Speeches

July 19, 2018

Fugitive Economic Offenders Bill 2018

United Nations Convention Against Corruption ने पहली बार इस बात को एक international consensus, आम सहमति बनी विश्व में कि जो लोग ऐसे भाग जाते हैं, भगौड़े बन जाते हैं या एक देश में कानूनी कार्रवाई चल रही है, दूसरे देश में जाकर पनाह ले लेते हैं इसके बारे में कुछ न कुछ मज़बूत कदम उठाएं जायें और जल्द से जल्द यह जो illegal wealth होती है जो गैर कानूनी संपत्ति होती है इसके ऊपर कार्रवाई हो और यह वापिस देश को मिलना चाहिए|

Article 54 इस UNCOC ने इसके बारे में काफी महत्वपूर्ण सुझाव दिए, और 2011 में इस UNCOC को भारत ने स्वीकार किया| तो मैं समझता हूँ सबसे पहला तो प्रश्न यह उठता है कि 2011 से 2014 के बीच जल्द से जल्द ऐसा कानून क्यों नहीं लाया गया है? इसपर कोई कार्रवाई भी शुरू नहीं हुई थी, अगर कोई कार्रवाई शुरू हुई होती तो शायद हमारे भी ध्यान में आता जल्दी कि यह UNCOC के ऊपर कुछ आधी-अधूरी भी कार्रवाई होती तो हम उसको आगे बढ़ाकर जल्द ले आते|

वित्त मंत्री जी ने बजट 2017-18 में इसकी जानकारी दी कि इस विषय में सरकार गहराई से अध्ययन करके उचित कदम उठाएगी, ज़रूरत पड़े तो नया कानून लाएगी| और उसी के तहत पिछले सेशन में यह कानून लाया गया और दुर्भाग्य से कई कारणों से यह सदन चलने नहीं दिया गया, दोनों सदनों को लगभग पूरा सेशन बजट के सेशन के दूसरे पार्ट को लगभग पूरा wash-out  होने के कारण यह बिल पास नहीं हो पाया|

अब आपकी क्या मंशा थी खर्गे जी वह तो आप ही ज्यादा जानते हैं, भारत सरकार और भारतीय जनता पार्टी, एनडीए, चाहती है कि यह सदन चले, सदन organized way में चले और मैं समझता हूँ जो व्यवहार हमने आपकी तरफ से, आपके माननीय सदस्यों की तरफ से माननीय स्पीकर मैडम का जो अपमान देखा वह शायद ही भारत के इतिहास में कभी किसी सदन ने देखा होगा|

सरकार बहुत सीरियस थी कि इसके ऊपर कार्रवाई हो और इसलिए सदन न चलने देने के बावजूद, कानून न पास होने देने के बावजूद हमने इसको एक ऑर्डिनेंस के रूप में लाया गया और ऑर्डिनेंस शुरू करके…….. मैं समझता हूँ यह ऑर्डिनेंस लाना इसलिए ज़रूरी था कि यह कार्रवाई रुके न, यह कार्रवाई थमे न और यह message जाये कि भारत सरकार अब एकदम seriously  नयी सरकार आई है, काले धन के ऊपर प्रहार हो रहा है और एक  series of measures में यह एक measure लिया गया कि ऐसे जो भी केसेस हैं जहाँ offenders भारत की सीमाओं को छोड़कर चले जाते हैं इनकी संपत्ति को ज़ब्त करने का कानून लाया जाये इसलिए इसको ऑर्डिनेंस के रूप में हमने पास किया और आज उसको रिप्लेस करके बिल आज इस सदन के समक्ष है|

कहा गया कि इसके Objects and Reasons और जो बिल है इसमें मेल नहीं खाता, शायद माननीय कल्याण जी ने बड़े humble way में, बहुत वरिष्ठ lawyer हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि बड़े humble submission करता हूँ कि यह bill badly drafted है| मैं चाहूँगा उनको बताना कि यह जो 100 करोड़ की सीमा Objects में लिखी हुई है, Objects and Reasons में, वही सीमा बिल में भी लिखी गयी है Section 21M के द्वारा| तो अगर आप Section 21M को पढ़ें Section 21F के साथ जोड़कर, 21M में बहुत ही स्पष्ट रूप से यह लिखा गया है और आपको आसानी हो कुछ तकलीफ न हो उसके लिए मैं पढ़ भी सकता हूँ|

अगर आप चाहें और सदन में कई माननीय वरिष्ठ सांसदों ने इस विषय का ज़िक्र किया तो मैं कर दूं 21M कहता है, “Scheduled Offence means an Offence specified in the Schedule if the total value involved in such Offence or Offences is 100 crore rupees or more.”

