सभी महानुभाव जो आज इस बहुत ही महत्वपूर्ण चमनलाल जी के नौवें मेमोरियल लेक्चर के लिए आये सम्मानीय भाईयों और बहनों | वास्तव में जब समय बीत जाता है तो कई बार यादें भी आहिस्ते-आहिस्ते fade away कर जाती हैं तो जब श्याम परान्वे जी ने मुझे पहली बार फ़ोन पे कहा कि ऐसा ऐसा लेक्चर कर रहे हैं उसमें आपको आना है | तो मैं नहीं समझता हूँ मैं कोई detail में भी गया, मैंने तो तुरंत ही उनको कहा हाँ जो दिन है, जो समय है, जो स्थान है वहां पे मैं आना चाहूँगा, और कुछ नहीं तो मुझे लगा कि एक मौका फिर से मिलेगा जो संस्कार जिस प्रकार से मान्य चमनलाल जी ने विश्व विभाग को संभाला और जिस प्रकार से मैं समझता हूँ अनगिनत मौकों पे मुझे उन्होंने केशव कुन्ज में बहुत ही प्यार से receive किया, मेरे साथ बातें की और कई बार तो हम घंटों गप्पे लगाते थे | मुझे तो लगा कि एक प्रकार से फिर एक बार चमनलाल जी की याद भी आएगी और फिर एक बार चमनलाल जी के उन संस्कारों के बारे में भी मुझे ध्यान आएगा, ध्यान आकर्षित होगा जो मैं समझता हूँ हम सबको अपने मार्ग पर रखते हैं, हम सबको सही दिशा दिखाते रहते हैं |
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हमारा वैचारिक परिवार ही नहीं है, एक प्रकार से हमारी moral authority भी है | मैं तो कई जगहों पर जिकर करता हूँ कि हर संस्था, हर व्यक्ति को कोई न कोई उसके ऊपर निगरानी रख रहा है, कोई न कोई उसके ऊपर ध्यान दे रहा है, संस्था हो या व्यक्ति हो, ऐसा कोई न कोई एक moral authority होना बहुत ज़रूरी होता है | और मैं समझता हूँ अगर मेरे जीवन में मुझे सबसे बड़ा लाभ मिला है इस moral authority का तो वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मिला है, जिस प्रकार से हम काम कर रहे हैं, जिस प्रकार से दिनो-दिन अलग अलग राजनीतिक क्षेत्रों में opportunities आती हैं to go straight वह इतनी ज्यादा और इतनी भयंकर होती हैं कि ऐसे में हमारे ऊपर निगरानी रखने वाले कुछ बहुत ही दृढ़ संकल्प और राष्ट्र सेवा और राष्ट्र निर्माण के प्रति संकल्पित लोग और संस्था जब हम सबके ऊपर उनका साया होता है, हम सब पर उनका आशीर्वाद होता है तो मैं समझता हूँ हम सबका काम भी सरल हो जाता है और काम करने में जो outcomes हैं, जो काम करने का जो very purpose है वह defined भी रहता है और वह purpose से हम गुमराह नहीं जाते हैं, हम गलत भटक नहीं जाते हैं |
और एक प्रकार से मान्य चमनलाल जी का भी जो काम करने की पद्धति थी वह इसी प्रकार की थी, उनका स्वभाव तो बहुत ही सौम्य था | कई बार तो शायद सुनने को भी तकलीफ होती थी वह क्या कह रहे हैं, इतने soft-spoken थे इतने,आपने कभी उनको नाराज़ होते देखा क्या, मैंने तो नहीं देखा कभी | I don’t think हम मैं से किसी ने उनको गुस्सा होते हुए या कोई ऊंची ध्वनि में बोलते हुए भी देखा हो, it’s possibly not possible. He was probably one of the most understated tall leaders that I have ever come across in my life. और मैं समझता हूँ आज भी विदेश से कई लोग आते हैं, कई स्वयंसेवक बंधु आते हैं उनको आज भी चमनलाल जी याद आते हैं, चमनलाल जी का बताया हुआ मार्ग रहता है, चमनलाल जी के बताये हुए कार्यक्रम याद रहते हैं | और मुझे याद नहीं है शायद श्याम जी भी उस दिन थे तो मुझे याद है मेरी शादी में तो आये थे मान्य चमनलाल जी लेकिन शादी के बाद मैं हनीमून पे जब जा रहा था, विदेश जाने का अवसर बना तो मान्य चमनलाल जी के पास आया था और मुंबई में अपने नवयुग कार्यालय में, नवयुग कार्यालय में रुके हुए थे, शायद मान्य भिड़े जी भी थे, मान्य चमनलाल जी भी थे और उन्होंने मुझे हर जगह पे, जिधर जिधर मुझे जाना था, तीन-तीन चार-चार नाम और इतने प्यार से निकाला एक एक, अच्छा यह व्यक्ति से इस