Speeches

March 12, 2019

आजतक के कार्यक्रम ‘सुरक्षा सभा’ में संवाद

एंकर: सुरक्षा सभा एक ऐसी कोशिश आजतक की जिसमें सरकार की तरफ से विपक्ष की तरफ से तमाम लोग आ रहे हैं और सवाल देश की सुरक्षा को लेकर और अब इस सेशन का नाम है ‘नया भारत नए तेवर’ और इसीलिए पीयूष गोयल जी केंद्रीय मंत्री यहाँ पर मौजूद है|

मंत्री जी आतंकियों को घर में घुसकर मारेंगे मैं लम्बा इंतज़ार नहीं करता, चुन-चुनकर हिसाब लेना मोदी की फितरत है, मोदी जी ने हाल ही में यह कहा है तो क्या हम यह माने कि नए भारत का अब यह है नया तेवर |

उत्तर: देखिये नए भारत का जो आज अंतर्राष्ट्रीय छवि बनी है, आज पूरा विश्व भारत के साथ खड़ा है, जब आतंकी हमला हुआ तब भारत को संकोच नहीं करना पड़ा, आज भारत ने हिम्मत के साथ जड़ से उखाड़ने के लिए एक प्रयास किया कि और जैसा माननीय वित्त मंत्री ने कहा यह कोई बदले की भावना से नहीं था पर हमें अपने देश को सुरक्षित रखना है, हमें आतंकवाद देश में पनपने नहीं देना है, इसलिए जड़ से ही इस आतंकवाद को उखाड़ा जाए और आपके तो कल बालाकोट टेप से जिस प्रकार से पूरी चीज का थोड़ा बहुत खुलासा किया हम सबके लिए भी जानकारियां नई थी क्योंकि we are not privy to this confidential information.

But यह जरूर पूरे विश्व ने देखा कि भारत एक ऐसा देश है और भारत का ऐसा एक नेतृत्व है जो आज आतंकवाद के सामने खड़ा हो सकता है, आतंकवाद को ज़रूरत पड़े तो मुँह तोड़ जवाब दे सकता है और वास्तव में आतंकवाद से तो पूरा विश्व परेशान है, अमेरिका पर इतना बड़ा हमला हुआ और मुझे पता नहीं आज की आपकी गोष्ठी में यह चर्चा हुई कि नहीं, आपने आज का दिन चुना इसके लिए मैं आपको मुबारकबाद देता हूँ क्योंकि वास्तव में आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण दिन है, 12 मार्च 1993 को आज से ठीक 26 साल पहले, मेरे शहर मुंबई में और मैं वहां पर था मैं साक्षी हूँ जिस प्रकार का नरसंहार हुआ था मुंबई में, जिस प्रकार से आतंक ने मुंबई पर अटैक किया था और इतनी बड़ी संख्या में हमलोग मरे थे मुंबई के लोग मुम्बईकर जो शायद ही आजतक भारत में इतना बड़ा कोई आतंकवादी हमला हुआ हो और आज से 26 साल पहले तब कांग्रेस की सरकार राज्य में थी, कांग्रेस की सरकार केंद्र में थी, मुंबई में सैकड़ो की संख्या में लोग मरे हज़ारों की संख्या में लोगों को नुकसान पंहुचा इंजरी हुई लेकिन उसके बाद भी देश ने कुछ किया नहीं | एक प्रकार से चलता ही रहा और आतंकवाद पनपता ही रहा, एक प्रकार से आपने श्रद्धांजलि के रूप में और वो मुम्बईकर जिन्होंने देश के खातिर जान गवाई उनके लिए एक प्रकार से यह कार्यक्रम करके आपने फिर याददाश्त को ताजा किया है, जैसे ही मुझे आमंत्रण मिला कि आप यह रख रहे है मुझे तो बड़ा धन्यवाद करने की इच्छा हुई कि आपने आतंकवाद को center-stage बनाया आज के मुख्य विषयों में और देश के सामने शायद यह सबसे बड़ी चुनौती है लेकिन इस देश का नेतृत्व, इस देश की सरकार इस चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरीके से सक्षम है, पूरी तरीके से तैनात है |

एंकर: लगातार सुबह से तमाम मुद्दों पर बातचीत हो रही है लेकिन इस नए तेवर में How’s The Josh, High Sir के साथ यह होश भी रखना ज़रूरी है कि क्या हम एक साइकिल में घुस रहे है, पाकिस्तान का आतंकी हमला, हमारा स्ट्राइक और उसके बाद उसकी पॉलिटिक्स और फिर राजनीति कि चुनाव करीब है हम राष्ट्रवाद के कर्णोद्धार है, देखो हमने देश को चमका दिया देश की सुरक्षा का ध्यान दिया, क्या हमारा जो उरी के बाद स्ट्राइक था या पुलवामा के बाद स्ट्राइक है यह continuous approach है क्योंकि रोमांचक तो बड़ी यह नीति दिखाई देती है लेकिन sustainable है?

उत्तर: पहली बात तो जब उरी के बाद हमला हुआ तब तो कोई चुनाव वगैरा नहीं थे तो मुझे बड़ा दुःख होता है कि कुछ लोग इसको चुनाव के साथ जोड़कर देखते है, जब देश की सुरक्षा और देश के स्वाभिमान की बात है तब चुनाव से उसका कोई संबंध नहीं है, और मैं समझता हूँ इतिहास देख लीजिये हमने 1947 से अगर इतिहास को देखा, इतिहास के हर पन्ने में भारत और पाकिस्तान के जो संबंध रहे और उसमें जिस प्रकार से भारत ने समय-समय पर एक प्रकार से weak-kneed policy दिखाई चाहे वह 71 के वॉर के बाद का जो situation है या 65 के वॉर के बाद की situation है, हर मोड़ पर हमने मौके गवाएं|

और मैं समझता हूँ आज देश ने जब पहली बार opportunity lose नहीं करी देश को फिर एक बार कमजोर नहीं दिखाया, लेकिन देश को एक मजबूत दिखाया तो मैं तो दरख्वास्त करूँगा आपसे और पूरे विपक्ष से कि हमने इसको राजनीति में नहीं धकेलना चाहिए, इसको राजनीतिक चश्मे से नहीं देखना चाहिए, देश की एकता सुरक्षा और अखंडता का सवाल है हम सबको मिलकर ऐसे विषय पर, फिर आप देखिये 71 वॉर के बाद माननीय अटल बिहारी वाजपेयी जी ने उस समय की कांग्रेस सरकार को पूरा समर्थन दिया था, कुछ गलत नाम का प्रयोग आप लोग मीडिया में बहुत बार लगाते है लेकिन उन्होंने ऐसा कहा नहीं था, स्वयं मुझे उन्होंने कन्फर्म किया था मैंने वह शब्द कभी इस्तेमाल ही नहीं किया यह अपने आप से मीडिया में चला और चलते-चलते मेरे साथ जुड़ गया, वैसा वह शब्द नहीं इस्तेमाल किया था लेकिन समर्थन पूरा दिया था अटल जी ने 71 के बाद भी|

लेकिन यह जो आज का दृश्य हम देख रहे है जिसमें विपक्ष एक प्रकार से कई बार तो लगता है कि जैसे विरोधियों के साथ खड़ा है, आतंकवाद के साथ खड़ा है वह देखकर तो बड़ी हैरानी होती है दुःख होता है, आश्चर्य भी होता है और मैं समझता हूँ देश की पूरी जनता इस बात से परेशान है कि यह कैसा विपक्ष है कैसी राजनीति करने की कोशिश कर रही है खासतौर पर कांग्रेस पार्टी कि ऐसे बहुत ही गंभीर मसले पर भी वो सरकार के साथ नहीं खड़े है लेकिन ऐसे प्रश्न उठाते है जिसका फिर पाकिस्तान टीवी इस्तेमाल करता है और पाकिस्तान में जिसका प्रचार होता है उनका पक्ष को मजबूत करने के लिए |

