Speeches

April 1, 2019

ज़ी न्यूज़ के कार्यक्रम “India Ka DNA 2019” में संवाद

एंकर: आपका एक बार फिर से बहुत-बहुत स्वागत है। जैसा आप जानते हैं इंडिया का डीएनए इस समय चल रहा है जो पूरे दिन चलेगा और इस समय हमारे साथ हैं पीयूष गोयल जी, केंद्रीय रेल मंत्री। आपका बहुत-बहुत स्वागत है पीयूष जी। और आप यह भी कह सकते हैं कि भारत के पार्ट टाइम वित्त मंत्री भी।

उत्तर: थोड़े समय के लिए कुछ कारणों से मुझे देखना पड़ा और कोई वजह से नहीं।

एंकर: तो पीयूष जी, चौकीदारी कैसी चल रही है आज कल और 2014 में आपने सोचा था कि 2019 में अब चौकीदार भी बनना पड़ेगा?

उत्तर: मैं समझता हूँ कि पांच वर्ष, और समय कैसे गुज़र जाता है कभी-कभी ध्यान नहीं आता है लेकिन पांच वर्ष का जो यह जर्नी रही एक प्रकार से इस देश को लम्बे अरसे तक के लिए एक नया डीएनए देने की कोशिश प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में इस सरकार ने की। और मैं समझता हूँ अगर मैं यह कहूँ कि इंडिया का डीएनए पांच वर्ष पहले जो था और हम सब उससे भली-भांति अवगत हैं और आज का जो डीएनए है उसमें ज़मीन आसमान का फर्क है। आज भारत का हर व्यक्ति अपने आपको empowered मानता है, आज भारत का हर व्यक्ति अपने आपको सुरक्षित मानता है, आज भारत के हर व्यक्ति को पता है कि देश के विकास और उन्नति और प्रगति में सबको मौका मिलेगा। ऐसा नहीं है कि गिने-चुने लोगों को ही देश की आर्थिक संपत्ति पर अधिकार है या गिने-चुने लोगों के लिए ही सरकार काम करेगी।

तो एक प्रकार से जो एक कठोर और परिश्रमी नेतृत्व भारत को वर्षों-वर्षों से जिसकी राहत थी जो मांग रहे थे एक अच्छा नेतृत्व यह इस पांच वर्षों में इस देश ने देखा ईमानदार नेतृत्व, निर्णायक नेतृत्व और एक कम्पैशन रखने वाला, लोगों के लिए संवेदना रखने वाला नेतृत्व, मैं समझता हूँ ऐसा कॉम्बिनेशन भारत में इसके पहले कभी नहीं आया है।

एंकर: अगर मैं कहूँ कि यूएसपी क्या है इस चुनाव में इस सरकार का तो आप कहेंगे कि नेतृत्व is the USP, Modi is the USP?

उत्तर: स्वाभाविक है और वह इस चुनाव से संबंधित नहीं है इस देश का यूएसपी है। आज पूरा विश्व भारत की तरफ देख रहा है, पूरा विश्व भारत का सम्मान कर रहा है तो उसके दो कारण है – एक हमारी 130 करोड़ जनता जिनकी खुद की काबिलियत इतनी है कि पूरा विश्व आज हमारी 130 करोड़ जनता की तरफ देख रहा है कि आगे का जो विकास का दौर होना है वह हमारे लोगों के बलबूते पर होना है। और दूसरा इनका नेतृत्व करने वाला व्यक्ति जिसने पूरे विश्व में अपनी छाप छोड़ी, चाहे वह काले धन पर प्रहार हो विश्व को तैयार किया कि काले धन पर प्रहार किया जाये, चाहे वह जलवायु परिवर्तन पर प्रहार हो, पूरे विश्व ने प्रधानमंत्री मोदी जी के कहे हुए रास्ते को स्वीकार किया। चाहे वह आतंकवाद के ऊपर प्रहार हो आज पूरा विश्व प्रधानमंत्री के साथ खड़ा है।

तो मैं समझता हूँ भारत का मान सम्मान जो आज पूरे विश्व में बना है तो स्वाभाविक रूप से वह उसमें देश की जनता और उनके नेता दोनों का बड़ा योगदान है और चुनाव में वह एक बार और सामने आएगा, एक बार फिर प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनेगी।

एंकर: आप तो सीए हैं, वित्त मामलों के एक्सपर्ट हैं, वित्त मंत्री भी रह चुके हैं। एक फैक्टर तो यह है कि एक feel-good factor है, लोगों को अच्छा लग रहा है, लोगों को गर्व हो रहा है देश के ऊपर। और कुछ ऐसी चीज़ है जो महसूस की जा सकती है, दूसरा होता है कि देश का बैलेंस शीट कैसा है, तो देश का बैलेंस शीट आपको कैसा दिखाई दे रहा है?

उत्तर: आपको ध्यान में होगा 2014 में जब हमारी सरकार आयी तो भारत को एक फ्रेजाइल फाइव देशों में से गिना जाता था, फ्रेजाइल फाइव यानी जो सबसे कमज़ोर अर्थव्यवस्था है विश्व की पांच सबसे कमज़ोर अर्थव्यवस्थाओं में हमें गिना जाता था। आज पांच साल बाद लगातार तीन वर्षों से विश्व की बड़े देशों में सबसे तेज़ गति से बढ़ने वाला देश आपका देश भारत, मेरा देश भारत बना है। मैं समझता हूँ हम सबके लिए गर्व की बात है कि आज विश्व की जो विकास की राह है और जो विकास दर है वह भारत उसको लीड कर रहा है और भारत तय करता है कि विश्व की अर्थव्यवस्था कितनी तेज़ गति से बढे।

साथ ही साथ अगर आप बैलेंस शीट की बात करते हैं तो मैं समझता हूँ सिर्फ विकास ही नहीं हुआ है, इकोनॉमिक आर्थिक प्रगति नहीं हुई है, उसी के साथ-साथ महंगाई के ऊपर कठोर कदम लेकर उसको कंट्रोल किया गया है। जब हम आए थे आपको याद होगा 2012-13-14 में 12-13% हर वर्ष महंगाई हुआ करती थी, हमने लगातार उसको घटा-घटाकर पिछले महीने तो 2.5 प्रतिशत महंगाई हो गई थी। अब आप बताएं कोई भी किसी ने ऐसे पांच वर्ष कभी देखें हो आज़ादी के बाद आज तक ऐसे पांच वर्ष किसी ने महसूस किए हों जब महंगाई लगातार गिरती भी गई और पांच वर्षों तक जो एवरेज रहा वह सबसे कम इतिहास में भारत का यह पांच वर्षों में रहा। ब्याज के दर भी लगातार गिरते जा रहे हैं, साथ ही साथ विदेशी मुद्रा बढ़ते जा रही है, आज $400 बिलियन से ज़्यादा विदेशी मुद्रा है और यह उसके बाद कि हमने जो $35 बिलियन यूपीए ने जाते-जाते सितम्बर 2013 में कांग्रेस की सरकार ने देश के ऊपर बोझा ले लिया था $35 बिलियन का हमने वह भी बोझा कम कर दिया, वापस दे दिया।

