Speeches

January 16, 2019

Speaking at Inaugural Function of All India Conference on Railway Security, in New Delhi

.. के नेतृत्व से प्रोत्साहन मिलता है, जिनके नेतृत्व से और तमन्ना बढ़ती है कि अच्छा काम करे ऐसे सन्मान्य श्री राजनाथ सिंह जी; मेरे बड़े भाई,  मित्र और हमारे वरिष्ठ नेता कम्युनिकेशन मिनिस्टर, रेल मिनिस्टर श्री मनोज सिन्हा जी; रेलवे बोर्ड के नए चेयरमैन श्री विनोद कुमार यादव जी, डीजी आरपीएफ श्री अरुण कुमार जी; सभी मेंबर्स, अधिकारीगण रेलवेज के, आरपीएफ के, अलग-अलग राज्यों से आये हुए अधिकारीगण और प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के मेरे बंधु मित्र, भाईयों और बहनों।

वास्तव में बड़ा अच्छा सुनहरा अवसर है आप सबसे मिलने का, समझने का कि ज़मीनी हकीकत क्या है, किस प्रकार से हम और अच्छा काम कर सकते हैं। मैं अभी-अभी अरुण जी को कह रहा था देखता हूँ मैं बीच में किसी और समय आकर आपसे इंटरैक्ट करना चाहूंगा तो इसलिए मैं अपनी बात को कुछ ही शब्दों में करूँगा, माननीय गृह मंत्री जी के अलग कार्यक्रम है। आज कैबिनेट थोड़ी लम्बी चली इसलिए हमें आने में विलंभ हो गया उसके लिए हम माफ़ी चाहते हैं।

लेकिन एक-दो बातें ज़रूर रखना चाहूंगा, एक तो अनुभव मैंने अभी कैबिनेट में भी शेयर किया। कल रात को मैं 11 बजे के शो में Uri – A Surgical Strike देखने गया था। कल मंगलवार था, आज वर्किंग डे है, 11 बजे के शो में multiplexes में मैंने लगभग 5-7 सालों में even on a weekend कभी भरा हुआ हॉल नहीं देखा। कल पांचवा दिन था पिक्चर का, पांचवे दिन रात के 11 बजे के शो में पूरा मल्टीप्लेक – और मेरे ख्याल से यह पीवीआर का चाणक्यपुरी में अगर आपने देखा है तो कफी बड़ा है, must be having at least 4-500 seats. चकाचक भरा हुआ हॉल, और एक-एक सीन के ऊपर जिस प्रकार से तालियां बज रही थी वहां पर, जो उत्साह था जनता में, जब जय हिन्द का नारा बोला जाता था जिस प्रकार से लोगों में एक ऊर्जा आती थी और जब फिल्म ख़त्म हुई जिस प्रकार से खड़े होकर सबने ताली बजाई मैं समझता हूँ अपने आपमें आप सबके लिए, हमारे नौजवानों के लिए और आप सब भी देश के लिए अपना बलिदान करने के लिए तट पर रहते हैं आप सबके लिए और हम सब देशवासियों के लिए इससे बड़ा सम्मान नहीं हो सकता है कि हमारे जवान, हमारे पैरामिलिटरी फोर्सेज, इनके प्रति यह भाव देश में रहे, देश में बढ़े, देश सम्मान करे। और यह वास्तव में आपके बलिदान, आपके काम का प्रतीक है कि 11 बजे के शो में फुल पैक्ड हाउस खड़े होकर ताली बजाये यह मैं समझता हूँ आप सबकी शौर्य काम का, आप सबकी वीरता का एक प्रकार से सम्मान है।

And I compliment all of you for having taken up this job in the first place. सरल काम नहीं है, आलोचना भी बहुत होती है, अलग-अलग प्रकार की आलोचना होती है कि कई जगह काम ठीक से नहीं होता है, कम होता है, ज़्यादा होता है। आलोचक अपना काम करते रहेंगे, मैं समझता हूँ हमने खासतौर पर जो उच्च स्तरीय अधिकारी हैं जिनको नेतृत्व करना है पूरी आर्गेनाइजेशन का। हमें आलोचना से डरना भी नहीं चाहिए और डिस्ट्रैक्ट भी नहीं होना चाहिए, आलोचना से कुछ न कुछ सीखने को मिले उतना सीखना चाहिए लेकिन अपना जो काम है, अपने काम के प्रति जो जैसे मनोज जी ने कहा संवेदनशीलता रहनी चाहिए जनता के प्रति, यात्रियों के प्रति।

