जिस प्रकार से रेलवेज को एक नए रूप से, खासतौर पर सुरक्षा के क्षेत्र में तेज़ गति दी जाये, कैसे प्रोजेक्ट्स की इम्प्लीमेंटेशन को prioritize किया जाये और आगे चलकर रेलवेज की जनता को सुविधाएं देने की जो प्राथमिकता है उस दिशा में क्या-क्या काम करने का हमारा इरादा है उसके विषय में पिछले दिनों में जो-जो निर्णय हुए हैं उसके बारे में थोड़ी आप सबके साथ जानकारी देने की आज यह मुलाकात रखी है|
पिछली बार मैंने बताया था कि हर एक विषय को हम कुछ मापदंडों, कुछ principles के हिसाब से देख रहे हैं, एक प्रकार से कई चीज़ों में पुरानी path को रखते हुए उसमें क्या बदलाव लाकर सुधार किया जा सकता है, उसपर बल दे रहे हैं| पिछली बार बात हुई थी कि कैसे stakeholders के साथ जुड़कर काम को और अच्छी तरीके से किया जाये, कैसे नए financing models को लाया जाये, कैसे लोगों को और ज्यादा निरीक्षण उनके काम की हो और उसमें से काम का सुधार हो| तो अलग-अलग उन चीज़ों को, मापदंडों को देखते हुए कुछ प्रमुख निर्णय जो गत तीन हफ्ते में लिए पिछली मीटिंग के बाद उसके बारे में मुझे लगा आपसे थोड़ी चर्चा कर लें|
एक महत्वपूर्ण विषय जो रेल कर्मचारियों से जुड़ा हुआ है उसमें यह तय किया गया और आज नोटिफाई किया जा रहा है कि रेल कर्मचारियों को भी इस पूरे बदलाव में कैसे लगे कि उनके परिवार और उनकी भी चिंता सरकार कर रही है| तो एक Charter आज इशू किया जा रहा है – Employee’s Charter – जिससे time bound उनकी जो भी समस्याएं हैं उसको समय-सीमा के हिसाब से उसका सलूशन निकाला जायेगा, उसको solve किया जायेगा, चाहे वह dues हों, कोई entitlement हो| और आगे चलकर एकाद महीने बाद ऐसा ही एक Charter for Railway Users, जो customers हैं हमारे उनके लिए भी बनाया जायेगा, इशू किया जायेगा – A Charter which will be binding on all of us for improving the services of our rail consumers. उसको थोड़ा समय लगता है क्योंकि उसमें बहुत सारे मापदंड आने हैं इसलिए वह आज के आज नहीं हो पाया है, उसको करीब दिसम्बर में रिलीज़ करेंगे – A charter of services and service standards that the railways will adhere to while serving the rail consumers.
एक प्रमुख अंश जिसपर पिछली बार थोड़ा सा मैंने खुलासा किया था वह था Station Development का, उस विषय में कई और चीज़ों पर निर्णय लिया है रेलवे बोर्ड ने| रेलवे बोर्ड ने तय कर लिया है कि 99 साल की lease दी जाएगी यह अब अधिकृत रूप से रेलवे बोर्ड ने निर्णय ले लिया है| साथ ही साथ जब एक बार Station Development के साथ ज़मीन वगैरा दी जाये, उसको लम्बी अवधि के लिए स्टेशन का भी कॉन्ट्रैक्ट मिले – maintenance of the station, upkeep of the station, उसके बारे में भी flexibility लायी गयी है| और आगे चलकर जो ज़मीन की development होगी उसको mortgage करके उसपर व्यक्ति capital raise कर सके, उस capital को यूज़ करके तेज़ गति से station का development हो जाये|
कैसे जो भी development होगा रेलवे की लाइन में उसमें value maximize हो सके, जो value रेलवे को मिले और उस वैल्यू से रेल यात्रियों की और freight को और बड़े पयमाने पर move करने के लिए सुविधाएं बढ़ सकें और सुरक्षा की सुविधाएं बढ़ सकें इसके लिए value maximization के हिसाब से कई निर्णय रेलवे बोर्ड ने लिए हैं|