एंकर: लेकिन वो कहते है कि आपलोग इसका इस्तेमाल कर रहे है इसलिए वो मजबूर है यह सब कहने के लिए क्योंकि सुबह से यह सवाल भी थक चुका है शाम होते होते कि राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कुछ नंबर बताया फिर मंत्री जी ने कोई नंबर बताया |

उत्तर: ऐसा है कि हमको तो कुछ नंबर मालूम नहीं है, हम तो अनुमान लगा रहे है जो सब जगह से खबरें आपके बालाकोट टेप उसके पहले जो अलग-अलग मीडिया की खबरें आती थी, हम तो अनुमान लगा सकते है, मैं तो जा नहीं सकता, अगर ज़्यादा ही किसी को शंका है तो चले जाए वहां पर पाकिस्तान में और चेक कर ले क्या डैमेज हुआ किसको क्या हुआ, हम तो नहीं जा सकते, ना हमारे पायलट्स को आदेश दे सकते है कि अब बॉम्बिंग के बाद बैठकर वहां पैराशूट करके नीचे जाओ और गिनों डेडबॉडीज़ को मेरे ख्याल से तो यह संभव नहीं है|

लेकिन इंटेलिजेंस इनपुट जिसका कल आपने ही खुलासा किया है बालाकोट टेप के माध्यम के बाद से, इंटेलिजेंस इनपुट से अनुमान लगाया जा सकता है बाकी तो पूरी जो शयद मॉडर्न वॉरफेयर है विश्व भर में इंटेलिजेंस इनपुट पर ही चलती है तो बाकी अगर कोई ज़्यादा ही वेरीफाई करने की चिंता में है और शायद सेना पर भी जिसको विश्वास नहीं है शायद आपके चैनल की भी स्टोरी पर भी विश्वास नहीं  है उनको खुली छूट है वह वहां पर जाए और इंटरव्यू करें लोगों को और जाकर गिने| They can even dig up the graves if they are very keen on it.

पर बड़ा दुर्भाग्य है कि आज के मौके पर जब देश को एक दिखना चाहिए था, जब देश को पूरी दुनिया समर्थन कर रही है यहाँ तक कि OIC में पाकिस्तान को नहीं आने पर मजबूर कर दिया लेकिन हमें guest के रूप में OIC (organization  of  Islamic  Countries) ने हमें बुलाया और जब पाकिस्तान ने कुछ तू-तू मैं-मैं की तो पाकिस्तान को बाहर रखा लेकिन सुषमा जी का स्वागत हुआ, मेन जब फाइनल ड्राफ्ट बना उसमें पाकिस्तान की बात नहीं मंजूर हुई लेकिन भारत की बात मंजूर कि गई, इन सबसे संकेत मिलता है कि आज पूरा विश्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के साथ खड़ा है, उनके साहसी क़दमों की सराहना करता है और आतंकवाद के सामने देखता है कि एक ऐसा नेता खड़ा है जो वास्तव में आतंकवाद को खत्म करने की क्षमता रखता है |

एंकर: इन सब के बीच लेकिन चुनावी तारीखों का भी एलान हो गया है, एक जंग पाकिस्तान के साथ है तो एक देश के अंदर भी छिड़ गई है, प्रियंका वाड्रा ने आज CWC में कहा है कि जिससे मैंने शुरुआत की थी मोदी जी ने कहा कि मेरी फितरत में इंतज़ार करना नहीं है उन्होंने कहा कि देश फितरत बता दे नरेंद्र मोदी को, उनका कहना है इस देश में अब लिबरल होना गुनाह है, सरकार से सवाल पूछना देशद्रोह है, सेक्युलर होना धिक्कार है तमाम संस्थाएं देश की तबाह हो रही है मोदी राज्य में|

उत्तर: सबसे पहले तो सेक्युलर की उनकी परिभाषा आज तक हमें समझ नहीं आई है, वो सेक्युलर की बात करते है लेकिन हिन्दू विरोधी बात करते है, एक समुदाय को एक प्रकार से minority appeasement करके वोट बैंक पॉलिटिक्स के अलावा उन्होंने उस समुदाय का भी कभी कुछ उद्धार नहीं किया, जहाँ तक लिबरल थिंकिंग की बात है मैं समझता हूँ यह पूरे देश को पता है कि इमरजेंसी किसने थोपी थी, इस देश में किसने लिबरल थिंकिंग को कुचल दिया था, इस देश में किसने प्रेस सेंसरशिप लायी, हमारे यहाँ पर तो पूरी छूट है आखिर उनको गुजरात में CWC मीटिंग हो रही है और उसमें पूछने की छूट है तो इससे ज़्यादा लिबरल तो वो किस प्रकार की उनको तकलीफ हो रही है, कहा लिबरल को कोई तकलीफ हो रही है, अगर हाँ लेकिन कोई सोचता है लिबरल के नाम पर libel कर दे या sedition कर दे तो मैं तो समझता हूँ वो तो कोई छूट इस देश का कोई नागरिक नहीं चाहेगा कि देशद्रोह को भी लिबरल माना जाए, कोई यह तो नहीं चाहेगा कि कोई बोले कि देश को मैं टुकड़े-टुकड़े कर दूंगा और उस प्रकार के लिबरल को कांग्रेस के मित्र समर्थन देते है तो मैं समझता हूँ यह तो धिक्कार का विषय है, पूरे देश को धिक्कार है इसपर और रही बात आपने कहा लिबरल सेक्युलर और तीसरा क्या कहाँ था?

एंकर: सवाल पूछना सरकार से |

उत्तर: जरूर पूछना चाहिए, कौन ना बोल रहा है, अब तो यह सरकार के बदले आर्मी और एयरफोर्स को सवाल पूछने पर उतर आए है, अब तो देश की जो अंदरूनी सुरक्षा है उसके ऊपर वो लोग सवाल पूछ रहे है, मैं समझता हूँ उनको अगर सवाल पूछने है हमसे जितना पूछना है पूछे लेकिन कुछ मुद्दों के साथ पूछे कुछ एविडेंस के साथ पूछे, कुछ ऐसे सवाल पूछे जिसमे हमने कुछ गलत काम किया है तो पूछे, हवा में फुग्गा फेकने जाए या हवा में कुछ भी वो बोलते जाए उससे तो इस देश कि राजनीति, देश का भविष्य नहीं तय होगा|

एंकर: लेकिन सर आपके भी कुछ मंत्री है जो बड़बोले है, बात बात पर सबको पकिस्तान भेजते है, बिहार में अगर चुनाव बीजेपी के अलावा जीते तो वहां पटाखे छूटेगे, अगर आपने हमसे सवाल पूछा तो पकिस्तान मुस्कुराएगा|

उत्तर: यह तो असलियत है आपको यह पता नहीं कि जब कांग्रेस जीतती है तो कुछ जगहों पर बाहर देश के बाहर भी पटाखे फूटते है, जब भारत में कम फूटते है बाहर ज़्यादा फूटते है तो उसमें क्या गलत पूछ दिया, अगर किसी ने बोल दिया तो इसमें क्या गलत बोल दिया, जो असलियत है वो रखी, आखिर आप बताइये जब पाकिस्तान टीवी पर किसके आजकल बयान ज़्यादा चलते है, यही इन्ही के बयान ज़्यादा चलते है क्योंकि उनको सराहना मिलती है उनको एक रक्षा कवच मिलता है उनकी बात छुपाने के लिए, तो मैं तो हैरान हूँ कि यह देश – आप लोग याद कीजिये मैं मुंबई के हमलों की बात की, मुंबई के हमलों में आपको जानकार हैरानी होगी 257 लोगों की मौत हुई थी आज ही के दिन 26 साल पहले, 257 deaths और 713 लोग injure हुए थे और बाकी तो माइनर इंजरी और नुकसान तो हजारों सैकड़ो लोगो का हुआ, अब ऐसी परिस्थिति में जब कोर्ट ने फैसला दिया, 2015 में कोर्ट ने फैसला दिया हैंगिंग का जो उसमें मुख्य आरोपी थे शायद मेमन थे, याकूब मेमन को फांसी का आदेश दिया 2015 में तो क्या कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता जो पूर्व मंत्री है और खुद of course  वो भी खुद कई चीज़ों में उलझे हुए है आज के दिन लेकिन क्या उन्होंने यह बात नहीं कही थी कि यह “हैंगिंग इस लाइक मर्डर” यह शब्द है उनके अगर आप चाहे तो मैं उसको शब्द पढ़ के बता देता हूँ, उन्होंने कहा ‘Our government has hanged a human being, state-sponsored killing diminishes us all by reducing us to murderers too.’

