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April 15, 2019

देश में आज जिस तरह से भाजपा की नीतियों के प्रति उत्साह दिख रहा है वह इस बात का संकेत है कि एनडीए की सरकार दो तिहाई बहुमत से केंद्र में आएगी।

पीएम मोदी की विश्‍वसनीयता और आमजन का उन पर विश्‍वास, ये हैं जनता के बीच बड़े मुद्दे

 

नरेंद्र मोदी की सरकार में जिस व्यक्ति ने सबसे ज्यादा मंत्रालयों की जिम्मेदारी सभाली है वह हैं रेल और कोयला मंत्री पीयूष गोयल। इसके पहले वह वित्त मंत्रालय, बिजली मंत्रालय, गैरपारंपरिक ऊर्जा स्त्रोत मंत्रालय की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। आम चुनाव की घोषणा होने के बाद से वह महाराष्ट्र के अलावा देश के तमाम दूसरे हिस्सों में चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं। उन्होंने दैनिक जागरण के विशेष संवाददाता जयप्रकाश रंजन से बात की। मुख्य अंश

पहले चरण का चुनाव खत्म हो चुका है, एक राजनेता के तौर पर अभी किस तरह का आकलन कर रहे हैं आप

पहले चरण में देश के अधिकतर हिस्से में चुनाव तो हुआ है लेकिन सीटों की संख्या कम है, इसके बावजूद इससे जनता के मन का पता चलता है। सबसे पहले तो हर वर्ग के मतदाताओं का धन्यवाद जिन्होंने अपने मत का प्रयोग किया। यह हमारे लिए खुशी की बात है कि उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम और खास तौर पर पूर्वोत्तर की तरफ से जिस तरह के संकेत मिले हैं वह लाजवाब हैं। हमारे कार्यकर्ताओं के साथ ही आम जनता जिस तरह से भाजपा की नीतियों के प्रति उत्साह दिखा रही है वह इस बात का संकेत है कि एनडीए की सरकार दो तिहाई बहुमत से केंद्र में आएगी।

अब किन मुद्दों को आप जनता में चर्चा के तौर पर देख रहे हैं जो चुनावों को प्रभावित भी करने जा रहे हैं

पीएम नरेंद्र मोदी की विश्र्वसनीयता और उन पर आम भारतीय का भरोसा। यह दो मुद्दे हैं जो सबसे ज्यादा प्रभावित कर रहे हैं। वैसे मैं यह भी कह सकता हूं कि देश की जनता आज नहीं बल्कि छह महीने पहले ही अपना मन बना चुकी थी। पीएम के स्तर पर निर्णायक फैसला लेने की क्षमता, बेहद सशक्त व्यक्तित्व, आम जनता से जुड़ी समस्याओं को बड़े परिप्रेक्ष्य में देखते हुए उनका समाधान निकालने का मद्दा और देश को समग्र विकास की तरफ तेजी से ले जाने की नीतियां..ये सब बाते हैं जो आम जनता महसूस करती है।

मैं यह नहीं कहता कि पहले विकास नहीं हुआ लेकिन अब ढीले विकास का काम करने वाली सरकार को जनता स्वीकार नहीं करेगी। जनता को मालूम है कि मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रभक्ति से प्रेरित एक ईमानदार सरकार काम करती है जो राष्ट्रवाद के मुद्दे पर कठोर फैसला करती है। गरीब से गरीब व्यक्ति को सरकारी लाभ घर बैठे मिल रहा है, मसलन उसे बिजली कनेक्शन मिल रहा है, एलपीजी कनेक्शन मिल रहा है, स्वास्थ्य सेवा मिल रही है। ये सब पहली बार हो रहा है और ये वैसे मुद्दे हैं जो सीधे तौर पर देश की बड़ी आबादी को प्रभावित करते हैं। यही वजह है कि अब यह साफ हो चुका है कि मोदी जी के सामने कोई नहीं है।