एक प्रमुख जो रेलवे बोर्ड का पिछले दिनों में फोकस रहा है वह delegation of powers का रहा है| पिछली बार मैंने कहा था कि हम कुछ delegation पर पूरा विचार कर रहे हैं, मुंबई में मैंने बताया था कि general managers के स्तर पर powers दिए गए हैं कि safety-related विषयों में पूरी तरीके से वह स्वतंत्र हैं कि निर्णय लें, उसको अमल करें, तेज़ गति से अमल करें कि कभी भी safety के लिए कोई भी compromise at the operation level न करना पड़े| उसके कई निर्णय लिए गए हैं जिसकी जानकारी आपके पास दी जाएगी और उसके लिए एक presentation भी था पर वह presentation न करते हुए हम उन सब निर्णयों को आपको सौंप देंगे|
इसमें field units को मज़बूत किया गया है, field units को और powers दिए गए, यह powers efficiency सुधारेगा rail operations में, service delivery सुधारेगा customers के लिए, service contracts भी तय करने के powers नीचे दिए गए हैं, passenger amenities जो-जो services दी जाती हैं passenger को उसके powers भी delegate कर दिए गए हैं, repair and maintenance के powers नीचे दिए गए हैं|
Environment सुधारने के लिए कुछ काम होते हैं, जैसे उदाहरण के लिए एक छोटा सा काम था LEDs लगाना पूरे देश भर में, अब वह भी हर बार approval के लिए आये, दिल्ली आये, रेलवे बोर्ड में आये, इन सब चीज़ों को अधिकांश रूप से हम नीचे powers देकर यह निर्णय ऐतिहासिक निर्णय रेलवे बोर्ड ने किये हैं उसकी जानकारी आपको circulate कर दी जाएगी|
और काफी बड़े रूप से जितनी Ministry of Finance में हम maximum delegation कर सकते थे वह सब powers delegate कर दिए गए हैं, और उसके बाद close monitoring mechanism develop किया जायेगा कि यह powers किधर misuse न हो पाएं| और साथ ही साथ आगे चलकर हम develop कर रहे हैं कैसे जो भी निर्णय लिए जाते हैं, funds allocate किये जाते हैं, इसको हम transparently जनता के समक्ष भी रखेंगे, so that जनता को भी मालूम पड़े कि क्या items accept हो गए हैं, क्या items sanction हो गए हैं, क्या implementation timeline होगी|
और मैं चाहूँगा कि मीडिया के भी हमारे मित्र-बंधु सब इस हमारे काम की निगरानी उस जितनी-जितनी पारदर्शिता जैसे बढ़ेगी आप उसपर निगरानी रखकर हमारे काम को और ज्यादा बल दें, और ज्यादा उसको अच्छी तरीके से करने में सफलतापूर्वक करने में हमें सहयोग दें|
छोटे-छोटे विषयों में पहले बड़े restrictions रहते थे, कोई accident भी हो गया तो hiring of vehicles, समय पर पहुँच जाना, healthcare देना, इन सब में बहुत flexibility lower levels पर delegate कर दी गयी है| और procurement भी कभी, emergency procurement होता है उसके भी powers बड़े रूप से delegate किये गए हैं उसकी जानकारी आप सबको दी जाएगी|
एक मुंबई में हादसे के बाद multi-disciplinary teams गयीं थी मुंबई के पूरे Rail Suburban Network को study करने के लिए, उसमें से भी जो reports आई हैं वह reports अभी हमें मिल गयी हैं, और उसके मद्देनज़र कई निर्णय और लिए गए हैं, based on the recommendations जो उस multi-disciplinary committee ने दिए और वह decisions भी एक प्रकार से Mumbai Suburban, और Mumbai Suburban one-third of the passengers Mumbai के जो Suburban traffic है, it’s nearly one-third of the total rail users.