और उन्होंने कहा कि मैं दुखित हूँ, I am saddened कि याकूब मेनन को फांसी हो रही है मैं सोचता हूँ इससे ज़्यादा शर्मिंदा की बात इस देश के लिए कुछ नहीं है कि कानून बनाने वाले लोग जो सांसद है मंत्री रह चुके है कांग्रेस की सरकार में ये इस प्रकार से चाहते है कि जिसने देश के साथ इतना बड़ा आतंकी हमला किया मेरे मुंबईकरों को इतने लोगों को मारा उसके ऊपर भी फांसी की सजा नहीं हो|  और हाँ दूसरे एक नेता जो और भी बड़े दिग्गज नेता है नाम नहीं ले रहा हूँ पर दिग्गज नेता से कई लोग अनुमान लगा लेंगे उन्होंने कहा “The credibility of government & judiciary was at stake after the urgency shown in Yakub Menon’s case.”

मतलब 1993 में यह मर्डर हुए सब हमारे लोगों का टेररिस्ट द्वारा,  2015 कानूनी प्रक्रिया में इतने सारे लेबल के बाद जब सुप्रीम कोर्ट फैसला करती है तो उसको urgency कह रहे है, 22 साल के बाद न्याय मिला उन लोगो को जो मरे उसको वो Sense of urgency कहते है, यह है कांग्रेस का असली चित्र और यह भी आप ध्यान रखे कि यह एक ऐसी सरकार है जो रात को 3 बजे बालाकोट में हमला कर के देश को सुरक्षित बनाने की कोशिश करती है और यह विपक्ष है जो रात को 3 बजे सुप्रीम कोर्ट खुलवाते है ऐसे आतंकवादियों को छुड़वाने के लिए

एंकर: सरकार या सेना, रात के तीन बजे किसने हमला किया बालाकोट में

उत्तर: देखिये सेना तो पहले भी थी, 1993 के बाद सेना को क्यों नहीं आदेश दिया गया हमला करने के लिए, क्यों 2008 में मुंबई में जब वापस हमला हुआ तीन दिन तक हमला चला तब निहत्था क्यों बैठी रही कांग्रेस की सरकार, तब सेना को आदेश क्यों नहीं दिया, सेना आदेश के ऊपर काम करती है, आदेश किसने दिया, मोदी सरकार ने आदेश दिया

एंकर: वाजपेयी के वक़्त जब संसद पर हमला हुआ तब भी तो फैसला नहीं लिया गया तो क्या वाजपेयी कि नीति कमजोर थी और मोदी कि नीति अगर है तो आप बताइये

उत्तर: उस समय पर जो परिस्थिति रही होगी उस हिसाब से जो निर्णय उन्होंने लिया उस पर मैं आज क्या टिपण्णी करू, लेकिन आज के दिन तो विपक्ष हमारे ऊपर हमला कर रही है न, मैं विपक्ष कि बात आपके सामने रख रहा हूँ

एंकर: क्या फर्क है दोनों की नीति में, वाजपेयी और मोदी की नीति में पकिस्तान को लेकर क्या फर्क है? An eye for eye पहले नहीं था, क्या है?

उत्तर: जैसा अरुण जी ने कहा, हमने कोई revenge की भावना से तो कुछ किया नहीं हमने तो जड़ पर जाकर आतंकवाद को खत्म किया, नया पाकिस्तान का तो कहना है और नए पाकिस्तान के लीडरशिप का कहना है वो भी आतंकवाद के खिलाफ है, मैं समझता हूँ उन्हें स्वागत करना चाहिए हमारे move का, आतंकवाद को वो नहीं समाप्त कर पाए हम तो उनकी मदद कर रहे है आतंकवाद को समाप्त करने के लिए, वह तो रिकॉर्ड पर है न की वो आतंकवाद को खत्म करना चाहते है , हम तो उनके काम को आसान कर रहे है, हम तो मदद करने गए थे, आतंकवाद को ख़त्म कर हम तो मदद कर रहे है पकिस्तान की

एंकर: मोदी है तो मुमकिन है, राष्ट्रवाद है तो मुमकिन है

उत्तर: मोदी है तो राष्ट्रवाद जीवित रहेगा और मोदी है तो राष्ट्रवाद सुरक्षित रहेगा इस देश में

एंकर: मोदी है तो मुमकिन है मोदी है तो महफूज है

उत्तर: महफूज मुझे नहीं मालूम क्योंकि मैं उर्दू उरदू नहीं जानता, हिंदी में कोई शब्द है तो बोलो, मेरे लिए तो उर्दू लैंग्वेज मेरे को न समझने की जरुरत है न इच्छा है

एंकर: सुरक्षित है, मोदी है तो सुरक्षित है

उत्तर: यह तो मैंने पहले ही कहा , एकमात्र नेता इस देश में है प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जिसमे यह साहस है कि वो आतंकवाद को खत्म कर सकते है और आतंकवाद किधर से भी पनपेगा उसके ऊपर सीधा निशाना कर के, सीधा वार करने कि हिम्मत है जिनमे, और यह बात आज सिर्फ मैं नहीं कह रहा हूँ , यह बात आज देश के एक सौ  तीस करोड़ लोग नहीं कह रहे गिने चुने लोग छोड़ने पड़ेगे, 130 minus of few उनको तो आप इस शो पर बुला बुला के सुन ही लेती है लेकिन आज पूरा विश्व इस बात को महसूस करता है कि आज इस देश में ऐसा नेता आया है जो आतंकवाद को समाप्त कर सकता है, आतंकवाद को मुँह तोड़ जवाब दे सकता है और इस आतंकवाद से पूरा विश्व परेशान है , आज आतंकवाद से ऐसा नहीं है कि बाकी देश परेशान नहीं है , बांग्ला देश में देखों कितनी घिनौनी हरकत कि थी इन आतंकवादियों ने, मैं गया था एयरपोर्ट पर छोटी बहन की पार्थिव शरीर को रिसीव करने गुड़गांव का परिवार था उसको बांग्लादेश ढाका के कोई पब में आतंकवादी हमला हुआ था तो आज भारत ने एक पूरे विश्व को यह संदेशा दिया है कि भारत का नेतृत्व और भारत सक्षम है आतंकवाद को ख़त्म करने के लिए, नेतृत्व दिखाने के लिए, आज अफगानिस्तान से भी US troop  चली गई है , आज अफगानिस्तान  भी भारत कि तरफ देखता है उनको आतंकवाद से मुक्त रखने के लिए , बांग्ला देश को भी कॉन्फिडेंस है कि भारत है तो आतंकवाद को पनपने नहीं देगा और मैं समझता हूँ यहाँ से हमारे neighbourhood से आतंकवाद और कुछ हमारे भी unfortunately मित्र विपक्ष के इस प्रकार के आतंकवाद को और बल देते है ऐसे लोग अगर यह काम बंद करे तो पूरे विश्व में अमन शांति हो जाएगी

