NKGSB बैंक के चेयरमैन है, और कोआपरेटिव मूवमेंट तो वास्तव में महाराष्ट्र की और इस देश की विशेषता रही है | बहुत लंबे समय से हमने कोआपरेटिव मूवमेंट में नेतृत्व किया है महाराष्ट्र ने | बलबीर जी ने अभी अभी बताया कि 30वर्षों से टूरिज़्म क्षेत्र से जुड़े हुए है | वास्तव में मेरे खुद के, स्वयं के बहुत रूचि का क्षेत्र है और मैं समझता हूँ जब देश में बदलाव की बात आती है तो टूरिज्म में जो संभावनाएं हैं देश को बदलने के लिए वो शायद सबसे ज़्यादा हैं much more than even, for that matter IT, and any other sector | और ऊर्जा नहीं हो तो टूरिज़्म भी नहीं चल सकता और बैंक भी नहीं चल सकता है | भाइयों और बहनों मुझे बहुत ख़ुशी है कि गिरीश जी ने लोकसत्ता में अन्य अन्य विषयों के ऊपर इस प्रकार के वर्कशॉप, सेमिनार रखे हैं जिसमें एक विषय को लेकर उसका पूरा निचोड़ पूरी तरीके से उसमें क्या क्या संभावनाएं हैं, क्या सुधार हो सकता है, क्या हुआ है, ठीक हुआ नहीं हुआ, कैसे बेहतर हो सकता था | इन सब चीज़ो को लेते हुए अन्य अन्य विषयों पर इन्होंने चर्चाएं रखी हैं|
पीछे चर्चा हो रही थी कि ऊर्जा के क्षेत्र में भी महाराष्ट्र ने बहुत तेज़ गति से प्रगति की है उसपर भी एक चर्चा की जाए और खुले दिल से की जाए | काफी चीज़ें अच्छी हुई हैं, काफी चीज़ों में संभावनाएं और भी हैं, कुछ कमियाँ भी रह जाती हैं | और मैं समझता हूँ एक अच्छे पत्रकार के नाते और एक अच्छे newspaper मीडिया हाउस के नाते जो इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप ने वर्षों-वर्षों से एक प्रकार से निगरानी भी रखी है सरकारों के ऊपर, उनके काम के ऊपर, साथ साथ में कुछ अच्छा हुआ है तो उसकी सराहना भी की है | यह बैलेंस जिस प्रकार से इंडियन एक्सप्रेस ने रखा है उसके लिए मैं बधाई दूंगा | थोड़ी आलोचना ज़्यादा होती है, अच्छी चीज़ें कम रिपोर्ट होती हैं, पर वह आज के competitive media world की विशेषता है | मुझे लगता है बहुत कम Television viewers होंगे या न्यूज़ पेपर पढ़ने वाले होंगे जिनको मजा आएगा यह पढ़कर कि महाराष्ट्र में जो एनर्जी shortage होती थी 2014 के पहले वह लगभग बीस गुना होती थी आज के respect में| किसको मज़ा आएगा वह सुन के, अभी बिजली मिलती है you will take it for granted, किसको ध्यान में आएगा कि energy shortage was 40 times more than what it’s today, of course, now it is very low. It is .2% energy deficit; peak energy deficit is down to .2 %. Energy shortage is down to .1%.
पर शायद एक मीडिया हाउस के एक कार्यक्रम में बोलते हुए पीछे प्रधानमंत्री जी ने भी कहा था कि कई बार हम भूल जाते हैं वह पुराने दिन जब कोयले की हाहाकार मची रहती थी | रोज़ चिंता रहती थी कि कल कोयला नहीं आएगा तो बिजली घर बंद हो जाएगा उससे जनता को कितनी कठिनाई होगी | महाराष्ट्र अकेले में 14 बिजली घरों में से 10 में क्रिटिकल स्टॉक था अक्टूबर 2014 में जब देवेंद्र फडणवीस जी की सरकार आयी | मैं भी नया नया मंत्री बना था कुछ महीने पहले और लगभग हम सबने मान लिया था कि भारत में ऊर्जा या बिजली और कोयला कभी पर्याप्त हो ही नहीं सकता | We will be perennially a country of shortages when it comes to coal, when it comes to power. I think that had become an accepted mindset, an accepted norm.
और शायद उसी का कारण है और गिरीश जी इसपर आप भी गौर करियेगा कि मैं जो बात कहने जा रहा हूँ वह कितना बड़ा एक प्रकार से दुर्लभ स्तिथि इस देश में छोड़ के गयी है पिछली सरकार, क्योंकि यह कल्पना थी कि कोयला तो हर वक़्त कम ही रहेगा, तो 2011 से शायद कोयले की linkage देना ही बंद कर दिया, किसी को कोयला देना ही बंद कर दिया और सबको कह दिया .2011 नहीं शायद उसके पहले ही, 2009 से बंद हो गया लगभग linkage देना | और सबको कह दिया कि जिसको कोयले से बिजली घर बनाना है वह विदेशी कोयला ला कर ही आप बिजली घर बना सकते हो, हम कोई कोयले की आपको confirmation या guarantee नहीं दे सकते |
साथ ही साथ ऐसा महसूस कराया पूरे देश को और विश्व को कि यहाँ बिजली इतनी कम है कि जितने भी बिजली घर लगा दो उतना इस देश में खपत हो जायेगी बिजली की | यह दोनों कारण हैं कि इस देश में लगभग 83,100 MW के थर्मल पावर प्लांट गत दस-बारह वर्षों में लगे हैं जो विदेशी कोयले के ऊपर या तो पूर्णतः या अधिकांश निर्भर है |
We have 83,100 MW of coal-based power capacity, which is partially or largely, or many cases fully, dependent on imported coal. And after the Modi govt came, we didn’t do any magic. All that we did was inspire the people working in Coal India and other coal companies to work more efficiently, to work to produce more coal, meet the needs of India’s coal requirement.
