Thank you Mr. Naronha, friends from the Media, colleagues from the Ministry.
Today is the World Day against Child Labour, 12th of June. And, as the famous footballer, Lionel Messi had said, ‘a child’s smile is worth more than all the money in the world. And, I think we saw a small reflection of our humble contribution to make sure that every child in this country can lead a good life, can smile as he goes along, continue to smile and bring about true happiness in the lives of the people of India. Our mission of 24×7, affordable clean power for all and ensuring optimum utilisation of the nation’s resources, for national development are very critical to Ujjwal Bharat. The first two years set the path to achieve these goals. Of course, the journey as we drew into the 3rd year brought targets within sight and laid the foundations of an Ujjwal Bharat — power for all 24/7, through the length and breadth of the country; rural and urban India.
हमने अपने चारों मंत्रालय में कुछ आधारभूत — basic fundamental principles — को निर्धारित किया था । उन 6 principles को मैं आपके समक्ष रखना चाहूँगा ।
सुलभ – Accessible Power: हर एक को बिजली 24 घंटे – सस्ती बिजली मिले और हर एक को उपलब्ध हो, ऐसी बिजली मिले । सस्ती – affordability is an important aspect of making sure everybody enjoys the benefit of power । स्वच्छ — clean power — अक्षय ऊर्जा, नवीकरणीय ऊर्जा को प्रोत्साहन देना हमारी प्राथमिकता रही है । सुनियोजित — well-planned infrastructure; planning into the future, preparing India for the future — whether it is through transparent auctions, जिस प्रकार की पारदर्शिता इस देश ने कभी नहीं देखी थी, इस नयी सरकार ने अलग अलग विभागों के माध्यम से देश के resources को पारदर्शिता से नीलामी करके दिखाई । और आगे के लिए कितनी हमारे को क्षमता लगेगी, capacity generation की, transmission की, distribution की, उस सब की एक अच्छे प्रकार से, सुनियोजित तरीके से आगे का ढांचा बनाया जाए । सुनिश्चित किया जाए कि हर एक को बिजली मिले, हर बिजलीघर को कोयला मिले, जो अक्षय ऊर्जा बनाते हैं उनको सही प्रकार का वातावरण मिले, enabling provisions मिले, regulatory framework मिले । और हर व्यक्ति अपने आपको सुनिश्चित महसूस करे। जैसे ग्रामीण क्षेत्रो में District Mineral Fund के द्वारा हमने एक कोशिश की कि जो भी खनन के इलाक़े हैं उसमें अच्छी तरीके से विकास हो, खनन की जो क्षमता है देश की वो तेज़ गति से बढे । खनन इस देश की संपत्ति है, जितना ज़्यादा खनन में उत्पादन होगा उतना देश तेज़ी से प्रगति कर पायेगा ।
तो इस प्रकार से, इन 6 सूत्रधारों से हमने चारों विभागों को चलाने की कोशिश की। सभी अधिकारी, सभी, मैं समझता हूँ मज़दूर तक, हर व्यक्ति जो इस विभाग के साथ जुड़ा हुआ है और एक प्रकार से देखें तो लाखों की संख्या में परिवार इस विभाग के साथ जुड़े हुए हैं । हर राज्य सरकार, हर राज्य की इकाइयों ने इसमें सहयोग दिया है । और सभी के संयुक्त प्रयासों से केंद्र सरकार, राज्य सरकार, DISCOMs, अलग अलग जो public sector undertakings चल रही हैं और मैं समझता हूँ निजी क्षेत्र का भी जो निवेश खासतौर पर खनन क्षेत्र में और अक्षय ऊर्जा में आया है, इन सब के पीछे जो भाव है, जो भावना है वो सेवा की भावना है।
जैसे भगवत गीता में कहा गया है, ‘do your work with the welfare of others always in mind’, उस भावना को हमने अपने सामने रखा है। और महात्मा गांधी जी के दिए हुए जो कल्पना थी ‘customer first’, आपका उपभोक्ता ही आपका सही मायने में आपका केंद्र बिंदु रहना चाहिए । उपभोक्ता को कैसे सेवा कर सके यह हमारा उद्देश्य रहा है ।
मैं सिर्फ संक्षेप में जो प्रमुख उपलब्धियां रही हैं, उसके बारे में कहूँगा और आगे आने वाले थोड़े कार्यक्रम के बारे में दिशा दूँगा । वास्तव में, मैं अभी किताब देख रहा था, बहुत सुंदर तरीके से प्रस्तुतीकरण किया गया है, जो अलग अलग विषयों में काम हुआ है । हमने पहले ही 100 दिन में आप के समक्ष रखा था कि हमारे काम का style क्या रहेगा, कैसे हम root cause analysis करेंगे, कैसे prioritise करेंगे अपने काम को, कैसे transparency लायेंगे हर विषय में, कैसे monitoring करेंगे, निगरानी रखेंगे काम पर । उन 10 commandments को जो पहले 100 दिन में ही सुनिश्चित किए थे उन 10 commandments को मैं समझता हूँ सभी ने ईमानदारी से तीन वर्ष उनका पालन किया है।
और, आज तीन वर्ष के पश्चात, लगभग 13,600 गाँव — इस book में 13,511 हैं लेकिन वह तो हर रोज़ बढ़ते जा रहा है, 18,500 गाँव में से बिजली पहुँच चुकी है – बिजली से युक्त हो चुके हैं, उसमें क़रीब क़रीब 950 गाँव में तो आज inhabitation नहीं है, वह भी देश की बचत होगी नहीं तो वहाँ भी पुराने हिसाब से चलते तो वो भी बिजली का infrastructure वहाँ भी लग गया होता। और क़रीब 3500-4000 गाँव और जो बाक़ी हैं उनमें भी हम इस वर्ष के आखिर तक बिजली पहुंचा देंगे । पहला वर्ष गया जहाँ कोयला या बिजली में कमी नहीं रही । पूरे देश में पर्याप्त कोयला और बिजली रही । Ease of getting electricity में अभी अभी बताया गया 99 से घटके 26वां अंक आ गया है । हम अभी भी संतुष्ट नहीं हैं, उसको और सुधार करेंगे आगे चल के ।
55.4 करोड़ टन कोयला सिर्फ़ Coal India ने produce किया । बाक़ी सिंगरौली में Neyveli Lignite Corporation द्वारा कोयला अब नए नए कोयले की खनन शरु हो गयी है, NTPC की पकड़ी- बरवाडीह की खनन में काम शुरू हो गया है । एक प्रकार से आज कोयला पर्याप्त मात्रा में देश भर में उपलब्ध है । और, जो बिजली घर अपनी payment समय पर कर दें उनको कोयले की कोई कमी नहीं होती है । जितनी कोयला लगता है हर यूनिट बिजली बनाने में उसमें भी 8% की कमी हुई है — Specific Heat Rate improve हुआ है, जिससे बिजली भी सस्ती कर पाये है, कोयले के दामों में कोई बढ़त नहीं की 3 वर्षों में । जो बहुत ही irrational pricing structure था उसको थोड़ा ठीक किया था बीच में जिसके कारण जो high grade coal अधिक इस्तेमाल होने से देश के लिए और अच्छा ही रहता है वह हम कर पाए ।