एंकर: लोगो के behalf पर सवाल पूछ रही हूँ, Air Strike हो गया या और होगा

उत्तर: अच्छा यह आपका नहीं है, मतलब अगर प्रधानमंत्री मोदी जी होते तो शायद जवाब दे सकते थे लेकिन more importantly मैं समझता हूँ Terrorist are Warned, यह सब आतंकवादियों को चुनौती है और स्पष्ट उनको मैसेज है कि आपको बख्सा नहीं जाएगा, इस सरकार छोड़ेगी नहीं कोई आतंकवाद को और कोई भारत की तरफ टेढ़ी आँख से देखने कि हिम्मत न करे

एंकर: पुलवामा का हिसाब हो गया या अगला कुछ वो करेंगे तभी हम कदम उठाएंगे

उत्तर: इतनी सब नीतियां तो मैं तो बहुत छोटा सा मंत्री हूँ मैडम , हमको यह सब पूरी रणनीति, पूरी Geo Political Situation मुझे तो नहीं पता

एंकर: आप बहुत पावरफुल मंत्री है, सब सोचते पियूष गोयल सब फैसले ले रहे है

उत्तर: हम तो रेलवे चला रहे है और रेलवे में सुधार कुछ थोड़ा बहुत आपको दिखा होगा जरूर, रेलवे में तो पांच साल में ऐसा ऐतिहासिक परिवर्तन हुआ है तो हम तो उस बात तक सीमित है

एंकर: लेकिन वित्त मंत्री जी जब भी बीमार होते है या कुछ होते है तो आप ही वित्त मंत्रालय देखते है, बहुत भरोसा है सरकार को आप पर

उत्तर: माननीय वित्त मंत्री जी के आदेश के अनुसार माननीय प्रधानमंत्री जी के दिशा आदेश के अनुसार उन दोनों के दिखाए हुए रास्ते पर, उन दोनों के जो निर्णय होते है उसको कार्यान्वित करता हूँ, Temporary Charge था और जैसा गाइड किया माननीय प्रधानमंत्री माननीय वित्त मंत्री अरुण जेटली जी ने उसको मैंने जनता के समक्ष रखा

एंकर: लेकिन कुछ दिन आपने देखा इसीलिए मैं आपसे यह सवाल पूछ रही हूँ कि रक्षा बजट को लेकर कांग्रेस लगातार प्रहार कर रही है कि आप बार बार भारत माता की जय कहकर लेकिन रक्षा बजट में इजाफा नहीं कर रहे

उत्तर: बहुत अच्छा किया आपने यह सवाल पूछा, I am glad & really grateful to you

सबसे पहली बात तो रक्षा बजट में जो पहले घूस खायी जाती थी और जो करप्शन होता था वही बंद कर दिया उसी से रक्षा बजट में बहुत available fund हो गए , तो सबसे पहले तो आप यह नोट कर ले और भारत कि जनता तक यह सन्देश पंहुचा दे कि अब कोई रक्षा में अब घूसबाजी नहीं होती है उससे अपने आप में इतना बजट available हो जाता है कि हमें कभी पैसे कि तंगी नहीं पहली बात, एक उदाहरण दे सकता हूँ आपको, महाराष्ट्रा में 70 हजार करोड़ रुपये लगा दिए थे सिचाई योजना में  Congress और NCP कि सरकार ने 10-15 साल में, एक प्रोजेक्ट कम्पलीट नहीं किया, एक एकड़ एक हेक्टर जमीन में सिचाई नहीं पहुंचाई, पूरा भष्ट्राचार में खराब किया, कांग्रेस यानि भ्रष्टाचार  कि पराकाष्टा, जिस क्षेत्र में जाते है भ्रष्टाचार से लिप्त हो जाते है, हमने उन सबको बंद किया और उसके कारण हमारे पास फण्ड की shortage  5 साल में कोई अच्छे प्रोजेक्ट के लिए नहीं आयी,

UP में जब हमने बजट बनाया तब कई सारी घोषणाएं की तो पहले यह सवाल उठा कि इतना पैसा आएंगे कहाँ से,  माननीय अमित शाह जी जब मेनिफेस्टों तय हो रहा था तब बोले कि पीयूष कोई चिंता नहीं हम भू माफिया को खत्म करेंगे, हम लिकर माफिया को खत्म करेंगे, हम लॉ एंड आर्डर री-एस्टब्लिश करेंगे अपने आप से राजस्व इतना बढ़ जाएगा कि कोई मेनिफेस्टो में कोई काम करने में तंगी नहीं आएगी, आप मानोगे नहीं हमने सिर्फ लिकर पालिसी को ईमानदारी और ट्रांसपेरेंट किया डबल हो गया रेवेन्यू, समाजवादी के टाइम 14 हजार था अब डबल हो गया , दो साल भी नहीं हुआ, हमने माइनिंग में सब जो पुराने चेले चपाटे अपने दोस्तों को दिया करते थे माइनिंग कॉन्ट्रैक्ट, ईमानदार नीलामी कि शायद दो या तीन गुना हो गया है mining का revenue तो मेरे ख्याल से इस सरकार कि विशेषता रही है कि हम पुराने कांग्रेस के प्रधानमंत्री कि तरह नहीं है जो मजबूर हालत में सरकार चलाते थे, एक प्रधानमंत्री बोलता था 100 रुपये में 85 रुपये तो भ्रष्टाचार और बिचौलियों में चले जाते है एक प्रधानमंत्री बोलता था मै क्या करू और वो प्रधानमंत्री तो वास्तव में चलाया जाता था और कोई चलाता था, एक परिवार ही चलाता था उनको भी, वो कहते थे मै क्या करू This are the compulsion in coalition Politics.

मै कैसे भ्रष्टाचार रोकूं और तब तो शायद मंत्री पद किसको मिलेगा और क्या खाता मिलेगा वो तो कुछ पत्रकार और कुछ बाहर के बिचौलिए ही तय करते थे, तब तो शायद प्रधानमंत्री भी नहीं तय करते थे कि कौन क्या मंत्री बनेगा, हमने यह सब बंद किया, ईमानदार सरकार देश को दी इसलिए पैसे कि कोई कमी नहीं आती और बजट तो यह इंटरिम बजट है पूरा कोई फाइनल फिगर बने नहीं है इसलिए मैंने कहाँ बजट देते वक़्त कि डिफेन्स के लिए जितना पैसा लगेगा उतना सुनिश्चित किया जायेगा , सुरक्षा बलों को कभी पैसे की कमी नहीं और एक तीसरी बात इसमें जोड़ दू हमने मेक इन इंडिया को भी प्रमोट किया, बहुत सारी चीजे जो पहले सीधा बाहर से आती थी अब देश में बनने लगी है, मै एक उदाहरण देता हूँ, एक आपको याद होगा एक Scam आया था टेट्रा ट्रक का , टेट्रा ट्रक आर्मी के लिए ख़रीदे जाते थे, Actually we have not seen the end of the scam.

मेरे ख्याल से उसमे में कोई एजेंसी को देखना चाहिए, टेट्रा ट्रक सालों साल से आ रहे थे और टेट्रा ट्रक कि जो कीमत थी वो इतनी जनाब शनाब ज्यादा थी कि इस पर CAG कि पूरी रिपोर्ट आयी है , पार्लियामेंट में यह उठाया गया जब हम विपक्ष में थे तब कांग्रेस ने उसकी पूरी छानबीन उनके समय में क्लोज करके Case closed कर दिया, आज आपसे  बात करते करते मुझे यह याद आ गया, समय निकल गया मुझे लगता है अब अगली टर्म में वह टेट्रा ट्रक के स्कैम को जरूर खोलना चाहिए।

एंकर: अगले टर्म में, कितनी सीटें?