और मात्र डेढ़ वर्षों में, One and half year only, स्तिथि ऐसी पलटी कि यह देश जो लगभग 68 साल तक आजादी के बाद कोयले और बिजली की कमी में, आभाव में डूबा हुआ था वह आज surplus coal और surplus electricity nation बन गया है पिछले डेढ़-दो वर्षों में | लेकिन जो विरासत मिली उसका भुगतान हमें अगले पच्चीस वर्ष तक करना पड़ेगा | इसलिए कि जब बिजली घर बन गया, विदेशी कोयले के ऊपर निर्भर बिजली घर बन गया, Boiler ऐसा डिजाईन हो गया कि वह भारत का कोयला जिसमें फ्लाई ऐश अधिक होता है वो इस्तेमाल ही नहीं कर पाए, उस अकेले एक कारण की वजह से आज पर्याप्त कोयला होने के बावजूद भारत को एक लाख करोड़ का कोयला हर वर्ष पच्चीस वर्ष तक विदेश से लाना पड़ेगा, यहाँ पर नौकरियां और रोजगार का साधन नहीं बनेगा, यहाँ की investment या निवेश नहीं होगा | यहाँ पर उसपर taxes नहीं कलेक्ट होंगे, रॉयलिटी नहीं कलेक्ट होगा | यह सब लाभ विदेशी कंपनियां और विदेशी देशों को मिलेगा. भारत की विदेशी मुद्रा एक लाख करोड़ की कम होगी हर वर्ष |
तो मैं समझता हूँ कि एक प्रकार से जो कोयले का scam, coal-gate जिसको कई लोग नाम देते थे, जिसमें CAG ने तब कहा था एक लाख 86 हज़ार करोड़ का देश का नुकसान हुआ, मैं समझता हूँ यह पच्चीस लाख करोड़ का नुकसान तो उससे भी दस गुना ज़्यादा है जो इस देश को सालों साल भरते रहना पड़ेगा विदेशी मुद्रा में और विदेश से कोयला लाना पड़ेगा. यह mindset था इस देश का कि इस देश में बदलाव आ ही नहीं सकता , हम always shortage में रहेंगे, हम always crippled रहेंगे, कमियाँ norm है | The rule of the game is we will always be in shortage. पता नहीं उसके पीछे हेतु क्या था | क्या विदेश से कोयला लाने में कुछ अलग प्रकार के फायदे थे कुछ व्यक्तियों को, कुछ लोगों को, क्या उसके पीछे हेतु यह था कि कोयले की shortages रहेंगी तो लोग हमारे पास आएंगे होड़ लगाकर हमें कोयले की खदान दे दो, कोयले की linkage दे दो, तो हमारे पास, सरकार के पास पावर रहेगी किसी को favour करना, किसी को नहीं करना और उस discretion के साथ तो आप जानते हैं क्या जुड़ा रहता है |
क्या इसके पीछे यह हेतु था कि जिन्होंने बिजली घर लगा लिए वो अनाप- शनाप 08 रुपये, 10 रुपये, 12 रुपये प्रति यूनिट अपनी बिजली बेच पाएंगे, और बड़े रूप में प्रॉफिट कर पाएंगे | मैं समझता हूँ जिस प्रकार से प्रधानमंत्री मोदी जी ने गरीब कल्याण को अपना केंद्र बिंदु रखा इस सरकार को और गरीब कल्याण में किसानों को पर्याप्त बिजली मिले, सस्ती बिजली मिले , हर गरीब के घर तक बिजली पहुंचे कि उनके भी बच्चों को आपसब और मेरे बच्चों की तरह अच्छी शिक्षा मिल सके, तालीम मिल सके | जो राजस्व इस देश के राज्यों को मिलना चाहिए वह सही मायने में राज्यों को मिले जिससे राज्य सरकारें जनता के, जनहित के कार्य कर सकें |
किस प्रकार से जो भ्रष्ट्राचार चलता था इस क्षेत्र में उसको रोक कर पारदर्शिता से पूरा कार्यक्रम किया जाए पूरी सरकार चले उसको बल दिया जाए | इन सब पहलुओं पर जो नई सरकार ने जोर दिया, बल दिया यह उसका परिणाम है और मैं समझता हूँ संयुक्त सभी राज्यों ने, सभी अधिकारियों ने, जनता ने और मीडिया ने मिलकर इन संभावनाओं को कार्यान्वित करने में हमें मदद की | मैं तो अपने सभी डाटा को mobile apps द्वारा जनता के और मीडिया के समक्ष रखता हूँ और साथ साथ यह भी अनुरोध करता हूँ कि आप लोग ज़रूर हमारे काम की निगरानी रखिए | आप मेरे apps में से पूरी डाटा निकाल के verify करिये, चेक करिये, तभी जाकर मैं भी अपने काम.आखिर मैं एक दिल्ली में बैठा और ऊपर से देश भर में घूमता हुआ यह नहीं देख पाऊंगा कि उत्तर प्रदेश के नगला फटला विलेज में केंद्र सरकार के पैसे से बिजली पहुंच जाती है ट्रांसफार्मर लाइव हो जाता है, चेक हो जाता है, राज्य सरकार के 6 अधिकारी sign कर के हमें certify कर देते है कि विद्युतीकरण की व्यवस्था लग गई है | करीब करीब Nov 2015 में और एक दिन बिजली देने के बाद फिर बंद कर देते हैं और कटिया कनेक्शन, illegal कनेक्शन से फिर बिजली शुरू हो जाता है क्योंकि सरकारी व्यवस्था से दी हुई बिजली का बिल सरकार के ख़ज़ाने में जाता है और कटिया कनेक्शन का बिल भ्रष्ट्राचारियों, राजनेताओं और अधिकारियों की जेब में जाता है |