आप सभी जानते हैं कि अभी अभी जो कहा भी गया की यह पहला वर्ष है और पूरे विश्व ने इसकी सराहना की है कि भारत में अक्षय ऊर्जा की बढ़त — installed capacity in अक्षय ऊर्जा — बढ़ी है ज़्यादा बजाए कि conventional thermal plants, यह एक बहुत अच्छा कीर्तिमान है, आगे का संकेत है और इससे दिखता है कि आगे चलके कैसे अंतर्राष्ट्रीय संयुक्त प्रयासों में भारत भी नेतृत्व कर रहा है कि अगली पीढ़ी के लिए उस रोशनी के लिए जो छोटी कन्या आगे चलके अपना जीवन भारत में ख़ुशी से, अच्छे पर्यावरण में बिता पाए । उसके लिए हम सभी — राज्य सरकार, केंद्र सरकार, सब मिलके — संयुक्त प्रयास कर रहे हैं । और यह अच्छा संकेत भविष्य के लिए हमें देखने को मिल रहा है।
आप सब जानते हैं सौर ऊर्जा और wind energy दोनों में record low tariffs इस वर्ष discover किए गए, पारदर्शी नीलामी के माध्यम से। लगभग जो Power exchange में एक ज़माने में कई राज्य Rs 10 – Rs 11, अभी अभी आन्ध्र प्रदेश का review कर रहा था, Rs 14 में वह कह रहे थे हम बिजली ख़रीदते थे | मेरे ख़ुद के राज्य महाराष्ट्र में एक ज़माने में peak load के लिए Rs 10 – Rs 9 में बिजली ख़रीदी जाती थी — यह देश भर का phenomena था। अब पूरी गर्मी निकली उसमें कभी भी power exchange में बिजली मिलने में constraint नहीं था, शत प्रतिशत समय बिजली उपलब्ध थी और कभी भी शायद Rs 3 – Rs 3.5 से ज़्यादा तो गयी नहीं — साधारणतः average price Rs 2.5 के आस पास पूरी इस गरमी में जो एक समय, एक वर्षों से हम इसको एक बहुत difficult period मानते थे । यह पूरा बहुत ख़ूबी से निकल पाया ।
एक-तिहाई दाम गिरे हैं average में in the power exchange, peak से लें तो लगभग 70% से अधिक peak prices से दाम गिरे हैं । Transmission capacity में अभूतपूर्वक बढ़ोतरी हुई है जिसके कारण One Nation-One Grid और अब exchange पर one price का सपना लगभग round the clock पूरा हो पाया है। जिसके कारण आगे चलके सभी states राज्यों को, DISCOMs को सुनिश्चित, शांति से रह सकते हैं कि हमें जब चाहिए बिजली मिल सकती है ।
उदय की सफलता लगभग आप सबके समक्ष है । जो DISCOMs के losses हैं वह तेज़ी से घटते जा रहे हैं । AT&C losses में भी कमी हुई है पिछले वर्ष में। इस वर्ष हमने और ज़्यादा अधिक कमी करने का लक्ष्य रखा है। कुछ राज्य जहाँ कमी बहुत ज़्यादा थी— losses बहुत ज़्यादा थे, उसमें राजनीतिक प्रतिबद्धता बढ़ी है गत 2-3 महीनों में कि वह भी इस कार्यक्रम से जुड़े और losses को कम करें।
लगभग 56 crore LED bulb, 24 crore तो मात्र केंद्र सरकार के उपक्रम के माध्यम से और 33 crore जो निजी क्षेत्र ने पिछले दो वर्ष में बेचे हैं। यह अपने आप में एक विश्व में पहचाना जा रहा है कि भारत जिस प्रकार से दक्षता —energy efficiency — पर focus कर रहा है, अब पूरे विश्व के ऊपर pressure आया है कि भारत का example अब विश्व follow करे ।
Transparency से जब खनन के blocks को auction किया गया । कोयले की तो चर्चा बहुत हो चुकी है, लेकिन लगभग 1,10,000 crore का additional revenue राज्य सरकारों को मिलेगा through transparent auction of mines — iron ore, alumina वगैरा वगैरा जो जो, limestone वगैरा जो mines अभी तक auction हुई हैं, जो पहले free of charge दी जाती थी जिसका पूरा मुनाफ़ा निजी क्षेत्र को और business और Industrialists को मिलता था, भुगतान देश का consumer करता था — उपभोक्ता करता था, वह हमने राज्य सरकारों को दिलाके वह सेवा भाव से देश की जनता की सेवा कर सके, इसको सुनिश्चित किया है।
और, हमारे सभी काम में पारदर्शिता और निगरानी — accountability, transparency and monitoring — इन तीनों को प्राथमिकता देते हुए अन्य-अन्य समय-समय पर हम मोबाइल ऐप्स के माध्यम से डेटा और आपके समक्ष रखते जाते हैं । आज भी वास्तव में दो और ऐप्स तैयार हैं launch के लिए अभी अभी नरोन्हा जी पूछ रहे थे आप वह ऐप्स launch करेंगे क्या? मैंने कहा वह आगे चलके अगले कार्यक्रम में करेंगे, आज का focus तीन वर्ष की उपलब्धियाँ हैं । जिसको interest हो उन ऐप्स को डाउनलोड करके मेरे काम को scrutinise करने के लिए और अच्छी तरीक़े से study करने के लिए, उन सबके लिए हमने एक convenience दे दी है कि एक missed call दे दीजिए, मुफ़्त में यह सब ऐप आपको मिलेंगे — एक मोबाइल नम्बर पर missed call दे दें अगर आप, तो आपको सबको सभी ऐप्स डाउनलोड करने की सुविधा मिल जाएगी। सभी ऐप्स free of charge हैं । वह मोबाइल नम्बर है — 1800-200-300-4, इसपर आप missed call दें तो आपको SMS द्वारा सभी मोबाइल ऐप्स मिल जायेंगे ।
बाक़ी इस किताब में बहुत अच्छी तरीक़े से हमारे लक्ष्य क्या हैं, आगे का कार्यक्रम क्या रहेगा, कैसे सुनिश्चित करेंगे कि 1000 दिन के अंदर हर गाँव को बिजली से युक्त करना; कैसे सुनिश्चित करेंगे कि देश में जो power for all 24×7 का target माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने New India की कल्पना देते हुए रखा था कि 15 August 2022, जब देश के 75 वर्ष पूरे होंगे, तब कैसे पूरे देश में हर एक घर को बिजली से connect किया जाए, इस target के प्रति हम कैसे प्रतिबद्ध है, किस प्रकार से कीमतें कम हो रही हैं, किस प्रकार से अक्षय ऊर्जा बढ़ रही हैं; किस प्रकार से खनन क्षेत्र में तेज़ गति से प्रगति हो रही है — इन सभी की जानकरियाँ आपको इस किताब के माध्यम से पूरे रूप में — अब यह अंग्रेज़ी और हिंदी – दोनो में आपके समक्ष आज रखी जा रही है, बाक़ी भाषाओँ में भी जल्द यह देश भर में हर एक राज्य को उपलब्ध कराई जाएगी ।
आप सबका सहयोग रहा, आप सबका बहुत अच्छा मुझे समय समय पर सूचनाओं द्वारा, आपके articles द्वारा, media reports द्वारा, मैं ख़ुद बहुत लाभ पाया हूँ आप सबके well researched articles के माध्यम से। कभी कभी दुःख भी होता है कि बिना समझे या बिना मेरी basic data को भी पढ़े, बिना जो data transparently हम समय समय पर और लगातार आप के समक्ष रखते हैं, वो बिना पढ़े बिना समझे भी कुछ लोग अनाप शनाप ख़बरें लिखते हैं, उससे कभी कभी दुःख भी होता है पर मैं सोचता हूँ कि शायद अच्छी ख़बरों के लिए media space कभी कभी कम होती है. Sensational news, even though unfounded, sometimes get space in paper. But, I am also very happy that the media is willing to carry our rejoinder to such biased and uninformed reporting, which sometimes does creep in, one of which was shown to me today morning also.
Thank you very much ladies and gentlemen for all your support. And, I do hope to continue to receive your support, your continued engagement with our sector, so that I am kept on my feet running to make sure that every child like Roshni gets electricity, and does not have to indulge in any child labour, but, can be in school, get quality education and become a good self-reliant citizen of India.
