Speeches

June 10, 2017

Speaking at LOKMAT Urja Summit 2017 in Mumbai

यह एक नयी दिशा दें ऊर्जा क्षेत्र में क्या नए काम होने चाहिए, किस प्रकार से नयी योजनाएं बन सकती हैं | और जितने सारे उद्देश्य अभी विजय जी ने कहे इन सबको हम कैसे अच्छी तरीके से भारत में लागू कर सकें, भारत में हर एक व्यक्ति को चाहे वह किसान हो, चाहे वह घरेलू उपभोक्ता हो, चाहे वह उद्योग चलाता हो, हर एक को सस्ती बिजली मिले, अच्छी बिजली मिले, चौबीसों घंटे लगातार reliable बिजली मिले | इस प्रकार का एक ऊर्जा क्षेत्र में कायाकल्प हो, इसके लिए मुझे पूरा विश्वास है आज के इस ऊर्जा समिट से एक नयी दिशा, नए सुझाव आयेंगे | जिसपर मैं विश्वास दिलाता हूँ विजय जी को और ऋषि जी को कि हम पूरी तरीके से गौर करेंगे, उसके ऊपर सोच-विचार करके कैसे ऊर्जा विभाग और अच्छा चले उसपर हम ज़रूर प्रयत्न करेंगे |

जवाहरलाल दर्डा जी फ्रीडम फाइटर भी थे, उन्होंने महाराष्ट्र को, देश को एक दिशा दी और पत्रकारिता में पारदर्शिता आये, पत्रकारिता से देश के चाहे वह राजनीतिज्ञ हों, चाहे वह अधिकारीगण हों, सबको चौकन्ने रखना, सबको अपने काम के प्रति और अच्छी तरीके से काम करने के लिए उत्साह भी देना और साथ ही साथ जनता और सरकार के बीच लगातार dialogue बनता रहे, लगातार संवाद होता रहे, उसके लिए मैं समझता हूँ लोकमत ग्रुप ने उनके समय से लेके आज ऋषि के समय तक जो काम किया है उसके लिए मैं उनको बधाई दूंगा, उनको ज़रूर प्रशंसा करूँगा और आगे के लिए भी यह इस प्रकार से कनेक्ट करते रहें सरकार को और जनता को, इसका बहुत लाभ होगा ऐसा मुझे पूरा विश्वास है |

आज के ऊर्जा समिट के मैं थीम्स भी देख रहा था अभी अभी किस प्रकार से उन्होंने रिन्यूएबल एनर्जी, नवीकरणीय ऊर्जा को प्राथमिकता दी है | उदय योजना के तहत किस प्रकार से लाभ होगा आगे चलके, उसके क्या challenges हैं, क्या opportunities हैं | और महाराष्ट्र के perspective को ध्यान में रखते हुए उदय का क्या लाभ होगा, लाभ लिया जा सकता है उसपर भी चर्चा रखी है | So, it’s a very well designed Conference that Lokmat has organized today and I would like to compliment the management and the Editors of Lokmat for launching this new initiative – Urja Summit.

The power sector in 2014 is somewhat lost in our memory; public memory tends to be very short. In fact, on a another occasion, I think addressing the India Today Conclave very recently, the Prime Minister mentioned on similar lines कि लोग अब भूल गए हैं वह दिन जब कोयले की हाहाकार मची रहती थी, कोयले के बारे में रोज़ हैडलाइन आती थी, शायद लोकमत में भी आती होगी कि दो दिन का कोयला रह गया है, एक दिन का कोयला रह गया है | कुछ thermal power plants तो Japanese style से चलते थे – Just In Time Inventory कि अभी कोयले की रेक आएगी और सीधा बिजली घर में जाएगी और बिजली का उत्पादन करेगी | और आपको जानके हैरानी होगी कि Central Electricity Authority एक data निकालता था कि हर रोज़ कितनी बिजली का उत्पादन loss हुआ कोयला न होने के कारण | इसी प्रकार से देश भर में एक excuse सा बन गया था distribution companies को कि बिजली मिलती नहीं है, पर्याप्त बिजली है नहीं इसलिए power cut होता है, इसलिए power outage होता है |

मुझे आप सबसे share करते हुए ख़ुशी भी होती है और एक प्रकार से इन सब अधिकारियों ने, इन सब पूरी व्यवस्था ने जो जोर लगाया, जो काम किया उसके लिए मैं पूरे अधिकारियों को और मैं समझता हूँ जनता को भी बधाई दूंगा, धन्यवाद दूंगा क्योंकि जनता का विश्वास था कि यह बदलाव किया जा सकता है | और जनता के विश्वास से उत्साह लेते हुए अधिकारियों ने काम करके आज लगभग पिछले डेढ़-दो वर्ष में भारत में कोयला भी सरप्लस है, बिजली भी सरप्लस है, पर्याप्त है और वास्तव में आज परिस्थिति इतनी बदल गयी है कि अगर मेरे सामने कुछ चैलेंज है तो यह चैलेंज ऐसा है कि कोयले की बिक्री कैसे बढाई जाये और बिजली की बिक्री कैसे बढाई जाये | That is my biggest challenge as a Minister today, how to increase and incentivize consumption of coal and consumption of power. Country has totally moved.

मैंने इतनी सारी नीतियां जब पढ़ीं नया नया मंत्री बना था, उस सब नीति के पीछे mindset था shortages का, और मैंने नयी tariff policy 2015 में finalize की थी उसके पीछे पूरा mindset shortages का था कि shortage में कोयला कैसे दिया जायेगा, shortage में बिजली कैसे दी जाएगी, क्या tariff policy होगी | आज मैं देखता हूँ वही policies तो ध्यान में आता है वह irrelevant हो गयी हैं क्योंकि नए mindset से अब नयी policies बनानी पड़ेंगी | You will have to actually incentivize consumption. तो पहले के हिसाब में यह था कि अगर आपको कोयला 75-80% आपके annual contracted quantity से मिलेगा तो एक rate है, उससे ज्यादा चाहिए तो आपको premium देना पड़ता था |