पर यह सब डाटा, एक तो वास्तव में हमें कभी ध्यान ही नहीं आता माननीय प्रधानमंत्री ने मेरे ही app से देख के कोई एक नाम लिया 15 AUG 2016 को और तब हाहाकार मचा कि यहाँ तो बिजली आ नहीं रही है, प्रधानमंत्री ने नाम कैसे ले लिया | प्रधानमंत्री ने तो mobile app से देखा उत्तर प्रदेश की सरकार ने certify किया है कि नया विद्युतीकरण हुआ है, पैसे लिए है केंद्र सरकार से, बिजली पहुंची है तो उन्होंने तो ऐप्प से कोई एक नाम उठा के लिया है .यह मेरा सौभाग्य था कि उस जगह पर कटिया कनेक्शन को जोड़ दिया जा रहा था बजाए कि ईमानदार बिजली के |
अधिकारी भागे, दौड़े, शहर में तुरंत transformers on किया और शाम को चार बजे तक फॉर्मल बिजली आनी शुरू हो गई सबको | उससे ध्यान आता है कि कैसे transparency और पारदर्शिता जब होगी और मैं तो लगातार मेरे पत्रकार बंधुओं को कहता हूँ कि आपलोग जब यह सब चीज़ें जमीन पर …आपके तो मीडिया के सबलोग होते हैं देश भर में, मैं आपसब से भी अनुरोध करूँगा ..जनता भी जबतक जागरूक न हो | आखिर हमें कोई शौक नहीं है कि mobile app को लांच करना या mobile app में डेटा डालना | उद्देश्य यह है कि जनता उसको देखेगी, ध्यान में आएगा जनता के कि हमारे नाम पर तो लिखा है कि विद्युतीकरण हो गया है फिर मुझे बिजली क्यों नहीं मिलती है | हल्ला उठाएंगे, हल्ला करेंगे |
यह अलग बात है कि पता नहीं गिरीश जी को याद है कि नहीं, आप में किसी ने सुना कि नहीं जब उत्तर प्रदेश का चुनाव हो रहा था हाल ही में तो मुख्यमंत्री और सरकार का एक सबसे बड़ा नेता, सबसे बड़ा मंत्री जिसके कारण उनकी पार्टी भी बिखर गई दो पक्षों में | दोनों ने public speeches में बड़े गर्व से कहा देखिये हमारी सरकार कितनी अच्छी है, हमने तो आजतक बिजली चोरी करने वालों पर भी कभी एक्शन नहीं किया | पर जनता यह पसंद नहीं करती है, जनता जानती है कि बिजली चोरी करने वाले होते हैं दो लोग, तीन लोग, लेकिन जो बाकी ईमानदार व्यक्ति अपना बिजली का बिल देना चाहते हैं, वह चाहते हैं कि हमें चौबीसो घंटे अच्छी बिजली मिले, सस्ती बिजली मिले आखिर उसका भुगतान उनके ऊपर आता है |
और यह परिस्थिति देश भर में थी, पूरे देश में यह परिस्थिति थी कि कुछ लोग गलत काम करते हैं, उसका भुगतान देश की व्यवस्था पे करती है और ईमानदार लोगों पर उसका भार पड़ता है | इस परिस्थिति को बदलने की जो योजना लायी गयी उज्ज्वल डिस्कॉम assurance योजना, जिससे राज्य सरकारों को accountable बनाया गया, राज्य सरकारों के ऊपर अब यह pressure है कि अगर बिजली दर का loss करेंगे, बिजली की distribution company loss करेगी तो आप बैंक के पास जा के नया लोन ले के अपना loss नहीं भर सकते, अब आपको profit करना पड़ेगा, आपको बिजली की पूरी व्यवस्था को efficiently चलाना पड़ेगा, अच्छी तरीके से चलाना पड़ेगा | आप अपना inefficiency जनता के गले में नहीं डाल सकते हैं कि आप बिजली की चोरी होने दो, आप बिजली के बिल मत कलेक्ट करो | और उसका भुगतान जो ईमानदार लोग बिल पे करते हैं उनके गले नहीं जा सकता अब |
रेगुलेटर से भी मेरी चार दिन पहले चर्चा हुई, मैंने कहा, state regulator सब थे forum of regulators में, मैंने कहा भैया आप को appoint किया होगा राज्य सरकार ने, पर Chief Minister के दबाव में मत रहो, मैं पूरे देश के परिपेक्ष में कह रहा हूँ | आप independent हो, अब आपको appoint करने के बाद हटाया नहीं जा सकता है, अब आप जनता की और देश हित की बात करो, आप ध्यान रखो कि inefficiency हो रही है तो उसको रोकने के लिए pressure डालो, अनाप-शनाप खर्चे जनता के गले जा रहे हैं तो उसको रोको | और मुझे ख़ुशी है कि सभी regulators ने बहुत उत्साह से मुझे commit किया है कि अब वह इस की भी चिंता करेंगे, मैं 20-21 तारीख को फिर एक बार उनके साथ दो दिन के लिए बैठने वाला हूँ यह चर्चा करने के लिए कि कैसे यह जो बदलाव हो रहा है पूरे ऊर्जा के क्षेत्र में इस परिवर्तन को और तेज़ गति देने के लिए कैसे यह regulators भी एक अहम् कड़ी और क्या रोल वह भी प्ले कर सकते हैं |
पर्यावरण एक बहुत गंभीर समस्या सिर्फ देश के सामने नहीं पूरे विश्व के सामने है, हम सब जानते हैं कैसे मुंबई, दिल्ली, इन सभी शहरों में, बैंगलोर, हैदराबाद, चेन्नई, कोलकाता, इन सब में तो खासतौर पर, और वास्तव में देखें तो पूरे देश में कैसे पर्यावरण की समस्या गंभीर भी होते जा रही है, पर्यावरण बिगड़ता जा रहा है | और एक प्रकार से सभी को चिंता है कि आगे चलके विश्व का क्या होगा, महात्मा गाँधी जी ने कहा था कि हम सभी एक प्रकार से ट्रस्टीज हैं इस पूरे विश्व की, पूरे अपने अपने देश की | We are only trustees of the planet. We have inherited the earth so that we can leave behind a better place for the next generation and we are obliged to do that. हमारे पास यह छूट नहीं है कि हम देश और पूरे विश्व को और ख़राब करके अगली पीढ़ी के लिए छोड़ दें | यह हमारा दायित्व है कि हमने प्लेनेट को संभालना है, प्लेनेट को सुधारना है, जिसको economists कहते हैं – inter-generational equity.