प्रकार का संकट हो तो यह आपका ध्यान रखेंगे, इस प्रकार का काम हो तो यह देखेंगे, हर जगह पर मुझे किसी प्रकार की कठिनाई न आ पाए इतनी चिंता करके उन्होंने और अपनी वह छोटी सी लिपि में लिखते थे, पूरी details नाम, पता, phone number, fortunately, mobile phones नहीं थे और शायद उन्होंने आखरी तक mobile phone नहीं use किया चमनलाल जी ने | और एक parental love and affection कि शायद मेरे माता-पिता ने कोई इतनी चिंता नहीं करी कि तू बाहर जा रहा है, पहली बार जा रहा है क्या होगा, क्या नहीं होगा | उनको ज्यादा चिंता लगी हुई थी मेरी |
और इस प्रकार का एक जो उनका स्वभाव था दूसरों के प्रति संवेदना, दूसरों के प्रति चिंता, यही शायद आकर्षित करता था हम सबको बार बार केशव कुंज की तरफ | और शायद केशव कुंज में इतने लंबे अरसे तक मैं समझता हूँ right after partition, 1948 से ही उनका स्थान केशव कुंज में रहा, छोटी सी खोली में, उसी में पूरा उनका काम रहता था, उनके रिकार्ड्स रहते थे | बड़े से बड़ा व्यक्ति उनके वहां पे अपने आपको एक प्रकार से धन्य महसूस करता था जब उनको मौका मिलता था मान्य चमनलाल जी के यहाँ जाने का | माने करोड़पति हो या एक बहुत साधारण स्वयंसेवक कोई छोटी जगह से गाँव से आया हो, सबके साथ सामान्य व्यवहार, सबके साथ एकात्म का व्यव्हार और सबके लिए एक तरीके की चिंता उनमें रहती थी, कोई भेदभाव नहीं | ऐसा कुछ नहीं कि कोई बड़ा व्यक्ति आ गया तो कोई हम जैसे छोटे कार्यकर्ता को साइड में कर दिया और वह उनकी चिंता करने लग गए, सबके लिए दिल में एक तरीके का उनके दिल में भावना रहती थी | और एक प्रकार से मैं एक वाक्य देख रहा था रबिन्द्रनाथ टैगोर जी का जो उनके व्यक्तित्व को सही तरीके से कैप्चर करता है – We come nearest to the great when we are great in humility. और जो humility मान्य चमनलाल जी में थी वह humility एक प्रकार से उनकी greatness भी थी और वह greatness के नजदीक आने का जब हम सबको स्वभाग्य मिलता था तब हमारा भी चरित्र बनता था, हमें भी आगे के लिए एक मार्ग दीखता था|
और उनके पूरे काम के ढंग में अगर हम याद करें तो बहुत सारी management philosophies भी थीं, ऐसा नहीं है कि कोई वह, after all, botany वगैरा पढके जब आये थे लाहौर से उनमें ऐसा नहीं था कि कोई वह सिर्फ एक, और उनके कपड़ों वगैरा का तो आपने भी जिकर किया press तो शायद उन्होंने life में कभी किया होगा | अच्छा कपडे भी घर आते थे रुकते थे तो साधारणतः सभी के कपडे धुलते थे लेकिन उनके कपडे उन्होंने कभी किसी को नहीं दिए धोने के लिए | I think he would wash his own clothes, अपने आप टांगते थे और वह एक झोला लगाके छोटा सा बैग लेके, बैग में कपडे कम कागज़ ज्यादा, किताबें ज्यादा | वह विद्यार्थी परिषद् की diary use किया करते थे जहां तक मुझे याद है | और हर चीज़ में सरलता की शायद पराकाष्ठा और जो 3 qualities मैं समझता हूँ हम मैं से किसी को भी अगर ख़ुशी देखनी है, ख़ुशी महसूस करनी है, we want to experience true happiness तो I think there are only three real ingredients of happiness. अगर हम तीन को और यह सबसे मुश्किल है, इन तीन को प्राप्त करना, इन तीन को अपनाना और शायद चमनलाल जी ने इन तीन को बहुत young age में अपना लिया था जिसकी वजह से वह always खुश रहते थे |
