सरकारी पावर कंपनियां अब अपनी कोल सप्लाई की अदला-बदली कर उन्हें अधिक एफिशिअंट पावर प्लांट्स में भेज सकेंगी। कोल इंडिया (CIL) ने कोल की आसानी से सप्लाई के लिए पिछले सप्ताह केंद्र और राज्यों की पावर जेनरेशन कंपनियों के साथ अग्रीमेंट साइन किए हैं। इससे पावर जेनरेशन की कॉस्ट कम करने में मदद मिलेगी।
इस कदम से एनटीपीसी जैसी केंद्र और राज्यों की पावर जेनरेशन कंपनियों के प्लांट्स को कोल लिंकेज मिल सकेगी। अगर किसी कंपनी के पास देश भर में कई प्लांट हैं और प्रत्येक प्लांट के लिए अलग फ्यूल सप्लाई अग्रीमेंट (एफएसए) है, तो इन सभी लिंकेज को एक एफएसए माना जाएगा।
कंपनियों के पास कोल के बेहतर इस्तेमाल के बारे में फैसला करने का विकल्प होगा। इससे कॉस्ट कम करने के लिए अधिक एफिशिअंट प्लांट्स को अधिक कैपेसिटी पर चलाया जा सकेगा।
कोल इंडिया के एक अधिकारी ने बताया, ’13 अप्रैल तक केंद्र और राज्यों की पावर जेनरेशन कंपनियों के साथ 40.2 करोड़ टन की कॉन्ट्रैक्ट वाली कुल सप्लाई में से 36.8 करोड़ टन के लिए सप्लिमेंटरी अग्रीमेंट साइन किए गए हैं।’ बाकी के अग्रीमेंट अगले कुछ दिनों में साइन किए जा सकते हैं।
केंद्रीय कैबिनेट ने पिछले वर्ष मई में सरकारी पावर जेनरेशन कंपनियों के लिए देश में प्रोड्यूस होने वाले कोल के बेहतर इस्तेमाल के प्रपोजल को अनुमति दी थी। सरकार ने कहा है कि कोल क्वॉलिटी में सुधार होने और सप्लाई चेन की एफिशिएंसी बढ़ने से एनटीपीसी के पावर प्लांट्स की पावर जेनरेशन कॉस्ट घटी है।
पिछले तीन वर्षों में कोल प्राइसेज, सेंट्रल सेस और रेलवे फ्रेट में बढ़ोतरी होने के बावजूद पावर जेनरेशन कॉस्ट में कमी आई है।
डेटा से पता चलता है कि पावर जेनरेशन के लिए कोल की कॉस्ट 2016-17 में 39 पैसे घटकर 2 रुपये से कम प्रति यूनिट की रही।
2014-15 में एनटीपीसी के पावर प्रॉडक्शन की कुल कॉस्ट 2.01 रुपये प्रति यूनिट की थी, जो 2016-17 में घटकर 1.94 रुपये पर आ गई।
अधिकारियों ने बताया कि वास्तविक कटौती 6.4 पैसे प्रति यूनिट की है, लेकिन बढ़े और सेस और चार्जेज को जोड़कर देखने पर पावर प्रॉडक्शन की कॉस्ट में कुल कमी 39.5 पैसे की है।