September 15, 2018

Speaking at Swachhata Hi Seva Programme, at Old Dehi Railway Station

और लगभग पूरे देश का जो अनुमान लगाया गया है, आज की जो चर्चा हुई है प्रधानमंत्री जी की स्वच्छता ही सेवा के इस कार्यक्रम के दौरान, लगभग 10 करोड़ लोग आज देश भर में इसके साथ जुड़े हैं|
कई लोगों ने टीवी पर देखा, हजारों स्थान पर देश भर में कार्यक्रम हुए, लाखों करोड़ों की संख्या में लोग अब जाकर श्रमदान देंगे और यह श्रमदान कोई सिंबॉलिक नहीं है कि आज हमने कर दिया और हमारी ज़िम्मेदारी ख़त्म हो गयी| यह एक प्रकार से पुनः सबको याददाश्त ताज़ी होती रहे कि यह स्वच्छता कोई एक दिन का काम नहीं है, एक पखवाड़े का काम नहीं है, यह हमें जीवन में ग्रहण करना है|
और वास्तव में यह बात कोई नयी नहीं है, महात्मा गाँधी जी कहा करते थे जब आज़ादी का आन्दोलन चल रहा था कि स्वच्छता ही सेवा है, स्वच्छता ही देश की और भगवन की पूजा है| और वास्तव में उन्होंने तो, महात्मा गाँधी जी ने स्वच्छता को भगवन की पूजा से भी ज्यादा अहम भूमिका दी, ज्यादा महत्वपूर्ण बताया था| और मैं समझता हूँ इस देश का सौभाग्य है कि लगातार 2014 से जो केंद्र सरकार, राज्य सरकारें, हमारे मीडिया के इतने बंधु, इतनी-इतनी एनजीओ, स्वयंसेवी संस्थाएं और देश का हर नागरिक इस कार्यक्रम के साथ जुड़ा है|
आखिर भाईयों बहनों हम सब अपने घर को तो साफ़ रखते ही हैना? हम कभी अपने घर को तो गन्दा नहीं होने देते, हम कोशिश करते हैं कि घर में सफाई हो, घर के बाहर आँगन साफ़ हो, तो क्या यह भी अपना एक प्रकार से कार्य क्षेत्र ही है| सड़क जो है वह भी जनता की सड़क है, तो पूरा देश जब साफ़ होगा तब लाखों करोड़ों लोगों के जीवन में परिवर्तन आएगा| आज आधी जो बीमारियाँ हैं वह बीमारियाँ भी गन्दगी के कारण हैं, जो जलवायु परिवर्तन की प्रॉब्लम है, जो इतना प्रदूषण से हम सब सफ़र करते हैं, हमारे बच्चों को नुकसान होता, बच्चे के स्वास्थ्य को नुकसान होता है वह भी एक प्रकार से गन्दगी के कारण है| जितनी गन्दगी फैली हुई होती है उससे कार्बन डाइऑक्साइड और गैसेस, मीथेन गैसेस निकलते हैं वह प्रदूषण फैलाते हैं और हमारे बच्चों की, हमारे माता बहनों के स्वास्थ्य को आघात पहुंचाता है|
तो मैं समझता हूँ एक प्रकार से स्वच्छता के काम करने में जो सम्मान है वह आज माननीय प्रधानमंत्री जी ने बापू के दिखाए हुए रास्ते पर चलकर एक देश में स्वच्छता को और स्वच्छता के साथ जुड़े हुए सभी कर्मचारियों का सम्मान किया है| और मुझे भी अभी कुछ कर्मचारी मिले थे, अगर इधर हैं तो इधर बुला लो उनको, जो-जो स्वच्छता के हमारे कर्मचारी हैं सबको बुला लो|