उत्तर: 300 प्लस, बीजेपी, 360 के करीब हमारा अलायन्स।

एंकर: सर कैसे आएँगी, 2G, 4G था पिछली बार, इस बार मसूद अज़हर जी?

उत्तर: अब वह तो आपने कहा, मैंने नहीं कहा पर आपने अच्छा है जनता को याद दिला दिया। आप ज़रा नोट कर लें कि पहले तो कुछ विपक्ष के बड़े नेता ही बोलते थे, अब तो इंडिया टीवी और आज तक पर भी ‘जी’ आ गया है। यह आप गलती मत करिए जी।

एंकर: नहीं, मैं कह रही हूँ कि आप लोग राहुल गाँधी का मसूद अज़हर ‘जी’ बोलना इशू बना रहे हैं, 2014 में भ्रष्टाचार के खिलाफ …

उत्तर: नहीं तो आपके हिसाब से इशू नहीं है? आप उस बात से एग्री करते हैं?

एंकर: रविशंकर प्रसाद जी ने भी हाफिज को ‘जी’ कह दिया था सर, अब वह वीडियो वायरल कर रहे हैं वह?

उत्तर: वह ज़रूर करें, लेकिन उन्होंने व्यंग में कहा था आप वह वीडियो का भी जो स्टाइल है उसको देखिये और इन्होंने आदर-सम्मान से कहा। इस दोनों वीडियो को आप कॉम्पीयर करके एक बार ज़रा आपके स्टूडियो में चेक कर लीजिये व्यंग क्या होता है और सम्मान से जिस प्रकार से इन्होंने उनका नाम लिया है मैं समझता हूँ यह एक और इनकी सेक्युलर भावना दिखाने की कोशिश है। यह अभी तक उस वोट बैंक पॉलिटिक्स से निकले नहीं है। लेकिन मेरा मानना है इस देश के हमारे सभी माइनॉरिटी के जो मित्र हैं उन्होंने भली भांति देख लिया कि यह परिवार और कांग्रेस पार्टी इनका उद्धार नहीं कर सकती है, यह तो अभी तक तुष्टिकरण की नीति में ही लिप्त हैं और इसको वोट बैंक के अलावा इन्होंने इस समुदाय को देखा ही नहीं है। और जब इनकी महिलाओं को हम सम्मान देने की कोशिश करते हैं तो उसको भी ऑपोज़ करके बैठे हैं। तो इतना तो …. है कि 50% जो महिलाएं देख रही हैं कि प्रधानमंत्री मोदी जी और मोदी सरकार उनको सम्मान और उनके साथ जो अन्याय होता था उसको रोकने की पूरी कोशिश ईमानदारी से कर रहे हैं उसको भी कांग्रेस नहीं अलोव नहीं करती है मैं समझता हूँ उनके तुष्टिकरण के बावजूद 50% तो उनके वोट वैसे ही ख़त्म हो जायेंगे।

एंकर: 2014 में विकासवाद, 2019 में राष्ट्रवाद, यही एजेंडा बन रहा है?

उत्तर: आप मयोपिक बहुत, आप छोटे दृष्टिकोण से क्यों देखती हैं? विकास और राष्ट्रवाद में कोई बीच में कोई अंतर्विरोध नहीं है। विकास तभी हो सकता है जब राष्ट्र स्ट्रॉन्ग रहेगा और राष्ट्र स्ट्रॉन्ग रहेगा उसके बगैर यह देश ही नहीं रहेगा। तो मैं समझता हूँ इस देश के 130 लोग एक मज़बूत राष्ट्र जिसमें एक मज़बूत नेतृत्व और मज़बूत सरकार इस देश को तेज़ विकास की और मज़बूती से लेकर जायेगा यह चाहती है और यह 2019 में कोई एक मुद्दा नहीं है, एक भ्रष्टाचार मुक्त सरकार, एक सरकार जिसने विकास को नए पंख दिए। हर क्षेत्र में परसेंटेज में हम इनक्रीस नहीं गिनते हैं, टाइम्स में गिनते हैं कि भाई रेल की पटरियां तो डबल होंगी, इलेक्ट्रिफिकेशन रेलवे की 10 गुना होगी, हाईवेज़ का काम इतने गुना होगा, पंचायत में डिजिटल टेक्नोलॉजी, ऑप्टिकल फाइबर पहुंचाना है तो लगभग 500 गुना होगा, जो इस सरकार ने पांच साल में लगाया है। तो हम गुने में गिनते हैं, मल्टीप्ल टाइम्स हम परसेंटेज के बियॉन्ड चले गए हैं विकास में।

तो विकास होगा, गरीब आदमी का भविष्य सुधरेगा, महिलाओं को सम्मान का जीवन मिलेगा, युवाओं को आत्मनिर्भर बनाएंगे और इस देश को विश्व की सबसे ऊंचाई पर लेकर जायेंगे यह इस सरकार का संकल्प है।

एंकर: उसी मज़बूत सरकार का आपका जो तर्क है उसपर राहुल गाँधी ने आज कहा है अपने सीडब्ल्यूसी की बैठक में जहाँ वह प्रधानमंत्री के गुजरात के अहमदाबाद से दहाड़ रहे हैं उन्होंने कहा है जिन्हें मसूद अज़हर ‘जी’ उन्होंने बीते दिन कहा था, उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार ने पकड़ा था और आपकी वाजपेयी जी की सरकार ने उसे छोड़ दिया, डोवाल जी की तस्वीर भी उन्होंने पोस्ट की है कि छोड़ने वालों में थे?

उत्तर: सिन्स आपने क्योंकि थोड़े बहुत आपके यहाँ पर आते हैं तो मेरे लड़के थोड़ा रिसर्च भी करके दे देते हैं। सबसे पहली बात तो वह विषय हम सब जानते हैं, मैं समझता हूँ आप एक और कोष्टी करिये जिसमें वह 161 जो लोगों को वहां से छुड़वाकर लाये थे वह 161 परिवारों के लोगों को लाया जाये, कर उस समय की भावना को याद करिये आपके भी टीवी शो पर जो-जो कहा जाता था उस समय का एक बार और सामने रखिये और राहुल गाँधी जी के साथ यह 161 लोगों … की एक संगोष्टी करिए और वह पूछिए उनको कि क्या वह चाहते थे कि उनके near and dear ones को आतंकवादी मार दें, पहले तो वह एक तय कर लिया जाये, कांग्रेस तय करके बोले कि उस समय जो निर्णय लिया था जो आल पार्टी निर्णय लिया था उससे वह सहमत नहीं हैं और वह चाहते थे कि हमारे 161 भाई बहन, हम सबके कोई न कोई परिवार जन, कोई न कोई मित्र जन उसमें शायद उस फ्लाइट में थे उस दिन, पहले तो यह तय कर लिया जाये।

दूसरा, 2010 में जब कांग्रेस-नेशनल कांफ्रेंस की गवर्नमेंट थी जम्मू कश्मीर में 25 पाकिस्तानी आतंकवादियों को उन्होंने छोड़ा था, केंद्र में भी कांग्रेस की सरकार थी, जम्मू कश्मीर में भी केंद्र में भी कांग्रेस की सरकार थी, 2010 में, 25 पाकिस्तानियों को छोड़ा, ऐसा नहीं कि कोई भारतियों को छुड़वाने के लिए या भारतियों को लाने के लिए goodwill gesture. Goodwill gesture के लिए, अब goodwill gesture में आप 25 आतंकवादियों को छोड़ दो और उन्होंने क्या-क्या नरसिंघार किया होगा मुझे नहीं मालूम, क्योंकि वह तो उन्ही को मालूम, उन्ही का निर्णय था छोड़ने का, क्यों छोड़ा क्या छोड़ा पीछे का था, मुझे नहीं मालूम।

