Speeches

April 25, 2018

speaking at the Felicitation of Railway Contingent representing India in Commonwealth Games 2018

श्री राजन गोयन जी, अध्यक्ष रेलवे बोर्ड अश्विनी लोहानी जी, मेम्बर स्टाफ और रेलवे स्पोर्ट्स प्रमोशन बोर्ड के अध्यक्ष श्री गायन जी, बाकी सभी अधिकारी जो रेलवे के स्पोर्ट्स के साथ जुड़े हुए हैं | शायद स्टेज छोटा है इसलिए सबको मौका नहीं मिला नहीं तो वास्तव में उनको यहाँ बैठना चाहिए था जिन्होंने दिन रात काम करके आज ये आप सबकी सफलताओं के पीछे दृढ़ संकल्प किया उन सभी को मैं नमन करता हूँ |

आज के हमारे उत्सव मूर्ति जो sportspersons ने सिर्फ रेलवे नहीं पूरे देश को और तिरंगा का गौरव पूरे विश्व में लहराया है सभी ऐसे खिलाड़ी मेडल मिला हो ना मिला हो, उन सबको मैं तहे दिल से बहुत-बहुत बधाई देता हूँ, बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूँ, भाईयों और बहनों |

मैं अभी-अभी चर्चा कर रहा था कि हम सबके लिए बहुत ख़ुशी की बात है, बहुत गर्व की बात है कि इतने सारे मेडल्स मिले, यह किताब भी देख रहा था बहुत आनंद आता है देखकर इतने मेडल कॉमनवेल्थ में इतने, इतने एशियन गेम्स में, ओलंपिक्स में | लेकिन मैं समझता हूँ कि जो हम मेहनत करते हैं, जिस लगन के साथ पूरे ढाई हज़ार, लगभग 2500 लोग शायद स्पोर्ट्स केटेगरी में आज रेलवे के साथ जुड़े हुए हैं, इन सबने जो मेहनत की है – ज़रूरी नहीं है हर एक को मेडल मिलता है – Medal is only a recognition of your talent which encourages you to do better in the future and it encourages all the others to try and aim for that medal. But I think it’s the effort, it’s your commitment, it’s the passion that you demonstrate that makes all of us extremely proud of our young sportspersons.

और मैं आप सभी को जिनको मेडल मिला उनको विशेष रूप से बहुत-बहुत धन्यवाद, बहुत-बहुत बधाई, शुभकामनाएं आगे के लिए और हमारे सभी sportspersons जो आज यहाँ पर आये हैं, जो आज यहाँ पर नहीं हैं लेकिन रेलवे में अलग-अलग काम में लगे हुए हैं आप सभी को कहना चाहूँगा कि यह जो आज का कार्यक्रम है, आज जो भी चर्चा होगी, बाहर शील्ड्स लगी हुई हैं, सब गोल्ड, सिल्वर, ब्रोंज मेडलिस्ट हैं यह एक प्रकार से सभी को encourage करने का एक मौका है – success breeds success.

जो भी सफलताएं आपको मिल रही हैं उससे आगे के लिए और सफलता पाने का मुझे लगता है संकल्प भी बनता है और हम सबमें प्रोत्साहन आता है और अगर हम सब रेलवे की व्यवस्था जो ऑफिशियल व्यवस्था है, जो स्पोर्ट्स बोर्ड की व्यवस्था है और सभी खिलाड़ी मिलकर योजनाबद्ध तरीके से सोचें आगे के लिए तो मैं समझता हूँ जो आपने कीर्तिमान कॉमनवेल्थ में पाया है | राजवर्धन जी ने सही कहा कि अगर रेलवे अपने आप में एक देश होता तो कितनी बड़ी उपलब्धि मानी जाती यह, पर आज 15 मेडल लेकर आप सबने जो हमारे को गौरवान्वित किया है मैं समझता हूँ अब से हमें प्लान करना चाहिए अगले ओलंपिक और उसके अगले ओलंपिक में कैसे हम कीर्तिमान पाएं और इसी प्रकार से देश का नाम रौशन कर सकें |