इसके बारे में भी कई माननीय सांसदों ने विषय उठाया मैं समझता हूँ उनको इतनी elementary knowledge समझ नहीं आई कि आज के दिन यह सब केसेस अलग-अलग कानून के तहत कोर्टों में चल रहे हैं, कोर्टों में उसपर एक्शन हो रहा है| और स्वाभाविक है कि एक्शन अपने अंतिम लगाम तक जायेगा लेकिन जो बड़े offenders हैं, जिनकी संपत्ति बड़े रूप में उनके पास है उनको पहले tackle किया जाये और special court, tribunals वगैरा को clog नहीं करें उनको हर एक केस ट्रान्सफर करके फिर वही बात होगी कि delayed justice होगी|

और इसके बारे में कई चर्चा होती है कि delayed justice is justice denied, तो हमने सोचा कि जो बड़े कानूनी अपराध करते हैं जो 100 करोड़ से अधिक करते हैं उनको इस कानून के तहत पहले लिया जाये उसके ऊपर सख्त से सख्त कार्रवाई हो और उनकी संपत्ति ज़ब्त की जाये, एक deterrence होगा, कोई भागेगा नहीं और जो भागा है उसकी संपत्ति ज़ब्त होते देख वह शायद लौटकर आये, वापिस आये और कानून के consequences को face करे|

तो मैं समझता हूँ कि यह 100 करोड़ की सीमा थरूर जी ने, चौटाला जी ने, कई लोगों ने विषय उठाया लेकिन स्पष्ट रूप से सरकार की मंशा है कि बड़े अपराधी पहले पकडे जायें उनके ऊपर एक्शन हो जल्द से जल्द और कोर्टों में इतने केस न ले जायें इस नयी व्यवस्था के तहत कि फिर बड़े और छोटों के बीच फरक न होने के कारण बड़े लोग छूटकर रहे, बाहर रहे और उनकी संपत्ति हम ले न सकें|

तो fast track करने के हिसाब से इन केसेस को इस कानून के तहत लाया गया बाकी केसेस जो अभी existing कानून है उसमें स्वाभाविक है उसकी कार्रवाई चल रही है आगे भी चलेगी, नए केसेस के ऊपर कार्रवाई होगी तो कोई भी भागकर नहीं जा सकेगा, सब पर उचित कार्रवाई की जाएगी|

कुछ माननीय सांसदों ने विषय उठाया कि Search and Seizure में, और शायद माननीय कल्याण जी आपने ही उठाया कि Search and Seizure में कोई protection नहीं है, कोई भी व्यक्ति जाकर Search and Seizure कर सकता है| मैं समझता हूँ कि बहुत दुर्भाग्य की बात है, कि वही बात होती है कि लोग ठीक से पढ़ते नहीं हैं, अगर पढ़कर कानून को सही मायने में समझकर आते, आपने कहा draconian है Search and Seizure के कानून| यह same है जो Money Laundering Act 2002 के हैं वही कानून इस law में भी लिए गए हैं, कोई फरक नहीं है|

और यह जो बात कही गयी कि दूसरे कानून में witness होते हैं तो मैं सदन को अवगत करा दूं कि इसमें भी Search and Seizure में Section 9E में provide किया गया है कि दो या दो से अधिक witness का प्रावधान रखा गया है Section 9E में और कल्याण जी को ऐसा न लगें बड़े draconian हैं, शायद उनको कोई मित्रों की चिंता हो रही होगी कि शायद उनके ऊपर draconian Search and Seizure हो जायेगा|

तो 9E में लिखा है – “Before making the search under Clause A or Clause D, the authorities shall call upon two or more persons to attend the witness, to attend and witness the search and the search shall be made in the presence of such persons.”