साथ ही साथ वहां से सीखकर वही मापदंड हम पूरे देश में भी लगा सकें उसकी भी कार्रवाई शुरू की गयी है, उदाहरण के लिए 370 escalators मुंबई में identify हुए कि लगने चाहिए, खासतौर पर उन stations पर जहाँ बहुत ज्यादा passengers आते हैं| उसी के साथ-साथ पूरे देश भर से बाकी 15 zones से भी data लिया गया और ध्यान में आया कि देश भर में 3000 escalators अगर हम लगाते हैं तो एकदम passenger convenience, दिव्यांगों के लिए convenience, वृद्ध लोगों के लिए, senior citizens के लिए convenience बड़े रूप में हम देश भर में दे पाएंगे|
साथ ही साथ इससे Make in India को भी प्रोत्साहन मिलेगा क्योंकि जब long-term contract मिलेगा कि अगले 3-4 साल के लिए इतने escalators लगेंगे देश भर में, मुंबई में, तो लोग प्रोत्साहित होंगे भारत में इसको manufacture करने के लिए| तो इस प्रकार से मुंबई के escalators already sanction कर दिए गए हैं 370 के आस-पास, और देश भर का जो data है उसको assess करके आगे वह भी sanction करके उसको procurement में काम शुरू किया जायेगा|
ऐसे ही जहाँ-जहाँ पर foot over bridges को extend करना है, नए लगाने हैं, widen करना है, connectivity देनी है skywalks के साथ, ऐसे अलग-अलग चीज़ें मुंबई के अनेक स्टेशन के ऊपर से फीडबैक आया है उसको लेकर अब दोनों GMs को empower किया है Western, Central Railway कि उसको कार्यान्वित करें, fast track करें|
एक बहुत बड़ा उसमें से decision लिया गया है कि जो ADRMs हैं posted all over the country इसकी भी संख्या को बढ़ाया जा रहा है – ADRMs (Additional DRMs) divisional level पर, पहले लगभग एक ADRM होता था साधारणतः, कुछ में दो थे| अब अधिकांश सभी डिवीजन में minimum दो ADRM रहेंगे और कुछ डिवीजन में तीन रहेंगे और मुंबई के लिए खासतौर पर क्योंकि बहुत बड़ा passenger traffic है, वहां पर 4 ADRMs Central और 4 Western, तो ऐसे 8 ADRMs रहेंगे उन दोनों zones में| और उसमें से एक ADRM exclusively Mumbai Suburban Western और एक ADRM Mumbai Suburban Central के लिए नियुक्त किया जायेगा| उससे एक कई बार यह चर्चा होती है कि Suburban railway पर ध्यान नहीं दिया जाता है उसको अलग zone बनाया जाये, आज अलग zone बनाओ तो bureaucracy और बढती है| फिर एक आज के दिन हमें interest है कि जल्द से जल्द लागू करे काम को| तो उसको एक uncertainty बनाने के बदले एक dedicated और empowered ADRM, Western Railway और Central Railway, जो आपस में भी interact कर सकते हैं और fast implement कर सकते हैं सब projects Suburban के उनको empower किया जा रहा है|
साथ ही साथ मैंने पहले भी बताया था CCTVs मुंबई में बड़े रूप में बढाए जा रहे हैं with connection to the local police station. पर उसी के साथ-साथ हम देश भर का भी एक प्लान बना रहे हैं कि देश भर में सब trains और railway stations को कैसे एक जाल बनाएं CCTVs का जिससे passenger की सुरक्षा और बढ़ सके, उसका data compile हो जाये, उस data को पुलिस को भी access मिले, local police को, तो उससे एक प्रकार से सुरक्षा बढ़ेगी और जो RPF और GRP हैं उनको भी सुविधा होगी technology-based security services provide करने की|
कई जगह पर platforms की length भी बढाई जा रही है मुंबई में और यह सिलसिला अब देश भर में भी सब GMs को कहा गया है कि वह भी data दें कौनसे stations ऐसे हैं जहाँ passenger footfall अधिक होता है और उसके लिए भी अगर platform बढ़ाना हो, कुछ और facilities देनी हो एक बार अगले महीने end तक, November end या December early तक recategorize हो जायेंगे सब stations based on passenger footfall, revenue earned and the strategic importance of the railway station.