और मैं समझता हूँ जो नेतृत्व भारत ने पर्यावरण को सुधार करने के क्षेत्र में पूरे विश्व में किया है, मैं स्वयं मान्य प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के साथ पेरिस में था जब COP21 का उद्घाटन हुआ 29-30 नवम्बर, 2015 को, और उस दिन जो मैंने मेरे आँख के सामने दृश्य देखा बड़े बड़े देशों के नेता जो होड़ लगाये थे प्रधानमंत्री मोदी जी को मिलने के लिए, उनसे चर्चा करने के लिए, कई नेता तो यहाँ तक खड़े थे कि बस पैसेज में चलते चलते हमें 30 seconds, 1 minute का समय fix कर दीजिये, चलते चलते हम बात करेंगे | प्रधानमंत्री जी का जो charisma है जो विश्व की गहराई में सोच करके नयी, नयी सोच के साथ, बदलाव करने का जो उनका प्रयत्न रहता है उसको पूरा विश्व recognize कर रहा था, appreciate कर रहा था | उलटे, on a lighter vein, उसके थोड़े दिनों बाद ही Japan के Prime Minister, Shinzo Abe san भारत आने वाले थे, तो उन्होंने last minute कहा कि मुझे कोई चर्चा करनी है मेरी forthcoming visit के बारे में, समय पूरा block था तो American bilateral जो President Obama और प्रधानमंत्री मोदी जी के बीच हो रही थी उसके थोड़ा पहले उनका समय तय हुआ | उसमें शायद थोड़ी लम्बी चर्चा चल गयी, तो normal diplomacy में यह रहता है समझो इस room में हमारी meeting होनी है US और India के साथ तो बाजू में एक holding room रहता है जिसमें जो नेता पहले आ जाये वह वहां बैठते हैं, जब दूसरा नेता आ जाये तो दोनों एक साथ कमरे में आते हैं | एक international diplomacy का एक norm है, rightly so, one leader cannot come and sit, waiting for the other leader in the meeting room.
प्रधानमंत्री जी आने वाले थे उससे पहले राष्ट्रपति ओबामा जी को Holding room में वह wait कर रहे थे तो वहां से बाहर आ गए, और आप ही के महाराष्ट्र के दोनों और मंत्री, प्रकाश जावडेकर पर्यावरण मंत्री थे, मैं ऊर्जा मंत्री था और नवीकरणीय ऊर्जा, अक्षय ऊर्जा मेरे पास होने के कारण और International Solar Alliance का launch उसी दिन किया गया था, उसके कारण हम दोनों महाराष्ट्र के आपके साथी वहां पर John Kerry के साथ चर्चा कर रहे थे, outside the holding room, in the passage, waiting for honorable Prime Minister | तो President Obama बाहर आ गए, पहले मेरे कंधे पर हाथ रखा, तो कहते हैं – you have to solve the problem of climate change, you play a positive role. मैंने कहा सर, Your Excellency, I am not the Environment Minister, he is. तो दूसरा हाथ प्रकाश जी के कंधे पर रखा और एक प्रकार से हम दोनों के साथ, और वह तो काफी ऊंचे-लम्बे हैं, तो हम दोनों के साथ जैसे वह लगभग 15-20 मिनट तक चर्चा करते रहे, वह हमारे साथ नहीं चर्चा कर रहे थे, हम तो दोनों representatives थे सिर्फ आप लोगों के |
प्रधानमंत्री मोदी जी का नेतृत्व इतना व्यापक था वहां पर, और ऊर्जा के क्षेत्र में, नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में, जलवायु परिवर्तन को संभालने के क्षेत्र में जो भारत का नेतृत्व पूरा विश्व देख रहा था और भारत मतलब, टीम इंडिया, 125 करोड़ भारत के हम सब लोगों का यह नेतृत्व, यह उसकी बात थी कि यह विश्व का so-called सबसे powerful country का सबसे powerful leader हम दोनों छोटे आपके प्रतिनिधि के साथ कोशिश कर रहा था कि हम कैसे इस पूरे Paris Accord में जुडें, नेतृत्व करें और इसमें सर्वसहमति बनाने में अहम् भूमिका निभाएं | वास्तव में अगर छप्पन इंच का छाती का कोई प्रमाण मैंने स्वयं महसूस किया तो वह उस दिन मुझे लगा कि यह होता है भारत का वर्चस्व पूरे विश्व में जो उसदिन मैंने देखा, महसूस किया | उसदिन मुझे गर्व से लगा कि अब भारत विश्व को नेतृत्व करेगा, अब भारत के 125 करोड़ लोग तय करेंगे विश्व का आगे चल के, किस प्रकार से विश्व में प्रगति होगी, विकास होगा | That was truly a day of reckoning for me personally. And I think on your behalf, I only represented the 125 crore Indians. Prime Minister Modi only reflects the voice of 125 crore Indians when he leads India in international fora, presents India’s point of view, India’s case.