Thank you.
Question & Answer Session
Q: सर कल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री दिल्ली में थे, आपसे मुलाकात की है बड़ी मैराथन मुलाकात रही है, अगर बात करें उतर प्रदेश में 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने की, क्या ब्लूप्रिंट तैयार किया है आपने?
Ans: यह होती है प्रतिबद्धता जनता की सेवा करने के लिए । कल बिजली मंत्री भी थे, मुख्यमंत्री जी भी थे, और महाराज जी के साथ, क्यूंकि हमने 3 दिन पहले ही बहुत विस्तार से उत्तर प्रदेश के Power for all 24×7 के लक्ष्यों को पूरी विस्तार से पूरे विभाग ने review किया था । उसके बाद मुख्यमंत्री जी को जब रिपोर्ट गयी तो उन्होंने कहा मैं ख़ुद भी समझना चाहूँगा कि मुझे — सरकार को — क्या क्या करना है । केंद्र की कौन कौनसी योजनाओं में मुझे मदद मिल सकती है । तो कल बड़े विस्तार से हर क्षेत्र का, चाहे वह बिजली के उत्पादन का क्षेत्र हो, चाहे transmission का क्षेत्र हो, IPDS और दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत, हर क्षेत्र में कैसे infrastructure सुधारा जाए । किस प्रकार से नवीकरणीय ऊर्जा में — अब उन्होंने नया लक्ष्य रखा है — 10,000 MW से ज़्यादा सौर ऊर्जा उत्तर प्रदेश करना चाहता है 2022 तक । कैसे हर घर को, ग़रीबों को और हर घर को वास्तव में, बिजली जल्द से जल्द पहुँचाई जाए । जिससे कोई भी वंचित नहीं रहे । किस प्रकार से खनन क्षेत्र में खासतौर पर Sand Mining में और तेज़ गति लायी जाए । कल उन्होंने मुझे जानकारी दी कि जब उन्होंने पारदर्शिता से नीलामी करनी शुरू की अपने sand mines को तो जो पहले Rs 65 प्रति cubic meter royalty आती थी अब Rs 450 से 750 के बीच अलग अलग क्षेत्रों में — 10 से 15 गुना ज़्यादा royalty आनी मिल गई है राज्य सरकार को और consumer को — उपभोक्ता का दम बढ़ा नहीं है । तो इस प्रकार से जब ईमानदार सरकार आती है तो कैसे जनता की सेवा करना और अच्छी तरीक़े से करना उसपर बड़ी विस्तार से हमने चर्चा की।
Q: This is Anubhuti Gaur from ET-Now. Sir, my question is that an Inter-Ministerial Panel was set up to look into the stressed assets of the power sector. So, what are the new developments and what will you do to resolve the issue of the Non-Performing Assets of the power sector?
Ans: Well, I am delighted to share with you that we have had very extensive engagement amongst all the stakeholders, particularly, the bankers and financial institutions like REC, PFC, and all the officials of different states and the central government officials. We have come very close to resolution mechanism for, at least, those stressed power plants where the promoters are not found to be wilful defaulters or where we don’t find any significant irregularities because of which we cannot take them up for resolution. But, the bankers are taking very proactive measures to takeover such plants which have defaulted. And, we are working with the bankers to find a win-win solution, where all stakeholders in this sector will benefit. And, more particularly, out of the resolution of these NPAs, we are assuring the nation that the final beneficiary will be the consumers because we will be able to further bring down the average purchase price of the state utilities. So, we are finding in this resolution, not a challenge, not a crisis, but an outstanding opportunity to further bring down the price of power in this country.
Q: Goshish Shah from Navgujarat Times. Hello Piyush Ji, under the implementation of DDUGJY what is the status of Gujarat? And, sir, पिछले तीन साल में गुजरात में additional power कितना generate हुआ है?
Ans: भैया! मेरा क्लास ले रहे हो क्या? गुजरात में क्या generation हुआ वह अभी में यहाँ carry नहीं कर रहा हूँ, आपको चाहिए तो जैसे parliament में कहते है लिखित जवाब दे दूंगा । लेकिन आप गुजरात के हो, आपने तो स्वाद लिया है 24×7 बिजली का इतने वर्षों से। हम तो आप का example पूरे देश में follow कर रहे है। The Gujarat model of power sector reform is what I am following in the country to outstanding results. Feeder Separation जो आपने शुरू किया था वो आज पूरा देश उसका लाभ ले रहा है। जिस प्रकार से आपने बिजली चोरी के ऊपर कठोर क़दम उठाये थे आज उत्तर प्रदेश और बाक़ी राज्य भी उस example को follow कर रहे हैं । तो मैं समझता हूँ, पूरे देश में अगर आपकी तरह बिजली की व्यवस्था बन जाए तो आगे चलके कभी समस्या नहीं होगी। और जहाँ तक दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना है उसमें जो funds दिए गये थे खासतौर पर ग्रामीण इलाक़े — जो आदिवासी क्षेत्र हैं, उसमें तेज़ प्रगति हो रही है । और बिजली के उत्पादन की क्षमता आज देश में इतनी अधिक है कि कोई shortage ही नहीं है पावर का । तो वह question आज के दिन बहुत ज़्यादा relevance नहीं रखता है कि एक एक स्टेट कितना उत्पादन क्षमता बढ़ाता है।
Q: Good morning, यह मेरा question यह रहेगा कि गुजरात में जो कोल की रॉयल्टी का प्रश्न है वह अभी solve नहीं हुआ है तो उसका क्या अभी status है और दूसरा…….
Ans: “कौन सा प्रश्न?
Q: “जो कोल है, कोल के लिए रॉयल्टी का प्रश्न है, जो कब से केंद्र और राज्य सरकार के बीच में ……..”
Ans: कोई प्रश्न नहीं है हमारे बीच में । गुजरात सरकार और हमारे बीच में रॉयल्टी के संबंध में कोई प्रश्न पेंडिंग नहीं है। कुछ आपको ग़लतफ़हमी है भाई साहब। कोई आज हमारे बीच में, आपस में कोई, कोल सेक्रेटरी यहां बैठे हैं और वहाँ तो कोल प्रडूस होता ही नहीं है तो रॉयल्टी का सवाल ही नहीं उठता है । अगर कुछ, by chance आपका सवाल coal swapping का है कि जो दूरदराज़ से कोल गुजरात आता था और पोर्ट पर कोल आता था और वह दूर जाता था छत्तीसगढ़ वगैरा में, वह हमने पूरी तरीक़े से उसको solve कर दिया है। तो अब जो पहले लाइनें ट्रेन में एक coal गुजरात आ रहा है और एक कोयला interiors में जा रहा है, अब swapping allow कर दी गई है और गुजरात के पास आज ऐसा कोई pending proposal नहीं है swapping का जिसकी वजह से उनको तकलीफ़ हो । और शायद मुझे लगता है, हज़ार करोड़ से अधिक saving हुई है गुजरात सरकार की, जो हमने coal swapping allow की है उससे।
Q: Mr. Goyal, while we heard you, that you are looking into the issue of stressed power projects. For the sake of planning by the industry,…. where coal has been the mainstay for power generation and now with the recent renewed focus on renewable generation and also the first time clearance that we saw in case of nuclear projects, what as per you is the right mix of power generation that a country like India should look at for the sake of planning by the industry?
Ans: We have had extensive discussions with the Niti Aayog. And, we are in the process of drawing up energy policy, which will be for next 25-30 years and will help India ensure that at all points of time, we have the right energy mix. Of course, technologies keep evolving, you have new technologies coming up. So, we will certainly be having an evolutionary policy or dynamic policy, which will keep changing with changing technologies in the world. But, as of now, we are trying to ensure that the maximum amount of clean energy that can be fed into the grid is being brought into use. It also adds to low cost energy in today’s circumstance. It also provides not only environment protection, but energy security for India. Having said that, coal will be the base load of power and we will continue to support and encourage new coal plants required for meeting the ever growing needs of the people of India.