उदाहरण मुग़ल सराय है, मुग़ल सराय इतना strategic importance वाला स्टेशन है कि चाहे वहां पर, और अब उसका नाम शायद officially बदल दिया गया है – अभी नहीं हुआ है| It’s in the process of being changed. तो अभी तक तो मुग़ल सराय ही है, तो उस स्टेशन को – Based on its strategic importance – उसको शायद category change हो जाएगी|
तो इस प्रकार से अलग-अलग decisions मुंबई की multi-disciplinary team की reports आने के बाद भी लिए गए हैं, और मैं समझता हूँ उससे आगे चलकर तेज़ गति से जो सुधार और बदलाव हम लाना चाहते हैं उसको लाने में हमें सुविधा होगी, बाकी empowerment का मैंने ज़िकर कर दिया है| एक बहुत important निर्णय जो लिया गया है, एक committee बिठाई है जिसका second week December तक रिपोर्ट आएगी कि जो safety required है worksite के ऊपर, जहाँ भी काम चल रहा है रेलवे का उसके safety के मापदंड आधुनिक बनाएं जायें, latest बनाएं जायें, कैसे जो employees और workmen चाहे वह railway के हों, contract के हों, उन सबके ऊपर भी क्या नियंत्रण रहना चाहिए कि वह safety measures implement करें काम करते वक़्त, और उनकी safety के लिए क्या-क्या करना है, दोनों aspect से यह committee better safety to the staff and workers working on the site, and to improve the safety while doing the work also. So that जैसे traffic block नहीं लिया और काम कर दिया जिसकी वजह से दुर्घटना होने की संभावना बन जाती है, इस type की चीज़ों पर यह कमिटी second week December तक रिपोर्ट देगी जिसके ऊपर फिर हम अमल करके worksites जहाँ-जहाँ काम हो रहा है उसको भी safe बनाने का एक प्रयत्न बढ़ा रहे हैं|
अगर इसको एक summary में देखें तो यह इतने बड़े रूप में delegation करना powers, इतना ज्यादा लोगों के ऊपर confidence बढ़ाना कि वह लोग अच्छी तरीके से अपने लेवल पर काम करेंगे, इसकी प्रेरणा एक Spiderman movie थी, उससे मिलती है जिसमें Spiderman ने कहा था ‘With great power comes great responsibility.’
Our effort is to empower the railway family at all levels, and I am very confident that with this empowerment, there will be far greater responsibility also, there will be a far greater sensitivity also, and we will certainly see lot of improvement in the working of the railways going forward.
As I had said earlier, there are a number of legacy issues. As I go into each review, as I go into each subject, some of the things that come out are legacies which are not decades old, but some are even centuries old. You are aware, in Mumbai, I had mentioned about foot-over bridges and platforms were decided by the railway board to be made safety item, instead of just a passenger amenity. Now, this is a century old tradition which has been changed, and now that will mean more budgets, more focus on foot-over bridges, platform safety. Escalators will come within that ambit of making sure safety is provided.
So, like that we are doing transformational change, but that change will have a life, a time span within which it can be implemented. And we will look forward to the continued support and feedback from all the stakeholders, our passengers, our consumers who use freight and from all the friends from the media, which can help us to continuously upgrade and improve our facilities.
बहुत-बहुत धन्यवाद!
Question-Answer
Q: Sir, for safety you are focusing so much and I am sure additional funds will be required. So, what you are looking forward for this to meet this fund requirement, and just an addition to it, what you are looking for the flexi fare side, because in the last press conference you said that you will be making some tweaks in the flexi fares. So has some decision been taken into this?
A: As regards funds, there is absolutely no shortage. मैंने पिछली बार भी कहा था, आज पुनः आपको कह रहा हूँ, Indian Railways के पास funds की कोई shortage नहीं है, खासतौर पर safety-related items के लिए unlimited budgets are available. We have support of the honorable Prime Minister and Finance Minister wherever that should be required. But for those of you who have seen me working in the last 3 years, usually, I don’t go to them for more funds. We usually give them more funds in dividends.