और लिमिटेशन हमारे मन में है, और कोई लिमिटेशन नहीं है, कोई सुविधाओं की लिमिटेशन हम नहीं होने देंगे, किसी प्रकार की आपको बाधाएं आयें तो उसके लिए मैं समझता हूँ सीधा गायन साहब, लोहानी जी या मैं भी अवेलेबल हैं, अगर किसी प्रकार की बाधाएं आपको तंग करती हैं इसमें | लेकिन हम सबने संकल्प लेकर इसके पीछे अगर हम टूटकर पड़ जायें – sportspersons भी, ट्रेनर्स भी, कोचेस भी, हम सबकी ज़िम्मेदारी संयुक्त रूप से हम सबकी ज़िम्मेदारी बनेगी कि हम इसको सफलतापूर्वक आगे बात को बढ़ाएं और अगले दो या तीन ओलंपिक्स को फोकस करते हुए कौन इस ओलंपिक के लिए तैयार हो सकता है, किसको हमने तैयार करना है अगले ओलंपिक के लिए, किसको तैयार करना है जैसे राठौड़ जी ने ठीक कहा फॉरवर्ड प्लानिंग करके कि और 10 साल बाद, 12 साल बाद तक कौन तैयार हो जायेगा और अभी से, फिर वह न्यूट्रीशन हो, फिजियो हो, साइकोलॉजिकल ट्रेनिंग, पता नहीं क्या-क्या लगता है, मेरे को तो आज तक लाइफ में कोई मेडल छोड़ो एक छोटा ब्रोंज का भी कुछ मिला नहीं है स्पोर्ट्स में – I was such a useless sportsperson or an athlete. But to each his own… हर एक की अपनी-अपनी शायद करियर पाथ होता है, और आपने जो करियर पाथ लिया है, जो आपने करियर पाथ लिया है वह वास्तव में हम सबको आनंद आता है कि आज भारत में स्पोर्ट्स भी एक करियर के रूप में देखा जा रहा है जो शायद पहले – और अभी-अभी कौन सी दंगल पिक्चर देखी थी? आज कल इतना ज्यादा इसके ऊपर देश का भी ध्यान गया है कि महिलाएं स्पोर्ट्स में जानी चाहिए या नहीं जानी चाहिए, क्या यह करियर बन सकता है या मार-मारकर लड़के को ग्रेजुएट बनाना है या इंजीनियर बनाना है जिससे वह स्पोर्ट्स से दूर रहे लेकिन नौकरी के काबिल बन जाये |

यह जो एक सोच में परिवर्तन अब पूरे देश में आया है, जो जागरूकता आई है कि स्पोर्ट्स की भी अहमियत है और मैं समझता हूँ महिलाओं ने जो हम सबको वास्तव में करके दिखाया that’s truly amazing. मुझे बताया गया है कि क्रिकेट में, हॉकी में, वेट-लिफ्टिंग में लगभग भारत की पूरी टीम इंडियन रेलवेज से जाती है, लेडीज टीम जो जाती है |

It’s truly something that makes us very-very proud. पर हम कैसे इसको एक holistic approach दें | मैं समझता हूँ अगर लोहानी जी आप कुछ sportspersons के साथ भी कुछ लोग engage करें और इनकी feedback लें, कई बार हमको शायद ध्यान नहीं आएगा जो day-to-day problems हैं, जो ज़मीन पर जो समस्याएं लोगों को face करनी पड़ती हैं | Let’s have more interaction, it could begin with these 48 participants in the Commonwealth Games. We could go beyond that into different zones and get a feedback.

किसी प्रकार से इनकी भी मन की बात हम तक पहुंचे और उसमें से एक holistic comprehensive plan बने कि कैसे स्पोर्ट्स को और ज्यादा तेज़ गति से हम प्रोत्साहन दे सकें, कैसे इसको और आगे चलकर भारत का ही नाम नहीं रोशन करें लेकिन वास्तव में एक प्रकार से विश्व की one-sixth population जिस देश में है वह आज भी एक-एक, दो-दो मेडल के लिए तरसे यह मैं समझता हूँ किसी के लिए भी acceptable situation नहीं है |

तो अगर हम सब संयुक्त रूप से प्रयास करें और अब हमारे पास इतने तेजस्वी युवा मंत्री हैं खेल और स्पोर्ट्स को प्रमोट करने के लिए तो इनका सहयोग लें, और शायद पहली बार हुआ होगा कि स्पोर्ट्स मिनिस्टर अपने आप में मेडल विनर हैं ओलंपिक्स में और हर टूर्नामेंट में | You cannot get a better opportunity to promote sports, and I must compliment you Rajyavardhanji यह खेलो इंडिया जो आपने पूरे देश में जिस प्रकार से इसको पूरे देश में इसका प्रभाव क्रिएट किया है इसको और ज्यादा तेज़ गति दीजिये | उसमें रेलवे से आपको अगर किसी प्रकार की या मेरे पास कोल का विभाग भी है उससे कुछ समर्थन मिल सके तो हम पूरी तरीके से तैयार हैं |