पहला devotion – भक्ति भाव, और 70 वर्ष तक जिस प्रकार से उन्होंने संघ की सेवा की है और मैं समझता हूँ इस रूम में हम लगभग सभी से ज्यादा उमर की तो उनकी सिर्फ संघ आयु रही होगी | दूसरा शक्ति – sheer strength, strength of conviction, strength of your own moral values, strength to work hard to persevere in the most adverse circumstances to persevere, उस प्रकार की शक्ति और युक्ति | The skill to navigate difficulties, the skill to navigate your idea and take it forward. आखिर जब देश-विदेश से दुनिया भर से लोग उनके पास आते थे, विदेश विभाग का काम वह देखते थे तो स्वभाविक है कि दुनिया में अलग अलग जगह पे बहुत successful लोग हैं, अलग अलग विचारों से आते हैं, अलग अलग भावनाएं होती हैं उनकी, अलग अलग विचार भी होते हैं संघ के प्रति, भारत के प्रति, धर्म के प्रति लेकिन कभी किसी के साथ वह argue नहीं करते थे, skillfully tackle करके अपनी विचारधारा से जोड़ना, skillfully व्यक्ति को जोड़ना अपने से, एक अपनेपन में उसको रिश्ते को बनाना |
भक्ति, शक्ति और युक्ति, इन तीनों का अगर समन्वय किसी व्यक्ति में मैंने पाया है तो मान्य चमनलाल जी के व्यक्तित्व में था और उसमें से हम सब स्वयंसेवकों को, कार्यकर्ताओं को बहुत सीखने को मिलता है | शायद आज आपने मुझे यहाँ बुलाके मुझे भी थोडा introspect करने के लिए लगाया है, मैं तो at the slightest चिंगारी चीखने-चिल्लाने लग जाता हूँ, नाराज़ हो जाता हूँ, गुस्सा करता हूँ, अधिकारियों पर भी नाराज़ हो जाता हूँ | शायद आपने मुझे एक wake-up call के लिए यहाँ पे बुलाया है, एक मौका दिया है | Is that more effective or was Chamanlalji’s method more effective?
और जिस प्रकार से उन्होंने अपने काम का विस्तार किया उससे मुझे आज ज़रूर महसूस हो रहा है कि शायद it’s, एक अपने आपको calm and composed रखके अपने विचार को और अपनी बात को हम ज्यादा effectively पहुंचा सकते हैं | मेरे कुछ स्टाफ के लोग भी यहाँ हैं तो शायद मेरे ऊपर चेक रखने विजय है यहाँ पे, स्वयंसेवक ही है, उसको कहूँगा आगे से मेरे ऊपर चेक रखे | When I am losing my temper एक छोटी chit भेज देना सिर्फ लिख देना मान्य चमनलाल जी |
और हमारे जो शाखा में रोज़ जो प्रार्थना करते हैं या जो अलग अलग हम गीत गाते हैं शाखा में, कार्यक्रमों में उसमें जो भाव होता है उसके प्रतीक के रूप में अगर कोई एक ideal स्वयंसेवक, ideal प्रचारक की कभी श्रेणी बने, कभी कोई listing हो और सभी प्रार्थना के भी सभी विषय और अपने अलग अलग गीतों के अलग अलग बिंदु को अगर हम map out करें और फिर ranking करें या marking करें तो मैं समझता हूँ चमनलाल जी will be right amongst the top few leaders that we have had of the Sangh Parivar. तन समर्पित, मन समर्पित और यह जीवन समर्पित, इस प्रकार का complete devotion, absolutely uncompromising integrity, faith and idealism. इस प्रकार का व्यक्तित्व बनाना, इस प्रकार के जीवन को पूरा जीना मैं समझता हूँ बहुत ही कठिन कार्य है | हम अगर उसका एक छोटा अंश भी अपने में ले पाएं और उसको दिनो-दिन काम में implement कर पाएं तो मैं समझता हूँ हमारा जीवन भी धन्य हो जायेगा, हमारा काम भी और ज्यादा सफल होगा |
वास्तव में आज का जो subject है यह भी बड़ा ही appropriate है | मैं देख रहा था जो पहले 8 subjects थे while each one of them was very very appropriate what the West can learn from India, strategic thinking of Bharat. एक प्रकार से चमनलाल जी का जो विश्वव्यापी सोच और काम था उसके हिसाब से ही आपने सब subjects choose किये हैं | लेकिन आज का जो subject है इसकी तरफ अगर देखें तो एक, the essence of Hinduism and Sikhism, यह दोनों का अगर balance करने के लिए हम कोई विषय चुनें उसमें एक प्रकार से दारा शिकोह जी की जो कल्पना थी जो सोच थी वह reflect करती है | एक incident था दारा शिकोह के संबंध में कि अगर आप कोई फूल को देखें तो जो हाथ फूल काटता है पेड़ से, और एक प्रकार से उससे जीवन छीन लेता है, और कोई हाथ जो वह फूल समर्पित करता है, मुझे भी फूल दिए गए, उन दोनों हाथ को perfume, या इत्र या सुगंध