और वास्तव में जब Paris का Accord तय हुआ, finalize हुआ, तब लगभग हर एक बड़े देश के मुख्याओं ने प्रधानमंत्री मोदी जी को धन्यवाद दिया, फ़ोन पर लगभग हर बड़े देश के नेता ने उनसे चर्चा की और सबसे बड़ी बात कि भारत के नेतृत्व में जो developing world है, जिसको अभी भी प्रगति और विकास की बहुत ज़रूरत है, चाहे वह अफ्रीका हो, एशिया हो, इन सब देशों की आवाज़ भारत बना, जो responsibility, common responsibility पूरे विश्व की है, global warming से, climate change से हमें बचाने की विश्व को उसमें जिन राज्यों ने वास्तव में पर्यावरण ख़राब किया | आखिर भारत तो 17% विश्व की population होने के बावजूद हमने तो मात्र 2-2.25% carbon dioxide भेजा है, यूरोप ने, अमेरिका ने बहुत छोटी population के बावजूद आधे से भी अधिक carbon dioxide तो वहां से आया है, developed nation से आया है | तो एक common but differentiated responsibility का जो concept वह avoid करना चाह रहे थे, accept नहीं कर रहे थे, यह भारत के और मोदी जी के नेतृत्व में Paris के जलवायु समझौते में यह आया, और अगर सबसे बड़ी कोई contribution मोदी जी के और भारत के उस agreement में रही तो वह थी Sustainable Lifestyles.
We were able to get the entire world to agree that they will also have to contribute to climate change through sustainable lifestyles. ऐसा नहीं हो सकता है कि आप लन्दन जाओ, न्यू यॉर्क जाओ, वाशिंगटन जाओ, तो मुझे तो थोड़ी आदत ही पड़ गयी है मैं जिस बड़े शहर में जाता हूँ और हमें 2-3 बजे तक काम करने की सबको आदत ही है लगभग | तो रात को सोने के पहले एक बार खिड़की पर जाके मैं थोड़ी फोटोज लेता हूँ, और कभी आप लोग देखेंगे, बाद में मैं गिरीश जी को दिखा भी दूंगा कि जिस प्रकार से बिजली को waste करती है developed world, आप चले जाइये, आप में से सभी लोग घूमे हुए हैं, केसरी तो हम सबको लेके ही जाते हैं अलग अलग जगहों पर | कोई विश्व के बड़े कैपिटल में चले जाओ, 100-100 मंजिला office की building, रात भर बिजली चालू, हर bulb को चालू रखते हैं, करोड़ों रुपये की बिजली का waste होता है, और बिजली के waste के साथ साथ पर्यावरण ख़राब होता है | एक व्यक्ति नहीं काम कर रहा है 100 मंज़िल कि बिल्डिंग में, वहां लाइट ऐसे लगी हुई है जैसे दिवाली मना रहे हों | यहाँ तक कि अगर दूरबीन से देखूँ तो क्या कागज़ पर लिखा है मैं वह भी देख सकता हूँ शायद उनके ऑफिस में, it could actually be a security threat for them.
इसमें भी developed world को चिंता करनी पड़ेगी और sustainable lifestyles, आखिर एक pizza, आप अमेरिका में चले जाओ, इस टेबल जितना बड़ा तो pizza आता है टेबल पर, सामान्य आदमी, चार आदमी नहीं खा पाएंगे | आधे से अधिक waste होता है, आखिर food waste में, उस pizza की waste में भी ऊर्जा गयी है उसकी वजह से भी पर्यावरण ख़राब हुआ है, उसका transportation हुआ है, वह cook हुआ है, उसमें अलग अलग पदार्थ बने हैं, उसको बनाने का equipment बना है | और I can go on and on कि how that one pizza also is a part of sustainable lifestyle and waste.