Q: Sir, this is Chetan from PTV. Is the government also thinking to allow stressed hydro power projects to be taken over by government-owned companies also. Can we expect the merger of smaller hydro-companies like NHPC or SJVNL to have a larger hydro power company with lower cost base and diversified project base?
Ans: Yeah! We would love to solve the stress in the stalled hydro projects also. You are well aware of Teesta, you are aware that Maheshwar has started. Going forward, we have asked the state governments, if they takeover the stressed power plants or the bankers take it over, then we can look at finding solutions to resolve the hydro projects also, keeping in the mind, the economic viability of these projects. As regards merger of SJVNL and NHPC, there is no such proposal on the table at all.
Q: Good morning, my name is Vijay from Development News Service, good to see…(inaudible). My question is, your slogan is One-Nation and One Corridor, if that is so, why Southern Grid is lingering and is it time bound project, can you tell us…..(inaudible) to complete… (inaudible), so that the surplus power in Himachal Pradesh, Uttarakhand etc., can be supplied to southern state?
Ans: Which one is lingering?
Q: “Southern Grid project”—
Ans: No no, no! On the contrary sir, you will be happy to know that we have increased the Southern Grid capacity by 89% in the last three years. Due to which, round the clock, 24 hours, every state can draw more power through the power exchange. There is not a single state which is demanding more capacity. But, despite that, I am committed to further double this capacity in the next 3 years. So we would have expanded the Southern Grid capacity 4 times in the 6-year period and one project which had got slightly delayed, the government intervened and made sure that that also got sorted out.
So as we stand right now, the Central Government is giving a huge thrust to make sure that transmission lines go forward. Having said that, since you’re from Bengaluru, I would urge you to please flag off this issue in your state, because we are not getting support of right of way, particularly, in Karnataka. And, Karnataka being strategically located, I cannot take new transmission lines to Tamil Nadu, Kerala and other southern states, without the support and passing through Karnataka. So, I would urge you to highlight that it is important that all states give right of way so that we can expand the transmission much faster.
Q: Good Morning Sir, Deepika from The Hindu. You mentioned that coal is going to remain the base power, but is there something being done to, reduce the dependence on coal and focus more on renewable energy, clean energy as you mentioned?
Ans: I think, as far as the Government is concerned, every source of energy has its own importance. We have rapidly scaled up solar power. It has gone up by 370% in the last three years. We have expanded the output of wind energy. The last year the installed capacity increase was 5,400 MW — the highest ever in the history of India. So, we are giving a huge focus for renewable energy. A number of central public sector undertakings are also now expanding their footprint in renewable energy. Neyveli Lignite Corporation and NTPC amongst others have very aggressive plans. I am told Coal India is planning to first do 1 GW and gradually move up to 10 GW. So that the entire demand of Coal India itself is met through clean energy. More in more of the government setup is working towards net zero. That is we will, at least, generate that much energy that we require for our use. We can bank it and use it in different forms. Going forward, my own sense is, the renewable energy is going to overtake, in terms of installed capacity, the conventional thermal power by about 2022.
Q: Hello Sir, myself Debasis Mohapatra from Orissa Post. This UDAY Scheme is a very ambitious scheme which this Modi Government has come up with. But states like Odisha are deprived from the scheme, are you going to revisit the scheme so that the states like Odisha will be included in the scheme?
Ans: Well, a state like Odisha technically doesn’t come under the scheme because it has private DISCOMs. But, if Odisha signs up with the Central Government, we are happy to give all the operational benefits and all the incidental and ancillary benefits also to the state of Odisha so that the people of Odisha can benefit from that.
Q: Sir, as you know, Odisha is the most backward state regarding electrification. So, how many households of Odisha are to yet to be electrified. And, what is the specific schedule of Government of India?
Ans: Initially, after the government launched Deendayal Upadhyay Gram Jyoti Yojana and IPDS, the work in Odisha was extremely slow. Because of which we were facing a lot of difficulty in executing the projects. I personally went to Bhubaneswar, had extensive discussions with the officials and Minister there, and introduced finally, I think, PGCIL and NTPC, both our central PSUs that started working to implement and take electricity to villages in Odisha. I am happy to share with you that as of 1st April, 2015, out of 3,474 unelectrified villages —which were there on 1st April 2015, we have so far, till today, been able to take electricity to 2,462 villages. So, just about a 1000 odd villages are left, which also NTPC-PGCIL are working on mission mode. Due to the failure of the state itself to take this to the villages of Odisha, we have had to introduce NTPC-PGCIL. But, we will make sure that well within time, hopefully, by the end of the year, all these villages will get electrified. After that our effort is to ensure that every household gets electricity and all the details of how many households don’t have electricity are also given in our GARV Dashboard — the Gramin Vidyutikaran. The details are given, but for your benefit there are still 38,33,840 households in Orissa, which are yet to be electrified. And, I would urge you to keep pressure on all the states where households have to be electrified. I hope all the media looks at the GARV App and takes it up in your respective state — why this is not being taken up on a mission mode and why people are not getting electricity faster.
Q: Is this figure highest in the Country?
Ans: No, No! It is not the highest, because Odisha is a much smaller state. There were governments which did nothing for last 15 years, because of which those states have much higher unelectrified households. But, may be as a proportion to the population, it may be the highest per capita unelectrified households in the country. That is quite possible, one can do a calculation.
Q: I Majeed from Radios Media. My question is the Bio-Gas, the raw materials for Bio-Gas, I think it should be the second largest resource available in the country, so what is the status of resource assessment as well as the number of projects that are going to come up in 2017-18 or may be further?
Ans: Well, bio-waste has tremendous potential to be converted to Bio-Gas, you know, methane and things like that, which can be used for cooking. We already have a scheme, by which Gaushalas can set up bio-gasification equipment. But, I have already instructed the Ministry of New and Renewable Energy and we shall shortly be coming out with an improvised version to ensure that all the large Gaushalas in the country can have their own bio-gasification unit and hopefully a bottling unit, so that we can make good use of the manure or cow dung that is otherwise left to waste and rot and will also give a source of income for the Gaushalas.
Q: Hello sir, I am Michael Saifi from the Guardian Newspaper. You announced an intention to reduce India’s dependence on foreign coal and to increase the amount of domestic coal in India’s mix. On the other hand, the Carmichael coal mine in the estrange side of Queensland will produce 60 million tonnes of coal at its peak, my questions sir is, does India need Australian coal (inaudible)?
Ans: Well, I think that is more a question that is relevant to the Australian local people. But, as far as India is concerned, ideally, we do not wish to import any coal from anywhere in the world. We have sufficient coal capacity. Unfortunately, for India and all Indians, in the last many years, previous governments did not ever imagined that India can be self-sufficient and can depend solely on its own coal. Because of which 83,100 MW of coal-based thermal power capacity has been set up in this country, which is either partially or fully dependent on imported coal. So, despite having so much coal in this country, thanks to the myopic view of previous governments, today the nation has to pay a price and we will continue to pay a price for many years by continuing to import thermal coal to feed this capacity which is designed on imported coal. That is the unfortunate reality, because of which we continue to have imported coal in this country.