तो उतनी ही मिलती है उस फूल से, जो काटता है जो भेंट देता है | या जो axe है, the axe that cuts a tree, maybe a sandalwood tree, तो जो हाथ या जो axe ने sandalwood tree को काटा वह axe को भी उतना ही sandalwood का perfume या sandalwood की essence उसपे भी लगती है, even the axe which has cut that tree. And this was Guru Har Raiji’s response to his followers when he was questioned why he was helping Dara Shikoh, particularly, given that he was the son of Shah Jahan. और शाह जहान जी का तो पिछले सिख गुरुओं के साथ बहुत मतभेद रहता था उसके बावजूद जब गुरु हर राय जी ने दारा शिकोह जी को समर्थन दिया उनके साथ जुड़े | तब यह response दिया गया कि जो अच्छा काम कर रहा है जो अपने काम से प्रभाव फैला रहा है समाज में उनका हमें समर्थन करना है, उनको हमें उनका साथ जुड़ना यह देशहित का काम है |
वैसे दारा शिकोह को तो शायद यह देश भूल ही चुका था जबतक उनके नाम पे अभी अभी हाल में शायद 6 फरवरी, 2017 को उनके नाम पे Dalhousie Road को बदल के Dara Shikoh का नाम दिया प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में यह निर्णय लिया गया और वेंकैया नायडू जी ने नाम बदला | और सालों साल बाद किसी ने पहचाना होगा दारा शिकोह को, to be honest with you मुझे भी उसी टाइम मालूम पड़ा इनके व्यक्तित्व के बारे में | और वैसे तो normal course में he would have been the natural successor to Shah Jahan, but for Aurangzeb. And it is most appropriate कि हमने Aurangzeb Road का भी नाम बदल दिया |
और दारा शिकोह की मिशन क्या थी लाइफ में? He was a devout Sufi. And I am sure Dr Mohammad is a far more enlightened and learned person about him but from whatever I could gather, his greatest mission in life was the promotion of peace and conquer between the followers of Hinduism and Islam. और एक प्रकार से इस सरकार का भी जो पूरा सोच एक sentence में या एक वक्तव्य में कैप्चर करने की कोशिश करें – सबका साथ, सबका विकास – एक प्रकार से उसी विचारधारा को हम आगे लेके जा रहे हैं | और इतनी ग़लतफ़हमियाँ हैं इस समाज में, इतनी ग़लतफ़हमियाँ हैं पत्रकारों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बारे में, भारतीय जनता पार्टी के बारे में | हाँ यह बात ज़रूर है कि अब जैसे जैसे हमारे निकट आ रहे हैं, परिवर्तन देख रहे हैं, हमारे काम से अवगत हो रहे हैं | लोगों में भी भावनाएं बदल रही हैं, लोगों को भी समझ में आ रहा है कि किस प्रकार से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से निकला हुआ स्वयंसेवक और भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता कैसे समाज को एकजुट करने में लगा हुआ है, कैसे समाज में भेदभाव ख़त्म करने में लगा हुआ है |
मैं तो कई forums पे कहता हूँ मुझे भी in a small way शायद कई decades हो गए हैं, 37 साल हो गए हैं जबसे शाखा में जाने का अवसर मिला, not that I was a very regular स्वयंसेवक, मैंने कोई दिनों-दिन शाखा attend नहीं की है और उसकी responsibility कुछ मात्रा में मैं संघ के अधिकारियों पे ही डालता हूँ | चमनलाल जी की तरह मेरा दूसरा जो संपर्क और शायद ज्यादा घनिष्ट संपर्क आया मान्य भौरव जी से आया है और मेरे सालों तक मेरी उनसे यह शिकायत रहती थी कि हम अपनी uniform क्यों नहीं change करते | और वह इसलिए रहती थी अब तो थोडा हट्टा-कट्टा हो गया हूँ पहले में 50 किलो का एक बड़ा पतला … सा लड़का था और शर्म आती थी कि वह अपने गणवेश में मैं शाखा जाने से डरता था और मैं मान्य भौरव जी से हर बार argue करता था कि यह हम शाखा में uniform क्यों नहीं बदल रहे हैं | Of course, उनका answer भी बड़ा interesting था, I am diverting from the subject but since याद आ गया उनका answer बड़ा appropriate था | He said we are very open, हम बदल सकते हैं हमें कोई गणवेश यही होना चाहिए ऐसी कोई धारणा नहीं है, तुम कोई नया design बनवाके दिखाओ जिसके दो-तीन मापदंड होने चाहिए – कपडा पूरे देश में सब जगह वह वाला उपलब्ध होना चाहिए, सस्ता होना चाहिए जो हर एक स्वयंसेवक afford कर सके और गन्दा नहीं होना चाहिए जब वह शाखा में खेलकूद हो, ख़राब न हो |