इसमें एक शाहिद लतीफ था जो पठानकोट स्ट्राइक का भी, 2016 में एक पठानकोट पर जो स्ट्राइक हुआ था उसमें एक शाहिद लतीफ उसका हैंडलर था वह भी इन 25 में से एक था, by the way. फिर पांच जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के मिलिटेंट्स को रुबैया सईद जी, रुबैया सईद जो लड़की थी मुफ़्ती मोहम्मद सईद जी की, तीन इख़्वानुल मुस्लिमीन के एक्टिविस्ट्स को सैफुद्दीन सोज़ जी, जो कांग्रेस के सीनियर लीडर हैं, मेरे साथ राज्य सभा में भी एमपी थे, मेरे मित्र भी हैं, मैं तो जी कह सकता हूँ सोज़ साहब को, उनको 1991 में नाहीद उनकी लड़की को उठाकर ले गए थे उसके लिए भी तीन इख़्वानुल मुस्लिमीन के टेर्रोरिस्ट्स को छोड़ा गया था।

नवंबर 16, 1993 में हज़रतबल श्राइन के ऊपर जब आतंकवादियों ने उसको कैप्चर कर लिया था तब उन सबको निकलने दिया गया, they were sent to freedom. किसने किया था? किसने उनको बिरयानी, टेलीफोन कनेक्शन और सब दिए थे, आखिर यह सब इतिहास अटल जी के सामने जो संकट आया उसके पहले का था? क्या अटल जी कैसे उस 161 परिवारों को क्या जवाब देते? कि हाँ, कांग्रेस के समय तो टेर्रोरिस्ट्स को धनाधन छोड़ते जा रहे थे, लेकिन मैं 161 भारत के मेरे प्यारे भाई बहनों को आतंकवादियों के भरोसे छोड़ दूंगा, क्या अटल जी यह निर्णय लेते और इसी लिए उन्होंने आल पार्टी मीटिंग बुलाई थी, अब राहुल गाँधी जी इसका ज़रूर जवाब दें।

एंकर: 161 परिवारों की क्या राय है इसपर वह जवाब दें।

उत्तर: तब कांग्रेस ने कभी ऑपोस नहीं किया, तब तो कांग्रेस शामिल थी उस डिसिशन में, निकालिये उस समय के कांग्रेस के कुछ बयान – एक, दो, तीन, चार – कुछ तो बयान निकालिये उस समय के। जब कंधहार का हुआ तब तो यह साथ में शामिल थे निर्णय में।

एंकर: चलिए उम्मीद करेंगे कि आपकी बात आगे पहुंचेगी और राहुल गाँधी इसका जवाब देंगे, लाइव जा रहा है सर आप चिंता न करें वह बात तो पहुँच ही रही है।

उत्तर: अच्छा मतलब वह आपका चैनल देखते रहते हैं?

एंकर: ज़रूर देखते हैं, नहीं तो बाकी कांग्रेस के लोग देखते रहते हैं।

उत्तर: हाँ वैसे समय उनके पास ज़्यादा होगा तो देखते ही रहते होंगे, हम लोग तो आज कल इतने बिजी हैं देख नहीं पाते हैं।

एंकर: राहुल गाँधी इसका जवाब दें न दें लेकिन यह सवाल तो पूछा जायेगा सर कि वह सबूत गैंग का हिस्सा आप पोट्रे कर देते हैं कि देखिये यह सारे सबूत मांगते हैं सेना शौर्य करे और यह लोग सबूत मांगते हैं, दूसरी तरफ आप प्रधानमंत्री शहीदों के पीछे तस्वीर लगा देते हैं। आपके नेता पोस्टर पर अभिनन्दन को अपना बता देते हैं, अभिनन्दन बीजेपी के नहीं हो सकते ना, फाइटर पायलट हैं?

उत्तर: सॉरी, हमने कभी, देखिये पहली बात तो सरकार ने या कोई सीनियर लीडरशिप ने कभी भी जो अभिनन्दन की वीरता थी जो उनका ऐक्ट था उसको कोई हमने अपनाया नहीं है, हमने उनका अभिनन्दन किया है हमने कहा है उनकी वीरगाथा वर्षों-वर्षों तक लोग गाएंगे, लोग उनकी शक्ति को याद करेंगे कि एक मिग-21 के साथ उन्होंने एफ-16 को गिरा डाला, मैं समझता हूँ हम सबके लिए गर्व की बात है। जहाँ तक शहीदों की श्रद्धांजलि करना यह तो इस प्रकार का आप विषय उठा रहे हैं कि अगर हम नहीं करते तो आप सोच सकती हैं कि आज तक पर हमारी कितनी आलोचना होती, कितनी प्रतिक्रिया होती? तो क्या यह शहीदों के बलिदान को हम श्रद्धांजलि भी नहीं दे सकते इस देश में? अगर कांग्रेस पार्टी नहीं देना चाहती है उनकी श्रद्धांजलि शायद डरती होगी कहीं वोट बैंक न नाराज़ हो जाये, अगर ऐसा कुछ उनके माइंड में है तो मुझे नहीं मालूम। लेकिन मैं समझता हूँ हमारे लिए तो वह शहीद ने अपने देश के खातिर प्राण गंवाएं हैं और शहीदों की श्रद्धांजलि देना हम सबका कर्तव्य है।

मैं तो आपको चाहूंगा कि आपने भी आपके प्रोग्राम के पहले उस समय उन शहीदों का चित्र रखना चाहिए था जिससे हम प्रोग्राम करने के पहले उन शहीदों को श्रद्धांजलि दे सकते थे। आखिर आज आपने भारत का यह फ्लैग क्यों लगा रखा है? आप बताइये आपको गर्व हैना भारत के फ्लैग पर? तो कल वह कहेंगे कि आपने यह भारत का फ्लैग लगाया है इसमें ऊपर केसरी रंग है तो यह तो बीजेपी को प्रमोट करने का रंग बना दिया आपने, उनका तो कुछ भरोसा नहीं है वह तो कुछ भी कह सकते हैं।

एंकर: लेकिन सर तिरंगा तो हम 2014 के पहले भी लगाते थे, कांग्रेस के कहती है कि देश का …….

उत्तर: भारतीय जनता पार्टी जब-जब कोई शहीद हुआ है इस देश के लिए, हमने उनको श्रद्धांजलि दी है और हमने उनका आदर सम्मान किया है, चाहे हमारी पार्टी सरकार में रही हो या नहीं रही हो। मैंने अभी-अभी बताया 1971 में पूरा, 100% कई विषयों पर हमारा मतभेद था कांग्रेस के साथ, उनके हैंडलिंग के साथ मतभेद था, जो उन्होंने समझौता करके देश के साथ अन्याय किया उसके ऊपर हमारा मतभेद था। हम बहुत नाराज़ थे जिस प्रकार से उन्होंने जीती हुई लड़ाई को एक प्रकार से घुटने टेक दिए लेकिन हमने फिर भी पूरा समर्थन किया उस समय हमारे कोई नेता ने आलोचना नहीं की।

एंकर: नीचे वाले हरे रंग पर आप तो कोई आरोप नहीं लगाएंगे?