और किस प्रकार से जीआरपी हो, स्टेट पुलिस हो, आरपीएफ हो मिल जुलकर काम करके और यात्रियों को एक सुरक्षित माहौल दें, सुरक्षित यात्रा करने के लिए एक sense of confidence create करें इसके ऊपर अगर आज आप लोग चर्चा करते हैं, आगे की दिशा निर्धारित करते हैं कानूनी बदलाव हो नहीं हो, स्टेट पुलिस करे, आरपीएफ करे यह तो technicalities हैं। एक बार आप सबने मन बना लिया कि हमको मिल जुलकर आउटकम अचीव करना है फिर मैं समझता हूँ कानून आड़े कभी नहीं आता है।

और वैसे तो आप सब अच्छी तरह जानते हैं कि आउटकम कैसे लाना और उस आउटकम लाने में कभी न कभी थोड़ा बहुत दिल में जब तक वह चेष्टा न हो, दिल में जब तड़प नहीं हो कि मुझे पकड़ना है, मुझे चोरी रोकनी है, मुझे महिलाओं के, बच्चों की सुरक्षा करनी है, उनके प्रति जो गलत काम हो रहे हैं उसको रोकना है। और मैं बधाई दूंगा अभी-अभी जैसे बताया रेखा मिश्रा का किस्सा, उन्होंने लगभग 900 मिसिंग बच्चों को बचाया है – 900 is not a small number for one team to do.

आरपीएफ कांस्टेबल राज कमल यादव ने पीछे एक जान बचाई महिला की मुंबई में कांजुरमार्ग स्टेशन में जो लगभग ट्रेन के नीचे गिर रही थी वह गैप के अंदर और उसने presence of mind दिखाकर उनको निकाला। इसी प्रकार से हमारी अलग-अलग महिलाओं की स्क्वॉड्स भैरवी, वीरांगना, शक्ति, अलग-अलग ज़ोन्स में बेमिसाल काम कर रहे हैं। और मैं समझता हूँ यह जो पिछले वर्ष 2018 में जिस प्रकार से महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए आप सबने जो काम किया, जो मेहनत की वह वास्तव में बधाई का पात्र है। And I would believe कि यह continuous process रहना चाहिए, एक हमने उसको एक फोकस दिया पिछले साल पर इस फोकस को ज़रा भी हटाना नहीं चाहिए।

और जैसे मनोज जी ने कहा पहले 6000 स्टेशन हर स्टेशन पर लगेंगे सीसीटीवी कैमरा, अगले तौर पर जब हम, और वाई-फाई तो हम लगभग 3-4 महीने में हर स्टेशन पर लगा देंगे जिससे कम्युनिकेशन निंबल हो जाये, फ़ास्ट हो जाये। अगले चरण में हम सभी 12,000 ट्रेन्स में सीसीटीवी का जाल बिछाना चाहते हैं। तो हर ट्रेन में भी सीसीटीवी कैमरा पूरा रिकॉर्डिंग करें, हर घटना, हर व्यक्ति जो आता है और फिर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ जोड़कर कैसे हम फेस रिकग्निशन, एब्नॉर्मल मूवमेंट इन सबको साइबर क्राइम का भी आपने ज़िक्र किया सेल शुरू किया है।

मैं अभी-अभी ट्रेनिंग मैनुअल्स देख रहा था काफी कुछ बल दिया गया है आधुनिकीकरण को, आधुनिक टेक्नोलॉजीज को और मुझे ख़ुशी हुई यह देखकर कि आपने इसपर फोकस किया है। और जो भी हमारे यहाँ पर अधिकारी हैं ट्रेनिंग के मैं आपसे दरख्वास्त करूँगा ट्रेनिंग कोई डेडएन्ड जॉब नहीं है, अगर मेरा बस चले तो जो बेस्ट ऑफिसर्स हैं हमारे रेलवे के या सरकार के उनको मैं ट्रेनिंग में डालना चाहूंगा क्योंकि आप अकेले व्यक्ति हो जो सबसे ज़्यादा इम्पैक्ट कर सकते हैं रेलवे के काम में या अलग-अलग संस्थाओं के काम में। As they say, you train the trainer और फिर वह ट्रेनर जितने लोगों को ट्रेन करेगा उतना ज़्यादा हम सबके काम में और अच्छा काम मिलेगा और अच्छा आउटकम मिलेंगे।

