….भारतियों के पैसे की, इसकी जब जानकारी मांगी तो स्विस अधिकारियों ने हमें जानकारी भेजी यह बताते हुए कि जो figures quote किये जा रहे हैं कुछ नेताओं द्वारा वह बिलकुल relevant नहीं हैं इस विषय के संबंध में| और मैं पढ़ना चाहूँगा जो Swiss authorities ने हमें लिखकर दिया है – The figures published by the Swiss National Bank are regularly mentioned in the Indian media as a reliable indicator of the amount of assets held with Swiss financial institutions in respect of Indian residents. More often than not, the media reports have not taken account of the way the figures have to be interpreted, which has resulted in misleading headlines and analysis. Moreover, it is frequently assumed that any assets held by Indian residents in Switzerland are undeclared. Bracket में ‘so-called black money’, यह उनका हमें जवाब आया है|
उन्होंने यह भी लिखा है – To analyze Indian residents’ deposits held in Switzerland, another data source should be used – जो correct data source है| “This is the locational banking statistics, which the Swiss National Bank collects in collaboration with the bank for international settlements.
तो सही मायने में यह डेटा जब आप देखेंगे तब आपको ध्यान में आएगा कि really कितना amount भारतीय रेसिडेंट्स का स्विस बैंक्स में स्विट्ज़रलैंड में है| जो डेटा अभी तक आप लोग और राहुल गाँधी जी रेफ़र कर रहे थे वह डेटा इन्क्लूड करता है non-deposit liabilities को, वह इन्क्लूड करता है जो स्विस बैंक्स के ब्रान्चेस भारत में हैं उस डेटा को भी इन्क्लूड करता है, inter-bank transactions को include करता है और fiduciary liabilities को include करता है|
तो वास्तव में एकदम एक गलत डेटा को लेकर इतने दिनों तक एक बेबुनियादी सवाल और प्रश्न उठाया गया सभी के द्वारा| कांग्रेस के मित्रों को बताना चाहूँगा कि जबसे यह सरकार आई है 2014 में तबसे लेकर आज तक जो locational data के हिसाब से हमने पता लगाया 80% कमी हुई है, reduction in the money held in Swiss banks.
इसी प्रकार से पिछले साल का अगर डेटा देखें, 2017 – उनका कैलेंडर ईयर चलता है – उसको 2016 के निस्बत देखें तो 34% डिपाजिट कम हुए हैं 800 मिलियन डॉलर से घटकर 524 मिलियन डॉलर हो गया है, और हर वर्ष यह कम होते जा रहा है जो डेटा भी आपके समक्ष रखा गया है| और मैं समझता हूँ कि यह जो एक और मिथ, जो झूटी खबर चलाई गयी और झूठा आरोप लगाया गया यह सही मायने में दर्शाता है किस प्रकार से गलत खबरें और गलत आरोप के बेसिस पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि बिगाड़ने की एक कोशिश की जा रही है कांग्रेस के द्वारा और कुछ मोटिवेटिड तत्वों के द्वारा|
अगर आप डेटा देखें 2014 में 2.2 बिलियन डॉलर जो घटकर 0.5 बिलियन डॉलर हो गया – 80% कम हो गया, हमारे 4 ही सालों में| और इसके निस्बत अगर हम देखें कि हमने कितने कड़े कदम उठाये तो आप सब जानते हैं कि 1994 में जो एग्रीमेंट हुआ था जिससे स्विस बैंक से डेटा मिल सके उसके तहत कोई भी डेटा कलेक्ट नहीं हो पाता था, कुछ आ नहीं पाता था| 2011 में जब कांग्रेस की सरकार थी तब भी उन्होंने जो एग्रीमेंट किया वह ऐसा किया कि स्पेसिफिक डेटा हम मांगे और स्पेसिफिक रेस्पोंस आये|