Similarly,  बिजली आप जितनी ज्यादा खपत करो उतना ज्यादा बिल बढ़ते रहता था | The slabs were, as you increase consumption the slab meant a higher rate. I think the rules of the game have changed now. आज मेरी परिस्थिति विजय जी ऐसी है कि पिछले पूरे 15 महीने हम coal की production regulate कर रहे हैं, कम करते जा रहे हैं क्योंकि, और यह बात राजनीतिक तौर से आपको अच्छी न लगे शायद लेकिन पहेल देश में लोगों ने कभी यह कल्पना ही नहीं करी कि भारत सक्षम हो सकता है, पर्याप्त मात्रा में कोयला बना सकता है | उसके कारण लगभग 83,100 MW बिजली घर, 83,100 MW of installed thermal power generating capacity has been created which is largely dependent on imported coal. Because, we never imagined despite having the 3rd highest resources, the amount of coal reserves that India has is the 3rd highest in the world, despite having that we never planned or we never imagined, हम में क्षमता ही नहीं थी, हम में वह सोच ही नहीं थी कि हम कोयला पर्याप्त देश में बना सकते हैं | तो जिसको बिजली घर बनाना था उसको हम allotment नहीं देते थे, linkage नहीं देते थे जिसके कारण गत 10-12, 15 वर्षों में जो कोयले के base पर power plants plan हुए या बने वह सब imported coal पर अधिकांश अपने आपको planning की, designing की, और आज पर्याप्त कोयला होने के बावजूद देश को कोयला import करना पड़ रहा है क्योंकि वह design ही कोयले के प्लांट का ऐसा है, power plant का, जो सिर्फ विदेशी कोयला इस्तेमाल कर सकता है, भारत में बनाया हुआ कोयला इस्तेमाल नहीं कर सकता |

And, that has become like a albatross around my neck, what to do with these power plants, जिसमें बिजली भी महँगी होती है क्योंकि उनको विदेशी कोयले के ऊपर निर्भर होना पड़ता है | और उसके कारण अब यह परिस्थिति है कि 55 million tonne कोयला coal pitheads पर accumulate हो गया है, 55 million tone! बिजली घर आजकल अपना कोयले की purchase कम करते हैं क्योंकि working capital क्यों अपना block करना जब चाहिए कोयला मिल जायेगा | महाराष्ट्र ने भी वह किया और आज थोड़ा उसका भुगतान भी करना पड़ रहा है उनको क्योंकि उनको ध्यान नहीं आया कि भाई summer में power consumption बढ़ जाएगी तो better stock up some coal, और लास्ट मिनट पर अभी भाग रहे हैं, दौड़ रहे हैं कि कोयले की rakes मिल जाएँ railway से और अपने बिजली घर में पर्याप्त कोयला मिले | तो यह विडंबना है कि मेरे पास 55 million tone कोयला पड़ा है, रोज़ coal की production को मैं घटाते जा रहा हूँ इस डर के मारे कि कहीं कोयले में आग न लग जाये | और अभी भी imported coal पर अधिकांश नए plant dependent हैं क्योंकि उनका design ऐसा बना हुआ है |

यह mindset change, और मैंने यह example इसलिए दिया कि मैं इस सरकार की सोच के बारे में थोड़ा आपके सामने रखना चाह रहा था कि इस सरकार ने गत तीन वर्ष में अगर कोई सबसे बड़ी उपलब्धि पाई है या सबसे बड़ा काम किया है वह अपने देश के नकारात्मक सोच को सकारात्मक बनाने की कोशिश की | The confidence, the self confidence that is required in a developing nation like India that we can do it, that killer instinct that we can achieve extraordinary results. After all, वह कहते हैना extraordinary results ordinary लोग ही करते हैं, कोई उसके लिए nobody comes from Mars and gets any extraordinary achievements. वह हम सब कर सकते हैं, इस कमरे में जितने लोग बैठे हैं हम सब में वह क्षमता है कि we can come out with extraordinary results.

और मैं कई बार अपने विभाग के साथियों को कहता भी हूँ, और वैसे मजाक भी करता हूँ लेकिन मजाक में नहीं कहता हूँ, बड़े seriously कहता हूँ कि आप सोचिये कि जब आप retire होंगे या जब आप इस पद से शायद transfer हो जायेंगे या अलग जगह जायेंगे, what will you be remembered for? Will you leave behind a legacy in the job that you do or will you also have one more tenure? और विभाग में तो मंत्री हो या सेक्रेटरी हो या अधिकारी हो, हर एक का job profile change होता रहता है समय समय पर, तो क्या एक और तुम्हारी bio data में posting होगी, या लोग याद करेंगे अगर मेट्रो में ट्रेवल करेंगे तो एक व्यक्ति था श्रीधरन जिसने भारत में मेट्रो को इतने बड़े रूप में बढ़ाया | आज मेट्रो में कोई भी जाये और कोई उसको पूछे मेट्रो के साथ आपको किसका नाम जुड़ता है तो स्वाभाविक है श्रीधरन नाम आएगा | मैं यहाँ भी पूछता तो शायद सभी के जीभ पर सीधा श्रीधरन का नाम आता | या थाना में वो कमिश्नर थे जिन्होंने थाना का कायाकल्प किया था, चंद्रशेखर |

Anybody who is even familiar with Thane, I remember जब उनके कार्यकाल में मैं थाना गया तो मैं खुद आश्चर्यचकित हो गया था कुछ roads को देखके क्योंकि कभी कल्पना ही नहीं थी कि वह रोड इतनी चौड़ी हो सकती थी | सूरत में plague आया था, राव था तभी? सूरत में plague आया, probably the worst time that any city has faced in our country. But, Rao transformed that city to make it one of the best cities in the country. तो मैं समझता हूँ हम सबको तय करना पड़ेगा, और यह कोई सरकार ने या अधिकारियों का सवाल नहीं है, हम सबकी बात है | I am sure ऋषि जब अपने अख़बार को चलाता है और उसकी planning करता है तो he will be planning I have to be the best in the city, I have to be the best in the state, I have to be the best in the country.

आखिर हम सबको अपना objective, अपने goals को तय करने का अधिकार है कोई हमें रोक नहीं सकता है, और उसके लिए काम करने में भी कोई रोक नहीं सकता है | और वही सरकार ने अपनी प्राथमिकता बनाई इस देश को आत्मनिर्भर कैसे बनाएं, इस देश को समृद्ध कैसे बनाना और समृद्धि की तरफ कैसे लेके जाना | कई बार अखबार में भी बहुत सारी आलोचनाएं आती हैं कि आकांक्षाएं पूरी नहीं हुई हैं, the aspirations of the 125 crore Indians are not met. I am very happy when I read that, because the day somebody feels that the aspirations are met, I believe that will be the last day of our existence. Aspirations is a journey. We are continuously striving and demanding more. हम सब सोच सकते हैं जिस दिन हमें लास्ट promotion मिला क्या हम उससे संतुष्ट हुए, हम अपनी अगली promotion कि तैयारी करते हैं | जिस दिन आदमी पहला करोड़ रुपये कमाता है तो थोड़े ही संतुष्ट हो जाता है, वह plan करता है मैं कब फलाने के लेवल पर पहुंचूंगा, फलाने के लेवल पर पहुँचता है तो और आगे कैसे जाऊँ | That is an aspirational human being.

