Speeches

April 8, 2019

Speaking at ABP News program Shikhar Sammelan

एंकर: बहुत-बहुत धन्यवाद पीयूष गोयल जी। भारत सरकार के रेल मंत्री और कोयला मंत्री, दो-दो मंत्रालयों का प्रभार संभाल रहे हैं, पीयूष गोयल जी हम सबके बीच में हैं, भारतीय जनता पार्टी के बहुत वरिष्ठ नेता हैं। तहे दिल से एबीपी न्यूज़ के इस मंच शिखर सम्मेलन 2019 में आपका स्वागत है।

उत्तर: बहुत-बहुत धन्यवाद सुमित जी और मैं समझता हूँ आप तो अब प्रधानमंत्री का इंटरव्यू करते हैं तो अब हम छोटे लोगों की क्या अवकात है आपके सामने जवाब देने की।

एंकर: बहुत-बहुत धन्यवाद इस मौके के लिए भी और उस मौके के लिए भी। हम तो सवाल पूछते हैं, प्रधानमंत्री से पूछने की कोशिश की कुछ रह गए हैं जो आपसे पूछने की कोशिश आज कर लेते हैं। शुरुआत करता हूँ आपके संकल्प पत्र से जो आज मैनिफेस्टो आया। कांग्रेस कह रही है कि यह जुमला पत्र है, भारतीय जुमला पत्र। कांग्रेस का सीधा-सीधा एलिगेशन है जो जनता के एलिगेशन से या जनता को समझ में भी आ जाये, आपका पहला पन्ना राष्ट्र प्रेम है, उनका पहला पन्ना रोज़गार है, क्या रोज़गार आपके घोषणा पत्र में है ही नहीं, संकल्प पत्र में, ऐसा क्यों है?

उत्तर:  सबसे पहले तो स्वाभाविक है कि विपक्षी दल हैं तो आलोचना करेगा और हम आलोचना से कभी न डरते हैं हम स्वागत करते हैं। आपको कुछ उम्मीद थी कि वह तारीफ करेंगे और टीवी पर बोलेंगे वाह क्या मोदी जी ने बढ़िया संकल्प लिए हैं। तो स्वाभाविक है आलोचना करेंगे लेकिन आज ही से दो दिन पहले मैंने स्वयं पत्रकार वार्ता में खुलासा किया था कांग्रेस ने कैसे 1951 से शुरू करें तो आज तक लोगों को धोके में रखा, झूठे वादे किये और किस प्रकार से इस देश के साथ  छल किया है। वास्तव में उनके 1951 के घोषणा पत्र तक में लिखा है कि गरीबी हटाएंगे। मैं सात वर्ष का था, 1971 में जब उन्होंने गरीबी हटाओ का नारा दिया था। मैं 20 वर्ष का था 1984 में जब कहा गया एक पूर्व प्रधानमंत्री द्वारा जो आज के अध्यक्ष, कांग्रेस के अध्यक्ष के पिताजी थे जिन्होंने कहा कि मैं 100 रुपये खर्चता हूँ तो 55 रुपये तो मेरे चेले-चपाटे भ्रष्टाचार और दलाली में निकाल देते हैं। वह सब कौन थे, वह कांग्रेसी थे।

आज ही से 15 वर्ष पहले, जब में 40 वर्ष का था 2004 में वर्तमान में कांग्रेस अध्यक्ष की माता जी ने जब वह अध्यक्षा थी कहा कांग्रेस के हाथ गरीबों के साथ। अब कब तक गरीब इस प्रकार के झूठे वादे और झूठे घोषणाओं को स्वीकार करेंगे और विश्वास करेंगे। आज एक देश के सामने नेता है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिसपर देश की 130 करोड़ जनता की आस्था है जिसके ऊपर विश्वास करती है भारत की जनता।