उसके तहत भी कांग्रेस की सरकार के रहते हुए 2014 तक कोई डेटा कांग्रेस ला नहीं पाई, कुछ इन्फॉर्मेशन देश में आया नहीं| इसको देखते हुए, इसको मद्देनज़र रखते हुए 2014 अक्टूबर में रेवेन्यू सेक्रेटरी भेजे गए स्विट्ज़रलैंड, सरकार के साथ वहां कड़ी चर्चा की गयी, सख्त चर्चा के बाद जॉइंट डिक्लेरेशन से उन्होंने कबूल किया कि अब वह डेटा देना शुरू करेंगे| 2014 के बाद डेटा आना शुरू हुआ जब भी कोई इन्फॉर्मेशन हमारे पास आती थी या किसी भी माध्यम से जैसे पनामा पेपर्स थे या एचएसबीसी उसपर हमने स्पेसिफिक इन्फॉर्मेशन मांगी और वह इन्फॉर्मेशन लाकर उसपर कानूनी कार्रवाई की|
अब मोदी सरकार ने एक और कदम आगे बढ़ाया, 2017 में हमने उनके साथ ऑटोमैटिक एक्सचेंज ऑफ़ इन्फॉर्मेशन का करार किया जो 1 जनवरी, 2018 से लागू हो गया है| अब बिना कोई स्पेसिफिक इन्फॉर्मेशन भी हुए हम सब डेटा स्विस बैंक एकाउंट्स में किसका कितना खाते में भारतीय नागरिकों का डेटा है वह हमें ऑटोमैटिकली मिल जायेगा और उसमें यह जो क्लोजिंग बैलेंस है 31 दिसम्बर 2017 का यह भी as an opening balance 1st January, 2018 को हमें पूरी जानकारी मिल जाएगी किसका कितना खाता है, कितना बैलेंस है जिसपर सरकार कार्रवाई कर सकती है अगर वह पैसा अवैध है|
तो मैं संक्षेप में बता दूँ कोई 50% वृद्धि नहीं हुई है स्विस बैंक्स में इंडियन रेसिडेंट्स के बैलेंसिस की जो सही डेटा है लोकेशनल सर्विसेज डेटा उसके तहत 34% पिछले वर्ष 2016 और 2017 के बीच कम हुआ है भारतीय रेसिडेंट्स का पैसा स्विस बैंक्स में और जो यह डेटा है लोकेशनल बैंकिंग स्टेटिस्टिक्स यह डेटा दिखाता है कितने लायेबिलिटीज़ लोन एंड डिपॉजिट्स के आधार पर स्विट्ज़रलैंड में जो बैंक्स हैं, स्विट्ज़रलैंड में स्थित बैंकों के भारतीय लोगों के डिपॉजिट्स का|
“The data source shows that the liabilities in the form of loans and deposits of Swiss domiciled banks towards Indian non-banks, individuals, decreased,” और यह last quarter का figure तो 44% था October to December 2016 के निस्बत October to December 2017 में 44% डिडक्शन हुई है as per the data furnished by the Swiss authorities, पूरे साल के डेटा में 34% डिडक्शन|
तो यह क्लेयर्ली दिखा रहा है कि लोग अब भारत सरकार से, मोदी सरकार से डरते हैं और उनको पता है कि यह सरकार किसी भी काले धन को बेरहमत एक्शन लेगे, बिना कोई रहम करे एक्शन लेगी और किसी को कोई छोड़ेगी नहीं| तो मैं समझता हूँ राहुल गाँधी जी जवाब दें देश को कि यह बेबुनियादी ख़बरों के आधार पर वह क्यों भारत की छवि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख़राब करने पर तुले हुए हैं|
Q: How much of this is undeclared money sir?
A: As I just explained to you that now we have automatic sharing of data, so after the year ends we will get automatically the data and then we can check the records of the declaration that all Indian taxpayers have to give. I am sure you are aware, now every Indian in his income tax return, if he holds any foreign assets, cash or kind or property, has to declare it and it’s very easy for us to confirm if any Indian has undeclared assets in any Swiss bank account.
