ़ करोड़ तक पहुंचने के बाद फिर चिंता में होते कि भाई अब वापिस बढ़ जाएगा फिर मंथली रिटर्न होगा, तो एक हाथ खींच लेते तुरंत या व्यापार कम करते, वैसे वह तो कोई करता नहीं पर मेरे रिकॉर्ड में तो डेढ़ करोड़ पर अटक जाती थी सुई| मैं चाहता हूं कि सबका व्यापार बढ़े और तेज़ गति से बढ़े और इस दिवाली में सब लोग और तेज़ गति से अपने व्यापार को बढ़ाकर बड़ा करें और बहुत खुले दिल से अपने-अपने उद्योग को, अपनी-अपनी दुकान को बड़ा बनाने में लग जायें|

और यह मेरा तो खुद का स्वयं का विश्वास है कि अगर इसपर रेवेन्यू कलेक्शन बढ़ता है और अच्छी तरीके से यह तीन करोड़ व्यापारी जुड़ जाते हैं, टैक्स कलेक्शन बढ़ता है, लोग डेढ़ करोड़ पार करके पांच करोड़ की तरफ जाते हैं तो हम पांच करोड़ की सीमा भी ओर बढ़ा देंगे, मुझे कोई आपत्ति नहीं है| पर व्यापार सरल हो, बढ़े, आपको भी मज़ा आए, आनंद आए ईमानदार व्यापार करने में, टैक्स कलेक्शन बढ़ेगा वैसे-वैसे हम और टैक्स के रेट्स घटाने में हमारे में ताकत आएगी| और इनकम टैक्स हो, किसी भी प्रकार का कंपनीज़ लॉ का हो सबमें हमारी इच्छा है कि व्यवस्थाओं को सरल बनाया जाए और शुरुआत यहां से हो कि साधारणतः हर एक व्यक्ति ईमानदार है और उस ईमानदार की कदर करते हुए कानून बने यह exceptions को सामने रखते हुए सब कानून इतने कठोर नहीं हो जायें कि ईमानदार आदमी भी विवश हो जाए गलत रास्ते पर जाने के लिए|

और इस भावना से, इस समझ से और इसको विश्वास करते हुए शनिवार की मीटिंग में इतने सारे अहम फैसले लिए गए। मुझे पता नहीं अभी तक सबको ध्यान में आया भी है कि नहीं कितने सारी चीजों में बदलाव लाया गया है डिजिटल के ऊपर भी 2000 रुपये रुपे कार्ड और यूपीआई से ट्रांजेक्शन तो फ्री है ही पर हम उसपर भी कुछ प्रोत्साहन देने की एक स्कीम जीएसटी काउंसिल के समक्ष लेकर गए थे जिसपर हमारी जो सब-कमेटी है वह विचार करके 4 तारीख को और आप सबने पता नहीं नोट किया कि नहीं और आपको कितना आनंद हुआ 4 तारीख को पहली बार और मैं तो समझता हूं भारत के इतिहास में पहली बार प्रधानमंत्री मोदी जी के आदेश पर और सभी वित्त मंत्रियों की सहमति से एक विशेष सत्र जीएसटी का तो पहला ही है पर मुझे याद नहीं आज के पहले कभी भी सिर्फ लघु उद्योग, मध्यम उद्योग, MSMEs के लिए कोई भी  टैक्स के बारे में डायरेक्ट टैक्स हो, इनडायरेक्ट टैक्स हो, एक स्पेशल मीटिंग जिसमें देश भर के अधिकारी, देश भर के वित्त मंत्री सब आएंगे सिर्फ और सिर्फ MSMEs की समस्याओं को सुलझाने के लिए, समझने के लिए और चर्चा करने के लिए।

आपको याद हो अगर प्रवीण जी तो पता नहीं मुझे तो ऐसी कोई.. आपकी एसोसिएशन वगैरा की मीटिंग वगैरा में हम सब आए होंगे पर 29 राज्यों के मंत्री, उनके सबके अधिकारी, सातों यूनियन टेरिटरी के अधिकारी और केंद्र के पूरे अधिकारी मेरे साथ हम सब बैठकर पूरा समय सिर्फ एमएसएमई के ऊपर चर्चा करेंगे और आगे का रास्ता नापेंगे कि कैसे आप के जीवन में और सुधार हो सके, आपके व्यापार में, आपके उद्योग में और सुधार हो सके एक सिंगल माइंडेड डिटर्मिनेशन के साथ कि जो आज रीड की हड्डी बनी हुई है MSME सेक्टर, भारत की अर्थव्यस्था, उसको कैसे और मज़बूत बनाया जाए|

और वास्तव में हम सबके लिए सौभाग्य है कि कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स नें 23 जुलाई का दिन चुना आज की इस बैठक को रखने के लिए।  पार्लियामेंट चल रहा है, जीएसटी काउंसिल अभी-अभी मिल चुकी है, इतने निर्णायक फैसले हुए हैं लेकिन फिर भी CAIT ने जब 23 तारीख चुनके मुझे और मेरे ऑफिस को बताया तो मुझे लगता है पलक भर भी मैंने सोचा नहीं, तुरंत हां किया| यह बात सच है कि मैं अपने भाई-बहनों के साथ हूं, आपने पूरे बिरादरी के साथ यहां पर हूं, उद्योग और व्यापार की बिरादरी के साथ हूं लेकिन आज जन्मदिवस है दो महापुरुषों का – बाल गंगाधर तिलक जी और चंद्रशेखर आज़ाद जी का।

बाल गंगाधर तिलक जी महाराष्ट्र से आते हैं और उनकी प्रेरणा से महात्मा गांधी जी को जो बाल मिला था, जो शक्ति मिली थी उनकी प्रेरणा से जो महात्मा गांधी जी ने देश भर में आंदोलन चलाया भारत की आज़ादी के लिए और उस आज़ादी के लिए जो चंद्रशेखर आज़ाद जी ने अपना खून दिया अपनी जान दाव पर लगा दी वैसे ही आप सबने भामाशाह के रूप में जो कड़ी मेहनत से और जो सहयोग और समर्थन और आशीर्वाद देकर जीएसटी को सफल किया है मैं समझता हूं जैसे हम उनकी लड़ाई और उनकी जीवन गाथा को याद करते हैं भारत की आज़ादी दिलाने में, भारत को राजनीतिक रूप से आज़ादी दिलाने में वैसे ही आप सबने भारत को आर्थिक रूप से जीएसटी को सफल बनाने से आज़ादी दिलाई है।

मैं आप सबको पुनः एक बार बहुत-बहुत मुबारकबाद देता हूं, बधाई देता हूं और धन्यवाद देता हूं कि आपके प्रयासों से, आपके सहयोग से और आपके ईमानदार मेहनत से जो आज जीएसटी देश भर में इतनी सफल हुई है मुझे पूरा विश्वास है 21 तारीख के फैसलों के बाद अब और चार चाँद लगेंगे जीएसटी को और आप सब भारत को विश्व की सबसे तेज़ गति से बढ़ने की जो आज अर्थव्यवस्था का जो सर्टिफिकेट मिला है जो आज पूरा विश्व भारत की तरफ देख रहा है वैसे ही आप सबके प्रयासों से हम फिर एक बार भारत को वह सुनहरी चिड़िया बनायेंगे, सोने की चिड़िया बनायेंगे जो वास्तव में भारत का सही स्थान है|

बहुत-बहुत धन्यवाद।

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