और वह कितना भी कुछ शब्दावली करें स्लोगन करें इस संकल्प पत्र की एक-एक चीज़ सोच समझकर गहराई से उसके ऊपर विचार विमर्श करके और हर बिंदु में कितना खर्चा होगा, कब होगा, कैसे होगा, सफलता कैसे करी जाएगी, किस चीज़ में लगा सफलता में मुश्किल होगी उसको छोड़ दिया। बहुत गहराई से सोच समझकर यह घोषणा पत्र यह संकल्प पत्र बना है क्योंकि हम कंटीन्यूइंग गवर्नमेंट हैं हम वर्तमान में सरकार में हैं, हम ज़िम्मेदारियों के अहसास से इस संकल्प पत्र को बना रहे हैं, हमें अहसास है कि हमें इसको पूर्णतः 24 मई से ही इसको लागू करना शुरू करना है।

तो उस ज़िम्मेदारी के साथ और जनता के विश्वास के अनुकूल यह बनाया गया संकल्प पत्र है, रही बात राष्ट्र प्रेम की तो मैं इस खुले मंच से आप सब से पूछना चाहता हूँ कि क्या राष्ट्र प्रेम के ऊपर कोई कोम्प्रोमाईज़  हो सकता है? क्या राष्ट्र प्रेम इम्पोर्टेन्ट, सबसे ज़्यादा इम्पोर्टेन्ट इशू नहीं है देश के सामने? कभी भी, आप दुनिया में कोई देश में चले जाइये राष्ट्र प्रेम के आधार पर आदमी को जो आत्मविश्वास बनता है, जो एक प्रकार से खुदके अंदर हौसला बनता है वह राष्ट्र प्रेम पर बनता है। आज अमेरिका में कोई एयरपोर्ट पर बैठे हों और कोई उनके सेना बल के लोग गुज़रते भी हैना बाजू में से तो सब लोग खड़े होकर ताली बजाते हैं यह होता है राष्ट्र प्रेम जो आज पूरी दुनिया जिसका आदर सम्मान करती है। भारतीय जनता पार्टी और मोदी जी इस प्रकार का राष्ट्र प्रेम का सम्मान करते हैं, हमारे फौजी सिपाहियों का सम्मान करते हैं और मैं समझता हूँ यह सभी 130 करोड़ देश राष्ट्र प्रेम के ऊपर कोई आस्था के साथ हमारा समर्थन करेगा।

एंकर: मेरे ख्याल से कोई भी इस हॉल में मौजूद आपकी बात को डिनाई नहीं करेगा। भारतीय सेना को राष्ट्र प्रेम को हम सब करते हैं, हम सब अपने आपको देशभक्त मानते हैं, राष्ट्र प्रेमी मानते हैं और भारतीय सेना को सलाम करते हैं।

उत्तर: कांग्रेस वालों को शायद इसके बारे में कुछ अलग राय है।

एंकर: वह आपकी राजनीतिक लड़ाई है।

उत्तर: नहीं, राजनीतिक लड़ाई नहीं है, जो व्यक्ति इस प्रकार की आलोचना कर सकता है तो आप भाइयों बहनों तय करिए कि कैसी सोच होगी जो राष्ट्र प्रेम के ऊपर सवाल उठाती है।

एंकर: आपने कांग्रेस पर बहुत बोला, आपने राष्ट्र पर भी बहुत बोला, यह आपका संकल्प पत्र है पूरे 42-43 पेजेस का इसमें मैं फिर वही आ रहा हूँ, आपने बहुत सोच समझकर बनाया, गंभीरता से बनाया, अभी-अभी आपने कहा तो क्या सोच समझकर यह रोज़गार शब्द को छोड़ दिया गया?