तो मैं समझता हूँ यह बहुत स्पष्ट रूप से कानून बहुत सोच समझकर सुलझा हुआ कानून है, हर प्रकार से कानून वैध है, constitutionally  इसकी सब चिंता करते हुए कानून लाया गया है| एक भर्तुहरी महताब जी और कुछ अन्य सांसदों ने कहा कि आप ज़ब्त तो कर लोगे लेकिन उसके बाद आप किस प्रकार से इसको डिस्पोज़ करोगे यह स्पष्ट नहीं किया गया|

दुर्भाग्य से अब वही बात है, कानून को गहराई से शायद अध्ययन नहीं किया| Section 15(3) बहुत स्पष्ट रूप से बताता है कि जब confiscation या attachment होगी तो उसको disposal भी कैसे होगा – administrator नियुक्त किया जायेगा जो manage करेगा property, court के directions के अन्दर… Section 15(3) में बहुत स्पष्ट रूप से लिखा गया है – “The administrator shall also take such measures as the central government may direct to dispose of the property, which is vested in the central government under Section 12.

तो जो प्रॉपर्टी को confiscate किया जायेगा Section 12 द्वारा उसको dispose करने का भी, पहली बात तो यह measures जो central government चाहे वह administrator को बताये वह उसको dispose of करे और उसके लिए भी एक safeguard रखा है, “provided that the central government or the administrator shall not dispose of any property for a period of 90 days from the date of the order under Subsection 2 of Section 12,” जो कहता है कि declaration जब special court order करे, एक special court इसके लिए जो नियुक्त होगा बड़े केसेस को फोकस करने के लिए वह जब ऑर्डर करे कि कोई न कोई property confiscate होकर central government में vest करती है|

इसमें दो टाइप के होंगे, एक तो proceeds of crime, चाहे भारत में हो चाहे विदेश में हो और चाहे वह property fugitive offender के नाम पर हो या उसकी बेनामी संपत्ति हो, any other property, a Benami property in India or abroad owned by the fugitive economic offender.

तो दोनों को ज़ब्त करने का प्रावधान रखा है, बेनामी भी, खुद के नाम के भी, लेकिन 90 दिन इसलिए दिए गए कि अगर वह वापिस आता है and he submits himself to the process of law तो हम समझते हैं कि फिर जैसे सुप्रिया ताई ने कहा तो due process of law होगा| लेकिन मैं यह मानता हूँ कि विपक्ष के किसी भी सदस्य का या रूलिंग पार्टी के किसी भी सदस्य का यह नहीं मानना हो सकता है कि आदमी भाग भी जाये देश छोड़कर, यहाँ क्राइम करे, economic offence करे, भाग जाए, he doesn’t submit himself to the process of law और कानून जो आजके दिन हैं उसमें जब तक व्यक्ति सामने पेश नहीं होता है तो उसपर कानूनी कार्रवाई बढ़ नहीं सकती है, वह स्टॉल हो जाती है, डिले हो जाती है| तो यह डिले को रोकने की मंशा तो मैं समझता हूँ पूरे सदन की होगी इस प्रकार के लोग, और अगर, if he comes with a clean hand, जो सुप्रिया ताई को चिंता है कि कोई गलत आदमी के ऊपर प्रहार न हो जाये| या he is innocent until proven guilty, if he is innocent why did he run away in the first place? He should submit himself to the law.

और भारत की कानून व्यवस्था पर हम सबको अटूट विश्वास है, हम कोई केस का ज़िक्र करें तो मैं समझता हूँ वह court का contempt है, वह कोर्ट के ऊपर एक प्रकार से प्रश्न चिन्ह उठाये जा रहे हैं कि कोर्ट के प्रोसेस के ऊपर हम कैसे प्रश्न चिन्ह उठा सकते हैं? तो मैं समझता हूँ कि यह जो so-called ‘disentitlement is draconian’, थरूर साहब भी बोलकर गए थे, मैं समझता हूँ कोर्ट merits के ऊपर fast track करेगी action और अगर कोई व्यक्ति के hands are clean, he should come and submit himself to the court, तो जब्त करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी|