मैं कोई मोबाइल पर मेरे messages नहीं पड़ रहा हूँ, लाइटिंग देखने की कोशिश कर रहा हूँ | Here’s, I have every city. You can name the city, यह Stockholm आया था, उसके पहले मैं न्यू यॉर्क दिखाना चाह रहा था आपको, जो बड़ी बड़ी बातें करते हैं, अब तो उन्होंने बातें करना भी बंद कर दिया है, वह अलग विषय है | This is New York, last year, 27th May last year. You will see पूरा रात को, the whole Manhattan is brightly lit up, wasteful energy consumption. और यह सिर्फ New York नहीं, विश्व के हर बड़े शहर में मैंने देखा है, भारत में नहीं होता है, आप Nariman Point रात को चले जाइये, कोई building में waste नहीं होता है |
और मज़ेदार बात, मैं एक बार मान्य प्रधानमंत्री जी के साथ ही न्यू यॉर्क में था और energy dialogue भी चल रहा था उसमें साथ साथ में, सुबह morning walk करने निकला था वाशिंगटन में जिस होटल में कल मान्य प्रधानमंत्री जी का भाषण आप सुन रहे थे …ठहरे हुए था, I was taking my morning walk और वहां sunlight बहुत जल्दी आ जाती है | तो morning walk के समय मैंने देखा सब स्ट्रीट लाइट्स चालू थीं, और उसके बाद हमारा एक सेशन था, John Kerry, Secretary of State ने बुलाया था कि how to address challenges of climate change. I think प्रधानमंत्री जी नहीं थे, यह conference के लिए गया था on address, John Kerry ने बुलाया था | तो मैंने उसकी भी फोटो, वह भी है मेरे पास, दिन में वाइट हाउस के बाहर सब स्ट्रीट लाइट्स जल रही हैं, on a day जिसमें आज जितनी बाहर रोशनी है उससे अधिक रोशनी थी – bright sunny day | उसकी भी photos दिखा दूंगा आपको, तो मैंने कांफ्रेंस में ऐसी ही बैठे हुए पूछा panel discussion में – how do you justify this waste? आप लोग यह ठीक क्यों नहीं करते हो, बिजली कि लाइट क्यों नहीं बंद करते हो? तो उसमें से panelist, panel on climate change, एक panelist बोलता है ‘but then how do we sell our energy, where do we sell our energy?
यह double standards के सामने भारत एक उदाहरण बन रहा है पूरे देश और विदेश और विश्व में कि कैसे संवेदना होती है कि waste नहीं होना चाहिए | आज जो LED programme भारत में इतनी सफलता से implement हो रहा है, 2019 तक हमारी उम्मीद है कि पूरा देश LED में convert हो जाये | All lighting should be LED, अब tube lights भी आ गयी हैं, yellow lights, colour lights, सब आ गयी हैं | लगभग halogen भी अभी LED के अच्छी lumens की light से replace होने लग गया है | आप कल्पना करिए एक छोटा प्रोग्राम, छोटा तो अब हो गया है जब पहले कांग्रेस के ज़माने के purchase price के हिसाब से देखें तब Rs 310 का एक 7W bulb ख़रीदा जाता था, टैक्स वगैरा, distribution cost लगाके इतना महंगा हो जाता था कि सरकार को Rs 100 की subsidy देनी पड़ती थी, फिर भी जनता लेने को तैयार नहीं थी इसलिए साल में मात्र 6 लाख बल्ब LED के बिकते थे | इस सरकार ने उसको जो तेज़ गति दी, 6 लाख बल्ब साल में बिकने के बदले अब 6 लाख बल्ब रोज़ बिकते हैं भारत में, रोज़, every day. वह भी एक ही सरकारी कंपनी EESL अकेले 6 लाख बल्ब बेचती है, private sector अलग बेचता है, और मात्र सवा दो वर्ष में EESL ने 24 करोड़ बल्ब, private sector ने 34 करोड़ बल्ब, कुल मिलाके 58 करोड़ बल्ब अभी तक LED के, और बल्ब की कीमत जो हम 310 में खरीदते थे आज 40 रुपये में खरीदते हैं, 85% down. जो मार्किट में 600-700 रुपये में आता था आज 60 रुपये में बल्ब मिल रहा है, और वह भी 7W के बदले 9W का बल्ब |
और भाईयो बहनों यह परिवर्तन का स्केल सोचिये कितना है, यह स्केल ऐसा है कि एक LED bulb replace करने से देश भर में सभी lighting में भारत लगभग 11,200 करोड़ unit बिजली के, 11,200 करोड़ यूनिट हर वर्ष बचाएगा जिससे जनता के बिल में, आप सबके बिजली के बिल में Rs 40,000 करोड़ सालाना बचत होगी | और global climate change, global warming के लिए carbon dioxide कम हो उसका impact 80 million tonne सालाना carbon dioxide कम निकलेगा क्योंकि बिजली उतनी कम खपत होगी | इतना massive game changing एक simple LED replacement programme में संभावना है |
