Speeches

January 27, 2019

Media Interaction at National Gallery of Modern Art

आज यहाँ पर एनजीएमए में जो बहुत ही अच्छा काम हो रहा है उसको देखने आने वाला था तो मुझे लगा आप लोगों को भी बुलाकर एक और खुशखबरी आपके समक्ष भी रखने का मौका ले लूँ। वैसे आपने अंदर देखा लगभग 1900 अलग-अलग प्रकार के जो मोमेन्टोस या कभी न कभी कोई प्रकार की भेंट माननीय प्रधानमंत्री जी को अलग-अलग कार्यक्रमों में दी जाती हैं वह सब यहाँ पर डिस्प्ले पर हैं। जब माननीय प्रधानमंत्री जी गुजरात के मुख्यमंत्री थे उस दौरान भी जितने ऐसे मोमेंटो या किसी ने शॉल पहनाई, किसी ने जैकेट दिया, किसी ने हेडगियर दिया, किसी ने तलवार दी, कोई शील्ड दिया, यह सभी को माननीय प्रधानमंत्री जी तोशाखाना में देते हैं और फिर समय-समय पर तोशाखाना से उसको जनता के समक्ष रखकर, जनता उसको ले सकती है। और जो भी राशि इसमें से मिलती है वह कुछ न कुछ अच्छे काम में लगे ऐसा माननीय प्रधानमंत्री जी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के दिनों से ही एक अच्छी प्रथा शुरू की थी। खासतौर पर हमारी बेटियों की पढ़ाई में गुजरात में जो पैसा आता था उसमें अधिकांश पैसा गरीब बेटियों की पढ़ाई में इस्तेमाल हुआ और ऐसे अन्य-अन्य अच्छे सामाजिक दृष्टि से कार्यक्रमों में यह पैसा जाता है।

इस बार की जो तोशाखाना में अभी तक जो-जो चीज़ें इकट्ठी हुई हैं इसमें भी जो पैसा राशि आएगी यह नमामि गंगे में, नमामि गंगे प्रोजेक्ट को पूर्ण रूप से, शत प्रतिशत दी जाएगी और उससे नमामि गंगे प्रोजेक्ट को और तेज़ गति देने में लाभ होगा। मैं समझता हूँ एक बहुत अच्छा यह प्रयोग रहा है, गुजरात में भी रहा है, अब केंद्र सरकार में रहते हुए प्रधानमंत्री के नाते माननीय प्रधानमंत्री जी ने सभी वस्तु जनता के समक्ष रखी हैं और बड़ा इंटरेस्टिंग था जो मैंने देखा, शायद आज और कल यह इस प्रकार से प्रोसेस चलेगा कुछ वस्तुओं का और बाकी वस्तुओं का फिर एक अलग प्रोसेस से मुझे अभी-अभी बताया गया एनजीएमए के अधिकारियों द्वारा कि बाकी जो वस्तु हैं जो थोड़ी बड़ी वस्तु हैं जिसकी वैल्यू थोड़ी अधिक है उनका एक अलग प्रोसेस से आगे चलकर कुछ दिनों के लिए उसको भी रखा जायेगा और लोग उसको भी आकर कर सकते हैं। यह ट्रेडिशनल ऑक्शन के स्टाइल से छोटी वस्तुएं हो रही हैं आगे चलकर फिर मॉडर्न डिजिटल प्रोसेस से वह ऑक्शन को आगे बढ़ाया जायेगा।

पर यह बहुत अच्छा काम है और इसमें पूरी राशि नमामि गंगे में जो जाएगी तो एक प्रकार से यह 1900 जो कार्यक्रमों में यह भेंट दी गयी है उन कार्यक्रमों के आयोजकों को और जो जनता इन कार्यक्रमों में आयी है उनके लिए भी एक बहुत बड़ा सन्देश है कि जो उन्होंने प्रधानमंत्री जी को भेंट दी वह आहुति नमामि गंगे में हमारी गंगा माँ को साफ़ करने में इस्तेमाल हो रही है यह भी एक बहुत बड़ा सन्देश पूरे देश भर में जायेगा। मैं माननीय प्रधानमंत्री जी का धन्यवाद करता हूँ कि इतनी अच्छी पहल उन्होंने आज यहाँ पर की है।