उत्तर: पहली बात तो सुमित जी आप भी बहुत वरिष्ठ पत्रकार हैं, यहाँ बैठे हुए सभी लोग बड़े समझदार हैं और आपके सभी चैनल देखने वाले मैं समझता हूँ बहुत ही ज़िम्मेदार देशवासियों को मैं बताना चाहूंगा कि यह एक ऐसा संकल्प पत्र है जो पहले पन्ने से आखिरी पन्ने तक लोगों को अवसर ही अवसर देता है। आखिर जब 100 लाख करोड़ रुपये देश में खर्चा होंगे आधारभूत सुविधाएं, इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने में तो यह कोई ऊपर से तो भगवान पेश नहीं कर देगा, आप और हम मेहनत करेंगे, आप और हम काम करेंगे। जब कोई वस्तु बनेगा तो कोई मेसन काम करेगा, कोई कारपेंटर काम करेगा कोई रंग लगाने वाला काम करेगा कोई इलेक्ट्रीशियन काम करेगा, जब सड़कें बनेंगी तो ड्राइवर ट्रेलर्स चलाएंगे, ड्राइवर उसके ऊपर गाड़ियां चलाएंगे। सड़क बनाते हुए लोग मज़दूर उसमें काम करेंगे, इंजीनियर डिज़ाइन करेंगे, कुछ स्टोर्स का काम देखेंगे, कुछ अकाउंटेंट एकाउंट्स रखेंगे। यह पूरा संकल्प पत्र जब 25 लाख करोड़ रुपये ग्रामीण क्षेत्रों में विकास और आधारभूत सुविधाओं के ऊपर खर्चने की बात करता है तो स्वाभाविक है करोड़ों लोगों को उसमें काम मिलेगा। जब यह संकल्प पत्र मेक इन इंडिया की बात करता है तो करोड़ों लोगों को उसमें काम करने का अवसर मिलेगा, जब पर्यटन को प्रोत्साहन देता है तो करोड़ों लोगों को उसमें काम मिलेगा।

तो मैं समझता हूँ समझता हूँ समझदार लोग इस संकल्प पत्र को देखते ही समझेंगे कि यह पूरा संकल्प पत्र – जैसे अंग्रेजी में एक कहावत है – Either you teach a person to fish or you provide him fish. भारतीय जनता पार्टी एक ऐसी ज़िम्मेदार पार्टी है जो लोगों को आत्मनिर्भर देखना चाहती है, आत्मविश्वास से भरे युवा को और मज़बूत बनाना चाहते हैं और हम लोगों को काम देना चाहते हैं बजाए कि डोल और उस प्रकार से यह संकल्प पत्र बनाया गया है।

एंकर: आपके संकल्प पत्र के जवाब में कांग्रेस पार्टी ने एक बीजेपी का मैनिफेस्टो जारी किया है – एक भारत बेरोज़गार भारत – सब कुछ उल्टा पुल्टा है, कमल का फूल उल्टा मोदी जी की फोटो की मिमिकरी बनाने की कोशिश की गयी। मैं आपसे पूछना चाहता हूँ क्या बेरोज़गारी पर जिसपर इतना कांग्रेस हावी है आपको लगता है यह आपने जो बातें कही कि सड़कें बनेंगी, मॉल बनेंगे, अस्पताल बनेंगे वह काम निकलेगा, इससे संतुष्ट कर पाएंगे हिंदुस्तान की अवाम को?

उत्तर: और यह 100 लाख करोड़ तो सिर्फ सरकारी या सरकारी सहायता से बनाने का इंफ्रास्ट्रक्चर का प्लान है और पूरा वेल डिफाइंड प्लान के साथ हमने लिखा  है,प्राइवेट सेक्टर इन्वेस्टमेंट अलग है और ग्रॉस कैपिटल फार्मेशन बढ़ते जा रही है वह भी आंकड़े देश के समक्ष हैं। रही बात इनके इस प्रकार के ओछे  व्यवहार की मुझे लगता है इस देश की जनता उनसे इससे ज़्यादा अपेक्षा ही नहीं करती है। भारतीय जनता पार्टी देश को शिखर तक पहुंचाने में लगी है जैसा आपका शिखर सम्मेलन। और कांग्रेस पार्टी एक बार शिखर तक पहुंचा दी थी जनता ने 1984 में अब वह अपने आप गड्ढे ढूंढ रही है कहाँ पर रहना है। और इस प्रकार के ओछे व्यवहार से मैं समझता हूँ प्रधानमंत्री मोदी जी की लोकप्रियता भी बढ़ती है और विश्वसनीयता भी बढ़ती है। हमने हर चुनाव में देखा है जब कांग्रेस बौखला जाती है तो इस प्रकार के शब्द और इस प्रकार की हरकतों पर उतर आती है। जितनी बार उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अपमान किया है उतना ही ज़्यादा लोकप्रियता प्रधानमंत्री की बढ़ी है।