Q: सर मैं नीलिमा हूँ UNI वार्ता न्यूज़ एजेन्सी से । मेरा सवाल यह है कि पेरिस समझौते से अमेरिका के हटने के बाद इंडिया के पावर सेक्टर, ख़ासकर renewable सेक्टर पर क्या असर पड़ेगा।
Ans: आपने सुना होगा माननीय प्रधानमंत्री जी ने कई बार जब President ओबामा आए थे तब भी प्रेस वार्ता में यह प्रश्न उठाया गया था, जब प्रधानमंत्री जी चार देशों के दौरे पर थे तो जर्मनी, स्पेन, फ़्रान्स और रशिया — चारों में यह विषय उठा था, वह तो Mr Donald Trump के decision के पहले भी उठा और decide उसी वक़्त हुआ, उसके बाद भी उठा। और माननीय सुषमा स्वराज जी के प्रेस वार्तालाप जो यही हुई थी उसमें भी यह प्रश्न उठाया गया था। प्रधानमंत्री मोदी जी ने यह स्पष्ट किया है कि उनके स्वयं की प्रतिबद्धता है —it is an article of faith for Prime Minister Modi — और इस देश का संयुक्त निश्चय है, सबका हमारा, सबका मिलजुल के यह निर्णय है कि अंतरराष्ट्रीय जो क़रार हुआ है उसपर काम करना है । जो अंतरराष्ट्रीय सबकी मेहनत है सब लोग प्रयत्न कर रहे हैं कि विश्व को साफ़ किया जाये, विश्व में environmental pollution कम किया जाये। उसमें साजी भागीदारी है भारत की, rather भारत का नेतृत्व है। और भारत क्यूंकि कोई और देश कह रहा है इसलिए नवीकरणीय ऊर्जा, अक्षय ऊर्जा को प्रोत्साहन नहीं दे रहा है। हमारी खुद का मानना है और यह हमारी विरासत है । 5000 वर्ष पहले भी हमने नेचर को, पर्यावरण को बहुत इज़्ज़त से देखा है, उसको एक प्रकार से, उसकी पूजा की है। और आगे चल के भी हम हमारे देश में पर्यावरण की रक्षा करना और प्रदूषण कम करना इसके लिए प्रतिबद्ध रहेगें।
Q: Sir, I would like to ask you, what you would like to do for Indian Solar Cells and Panel manufactures which are facing a financial crisis of sorts. And, they have a lot of bad loans and some of them are ………………?
Ans: Well, central pubic undertakings, which are using power for their own consumption, of course, are going to come out with a lot of purchasing for their own requirement, which can be for the domestic industry. Other than that, we are bringing in tighter quality control for the equipment that is going to be procured and set up in India. And, I do hope Indian equipment manufactures will improve their quality, will make their quality and their cost competitiveness better. Given the large scale at which India is now procuring solar panels and solar equipment and the low cost that has been discovered of solar energy, my own sense is now Indian industry will be able to stand on its own feet and be able to expand their production capacities, to international economies of scale, so that we can be more cost competitive. In fact, I have no doubt in my mind that manufactures of solar equipment, domestic solar equipment have good days ahead of them.
Q: Sir, मेरा नाम विकास है, मैं Zee News में हूँ। मेरा सवाल सर यह है कि हम 24 घंटे बिजली की बात शुरुआत से करते आ रहे हैं और काफ़ी हद तक उसमें काम भी कर रहे हैं, लेकिन कुछ hurdles हैं फ़ील्ड के अंदर जिनकी वजह से आज भी जनता तक 24 घंटे बिजली उपलब्ध नहीं हो पा रही है । जिसका महत्वपूर्ण कारण यह है कि जो भी हमारा original pattern बना हुआ है उस original pattern में मैं अकेले राजस्थान की बात करना चाहूँगा तो यहाँ पर क़रीब 50 से 60 जो EN दफ़्तर ऐसे हैं जहाँ पर consumer का लोड जो है वह दुगने से भी ज़्यादा है और उनको supply जब भी tripping वगैरा कोई भी दिक़्क़त आती है तो उनको supply restore करने में काफ़ी समय लग जाता है, ऐसे में क्या केंद्र सरकार को एक original pattern को लेकर कोई guideline जारी नहीं करनी चाहिए जिसमें कि यह fix हो कि इतने कॉनसूमरों पर हमारे को यह जो infrastructure develop करना चाहिए या इतना दफ्तर पूरा काम करना चाहिए?
Ans: आपकी जानकारी के लिए पहले जब मैं मंत्री बना उसके पहले लगभग 16 KVA का, 25 KVA के transformer अधिकांश लगते थे | हमने अभी निर्देश दिया है कि अधिकांश 63 या 100 KVA के transformers लगें जिससे क्षमता ज़्यादा हो और लोगों की जो expanded needs हैं उसको meet किया जा सके | अगर कोई specific area में आपके पास जानकारी हो तो आप राज्य सरकार को दें, मुझे भी भेज सकते हैं, हम उसपर गौर करेंगे | यह भी आपका सुझाव अच्छा है कि हम एक load कितना allow होना चाहिए एक transformer पर इसपर भी थोड़ा research करके कुछ guidelines लाएंगे | लेकिन, ultimately 24 घंटे बिजली तभी दी जा सकती है जब सब अपना बिजली का बिल ईमानदारी से भरें और कटिया और illegal connections को बंद किया जाये | तो जो जो इलाके में transmission-distribution losses 15% से कम किये जाते हैं वहां पर सुनिश्चित करना बहुत सरल है चौबीस घंटे बिजली | तो मैं आप सबके माध्यम से यह आवाहन करूँगा देश वासियों को कि अगर आपके इलाके में कोई बिजली चोरी कर रहा है, बिल नहीं भर रहा है तो आप इसपर आवाज़ उठाइये क्योंकि जब सब लोग अपना बिजली का बिल ईमानदारी से भरेंगे तो ईमानदार लोगों को सस्ती बिजली चौबीस घंटे मिलना बहुत सरलता से सुनिश्चित किया जा सकता है |
Q: सर मैं मीघु शर्मा दूरदर्शन से हूँ | सर मैं आपसे यह पूछना चाहती हूँ कि राजस्थान पॉवर सौर ऊर्जा सबके सामने आया है | तो क्या केंद्र सरकार की कोई योजना है वह पहल आगे करने की?
Ans: राजस्थान ने बहुत बढ़िया प्रगति की है सौर ऊर्जा में और मैं बधाई दूंगा वसुंधरा राजे सिंधिया जी को और उनके सभी अधिकारियों को और राजस्थान के हमारे भाईयों बहनों को कि उन्होंने पर्यावरण के प्रति इतनी प्रतिबद्धता दिखाई है | आगे चल के, मैंने 4-5 दिन पहले ही चर्चा की है राज्य सरकार से कि अगर वह intrastate उस स्टेट के अंदर transmission के charges waive कर दें तो बहुत बड़े तौर पर निवेश आ सकता है राजस्थान में क्योंकि वहां solar radiation अच्छी है, बहुत ज़्यादा नयी नौकरियों की तैयारी हो सकती है, नए लोगों को उद्यमी बनने को मिल सकता है और उस सौर ऊर्जा को उत्पादन करके बाकी राज्य जहाँ सौर ऊर्जा कम बनती है उनको transmit करके उनका renewable purchase obligation राजस्थान के माध्यम से meet किया जा सकता है | तो अगर राज्य सरकार उसपर निर्णय ले ले तो मुझे लगता है और बड़े रूप में वहां पर निवेश की संभावना बढ़ जाएगी |
Q: Good afternoon sir, my question is regarding the Raghunathpur project of DVC, it is heard that state government is not given the NOC to form the Nevyeli Lignite……. State government is not giving the NOC to form the JV with Nevyeli Lignite …………………………………. (Inaudible) ?