वैसे कोल का कार्यक्रम नहीं है पर आपको जानकर ख़ुशी होगी कि कोल इंडिया ने झारखंड सरकार के साथ मिलकर लगभग 100 करोड़ रुपये की कमिटमेंट स्पोर्ट्स को प्रमोट करने की दी है जिसमें हम एक यूनिवर्सिटी सेट-अप कर रहे हैं | रांची में नेशनल गेम हुआ था कुछ वर्षों पहले तो करीब दो वर्ष पहले हमारे एक सीएमडी ने बताया कि वह पूरे स्टेडियम सब ख़राब होते जा रहे हैं, बिखरते जा रहे हैं | कोई upkeep, maintenance वगैरा नहीं हुआ, कई वर्षों से नेशनल गेम्स के बाद रांची में कोल इंडिया ने उसको adopt करके वहां पर लगभग 13 stadiums की मरम्मत की, उन सबको ठीक किया और वहां पर शायद 8 या 11 स्पोर्ट्स में यूनिवर्सिटी बनाई जा रही है जिसमें ट्राइबल बच्चे, खासतौर पर आदिवासी बच्चों को जो आपने अभी कल्पना रखी कि बहुत कम आयु से उनको सेलेक्ट करके एक पारदर्शी तरीके से सेलेक्ट करके उनको बचपन से ही उनकी पढ़ाई-लिखाई का भी ध्यान रखा जायेगा और साथ में न्यूट्रीशन का ध्यान रखा जायेगा, स्टाइपेंड दिया जायेगा, पूरे रहने का रेजिडेंशियल व्यवस्था शुरू हो गयी है, मेरे ख्याल से लगभग 260 या 300 बच्चे आलरेडी हैं इस वर्ष उसको बढ़ाने वाले हैं | Ultimately, शायद 1400 बच्चों की एक sports university बनाने की कल्पना है रांची में |

और इसी प्रकार से अभी-अभी बताया गया कि रेलवे ने भी academies अपनी अलग-अलग जगह पर शुरू की है, नयी academy archery की भी शुरू की है | तो इन सब चीज़ों को लेते हुए कैसे रेलवे लिमिट बने देश में स्पोर्ट्स को, खेलों को प्रोत्साहन देने में यह मैं समझता हूँ हम सबकी ज़िम्मेदारी रहेगी | और वैसे मुझे पता नहीं आप में से किसी को मेरी तरफ से वह एग्जाम वॉरियर्स किताब मिली है कि नहीं पर अगर आपने वह एग्जाम वॉरियर्स पढ़ी हो जो माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने हाल में ही बच्चों के लिए लिखी थी जिसमें बच्चों को बताने की कोशिश की गयी कि एग्जाम में सिर्फ पास होना, फेल होना, अव्वल रैंक लाना या वही एक सक्सेस का मापदंड नहीं हो सकता है | आपको मेहनत करनी है, लगन से पढ़ाई करनी है लेकिन सिर्फ रिजल्ट की चिंता नहीं करनी, result will be a natural corollary to your efforts.

और उसमें खेलों का भी ज़िक्र किया गया है, उसके अलग-अलग मंत्र मोदी जी ने दिए हैं उसमें एक मंत्र है, बारहवां मंत्र है, जिसमें लिखा है ‘जो खेले वह खिले’ | और वास्तव में अगर हम सब युवा-युवतियों को खेलों के प्रति और रुचि दिलवा सकें, उनको खेलों में इन्वोल्व कर सकें सेहत भी अच्छी रहेगी, मैं समझता हूँ उससे दिमाग भी खुलेगा to new possibilities, कई hidden talent जिसका कभी परिचय हमें मिलेगा ही नहीं उसकी जानकारियां आएँगी | और आगे चलकर स्पोर्ट्स भी एक महत्वपूर्ण अंग है देश की पूरी व्यवस्था का यह बात भी बच्चों तक पहुंचेगी |