तो हम अपना funds अपने आप raise कर लेंगे – station development, monetization of assets वगैरा के माध्यम से और बाकी अब railways में इतना ज्यादा savings के ऊपर भी बल दिया जा रहा है procurement processes सुधारकर, मुझे पूरा विश्वास है कि requirement of funds itself will come down और वह जो बचत होगी, totally transparent, efficient, economies of scale लाने से जो बचत कर पाएंगे उसको हम use करके और safety के चार और काम कर पाएंगे|
Flexi fares का जहाँ तक सवाल है, flexi fares के लिए एक आप सबको शायद जानकारी हो पर जिसको नहीं पता है, हमने एक experimental basis पर नयी राजधानी दिल्ली से मुंबई शुरू की है| वह अपने आप में एक बहुत बड़ा कदम है, शायद उतना आप लोगों ने नोट नहीं किया| सबसे बड़ी उसकी उपलब्धि है कि वह दो घंटे कम लेती है दिल्ली से मुंबई के सफ़र में और सुबह 6.10 पर पहुंचा देती है| पहले जब व्यक्ति 8.30 के करीब पहुँचता था, तो जब तक स्टेशन से निकलो, पीक ऑवर ट्रैफिक में पहुँच जाओ, घर पहुँचो तैयार होकर दफ्तर लंच के पहले कभी नहीं पहुँच सकता था और मैं स्वयं भुक्तभोगी था|
अब 6 बजे पहुँचने से बांद्रा टर्मिनस से मुंबई का कोई इलाका नहीं है, उधर थाना हो, उधर बोरीवली हो, इधर चर्च गेट वीटी हो, जो आधे घंटे में व्यक्ति नहीं पहुँच सकता है चाहे ट्रेन से जाये, चाहे गाड़ी से जाये| और पौने सात-सात तक घर पहुंचकर आराम से व्यक्ति अपने ऑफिस सुबह पहुँच सकता है और अभी तक का जो अनुभव रहा है वह गाड़ी की अच्छी तेज़ गति से पॉपुलैरिटी बढती जा रही है, हफ्ते में तीन दिन चल रही है| और वहां से भी रिटर्न या 6 बजे पहुँच जाती है, रिटर्न में तो मैंने सुना टोटली फुल जा रही है| और उसमें हमने flexi fares नहीं रखे हैं और उसमें फ़ूड भी ऑप्शनल रखा है, अब कई लोग खाना नहीं पसंद करते हैं, घर से पसंद करते हैं लेकर जाना तो वह खर्चा भी उनके ऊपर न है| और एक nominal increase basic fare में रखा है जिससे जो भी होगा वह यूनिफार्म रहेगा, तो हम सब experiments को लेकर फिर जो best way है उसको एकाद महीने के अन्दर finalize करेंगे|
Q: सर मैं यह पूछना चाह रही थी इससे पहले जब आप मिले थे तो आपने कहा था कि MDR charges को लेकर bankers के साथ बातचीत की जा रही है कि consumer पर उसका बोझ न पड़े, तो वह बातचीत कहाँ तक पहुंची है? और दूसरा जो station development plan में कुछ बदलाव किये गए हैं खासतौर पर जो 45 साल की लीज़ से अब 99 साल कर दिया है, आपको लगता है कि इस तरह के बदलाव के बाद जो big players हैं जो अभी तक कतरा रहे थे schemes से जुड़ने के लिए अब वह आगे आयेंगे?