और वास्तव में, on a lighter note, अब यह quote मत कर देना क्योंकि आजकल humour तो करना बड़ा मुश्किल है, बड़ा dangerous है, humour को misunderstand करके Whatsapp messages घूमने शुरू हो जाते हैं और अखबार में हैडलाइन आ जाती है, पर इसको कोई अन्यथा न ले | गरीब से गरीब आदमी, कोई सड़क पर भी आपके गाड़ी के दरवाज़े पर खटखटाके कुछ मांगता है तो वह इसलिए मांगता है क्योंकि उसको दिखता है कि आप में कुछ क्षमता है देने की | वह आखिर किसी ऐसे व्यक्ति के पास नहीं जाता है जो खुद कंगाल हो, जिसके पास कुछ देने के लिए ही नहीं हो | तो मैं समझता हूँ जब जनता आकांक्षा रखती है, अपेक्षा रखती है हमारी सरकार से कि हमने यह भी करना चाहिए, यह भी करना चाहिए | अभी विजय जी ने तो एकदम लम्बी लांड्री लिस्ट गिनवादी और मैं वह सबको जब कैलकुलेट कर रहा था अपने माइंड में तो मुझे लगा it may be a good idea कि सब taxes इस देश में ख़त्म कर दिए जायें, सरकार को wind up कर दिया जाये, बिजली घर को कहा जाये कि आप सब फ्री में बिजली सभी को दे दीजिये |

But, I am glad कि आज विजय जी को इतनी सारी चीज़ों में उम्मीद है और confidence है कि यह सरकार कुछ कर सकती है, सरकार किसानों के हित में उनको ऊर्जा दक्षता वाले, energy efficient pumps देके उनको समय पर पानी मिले, उनकी productivity agricultural farm कि बढे, अगर वह उस दिशा में हमारे से अपेक्षा रखते हैं तो मुझे ख़ुशी है क्योंकि उनको दिखता है कि हम यह कर सकते हैं | अगर वह चाहते हैं कि industry का tariff कम हो तो बहुत जयिज़ है क्योंकि आज के दिन एकदम unreasonable tariffs पर industry competitive हुई | जब वह चाहते हैं कि इस देश में अक्षय ऊर्जा बढे जिससे पर्यावरण सुधरे, पर्यावरण हमारी अगली पीढ़ी को जो हम देश छोड़ के जायें वह एक अच्छा देश, साफ़-सुथरा देश छोड़ के जायें तो एकदम legitimate demand है | और मुझे तो ख़ुशी होती है जब लोग और नयी अपेक्षाएं लेके आते हैं क्योंकि तब मैं भी और enthusiastic होता हूँ अपने काम में कुछ और करने के लिए, कुछ नया करने के लिए |

और विजय जी आपको जानके ख़ुशी होगी कल रात को मैं करीब पौने दो बजे घर आया हूँ, देवेन्द्र जी आपके मित्र, आपके छोटे भाई के यहाँ पर था, और जो लास्ट आइटम, उनके पोर्टिको में गाडी मेरी खड़ी थी, मुझे छोड़ने बाहर आये थे तो हम जो सीडियों पर चर्चा की वह यही चर्चा की कि महाराष्ट्र के किसानों को energy efficient pump और हम उसको solar power से अगर power करके micro-irrigation के साथ में जोडके एक composite plan बनाये महाराष्ट्र के सब farmers के लिए | वह last point of discussion सीडियों पर हमारा हुआ, मुझे शक है लोकमत ने ज़रूर वहां camera या recording कोई device डाल रखी होगी | That is the last point we discussed जब मैं अपनी गाडी में बैठा | And उन्होंने कहा आप अपने अधिकारियों को भेजो और शायद मैं अभी देख रहा था सौरभ आपकी list में है पता नहीं आज आ रहा है कि नहीं, तो अगर आज आएगा तो मैं तो उसको आज ही भेज दूंगा मुख्यमंत्री जी के यहाँ | क्योंकि उनके दिल में तो एकदम तड़प है महाराष्ट्र के किसानों के लिए |

His whole focus is what more can I do for the farmers of Maharashtra. किसानों की पीड़ा हम सब जानता हैं, किसानों के लिए हम सबके दिल में संवेदना है, कैसे उनकी productivity बढे, कैसे उनका उत्पादन का सही शुल्क मिले, कैसे उनको सस्ते ब्याज पर ऋण मिले | और आप देखेंगे तो गत तीन वर्ष में अगर इस सरकार ने कुछ विषय के ऊपर सबसे ज्यादा प्राथमिकता रखी है तो वह गाँव, गरीब और किसान के भविष्य के लिए | आखिर इतने वर्षों से कभी बाढ़ आती थी कभी सूखा पड़ता था, किसानों को कभी शत-प्रतिशत मुआवजा नहीं मिलता है अपने नुकसान का |

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से पहली बार भारत सरकार ने सुनिश्चित किया कि बहुत सस्ते premium पर किसान को कभी आहत पहुंचे, कोई दुर्घटना हो, नुकसान पहुंचे तो शत-प्रतिशत कैसे उसके नुकसान को पूरा किया जा सके | और साथ ही साथ 50% जो पहले benchmark था, loss 50% से ज्यादा हो तो ही भुगतान किया जाये उसको भी घटाके 33% किया | आप याद करिए हर वर्ष fertilizer, खाद की कमी के कारण किसान सडकों पर आते थे, हाईवे ब्लाक करते थे | तीन वर्ष में एक दिन नहीं रहा है जब खाद की कमी पड़ी है इस देश में और क्यों? क्योंकि जब यह सरकार कोई काम करती है तो उसके root cause analysis पहले करती है कि भाई खाद की कमी है या कोई और कारण है | पता चला खाद तो देश में पर्याप्त बनता है, थोड़ा बहुत विदेश से आता है, लेकिन क्योंकि वह subsidized खाद है, fertilizer है, Urea है और उसमें जो chemical properties हैं वह इंडस्ट्री को भी use होती हैं तो बिचोले खाद को किसान को देने के बदले फैक्ट्री में बेच देते हैं सस्ते में, profit करते हैं, उद्योगपति profit करता है, दलाल profit करता है, बिचोला profit करता है, किसान बिचारा नुकसान में | सरकार ने क्या किया, root cause analysis से जब यह निकला तो पहले उसको fix करने के लिए neem-coating शुरू करदी fertilizer की |

और यह, वास्तव में यह हम में से किसी का नहीं है, सीधा प्रधानमंत्री जी का आईडिया था क्योंकि मैं उस बैठक में था जब उन्होंने यह आदेश दिया कि आप fertilizer को neem-coating करके बीचो, neem-coating करते ही वह उद्योग में इस्तेमाल करने लायक रहता नहीं है वह खाद और शत-प्रतिशत खाद किसानों को मिलता है इसलिए आज पर्याप्त मात्रा में किसानों को खाद मिलता है, समय पर मिलता है | और recent studies जो की तो मालूम पड़ा कि अब क्योंकि वह neem-coated है, ज़मीन के लिए तो उसकी value बढ़ गयी है, उसकी क्षमता, उसकी output improve हो गयी है तो 10% कम Urea use करके भी उतना ही काम हो जायेगा जो पुराने Urea में 100 किलो में अगर कुछ दो बोरी में काम होता था अब 90 किलो में वही output आपको, वही impact किसान के खेत में होगा | तो अब 10% Urea का खर्चा भी किसान का कम हो जायेगा, पर्याप्त मिलता भी है, 10% कम से भी काम चलेगा और शायद पहली सरकार होगी जिसने Urea के दाम कम किये हैं |