आप बताइये भाइयों बहनों, जब उन्होंने मौत का सौदागर बताया तब और ज़्यादा लोगों ने उनको वोट दिया कि नहीं? जब चाय वाला करके अपमानित करने की कोशिश की तो भारत की जनता ने कहा यह चाय वाला नहीं यह उपाय वाला है। जब उन्होंने हमको नाकामियाब कहने की कोशिश की तो जनता ने कहा यह सरकार ने तो नामुमकिन को भी मुमकिन करके दिखाया है। और मैं समझता हूँ कांग्रेस पार्टी को अपनी सही जगह की दिशा का आंकलन हो गया है और इसलिए यह बहुत बुरी तरीके से बौखला गयी है।

एंकर: तो फिर राहुल गाँधी से डिबेट में परहेज़ क्यों? राहुल गाँधी हर चौथे दिन चुनौती देते हैं प्रधानमंत्री के उसी इंटरव्यू का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि डिबेट कर लीजिये आकर?

उत्तर: देखिये सुमित जी डिबेट उससे की जाती है जो कोई अपने स्तर का हो, जो व्यक्ति भाइयों और बहनों आप सबने शायद टीवी पर देखा होगा, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष गए थे सिंगापुर, आपको याद होगा एक सिंगापुर का उनका बड़ी डिबेट हुई थी। किसी व्यक्ति ने ऑडियंस में से पूछा कि राहुल जी आप देश की स्वास्थ्य सेवाओं का सुधार कैसे करेंगे, स्वास्थ्य की जो समस्या है – करोड़ों लोगों को – हमने आयुष्मान भारत लाया उसके पहले की बात है। जनता में से किसी ने पूछा कि स्वास्थ्य सेवाओं को आप कैसे जन-जन तक पहुंचाओगे सुधार करोगे तो आप में से कुछ लोगों को याद होगा और आपको ज़रूर सुमित जी याद होगा उनका जवाब। उनका जवाब था कि भारत की स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के लिए विश्व भर की जितनी एमआरआई मशीनें हैं उनको इंटरकनेक्ट कर दिया जाये तो भारत की स्वास्थ्य सेवाएं सुधर जाएँगी।

और आप बताओ भारत के प्रधानमंत्री एक समझदार व्यक्ति हैं बहुत सूझबूझ से काम कर रहे हैं, पांच साल में उनके काम को आप सबने देखा उसके पहले गुजरात की जनता ने उनके मुख्यमंत्री के कार्यकाल को देखा। अब वह ऐसे व्यक्ति के साथ डिबेट में पहुंचेंगे तो मुझे लगता है मेरे युवा मोर्चा के अध्यक्ष ही बहुत हैं, अध्यक्षा अकेले ही उनके साथ डिबेट कर लेंगी तो राहुल गाँधी जी डिबेट में खड़े नहीं हो पाएंगे।

एंकर: यह चुनाव का दौर है, आरोप प्रत्यारोप का दौर है, दिलचस्प …….

उत्तर: यह कोई आरोप नहीं है। मैंने जो सिंगापुर की बात कही कुछ गलत कही है? आपमें से देखी है कि नहीं? देखी हैना? और इस प्रकार के तो बहुत, एक इंटरव्यू हुआ था 2014 के चुनाव के पहले आप में से कुछ लोगों ने देखी होगी उस इंटरव्यू में जो सवाल पूछा उसका जवाब वूमेंस एम्पावरमेंट का था, सवाल सड़कों का होता था जवाब वूमेंस एम्पावरमेंट का होता था, सवाल होता था कि देश में सामाजिक न्याय कैसे होगा, सवाल का जवाब वूमेंस एम्पावरमेंट था, सवाल होता था कि चुनाव में आपकी रणनीति क्या होगी जवाब होता था वूमेंस एम्पावरमेंट। तो ऐसे व्यक्ति के साथ क्या डिबेट। आपके एबीपी में क्यों नहीं बुलाते, ज़रा आप ही डिबेट कराओ उनके साथ उसके बाद हम कर लेंगे।

एंकर: मैं तो मॉडरेटर बनने को तैयार हूँ एबीपी का मंच देने को तैयार हूँ एक तरफ प्रधानमंत्री एक तरफ राहुल गाँधी, किसने मना किया?