तो मैं समझता हूँ ट्रेनिंग पर और बल दिया जाये, एक निर्णय लिया था, I hope you are implementing it कि हर साल दो हफ्ते कम से कम हर हमारे जितने 75,000 के करीब लोग हैं आरपीएफ में सबका कंटीन्यूअस लर्निंग, कंटीन्यूअस ट्रेनिंग प्रोग्राम minimum two weeks हर वर्ष होना चाहिए, एक चरण में हो दो चरण में हो वह सब आप मोडलिटीज़ करें। लेकिन मुझे लगता है हम ट्रेनिंग पर बल दें, आधुनिक टेक्नोलॉजीज लाएं अपने काम में और इसमें कोई हमें सब कुछ ध्यान में आएगा ऐसा नहीं है, मैं समझता हूँ आप सब हमसे ज़्यादा जानते हैं कि कैसे हम क्राइम को प्रिवेंट भी कर सकते हैं और फिर लोग कुछ गलत काम करें तो पकड़ भी सकते हैं।

और मैं चाहूंगा आप सब आज की भी कांफ्रेंस है लेकिन आगे भी इसमें सबकी सहभागिता हो, और सब मिलकर आगे की दिशा निर्धारित करें कैसे हम भारतीय रेल को – of course, one can argue कि crime-free या zero तो कभी होता नहीं है, पर एक aspirational goal ज़रूर zero tolerance का होना चाहिए। अभी-अभी बताया गया body cameras वगैरा के बारे में, actually body cameras हम भ्रष्टाचार के विरुद्ध भी बहुत अच्छा उपयोग कर सकते हैं। इसका आप प्रचार करिए कि हम body cameras के माध्यम से अगर कोई रिश्वत देने की कोशिश करे हमें तो हम उसको पकड़वाएंगे और हमारे पास सबूत होगा। और हम रेलवेज में कुछ लोग भेजें जो रिश्वत देने की कोशिश करे और अगर आरपीएफ ने, कांस्टेबल ने कंप्लेंट नहीं की तो दूसरी तरफ से पकड़ा जायेगा।

तो दोनों तरफ से हम भ्रष्टाचार को रोकने के लिए नए-नए तरीके भी ढूंढ सकते हैं। तो मेरा मानना है कि अगर हम सब मिलकर एक परिवर्तन लाने की कोशिश करें एक नयी भावना से इस पूरे हमारे काम को सुनिश्चित करें, काम का तरीका बदलें तो आगे आने वाले दिनों में रेल यात्रा को सबसे सुरक्षित यात्रा बनाने का हमारा जो लक्ष्य है, और aspiration has zero tolerance to crime, उसमें हम सफल होंगे ऐसी मेरी आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

आप सबने देश की सेवा में अपना, लगभग हम सब यहाँ पर शायद 30 वर्ष से अधिक सर्विस वाले व्यक्ति इकट्ठे हुए हैं, आपने अपना जीवन का अमूल्य समय देश की सुरक्षा के लिए, यात्रियों की सुरक्षा के लिए और देश की सेवा में दिया इसके लिए आपका और आपके सभी के परिवारों का भी मैं बहुत-बहुत धन्यवाद करना चाहूंगा। मकर संक्रांति अभी-अभी कल हमने मनाई है मकर संक्रांति, पोंगल, लोहड़ी, जिस देश में नया वर्ष अलग-अलग प्रकार से मनाया जाता है और कुंभ भी कल ही प्रारंभ हुआ है।

कुंभ में भी आपने बहुत बढ़िया व्यवस्थाएं बनाई हैं जो मैंने रिव्यू किया था उसके हिसाब से कुंभ की भी व्यवस्थाएं शायद अत्याधुनिक हैं, पहली बार इतनी अच्छी व्यवस्था पहले से सुनिश्चित की गयी है। और जैसा कहते हैं कुंभ तो वास्तव में, और इसमें ज़्यादा आध्यात्मिक तो माननीय गृह मंत्री जी हैं, लेकिन कुंभ की शुरुआत हुई थी जब मंथन हुआ और उस मंथन से अमृत चार जगह पहुंचा उससे कुंभ का आरंभ हुआ था। तो आज आपका भी यह मंथन दिन भर की कांफ्रेंस कुछ अच्छे pearls of wisdom हमें दे इस अपेक्षा के साथ मैं आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूँ।

 

 

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