अनंत कुमार को, in fact, बधाई दूंगा, Fertilizer Minister को कि जब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उन्होंने पारदर्शिता लायी और जो सब्सिडी दी जाती है उसको पूरा ऑडिट करवाके कंट्रोल किया तो उसके कारण हम fertilizer के दाम भी कम कर पाए, दो वर्ष पहले | पहले दाम कम किये, पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध करवाई और अब 10% saving किसानों को कैसे मिले उसमें सफलता पाई है |

सिंचाई की योजना के बारे में महाराष्ट्र में तो जितना कम कहें उतना अच्छा है, जिस हालत में सिंचाई की योजना देश भर में आधी-अधूरी पड़ी थी उसके लिए प्रधानमंत्री सिंचाई योजना से हमने नयी योजनायें नहीं शुरू करने का फैसला किया, पुरानी योजनायें जल्द से जल्द ख़त्म हो और उसका कोई काम से आउटपुट हो, कोई किसानों को लाभ मिले | नहीं तो रेलवेज की तरह था, हर वर्ष 100 नयी लाइनें अन्नौंस करो, जो 40 साल पहले वह तो काम पूरा हुआ नहीं है और लोगों को लुभाते रहो, मतलब पब्लिक फोरम में तो बोल नहीं सकते पर उसका शब्द तो बड़ा भद्दा शब्द है जो हमने जनता के साथ सालों साल किया है | एकदम भ्रमित रखा लोगों को कि अरे अभी एक नयी लाइन अन्नौंस हो गयी, इचलकरंजी से मुंबई, 40 साल पहले, 25 साल पहले अन्नौंस हुई कभी वह लाइन ही नहीं लगी | एक लाइन तो मैं जब विपक्ष में था और अर्नब गोस्वामी के शोज़ के लिए तैयारियाँ करता था तब मैंने रिसर्च में निकाला था, एक लाइन 1975 में अन्नौंस हुई थी बजट में और उसका काम अभी लगभग डेढ़-दो साल पहले सुरेश प्रभु जी ने fast track किया, 75’ की announced line. उसमें जो ओरिजिनल बजट था, उसका 4 या 6 गुना पैसा आलरेडी खर्च हो चुका है, 10% भी काम नहीं हुआ है |

और सरकार में तो accountability वैसे ही कम होती है, आप revised budget लगाते रहो और थोड़े दिन में थोड़ा सा पैसा अल्लोकेट करो हर प्रोजेक्ट के लिए क्योंकि आपने इतने सारे अन्नौंस कर दिए हैं तो हर एक को थोड़ा थोड़ा पैसा दो जिससे कम से कम security agency का bill pay कर सको वहां पर खड़े रहने के लिए | नहीं तो वह जो land लेते हैं वह भी encroach हो जाएगी और नुकसान हो जायेगा फिर बैठके वह लड़ते रहो कोर्टों में केस | तो हमने इस पूरे सरकार में outcome पर focus किया, focus on the outcome, एक एक रुपया कैसे outcome-oriented रहे और उससे क्या लाभ जनता को मिलेगा, उसपर अपना पूरा focus रहे, rather than सिर्फ कि budget में outlay कितना है | और यही कारण है कि railway budget को भी merge किया main budget से जिससे 10-12,000 crore जो dividend देना पड़ता था वह railway रहे, वह पैसा भी जनता को सेवा देने में काम में आ सके |

पुरानी लाइनों को तेज़ गति से ख़त्म करना, आधे-अधूरे प्रोजेक्ट्स को expedite करना यह हमारी प्राथमिकता रही, और budget itself, विजय जी आप याद करेंगे हम पार्लियामेंट में मई में जाके बजट पास करते थे, पहले quarter तो लगभग गया vote on account में, उसके हिसाब से हम कुछ खर्चा नहीं कर पाते थे, दूसरे quarter में बारिश आ जाती थी | तो वास्तव में bunching of expenditure, Anilji you have experienced all your life, लगभग last quarter में होता था और last quarter में जब bunching होता था कि भाई बजट है 100 करोड़ का तो अब खर्चना है | वह भी हम सभी जानते हैं कि फिर आखरी में जल्दबाजी में जब बजट खर्चो तो उसमें क्या क्या गलत चीज़ें आ जाती हैं | एक कांग्रेस की मंत्री, बहुत अच्छे स्वास्थ्य मंत्री थे यहाँ के, महाराष्ट्र के, उन्होंने पहले दो साल जब वह स्वास्थ्य मंत्री बने, हाल ही की बात है आप नाम शायद समझ जायेंगे | दो साल एक रुपये की दवाइयाँ नहीं खरीदीं और पूरा हाहाकार मच गया था महाराष्ट्र में, पर उन्होंने कहा कि जब मैंने जांच की तो मालूम पड़ा इतनी दवाइयाँ खरीदी हुई पड़ी हैं कि just because budget है doesn’t mean कि और दवाइयाँ खरीदनी हैं | जो पड़ी है स्टॉक वह तो ख़राब जो जायेगा, नयी दवाइयाँ आ जाएँगी, बजट स्पेंड हो जायेगा, नुकसान किसका होगा, आपका होगा | क्योंकि वह ज़रूरत ही नहीं थी, बजट मिल गया इसलिए स्पेंड किया गया |

Outcome-oriented जब सरकार काम करेगी तब आप कोयले का उत्पादन भी पर्याप्त बढ़ा सकते हो, और उसमें कोई हमने जादू या चमत्कार थोड़े ही किया है, same officers हैं, same workers हैं, same खदान है, कोई फरक नहीं है | और मात्र दो वर्ष तक aggressive effort करके कोयले का production इतना बढ़ गया कि आज के दिन, first quarter में, I will have to bring down coal production by 5%, जो पिछले साल के first quarter में था उससे 5% कम करना पड़ेगा इस साल, इस डर के मारे कि आग न लग जाए कोयले की खदानों में | This is the situation. We have so much surplus coal. I don’t know why it could not be imagined for 68 years.