तो एक प्रकार से इस पांच वर्षों में जो हमारी मूल dollar reserves हैं, foreign exchange reserves, वह तो 300 बिलियन से बढ़कर 400 बिलियन कर ही दी लेकिन जो international debt है, जो विदेशी ऋण है भारत के ऊपर उसको भी कम करने में हम सक्षम रहे हैं तो net-net we now have a positive situation. और यह ऋण हम सबके ऊपर है, हम सबके कन्धों पर यह बोझा है उसको हमने कम करने का काम किया। तो एक प्रकार से बैलेंस शीट की दृष्टि से यह सुनहरा पीरियड गया है पांच वर्षों का। और आगे चलकर एक ऐसी आधारशिला बनी है, ऐसी फाउंडेशन जिसके ऊपर मैं समझता हूँ आगे चलकर यह बहुत तेज़ गति से सुधरते भी रहेगा बढ़ते भी रहेगा और देश की जनता के लिए एक आगे का भविष्य उज्जवल भविष्य बनाने के लिए सक्षम बैलेंस शीट हमने पांच साल में बनाई।

एंकर: यह पांच साल में एक नई चीज़ हमें देखने को मिली, आप जो भी स्टेटिस्टिक्स देते हैं या मान लीजिये अभी जो आपने आंकड़े दिए विपक्ष को आपके किसी भी आंकड़े पर विश्वास नहीं है, वह हमेशा आपको स्टेटिस्टिक्स पर चैलेंज करता है कि यह आंकड़े आपने खुद बनाए हैं, यानी विपक्ष लगातार आपसे एक तो डेटा मांगता है बेरोज़गारी का डेटा मांगता है और दूसरे सबूत मांगता है। आप एयर स्ट्राइक करके आते हैं कहते हैं सबूत दीजिये, आप अंतरिक्ष में कुछ करके आते हैं कहते हैं उसको हमारा श्रेय लूट रहे हैं? तो यह जो अविश्वसनीयता जो आई है पांच साल में यह आप ही के साथ क्यों हुआ?

उत्तर: जब आदमी के पास और कोई मुद्दे के ऊपर आरग्यू करने के लिए नहीं होता है, कोई मुद्दे के ऊपर हमें चैलेंज करने को नहीं होता है तो स्वाभाविक रूप से उसको डाइवर्ट करने के लिए आप मुद्दे को ही बदल दो। अगर आपका कोई प्रश्न अच्छा नहीं लगा तो मैं आपको ही चैलेंज कर दूँ कि आप किसी और के बिहाल्फ पर क्वेश्चन पूछ रहे हैं, आप विपक्ष के बिहाल्फ पर पूछ रहे हैं। तो यह तो कोई तरीका हो नहीं सकता है, मैं समझता हूँ कि आंकड़े वर्षों-वर्षों से आ रहे हैं, वर्षों-वर्षों से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसकी पूरी तरीके से विश्वसनीयता है। आंकड़े तैयार करने का तरीका हर कुछ वर्षों में बदलना पड़ता है क्योंकि अर्थव्यवस्था के अंक बदलते हैं।

उदाहरण के लिए आज से पांच सात साल पहले टेलीविज़न चैनल्स आज देश में मैंने सुना है 300-400 चैनल्स हैं, शायद 6 साल पहले तो ज़ी टीवी के साथ मुश्किल से 10-12 चैनल रहे होंगे। इसी प्रकार से कभी हमने ओला, ऊबर यह नए स्टार्टअप, नई technology oriented businesses यह सब कभी सुने ही नहीं थे। अब इन सबको सम्मिलित करना है या नहीं करना है यह इस देश को तय करना है कि हमें पुराने दकियानूसी हिसाब से ही पूरे देश के आंकड़े चलाने हैं। इसलिए यह जॉब्स के डेटा की जो बात है कोशिश हो रही है कि उसमें और एक realism आए। और जैसा माननीय वित्त मंत्री अरुण जेटली जी ने बताया अगर ऐसी हालत होती तो मैं समझता हूँ सड़कों पर आज लोग धरने कर रहे होते और यहाँ माता बहनें कई हैं उनको पूछ लो कि कितना मुश्किल होता है किसी को काम पर रखना हो तो आदमी नहीं मिलता है। फैक्ट्रियों में मैं बात करता हूँ और मेरा लगातार लघु उद्योग, मध्यम उद्योग के साथ संपर्क लगा रहता है, कहते हैं हमको लोग नहीं मिलते हैं हमको जब लोग चाहिए होते हैं।

कई लोग तो यहाँ तक बोलते हैं कि भाई आज के दिन वेजेस इतनी बढ़ गई हैं कि लोग इतने रुपये पर भी हमको नहीं मिकलते हैं, 300-350 रुपये पर भी लोग नहीं मिलते हैं। तो मैं समझता हूँ यह realism और जो आंकड़ों में कभी-कभी दर्शाता है वह जब फर्क दिखता है उसको फिर आपको ठीक करना पड़ता है। मैं अगर आपकी अनुमति हो तो एक रेलवे से उदाहरण जोड़कर इस बात को और सरलता से आपके दर्शकों को समझा पाउँगा।

आप सब मानेंगे कि रेलवे में ट्रेनें लेट होती हैं और वर्षों-वर्षों से लेट चल रही हैं, मैं भी महसूस करता था मैं भी सबसे सुनता था और हर बार मुझे लगता था यह ट्रेन इतनी लेट है इसको ठीक करना है। मैं जब रिव्यू करूँ अपने डिपार्टमेंट के साथ अधिकारियों के साथ तो आंकड़े पेश होते थे सुधीर जी कि 90% टाइम पर है, 88% टाइम पर है, किधर 95% टाइम पर है, तो अब समझ नहीं आता था जनता त्रस्त है आंकड़े मुझे दिख रहे हैं कि सब कुछ बहुत अच्छा है। अच्छा आंकड़े ही होने के कारण मैं कुछ उसपर कार्रवाई भी नहीं कर पा रहा था।

आखिर आप डॉक्टर के पास जाओ, मेरा रोल क्या है एक मंत्री के नाते? चीज़ें सुधारनी है तो एक डॉक्टर का रोल है, समस्या आपके पास है, मुझे समस्या का हल निकालना है लेकिन अगर मुझे बीमारी ही नहीं मालूम हो तो कौनसा डॉक्टर ठीक करेगा? आप आके डॉक्टर के पास जाओ और खड़े हो जाओ तो आपके घुटने की प्रॉब्लम होगी आपके लिवर को निकाल देगा, उसको कैसे मालूम प्रॉब्लम क्या है।

एंकर: पहले ऐसे ही हो रहा था?