Ans: यह DVC (Damodar Valley Corporation) एक संयुक्त Joint Venture है West Bengal, Jharkhand और केंद्र सरकार का | तो वास्तव में DVC को profitable बनाना वह अच्छी तरीके से चले यह हम सबका joint प्रयास होना चाहिए, वेस्ट बंगाल सरकार ने भी चिंता करनी चाहिए कि रघुनाथपुर का प्लांट अच्छी तरीके से चले, बिजली बेच पाए | दुर्भाग्य से रघुनाथपुर में यह पॉवर प्लांट पता नहीं किस वजह से किस pressure में एक ज़माने में शुरू हुआ | जब मैं मंत्री बना तो मुझे ध्यान में आया कि रघुनाथपुर में प्लांट तो लग रहा है पॉवर का पर उसका कोई off-taker नहीं है, कोई बिजली खरीद नहीं रहा है, कोई power purchase agreement नहीं है | तो या तो राज्य सरकार पश्चिम बंगाल की वहां से बिजली ख़रीदे और PPA दे रघुनाथपुर को तो तो कोई इसको आगे बेचने की ज़रूरत नहीं पडेग, लेकिन अगर राज्य सरकार उस बिजली को नहीं खरीदती है तो मैं आपके माध्यम से रिक्वेस्ट करूँगा वेस्ट बंगाल की राज्य सरकार को कि जल्द से जल्द NOC दें जिससे दूसरा एक central PSU NLC इस प्रोजेक्ट को takeover करने के लिए तैयार है, उनके पास power purchase agreements हैं जिसको वह supply कर सकते हैं रघुनाथपुर से और पश्चिम बंगाल में एक पॉवर प्लांट जो लगभग बंद सा पड़ा है, आगे चलके sick हो जायेगा जिसमें नौकरियां चली जाएँगी लोगों की उसके बदले यह पॉवर प्लांट अगर हम बेच दें और government unit को ही बेचें, तो पश्चिम बंगाल को इसकी कोयले की royalty भी मिलेगी, पश्चिम बंगाल को इसमें से जो नयी नौकरियों का साधन बनेगा उसका लाभ भी मिलेगा | और पश्चिम बंगाल आखिर shareholder है DVC का | तो DVC के losses ख़त्म होते हैं तो उसका लाभ भी पश्चिम बंगाल को ही मिलेगा | और उसमें dividend का लाभ मिल सकता है, losses ख़त्म होने से ब्याज कम हो जायेगा, तो हर प्रकार से पश्चिम बंगाल के लोगों के हित में है कि DVC profitable हो और रघुनाथपुर प्लांट या तो PPA दे वेस्ट बंगाल या उसको sell करने की अनुमति दे |
Q: Sir, good afternoon, and first of all my condolences about the unfortunate that happened in …. Sir, actually my question ……. First of all the ….. capex in Coal India has been increased by 28% from last year but on the other hand you have seen that the capital utilization of these existing plants, capacity utilization of these existing plants has come down to about 60%. So, do you think the government should focus on more capacity utilization of existing plants rather than setting up new plants and newer ventures? One more small question, NTPC Katwa, is the central government losing its interest in the NTPC Katwa project?
Ans: By the way, thank you for your condolences, it was a aged relative in Dehradun. And my apologies to all of you that I had to cancel the Press interaction last week because of that. As ragards the Coal India capex, we are not outlay oriented. This government has repeatedly said, we will invest where there is an economic benefit and it results in benefit to give good quality low-cost coal to the power plants and other consumers and benefits the nation. So, for us outlay is less important, outcome is more important. I think out of 15,000 crores, 8,750 crores, plans have already been finalized for capex, based on effective outcomes. The rest are under consideration. I may even cancel some of the investments if I don’t find it in national interest. So, just the target of 15,000 is not the most important for me, an outcome is more important.
As regards Katwa, if NTPC has power purchase agreements then, of course, we will invest the amount over there. Today, the country has sufficient and more power generation capacity. We have enough capacity that I can add 50% more power in the system if it is required, so I don’t think there is a very great relevance or urgency to set up any additional coal-based capacity unless we are guaranteed power off-take.
The Power Secretary may like too add something.
Secretary: Katwa, we are going ahead but we need lot of support from the state government regarding acquisition of the land. So, once state government takes interest and then facilitate in getting the land then all other clearances and the related coal linkages will go…… So, we are waiting for the state government to take initiative and provide the land.
Q: Sir, I am Santosh from Kairali TV, Sir, recently Kerala achieved the status of fully electrified state in the country. But, the state still faces power shortage and how the centre can help. My second question is, some reports came out that thermal power plant at Kayamkulam under NTPC is going to be shut down. What is the status?
Ans; Well, as regards Kerala has sufficient power, if they want more power we are desperately looking for purchases. Please ask your Kerala government to approach, or rather open a bidding to purchase power, there will be so much demand for participating in that bidding. So, there is absolutely now shortage. In fact, if you open the Vidyut Pravah just now, you will find that right now also, as this press conference is going on, power is available for Kerala to purchase, if at all there is any shortage. But, to the best of my knowledge there is no shortage in any state in the country. Right now, as we are speaking on this conference, at Rs 2.40, power is available on Vidyut Pravah, please open the app. So, it’s up to the state government to buy.
As regards the power plant, the thermal plant, it’s I think a plant based on naptha. That is a decision the state government has to take, centre cannot take a decision. That plant was set up under the requirement of state government, they have a power purchase agreement with that, they have to decide what they want to do with that. If they want to shut it down, they will have to pay the fixed cost and the investment back to NTPC. If they want to continue to run it, they are most welcome. NTPC is keeping that plant in readiness right through the year and Kerala can draw power from there whenever they require. Thank you.
Q: Sir, is there any plan to cap the price of iron ore, particularly, for the use of domestic steel users?
Ans: Cap? No, it’s a open market. Our approach in this whole thing is that we want to expand iron ore production and that itself will take care of the market dynamics.
Secretary: You see the iron ore production has been going up as the Minister was saying, we are focusing on that. Over the last 2-3 years, we have gone up from 129 million tonnes to 156 million tonnes to 192 million tonnes in the last year. So, there is no shortage of iron ore and at present there is no thinking in the Mines Ministry for capping of iron ore prices.
Q: Sir, Mr James Bennet from the Australian Broadcasting Corporation. The Adani company has said that the coal ……. that 60 million tonnes a year will help electrify 100 million. The Adani company has said that that 60 million tonnes of coal will help electrify the homes of 100 million people who currently don’t have it. Is it critical for that mission?
Ans: Well, I think the Australian press has more interest than Indian press in this conference. As far as I am concerned, as I explained earlier to the earlier Australian journalist here, for us, ideally, we would not like to import any coal. But, because of the unfortunate lack of confidence of earlier governments, we have landed up setting up 83,100 MW of power plants, which are either solely or largely dependent on imported coal. So, we are in a way helpless. We have to continue to import that coal because of this large capacity. And, for that if any mine in the world supplies it in a cost-efficient manner, which helps me keep my power cost low, I will welcome it. It could be anywhere in the world. And I am sure that these plants, these 83,100 MW which are requiring to use imported coal are, obviously, powering lots of homes. It could be a 100 million, it could be more. It’s a large country. We have 1.2 billion people. We have a total thermal power installed capacity of about 220 GW, which may go up to about 280 or 300 GW in the near future. So, if 83,000 out of that is somewhat dependent on imported, you can do the math yourself.
Q: Sir, Anupam from All India Radio. Sir, what is the status of the solar rooftop power project sir, presently?
Ans: Solar rooftop, because, on the smaller scale when you set up small projects it becomes more expensive than the utility scale has not picked up to the extent I would have liked it to. But, now that we have been able to bring down the solar prices so significantly, thanks to honest and transparent auctions, and because we are now focusing more on quality, my own concern always used to be that if uninformed customers get duped by any bad quality solar. I was always very concerned and therefore not giving a thrust to it. Now, I think we have reached a stage where domestic capacity and any other suppliers who have good quality and who can create a marketing network and service network will be able to meet the growing rooftop needs. I see that in the days to come, solar rooftop will get a good thrust. But, I have instructed my department that we should only allow those people to sell solar rooftop equipment who have proper repair maintenance and other service facilities in the vicinity. Otherwise, we should not allow, in the interests of consumers, anybody without a proper infrastructure to supply this equipment and for that I would also appeal to all solar manufacturers that wherever they wish to engage in rooftop, they should set up good service facilities in that vicinity.