आपकी पार्टी ने सबसे बड़ा गठबंधन बना लिया है, यह आपके लिए बोझ है या वरदान है

देखिए इस सवाल का जवाब मैं थोड़ा दूसरी तरह से देना चाहूंगा। आप देश के किसी भी हिस्से में चले जाओ वहां मोदी बनाम किसी दूसरे नेता की चर्चा नहीं हो रही है जैसा कि आम तौर पर अभी तक भारत के चुनावों में होता रहा है। असलियत में सिर्फ मोदी ही हैं जो राष्ट्रीय स्तर पर एक सर्वमान्य नेता के तौर पर स्थापित हैं। उनके सामने कोई नेता अभी तक पनप ही नहीं पाया है। और यह बात हमने जिस तरह से पूरे देश में गठबंधन स्थापित किया है उससे भी साबित होता है।

हमारा गठबंधन पूर्वोत्तर से लेकर असम, बिहार, महाराष्ट्र, केरल, पंजाब समेत ज्यादातर राज्यों में मजबूत हुआ है और यह इसलिए भी हुआ है कि गठबंधन करने वाले दलों को मालूम है कि मोदी के नेतृत्व में ही एक मजबूत स्थाई सरकार दी जा सकती है और उनका और देश का भविष्य सुरक्षित है। पिछले वर्ष हमारे पास पूर्ण बहुमत था लेकिन हमने अन्य सभी गठबंधन के दलों को सरकार में जगह दी और उन्हें सम्मान दिया। इसका लाभ हमें मिल रहा है।

हाल ही मे देखा गया है कि कुछ फिल्मी दुनिया के लोगों ने और फिर सेना से जुड़े पूर्व अधिकारियों ने सरकार के काम काज पर अपना ऐतराज जताया है, इसे कैसे देखते हैं आप?

हमारा देश एक लोकत्रांतिक राष्ट्र है और यहां हर किसी को अपनी बात कहने का पूरा अधिकार है। हर क्षेत्र में कुछ ऐसे लोग होंगे जिन्हें हमारी नीतियां पसंद नहीं होगी। लेकिन आपने देखा होगा कि अगर कुछ लोग हमारी नीतियों को पसंद नहीं कर रहे हैं तो उसी वर्ग में ऐसे भी कई लोग होंगे जिन्हें हमारा काम पसंद आ रहा है।

बालीवुड का ही उदाहरण ले लीजिए कुछ सौ लोगों को हमारी नीतियां पसंद नहीं आई तो उसके कुछ ही दिनों बाद तकरीबन 700 लोगों ने मोदी सरकार की नीतियों का समर्थन भी किया। इसी तरह से अर्थशास्ति्रयों के एक समूह ने हमारी आर्थिक नीतियों का विरोध किया लेकिन साथ ही अर्थशास्ति्रयों के एक बड़े समूह ने आंकड़ों के साथ उनके दावों को धवस्त कर दिया। लेकिन मैं यह भी कहूंगा कि इसमें कुछ राजनीतिक बौखलाहट भी दिखाई देती है।

सेना को बार-बार राजनीति में घसीटा जा रहा है, यह कहां तक उचित है?
हम तो सेना के साथ कोई राजनीति नहीं कर रहे। हमारी सरकार तो सेना को बस उन्हें वह राजनीतिक समर्थन दे रही है जिसकी जरूरत महसूस की जाती है ताकि देश को आतंकवादियों के हाथों या दुश्मनों से सुरक्षित किया जा सके। मैं मुंबई से आता हूं और यह मेरे लिए शर्मनाक है कि वर्ष 2008 में आतंकियों ने मुंबई में घुस कर सैकड़ों भारतीयों की हत्या कर दी। अगर तब ही सरकार ने आतंकवादियों के आकाओं के खिलाफ बड़ी कार्रवाई कर दी होती तो हमें बाद में आतंकी हमले नहीं झेलने पड़ते।