तो मेरे हिसाब से अगर यह देश का हर एक नागरिक इस बात का प्रण ले ले, इस बात का विश्वास ले ले अपने आपमें कि मैं बदलाव के प्रति ज़िम्मेदारी लेता हूँ, मैं ज़िम्मेदारी लेता हूँ कि आगे चलकर सिर्फ मेरा घर नहीं, सिर्फ मेरा कार्यक्षेत्र नहीं, पूरे देश को हम स्वच्छ बनाने का एक प्रण ले लेते हैं, एक शपथ ले लेते हैं तो आगे चलकर यह देश स्वस्थ होगा, देश साफ़-सुथरा होगा, पूरी देश की दुनिया में साख बनेगी|
आज पूरे विश्व से जब लोग आते हैं पर्यटन के लिए आते हैं, कारोबार करने आते हैं तो भारत का क्या मेसेज लेकर जाते हैं, भारत के बारे में क्या सन्देश जाता है उनका? क्या वह सन्देश एक अच्छा सन्देश, स्वच्छ भारत का है, या वह कहते हैं भाई थोड़ा सुधार तो हुआ है, चार साल में बदलाव तो हुआ है, लेकिन अभी भी बदलाव की और बहुत संभावना है|
तो आज मैं आप सबसे प्रार्थना करता हूँ कि हम सब यह शपथ लें और मेरे साथ ही आप शपथ लीजिये कि हम इस देश को साफ़-सुथरा बनाने में स्वयं योगदान देंगे, स्वयं श्रमदान देंगे, हम स्वयं इस कार्यक्रम के साथ जुड़ेंगे, हम स्वयं देखेंगे कैसे अपने घर की तरह पूरा देश भी साफ़-सुथरा हो| और आप सबसे अनुरोध है कि मेरे साथ यह शपथ लें, मात्र एक शपथ दोहराने के लिए नहीं है, इसको अपने जीवन में हमको ग्रहण करना है, इसको इम्प्लीमेंट करना है, इसको कार्यान्वित करना है तभी इस शपथ का मतलब है|
मेरा आप सबसे अनुरोध है कि इस शपथ को हम पूरी सीरियसनेस के साथ लें| तो मेरा आप सबसे अनुरोध है कि मेरे पीछे इस शपथ को हम सब लेंगे और दिल से ग्रहण करेंगे और दिल से और आत्मीयता से इसको कार्यान्वित करेंगे|
“महात्मा गाँधी ने जिस भारत का सपना देखा था उसमें सिर्फ राजनैतिक आज़ादी ही नहीं थी बल्कि एक स्वच्छ एवं विकसित देश की कल्पना भी थी, महात्मा गाँधी ने गुलामी की जंजीरों को तोड़कर माँ भारती को आज़ाद कराया| अब हमारा कर्तव्य है कि गन्दगी को दूर करके भारत माता की सेवा करें| मैं शपथ लेता हूँ कि मैं स्वयं स्वच्छता के प्रति सजग रहूँगा और उसके लिए समय दूंगा, हर वर्ष 100 घंटे यानी हर सत्पाह दो घंटे श्रमदान करके स्वच्छता के इस संकल्प को चरितार्थ करूँगा| मैं न गंदगी करूँगा, न किसी और को करने दूंगा| आप सबसे पहले मैं स्वयं से, मेरे परिवार से, मेरे मुहल्ले से, मेरे गाँव से एवं मेरे कार्यस्थल से शुरुआत करूँगा| मैं यह मानता हूँ कि दुनिया के जो भी देश स्वच्छ दिखते हैं उसका कारण यह है कि वहां के नागरिक गन्दगी नहीं करते और न ही होने देते हैं| इस विचार के साथ मैं गाँव-गाँव और गली-गली स्वच्छ भारत मिशन का प्रचार करूँगा| मैं आज जो शपथ ले रहा हूँ वह अन्य 100 व्यक्तियों से भी करवाऊंगा, वह भी मेरी तरह स्वच्छता के लिए 100 घंटे दे इसके लिए प्रयास करूँगा| मुझे मालूम है कि स्वच्छता की तरफ बढ़ाया गया मेरा एक कदम पूरे भारत देश को स्वच्छ बनाने में मदद करेगा|”
जय हिन्द|

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