बिजली – अनाप-शनाप projections किये गए जिसके कारण पूरी दुनिया को लगा यहाँ पर आके बिजली घर बनाओ बहुत मुनाफा है | दुःख के साथ कहता हूँ, आप लोग तो शायद बिजली विभाग को देखते भी थे पहले, 2014 तक, particularly peak hours में और particularly, जैसे बड़ी भारी गर्मी का season, इस साल तो बहुत ही भयानक गर्मी रही है, शायद इतनी गर्मी हमने कभी नहीं महसूस की कई वर्षों में | और यह भी एक climate change बहुत serious issue है जिसमें भारत ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर leadership दिखाई है ऐसी परिस्थिति में states को 12-12, 13-13 रुपये में बिजली खरीदनी पड़ती थी हर यूनिट के पीछे, दक्षिण भारत में transmission capacity कम होने के कारण और क्योंकि कोयला भी वहां पर कोई mines नहीं है, खदान नहीं है | दक्षिण भारत में तो लगभग साल भर कभी 11, 12, 10, 8, 9 रुपये में बिजली खरीदनी पड़ती थी, तो सब लोगों को लगा यार यह तो बहुत बढ़िया धंदा है बिजली घर लगाओ तो बहुत कमाई होगी क्योंकि देश में shortages हैं |

कभी किसी ने यह कल्पना नहीं की कि इसको थोड़ा root cause analysis करें तो यह shortage कोई इतनी भयंकर नहीं है, बड़ी आसानी से पूरी की जा सकती है, देश में क्षमता है इसको पूरी करने की | पर क्योंकि दिखता था कि 10-12 रुपये में बिजली बिकती है तो यह तो भारत में कई बार तो भेड़ चाल है, भाई यह सब quote मत कर देना, I will be in a very embarrassing position. But, वास्तव में भारत में भेड़ चाल चलती है कि shortage है तो पूरी दुनिया लग जाती है भाई power plants लगाओ | पर जब मैं मंत्री बना तो ध्यान में आया कि लगभग 70-80,000 MW के power plants अलग अलग states में stressed या stalled या NPA बने हुए हैं क्योंकि उतनी तो shortage थी नहीं जितनी बनाई गयी थी |

कई बार यह लोग कहते थे कि और सही भी बात है 2011 के census में आया कि 7 करोड़ परिवार हैं जिनको बिजली से connect नहीं किया गया, 7 crore families. And it is a matter of shame, collectively, for all of us in this room. And, I am saying it collectively, because after all, शायद हम सबने यह pain नहीं देखा है, यह दर्द नहीं देखा है कि बिना बिजली के पूरा जीवन बिताने का मतलब क्या होता है | हो सकता है हम भी सब गाँव से आये होंगे पर हम वह दिन भूल गए हैं कि बिना बिजली के जीवन तो छोड़ो, पीढ़ियों ने अपना जीवन बिता दिया बिना बिजली के | पर वह figure को देखके कभी realistic assessment नहीं हुआ कि उसको बिजली दी जा सकती है और उसको बिजली देने में हमारे पास कितनी requirement होगी बिजली की | I don’t know, अच्छा हो गया यह Planning Commission को wind up किया because उनकी planning के हिसाब से यह देश चलता तो पता नहीं हमारा भी 1991 का Soviet Russia बन जाता |

But ईमानदारी से, I am aghast at the way both industry and government planned the power sector कि आज मेरे पास सबसे बड़ी अगर कोई समस्या है तो वह यह है कि we have surplus power generating capacity in the country. And, surplus not by a small amount, but by a massive amount. मतलब यह यहाँ के, महाराष्ट्र के अधिकारी बैठे हैं, इनका हर मीटिंग में डिमांड सबसे पहला होता है कि हमको Power purchase agreement cancel करने की अनुमति दी जाये | Of course, मैं देता नहीं हूँ क्योंकि देश की विश्वसनीयता उसके साथ जुडी हुई है, आखिर अब किसी ने सरकार में बिजली खरीदने का करार किया तो सामने वाले पर विश्वास करके वह प्रोजेक्ट लगाया तो आप अपने आपसे उसको cancel नहीं कर सकते हैं |

तो despite this hardship, despite knowing this hardship, I believe कि सरकार की विश्वसनीयता इन सब चीज़ों से बढ़के होती है, जिसदिन सरकार की विश्वसनीयता ख़त्म हो जाये उसदिन तो मुझे लगता है अर्थव्यवस्था ही ख़त्म हो जाएगी | आज भी मैं गर्व के साथ कह सकता हूँ, despite all these difficulties, भारत सरकार हो, राज्य सरकार हो, और इन दोनों के कोई उपक्रम हो, कोई distribution company हो, transmission company हो, आजतक एक रुपये का default नहीं किया है इन्होंने कभी भी कोई बैंक का, not one rupee default. मतभेद हो सकता है, कोर्टों में केस वेस चल सकता है लेकिन जो due है, थोड़ा बहुत देर दराजे से ही लेकिन आजतक सरकार ने कभी default नहीं किया | और यह बहुत बड़ी बात है और इसमें सरकार किसी की भी हो, कल कांग्रेस की थी आज हमारी है | यह सरकारें आएँगी जाएँगी, अधिकारी आयेंगे जायेंगे, पर सबने मिलके जो भारत सरकार की और overall governments की जो विश्वसनीयता बनाई है उसको कायम रखना मेरे ख़याल से हम सबकी प्राथमिकता है | How do we maintain the integrity of institutions in India and the confidence that the world has on our ability to meet our obligations.

और इसी श्रेणी में हमारे पास ज़रूर समस्याएं हैं, बहुत सारी हैं, विजय जी ने कहा सस्ती बिजली किसान को मिले, मैं समझता हूँ वह तो इस देश की प्राथमिकता रहनी ही चाहिए | पर्याप्त बिजली, सस्ती बिजली किसान को दिलाना हम सबकी ज़िम्मेदारी है, आखिर अन्नदाता हैं, हम सबका घर चलता है क्योंकि हमें यह चिंता नहीं है कि इस देश में कभी अनाज की कमी होगी | और उसमें भी महंगाई एक प्रकार से किसान की कमर तोड़ते जा रही थी, कई बार यह भ्रम होता है कुछ लोग कहते हैं कि गत तीन वर्ष में MSP कम बढ़ा पिछले 10 वर्ष के निस्बत | अब unfortunately, इन चीज़ों के बारे में ज्यादा public debate होती नहीं है तो लोगों के सामने नहीं आती है पर इसकी वास्तविकता समझये, लगभग double digit inflation में देश चल रहा था 5-6 साल के लिए हमारी सरकार आने के पहले | तो अगर आप किसानों के दाम, मूल्यों को 10% भी बढाओ और 12% inflation है तो net-net तो किसान 2% minus जा रहा है | आखिर उस पैसे से वह खर्चा करेगा, कपडा खरीदेगा, बीच खरीदेगा, बिजली खरीदेगा, अपने बच्चों की पढाई कराएगा, कभी स्वास्थ्य सेवाएं लेगा, उस सब में उसकी inflation, महंगाई की दर तो 12% है और MSP 10% बढ़ा, तो net-net he is a loser by 2%.

