Speeches

October 31, 2018

Speaking at Run for Unity, in New Delhi

मेरे सहयोगी श्री अश्विनी लोहानी जी, सभी बोर्ड के मेंबर्स, वरिष्ठ अधिकारी, हमारे रेल परिवार के सभी सहयोगी, मीडिया के मित्र, भाइयों और बहनों ।

आज भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल को शायद 70 साल बाद आज़ादी के सही मायने में श्रद्धांजलि देने के लिए रन फॉर यूनिटी में हम सुबह एकत्रित हुए हैं। आगे चलकर 10 बजे सन्माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के कर कमलों द्वारा विश्व की सबसे ऊँची स्टैचू मूर्ति 182 मीटर की,182  meters,की जो शायद न भूतो न भविष्य के रूप में श्रद्धांजलि के तौर पर सरदार वल्लभ भाई पटेल को एक प्रकार से इतिहास में इम्मोर्टलाइज़ करने के लिए आज उसका अनावरण किया जाएगा माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा, देश को समर्पित किया जाएगा।

और मैं समझता हूँ हम सबके लिए बहुत गर्व की बात है कि जो भारत की एकता के सूत्रधार हैं, 550 से अधिक छोटे-छोटे राज्य देश में फैले हुए थे उन सबको जोड़कर जो भारत को एक बनाया और मैं समझता हूँ भारत की एकता के लिए, भारत की अखंडता के लिए, हम सब को शांति मिले और शांति से भारत देश आगे प्रगति करे, तेज़ गति से विकास करे उसके लिए जो संकल्प सरदार वल्लभ भाई पटेल का था, उसके लिए जो सैक्रिफाइसिज़ सरदार वल्लभ भाई पटेल ने की चाहे वह अपने व्यक्तिगत पारिवारिक सैक्रिफाइस हो, अपने कारोबार की हो, अपने प्रोफ़ेशन की हो और फिर चाहे वह प्रधानमंत्री के पद का त्याग क्यूँ न हो सभी त्याग करते हुए सरदार वल्लभ भाई पटेल ने एक नई दिशा दिखाई देश को।

और मैं समझता हूँ यह सही मायने में आज जो नेशनल यूनिटी डे के रूप में कई वर्षों से हम मना रहे हैं लेकिन एक श्रद्धांजलि जो उनको मिलनी चाहिए थी, उनका नाम जो अमर रहना चाहिए था, जो एक प्रतीक के रूप में आज यह स्टैचू देश को इतने कम समय में, मात्र पाँच वर्षों में बनी है। और मैं नहीं समझता हूँ कि हम में से कोई भी रेलवे का कर्मचारी इस बात को नज़रअंदाज कर सकता है कि 182 मीटर की स्टैचू, इंजीनियरिंग मार्वल है यह। आप सब, हम सब बनाते हैं, इंजीनियरिंग के काफ़ी काम करते हैं लेकिन ऐसा इंजीनियरिंग मार्वल और बनाना आसान नहीं था। बनाने के समय कठिनाइयाँ बहुत आयी, उसको स्टेबल बनाना, सुरक्षित बनाना, शायद130-32 मीटर हाइट पर व्यूइंग गैलरी है 200 लोगों की। फ़ोटोज़ जो देखी हैं मैंने और कल टेलीविज़न पर बहुत ही सुंदर उसकी स्कल्पचर, उसका आर्किटेक्चर बना है।उनके जो शिल्पकार हैं उस स्टैचू के उनको अभी-अभी टैगोर अवार्ड से भी सम्मानित किया गया हाल ही में।

और मैं समझता हूँ जब हम आज यह रन फॉर यूनिटी में भाग लेंगे तो एक प्रकार से हम सबको स्मरण भी आएगा जो त्याग हमारे सभी नेताओं ने आज़ादी की लड़ाई में दी। माननीय प्रधानमंत्री कई बार कहते हैं कि हम में से अधिकांश लोग शायद आज़ादी के बाद पैदा हुए हैं तो हमें देश के लिए मरने का तो मौक़ा नहीं मिला लेकिन देश के लिए जीने का अवसर हम सबके पास है और उसमें देश के निर्माण करने का भी अवसर हम सबको मिला है। तो हम सब इस देश को आगे लेकर जाएं, इस देश के विकास और प्रगति के शिल्पकार बनें।