सुप्रीम कोर्ट ने राफेल पर दो दिन पहले जो टिप्पणी की है उसे कांग्रेस अपनी जीत बता रही है..क्या सरकार बैकफुट पर है?
कतई नहीं। कांग्रेस शुरू से ही इस मुद्दे पर भ्रम फैला रही है। दुर्भाग्य यह है कि कांग्रेस एक राजनीतिक पार्टी के तौर पर फेल हो चुकी है। वह किसी न किसी तरह से इस मुद्दे को जारी रखना चाहती है। कोर्ट के सामने यह कहा गया था कि कुछ कागजात जो सरकारी गोपनीयता दस्तावेज कानून के तहत चिन्हित हैं और जिसे गैर कानूनी तरीके से निकाला गया है।

कोर्ट से पूछा गया था कि क्या उस पर जब पूरे मामले पर बहस होगी तो गौर किया जा सकता है और कोर्ट न कहा है कि हां उस पर भी विचार किया जाना चाहिए। हम इस निर्णय का स्वागत करते हैं। हमारा दामन साफ है इसलिए कोई चिंता नहीं है। कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अनाप-शनाप बयान दे रही है, यह बेहद शर्मनाक है। वह देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रही है जिसका जवाब स्वयं जनता देगी।

विपक्ष व कुछ अर्थशात्रियों की तरफ से लगातार यह कहा जा रहा है कि भारत में विकास बगैर रोजगार के हो रहा है। संभवत: आम चुनाव में भी रोजगार मुद्दा है। क्या आप रोजगार के मुद्दे पर अपनी सरकार की स्थिति स्पष्ट करना चाहेंगे?

बिल्कुल। देखिए रोजगार या जीवन यापन के जो तरीके थे वे सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में ही बदल रहे हैं। सरकारी दफ्तर या बड़े संगठित उद्योगों में रोजगार के अवसर पूरी दुनिया में सीमित हो रहे हैं। छोटे छोटे काम करने वालों की संख्या बढ़ रही है। उद्योगों का स्वरूप बदल रहा है और इसके साथ ही उनमें रोजगार के तरीके में भी बदलाव आ रहा है। अब आप सोलर पॉवर को ले लीजिए।

भारत में 1.75 लाख मेगावाट क्षमता के सोलर प्लांट लगेंगे, लेकिन इनमें रोजगार का स्वरूप वैसा नहीं रहेगा जैसा कि पुराने जमाने में थर्मल पॉवर प्लांट में होता था। हालांकि यहां भी लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा लेकिन यह छोटे-छोटे समूहों में मिलेगा। इसी तरह से खुदरा कारोबार करने वालों की संख्या भारत में तेजी से बढ़ी है और आगे भी बढ़ेगी। सात करोड़ छोटे बड़े दुकानदार भारत में हैं। ओला, उबर जैसे स्टार्ट अप में लाखों लोग काम करने लगे हैं। सरकार कौशल विकास को बढ़ावा दे रही है, स्टार्ट अप को बढ़ावा दे रहे हैं, उद्यमशीलता को बढ़ावा दे रहे हैं।

फिर आपकी सरकार रोजगार पर आंकड़े क्यों नहीं पेश कर रही है?
अभी तक जो डाटा बन रहा था वह काफी पुरानी परंपरा के मुताबिक था। हालात बदल चुके हैं और नया डाटा ऐसा होना चाहिए कि वह रोजगार की सही स्थिति बता सके। पुराने तरीके से हम रोजगार के नए आंकड़ों को नहीं पेश कर सकते। सबसे पहले हमें यह देखना होगा कि नए डाटा को जुटाने का तरीका क्या होना चाहिए। यह कुछ वैसा ही है जैसा डॉक्टर पहले बीमारी का पता लगाता है तभी सही इलाज करता है। नए डाटा में हमें स्वयं का काम करने वाले लोगों को विस्तृत तौर पर शामिल करना होगा। हम यह काम कर रहे हैं।

Source: https://www.jagran.com/elections/lok-sabha-lok-sabha-election-2019-piyush-goyal-said-in-a-interview-that-first-phase-of-election-has-shown-strong-indication-jagran-special-19132351.html

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