उत्तर: मुझे लगता है कि मैं… मैं आपको बताऊँ पहले ऐसे होता था उसका उदाहरण आपको एक मिनट में बताता हूँ यह बताने के बाद। तो मैंने पता लगाने की कोशिश की, I did a root cause analysis कि इसके जड़ में जाकर देखें समस्या कैसे किधर है आंकड़ों में है या जनता गलत बोल रही है क्या है। आप मानोगे नहीं भाइयों बहनों, यह डेटा कैसे कलेक्ट होता था, स्टेशन मास्टर लिखता था कितने बजे ट्रेन आई कितने बजे गई, और वह डेटा बढ़ता-बढ़ते-बढ़ते ऊपर तक आकर वह फाइनल डेटा होता था जिसके हिसाब से हमारी तो ट्रेनें बहुत बढ़िया चल रही थी इतने वर्षों से। तो हमने उसको तुरंत data loggers लगाए automatic data collect करने के लिए और शुरुआत में तो आप मानोगे नहीं, 96 data loggers, only 96 – कुल खर्चा एक करोड़ रुपया नहीं हुआ उसके ऊपर – less than one crore.

यह 96 data loggers हर जंक्शन पर लगा दिए, अब दो जंक्शन के बीच 30-40-50 किलोमीटर का फासला है, पक्का समय automatically log होता है दोनों जंक्शंस पर, बीच का आदमी हेरा फेरी कर ही नहीं सकता, करेगा अगले दिन ससपेंड हो जायेगा उतना तो लोग मेरे से डरते हैं सरकार में। वह तो आपने शायद सुन ही लिया होगा बड़े-बड़े लोग मेरे ऊपर आरोप लगाते हैं कि मैं अफसरों को बहुत डराता हूँ।

एंकर: आपको पसंद नहीं किया जाता?

उत्तर: पसंद न करें लेकिन उसी से आज इतने देश में परिवर्तन ला सके हैं। थोड़ा बहुत तो अपना वर्चस्व नहीं मनाएंगे तो शायद फिर पुरानी झरझर अवस्थाएं चलती रहेंगी। अब यह data logger लगाए समय ठीक निकालना शुरू हुआ तो पहली अप्रैल से मैंने उसके डेटा लॉगर के डेटा को फाइनल मानकर पब्लिक में डालना शुरू कर दिया और मेरी भी रिपोर्टिंग वही होने लगी। आप विश्वास नहीं करोगे, 31 मार्च तक पुरानी अवस्था थी, 1 अप्रैल, 2018, आज से पूरे एक वर्ष पहले – what a coincidence – आपने मुझे आज ही बुलाया। आज से एक साल पहले exactly, यह 96 data loggers ने अपना काम करना शुरू किया, आप मानोगे नहीं, 20% गिरा सीधा punctuality का data – 20%. यानी इतना गलत डेटा के ऊपर रेलवे 160 वर्षों की organisation चल रही थी।

और आपको जानकर ख़ुशी होगी अब मेरे पास सही डेटा आया, सही डेटा पर मैं कार्रवाई कर पाया, एक-एक जोन के साथ दिन भर बैठता था, 17 जोन हैं। अब हमने विशाखापत्तनम में आंध्र प्रदेश के Reorganisation Act के तहत 18वां जोन भी अप्प्रूव कर दिया है अब वह बन रहा है 18वां जोन पर 17 जोन personally, दिनभर बैठकर एक-एक बारीकी में जाकर हमने उसका सलूशन भी निकाला। और आपको जानकर ख़ुशी होगी आज एक वर्ष बाद जो डेटा actual strictly correct data के basis पर हमने कार्रवाई शुरू की, उसके कारण काफी बड़ी मात्रा में हम वह punctuality को जो पुरानी थी गलत फ़र्ज़ी डेटा के बेसिस पर उसको वापस अचीव कर लिया है।

शायद आपने भी महसूस किया होगा अभी ट्रेनें और समय पर आने लगी हैं, जो आठ-आठ दस-दस घंटे लेट होती थी वह तो अब इतिहास हो गया है, अब कोई ट्रेन 8-10 घंटे लेट नहीं होती है लगातार उसपर मेरी मॉनिटरिंग चलती है। और मैं समझता हूँ जो minutes lost जिसपर हम कैलकुलेट करते हैं कितनी ट्रेन multiplied by number of minutes late है वह लगभग आधा हो गया है 6-8 महीने के कठोर परिश्रम के कारण।

एंकर: पीयूष जी अगर ग्राउंड पर इतना अच्छा काम हुआ है तो फिर चुनाव से पहले इस समय नैरेटिव फिर से क्यों बदल गया क्यों वापस आतंकवाद पर हम आ गए, क्यों पाकिस्तान पर आ गए, क्यों बालाकोट पर आ गए। और विपक्ष यह आरोप लगा रहा है कि अब आप सिर्फ बालाकोट के नाम पर आप वोट मांग रहे हैं, लोगों को एक थोड़ा फील गुड फैक्टर देकर?

उत्तर: यह एकदम बेबुनियाद सी बात है। आप बताइये भाइयों और बहनों क्या हमने कोई भी हमारे चुनावी भाषण में हमने बिजली की बात नहीं की हो, ऐसा संभव है? हमने उज्ज्वला में हमने 7 करोड़ हमारी बहनें माताएं बहुओं को मुफ्त में एलपीजी कनेक्शन दिया इसकी चर्चा आप हमारे सब भाषण सब गोष्ठी में देखेंगे, हमने आज 50 करोड़ लोगों को मुफ्त में इलाज दिया जो इस देश की एक ज्वलंत समस्या थी उस समस्या को हल किया क्या उसका ज़िक्र नहीं होता है? हमारे जितने इश्तेहार आते हैं हमारे जितनी स्टेटमेंट्स आते हैं सबमें हम विकास और देश के सामान्य आदमी के जीवन में जो परिवर्तन लाये हैं उसी पर हमने फोकस किया।

अब आतंकवादियों ने कोशिश की कि भारत में एक instability लाने की और पुलवामा में हमारे जवानों को शहीद किया तो हमने उसका मुंहतोड़ जवाब दिया और यह भी बता दिया कि हमारे armed forces को पूरी छूट है कोई भारत पर आँख उठाकर देखेगा तो उसको मुंहतोड़ जवाब देंगे। पर इसमें क्या गलत है? क्या आप चाहते हो हम कांग्रेस की तरह जो 2008 में इतना नरसंहार हुआ था मुंबई में। मैं मुंबईकर हूँ, मेरी आँख के सामने तीन दिन तक आतंकवादी हमारे ऊपर हमला करते रहे और कांग्रेस की सरकार में इतनी हिम्मत नहीं थी कि एक जवाब दे सके, क्या जनता इसका जवाब नहीं मांगेगी कांग्रेस से? क्या आपको नहीं इच्छा होती है उनको पूछने की कि 2008 में क्यों आपने बेड़ियाँ पहनाई और क्यों छूट नहीं दी हमारी armed forces को जबकि वह मांगते रहे, हमारे जवानों में पूरी ताकत थी 2008 में भी, वह जवाब देने के लिए सक्षम थे लेकिन कांग्रेस की सरकार के नेतृत्व में दम ही नहीं था यह करने के लिए।

