Speeches

July 7, 2017

Speaking at Bio-Energy – Urja Utsav, Pune

ये चुनाव का साथ नहीं है, कोई गलत मत समझे। पर हम दोनों का साथ ऊर्जा विभाग में लगातार निरंतर चलता रहता है। आधा ऊर्जा का खाता धर्मेंद्र जी देखते हैं, आधा मेरे पास है। लेकिन जैसा आप सब जानते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी जी की सरकार में विभाग और डिपार्टमेंट के बीच में दीवारें नहीं हैं। हम सब मिलकर एक साथ ऊर्जा विभाग को संभालते हैं। ऐसे मेरे मित्र धर्मेंद्र प्रधान जी आपका महाराष्ट्र की धरती पर स्वागत है। और आपने हमारे शहर पुणे में और पिंपरी ‌चिंचवाड़ में इतना बढ़िया आयोजन किया है बायो एनर्जी उर्जा उत्सव का, उसके लिए मैं आपका तहे  दिल से धन्यवाद भी करता हूं और शुभकामनाएं भी देता हूं।

और मुझे पूरा विश्वास है कि ये जो आज का कार्यक्रम आयोजित किया गया है, ये भारत के नवीकरणीय ऊर्जा के ‌इतिहास में एक नया अध्ययन, नया चैप्टर खोलने जा रहा है, जिसमें जनभागीदारी से आगे चलकर भारत की ऊर्जी सुरक्षा ही नहीं होगी, पर भारत का प्रदूषण भी कम होगा और एक विश्व में भारत का नेतृत्व अक्षय ऊर्जा के माध्यम से हम और ज्यादा बड़े रूप में पूरे विश्व में लेकर जा पाएंगे, ऐसा इस उत्सव को आयोजन करने के लिए आपका मैं बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं धर्मेंद्र जी। हम सबके वरिष्ठ नेता, अभी-अभी धर्मेंद्र जी और मैं बात कर रहे थे, हम दोनों ने चंद्रकांत दादा पाटिल के नीचे काम किया है। हम दोनों ने इनके नेतृत्व का, इनके मार्गदर्शन का लाभ लिया है।

आज वो महाराष्ट्र में बहुत वरिष्ठ नेता हैं। रेवेन्यू मिनिस्टर हैं। और महाराष्ट्र सरकार को एक नई दिशा, नई ऊर्जा देने का काम भी उन्होंने किया है। अभी-अभी चर्चा हो रही थी, किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के ल‌िए, किसानों को कई वर्षों से जिस प्रकार से सूखे के कारण तकलीफ हुई है उससे निजात पाने के ल‌िए महाराष्ट्र सरकार ने बहुत अहम फैसला लिया‌ है, कर्जमाफी का। मैं चंद्रकांत दादा पाटिल, गिरीष बापट जी, हमारे यहां के मंत्री और खोट साहब, तीनों को बधाई देता हूं, तीनों का धन्यवाद करता हूं।

हमारे बीच दोनों मेयर हैं, नव‌निर्वाचित मेयर, पुणे के मुक्ताताई तिलक जी, ‌पिंपली चिंचवाड़ के नितिन कालजे जी, दोनों को बधाई देता हूं। आप दोनों ने नया पद संभाला है और मुझे पूरा विश्वास है कि पुणे और पिंपरी चिंचवाड़ तेज गत‌ि से आगे प्रगत‌ि करेंगे, विकास करेंगे आप दोनों के नेतृत्व में । हमारे यहाँ के दोनों ही सांसद भाई अनिल शिरोले जी पुणे से, भाई अमर साबले जी जो राज्य सभा में हमारे साथ हैं, बहुत संवेदना से पुणे और इस इलाके की विकास की चिंता करते हैं, लगातार मेरे पास भी रहते हैं, लगातार धर्मेंद्र जी को मिलते हैं, कैसे इस इलाके में और तेज गत‌ि से विकास हो। हमारे विधायक और विधाय‌िका पुणे और पिंपरी चिंचवाड़ से जो सभी यहां मौजूद हैं, तीनों कंपनीज के सीएमडीज – आईओसीएल, बीपीसएल और एचपीसीएल, तीनों महारत्न हैं भारत के। तीनों ने इस देश को पेट्रोलियम विभाग से जिस प्रकार से संभाला है, जिस प्रकार से भारत भर में गली-गली, कोने-कोने तक यह पहुंचाते हैं पेट्रोल, डीजल, नेचुरल गैस को, मैं समझता हूं ये तीनों कंपनी ने भारत को गौरवान्वित किया है।