हमारी सरकार ने महंगाई को काबू में रखना प्राथमिकता की, लास्ट आंकड़े क्या थे? 2.99% CIP? 3% महंगाई, 12 से घटाके 3% इस सरकार ने की | आखिर महंगाई कम होती है तो उसका लाभ तो जनता को ही मिलता है, किसानों को ही मिलता है, सभी को मिलता है | अब जब MSP 5-6% बढती है तो जब इसको inflation index करो तो net उस किसान को gain होता है बजाये कि नुकसान, पर यह 10% से 6% कम नहीं हुआ है, उलटे बढ़ा है क्योंकि महंगाई को काबू में लाया गया | और आप याद करिए अर्थव्यवस्था कैसी थी 2014 में, महंगाई – double digit, ब्याज के दर आसमान छू रहे थे, fiscal deficit – scary, 4.5% के करीब और बढ़ने की संभावना दिख रही थी, हर वर्ष बढ़ते जा रही थी | भारत की current account deficit जो foreign exchange, import-export, trade imbalance और बाकी earning से calculate होता है, 4.5% current account deficit, economy 4-4.5% पर grow कर रही थी |

जब तक देश की अर्थव्यवस्था नहीं मज़बूत की जाये तब तक देश प्रगति नहीं कर सकता, मैं कितनी बिजली बना दूं, कितना कोयले का उत्पादन कर दूं, अर्थव्यवस्था जब तक ठीक नहीं होगी इस सबका लाभ नहीं ले पायेगा देश | वित्त मंत्री अरुण जेटली जी को बधाई दूंगा और मैं तो मानता हूँ कि आज़ाद भारत के सबसे सक्षम और सबसे सफल वित्त मंत्री अगर कोई रहे हैं तो अरुण जेटली जी रहे हैं जिन्होंने आपके ब्याज के दर अच्छी मात्रा में घटाए, जिन्होंने महंगाई को एकदम काबू में रखने में सफलता पाई | वित्तीय घाटा, fiscal deficit हर साल बजट के हिसाब से पिछले साल 3.5%, इस साल 3.2% पर कंट्रोल किया है, current account deficit 4.5% से घटके .7%, शायद इस साल में current account surplus हो जायेगा, growth 7% से ज्यादा लगभग तीनों वर्ष में रही है |

एक प्रकार से एक मज़बूत अर्थव्यवस्था जिसके आधार पर देश तेज़ी से प्रगति कर सके, और एक ऐसा ढांचा – फ्रेमवर्क बनाया जिसमें हम एक साल, दो साल, चार साल नहीं पर सालों साल तक, for decades the country can plan for a prosperous growth for prosperity for its citizens. Of course, जितने काम और आगर यह understated manner इस सरकार ने काले धन, भ्रष्ट्राचार के खिलाफ लिए हैं चाहे वह बेनामी संपत्ति का कानून हो, चाहे विदेशी बैंकों में जो कई भारतियों का पैसा पड़ा है उसको वापिस लाने का काम हो, जिस प्रकार से विमुद्रीकरण के कारण इस देश ने realize किया कि भाई अच्छा है कि अब formal economy से जुडो, ईमानदारी से wages pay करो, ईमानदारी से हमारे कामगारों की भी तनख्वाह जाये, उनको social security मिले, health benefits मिलें, व्यापार पर जो टैक्स लगता है वह टैक्स pay  किया जाये | एक multifarious benefits of demonetization जो इस देश ने देखें हैं और उसके कारण GST सफल होने की संभावना बढ़ी है | आखिर अगर आधी बड़ी संख्या में economy informal रहती तो GST सफल नहीं हो पाता, जितना ज्यादा हम लोगों को formal economy से जोड़ेंगे उतना ज्यादा GST के rates भी कम किये जा सकते हैं, उतना ज्यादा fair competition होगा |

आपने कहा जैसे transformer में 28% है, अब अगर सबलोग transformer पर अपने taxes ईमानदारी से भरते हैं तो यह GST Council उसपर पुनः विचार कर सकती है | आज tax के rates केंद्र सरकार नहीं तय करती है यह ability आज राज्यों के पास चली गयी है, आखिर GST Council में हम तो एक ही member है, 29 states have their representatives | और वह सामूहिक तय करते हैं कि tax का rate क्या होगा | आज हम केंद्र सरकार में नहीं बोल सकते हैं यह 28 को 18 करदो या 12 करदो, तो GST Council सभी सामूहिक स्टेट जिसमें हर पार्टी की सरकारें हैं वह तय करती हैं |

पर the good news is सबके लिए सामान्य रेट है, आखिर 28% है तो ऐसा नहीं है कि मेरे को 14 लगेगा या 16 लगेगा या 18 लगेगा और उनको 28 लगेगा, level playing field हो जायेगा, level playing field में और GST के कारण लगभग जो एक ज़माने में black to white और white to black money seamlessly flow होता था या transaction seamlessly जाते थे हो सकता है कपडा इस flag का tax-paid हो पर हो सकता है नीचे जाके जिसने यह manufacture किया उसने शायद उसपर tax न pay किया हो | हो सकता है जो दुकान में जाके जिस व्यक्ति ने ख़रीदा उसने अपने tax-paid पैसे से ख़रीदा |

The money used to flow from black to white to black almost seamlessly in the system with no control. GST will help to formalize the economy, hopefully reduce the tendency to cheat on taxes. People can then compete on quality of service and quality of goods, rather than on ability to cheat on taxes, and with that, we will be able to improve the tax collection, bring down the tax rates, bring down the cost of goods and, to my mind, the kind of reforms that this government has done in the last 3 years on the financial architecture on this country, both to bring more transparency in the system, to bring more accountability in the system, to make spending more outcome oriented, to attack black money and corruption through multifarious efforts, to finally bring GST with the unanimous approval of all political parties and all governments, which is no mean feat in this very very divisive polity that we have in this country.

I think we are poised for a very bright future going forward. Vijayji mentioned about some of the initiatives of my Ministry, I can keep talking about the power and coal sector till tomorrow morning, जब तक मेरा गला साथ दे मैं तो बात करते रह सकता हूँ, कोई कमी नहीं है चीज़ों को बताने के लिए | पर मैं समझता हूँ कि अगर संक्षेप में देखें तो आज चौबीसों घंटे आपको बिजली जिस राज्य को जितनी बिजली चाहिए वह पर्याप्त  मात्रा में पॉवर एक्सचेंज में मिल सकती है | हमने तो उसको जनता के समक्ष मोबाइल ऐप्प के माध्यम से रख दिया है, विद्युत् प्रवाह ऐप्प अगर कोई खोले तो उसमें मालूम पड़ जाता है कि अभी के समय कितने दाम पर बिजली मिल रही है हर राज्य में और यह भी मालूम पड़ जाता है कौन सी राज्य सरकारें कितनी बिजली खरीद रही हैं, उनकी shortage meet कर रही हैं |

तो अभी के समय यह 11.36 am, Rs 2.52, power is available in the whole country, anywhere in the country, whichever states wants to buy. So, there is sufficient transmission. We have expanded transmission very rapidly in the last 3 years जिससे आज किधर भी constraint नहीं है transmission में | We have added all the stressed stalled capacity जो पड़ी थी उसको लगभग 50,000 MW already commission कर दिया है जिससे पर्याप्त मात्रा में बिजली उत्पादन हो सकती है | कोयला तो मैंने बताया ही surplus है, it is becoming a excess commodity.