तो मैं समझता हूँ हमारे रेलवे के भी कई स्कूल चलते हैं उसमें भी हम कैसे स्पोर्ट्स को और प्रोत्साहित करें उसपर भी हम थोड़ी चिंता करें | स्वाभाविक है कि ऐसे कार्यक्रम में जिनको मेडल मिला है, जिन्होंने मेहनत की और पूरे परिश्रम से सफलता पाई उन सबके लिए railways in addition to the normal awards that are given as per the policy, कुछ न कुछ अवार्ड देने की भी चेष्टा करती है तो रेलवे बोर्ड ने और सबने मिलकर ऐसा तय किया है कि सभी जो गोल्ड विनर्स हैं उनको 25 लाख रुपये का इनाम, जो सिल्वर विनर हैं उनको 20 लाख रुपये का इनाम और जो ब्रोंज विनर हैं, चार हैं शायद, उनको 15 लाख रुपये का इनाम |

पर यह तो एक immediate winners के लिए एक प्रकार से परंपरा चले आ रही है, इसमें फिर एक बार हम उसको जारी रख रहे हैं लेकिन जो ज्यादा बड़ा विषय मेरे समक्ष पिछली बार जब कुछ sportspersons मेरे पास आये थे तब रखा गया था वह था promotion avenues का | और अभी-अभी राठौड़ जी ने भी इसका ज़िक्र किया, मुझे लगता है लगभग अभी तक ऐसा रहा है कि किसी को पद्मश्री मिला तो हमने ऑफिसर रैंक में प्रमोट कर दिया | और शायद उसी श्रेणी में हमारी आज की विजेता मीरा चानू भी स्वाभाविक रूप से मैं समझता हूँ immediately promotion के लिए कल उनका प्रमोशन का ऑर्डर निकल आएगा कि वह ऑफिसर ग्रेड में मीरा जी प्रमोट होंगी |

लेकिन I want to go beyond that. I personally believe promotion cannot be basis only a success or failure in a particular event or getting a particular recognition.. कभी द्रोणाचार्य अवार्ड मिला है या अर्जुन अवार्डी है उसके बेसिस पर मात्र अगर प्रमोशन किया जायेगा तो मैं समझता हूँ थोड़ा अनफेयर होगा | अभी-अभी रेखा जी मुझे बता रही थी कि हमारी छोटी बहन जो वास्तव में ओलंपियन है और शायद पिछले ओलंपिक्स में ही मेडल लेकर आती, उनका घुटना डैमेज हो गया या कुछ परेशानी हुई घुटने में तो शायद वह ओलंपिक्स में पूरी तरीके से भाग नहीं ले सकी | अब क्या वह मापदंड बनेगा कि उनको उधर मेडल नहीं मिला या यह मापदंड बनेगा कि उन्होंने जो परिश्रम किया, जो मेहनत की, जो उनका संकल्प था जो दिन और रात ट्रेनिंग की वह मापदंड बनना चाहिए या मेडल मिला या नहीं मिला वह मापदंड बनना चाहिए | मैं आप सबके समक्ष यह सवाल उठा रहा हूँ |

मुझे अभी बताया गया कि शायद आज के कोचेस में कोई भी ऑफिसर ग्रेड का कोच नहीं है, क्यों? क्योंकि शायद जिन दिनों वह सपोर्ट खेलते थे उन दिनों उनको कोई ऐसा पद्मश्री वगैरा कोई बड़ी पद्म न मिली हो, वैसे रेलवे के लिए बड़ी गर्व की बात है कि 21 पद्मश्री हमारे यहाँ से गए हैं रेलवेज से, sportspersons, 21 awardees who have got Padma Shri from here.

मुझे लगता है अब तो और ज्यादा आगे जाने की बारी आ गयी है, अब पद्मा भूषण और विभूषण के लिए हमने aim करना चाहिए | पर ऐसा न हो जाये कि फिर डिमांड आ जाये कि पद्मा विभूषण मिला तो मेम्बर रेलवे बोर्ड बनाया जाये सीधा | लेकिन मैं सोचता हूँ और मैं आप सबसे दरख्वास्त करता हूँ कि within the next 30 days, we should come out with a promotion policy which should be largely objective, but will certainly have a subjective element also, जिसमें we will recognize talent, we will recognize hard work, we will recognize effort, we will of course recognize medal winning and all the accolades that our sportspersons have got.