एंकर: हमारे देश में चुनाव आम तौर पर यह माना जाता है कि हटाने के लिए ज़्यादा होते हैं किसी को चुनने के लिए कम होते हैं, क्योंकि सरकार से परेशान हो जाते हैं लोग हटाने के लिए बहुत बड़ी संख्या में लोग ऐसे होते हैं जो वोट डालते हैं। आप इस समय अपना सबसे बड़ा प्रतिद्वंदी किसको मानते हैं, राहुल गाँधी को मानते हैं, कांग्रेस को मानते हैं, किसी और नेता को मानते हैं, महागठबंधन को मानते हैं?

उत्तर: मुझे लगता है आज के दिन अगर प्रतिद्वंदी कोई रह गया है तो कुछ मीडिया के मित्र रह गए हैं और तो कोई दिखता नहीं है उन्ही को अभी तक शेख चिल्ली में कोई उम्मीद दिखती है कि भाई शायद उनकी दुकान फिर से खुल जाये। आपको याद होगा कि कुछ मीडिया के मित्र तो सोचते थे वह तय करेंगे मंत्री कौन बनेगा, कांग्रेस में तो आम था। आपने तो वह टेप सुने भी होंगे कि मीडिया के मित्र तय करते थे कौन मंत्री बनेगा, किसको विभाग दिया जायेगा, कौनसे कोएलिशन पार्टनर को कौनसा जूसी विभाग दिया जायेगा जिससे 2जी स्कैम हो सके।

यह सब ज़माना अभी ख़त्म हो गया तो कुछ मित्रों को बड़ा पेट में दर्द होता है कि यार यह नरेंद्र मोदी सरकार तो देश का डीएनए बदल रही है इसको सपोर्ट नहीं कर सकते। बाकी जनता में तो मुझे लगता है पूरा विश्वास आज एक चौकीदार पर है, एक व्यक्ति एक नेता पर है, प्रधानमंत्री मोदी जी देश के सबसे लोकप्रिय नेता के रूप में आज पूरे देश में छा गए हैं। मैं तो तमिल नाडु देख रहा हूँ, जो उत्साह तमिल नाडु में मोदी जी के लिए मैं देखता हूँ मैं समझता हूँ अपने आपमें मुझे हैरानी होती है कि कश्मीर से कन्याकुमारी और कामरूप से कच्छ तक, पूरे देश में एक नेता इतना बड़ा फ़ैल जाये उनका वर्चस्व उनकी लोकप्रियता अपने आपमें एक अजीब सा नया phenomena देखने को मिलता है। लेकिन इसके पीछे कठोर वर्षों-वर्षों की देश सेवा देश प्रेम छलकती है जब जनता उनके पीछे इतने बड़े रूप में समर्थन और आशीर्वाद देती हैं।

एंकर: बहुत सारे लोग यह भी कहते हैं कि now ‘BJP is Modi and Modi is BJP’?

उत्तर: यह तो कांग्रेस टाइप स्लोगन है वह क्या ‘India is Indira and Indira is India.’ हमारी पार्टी तो कार्यकर्ताओं की पार्टी है। आप देखिए अमित शाह जी हमारे अध्यक्ष हैं, उनके वर्चस्व को कोई कम नहीं कर सकता कोई बदल नहीं सकता। आप हमारी पार्टी की कोई मीटिंग देख लीजिये अमित शाह जी उसको preside करते हैं बाकी सब साथ में रहते हैं। हमारी party party-driven party है – Nation first, party next, self last. और मोदी जी भी क्या कर रहे हैं, मोदी जी पार्टी के एक कार्यकर्ता के रूप में एक ज़िम्मेदारी निभा रहे हैं जो पार्टी ने उनको दी है, जो देश की जनता ने दी है और उस ज़िम्मेदारी को मैं समझता हूँ बड़ी ज़िम्मेदारी से, बहुत ही सफलता से और बहुत ही कठोर परिश्रम से, ईमानदारी से निभाने का श्रेय ज़रूर मोदी जी को जाता है, जनता में सबसे ज़्यादा लोकप्रियता आज मोदी जी की है। लेकिन मोदी जी काम कर रहे हैं देश के लिए, मोदी जी काम कर रहे हैं पार्टी के लिए। और अगर कोई आप लोगों में से कोई यह कहे तो वह तो आपकी इच्छा है आप कैसे उसको देखना चाहें लेकिन हमारी पार्टी में सर्वोच्च देश है फिर पार्टी है और हम सब आखिर में आते हैं।

एंकर: एक इस मुकाबले को इस तरीके से सेट करने की कोशिश की गई है कि यह मोदी वेर्सिस राहुल गाँधी का मुकाबला है और यह मैं आपसे इसलिए पूछ रहा हूँ क्योंकि अगर आप मोदी जी के भाषणों पर भी नज़र डालें तो सबसे ज़्यादा समय वह गाँधी परिवार पर और राहुल गाँधी पर ही लगाते हैं। तो अगर राहुल गाँधी कोई प्रतिद्वंदी है ही नहीं तो उनपर इतना समय क्यों बर्बाद करते हैं?

उत्तर: क्योंकि हम चाहते हैं कि वही प्रतिद्वंदी सबसे प्रमुख बने हमारी सीटें और अधिक बढ़ जाएँगी।

एंकर: राहुल गाँधी को आप कैसे आंकते हैं अपने प्रतिद्वंदी के तौर पर?

उत्तर: मतलब आप अप्रैल फूल्स डे पर ऐसा प्रश्न पूछ रहे हैं?

एंकर: और अब तो वह दो राज्यों से चुनाव लड़ रहे हैं, उत्तर प्रदेश से लड़ रहे हैं, दो सीटों से लड़ रहे हैं, अब केरल से लड़ रहे हैं। और वह यह सोचते हैं कि केरल से चुनाव लड़ने पर एक नया गेटवे ऑफ़ साउथ इंडिया उनके लिए खुलेगा?

उत्तर: ऐसा है कि स्मृति जी ने इतना डरा दिया है कि अमेठी से तो मुझे लगता है उन्होंने हथियार ही छोड़ दिए हैं। अब चाहे बहन आये या जीजा आये कोई वहां से तो बचा नहीं सकता तो वहां से तो हारना निश्चित हो गया है। अब हम वायनाड से भी उनको हराएंगे शायद अन्नौंस हो गया होगा या थोड़ी ही देर में हमारा एक युवा कैंडिडेट अन्नौंस होने वाला है और हम वहां से भी हराकर जिससे अगले 2024 में कोई और सीट साउथ ऑफ़ केरल ढूंढनी पड़े ऐसा मजबूर कर देंगे उनको।

एंकर: मैंने यह भी सुना है कि अगली सरकार के 100 दिन का लक्ष्य भी आलरेडी निर्धारित कर दिया गया है?