Q: सर आप से एक सवाल है कि जो transmission line के जो losses हैं उसमें यूपी नंबर 1 है, तो उसको कैसे reduce करें | दूसरा यह कि यह जो …….. (inaudible)?
Ans: आपकी जानकारी के लिए जो विरासत में योगी आदित्यनाथ जी को मिला वह अगर यही सवाल आपने पिछले 15 साल उठाया होता तो बहुत अच्छा रहता, शायद थोड़ा सुधार ही हो जाता यूपी में | लेकिन हम प्रतिबद्ध है, जो विरासत में मिला है उसको सुधार करेंगे, आगे चलके transmission loss में नंबर 1 नहीं है, transmission और distribution दोनों मिलाते हैं तो वह रिपोर्ट तो कम कर रहे हैं अभी लेकिन जब अभी नयी सरकार ने जानकारियां निकालीं तो शायद reporting ठीक नहीं चल रही थी इतने वर्षों से | हम उसको भी सुधार कर रहे हैं कि reporting सही मायने में आये, असली reporting आये और clinical manner में – feeder metering कैसे करना, घर-घर तक स्मार्ट मीटर कैसे पहुंचाना जिससे चोरी को बंद किया जाये | उन्होंने दो schemes भी निकालीं हैं जिससे लोगों को कहा गया है कि जल्द से जल्द अपने अवैध कनेक्शन को वैध कर दो, नहीं तो उसके बाद कोई रिहायत नहीं मिलेगी | अगर कोई बिजली चोरी करते हुए पाया गया सख्त से सख्त कार्रवाई उत्तर प्रदेश की सरकार मान्य योगी आदित्यनाथ जी ने मुझे विश्वास दिलाया कि करेगी | आगे चलके हो सकता है गुजरात की तरह special police stations बनाये जाएं बिजली चोरी के ऊपर कार्रवाई करने के लिए |
तो आपके माध्यम से मैं अपील करूँगा मेरे भाईयों बहनों को उत्तर प्रदेश के कि पुरानी आदतों को छोड़के सभी लोग अपना बिल ईमानदारी से भरें, अवैध कनेक्शन को वैध बना लें, हमने उसके लिए amnesty scheme रखी है वहां पर, जल्द से जल्द कर दें क्योंकि उसके बाद रिहायत नहीं होगी | हम नहीं चाहते कि उत्तर प्रदेश के ईमानदार आदमी को परेशानी भुगतनी पड़े क्योंकि कुछ लोग चोरी करते हैं | और उसमें जब राज्य सरकार ने पता लगाया तो कुछ ऐसे इलाके थे जो बड़े बड़े राजनीतिज्ञों के इलाके माने जाते थे जहाँ पर बड़े मात्रा में चोरी पकड़ी गयी, कुछ बड़े बड़े लोगों के घरों में पता चला कि 2 KVA का कनेक्शन है पर अंदर कितने air conditioner, कितनी सारी सुविधाएं चलती थीं जो अवैध था | मैं चाहूंगा कि आप लोग भी उसके बारे में ज़रा गौर करें और जनता को बताएं कि किस प्रकार से और किस कारण से पिछली सरकार कहती थी कि हमने तो बिजली चोरों पर भी कभी कार्रवाई नहीं की, अब वह कारण सामने आ गया है |
Q: Sir, I have two questions, first is how many villages are still left in UP to be electrified, and second, what is the potential of Bundelkhand in the solar energy?
Ans: In Uttar Pradesh, as of today, we have electrified 1470 villages out of 1529 villages. And, for your information, only 23 villages had been electrified between 2010 to 2012, only 3 villages had been electrified between 2012 to 2014. तो 4 साल में सिर्फ 26 villages की electrification हुई थी, मोदी जी की सरकार आने के बाद 1364 गावों में बिजली पहुंची है – 1364 villages. That is called speed, that is called true सेवा of the people. 26, 4 साल में, 3 साल में 1364 | आज के दिन अगर उत्तर प्रदेश देखें तो मात्र 6 गावों में बिजली पहुंचाना बाकी है, 53 गावों पाए गए हैं जिसमें कोई रहता नहीं है, 6 गावों में जल्द से जल्द बिजली पहुँच जाएगी | और सौर ऊर्जा की क्षमता बहुत है उत्तर प्रदेश में, ज़मीन एक विषय है जिसके लिए कल ही हमने चर्चा की है कि जहाँ जहाँ बंजर ज़मीन है, जिन लोगों को आमदनी नहीं होती है ज़मीन से उनको प्रोत्साहन देके उनको सहूलियत दी जाये जिससे वह अपनी ज़मीन पर सौर ऊर्जा लगाके अपनी आमदनी को बढ़ा सकें |
Q: सर मेरा सवाल यह है कि बिहार की …… योजनाएं केंद्र सरकार जिनमें ultra mega power project बांका का, … atomic power plant …. टोटल 7000 MW का प्रोजेक्ट जो है (inaudible)?
Ans. देखिये आगे चलके जितनी क्षमता बिहार चाहती है उसको लगाने के लिए हम प्रतिबद्ध है लेकिन उसका power purchase agreement जब तक नहीं होगा नयी क्षमता को लगाने में कोई मतलब नहीं है | आज देश में पर्याप्त मात्रा में installed capacity है बिजली की, लेकिन बांका का UMPP पर काम चल रहा है, शायद ज़मीन अधिग्रहण वगैरा का काम चालू है, जब वह पूरा हो जायेगा, तैयार हो जायेगा उसके लिए मैंने कोयले का ब्लॉक भी identify कर रखा है | लेकिन power purchase agreement अगर उसका सुनिश्चित हो जाये क्योंकि कुछ राज्यों ने उसका PPA sign करने से मना कर दिया है | वह अगर पूरा बिहार सरकार ले ले उस बिजली को तो हम उसको fast track कर सकते हैं | सौर ऊर्जा में भी अगर राज्य सरकार कोई भी प्रपोजल भेजे, केंद्र सरकार ज़रा भी पीछे नहीं हटेगी | राज्य सरकार दो कदम आगे जाये हम उसमें चार कदम आगे जाने के लिए संकल्पित है |
Q: सर नमस्कार, मैं सूरज…….. सर मेरा सवाल यह है कि आपकी सरकार पूरे देश को स्वच्छ ऊर्जा देने के लिए प्रतिबद्ध है और यहाँ तक कि 2022 तक 175 GW solar energy generation का target भी रखा है | सर बिहार में individual level पर rural areas हैं, solar panels और solar energy की acceptance तो दिखती है, लेकिन सर broader level पर solar power generation just like power plant establishment के level पर वह तेज़ी या वह गंभीरता नहीं दिख रही, तो सर आपकी सरकार इस विषय पर क्या सोच रही और आगे क्या plans हैं?
Ans: हमने कई schemes निकाली हैं, सोलर पार्क की स्कीम है, रूफटॉप को प्रोत्साहन देने के लिए स्कीम है, सरकारी जितने दफ्तर, offices, hospitals, schools हैं उसपर लगाने के लिए केंद्र सरकार सब्सिडी देती है | तो मैं चाहूंगा कि राज्य सरकार और ज़्यादा proposals केंद्र सरकार में भेजें, हम सभी को मंज़ूरी देने के लिए तैयार हैं | जितने प्रपोजल राज्य सरकार से आएंगे जिससे लोग अपने घरों में, अपने दफ्तरों में, अपने उद्योग के ऊपर सौर ऊर्जा के रूफटॉप लगा सकें, किसानों के लिए अगर बिजली ऑफ-ग्रिड देना चाहें और उसके लिए छोटे सोलर पार्क बनाना चाहे उसके लिए हम तैयार हैं | तो राज्य सरकार से मैं दरख्वास्त करूँगा कि और proposals भेजे जिसमें राज्य सरकार और केंद्र सरकार मिलके इसको और ज़्यादा गति दे सकते हैं |
Q: Sir, how soon can we see the auction of off-shore mineral blocks and how many blocks do you plan to auction?