Q: Sir you said that media misreported about the 50% increase in….?
A: Misread. I think the Swiss authorities have very rightly said, ‘more often than not, the media reports have not taken account of the way the figures have to be interpreted, which has resulted in misleading headlines and analysis.’ तो आपके ऊपर आरोप नहीं लगा है, आपको benefit of doubt देते हुए यह कहा है कि आपने misinterpret किया और misleading headlines क्योंकि आपने analysis ठीक नहीं किया|
Q: Sir, in 2014, you all also promised that you will be able to bring back a lot of black money. Will you tell us how much you have…..?
उत्तर: स्वाभाविक है जैसे मेरे मित्र सुनील जी भी जानते हैं कि इसका एक प्रोसेस होता है इसके लिए जो कानूनी व्यवस्था 2014 के पहले थी वह कम थी, it was not adequate to be able to get back that money. उसके लिए ही Revenue Secretary गए, सख्ती से बात होने के बाद joint declaration हुआ, उस joint declaration के तहत हमारे पास.. वह मैं आपको डेट बता सकता हूँ| In 2014, the Revenue Secretary led a delegation to Switzerland and we entered into a joint declaration, I will just read out the date to you.
कि HSBC के accounts जो 2011-12 में आये उसकी जानकारियां जब मांगी गयी तो उसमें भी आनाकानी हो रही थी और पता नहीं उस समय की कांग्रेस सरकार ने वास्तव में कोशिश करके यह एकाउंट्स की डिटेल्स लाने की सिंसियर कोशिश की कि नहीं इसपर प्रश्न चिन्ह है क्योंकि कोई डेटा नहीं आ रहा था|
“Information regarding certain Indians holding bank accounts in HSBC bank in Switzerland was obtained from the government of France, under the Double Taxation Avoidance Convention between India and France in 2011. Investigation into such accounts was caused through the DGIT (Income Tax Investigation Wing) across the country,” और काफी अमाउंट की डिटेल्स मिली, “with a view to collect further information evidence and take the investigation to a logical conclusion a large number of references were made under DTAC to various countries abroad.”
उसमें हमें डेटा नहीं मिलने के कारण “till October, 2014, despite best efforts, the Swiss competent authority had not shared any information on various grounds including Treaty limitations and their domestic legal barriers regarding stolen data.”
तो यह लोग यह आड़ ले रहे थे कि यह डेटा वैध नहीं है, stolen है इसलिए अक्टूबर 2014 तक कांग्रेस की सरकार तीन वर्ष तक कोई डेटा नहीं ला पाई| हमारे आने के बाद जब सब फैलें निकाली, खोली और देखा कि डेटा नहीं मिल रहा है तो भारत ने रेवेन्यू सेक्रेटरी की अध्यक्षता में एक डेलीगेशन भेजा, स्विट्ज़रलैंड की सरकार के साथ बातचीत की और सख्ती से डिमांड किया कि हमें यह डेटा मिलना चाहिए जिससे हम इसपर एक्शन ले पाएं.
“And consequent to the joint statement of the Revenue Secretary and Swiss State Secretary after their meeting in Bern on 15th October, 2014, Switzerland has agreed to provide information in respect of cases where investigations have been carried out by the income tax department, independently from what the Swiss government considers as stolen data.”
तो आपको जैसा मैंने पहले कहा एक series of steps मोदी सरकार समय-समय पर लेती रही है चार साल और यह पहली सरकार है जिसने काले धन के ऊपर ऐसा प्रहार किया है कि मैं आज समझता हूँ विश्वभर में भारत की सराहना हो रही है, प्रधानमंत्री मोदी जी की सराहना हो रही है| और आज पूरा विश्व जानता है कि भारत एक ईमानदार अर्थव्यवस्था की तरफ तेज़ गति से बढ़ रहा है|
बहुत-बहुत धन्यवाद|