उत्तर: हमारी सरकार ने कभी चुनाव के हिसाब से काम नहीं किया, चुनाव के हिसाब से अपनी नीतियां नहीं बनाई। मैंने कई फोरम पर यह बात रखी है और कई बार यह चुनाव के विषय आते हैं हमारी कैबिनेट मीटिंग्स में निर्णय लेने की कभी माननीय प्रधानमंत्री जी के साथ, अमित भाई के साथ, सबके साथ मीटिंगों में, कई बार यह विषय आता है और हमको भी लगता है कि यह निर्णय को थोड़ा हम आगे ले जाएं अगले चुनाव के बाद कर लेंगे – अलग-अलग प्रकार की सोच रहती है।

माननीय प्रधानमंत्री जी का हर बार एक प्रश्न होता है सुधीर जी यह निर्णय अच्छा है कि गलत है, नहीं अच्छा है। आज लेना ज़रूरी है या टल सकता है – वैसे आज लें ज़्यादा अच्छा है पर टले तो राजनीतिक फ़ायदा है। बोलते हैं नहीं, जो चीज़ करनी है, जो देशहित में है जनहित में है वह आज होगी, उसको टाला नहीं जाएगा। चुनाव आएंगे जाएंगे वैसे भी इस देश में हर 6 महीने में चुनाव होता है, यह ख़त्म नहीं होगा फिर महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड अलग-अलग चुनाव फिर से आएंगे। तो चुनाव तो हर 6 महीने में आएंगे।

कांग्रेस की इसी चुनावी डर के कारण उन्होंने सालों साल इस देश में विकास नहीं होने दिया और इस देश को गरीब रखा मैं समझता हूँ इस भय के कारण कांग्रेस की यह हालत हुई है। और क्योंकि हमने हिम्मत से एक निर्णायक सरकार दी जो चुनाव को सामने नहीं देशहित और जनहित को रखती है इसलिए यह सरकार सफल हुई, इसलिए आज देश तेज़ गति से प्रगति कर रहा है।

एंकर: यह जो 72,000 रुपये गरीबों को देने की जो योजना है इससे आपको कितना नुकसान होगा और यह मैं इस आधार पर पूछ रहा हूँ कि तीन राज्यों में किसानों का क़र्ज़माफ़ी देने की वजह से आपको हरा दिया कांग्रेस ने इन तीन राज्यों में। उसके बाद आपको भी किसानों को 6000 रुपये का पैकेज देना पड़ा, अब आपको ऐसा लगता है कि यह 72,000 रुपये यह कुछ भारी पड़ेंगे आपके ऊपर?

उत्तर: देखिए यह जो तीन राज्यों में हारे हैं उसके अलग-अलग कारण भी हो सकते हैं लेकिन वास्तव में एक में उन्होंने कुछ ढाई हज़ार रुपये पैडी के लिए देंगे ऐसा कुछ घोषणा कर दी, कर्जमाफी कर दी। एक मैं तो हम हारे नहीं है दो-चार सीट कम-ज़्यादा रह गयी मध्य प्रदेश में। राजस्थान में आप लोग सबने तो आंकलन लगा दिया था जैसे हमारी 25 सीटें नहीं आएँगी, 73 आएँगी, और परसेंटेज में देखें तो लाख-डेढ़ लाख वोट का ही फर्क था शायद, पूरे राज्य में लाख-डेढ़ लाख वोट का फर्क था।

तो ओवरआल झूट के आधार पर कांग्रेस की राजनीति का पर्दाफाश देश के सामने हो चुका है। पंजाब में उन्होंने कर्जमाफी की बात की, आज तक शायद दो-ढाई हज़ार करोड़ कर्जमाफी की है। कर्नाटक में एक वर्ष पहले जीते थे और जीते तो क्या थे हारे थे पर छल से सरकार बना ली थी हारने के बाद जो नंबर तीन पार्टी आई थी उसको चीफ मिनिस्टर बना दिया, वही तरीके से जिस तरीके से चंद्रशेखर जी को, देवे गौड़ा को, आईके गुजराल को सबको बनाकर फिर खींचते थे। जिस दिन से बनाया तब से तंग कर रहे हैं उस प्रदेश के मुख्यमंत्री को, वहां पर प्रॉमिस किया था सुनते हज़ार दो हज़ार करोड़ भी नहीं हुआ है अभी तक कर्जमाफी। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कोई कर्जमाफी हुई नहीं है किसी की।

तो झूट के आधार पर शेख चिल्ली के सपने दिखाकर कांग्रेस ने इस देश को काफी बार बेवकूफ बनाने की कोशिश की है। मैं समझता हूँ देश समझदार है, समझ गया है कि यह इनका एक अप्रैल फूल्स डे की तरह ही एक कहानी है और उसके आधार पर मुझे नहीं लगता इस देश में कोई प्रभावित होगा। हमने जो कहा है वह किया है, हमने तो करंट ईयर के बजट तक में प्रोवाइड किया पैसा पूरा और देना शुरू किया मात्र 24 दिन के अंदर, 1 तारीख को अन्नौंस किया 24 को लॉन्च कर दी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि। और आप समझिये हमने कोई झूट फरेब के आधार पर कोई लिस्टें नहीं बनाई हमने कहा जो स्माल एंड मार्जिनल फार्मर है जो रिकॉर्ड अवेलेबल है।

मैं चैलेंज करता हूँ कांग्रेस के कोई मित्र को कि वह बताए कि आंकलन कैसे होगा कि किसकी आय 6000 रुपये से कम है जिसको 6000 रुपये मिलने चाहिए। I openly challenge them कि हमें बताएं कि यह आंकलन कैसे किया जायेगा। आखिर जो इनकम टैक्स पेयी हैं या जो पीएफ-ईएसआई में रजिस्टर्ड हैं उसके अलावा किसी का देश में आंकड़ा है ही नहीं कि कितनी उनकी आय है। तो हर एक व्यक्ति अपनी आय 6000 से कम दिखाने की कोशिश करेगा एक प्रकार से यह स्कीम देश को गरीबी की तरफ और बढ़ाने वाली स्कीम बनाई गई, लोगों को गरीब बनने के लिए प्रोत्साहित करने वाली स्कीम बनाई गयी। और मैं समझता हूँ हम देश को सशक्त बनाना चाहते हैं, हम एम्पॉवर करना चाहते हैं हर देशवासी को, कोई सरकार के मोहताज नहीं बनाना चाहते।