 

उत्तर: नहीं, मैंने कहा ना equals, डिबेट कभी भी equals के बीच होती है, unequals के बीच नहीं होती है।

एंकर: तो एक तरफ पूनम महाजन?

उत्तर: मुझे लगता है बहुत है, वही निपट लेंगी।

एंकर: पीयूष भाई, एक चीज़ बहुत संजीदगी से पूछना चाहता हूँ, काफी देर से हमारा स्टेशन चल रहा है, बहुत से लोग यहाँ आये हैं जो मेरे ख्याल से आपके प्रधानमंत्री से और बीजेपी की विचारधारा से सहमत रखते थे। उनके कुछ सवाल हैं क्योंकि मैं सवालों को सेलेक्ट कर रहा था। एक सवाल जो मुझे लगा कि पूछा जाना चाहिए बीजेपी के नेता से कि आपने पांच साल में 370 को लेकर कुछ नहीं कहा, 35A को लेकर कुछ नहीं किया, आज आप फिर उन बातों को इस संकल्प पत्र में दोहरा रहे हैं। क्यों भरोसा करें कि अगले पांच साल में आप कुछ कर देंगे?

उत्तर: एक आप लोगों को याद होगा, हम बचपन में स्कूल कॉलेज में पढ़ा करते थे कहानी जिसमें एक वाक्य बड़ा प्रसिद्ध था – ‘Elementary my dear Watson’, आपको याद है वह? तो एक प्रकार से इसका जवाब बड़ा एलीमेंट्री है सुमित जी। राज्य सभा में हमारी पूर्ण बहुमत नहीं है, 2020 में हमारी पूर्ण बहुमत आएगी, संवैधानिक विषय है संविधान के तहत ही किया जा सकता है।

एंकर: आज फ़ारूक़ अब्दुल्ला साहब ने दुबारा कहा है कि अगर यह 370 और 35A को हटाने की बात करेंगे तो वाकई में हमें आज़ादी लेनी पड़ेगी, हमको अलग होना पड़ेगा। बहुत ही passionately गुस्से में उन्होंने इस तरह की बातें कहीं?

उत्तर: वह तो पूरे टाइम जब भी भारत में रहते हैं तो गुस्से में ही रहते हैं। लंदन में गोल्फ खेलते हुए शायद गुस्सा नहीं आता है उनको। लेकिन बहुत दुर्भाग्य की बात है कि इस प्रकार की सोच आज भी राजनीति में है भारत की और यही सोच है जो कांग्रेस के 70 साल के इतिहास में रही है तुष्टिकरण की सोच, तुष्टिकरण का व्यवहार जिसने कश्मीर में आज इतनी गंभीर समस्या खड़ी कर रखी है। अगर कश्मीर को भारत के साथ एक बनाना है, अगर कश्मीर के लोगों को भारत की विकास यात्रा के साथ पूरी तरह से जोड़ना है, अगर भारत और कश्मीर को हम इस रूप से देखेंगे जिस रूप से कांग्रेस देखती है, जिस रूप से अब्दुल्ला परिवार देखता है तो मैं समझता हूँ कश्मीर में कभी अमन शांति नहीं आ पाएगी। आज ज़रूरी है कि कश्मीर को देश के साथ एक होकर देखा जाए, कश्मीर के लिए अलग कानून की आवश्यकता नहीं है। कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और हम सब भारतवासी यही चाहते हैं।

एंकर: लेकिन पीयूष भाई बीजेपी और आरएसएस बोलती है कि जम्मू कश्मीर में केवल दो-ढाई डिस्ट्रिक्ट ऐसी है जहाँ पर तनाव है, जहाँ पर शांति नहीं है और वहां पर क्यों उनको बाकी जम्मू और लद्दाख के साथ मिलाकर न देखा जाए। मेरा सवाल यह है कि आपकी 370 की बात और 35A की बात इन्ही कश्मीरियों को आपसे दूर कर रही है, सिर्फ फ़ारूक़ अब्दुल्ला की बात नहीं है कश्मीर के लोग भी ऐसा कहते हैं?