रामकृष्ण जी हम दोनों के सलाहकार हैं। मैं समझता हूं हम दोनों लाभ लेते हैं रामकृष्ण जी के बहुत ही साइंटिफिक अप्रोच का नई दिशा जो रामकृष्ण जी हम दोनों को देते हैं। और आज के इस कार्यक्रम के आयोजक श्री राजेश पांडेय जी का विशेष धन्यवाद करूंगा इतना विशाल आयोजन करने के ल‌िए। श्री संदीप पॉन्ड्रीक जी, जो इस विभाग को देखते हैं, ज्वाइन्ट सेक्रेट्री हैं पेट्रोलियम और नेचुरल गैस मिनिस्ट्री में, जिन्होंने लगातार इस विषय में चिंता की है। बाकी सभी सम्माननीय, वरिष्ठ नेतागण, मंच पर, मंच के बाहर, पुणे और पिंपरी ‌‌च‌िंचवाड़ के नागरिकगण और विशेषकर सभी पुणे और पिंपरी चिंचवाड़ के आए हुए विद्यार्थी। कई एग्रीकल्चर कॉलेज से आए हैं, कई अलग-अलग स्कूलों से आए हैं। और एक प्रकार से हम सबके ल‌िए गौरव की बात है कि पुणे आज देश भर में जाना जाता है एक एजुकेशन सेंटर के रूप में और आगे चलकर एक स्मार्ट सिटी के रूप में। और अगर कोई इस सिटी को स्मार्ट बनाता है तो ये सब हमारे विद्यार्थी इस सिटी को स्मार्ट बनाते हैं।

वास्तव में ये सिर्फ उत्सव ही नहीं लेकिन मंथन करने का भी एक मौका है हम सबके सामने। अभी-अभी पाशा पाटिल जी बता रहे थे कि 1945 में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने जब अपनी डिस्कवरी ऑफ इंडिया लिखी थी, उसमें उन्होंने सबसे पहले पावर एल्कोहल का जिक्र किया था। और जैसे हमारे विद्यार्थी सब हमसे ज्यादा स्मार्ट होते हैं, चतुर होते हैं। इनको कुछ भी विषय बोलो तो तुरंत गूगल करके उसकी जानकारियां निकाल लेते हैं। वैसे हमने भी थोड़ा प्रयोग किया कि ज़रा इसकी जानकारी निकालें कि वास्तव में क्या कहा था पंडित जवाहर लाल नेहरू ने। और बहुत ही इंट्रेस्टिंग डायमेंशन मिला और मैं ये डायमेंशन इसलिए आप सबके समक्ष रखना चाह रहा हूं कि कैसे देश में परिस्थिति 1945 में क्या थी, कैसे एनडीए-1 में जब माननीय प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने ईथेनॉल को प्रोत्साहन देने की कोशिश की, बहुत बड़ी पहल की और उसके बाद 10 वर्ष कैसे फिर इस देश ने, पीछे पड़ गई ईथेनॉल के क्षेत्र में, बायो एनर्जी, बायो फ्यूल्स के क्षेत्र में |

और मैं आपको पढ़कर सुनाना चाहूंगा पंडित जवाहर लाल नेहरू की किताब डिस्कवरी ऑफ इंडिया में उन्होंने क्या लिखा है – ‘The congress and industry: Big industry versus cottage industry’, ये शीर्षक के नीचे पंडित जी लिखते हैं।

‘The Congress, under Gandhiji’s leadership, had long championed the revival of village industries, specially hand-spinning and hand-weaving. At no time, however, had the Congress been opposed to the development of big industries, and whenever it had the chance, in the legislatures or governments, were eager to do so…..’

वगैरह वगैरह करने के बाद वो आते हैं पावर एल्कोहल पर।

‘The Congress provincial governments were anxious to develop a power alcohol industry. This was desirable from many points of view, but there was an additional reason in the United Provinces and Bihar.’