दूसरी बात, जयराम रमेश ने, कपिल सिबल ने सबने, they have let the cat out of the bag, असली बात भी बाहर निकाल दी, यह बता दिया कि हम बाकी सब सब्सिडीस बंद करके यह देंगे। तो आज देश की जनता तय कर ले कि 80 करोड़ लोगों को बहुत सस्ते में अनाज मिलता है, हम 1,80,000 करोड़ रुपये उसमें खर्च करते हैं हर वर्ष वह बंद हो जायेगा तो 80 करोड़ लोगों को क्या वह भूखा छोड़ना चाहते हैं। क्या किसानों को जो खाद सस्ते में दिया जाता है वह अब पांच गुना दाम पर उनको खरीदना पड़ेगा, कांग्रेस जवाब दे किसानों को कि खाद का क्या होगा, कांग्रेस जवाब दे जो गरीबों को सस्ते में बिजली मिलती है क्या वह बिजली के दाम बढ़ा देंगे, कांग्रेस जवाब दे कि जो मुफ्त में 50 करोड़ लोगों को आज आयुष्मान भारत के तहत स्वास्थ्य सेवाएं मिलती हैं कांग्रेस उसको अब हटा देने वाली है।

देश की जनता अब समझ जाए कि अब इनकम टैक्स, हर एक टैक्स को बढ़ाने की योजना कांग्रेस बना रही है। महंगाई फिर एक बार कांग्रेस की तरह डबल डिजिट पर 14-13% लाने की योजना कांग्रेस बना रही है। क्योंकि उसपर कोई विश्वसनीयता ही नहीं है, कोई विश्वास ही नहीं करता है कांग्रेस पर इसलिए आज उसकी कोई चर्चा ही नहीं है देश में, बजाए कि टीवी चैनल्स के और किधर यह देश में विषय ही नहीं बना।

एंकर: यह जो फ्री सॉप्स की हम बात करते हैं, आप तो मुंबई से आते हैं और मुंबई बॉलीवुड का केंद्र है। 1975 में एक बड़ा मशहूर डायलाग था – मैं आज भी फेंके हुए पैसे नहीं उठाता – और 1975 में बेरोज़गारी, गरीबी अपने चरम पर थी, उस वक्त युवा जो एंग्री यंग मैन है वह कहता है मैं फेंके हुए पैसे नहीं उठाता। और 2019 में अब उसी पैसे पर यानी मुफ्त के पैसे पर राजनीति हो रही है हर पार्टी आकर कोई कर्जमाफी की बात करती है, कोई कहती है मुफ्त में पैसा दे देंगे। आपको लगता है तब से लेकर अब तक जो वोटर का डीएनए है वह चेंज हुआ है या अभी भी हमें इसी फ्री इकॉनमी में जीना होगा?

उत्तर: शत-प्रतिशत चेंज हो गया है। मुझे विश्वास है भारत के हर नागरिक के मन में आज स्वाभिमान है और स्वाभिमान से आत्मविश्वास से वह अपना जीवन जीना चाहता है, कोई हमारे देश के युवा-युवती से आप पूछ लो वह फिर एक बार वही अमिताभ बच्चन का डायलाग रिपीट करेगा कि मैं फेंके हुए पैसे उठाता नहीं हूँ। मुझे याद है मैं 7 साल का था, only 7 years old जब 1971 में गरीबी हटाओ का नारा इंदिरा गाँधी जी ने आज के कांग्रेस के तत्कालीन नेता, पता नहीं वह नेता रहे हैं कि अब उनकी बहन ने ले लिया है अभी हम समझ नहीं पा रहे हैं कि कौन रियली नेता है उस पार्टी का।

और अगर दोनों, एक तो फेल हो ही गया है, the second has failed to take off, तो हम वेट कर रहे हैं या तो शायद जीजा आता होगा तीसरा, पता नहीं कौन। लेकिन इंदिरा जी का मुझे आज तक याद है मैं सात साल का था तब यह नारा था, मैं 21 साल का था जब उन्होंने बात की थी कि 1985 में जब उन्होंने राजीव गाँधी जी ने बात की थी कि मैं 100 रुपये भेजता हूँ मात्र 15 रुपये गरीब तक पहुँचते हैं, बाकी पैसा भ्रष्टाचार में और हमारे दलालों में और कांग्रेस पार्टी के अंदर शायद बट जाता होगा, हमें नहीं मालूम उनको ज़्यादा मालूम था हमें तो नहीं मालूम।

उन्होंने लेकिन उसका कोई समाधान नहीं किया सिर्फ एकनॉलेज कर दिया असलियत क्या थी कांग्रेस के राज की। मैं 40 साल का था जब 2004 में कांग्रेस ने यह नारा दिया कि कांग्रेस का हाथ गरीबों के साथ। हम बस वही सुनते रहेंगे? और कांग्रेस की जो रियल थिंकिंग है जो उनका डीएनए है वह उसमें झलकता है कि वह इस देश को गरीब रखना चाहते हैं। आपको याद होगा उनके एक मित्र दल हैं आरएलडी, बिहार में, उनकी क्या सोच रहती थी? कि लोगों को गरीब रखो, लोगों को सुविधाएं मत पहुँचने दो, सुविधाएं पहुँच जाएँगी, शिक्षा पहुँच जाएगी, स्वास्थ्य सेवाएं पहुँच जाएँगी तो उनको वोट कौन देगा? नितीश कुमार जी ने उसको बदला, उस सोच को बदला, आज पूरे बिहार में बिजली पहुंचाई है, बिहार में अब फिर से उद्योग आ रहा है, अच्छी सड़कें बन रही हैं। ऐसे ही पूरे देश में जो विकास हो रहा है देश का युवा-युवती आज आत्मनिर्भर जीवन जीना चाहता है मोहताज किसी के नहीं होना चाहते।

एंकर: अब आखिरी के हमारे एक-दो सवाल हैं पीयूष जी, एक तो यह है कि पिछली बार आपने चायवाला को बहुत बड़ा मुद्दा बनाया, इस बार आपने चौकीदार को बहुत बड़ा मुद्दा बनाया। एक तो यह कहा जाता है कि चुनाव प्रचार में बीजेपी का कोई सानी नहीं है क्योंकि आप लोगों को पता है कि कौनसा नारा कहाँ कॉइन करना है गढ़ना है। और अब भी जब हम देखते हैं तो चारों तरफ आप ही का चुनाव प्रचार नज़र आ रहा है, तो इतने चुनाव प्रचार की ज़रूरत है क्या?