मैं आपको सिर्फ यह उदाहरण इसलिए तीन-चार दे रहा था कि देश की अब सोच बदल गयी है | Mindset has changed. Country is now not only become a responsible global citizen but is now giving leadership to the world. और US के जो Secretary of Energy Dr Munitz अब तो नहीं रहे, नयी सरकार आ गयी है, वह पूरे विश्व में जाते थे और भारत के standards और उजाला प्रोग्राम, LED replacement programme को पूरे विश्व के सामने, मेरे brand ambassador वह थे, American Power Minister, वह सबको बोलते थे कि देखो पूरे विश्व ने यह करना चाहिए | पीछे Sweden गया था तो वहां के Power Minister बोलते हैं भारत के कारण हमारी बिजली के बिल कम होने लग गए, हमारे यहाँ पर LED programme को प्रोत्साहन मिल गया और LED bulb सस्ते हो गया |
और आपको जानके ख़ुशी होगी कि पिछले महीने Energy Efficiency Services Limited (EESL) ने London में अपना office खोला है पिछले महीने | Now Ujala has gone to London, और मैं कल ही review कर रहा था उसका उजाला के प्रोग्राम London का और थोड़े guidance दे रहा था | हमने लक्ष्य रखा है कि 10 करोड़ बल्ब हम London में बेचेंगे EESL के LED bulbs और जहाँ वहां 6-7 pound का एक बल्ब बिकता है, हम 2 pound में London में बेच के मुनाफा भी करेंगे भारत के लिए और London में दिखाएंगे कि कैसे बिजली बचानी है |
और उसमें हमें कोई संकोच नहीं होता है किसकी हेल्प लेना है, मुझे कुछ reference list के लिए अच्छी कंपनियां चाहिए थीं तो जितनी भारत कि कंपनियां वहां काम करती हैं मैंने उन सबसे अपील की थी कि पहले आप लोग तो बदलो सब LED, आपतो बचाओ अपना बिजली का बिल | तो कल review में आया कि 20-22 दिन में पहले उन्होंने TATAs को लिखा था, Jaguar, Land Rover, Range Rover – यह जब सो गाड़ियाँ बनती हैं, भारत कि गाड़ियाँ बनती हैं वहां London में, UK में | उन्होंने अभी तक sign नहीं किया है, 20 दिन पहले EESL ने TATA के Chairman को लिखा था, तो मैंने कल फ़ोन करके उनको Sayadri Guesthouse में बुलाया और पत्र की कॉपी दी कि भाई 20 दिन हो गए आपको लिखा था London के अपने UK के सब operations को instruct करो और आपको एक रुपया नहीं खर्चना है | EESL का जो model है, आप जो बचत करेंगे उसी से हम पैसा लेंगे, आपको एक रुपया नहीं खर्चना है, क्यों विलंभ कर रहे हो? जो एक एक दिन विलंभ कर रहे हो, आप बिजली भी खपत ज्यादा कर रहे हो, बिल भी ज्यादा भर रहे हो और जलवायु परिवर्तन भी हमारा विश्व का ख़राब कर रहे हो |
उन्होंने चिट्ठी रखी नहीं, मुझे वापिस देदी, no, no, I remember this letter, I had this letter. Today itself I will take action on it, मतलब आज, Monday I will take action. यह है सरकार जो बदलाव के लिए LED बल्ब भी एक बेचने के लिए मंत्री भी सड़क पर उतर आता है | ऐसे होता है pace of change, ऐसे होता है संवेदना जनता के प्रति, देश के प्रति और विश्व के प्रति | मैं तो एक उदाहरण के रूप में दो-तीन चीज़ कह रहा था, वास्तव में अगर मौका मिले तो मैं अभी से ले के आपके शाम के सेशन तक एक एक चीज़ गिना सकता हूँ |
अभी अभी महाराष्ट्र के साथ हमने एक करार किया, 1500 सरकारी बिल्डिंग जो हैं महाराष्ट्र में सबका energy audit होगा, मुफ्त में, बिना एक रुपये लिए EESL उसमें energy saving devices लगाएगी | एक वर्ष का समय तय हुआ था, दादा पटेल जब उसको launch किया कह रहे थे 1-1.5 वर्ष में हम कर देंगे | मैंने कहा भाई 6 महीने ज्यादा क्यों, 6 महीने कम में कर दो आपकी बिजली और बच जाएगी, तो अब यह महाराष्ट्र के अधिकारियों के ऊपर चैलेंज है कि वह कितना जल्दी इसको रोल आउट करने में हमें मदद करते हैं, मेरे अधिकारियों के बीच चैलेंज है कि वह किस स्पीड पर implement करते हैं, दोनों के बीच झगडा लगाके मैं कोशिश करूँगा कि जल्द से जल्द हो जाये |
आज ईद की छुट्टी आ गयी नहीं तो आज इस सेशन के बाद हमारा महाराष्ट्र का review होना था क्या क्या हो रहा है | And I regularly keep reviewing with all the states, परसों मैं जयपुर में राजस्थान का review करके आया हूँ | आपको जानके ख़ुशी होगी, राजस्थान जो Rs 15,000 करोड़ रुपये का सालाना DISCOM loss करता था और 2500 करोड़ का generation company loss करती थी जब वसुंधरा राजे जी की सरकार फिर से चुनके आई 2013 में, उसको राज्य सरकार और केंद्र सरकार के संयुक्त प्रयास से उस loss को एक-तिहाई कर दिया है, 5000 करोड़ पर ले आये हैं और अगले वर्ष तक profit में होगी उनकी DISCOM | जो 2700 करोड़ का loss generating company करती थी इसी वर्ष में, March ’17 में वह breakeven हो गयी है |