A: आवश्यक, हमने कई rounds of discussion किये हैं with all the main players, मेरे ख्याल से 150 से अधिक देश भर की कंपनियों के साथ interaction हुआ है, सामूहिक तौर से, और सबका उत्साह बढ़ा है| और वैसे तो I have no hesitation in saying कि आज ही NBCC के साथ जो 10 station हमने NBCC को दिए थे for development, उसके ऊपर आज ही चर्चा होके उसके भी timelines determine किये हैं कैसे उसको fast track किया जायेगा|
हम अब NBCC में कुछ अधिकारी भी नियुक्त करने वाले हैं railways से जो NBCC में deputation पर जाकर एक प्रकार से अलग-अलग civil, mechanical, electrical, signaling जो अलग-अलग रेलवे की important चीज़ें होती हैं उसको use करके proper design हो, तो एक प्रकार से 10 station एक template बन जायेगा, जो template आगे चलकर फिर जब private sector और बड़े रूप में आता है उनके लिए भी आसन हो जायेगा कि इस template के हिसाब से समय-सीमा बन जाएगी, समय-सीमा में approvals होगा, precautions क्या-क्या लेनी हैं 10 अलग-अलग जगह पर हैं देश भर में| तो अलग-अलग inputs आने से एक प्रकार से experience gathering हो जायेगा और NBCC सरकारी कंपनी होने से हम तेज़ गति से उसको बढ़ा सकेंगे|
MDR charges की अभी तक चर्चा चल रही है, latest announcement अभी करनी बाकी है, पर लगभग मन हमारा बना हुआ है कि उसको waive किया जाये|
Q: सर चन्दन हूँ मैं, News18 India से, आप लोग प्लान बना रहे हैं 1 नवम्बर से कुछ ट्रेनों की स्पीड बढ़ाएंगे, 40 से ज्यादा ट्रेनें उसमें सुपर-फ़ास्ट बनेंगी| लेकिन मेरे पास कुछ लिस्ट है, मैं एक-दो का नाम ही पढूंगा, प्रीमियम ट्रेनें जो पिछले तीन-चार साल में अनॉउंस हुई हैं वह घंटों की देरी से चलती है, उसके बाद भी कुछ ट्रेनों को सुपर-फ़ास्ट बनाकर केवल पैसेंजर पर लोड बढेगा?
A: देखिए ऐसा है, कुछ ट्रेनों में ज़रूर यह समस्या चल रही है, पिछले दिनों में खासतौर पर जो नॉर्थ में ट्रेन्स आ रही हैं, जो दिल्ली आती हैं उसमें यह समस्या है मैंने पहले ही कहा था कि बदलाव और ट्रांसफॉर्मेशन जब कर रहे हैं उसमें समय लगता है| और यह सेफ्टी के कारण से मैंने पूरी परमिशन दी है कि थोड़ी punctuality में विलंभ भी होती हैं ट्रेन्स तो या तो उसको टाइमटेबल में ही हम उसका टाइम एक्सटेंड करने की कोशिश कर रहे हैं for some time. लेकिन सेफ्टी के लिए कोई कोम्प्रोमाइज़ न हो यह स्पष्ट निर्देश पूरे रेलवेज में गया है और उसके रहते नॉर्थ की कुछ ऐसे sections थे जहाँ बहुत सख्त ज़रूरत थी for track replacement, track renewable and I have given them full permission. और यहाँ तक मेरा आदेश है कि अगर मैं भी फ़ोन करूँ तो उसको नकार दिया जायेगा| Safety will get first priority.
Q: Sir, Milan from Mirror Now. Sir, considering that you are doing a lot of development of stations in Bombay, what is the specific steps that the Ministry is taking to augment passenger capacity in the local trains in Mumbai? Also sir, another questions, the safety fund that was created, how much of it has been spent, specifically on safety works alone?
A: Well, a safety fund is spent only on safety works, but I think so far we have (inaudible) 25 or 30,000 or so, but I wouldn’t have the exact figure. Whoever is interested, FC can give that figure later on, Saxena will make it available. But we have available with us sufficient funds and I have also got permission from the Finance Ministry that we need not spend that over 5 years, if required, we can spend it in 2 years also. They have given us full freedom that safety being the highest priority of this government, the honorable Prime Minister and the honorable Finance Minister have given us full liberty that that fund, instead of spending over 5 years, we can spend it if required tomorrow, which is why we have been able to confidently take up such a massive safety-related programme.
As regards your other question on Mumbai passenger augmentation, actually, the last time I went there was actually to increase 100 new services, which we increased. It was a very unfortunate coincidence that we had that very sad दुर्घटना. However, in the long run, the only solution that I can see is that we will have to look at elevated train services in the passenger segment in the city areas. So, I have already requested teams in Mumbai, in Delhi and in Bengaluru, another city which is facing severe crisis of traffic.