उत्तर: पहली बात तो जहाँ तक नारों की बात है, हम नारा नहीं बनाते हैं, जनता नारा स्वीकार करती है और जनता उसको स्वीकार करती है, यह विषय वास्तव में कोई एजेंसी वगैरा से नहीं आया है। यह ‘मैं भी चौकीदार हूँ’ यह कुछ जगहों पर लोगों ने अपने आप से यह नारा दिया जो हमको लगा कि अगर जनता यह बात कह रही है तो वास्तव में इसमें … There is no agency or anybody who has decided this. यह आवाज़ जनता से उठी ‘मैं भी चौकीदार हूँ’ और फिर वह बढ़ते-बढ़ते देखिए कहाँ तक पहुँच गयी कि पूरे देश में आज आवाज़ उठ रही है और जनता बनना चाहती है इस देश का चौकीदार।

यह जनभागीदारी की बात अगर आप याद करें तो प्रधानमंत्री मोदी जी के इंटरिम बजट में पहली फरवरी को हमने रखी थी कि जनभागीदारी से यह देश आज नए रास्ते पर जा रहा है। और इसलिए हर टैक्सपेयर को हमने धन्यवाद किया जो आज इस देश को अच्छा बनाने में, विकसित बनाने में अपना योगदान देते हैं। हमने किसानों का सम्मान किया क्योंकि किसान के बलबूते पर, उनके कठोर परिश्रम से आज देश आत्मनिर्भर बन गया है हमें विदेश से कोई चीज़ लानी नहीं पड़ती है। आपको याद होगा 2014 तक ताले देश में नहीं बनते थे पर्याप्त मात्रा में, हमारी बहनें माताएं बताएंगी 260 रुपये तक दाल की कीमत गयी थी प्रति किलो। हमें एक साल इम्पोर्ट करना पड़ा, पहले साल, नए-नए आये थे, पर हमने जड़ में जाकर समस्या का हल किया, प्रोडक्शन बढ़ाई, प्रोडक्टिविटी बढ़ाई, सॉइल हेल्थ कार्ड दिया, लोगों को ट्रेन किया, किसान चैनल से लोगों को ट्रेन किया, एसएमएस से ट्रेन करते थे क्या करने से उत्पादन भी बढ़ेगा और प्रोडक्टिविटी भी बढ़ेगी। आज देश दालों में भी, पल्सेस में भी आत्मनिर्भर बन गया है। आज शायद 80 रुपये होगी दाल की कीमत, साधारणतः 75-80-90 रुपये, एक तिहाई। यह है इस सरकार का काम करने का ढंग। हम हर एक चीज़ में अपने आपको आत्मनिर्भर कैसे बनाएं, सक्षम कैसे बनाएं और जो योगदान देता है फिर उसका सम्मान कैसे करें।

यह 6000 रुपये कोई खैरात नहीं दी जा रही है हर किसान को। हमारे जो छोटे लघु किसान हैं, सीमांत किसान हैं बड़े परिश्रमी हैं बहुत मुश्किलों से अपने छोटे खेत को जोते हैं छोटे खेत में जीवन बिताते हैं, 6000 रुपये बहुत महत्वपूर्ण हैं उस छोटे किसान के लिए पर यह खैरात नहीं उनके सम्मान में एक देश, एक कृतज्ञ देश ने उनका सम्मान करते हुए दिया है।

एंकर: 2014 में जैसे आपने कहा आप नए-नए आये थे, कुछ समय आपको सिस्टम को समझने में लग गया, कुछ समय आपको चीज़ों को बदलने में लग गया और असल में काम करने के लिए आपको हो सकता है 2-3 वर्ष ही मिले हों या 4 वर्ष मिले हों। अब अगर नई पारी यानी एक और टर्म अगर आपको मिला तो इस बार from the word go आप काम शुरू कर देंगे और NDA-1 से NDA-2, in case you come back, कितना अलग होगा?

उत्तर: अभी तक आप ‘in case’ पर ही अटके हुए हो?

एंकर: क्योंकि अभी चुनाव का नतीजा होना बाकी है। आपको यकीन है कि NDA-2 आ रही है?

उत्तर: स्पष्ट बहुमत से आ रही है और एनडीए की दो-तिहाई बहुमत इस चुनाव में भारत की जनता देने जा रही है। पहली बात तो मैं आपकी बात को ठीक कर दूँ हमें कोई दो वर्ष नहीं लगा सरकार समझने में, सब अनुभवी नेता हैं हमारे, प्रधानमंत्री स्वयं लगभग 13 वर्ष तक गुजरात में मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने सेवा की लोगों की।

एंकर: लेकिन राज्य को चलाना और देश को चलाना अपने आप में अलग-अलग चीज़ें हैं?

उत्तर: वह आप लोगों को एक ऐसा फील होता है, मैं समझता हूँ ऐसी कोई बात नहीं है। मैं नया ज़रूर था पर मुझे भी कोई दो-चार दिन से ज़्यादा नहीं लगे क्योंकि मैंने पहले दिन ही मैं बिजली मंत्री बनकर मुझे भार दिया था माननीय प्रधानमंत्री जी ने, पहले दिन ही जब मैं दफ्तर में गया तो मैंने जो भीड़ देखी कॉरिडोर में, श्रम शक्ति भवन यहाँ से नज़दीक ही है। उसके पूरा कॉरिडोर भरा हुआ था लोगों से सब फूल लेकर खड़े हुए थे। मैं अपने कमरे में गया और मैंने घंटी बजाई जो भी बाहर आया मैंने कहा जितने लोग कॉरिडोर में खड़े हैं उन सबको बोलो अपने-अपने दफ्तर जाएं, अपने-अपने घर जाएं जहाँ पर भी जाना है जाएं यह पूरे कॉरिडोर को साफ़ करो, खाली करो कोई यहाँ पर खड़ा नहीं होगा मुझे काम करना है। और उसी दिन, और आप पता लगा सकते हैं आपके पत्रकार भी वहां थे, ज़ी टीवी और सब चैनल्स आते ही हैं हम लोग जब बैठते हैं कुर्सी में देखने के लिए।

एंकर: उस दिन बहुत बड़ा फोटो opportunity होती है।

उत्तर: बस फोटो ही लेते हैं, मैं वैसे उस कुर्सी में बस उसी दिन बैठा था उसके बाद उस कुर्सी में एक नेता की तरह टेबल पर कभी बैठा ही नहीं। उसके बाद मैं अपने सोफे में या कांफ्रेंस रूम में ही बैठकर अपना काम करता था लेकिन उसी दिन मैंने उन सबको बाहर निकाला और उस दिन से आज तक पांच साल बाद कभी मेरे कॉरिडोर में कोई भी आया हो आपको कोई नहीं दिखेगा – कोई दलाल नहीं है, कोई मिडिलमैन नहीं है, कोई चापलूसी करने वाले लोग नहीं हैं, कोई पीएसयू के अधिकारियों को बाहर बैठकर लाइन में बैठना नहीं पड़ता है, समय लेकर काम से आते हैं काम मेरिट पर होता है तो अधिकारी उसको examine करके उसके हिसाब से काम करते हैं। और मिडिलमैन और दलाल को इस सरकार में कोई जगह नहीं मिली है पांच साल में यह मैं दावे के साथ कह सकता हूँ।

एंकर: पोस्टिंग, ट्रांसफर, कॉन्ट्रैक्ट्स यह सारे बिज़नेस आपने ख़त्म कर दिए?