ये दुर्भाग्य की बात है कि गत 70 वर्षों में बिहार के जितने शुगर कारखाने थे लगभग सभी बंद हो गए। यूनाइटेड प्रोविंसेज में, उत्तर प्रदेश वगैरह में, जो कारखाने हैं वो लड़खड़ा रहे थे। महीनों सालों तक शुगरकेन जो किसान गन्ना बनाते हैं उसका पैसा भी नहीं भुगतान करते थे। ये तो माननीय महाराज योगी जी की सरकार ने आने के बाद सुनिश्चित किया कि हर गन्ना किसान की पेमेंट जो पुराना बकाया था वो मात्र 120 दिन के अंदर सबको मिल जाए। और आगे चलकर हर गन्ना किसान को 14 दिन में पूरा अपना बकाया मिले, गन्ना का। ये आज योगी महाराज जी ने किया, लेकिन गत 70 वर्षों में जो बेहाल किया गया गन्ना कारखानों का वो सबके, देश के समक्ष है। लेकिन डिस्कवरी ऑफ इंडिया में क्या कहते हैं।

‘The large numbers of sugar factories there were producing as a by-product a vast quantity of molasses which was being treated as waste material. It was proposed to utilise this for the production of power alcohol.’

ईथेनॉल को उन दिनों में पावर एल्कोहल बोलते थे।

‘The process was simple, there was no difficulty, except one – the interests of the Shell and Burma Oil combine were affected. The government of India championed these interests of Shell and Burma oil.’ और शायद ये एचपीसीएल, आईओसीएल उन्ही का नया वर्जन बनी है आगे चलके।

‘It was only in the third year of the present war, after Burma fell and the supplies of oil and petrol were cut off, that the realization came that power alcohol was necessary and must be produced in India. The American Grady Committee strongly urged this in 1942.’

ये मैं इसलिए आप सबको सुना रहा हूं भाइयों और बहनों, क्योंकि 1945 में तो विचार एक था लेकिन उसके बाद 2002 तक ईथेनॉल के ऊपर किसी ने ध्यान नहीं दिया। ईथेनॉल के बारे में किसी ने चिंता नहीं की। ईथेनॉल को प्रोत्साहन देने की किसी की प्राथमिकता नहीं रही। माननीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार ने 2002 में नई पॉलिसी गठित की जिसमें कहा 2003 तक कम से कम 5 प्रतिशत पेट्रोल में ईथनॉल को जोड़ा जाए। मिनिमम 5 परसेंट ब्लेंडिंग किया जाए ईथेनॉल का पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स में। दुर्भाग्य से एनडीए-1 2004 में चुनाव नहीं जीती।

एक नई सरकार आई और मुझे बड़े दुख से बताना पड़ता है कि 10 वर्ष में ईथेनॉल को प्रोत्साहन तो देना छोड़ो, लगभग उस इंडस्ट्री को मार दिया गया। पूरी तरीके से ध्यवस्त कर दिया गया। जब प्रधानमंत्री मोदी जी की सरकार 2014 में आई और धर्मेंद्र प्रधान जी ने पेट्रोलियम और नेचुरल गैस का विभाग संभाला तब एक नई तेज गति से ईथेनॉल क्षेत्र को, अगर मैं उसको कहूं, He gave it wings. Ethanol was given wings under the leadership of Prime Minister Modi and Minister Dharmendra Pradhan. और जो मात्र 1 प्रतिशत शायद ब्लेंडिग होता था 2014 में, 2 प्रतिशत ब्लेंडिग होता था वो मात्र दो वर्ष में 5 प्रतिशत तक ले के जाने का साहस धर्मेंद्र जी ने किया और मैं आपको बधाई देता हूं कि जो बात 1945 में लोगों को समझ में आई थी, जो बात 1900 में रुडोल्फ डीजल ने समझी थी, जो अभी-अभी धर्मेंद्र जी ने बताया। वो बात को कार्यान्वित करने का काम आपके नेतृत्व में इस सरकार द्वारा किया गया।

और जैसा आपने कहा, ये सही बात है, इसी से भारत की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित हो पाएगी। ब्राजील जैसे देशों में तो कई गाड़िया शत-प्रतिशत ईथेनॉल पर भी चलती हैं। हेनरी फोर्ड ने भी एक गाड़ी बनाई थी, I think It was called the Ford T जिसमें उन्होंने बायो ईथेनॉल से गाडी चले इस प्रकार की व्यवस्था सुनिश्चित की थी। आज देश के सामने अगर सबसे बड़ी चुनौती है तो वो इस देश को आत्मनिर्भर बनाने की चुनौती है। और मुझे पूरा विश्वास है ये सभी विद्यार्थी जो यहां बैठे हैं, वो सब भारत को एक बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था और एक आत्मनिर्भर देश के रूप में देखना चाहते हैं।