यह होता है pace of change | हम रोते नहीं रहे कि भाई गहलोत सरकार ने, कांग्रेस की सरकार ने बंटा गोल कर दिया था या डब्बा गोल कर दिया था राजस्थान के विद्युत् विभाग का, हमने रास्ते ढूंढें, परिवर्तन किया, सुधार किया, हम रोते नहीं रहे कि यहाँ महाराष्ट्र में बिजली साढ़े पांच घंटा शहरों में जाती है जब देवेन्द्र फडणवीस की सरकार आई | हमने सुधार के रास्ते ढूंढे, अभी भी है, लगभग दो घंटे पर आ गयी है, 1 hour 58 minutes to be precise, as per October ’17 data on the Urja App. और यह सब data transparently आप सबके सामने है, मेरा कोई काम फाइलों पर नहीं होता है, हर काम को हम पोर्टल पर, वेबसाइट पर, मोबाइल ऐप्प पर आपके समक्ष रखते हैं | और सीधा हिसाब-किताब है, जहाँ बिजली की चोरी कम होगी, AT&C losses कम होंगे वहां 24 घंटे बिजली मिलनी शुरू हो जाएगी | कोई इसमें संदेह नहीं है, यह दो-तरफ़ा होगा, ताली तो दो हाथ से बजेगी | अगर कोई क्षेत्र बिल नहीं भरेगा या चोरी करेगा तो उसमें हमें बिजली कम करनी ही पड़ेगी |
जो क्षेत्र चौबीस घंटे, आज मुंबई में collection efficiency लगभग 98-99%, AT&C losses शायद 10-11% या single digit में होंगे | इसलिए आपको 24 घंटे बिजली का स्वाद मिलता है और कई बार तो मजाक में कहता हूँ मैं Chartered Accountant, मेरा कोई बिजली से लेना देना नहीं, कोई यह technical subject समझता नहीं था | मुझे लगता है सिर्फ प्रधानमंत्री जी ने मुझे इसलिए ऊर्जा मंत्री बनाया कि मैं मुंबई से आता हूँ, 50 वर्ष मैंने अच्छी एक, बिजली मुझे मिलती रही ऐसी व्यवस्था मुंबई में पाई थी तो प्रधानमंत्री जी ने सोचा मेरा दायित्व है कि इस इस पूरे देश के 125 लोगों को 24/7 quality, affordable, uninterrupted power मिले यह दायित्व मैं मुंबई से लेके पूरे देश में पहुंचा पाऊँ, इस उद्देश्य के साथ शायद मुझे ऊर्जा का विभाग मिला, अलग अलग रूप से राज्य और केंद्र सरकार, और आप सबके आशीर्वाद और सहयोग से कुछ न कुछ परिवर्तन और बदलाव गत तीन वर्षों में हम कर पाए हैं, सफ़र लम्बा है, कभी संतुष्टि में रहना नहीं चाहिए चाहे कोई नेता हो, चाहे कोई मंत्री हो, चाहे कोई अधिकारी हो, चाहे जनता हो, हम सबको. We should be in a perpetual state of want, of expectations, that is when we can get the best out of each other.
कई बार लोग कहते हैं कि जनता की अपेक्षाएं और आकांक्षाएं बहुत हैं, does it daunt you? Do you feel intimidated by those expectations? And my answer to all of them is not at all. If they didn’t have the expectation I would never be able to perform. और आखिर expectation तो उसी से करता है कोई जिस में देने की क्षमता हो | You will only expect from somebody you trust and deliver, and I am delighted that people of India trust Prime Minister Modi, they trust this government to deliver, they trust this government to deliver, they trust this government will change the past. उनको विश्वास है, पुर्णतः विश्वास है कि यह सरकार ईमानदारी से इस देश में बदलाव ला रही है, बदलाव अच्छे के लिए ला रही है, देश में सुधार हो रहा है | आखिर यह इसी शब्दों में रिपोर्ट मत कर देना, उसमें एक नयी controversy, journalism of courage के नाम पर मत create कर देना, मगर एक गरीब आदमी भी आपके दरवाज़े पर तभी खटखटाता है, या आपकी गाडी पर तभी आ के तभी knock करता है जब उसको विश्वास है कि भाई इसके पास बहुत है, इस आदमी के पास भगवान् की कृपा रही है, बहुत कुछ मिला है तो शायद मुझे भी कुछ दे पायेगा |
You only expect from a person you trust he can give you something, he can deliver by his actions, by his honesty, by his efforts. And I am delighted that this country trusts Prime Minister Modi and his government to bring change, to deliver a better quality of life. We are committed कि 1 मई 2018, तक इस देश में एक भी गाँव नहीं रहेगा जिसको बिजली का स्वाद न मिले | We are committed कि 15 August, 2022, जब भारत में 75 वर्ष की आज़ादी का जश्न मनाया जा रहा होगा, हर व्यक्ति के सर पर छत होगी, उसके पास शौचालय होगा अपने घर में, बिजली होगी चौबीस घंटे, पेयजल होगा, स्वास्थ्य सेवाएं मिलेंगी, अच्छी शिक्षा मिलेगी, यह नए भारत कि कल्पना ले के यह सरकार काम कर रही है, चौबीसों घंटे काम कर रही है | आपके उसमें सुझाव, आपका उसमें योगदान, आपका आशीर्वाद लगातार मिलता रहे, आज की भी इस दो दिवसीय जो बदलता महाराष्ट्र की आपकी संगोष्ठी है इसमें भी मुझे पूरा विश्वास है नए विषय पर चर्चा होगी, नए ideas आयेंगे और उन सुझाओं को हम तक पहुंचे यह Indian Express, Loksatta और गिरीश जी का दायित्व रहेगा और उसपर हमें खरे उतरे यह मेरा दायित्व रहेगा, यह मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ |
बहुत बहुत धन्यवाद|