Focus has been through UDAY – Ujjwal DISCOM Assurance Yojana, to strengthen the hands of all the DISCOMs, मुझे पूरा विश्वास है अगले दो-ढाई वर्ष में देश का हर DISCOM profit करेगा | बिजली की खपत बढ़ते जा रही है हर वर्ष, despite the fact that we are saving a lot of electricity, particularly, through the Ujala programme जो विजय जी ने कहा, और मेरा लक्ष्य है कि 2019 तक पूरे देश में शत-प्रतिशत हम LED lights use करें जिससे आपके bills, उपभोक्ताओं के bills में 40,000 करोड़ रुपये सालाना, annual saving of Rs 40,000 crore will be the benefit to the consumers. And, the country will save nearly 10% in the power consumption, 10% of the country’s power consumption, 112 billion unit बचने की संभावना है, अनुमान है |

ऐसे ही एक एक हम कार्यक्रम कर रहे हैं उसके बावजूद 6.5% last 3 years में CAGR power consumption का growth हुआ है, उसके पहले 10 में 6.14 या 6.16% जो so-called claim किया जाता है growth years वगैरा उसको मिलाके भी 6% growth था, जो 6.5 है और अगर मैं यह ऊर्जा दक्षता जो की गयी है energy saving, उसको जोडूं तो शायद यह 9.5% growth होता, if we had not focused on energy efficiency. Of course, Prime Minister Modi feels, focus on efficiency is more important than generation. Because, after all, when you save one unit of power, you are actually generating 1.33 units of power considering the losses in the system.

और यही States जो 10-11-12 रुपये में बिजली खरीदनी पड़ती थी आज दिन भर उनको 3 के नीचे बिजली available है | महाराष्ट्र का देखें तो कल उन्होंने 286 MW बिजली खरीदी, आज 270 MW बिजली खरीदी, यह सब data आपके हाथ में है, you can monitor it 24 hours, मेरा काम पूरा आपके समक्ष रखा जाता है | I must be having some 20 mobile apps. यह अलग बात है कि अभी मीडिया ने भी देखना बंद कर दिया है क्योंकि कुछ अभी मिलता नहीं है उनको, कल कोई एक प्रेस क्लब की मीटिंग में कुछ यह आलोचना की गयी कि RTI important नहीं रही है, RTI क्या हम तो सब कुछ सामने से आपके पास data दे रहे हैं | अब मेरे यहाँ पर RTI आने लगभग ख़त्म हो गए हैं क्योंकि everything is in public domain. और अगर कोई RTI कुछ पूछता है तो मैं अपने विभाग को बोलता हूँ यह डेटा भी और एक नया मोबाइल ऐप्प बनाओ और पब्लिक में डाल दो | तो अभी कम से कम 12-14 apps और बन रहे हैं, एक line में release होंगी शायद अगले हफ्ते भी एक आ रहा है | यहाँ तक कि कोयले की खदान में जो पानी निकलता है वह पानी भी हमने कैसे इस्तेमाल किया उसपर भी हमने एक app बनाके आपके समक्ष रख दिया और उस पानी को हम process करते हैं तो test reports भी हमने उस app में डालने वाले हैं | तो मेरे अधिकारियों के ऊपर नियंत्रण आएगा कि वह गन्दा पानी नदियों में ना डालें, गन्दा पानी किसी के घर में पीने के लिए ना जाये या खेत में ना डाला जाये | In a way it brings accountability in our work.

यह जो आपने LED lamps की बात की वह भी I am sure आपने मेरे app से पढ़ा होगा figure, क्योंकि वह भी आपके सामने हर मिनट अपडेट होता है उजाला का ऐप | और अभी का figure, इस moment जब हम बैठे हैं, 24,04,95,711 bulb बीके हैं, सरकारी कंपनी के द्वारा, एक ही सरकारी कंपनी, Energy Efficiency Services Limited, with no subsidy, zero subsidy. Actually, subsidy कुछ मात्रा में project को damage करता है, नुकसान देता है | पहले सरकार LED bulb पर 100 subsidy देती थी अब subsidy से क्या होता है आप सोचिये, समझो 100 करोड़ रुपये मुझे subsidy के मिले और मुझे 100 रुपये subsidy देनी है, तो मैं एक करोड़ बल्ब भी बेच सकता हूँ ना, 100 करोड़ में 100 रुपये subsidy दी तो एक करोड़ बल्ब मैं बेच सकूँगा हर साल | Subsidy becomes a constraint on your project. हमने प्लान किया 77 करोड़ बल्ब बेचने हैं हमको 4 साल में, 5 साल का प्लान था अब मैं सोच रहा हूँ 4 में ही पूरा कर दूं – 77 crore bulbs. अब 77 crore bulbs पर 100 crore रुपये subsidy तो 7,700 करोड़ रुपये हो जाते, वह करते करते मेरे ख्याल से शायद 50 साल तक हम नहीं कर पाते | 100 करोड़ अगर हर साल मिलता तो 77 साल लगते, नुकसान किसका होता? आपका ! हर वर्ष आप 40,000 करोड़ रुपये नुकसान करते |

कभी विजय जी यह study करना चाहिए कि हमने जो यह steps लिए हैं, वह नहीं करते तो कितना नुकसान देश को होता | आखिर यह नहीं प्रोजेक्ट आता तो 40,000 करोड़ की बिजली आप लोग तो भुगते ही ना हर साल एक्स्ट्रा | और वह बिल इनको देते श्रीमानी और संजीव को हर साल, महाराष्ट्र में भी उसमें 4-5000 share का शेयर होता ही है कम से कम |

परन्तु, जब हमने पारदर्शिता से खरीदना शुरू किया तो हमको transparency से corruption ख़त्म करने को मिला, economies of scale मिली, आखिर आप 10 लाख बल्ब खरीदो या 5 करोड़ बल्ब खरीदो बेचने वाले भी scale में तो आपको concession देते हैं, सस्ता देते हैं, उनको भी manufacturing में economies of scale मिलती है | साथ ही साथ technology भी सुधरती जा रही है तो वह लाभ भी हमें मिला, तो करते करते जो बल्ब पिछली सरकार 6 लाख बल्ब देती थी, हर वर्ष यह कंपनी 6 लाख बल्ब बेचती थी – EESL, करीब 600 रुपये का इनको full cost पड़ता था, 100 रुपये subsidy करके शायद 450-500 में बेचती थी | 310 तो उनकी purchase price थी, 7W का बल्ब, अब हम खरीद रहे हैं 9W का बल्ब, यह जो 24 करोड़ हैं इसमें अधिकांश 9W के बल्ब हैं, 30% more light. और बल्ब जो लास्ट कीमत आई है कुछ 40 रुपये के आस पास आई है | 310 has become 40 | और आपने quality की बात कही, विजय जी आपको जानके ख़ुशी होगी कि जो US के Power Minister थे Secretary Dr Ernest Moniz, वह विश्व में जाते थे तो भारत के specification और उजाला प्रोग्राम का ज़िकर करते थे कि these are the best specs anywhere in the world for LED bulbs. और, in fact, 5 करोड़ बल्ब पिछले इसके पहले वाले purchase में, Phillips जो विश्व की सबसे बड़ी lighting company है, I think we all know about Phillips. Phillips ने 38 रुपये में 5 करोड़ बल्ब दिए थे प्रोग्राम के लिए, I am sure Phillips तो कम से कम quality के मामले में risk नहीं लेगा, उसका तो अंतर्राष्ट्रीय नाम बिगड़ जायेगा | आज भी Surya Roshni, Cromption, Osram, Phillips और साथ साथ में, of course, small scale वगैरा हमारे जो छोटे उद्योग हैं उनसे भी लेके |