सरदार वल्लभ भाई पटेल ने देश को आज़ादी दिलाई। महात्मा गांधी जी के सहयोगी थे, निकट सहयोगी थे, श्रद्धालु थे उनके, उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर पूरी आज़ादी की लड़ाई लड़ी उन्होंने। और एक प्रकार से आज इस स्टैचू ऑफ़ यूनिटी के द्वारा सिर्फ़ एक उच्च महान जीवन को हम श्रद्धांजलि नहीं दे रहे हैं, इतिहास के पन्नों में भी और उनकी गुणगान हो, राष्ट्रीयता का जब भी एहसास हो तो सरदार वल्लभ भाई पटेल हम सब के स्मरण में आएँ। और एक प्रकार से आध्यात्मिक मूल्यों के भी सरदार वल्लभ भाई पटेल एक सिंबल रहे, एक प्रकार से उनका जीवन आध्यात्मिकता के साथ जुड़ा रहा।

और मुझे पूरा विश्वास है उनकी दूरदर्शी कि जब तक देश एक नहीं होगा, जब तक यह सब प्रिंसली स्टेट्स को हम जोड़कर भारत को एक नहीं बनाएँ उसका एहसास हम सबको है। और आप इमैजिन करिए हमारी रेलवे जैसी संस्था जो एक प्रकार से देश को जोड़ती है, पूरे देश भर में फैली हुई है, कश्मीर से कन्याकुमारी तक जाती है, ईस्ट और वेस्ट को जोड़ती है अगर इसको 550 प्रिंसली स्टेट्स के थ्रू जाना पड़ता, अगर इसको हर स्टेट की परमिशन ले लेकर गुज़रना पड़ता तो मैं नहीं समझता हूँ भारतीय रेल भी भारतीय रेल के रूप में काम कर सकती थी। तो हम सबके लिए ख़ासतौर पर रेल के सभी परिवार के सदस्यों के लिए जो अपने आप में देश को जोड़ने का एक बहुत महत्वपूर्ण काम करती है, सौभाग्य की बात है70 से अधिक स्थानों में आज रेलवे ने रन फॉर यूनिटी का कार्यक्रम रखा है।

प्रधानमंत्री जी ने कहा है जो खेले वह खिले, और यह कोई आज की सोच नहीं है। मुझे याद है आज भी 2013 में जब स्टैचू ऑफ़ यूनिटी की कल्पना की गई तब देश भर से लोहा इकट्ठा किया गया। देश के हर गाँव से लोहा इकट्ठा कर कर स्टैचू ऑफ़ यूनिटी में वह सम्मिलित हो और छः लाख गांवों का लोहा, किसी की आरी, किसी की जो हल होती है किसानों की, वास्तव में सरदार वल्लभ भाई पटेल पूरे जीवन किसानों के नेता रहे, किसानों ने अपने औज़ार में से कुछ न कुछ छोटा लोहे का हिस्सा दिया। और 2013 में मैंने बेंगलुरू में रन फॉर यूनिटी में भाग लिया था जब यह सब लोहा इकट्ठा होकर गुजरात भेजा गया था।

तो एक प्रकार से मात्र पाँच वर्षों में एक इतना बड़ा प्रकल्प तैयार कर कर भारत ने पूरे विश्व को संदेश दिया है कि हम सिर्फ़ अपने जो निर्माता हैं,अपने जो देश के वास्तव में हीरे हैं जिन्होंने इस देश को बनाया, इस देश को आज़ादी दी हम उनको सिर्फ़ याद स्मरण नहीं करते हैं, उस यादगार को इम्मोर्टलाइज़ करते हैं, इम्मेमोरेबल बनाते हैं। आगे की पीढ़ियाँ इसको देखकर इसको महसूस करेंगी उनके योगदान को और साथ ही साथ हम खेल को भी प्रोत्साहन देते हैं जो हम सबको तंदरुस्त रखता है, हम सबको आगे चलकर इस देश को और गौरवशाली बनाएगा।

यह रन फॉर यूनिटी में आप सबने सुबह-सुबह भाग लिया इसके लिए आप सब का तहे दिल से धन्यवाद करता हूँ। और मुझे पूरा विश्वास है आज का दिन भारत के इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों से लिखा जाएगा और आप सबका भी भाग लेना हम सबके लिए एक यादगार के रूप में 31 अक्टूबर 2018 जिस दिन स्टैचू फॉर यूनिटी देश को समर्पित हुई आगे चलकर शायद हम सब अपने बच्चों को, अपने ग्रैंड चिल्ड्रन को कभी याद दिलाएंगे कि हमने भी उसमें भाग लिया था। आज़ादी की लड़ाई में तो हम भाग नहीं ले पाए लेकिन आज़ादी की लड़ाई के शिल्पकार को श्रद्धांजलि सही रूप में देने के लिए हम सब भाग ले पाए यह हम सब का सौभाग्य है।

बहुत-बहुत धन्यवाद।

 

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