ठीक कह रहा हूं कि नहीं भाइयों और बहनों? और ये पूरी अगली पीढ़ी चिंता करती है प्रदूषण की भी, चिंता करती है कि आगे आने वाले दिनों में क्या विश्व सुरक्षित रहेगा, या क्लाइमेट चेंज का प्रभाव इतना ज्यादा विश्व को खतरा है कि शायद 50-70 वर्ष बाद भरोसा नहीं है कि विश्व का क्या होगा।

पेरिस में जो समझौता हुआ, कॉप-21 में पेरिस क्लाइमेट एग्रीमेंट, उसमें पूरे विश्व में इस चिंता को कैसे एड्रेस किया जाए, कैसे इसका सामना किया जाए, इसपर एक करार किया गया। जिसमें सस्टेनेबल लाइफस्टाइल और क्लीन एनर्जी, इन दोनों के ऊपर बल दिया गया। और क्लीन एनर्जी अगर हम देखें तो क्लीन एनर्जी सिर्फ सौर ऊर्जा या पवन ऊर्जा नहीं है। सिर्फ हाइड्रो पावर, विंड पावर, सोलर पावर से क्लीन एनर्जी नहीं होती है। बायो ईथेनॉल, बायो फ्यूल्स उसमें से बायो गैस वेस्ट टू एनर्जी, जो अलग-अलग प्रकार का वेस्ट देश में पैदा होता है उसको कैसे ऊर्जा का स्त्रोत बनाया जाए। गोबर से कैसे ऊर्जा बने, चाहे गैस बने, चाहे इलेक्ट्रिसिटी पावर बने, जब तक हम इन सबको पूरी तरीके से प्रॉसेस करके Waste to wealth नहीं बनाएंगे तब तक सही मायने में हम विश्व के सामने एक मॉडल स्टेट के रूप में नहीं पैदा हो सकेंगे, मॉडल स्टेट नहीं बन पाएंगे।

और प्रधानमंत्री मोदी जी का सपना है कि भारत अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में, नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में विश्व का नेता बने, विश्व को नेतृत्व दे। और पूरा विश्व भारत के नेतृत्व में वेस्ट टु वेल्थ की ओर जाए, वेस्ट को प्रोसेस करे, अक्षय ऊर्जा आगे चलकर अधिकांश हम सबकी ऊर्जा की रिक्वायरमेंट मीट करे और उस काम के ल‌िए एक और पहल धर्मेंद्र जी के विभाग ने की है कि अधिकांश पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स में कैसे ईथेनॉल को यूज किया जाए। कैसे वेस्ट से बायोगैस बना के गरीबों को सस्ती गैस दी जाए। जैसे इन्होंने 5 करोड़ गरीब महिलाओं के जीवन में उज्ज्वला लाने का निर्णय लिया, मुफ्त में एलपीजी कनेक्शन दे के, वैसे ही सस्ती गैस दे के गरीबों के घर में चूल्हा साफ ईंधन से बने और लकड़ी और कोयले से वो निजात पाएं, उससे वो छुटकारा पाएं।

और आगे आने वाले दिनों में हम दोनों विभाग मिलकर बायो गैस, गौशाला से हमारे देश में एक छोटा आंकड़ा निकाला तो हजारों की संख्या में देश में गौशाला हैं। और इन गौशाला में अगर हम गोबर गैस बनाते हैं तो ये मार्केटिंग कंपनीज़, जैसा अभी-अभी माननीय धर्मेंद्र जी ने कहा, कि वो इस गोबर गैस को लेकर छोटे पांच किलो को सिलेंडर में बॉटल करके गरीबों को सस्ता गैस उपलब्ध कराने का काम कर सकते हैं। तो मिलकर कैसे गरीबों की सेवा करना, ये इस सरकार की प्राथमिकता रही है। इस सरकार ने लगातार गांव, गरीब, किसान और जो वर्षों से शोषित और व‌ंच‌ित रहे हैं उनकी चिंता करने का जो बीड़ा प्रधानमंत्री मोदी जी ने उठाया है, उन दोनों को पूरा करने का वचन आज धर्मेंद्र जी ने दिया, मैं अपने आप को उससे जोड़ता हूं और हम दोनों मिलकर सुनिश्चित करेंगे, कैसे हर घर में बिजली भी मिले, साफ ईंधन भी मिले और कैसे हमारे आने वाले पीढ़ी के ल‌िए हम एक ऐसा विश्व छोड़कर जाएं, जो साफ भी हो, सुंदर भी हो, प्रदूषण मुक्त भी हो।