I think if any of us goes to Bengaluru, Bengaluru you need one and a half hour to go to the city. If we have to go to the IT areas, you need two and a half hours. So, I have requested the zone there to do a preliminary first cut assessment of its technical feasibility, then we will get down to preparing its financial feasibility.
Similarly, in Mumbai, there were two elevated tracks that were already planned on Western and Central. We are having a re-look at that, because some of the costs were extremely high, because they had dovetailed metro and the traditional rail. I am trying to use only the traditional rail in an elevated fashion, so that costs become reasonable and we can implement it in a fast track manner. Every day, single day is precious for me when it comes to augmenting capacity in Mumbai Rail.
Q: Sir, is there any plan for AC travel in Suburban section?
A: Well, I think Mumbai we have introduced one or two rakes which are AC. We will gradually keep increasing that.
Q: (Inaudible)
A: That has been tried and tested; it will be introduced by 1st January.
Q: Sir, elevated tracks?
A: Elevated will take a few years to build on the existing track.
Q: Sir, what is the scope of Talgo train travel?
A: Well, when the Talgo train was tried, certain observations came out, which have been given to the Talgo company for addressing those issues, only after that we will be able to take a final decision on that. They have to address the concerns that came out of the trails.
Q: Piyushji, this is Thomas Dominique from Malayalam Manorama. Since you are focusing a lot on safety, don’t you think it’s right time that we implemented Anil Kakodkar report on railway safety?
A: All of these things are learnings out of those committee reports only, nothing that I am doing is something that has suddenly come out of the top of the air. I have just been here 50 days today, now while 50 days can seem a lifetime sometimes… but we are conscious of the Anil Kakodkar report. We are conscious of the Vivek Debroy report. I have also personally gone through the Rakesh Mohan recommendations from the Planning Commission. And, these are the guiding lights which are helping us to formulate the transformational agenda, which Mr Suresh Prabhu had taken up with great speed and sincerity, and I am trying to further that to the best of my ability.
Q: Sir, Navtan Kumar from the Sunday Guardian this side. Track renewal has been a big challenge for the Railway Ministry, so in the last few years, there was less allocation for this track renewal. So, what steps are you taking to increase the length of….?
Secretary: We have given the highest priority to track renewal, even at the expense of laying new tracks. So that is going on at full speed, there is no shortage of rail for track renewable and we will not allow any shortage to take place.
A: By the way, we have also floated a tender for 7 lakh metric tonne of additional rail to be procured ASAP, which will help us to ensure that all these backlog of track renewable, in some cases, I am told people have been asking for track renewal for many-many years. But because of the shortage of track, they were not able to complete all the necessary works. So, we have ordered 7 lakh tonnes of additional rail. 7 lakh metric tonnes of additional rail is sought to be procured, for which global tender has already been out on the 12th of October.
By the way, just a couple of points. There were some reports which were very misleading, so I would like to inform all my friends here that we have decided that we will be downsizing the Railway Bhavan and the Railway Board, all the various wings in this office, as we delegate more powers. We, obviously, don’t need such a large establishment here. We will be doing more of visionary work and a supervisory or monitoring work. So, we are planning to move more and more functions to the zones, more and more officials there. I am told there are over 90 positions which over the last 30-40-50 years, I don’t know how long, have been gradually brought into the railway board offices, which are being sent back to the various zones.
Also, we are restructuring the various departments here. Some people seem to have misunderstood it has closing departments. It is actually restructuring and strengthening of departments. For example, we had a wonderful initiative, called OneICT, it was an outstanding initiative which Mr Suresh Prabhu had initiated. What we are doing on that is to merge it with the operating team, so that those ideas that come there can be implemented by the same team. Otherwise, it becomes like a difference between a line function and a staff function.
The OneICT only is an ideation body. It gives ideas to the operating team and then they implement it. Instead of that, we are merging the two, so that as they ideate, they can keep testing it on the ground and implementing it. Similarly, we had a transformation cell. The transformation cell was doing largely a similar work to mobility, transformation cell was coming out with ideas which mobility had to implement. We merged the two, so that the transformative ideas can be quickly implemented in terms of mobility, and the best example of that is the Rajdhani that we have started to Mumbai.