उत्तर: नहीं, मेरे को तो तिरंगे पर नाज़ है। मैंने तो 75 रेलवे स्टेशंस में देश में 100 फुट ऊँचे पोल के ऊपर तिरंगा लहराया है रेलवे स्टेशन पर कभी किसी ने पहले नहीं किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का आदेश था मुझे कि हमारे पैसेंजर जब रेलवे स्टेशन पर उतरे तो गर्व से तिरंगा दिखना चाहिए लहराता हुआ।  75 पर हमने लगा दिए, मुझे जो आनंद आता है देखकर मैंने अधिकारियों को कहा है अब और निकालो लिस्ट, अब 100 स्टेशन पर और लगाएंगे, फिर 500 स्टेशन पर और लगाएंगे। मुझे तिरंगे पर नाज़ है। लेकिन कुछ विपक्षी दल पता है क्या कहेंगे आपको आपने यह देखो आपकी और मेरी हाइट के हिसाब से ग्रीन रंग तो छुप गया है, तो वह तो यहाँ तक उतर आएंगे वह तो इस प्रकार की सोच रखते हैं।

एंकर: सर चूँकि स्टेशंस की बात आ रही है, एक छोटा सा सवाल आपसे पूछ लेती हूँ जिसके बाद वापस चुनाव पर जायेंगे।

उत्तर: रेलवेज पर तो आप छोटा, बड़ा जितने सवाल पूछो मुझे आनंद ही आनंद है।

एंकर: मुझे पता चला है कि कुछ 2डी, 3डी वर्चुअल रियलिटी का कुछ करने वाले हैं स्टेशंस पर जिसके ज़रिये अतिरिक्त कमाई होगी नॉन-रेलवे सर्विसेज देकर?

उत्तर: सबसे पहले तो मैं आप सबको खुशखबरी बता दूँ रेलवे के संबंध में। माननीय प्रधानमंत्री जी चाहते हैं कि डिजिटल टेक्नोलॉजी और डिजिटल दुनिया देश के कोने-कोने तक पहुंचे और उसका एक माध्यम उन्होंने शुरुआत की थी 400 रेलवे स्टेशन पर वाई-फाई देकर, और वह मुफ्त में जो हम वाई-फाई रेलवे स्टेशन पर देते हैं वह फास्टेस्ट वाई-फाई है भारत में।

एंकर: काम करता है सर?

उत्तर: आप ज़रूर चेक करिये और एक भी जगह आपको नहीं मिले तो मुझे बताना, डायरेक्ट मुझे फ़ोन करना। तो 400 पर पहले हमने शुरू किया मुफ्त वाई-फाई और फास्टेस्ट स्पीड है और कोई कम्पेरेबल स्पीड आपको नहीं दे सकता है। आज 832 स्टेशन पर वाई-फाई हमने कर दिया है। एक महीने के भीतर यह 1600 हो जायेगा, 1600 स्टेशंस पर हो जायेगा और गणेश चतुर्थी पर। गणेश चतुर्थी 2 सितम्बर 2019 को आने वाली है और मैं गणेश भक्त हूँ मैंने unmanned level crossing का भी टारगेट ऐसे ही रखा तह कि मुझे गणेश चतुर्थी तक जितने ज़्यादा हों निकलकर चाहिए, और ऐसे लोगों ने काम किया कि सितम्बर महीने अकेले में 1705 unmanned level crossing ख़त्म किये थे एक महीने में जो पहले एक साल में कभी नहीं हुआ था इतिहास में। ऐसे ही वाई-फाई गणेश चतुर्थी 2 सितम्बर 2019 तक हम 6400 स्टेशन से अधिक पर फ्री वाई-फाई पहुंचा देंगे भारतीय रेल, 6400 से अधिक स्टेशनों पर। और हम गावों के जितने बच्चे हैं आस पास के, जितने स्कूलों में पढ़ते हैं, हमारे किसान भाई बहन, हमारी महिलाओं को सबको स्टेशन पर आमंत्रित करेंगे और वहां पर कहेंगे आइये वाई-फाई से पूरी दुनिया से जुड़ जाइये।

और जैसे-जैसे वाई-फाई पहुंचेगा, मेरी अगली कल्पना है कि जो वेटिंग रूम है, वेटिंग रूम में हम टेलीविज़न लगाकर एक गोगल्स होती हैं, 3डी वाली, उससे हम आपको भारत और विश्व के जो अच्छी जगहें हैं, पर्यटन की जगहें हैं, कुछ अच्छी पिकचरें होंगी। हो सकता है तब तक Uri – a Surgical Strike भी रिलीज़ हो जाएगी for public viewing without having to pay licence fee, तो वह भी दिखाएंगे।

एंकर: मतलब स्टेशन पर प्रचार?

उत्तर: नहीं, हम टॉयलेट एक प्रेम कथा भी दिखाएंगे, जिसमें एक दिखाया गया है कि एक ज़माने में लोगों को रेलवे के अंदर, ट्रेन के अंदर जाकर शौच करना पड़ता था अपना आत्मसम्मान बचाने के लिए। माता, बहनें, बहुओं को यह शर्मिंदगी से प्रधानमंत्री मोदी ने बचाया है, इस सरकार ने बचाया है। 10 करोड़ टॉयलेट आखिर पहले क्यों नहीं बने, क्यों कांग्रेस 55 साल से राज कर रही थी, मात्र 34% घरों में क्यों शौचालय था? क्यों सब कुछ छोड़ दिया हमें आकर शौचालय देने के लिए सबको? क्यों छोड़ दिया बिना बिजली के हमारे छोटे भाई बहनों को? क्यों छोड़ दिया बिना स्वास्थ्य सेवाओं के गरीबों को इस देश में? तो हमने आकर यह सब विकास के काम किये और यह जब वाई-फाई पहुँच जायेगा और जब 3डी पर हमारे छोटे नन्हे बच्चे दुनिया की प्रोग्रेस को देखेंगे तो उनका भी और हौसला बढ़ेगा और वह भी आगे तरक्की के मार्ग पर जा सकेंगे।

मैं समझता हूँ मेरा तो मानना है कि रेलवे स्टेशन माध्यम बन पाएगा आगे चलकर गांव के आखिरी छोर पर जो गरीब खड़ा है उसको भी हम पूरी देश और दुनिया के साथ जोड़ने का माध्यम भारत के रेलवे स्टेशन बनाएंगे। और जब मैं रेल मंत्री बना मेरी पहली मीटिंग में प्रधानमंत्री जी ने मुझे यह निर्देश दिया था कि रेलवे स्टेशन में जो अपार संभावनाएं हैं खासतौर पर इस देश के 130 लोग शायद हर एक व्यक्ति जानता होगा नज़दीक का रेलवे स्टेशन कहाँ पर है। उन्होंने कहा था यह रेलवे स्टेशन को एक इकोनॉमिक एक्टिविटी का हब बनाओ, हो सकता है आगे चलकर हम रेलवे स्टेशन पर हमारे पास ज़मीन है हम वेयर हाउसिंग दे देंगे, कोल्ड स्टोरेज दे देंगे। तो रेलवे स्टेशन आगे की हमारी रणनीति में सुरक्षित भी होगा, लास्ट ईयर सेफेस्ट रेलवे ईयर था इस साल सेफ्टी में और अच्छा प्रदर्शन हम करेंगे।

एंकर: चलिए, अब चुनाव पर आते हैं जल्दी से इससे पहले कि इंटरव्यू ख़त्म हो जाये, रेल मंत्री से रेल पर सवाल पूछ लिया।

उत्तर: नहीं पर रेल भी चुनाव का एक विषय है, जनता के बीच हम रेल की भी उपलब्धियां लेकर जायेंगे।

एंकर: उस हब का क्या करेंगे जो समाजवादी पार्टी और बीएसपी का उत्तर प्रदेश में बना है क्योंकि उसके ज़रिये एक बहुत बड़ी चोट होने वाली है बय-एलेक्शंस ने उसकी आहट दे दी है और यहाँ अगर यूपी में 30-40 का नुकसान हो गया तब तो बहुत मुश्किल है?

उत्तर: यूपी में हमने तो 74 का टारगेट रखा था पर पीछे कोई यूपी का नेता आया था, बड़ा नाराज़ हो गया उसने कहा साहब 75 से कम नहीं लाएंगे आप यह 74 पर कहा अटक गए हो।

एंकर: यह कॉन्फिडेंस कहाँ से आता है सर?