मैं तीन दिन पहले बैंगलोर में था हमारे तीन साल के कार्यक्रम चल रहे हैं देश भर में हम जाते हैं और एक प्रकार से इसलिए जाते हैं कि अगर हम Reform कर रहे हैं, अगर हम Perform कर रहे हैं, इस देश को Transform करने के लिए तो उसका लाभ तो तभी जनता को ध्यान में आएगा जब हम उनको Inform करें हमने क्या कहा | यह मेरा नहीं है यह वेंकैया नायडू जी का coinage है जो पट-पट-पट करके निकाल लेते हैं | तो प्रधानमंत्री जी ने कहा ‘Reform to Transform’, किसी ने जोड़ा उसके साथ ‘Perform’, तो वेंकैया जी ने एक भाषण में जोड़ा but unless you inform, all your perform has no meaning.

तो उसके लिए मैं बैंगलोर गया था तो साथ ही साथ CPRI का review करने गया तो मैंने वहां आदेश दिया और exactly जो point आपने raise किया कि देश में 25 CPRI के nodal offices खोलिए, sub-offices, वहां पुर 20-20 करोड़ रुपये हम invest करेंगे हर एक में और solar panels, transformers और LED bulbs, इस तीन को test कर सकें यह facility देश में हर जगह हो और जनता भी test देख सके आके, like a tourism facility. Anybody is welcome, पत्रकारों को बुलाएँगे कि आप आके वहां देखो कैसे test होता है एक एक बल्ब जो आप खरीदते हो | और transformer में किस प्रकार की गड्बडे चलती हैं वह तो मैं साझता हूँ शायद आप लोग भी जानते होंगे जो poor quality के transformers इस देश ने अभी तक देखे हैं |

तो इन सब चीज़ों पर क्वालिटी कैसे सुधरे यह पर्सनली भी मेरी प्राथमिकता है और अब तो हमने ठान लिया है, प्रधानमंत्री ने तो आदेश दिया था कि हज़ार दिन में 15 August, 2015 को लाल किले से जब उन्होंने घोषणा की कि जो 18,500 village आज़ादी के 7 दशक बाद भी वंचित हैं बिजली से यह 18,500 गावों को 1000 दिन में बिजली पहुंचानी हैं | वास्तव में यह सबसे कठिन गाँव हैं, आखिर 7 दशक लग गए तो आप भी समझ सकते हैं, कोई पहाड़ों की चोटी छोटा गाँव बसा है, कोई घने जंगलों में बसा है, कोई left-wing extremist areas में बसे हैं, यह बड़े कठिन गावों बचे हुए थे बाकी सब जगह तो पहुँच गयी थी बिजली |

आपको बताते हुए ख़ुशी है अभी लगभग 600 दिन ही पूरे हुए हैं, सिर्फ 3,800 गावों रह गए हैं, बाकी सब पर बिजली पहुंचा दी गयी है और यह 3800 भी इस साल के अंत तक ख़त्म करने की कोशिश है which will mean atleast 4 or 5 months ahead of schedule. और 15 August, 2022 जब भारत की आज़ादी के 75 वर्ष पूरे होंगे, प्रधानमंत्री जी का आदेश है कि 2022, 15 August तक इस देश में हर व्यक्ति के सर पर छत हो, हर व्यक्ति के घर में चौबीस घंटे बिले, पानी हो, स्वास्थ्य कि सेवाएं मिलें नजदीक में, अच्छी शिक्षा हो बच्चों की, ऐसा एक नया भारत इस देश में बनाया जाये | A new India where there is prosperity and not poverty, where women are respected and don’t fear for their lives, where the youth become job creators not job seekers, where the socially and marginally deprived sections of society feel a pride of place in the country, where the farmers are able to double the income that they have now, where small industry becomes the main engine of our growth and we can truly create an India, an India where the people are happy.

And, as Pandit Deendayal Upadhyay, whose birth centenary we are celebrating this year, had said, ‘happiness doesn’t come only from economic wealth or economic growth, happiness comes from a variety of things, our family life is equally important, our social values are equally important, our tradition, our cultural ethos play an important role in our happiness. Leisure and recreation also is important.

अभी अभी मैं एक पिक्चर देख रहा था ‘हिंदी मीडियम’, उसमें एक प्रकार से दिखाया है कि अमीर से अमीर आदमी बड़े महलों में रहके शायद खुश नहीं हैं कई बार, और गरीब आदमी भी अपने जीवन में ख़ुशी कैसे ले आता है और कैसे अपने जीवन को एक satisfaction के साथ जीता है, it’s a beautiful tale of happiness. और पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का मानना था कि देश के जो resources हैं, the natural resources, the wealth of a country, उसपर पहला अधिकार गरीब से गरीब आदमी का है, the poorest of the poor has the first right on the nation’s resources. And this government stands committed to meet the aspirations of that poor person at the bottom of the pyramid, create an India which provides opportunity for every citizen of the country, an India which runs on honesty and integrity, where poverty and corruption are history, an India where every child gets quality education, has avenues for study, gets a skill development so that they can stand on their own feet, and in that larger vision. I know that I have my job cutout.

कई बार तो मुझे लगता है प्रधानमंत्री जी ने मुझे इसलिए ऊर्जा विभाग दिया क्योंकि मेरे भी पिताजी ने जब पढाई की थी तो उन्होंने स्ट्रीट लैम्प्स के नीचे अपने गाँव में पढाई की थी और पढ़ पढ़ के इंजिनियर बने और देश के लिए सेवा की, तो शायद प्रधानमंत्री जी चाहते हैं कि देश में एक भी ऐसा विद्यार्थी नहीं रहे जिसको कभी स्ट्रीट लाइट के नीचे पढना पड़े | हर एक को बिजली मिले, हर एक को चौबीस घंटे बिजली मिले और एक अच्छा नागरिक बन सके, यह उद्देश्य पूरा करने के लिए मुझे भेजा गया है, and I stand committed to do it,  probably,  not in 2022, but at least 2-2.5 years before 2022.

Thank you very much.

 

 

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