From ideation to implementation, it was a matter of few days. That’s the advantage when you bring people together. And even these delegation of powers, in a way if I may take a little side comment, where I learnt about this delegation of powers and how the strength of that comes in is from Gujarat. I remember on 31st May, 2013, I had to deliver a lecture at Stanford University on the Gujarat model of development. So, I started studying what is it that differentiates Gujarat from the rest of the country’s working.
And you will be amazed that the largest single factor, apart from the fact that it was a corruption-free government, it was a government that responded to the needs of the people, a government which cared for the poorest of the poor. One of the critical elements in their success was decentralization. I will give you small example – the Pani Samitis. They would make village-level Pani Samitis, and using that the Gram Sabhas could then implement the schemes on the ground. So, what I am trying to say is that decentralization has transformational potential, which is why we are focused on decentralization. Thank you.
Q: सर, पहला सवाल यह है कि 3000 escalators और CCTV cameras जो हैं… (Inaudible)?
A: उसको prioritize किया जा रहा है जो ज्यादा footfalls या जहाँ passengers ज्यादा हैं उन stations को ज्यादा तेज़ गति देनी है| साथ ही साथ अगर पूरे नेटवर्क को और ट्रेन्स को कवर करना है तो उसके लिए थोड़ा समय ज्यादा लगेगा| इसका पूरा टाइमटेबल बनने के बाद आपके समक्ष रखा जायेगा, अभी इसकी studies चल रही हैं, इसमें बहुत technology involved है, इसमें बहुत सारा running trains के ऊपर अलग technology लगती है तो इसको ज़रा स्टडी करके हम आपको समय-सीमा देंगे|
1st November को लागू होगा वह अभी issue होने वाला है जल्दी|
Q: Mr Goyal, here, what plans do you have on rail transport, a preferred mode of transport, you know, because we have low air fares, less time, you know viz-a-viz the air planes. So, how do you make railway a preferred mode of transport?
A: Well, my vision is that as we bring in new technologies into the working of railways, and as I have mentioned earlier, after Rajdhani, we have had no technology in the last 48 years, which is why we have now embarked on this ambitious plan on bullet trains. Once we make progress on that we would look to expand that across the country. So, idea is to make railways with a twin objective – one is bring back the charm which railways had once upon a time, and I think no better a person than Mr Lohani to lead that from the front, given his long years of experience in the tourism sector, in passenger front end sectors.
And the second, to bring in speed, efficiency, punctuality, quality services into the system, for which the bullet train is one aspect, safety in the existing network is the second aspect, diverting freight traffic to dedicated freight corridors, and unclogging the main lines for passengers is another aspect. So, it will be a multi-pronged effort, all of which leading to making the passenger experience more delightful.
Secretary: You mentioned about preferred mode of transport, I would like to say railways carry 2.2 crore passengers every day. And all the airlines of India put together, they carry only about 300,000 passengers/350,000 passengers a day. So, it’s already the preferred mode of transport.
Q: Sir, the country is grappling with the issue of coal shortage and one of the reasons is the unavailability of rakes. Sir, what is the plan of the Ministry for the availability of rakes from now on?
A: Well, as the Coal Secretary had recently explained to everybody and I am also on record on that, there was never any shortage of coal per se. In fact, as on 31st March, 2017, we had 68 million tonnes of coal at the coal mines. Unfortunately, several states did not take enough coal as required by the Central Electricity Authority timelines, so companies or power plants which are at a particular distance have to carry 22 days, some have to carry even more or less.
Because of the easy availability, I think states were a little lax in carrying the right amount of coal on their power plants. And then, once the rains came in, and it became more difficult to load and transport coal on the one hand, second, because of heavy flooding in some of the mining areas, we could not load coal at all from some areas. The Dhanbad line had to be shut down for safety reasons. And fourth – nuclear, hydro and wind power fell in the last August-September-October period, because of which the demand for coal increased many folds. And you will be happy to know, I think last two months, the supply of coal to power plants has increased by anywhere between 17% to 20%, which is a never heard before increase in the last 2 months and we will continue to maintain that pace and that growth in the months to come.
Thank you.