But we will ensure that everybody who has contributed – he could be a trainer, he could be a coach – after all, they were also once upon a time sportspersons in the railways. Today, there has been a demand that we should depute them to sports authority that means they are certainly very good, and if they are very good just because during their sporting years they could not become an officer I think should not be a deterrent that the coaches cannot become officers.

So, let’s create a policy where everybody gets a chance. And recognize the effort that each one puts in. I am sure this will also be one big incentive so that people can continue to persevere even though they may not win a medal in one or two or three games. They will continue to persevere to create other medal winners in the form of trainers or physios or coaches, or whatever other duties are given. And let us inculcate the opportunities that have been missing for so many years for sportspersons to go higher and higher up the ladder.

I think आपमें से कुछ पहचाने हुए चेहरे उस दिन मेरे पास आये थे जिस दिन यह विषय निकला था और तबसे ही मेरे मन में यह चिन्ता थी कि यह क्यों नहीं हो रहा है, मैंने शायद पहले भी एक बार यह विषय उठाया था | पर आज यह निर्णय हो गया है 25 अप्रैल है, 26 मई हमारी सरकार को 4 वर्ष पूरे होते हैं उस दिन नयी promotion policy sportspersons की announce हो जानी चाहिए और सभी को मौका कैसे मिले और अधिकांश लोग जो परफॉर्म करते हैं बहुत अच्छी तरीके से उनको मौका मिले | और इसमें कोई कोटा वगैरा रखने की ज़रूरत नहीं है, कोई मुझे Announce करने की ज़रूरत नहीं है इतना प्रतिशत होगा, इतना नहीं होगा, यह वह | यह natural course में effort and success based or a combination of various factors से तय किया जाये, इसको Railway Sports Authority Board या Sports Ministry के साथ consult करके इसको बनाया जाये |

इसी प्रकार से कई requests मेरे पास आती हैं कि कुछ अफ्सर – for variety of reasons – या कुछ कर्मचारी, स्पोर्ट्स के कर्मचारी कोई और PSU ज्वाइन करना चाहते हैं या कोई और स्टेट गवर्नमेंट ज्वाइन करना चाहते हैं | और मुझे पता चला कि उसमें क्योंकि bond sign किया होता है, हमने ट्रेन किया है और उसके बाद हम छोड़ना नहीं चाहते हैं तो काफी दिक्कतें आती हैं उस ट्रान्सफर में | मैं समझता हूँ उसको भी थोड़ा Simplify करिए, अगर हमने ट्रेन किया और उसके बाद वह कोई और मिनिस्ट्री में जा रहे हैं, कोई और स्टेट गवर्नमेंट या पीएसयू में जा रहे हैं तो एक प्रकार से देश की सेवा कर रहे हैं |

अब क्या माध्यम बनाना चाहते हैं उसमें मैं समझता हूँ हमें बाधा नहीं डालनी चाहिए, मैं चाहता हूँ कि हमारे सब sportspersons रेलवे में रहे, रेल में सेवा करें, हम जितना ज्यादा कर सकते हैं हम अपने sportspersons के लिए करें, लेकिन फिर भी कोई अगर जाना चाहे जिसकी पारिवारिक समस्या होती है, कोई अपने स्टेट जाना चाहता है, कोई और PSU better opportunity देती है तो जब तक वह सरकारी व्यवस्था में ट्रांसफर होते हैं state government, state PSU, central PSU, other Ministry, मैं समझता हूँ हमने उसमें बाधा नहीं डालनी चाहिए इसकी भी कुछ न कुछ एक simplified policy आप बनाएं तो अच्छा रहेगा |

तो मैं समझता हूँ आज के लिए enough या कुछ और major demand pending   है? But, truly in conclusion, a big-big congratulations to all the winners of medals in the Commonwealth Games, a very big congratulations to all of you who participated. मैं अभी-अभी पूछ रहा था कि इसमें तो कई लोग मुझे बहुत आयु में छोटे दिख रहे हैं, यह वास्तव में Commonwealth Games जाकर आये हैं क्या? हमारे लिए I think it is a matter of pride कि इतने यंग आयु के हमारे नौजवान युवा-युवती देश का नाम रोशन कर रहे हैं | हर एक को मेरी बधाई, शुभकामनाएं आगे के लिए |

And as Walt Disney had said, ‘All our dreams will come true if we have the courage to pursue them.’ And I know that each one of you has the courage to pursue your dreams. I wish you all the best in all your endeavors.

Thank you.

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