उत्तर: वह तो सब ख़त्म हो गया, किसी की हिम्मत ही नहीं है पोस्टिंग और ट्रांसफर कॉन्ट्रैक्ट में दखलंदाज़ी देने की इस सरकार में। और मैं समझता हूँ मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि इस सरकार ने ईमानदारी की परिकाष्ठा इस देश को दिखाई है, प्रधानमंत्री मोदी जी ने एक नए युग में भारत को प्रवेश किया है और यह युग इस भारत को आगे ऐसा सक्षम बनाएगा, ऐसे तेज़ गति से प्रगति देगा कि आगे आने वाले 5-10-15 साल इस देश का सुनहरा युग होने वाला है। और विश्व की सबसे बड़ी विश्वशक्ति बनकर भारत उभरने जा रहा है यह मैं दावे के साथ कह सकता हूँ।

एंकर: एनडीएस-2 में भी आपका मंत्रालय यही रहेगा या मंत्रालय बदला जाएगा?

उत्तर: मतलब यह फिर एक वह उस पुराने ज़माने में जा रहे हो जब पत्रकार तय करते थे मंत्री कौन बनेगा और विभाग क्या होगा। मैं मंत्री बनूँगा कि नहीं बनूँगा वह भी माननीय प्रधानमंत्री तय करते हैं, मीडिया हाउसेस और मीडिया चैनल्स में और वह भी अप्रैल फूल्स डे पर तो खासतौर पर न चर्चा करें।

एंकर: आखिरी सवाल पीयूष जी, you are a man of statistics. हमारे सारे लोग जो देख रहे हैं इस वक्त टीवी पर भी लाइव चल रहा है आपसे यह जानना चाहेंगे कि आपकी कैलकुलेशन इस वक्त क्या है, ऐसा पोलिटिकल पंडित कहते हैं कि जब बालाकोट से पहले बहुत अच्छी स्थिति नहीं थी, 180-190 बीजेपी अटकी हुई थी, उसके बाद थोड़ी स्थिति अब बेहतर हुई है क्योंकि आपने बालाकोट किया और एक देश में माहौल अच्छा हुआ, अब आपसे जानना चाहते हैं कि आज की स्थिति क्या है?

उत्तर: अब मैं वैसे तो रहस्य रहा नहीं है, माननीय देश के पूर्व प्रेजिडेंट साहब ने, महामहिम जी ने यह रहस्य भी खोल दिया, माननीय प्रणब दा ने पीछे बताया देश को कि चुनाव के पहले वह राष्ट्रपति जब थे 2014 के पहले तो वह एक किताब रखते थे अपने बाजू में और जो भी आता था उनको पूछते थे तुम्हारा आंकलन क्या है और उसपर यह बाद में यह नोट करते थे। तो मैं भी गया था माननीय राष्ट्रपति जी को कॉल-ऑन करने, अपनी रेस्पेक्ट्स देने। मैं बहुत उनका आदर सम्मान  करता हूँ जब पहली बार मैं एमपी बना था तब उन्होंने बजट पेश किया था और उसकी प्रतिक्रिया करने की ज़िम्मेदारी राज्य सभा में माननीय अरुण जेटली जी ने मुझे दी थी। तो मैंने ओपन की थी डिबेट और उसके बाद माननीय प्रणब दा ने बहुत, चाहे मैं विपक्ष का था, बहुत अच्छी तरीके से जवाब भी दिया था और शायद कुछ मात्रा में मेरी प्रशंसा भी की थी कि मैं रिसर्च करके आया हूँ, मुद्दों पर मैंने उनकी प्रतिक्रिया की है। तबसे एक रिश्ता बना तो मैं चुनाव के पहले गया था उन्होंने मुझे पूछा था और मैंने उनको एक आंकड़ा दिया था। तो हाल में साल-डेढ़ साल पहले शायद उन्होंने कुछ इंटरव्यू में उसका खुलासा किया है कि सबसे आंकड़ों के सामने मेरा आंकड़ा सबसे एक्यूरेट था 2014 के रिजल्ट का। और यह बालाकोट से कोई संबंधित नहीं है। हम एक्चुअल ग्राउंड फीडबैक लेते हैं और बड़े पैमाने पर देश भर से फीडबैक लेकर इसको तय करते हैं। आपको मैं बताऊँ हमने सितम्बर-अक्टूबर में 5,40,000 लोगों से देश भर में एक इंडिपेंडेंट एजेंसी है जिसका दूर-दूर से बीजेपी से  संबंध नहीं है उनसे यह काम करवाया था और आधे घंटे की फिजिकल इंटरव्यू जो लैपटॉप पर ली जाती थी जो सीधा जिओटैग होकर हमारे पास आती थी, उनके हेडऑफिस में, उसी एजेंसी के। यह किससे करना यह कंप्यूटर तय करता था व्यक्ति नहीं, एकदम साइंटिफिक फार्मूला से और यह मैंने खुलासा नवंबर में कर रखा है टीवी के सामने तब आंकड़ा आया था बीजेपी अकेले के 297 से 303 सीट्स, सितम्बर-अक्टूबर का आंकड़ा बता रहा हूँ इससे बालाकोट का कोई संबंध नहीं है तब यह आंकड़ा आया था।

 

अब ट्रैकिंग पोल हमारा चालू है मैं समझता हूँ इससे बेटर ही होगा, इसलिए मैं दावे के साथ कह रहा हूँ कि एनडीए दो-तिहाई से अधिक बहुमत से जीतकर आ रही है और यह जनता का निर्णय है, यह भारत की जनता का प्रेम और आशीर्वाद बोलता है।

एंकर: यानी BJP will cross 300 mark?

उत्तर: मुझे पूरा विश्वास है भारतीय जनता पार्टी 300 से अधिक सीटें लेकर यह चुनाव पूर्ण बहुमत की फिर एक सरकार लेकिन जैसे हमने 2014 में किया, हमारे मित्र पक्षों का आदर सम्मान करते हुए साथ में एनडीए की सरकार चलाएंगे – not because of compulsions of coalition politics but because of our affection and oneness. NDA is one. NDA believes that we are a coalition of friends. We are a coalition like-minded parties. हम सब मित्र पक्ष हैं, हम कोई ज़बरदस्ती महामिलावट गठबंधन नहीं बनाते हैं, एक दिन गठबंधन बनता है दूसरे दिन टूटता है वैसा हमारा नहीं है। हमारा एक सक्षम मज़बूत गठबंधन है जो इस देश की जनता को पसंद है और इस देश की जनता का आशीर्वाद जिसके साथ है।

एंकर: Piyushji thank you so much, आज आपने इतना समय निकाला, आपका बहुत-बहुत शुक्रिया।

Subscribe to Newsletter

Podcasts