उत्तर: ऐसा आपको लगता है। कुछ आतंकवादी … ऐसा कहते होंगे पर मैं समझता हूँ हर कश्मीरी के दिल में भारत के लिए प्यार है, हर कश्मीरी अपने आपको भारतवासी मानता है और वह भारत के साथ जुड़ना चाहता है। यह कुछ आतंकवादी लोग इस प्रकार का गलत प्रचार करते हैं, दुर्भाग्य से कुछ लोग उस बहकावे में आते होंगे और बहुत बड़ा दुर्भाग्य है कि कुछ राजनीतिक नेता भी इस प्रकार के गलत प्रचार से भारत का और भारतवासियों का जो संतुलन है वह ख़राब कर रहे हैं। मैं समझता हूँ उनके मित्र पक्ष कांग्रेस ने बह जिस प्रकार से सेडीशन लॉ को निकालने की बात की, जिस प्रकार से मीडिया के ऊपर अंकुश लगाने की कोशिश की। आपको ध्यान है कि नहीं कांग्रेस आ जाएगी तो एबीपी न्यूज़ बंद करना पड़ेगा आपको और या अख़बार बंद करना पड़ेगा, तय करना पड़ेगा क्या चलेगा या डिजिटल बंद करना पड़ेगा। तो इस प्रकार की सोच रखने वाली पार्टी क्या इस देश का भला करेगी।

एंकर: पर पीयूष भाई मैं कश्मीर पर वापस लौट रहा हूँ। अगर कश्मीर की अवाम बीजेपी की सोच के साथ है तो कश्मीर की श्रीनगर की सीट बीजेपी क्यों नहीं जीतती है, बीजेपी सिर्फ जम्मू की पार्टी बनकर क्यों रह गयी है?

उत्तर: ज़रूर समय आएगा जब हम श्रीनगर की भी सीट जीतेंगे और श्रीनगर के सभी लोग अगर आतंकवाद से मुक्त हो जायेंगे, आतंकवाद के प्रभाव से मुक्त होंगे तो ज़रूर वह चाहेंगे कि भारतीय जनता पार्टी वहां जीते और मोदी जी के लोग कश्मीर में अच्छा सुशासन जो देश को मिल रहा है वह कश्मीर में भी मिल पाए।

एंकर: एक चीज़ और कश्मीर से जुडी हुई है, कांग्रेस के मैनिफेस्टो में है कि अफ्स्पा को रिव्यू करने की बात है आप लोग उसको बरकरार रखने के लिए हैं कश्मीर में साफ़ तौर पर आपने कांग्रेस के मैनिफेस्टो की आलोचना भी की है औपचारिक बीजेपी के मंच से। पर आज नॉर्थ ईस्ट में अफस्पा को हटाते जा रहे हैं डिस्ट्रिक्ट वाइज मेघालय में, मिजोरम में हमने देखा, अभी-अभी मिजोरम की खबर आई। तो आपका यह कांग्रेस का कहना है कि डबल स्टैंड है कश्मीर में लगाकर रखना चाहते हैं नॉर्थ ईस्ट में हटाते जा रहे हैं?