उत्तर: यह कॉन्फिडेंस यहाँ से आता है कि आपने बय-इलेक्शन रिजल्ट तक आप स्टडी करने में असमर्थ रही हो, आप देखिये बय-इलेक्शन में कोई मोदी जी तो प्रचार में जाते नहीं है। हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह जी और उनके गुण की तो मुझे नहीं लगता आपमें से किसी को समझाने की ज़रूरत है उनके काम करने का ढंग और उनकी इलेक्शन लड़ने की जो क्षमता है उसपर तो लोगों ने बड़े-बड़े नाम दे दिए हैं उनको। कुछ-कुछ नाम मैंने भी सुने हैं इसी प्रकार के, हाँ, यह नाम मैंने भी सुना उनके नाम के साथ जोड़ा जाता है।

तो मेरे ख्याल से एक बय-इलेक्शन था कैराना में, अब कैराना के बय-इलेक्शन में सब विपक्षी दल एक साथ थे।

एंकर: गोरखपुर भी?

उत्तर: मैं उसपर भी आ सकता हूँ। आप जितने चाहिए, हम तो एनालिसिस सबका करते हैं। कैराना एक ऐसी सीट है जो भाजपा और जनसंघ साधारणतः कभी जीतती नहीं थी, पिछली बार जीती थी, दुर्भाग्य से यादव जी का निधन हो गया, सब विपक्षी दल एक साथ आ गए, सबके सब।

एंकर: योगी का गोरखपुर सर?

उत्तर: आता हूँ मैं मैडम, कोई जल्दी है आपको, मेरे को जल्दी नहीं है। अब वह आपकी प्रॉब्लम है, मैं तो विस्तार से समझाता हूँ चीज़ें, मेरा बजट भी बड़ा विस्तार से समझाया था इसलिए लोगों को अच्छी तरह सरलता से समझ आ गया। और मुझे अरुण जी ने निर्देश दिया था और माननीय मोदी जी ने कि ऐसे समझाना कि सामान्य से सामान्य व्यक्ति को समझ में आ जाये तो इसलिए यह भी विषय समझाना चाहूंगा। कैराना कोई साधारणतः हमारी स्ट्रॉन्गहोल्ड नहीं थी, सबके सब एक साथ लड़े फिर भी हमें 46% वोट मिला, मोदी जी भी नहीं गए अमित शाह भी नहीं गए, एक भी केंद्रीय मंत्री नहीं गया। एक लोकल बय-इलेक्शन के लिए, हम तो विकास के कामों में लगे रहते हैं उसके लिए समय नहीं दे पाए। मैं समझता हूँ वह एक संकेत देता है कि अगर तब 46% उस परिस्थिति में बिना हम सबकी इन्वॉल्वमेंट आया तो हमारे लिए यूपी का चुनाव 51% का चुनाव है और हम 51% से ज़्यादा वोट लाएंगे और यूपी में क्लीन स्वीप पिछले से बेटर रिजल्ट आपको लाकर दिखाएंगे।

एंकर: 23 मई के दिन लाइव ज़रूर आइयेगा सर आज तक पर उस दिन चर्चा हो जाएगी। अब ज़रा जम्मू कश्मीर चलते हैं, विपक्ष का कहना है इतना सब कुछ आप कर लेते हैं, इतने मज़बूत प्रधानमंत्री हैं, लोक सभा चुनाव तो वहां कर रहे हैं असेंबली नहीं करा रहे हैं, मेहबूबा मुफ़्ती कह रही हैं यह साज़िश है आपकी जम्मू कश्मीर के खिलाफ?

उत्तर: उनको तो हर एक चीज़ में साज़िश दिखता है, उनके लिए तो शायद साज़िश शब्द क्या बोलते हैं वह तकिया कलाम बन गया है, हर चीज़ में साज़िश बोल दो वगैरा। पर मेरे हिसाब से इलेक्शन कमीशन एक इंडिपेंडेंट आर्गेनाईजेशन है। पहले आपने एक सवाल independence of organisations का भी पूछा था मैं उसपर लम्बा विस्तृत जवाब दे सकता हूँ अगर आप समय दें तो। हाँ, उसपर जितना चाहिए हर संस्था के बारे में जवाब दे सकता हूँ, लेकिन यहाँ विषय इलेक्शन कमीशन का है, स्वतंत्र आर्गेनाईजेशन का है, उन्होंने अपने आप पूरा सिक्योरिटी सिचुएशन वगैरा लेकर जो निर्णय किया हम उसके साथ हैं। अगर वह असेंबली का निर्णय करते हम उसके रहते, वह सुरक्षा बल, स्टेट गवर्नमेंट और इलेक्शन कमीशन के बीच यह निर्णय होते हैं, सरकार का इसमें रत्ती भर भी कोई रोल नहीं है।

एंकर: अब ज़रा सेना पर आते हैं, आखिरकार यह सेना किसकी है?

उत्तर: भारत की जनता की है।

एंकर: बीजेपी की नहीं हैना?

उत्तर: बीजेपी भारत की जनता नहीं है क्या? बीजेपी में भी तो भारत की जनता सम्मिलित है, इन्होंने हमको चुनकर पूर्ण बहुमत की सरकार दी है तो बीजेपी – हाँ, मैं भी जनता नहीं हूँ क्या? क्या मंत्री बन गया तो आपने मुझे तड़ीपार कर दिया जनता में से?

एंकर: तो सेना के शौर्य पर फ्रंट-फुट पर बैटिंग होगी 2019 के चुनाव में पीयूष गोयल जी?

उत्तर: आप लोग हर चीज़ में चुनाव ही चुनाव देखते हो, हम हर चीज़ में उनकी शौर्य गाथा देखते हैं, आप हर चीज़ में चुनाव देखते हैं हम हर चीज़ में गरीब का विकास देखते हैं। आपको हर चीज़ शायद चुनाव में आपके टीआरपी से लिंक बेनिफिट मिलता होगा कुछ एडवरटाइजिंग वगैरा, लेकिन हमारे लिए तो इस देश का गरीब जो 70 साल से वंचित रहा विकास से, हमारे लिए वह लड़का जो स्कूल में जाते हुए भी एक अच्छा भविष्य नहीं बना पाया क्योंकि उसको मौका नहीं मिला, हमारे लिए प्रधानमंत्री की वह गरीबी का जीवन जिसमें उन्होंने चाय बेचकर अनुभव किया गरीबी क्या होती है, देखा अपनी माँ को 400 सिगरेट धुआँ लेते हुए अंदर, देखा बिना बिजली के एक वह छोटे से flicker of a kerosene lamp में कैसे जिया जाता है। आपने देखी है कि नहीं ‘चलो जीते हैं’? नहीं देखी है? एक 30 मिनट की डाक्यूमेंट्री है, मैं आपसे अनुरोध करूँगा और आपके एडिटर्स और आपके मालिकों से भी कि वह ज़रूर जनता को दिखाइए एक 30 मिनट की छोटी फिल्म है। किसी ने बनाई है एक महावीर जैन वगैरा कुछ लोग हैं मुंबई के, एक 30 मिनट की उन्होंने एक छोटी डाक्यूमेंट्री बनाई है, ‘चलो जीते हैं’, उसमें दिखाया है कि कम्पैशन कैसे आता है, संवेदना कैसे पैदा होती है। एक व्यक्ति जो गरीबी में अपना बचपन बिताता है उसमें कैसे यह संवेदना गरीबों के प्रति आती है। देखने लायक है और आप अपने दर्शकों को दिखाओगे, आपका ज़रूर टीआरपी भी बढ़ जायेगा।

एंकर: मैंने इसलिए सेना पर यह सवाल पूछा था क्योंकि आपकी इन बातों में और प्रधानमंत्री के बैकग्राउंड का ज़िक्र करते ही समझ में आ गया कि आपका 2019 का एजेंडा और रणनीति क्या रहेगी। बहुत-बहुत आपका पीयूष गोयल जी आज तक में सुरक्षा सभा में हमारे साथ शामिल होने के लिए।

उत्तर: धन्यवाद।

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