मैंने वास्तव में आप सबको इसलिए भी बुलाया था क्योंकि कल ही खुशखबरी मिली कि चीफ कमिशनर ऑफ़ रेलवे सेफ्टी ने जो नयी ट्रेन जिसका हम सभी को बेसब्री से इंतज़ार था, जिसको हमने जब इसको conceptualise किया था ट्रेन-18 का नाम दिया था। स्वाभाविक रूप से वह एक ट्रेन-18 उस समय में कल्पना के हिसाब से यह थी कि एक नई ट्रेन जो भारत में डिज़ाइन हो, भारत में उसके सब पुर्ज़े बने, सब पार्ट्स बने और भारत की शान बने और फिर भारत से पूरे विश्व में इसका एक्सपोर्ट हो ऐसी एक ट्रेन भारत में बनानी चाहिए। कब तक हम विदेशी डिज़ाइन की बनाई हुई ट्रेन्स भारत में चलाएंगे और कब तक सिर्फ विदेशी टेक्नोलॉजी पर भारत निर्भर रहेगा, यह माननीय प्रधानमंत्री जी की बहुत तीव्र इच्छा थी कि मेक इन इंडिया के तहत एक अच्छी भारत में बनाई जाये ट्रेन।

मेरे पूर्व रेल मंत्री माननीय सदानंद गौड़ा जी और माननीय सुरेश प्रभु जी ने इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाया, और मुझे ख़ुशी है कि एक अत्याधुनिक विश्वस्तरीय ट्रेन भारत में डिज़ाइन हुई, भारत में बनी और अब भारतियों की सेवा में जल्द ही हम इसको पेश करेंगे।

इसको हमने सोचा है कि इसका नाम, इसकी एक विशेष पहचान भी होनी चाहिए और इसको एक विशेष पहचान के रूप में एक नाम दिया जाये जो नाम भारत के साथ जुड़ा हो, हम सबके लिए वन्दनीय हो, हम सबकी शान है भारतीय 125 करोड़ भारतियों की शान बने। और हमने पूरी व्यवस्था से इसके बारे में क्राउड सोर्सिंग करके अलग-अलग नाम के सुझाव लिए, मैं उन सभी लोगों का धन्यवाद करना चाहूंगा जिन्होंने अलग-अलग नाम के सुझाव दिए लेकिन चुना तो एक ही जाने वाला है नाम। तो आप सबको आज बुलाने का हेतु यही था कि अब वंदे भारत एक्सप्रेस देश की सेवा में लगेगी, वंदे भारत एक्सप्रेस देश की शान बनेगी, वंदे भारत एक्सप्रेस पूर्ण रूप से भारत में बनाई गई, डिज़ाइन की गयी, हमारे भारत के इंजीनियरों के द्वारा इसका निर्माण किया गया, हमारे भारत के रेल कर्मचारियों ने इसको इंटीग्रेटेड कोच फैक्ट्री चेन्नई में बनाया। और यह वंदनीय उपलब्धता को हम वंदे भारत एक्सप्रेस के नाम से दिल्ली से बनारस तक चलाएंगे, मात्र 18 महीने में इस ट्रेन के डिज़ाइन से लेकर प्रोटोटाइप डेवलपमेंट तक, उसमें डेवेलोप करना, कॉन्सेप्ट बनाना, पुर्ज़े ऑर्डर करना, पुर्ज़ों का भी डिज़ाइन करना, पूरी ट्रेन बनाना यह अपने आपमें शायद एक वर्ल्ड रिकॉर्ड होगा कि 18 महीने में पूरी ट्रेन तैयार की गयी और मेक इन इंडिया विश्वस्तरीय ट्रेनें बना सकती है इसका यह जीता जागता उदाहरण है।

आपमें से कई मित्रों ने तो शायद देखी भी है ट्रेन मेरे साथ जाकर और आप सब एग्री करेंगे कि यह भारत की पहली indigenous, totally indigenous semi-high speed train वास्तव में वंदनीय है, वास्तव में हम सबके लिए भारत माता के लिए शान की बात है। तो वंदे भारत एक्सप्रेस इसका नाम होगा, यह दिल्ली से बनारस तक का सफर जो आज के दिन लगभग 11.5-12 घंटे में होता है यह मात्र 8 घंटे में करेगी और कानपुर और इलाहाबाद रुकते हुए दिल्ली से बनारस पहुंचेगी, 16 कोचेस होंगे इसमें जिसमें दो एग्जीक्यूटिव चेयर कार और 14 चेयर कार इस प्रकार से 16 कोच की यह ट्रेन होगी। और बहुत ही इसमें सुरक्षा के हिसाब से सेफ्टी अच्छी रही, एयर सस्पेंशन अच्छा रहे जिससे सुगम यात्रा हो लोगों की, एयर कंडीशन है पूरी ट्रेन, सभी ट्रेन जुडी हुई है आप शुरू से लेकर आखिर तक इसमें अंदर जा सकते हैं, एक डब्बे से दूसरे डब्बे में जा सकते हैं, सभी दरवाज़े बंद होंगे उसके बाद यह ट्रेन चलेगी, सेंट्रली कंट्रोल्ड है ऑटोमैटिक प्लग डोर्स, जब ट्रेन रुकेगी तो इसमें से सीढ़ियां बाहर निकलेंगी यात्रियों को सुविधाजनक प्लेटफार्म पर उतरने को मिल जाये।