Ans: As far as the current law goes, there are some restraints because of which I am not able to auction these off-shore mineral blocks. The current law as it stands, I will have to give it out on a literally first-come, first-serve basis, which you know is not in my scheme of things. So, the department is working with the Law Ministry to see how we can make the requisite legal framework because I would like to start that auction quickly. We are working with the Law Ministry to work on what enabling framework can be quickly brought out by which we can start that auction.
Q: Sir, I am Premankshu from ABP, my question is regarding the Deocha-Pachami coal block in Bengal. West Bengal government is saying that they have got a verbal assurance from the centre that it will be allotted to the state for development. But, they are yet to get anything on paper. What is the current status?
Ans: I think the matter is being discussed between the state government and the central government.
Q: Hi sir I am Sidhanth from Doordarshan News. My question is what is India doing to power its neighbours, because Nepal, India has done considerably well, the Kathmandu valley is being powered by Indian power. So, what is India doing for other countries, especially Bangladesh and Afghanistan?
Ans. India is committed to regional cooperation amongst most of the SAARC states in our neighbourhood. We have been helping Nepal through increased supply of power and you will be happy to know that on 1st January, 2017………. And I can assure you that even today, we are supplying to Bangladesh 500 MW, to Myanmar 7 MW – we are giving to Myanmar, electricity to a village called Tamu, which is on the border of Myanmar. So, in every respect in this region, we are happy and willing to support any requirements in that region. There is a formal government to government consultation process, there is a framework which we have finalized under which we engage with neighbouring countries to support them.
Q: मेरा सवाल है आपसे कि आपकी rural electrification योजना जो है पिछली प्रेस वार्ता में भी आपने कहा था कि हम गांव गांव में यह बल्ब जो हैं गाऊं के लोगों को पहुंचाएंगे | लेकिन उसमें उपलब्धि जितनी होनी चाहिए थी वह तीन साल में हुई नहीं है, इसकी वजह?
Ans: आप जैसा समझेंगे कि बिजली पहले गांव में पहुँचती है, फिर लाइनें लगती हैं, मजला, टोला, धानी, पूरे hamlets तक, उसके बाद घरों तक पहुँचती है | दुर्भाग्य से जैसा मैंने उत्तर प्रदेश का आंकड़ा दिया गत 10 वर्षों में बहुत धीमी गति से बिजली का विद्युतीकरण का काम चल रहा था, लोगों के घर तक नहीं पहुंचा | कुछ राज्य तो ऐसे थे जो अवैध बिजली कनेक्शन देने को ज़्यादा पसंद करते थे बजाये कि वैध कनेक्शन | तो अब यह सब परिस्थितियां बदल रही हैं, केंद्र सरकार हमारे ग्रामीण विद्युतीकरण अभियंता गांव गांव में जाके इसका नियंत्रण कर रहे हैं, देख रहे हैं क्या करना है | और मुझे विश्वास है जो लक्ष्य मान्य प्रधानमंत्री जी ने रखा है कि 1000 दिन में हर गांव तक और 15 अगस्त, 2022 तक हर घर तक बिजली पहुंचे यह शत-प्रतिशत समय के पहले हम पूरा कर पाएंगे |
Q: मंत्री जी, मैं मधु श्रीवास्तव दिगविजय से, यह सच है कि आपकी देख रेख में देश ने विद्युत् में काफी प्रगति की है | हाइड्रो के विकास की क्या योजना है या केवल सोलर पर ही डिपेंड करोगे आप या उसे ही प्रमोट करोगे?
Ans: नहीं नहीं, आपने बहुत अच्छी बात कही बहनजी | हाइड्रो इस सरकार की प्रतिबद्धता है और हमें उसको बहुत तेज़ गति से बढ़ाने में बहुत दिलचस्पी भी है | दुर्भाग्य से तीन वर्ष पहले जब हमारी सरकार आई तो आपको याद होगा सुभानसिरी असम में फंसा हुआ था, अरुणाचल में लगना था असम-अरुणाचल में, विषय solve नहीं हुआ था, NGT में केस चल रहा था | महेश्वर प्रोजेक्ट तो शायद 15 सालों से बंद पड़ा था, Teesta project में 90% निवेश होने के बाद वह प्रोजेक्ट पर काम बंद हो गया था, ऐसी परिस्थिति में कोई नया निवेशक पैसा नहीं लगाएगा हाइड्रो में | तो हम एक एक करके यह जो पुराने बहुत मसले अटके हुए थे इनको resolve करते जा रहे हैं | आपको ख़ुशी होगी जानके अब असम और अरुणाचल ने भी तय कर लिया है, दोनों राज्यों ने, कि हम सुभानसिरी को पुनः स्टार्ट करेंगे, NGT में 25 मई को hearing हो चुकी है, 2-3 हफ्ते में, 4 हफ्ते में उसका, NGT का ऑर्डर आने की संभावना है | तो मुझे लगता है एक बार यह सब ….. मसले हल हो जायेंगे तो अपने आप में उत्साह हाइड्रो के प्रति और बढ़ेगा | अभी अभी मैंने उत्तराखंड से भी चर्चा की है, जम्मू कश्मीर सरकार से लगातार मैं संपर्क में हूँ कैसे नए हाइड्रो प्रोजेक्ट्स को प्रोत्साहन दिया जाये | अरुणाचल-सिक्किम में projects जल्दी लगें उसके लिए मेरी लगातार बैठकें उनके साथ चल रही हैं | मुझे विश्वास है कि पुनः एक बार हाइड्रो को भी बड़े उत्साह से हम पुनः जीवित कर पाएंगे |
Q: Good afternoon, I am Tarun from Newsx. Since 83,000 MW, for putting in that investment has gone in and these projects have been completed in the past 2 years. Do you see it’s the bounden duty of the government of India to handhold the industry in this time of need when policies in foreign countries got changed and they got affected. What’s the government’s view on handholding the industry, that’s my question?
Ans: That’s a matter between the procurers, the power procurers, states and the companies which have bid irrationally in my view, and they will have to sort it out between themselves. The central government has no role to play in that matter.
Q: Sir, this is regarding the hydro power projects, there was this proposal on the interest subvention plus categorising hydro as renewable. So, how soon are we seeing this proposal going to the cabinet?
Ans: You know, a good dynamic Ministry and government keeps coming out with new ideas, new thoughts which takes some time to mature, because we don’t do things in a hurry or blindly. We have extensive stakeholder consultations. We discuss best practices worldwide because I like to benchmark myself to the best in the world. And, as far as making hydro a renewable source of energy, we have found that almost worldwide that is the common practice and we are considering to follow that in India also. As regards supporting the hydro industry, we are in dialogue with the stakeholders, banks, industry, people who are setting up power plants, developers, our own PSUs. And after this discussion, I assure you we will come out with a very viable mechanism to make these hydro projects develop fast.
Q: Sir, my question is on, you know, how banks and financial institutions, once they take over stressed assets, will help and turn around those projects with the help of the government?
Ans: As a said earlier, we have worked out a broad framework in which we can work together with the banks and the state governments to resolve the stress in the power sector, particularly, the power plants, and I will keep you informed as we make more progress in that.
Thank you honourable Minister sir for your presence, patience in answering all the questions comprehensively. I thank other dignataries on the dais also. Friends thank you for being here, please join us on lunch on the fourth floor.