महात्मा गांधी जी ने कहा था – We are only the trustees of this planet, we have inherited this earth as trustees and it is our duty to leave behind a better planet for the next generation and that is what we are committed to do. मुझे लगता है, बायो एनर्जी सेक्टर में जो काम आप सभी ने किया है और जिस प्रकार से आप अगले दो दिन में इसके ऊपर नए-नए विचार लाएंगे, नए-नए दिशा देंगे इस प्रोजेक्ट को, इससे आगे चल के देश का बहुत बड़ा लाभ होगा। विदेशी मुद्रा जो इम्पोर्ट ऑफ पेट्रोलियम और गैस के प्रोडक्ट्स में लगती है उसमें हम बचत कर पाएंगे। साफ-सुथरे ईंधन से जब पेट्रोल को ईथेनॉल से ब्लेंड करते हैं तो पॉल्यूशन लेवेल भी कम होता है और अलग-अलग प्रकार का वेस्ट जिससे इस देश में स्वच्छता भी बिगड़ती है, उसको जब हम सब मिलकर, नई-नई साइंटिफिक टेक्नोलॉजीज़ लाकर इसको प्रॉसेस करेंगे तो स्वच्छता को भी एक नई दिशा मिलेगी, स्वच्छता को भी एक नई तेज़ गति मिलेगी।

एक और प्रदूषण का साधन है, राइस, पैडी जब बनती है उसमें जो हस्क क्रिएट होता है। और खासतौर पर उत्तर प्रदेश, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब वहां पर मैकेनाइज्ड हार्वेस्ट‌िंग होने के कारण बहुत बड़ी संख्या में राइस हस्क या व्हीट हस्क वेस्ट क्रिएट होता है। उसके लिए भी हम दोनों विभाग मिलकर काम कर रहे हैं, कैसे उसको प्रॉसेस किया जा सके, कैसे उसमें से पावर प्लांट के लिए briquettes बन सके, कैसे उसमें से गैस बन सके। जिस गैस के माध्यम से हम वेस्ट को भी प्रॉसेस करें, प्रदूषण कम करें और उस गैस को गांव में महिलाओं को दिया जाए, जिससे उनको कुकिंग के ल‌िए, अपने दिनचर्या के काम के ल‌िए पॉल्यूशन-फ्री फ्यूल मिल सके।

इस प्रकार से मुझे पूरा विश्वास है ये आपका दो दिन का मंथन, दो दिन की जो चर्चाएं होंगी, इसमें से और नए आइडियाज आएंगे जो रामकृष्ण जी और बाकी सभी यहाँ पर अधिकारीगण इसको किस प्रकार से ऑप्रेशनलाइज और कॉमर्शियलाइज करना, उसपर चिंता करेंगे जिससे जो सपना 1945 से ये देश देख रहा है, जो काम वाजपेयी जी ने शुरू किया था उसको मोदी जी की सरकार, मोदी जी के नेतृत्व में धर्मेंद्र जी तेज गत‌ि दे सकें। इस काम में हम सब मिलकर उनका सहयोग करें, उनको और प्रोत्साहित करें। उन्होंने गत तीन वर्षों में जिस प्रकार से इस विभाग को कुशल नेतृत्व दिया है उसकी मैं जितनी तारीफ करूं उतना कम है।

और मुझे पूरा विश्वास है, आगे आने वाले दिनों में भी इस देश को आत्मनिर्भर बनाना, इस देश को प्रदूषण मुक्त बनाना और इस देश को हर एक व्यक्ति को, हर एक गरीब को, हर एक किसान को, देशभर में सभी को एक अच्छा ईंधन मिले जो उनकी रोजमर्रा की ज़रूरतों को पूरा कर सके। इसमें वो शत-प्रतिशत सफल होंगे, इसके लिए मेरी उनको पूरी शुभकामनाएं, शुभेच्छाएं। आप सबको इस दो दिन के उत्सव के लिए मेरी शुभेच्छा, चर्चाएं अच्छी हों, विस्तार से हों, खुले मन से हों, खुले दिल से हों जिससे आगे चलकर इस क्षेत्र में और ज्यादा गत‌ि हम सब मिलकर दे सकें।

बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

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July 7, 2017 Speaking at GST Programme in Pune

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