इसमें दो कोचेस दोनों एंड्स पर दिव्यांगों के लिए डिज़ाइन किये गए हैं, दिव्यांगों को हर प्रकार की उसमें सुविधा मिले, उसके टॉयलेट भी दिव्यांगों के हिसाब से बनाये गए हैं दोनों कोचेस में, दिव्यांग फ्रेंडली कोचेस हैं।

इंफोटेनमेंट – ट्रेन के ऊपर इसमें अच्छी एंटरटेनमेंट मिले और अच्छी इनफार्मेशन मिले, लोगों को जानकारियां भी मिलें और मनोरंजन भी मिले, तो इंफोटेनमेंट की सुविधा भी इसमें दी गयी है। और ट्रेन की स्पीड क्या चल रही है, कहाँ पर अभी पहुंची है, कितने समय में अगला डेस्टिनेशन आएगा यह सब चीज़ जीपीएस के माध्यम से सभी यात्रियों को उपलब्ध रहेगी।

टॉयलेट्स का डिज़ाइन वास्तव में अपने आपमें यूनीक है, टच-फ्री टॉयलेट्स हैं, सैनिटेशन की सब सुविधा उसमें दी गयी है, ब्रेकिंग सिस्टम भी बड़ा मॉडर्न ब्रेकिंग सिस्टम इसमें डिज़ाइन किया है हमारे इंजीनियरस ने। और जब स्लो होती है या फ़ास्ट होती है तो उसकी भी जो रिजेनरेटिव इलेक्ट्रिसिटी कैपेसिटी है वह भी ट्रेन को पावर करेगी तो एनर्जी एफिशिएंट भी यह ट्रेन बनाई गयी है जो इस सरकार की एक महत्वपूर्ण कदम रहे हैं एनर्जी एफिशिएंसी की उसमें भी एक पहल करती है यह।

तो वास्तव में अपने आपमें यह वंदनीय ट्रेन है, भारत की शान है इसलिए वंदे भारत एक्सप्रेस अब शीघ्र ही माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के करकमलों से हम इसको फ्लैग-ऑफ करने का अब निमंत्रण कल उनको भेजेंगे। सीसीआरएस की परमिशन 25 तारीख को इशू हुई है मुझे कल ही जानकारी मिली, गणतंत्र दिवस पर इससे अच्छा भेंट मैं समझता हूँ एक रेल मंत्री ने नाते मुझे और कुछ नहीं हो सकती थी। और मैं सभी भारतीय रेल के अफसरों का, सभी भारतीय रेल के कर्मचारियों का तहे दिल से आभारी हूँ, उन सबको अभिनन्दन करता हूँ, बधाई देता हूँ उनके काम के लिए और उनकी इस उपलब्धता के लिए।

बहुत-बहुत धन्यवाद।

 

प्रश्न-उत्तर

प्रश्न: सर किराया कैसे होगा?

उत्तर: वह अभी तय करेंगे, आहिस्ते-आहिस्ते।

प्रश्न: …

उत्तर: अब पार्लियामेंट सेशन शुरू होने वाला है एक तारीख को तो प्रधानमंत्री जी का डेट, 31 के बाद का डेट कोई न कोई पार्लियामेंट सेशन के दौरान शायद मुश्किल हो सकता है।

प्रश्न: सर फरवरी में हो जायेगा सर?

उत्तर: अब क्लीयरेंस आ गयी है अब कभी भी हो सकता है।

प्रश्न: सर एक्सपोर्ट कब शुरू होगा इसका?

उत्तर: अब जैसे-जैसे इसकी प्रोडक्शन बढ़ेगी, अब मैंने बोर्ड को रिक्वेस्ट की है कि अब इसको धीमी गति से न बनाया जाये। जो माननीय प्रधानमंत्री जी की कल्पना और सोच रहती है वह रहती है तेज़ गति से विकास होना चाहिए। तो पहले इनका प्लान है कि इन्होंने प्रोटोटाइप दो ट्रेन का किया था और बोर्ड के मन में शायद 30 ट्रेंस का सैंक्शन है पर मैं मानता हूँ, मैं भी खुश नहीं हूँ और प्रधानमंत्री जी भी 30 ट्रेन्स से संतुष्ट नहीं हो सकते हैं। तो अब मैंने बोर्ड से रिक्वेस्ट की है कि इसको स्केल अप किया जाये और मेरा तो मानना है जैसे-जैसे इसको स्केल-अप करेंगे तो इसका कॉस्ट भी कम होगा क्योंकि जब प्रोडक्शन बड़े पैमाने पर होगी तो स्वाभाविक रूप से इसके पार्ट्स भी और सस्ते होंगे और ट्रेन और ज़्यादा बनेंगी। पहले मैं चाहता हूँ कि हमारे देश की जनता को यह सुविधा मिले जब सरप्लस प्रोडक्शन होगी तो हम इसको एक्सपोर्ट भी करेंगे।

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