उत्तर: सुमित जी, मैं समझता हूँ देश की जनता तो ज़्यादा समझदार है आप उनसे भी ज़्यादा समझदार हो। अफस्पा कब लगता है जब तनाव होता है, हमने तो उपलब्धियों में यह गिना है कि भारतीय जनता पार्टी और हमारे मित्र पक्ष जहाँ-जहाँ सरकार में आए हमने उग्रवाद को ख़त्म किया है, हमने आतंकवाद को ख़त्म किया है। और जहाँ-जहाँ उग्रवाद ख़त्म होता है स्वाभाविक रूप से वहां अफस्पा की ज़रूरत नहीं पड़ती है। तो अगर मिजोरम में जैसे हमारी सरकार ने शांति, अमन बनाने में सफलता पाई तो स्वाभाविक रूप से उसकी अब ज़रूरत नहीं है। लेकिन यह एक सभी जगह से हटा दिया जाये बिना वहां के मौके की पूरी तरीके से स्टडी करके, बिना राज्य सरकार की सहमति के यह तो एक प्रकार से आतंकवाद और उग्रवाद को और बल देने वाला काम होगा। तो मुझे लगता है भारतीय जनता पार्टी अमन शांति बनाकर और उग्रवाद को ख़त्म करके जो यह हटा रही है एएफएसपीए यही सही मायने में रास्ता है। यह कोई मैनिफेस्टो का विषय नहीं हो सकता कि हम सब जगह से हटा देंगे। और आज के दिन जो आर्म्ड फोर्सेज टेररिज्म के सामने लड़ रही है क्या आप उनको कमज़ोर करना चाहते हैं? कल को लाकर अगर 15-20,000 केसेस फ़र्ज़ी केसेस फाइल हो जाएं हमारे आर्मी और पर्सनेल के ऊपर जो वहां सेवा कर रहे हैं, जो पैरामिलिटरी फोर्सेज सेवा कर रही है उसके ऊपर फ़र्ज़ी केसेस आ जाए और उनको यह प्रोटेक्शन भी नहीं होगा तो किस प्रकार से उस इलाके को शांत रखेंगे किस प्रकार से आतंकवाद का मुकाबला करेंगे, ज़रा कांग्रेस वाले इसका जवाब दें आप लोग सोचिये, पत्रकार बंधु सोचिये कितना घातक है उनका यह इस प्रकार की सोच।

एंकर: प्रधानमंत्री के साथ जो इंटरव्यू था जिसका आपने रिफरेन्स किया जो एबीपी न्यूज़ को उन्होंने लास्ट वीक दिया उसमें उन्होंने माना कि मिलावट था, हमारा जो गठबंधन था पीडीपी के साथ वह मिलावट थी, हमने कोशिश की हम साथ-साथ चलें लेकिन हम नहीं चल पाए। क्या आज भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता होने के नाते आप देश को यह भरोसा दे सकते हैं आने वाले वक्त में जम्मू कश्मीर में जब भी विधान सभा चुनाव हुए तो आप एनसी और पीडीपी के साथ समझौता नहीं करेंगे, ऐसे एक्सपेरिमेंट अब नहीं होंगे?

उत्तर: आपने यह सवाल जब प्रधानमंत्री से ही पूछ लिया उसके बाद मैं कहाँ से इसके ऊपर और कुछ जवाब दूंगा।

एंकर: क्योंकि वह गलती थी बीजेपी ने माना, मिलावट थी?

उत्तर: देखिए यही बड़प्पन होता है। आखिर आप सब बताएं जो यहाँ युवा युवती हैं बताएं मुझे गलती किसी से भी हो सकती है, आपसे भी हुई होगी कभी न कभी। जो बुज़ुर्ग यहाँ बैठे हैं बताएं आपके बच्चों ने कभी गलती की हो तो आपने क्या किया उनको समझाया, उनको सही रास्ता बताया? तो भारतीय जनता पार्टी अगर कोई गलत, कुछ गलती हो जाती है तो देखिए कितना बड़प्पन है हमारे प्रधानमंत्री का, वैसे मुझे exact शब्द नहीं मालूम क्या बोला आपसे। तो मैं, I am going by what you are saying. तो देखिए कितना बड़प्पन है भारत के प्रधानमंत्री का कि उन्होंने कोई इसको स्कर्ट नहीं किया विषय को और इसलिए हमने प्रधानमंत्री जी से आग्रह करके एग्जाम वारियर्स किताब लिखवाई थी। और मुझे उम्मीद है हमारे जो युवा-युवती यहाँ बैठे हैं और अगर आपमें से कोई स्टूडेंट्स हैं तो ज़रूर वह एग्जाम वारियर्स पढ़िए, क्योंकि उसमें प्रधानमंत्री जी की सोच दिखती है और आपको बहुत प्रोत्साहित करेगी उनकी सोच, बताएगी कैसे एग्जाम के पहले तैयारी करनी पड़ती है। और अब हम तैयारी कर रहे हैं हमारे एग्जाम के लिए, 11 तारीख से हमारे फाइनल पेपर शुरू होने वाले हैं।

एंकर: पीयूष भाई कुछ मिनट बचें हैं, अपने कन्वर्सेशन में एक इम्पोर्टेन्ट टॉपिक को ज़रूर छूना चाहूंगा। नमो टीवी की क्या ज़रूरत पड़ी, प्रधानमंत्री का तो प्रचार प्रसार चल ही रहा है, यह नमो टीवी को चुपचाप लॉन्च करके डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर यह क्या साबित करने की कोशिश है?