और वास्तव में मैं कोई answer दे नहीं पाया पर शाखा का लाभ मुझे बहुत मिला, शाखा में जिस प्रकार से बौद्धिक के माध्यम से हमको सीख मिलती थी | और मैं कहना यह चाह रहा था कि मैंने आजतक 35-37 वर्ष में कभी किसी संघ अधिकारी को, एक भी नहीं आजतक मुझे यह कहते हुए देखा कि आप लोग समाज में भेदभाव करो या आप कोई किसी के प्रति hate करो, या आप किसी के विरोध में काम करो – never once in my life. पर यह धारणाएं समाज में शायद कुछ vested interests ने create करने में अपना खुद का अस्तित्व या खुद का लाभ देखा होगा जिस की वजह से यह धारणाएं चलीं | लेकिन एक अच्छा मौका है जब पूरे देश में आज एक नयी पहचान बन रही है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हमारे विचारधारा के अन्य अन्य संस्थाओं के समाजसेवक कार्यों की जिस प्रकार से भारतीय जनता पार्टी के सबका साथ, सबका विकास एक पूरे समाज को साथ लेके जाके, पूरे समाज का सुधार करने का जो काम है यह एक प्रकार से जो सीख मान्य चमनलाल जी जैसे हमारे वरिष्ट प्रचारकों ने, नेताओं ने इतने वर्षों तक अपने काम से हम सबको दी, जिस प्रकार से दारा शिकोह जी जैसे जिन्होंने अपनी गद्दी त्याग दी, लेकिन समाज में हिन्दू-मुस्लिम एक जुट होकर रहें |
उन्होंने ने तो मैंने सुना 360 साल पहले 50 उपनिषदों का भी translation किया संस्कृत से पर्शियन में, 1657 में | अब यह उस समय इतना बड़ा सोच रखना वास्तव में एक बहुत बड़ी बात है, बहुत गर्व की बात है इस देश के लिए और मैं समझता हूँ it is most appropriate कि आज मान्य चमनलाल जी के याददाश्त में, उनकी memory में यह 9वां memorial lecture इस विषय को आगे बढ़ाएगा | मैं समझता हूँ जिस प्रकार से मान्य चमनलाल जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के काम को पूरा विश्वव्यापी बनाया उसी प्रकार से कुछ मात्रा में हम सब आज के स्वयंसेवक अपने अपने क्षेत्र में, अपने अपने कार्य से वही सोच, वही भारत का मेसेज अगर पूरे विश्व में ले के जाते हैं तो सचमुच में वासुदेव कुटुम्बकम की जो भावना है कि पूरा विश्व एक है और हम पूरे विश्व की चिंता करके भारत का विकास करेंगे इस भावना को हम अच्छी तरीके से और बढ़ा सकेंगे | देश की छवि आज पूरे विश्व में एक बड़ी progressive, the fastest growing large economy in the world, भारत leadership दे रहा है पूरे विश्व को, विश्व की सोच को बदल रहा है, विश्व की सोच को और आधुनिक भी बना रहा है और आध्यात्मिक भी बना रहा है | इस प्रकार के भारत और इस प्रकार के विश्व के चिंतन में मान्य चमनलाल जी की कही हुई बातें, दिखाया हुआ रास्ता हम सबको दीप की तरह रास्ता दिखाते रहेगा ऐसा मुझे पूरा विश्वास है |
मैं सभी आयोजकों का तहे दिल से धन्यवाद करता हूँ कि मुझे आज आपने आने का मौका दिया और माफ़ी चाहता हूँ कि थोडा विलंभ भी हो गया अपने questions answer कर रहा था, Friday है Monday Parliament को छुट्टी है लेकिन हमारी तो duties fulfill आज करनी ही पड़ेंगी वह ख़त्म करके आने में थोड़ी विलंभ हुई और cabinet के कारण मुझे जल्दी जाना पड़ रहा है पर मुझे, उसके लिए मैं दत्ता जी आप से, मनमोहन जी आपसे और सभी आयोजकों से माफ़ी चाहता हूँ |
बहुत बहुत धन्यवाद |