उत्तर: देखो नरेंद्र मोदी की पॉपुलैरिटी से आज एबीपी भी डर रहा है।

एंकर: यह मैं उल्टा भी बोल सकता हूँ।

उत्तर: हाँ, एबीपी कई बार एकदम गलत प्रचार करता है, एजेंडा के हिसाब से काम करता है उसके लिए कभी हमको हमारा पक्ष रखने के लिए भी जगह चाहिए।

एंकर: हमारा काम है सवाल पूछना, हमारे सवाल ज़ाहिर तौर पर जब चुभते होंगे तो आप हमको पेंट कर देंगे, लेकिन मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया आपने?

उत्तर: चुभता तो कोई नहीं है मैं तो हर सवाल का जवाब दे रहा हूँ।

एंकर: नमो टीवी का नहीं दिया?

उत्तर: नहीं नमो टीवी का बता रहा हूँ ना, क्या इस देश में कोई सेंसरशिप है क्या, क्या हम अपनी बात नहीं रख सकते? आखिर एबीपी या आपका जो कोलकाता में वह निकलता है टेलीग्राफ अगर वह एकदम एजेंडा के हिसाब से एक तरफ़ा न्यूज़ छापता है तो मैं आपको यह बह सवाल पूछ सकता हूँ कि क्या ममता जी इतनी डर गयी है कि अभी से टेलीग्राफ को डरा धमका के सब न्यूज़ पर वहां सेंसरशिप लग गयी है?

एंकर: नमो टीवी क्यों आया? नमो टीवी क्यों लिया गया, किसने लाइसेंस दिया, कौन ओन करता है? इसपर क्यों क्लैरिटी नहीं है?

उत्तर: मेरे ख्याल से यह तो कोई it’s a website जो इंटरनेट के ऊपर है और हमारे पास पूरी स्वाधीनता है हम क्या निकाल नहीं सकते क्या? किसी ने रोक लगा रखी है? सुमित जी आप चाहो तो सूहा, स्वाहा, सुमित अवस्थी भी खोल सकते हो डिजिटल वेबसाइट, कोई दिक्कत नहीं है हम उसका भी स्वागत करेंगे।

एंकर: एक आखिरी सवाल पीयूष भाई क्योंकि वक्त की कमी है कितने का फिगर देकर जाएंगे जाते-जाते इस चुनाव में पहले चरण का मतदान तीन दिन के बाद है, नंबर दीजियेगा।

उत्तर: भारत की जनता ने तय कर लिया है भारत की जनता का विश्वास आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ है। भारत की जनता पूर्ण बहुमत की पिछले बार से अधिक सीटें देकर भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनाने जा रही है और हमारी मित्र पक्ष दलों के साथ। और आप जानते हैं भली भांति हमारा अब एनडीए अलायन्स और बड़ा हो गया है, तमिलनाडु में भी एक सबसे बड़ा अलायन्स उभरकर आया है, बिहार में नितीश कुमार जी के साथ हमारा अलायन्स है, नार्थ ईस्ट के अन्य-अन्य राज्यों में हमारे अलायन्स मज़बूत हुए हैं। तो दो-तिहाई बहुमत लेकर एक स्पष्ट नंबर दे रहा हूँ, दो-तिहाई से अधिक बहुमत एनडीए का आने जा रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार 23 तारीख को विजयी होकर इस देश की सेवा पुनः एक बार फिर एक बार पांच साल मोदी सरकार आपकी सेवा करेगी।

एंकर: बहुत-बहुत शुक्रिया

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