साथ ही साथ एक विषय थरूर जी ने कहा कि CRPC में प्रावधान है कि उसमें भी attachment हो सकता है, स्वाभाविक है है| वही बात है कि courts are clogged with thousands and lakhs of cases, प्रॉपर्टी अलग-अलग स्टेट में हो अगर तो अलग-अलग स्टेट में अलग-अलग कानून करना पड़ता है, अलग-अलग  prosecution करना पड़ता है, attachment के लिए इतने सारे केसेस देश भर में अलग-अलग चलाने पड़ते हैं| तो इस cumbersome process को fast track करने के लिए यह कानून लाया गया है|

थरूर साहब ने एक और टिप्पणी की, मैं समझता हूँ शायद आजकल बहुत बिजी हैं और मुझे थोडा समझ में नहीं आ रहा था उनका जो एक्सेंट है वह थोडा विदेशी सा एक्सेंट था, अगर इंडियन एक्सेंट होता| हम तो …. लोग हैं हम को हिंदी हैं, हिंदी रहेंगे तो उनको शायद अलग तरीके से बोलने का मुझे समझने में कम आ रहा था| लेकिन उनकी जो समझ है कि सरकार मनमर्जी से जब चाहे Schedule of Offences बदल सकती है, उनको शायद यह ध्यान नहीं है कि Schedule जब सरकार कभी बदलना चाहे तो दोनों सदनों में हमें ले करना पड़ता है| We have to lay the change before both houses of Parliament. और कोई भी माननीय सदस्य उसके ऊपर अगर objection उठाये तो उसपर चर्चा हो सकती है| तो मैं समझता हूँ Clause 20 अगर वह पढ़ लें तो उनको ध्यान में आएगा इस बात का|

कई माननीय सदस्यों ने कहा कि अब तो आप यह कानून ले आये पर पुराने अपराधियों का क्या? Criminal law always prospective होता है, I agree with you. Criminal law prospective होता है लेकिन यह सरकार prospective law लाकर भी कैसे अपराधियों के ऊपर प्रहार कर सके, उनको कानून के दायरे में ला सके यह भलीभांति समझती है|

और मैं समझता हूँ अगर आप Clause 3 पढ़ें, माननीय उपसभापति महोदय अगर माननीय सदन approve करे तो मैं पढ़कर सुना दूं, खासतौर पर क्योंकि कल्याण जी ने भी इसका ज़िक्र किया था और बड़े विख्यात वकील हैं – The provisions of this Act shall apply to any individual who is or becomes a fugitive economic offender.

एक बार और पढ़ लेता हूँ शायद उनको समझ में आ जायेगा, Section 3 बोलता है – The provisions of this Act shall apply to any individual who is or becomes (अभी है या आगे बन जाये) a fugitive economic offender on or after the date of coming into force of this Act. तो अगर कोई आज भगौड़ा है और बाहर रहता है तो he is already a fugitive. He is running away from Indian Law. और वह भी Section 3 के द्वारा इस कानून में कवर हो जाता है|

तो मैं समझता हूँ कि शायद आज जाकर फिर से कानून पढ़ेंगे तो अच्छा रहेगा| एक माननीय कल्याण जी ने भी कहा था और मेरे मित्र सतपति जी ने भी इस विषय को उठाया कि इंडियन कोर्ट का ऑर्डर आप फॉरेन लैंड में कैसे एक्सीक्यूट करोगे? बड़ा ही इसका तो सिंपल आंसर है सभी जानते हैं, भारत सरकार और विदेशी सरकारें ट्रीटीज़ करती हैं आपस में, जैसे हमने ट्रीटीज़ बदली अलग-अलग देशों के साथ और Automatic Exchange of Information का प्रावधान इस सरकार ने लाया जो वह लोग छुपाया करते थे हमने वह सब डेटा लाने की कोशिश की|

तो मुझे लगता है कि आज भारत का 39 कन्ट्रीज के साथ ट्रीटी है और उसको आगे और करेंगे, उसपर हम एक्शन ले सकेंगे| कल्याण जी ने कहा contradiction है Section 4 और 12 में, मैं समझा हूँ कोई contradiction नहीं है, एक Application for Declaration है और एक Court decide करता है Declaration.

हर प्रकार से कोई denial of human rights नहीं होगा सुप्रिया जी, कोर्ट और ट्रिब्यूनल पर हम सबका अटूट विश्वास है और अगर offender misuse करता है कानून तो उसको सख्त से सख्त सज़ा होनी चाहिए यह इस सदन की और सरकार की मंशा है| And I request the honorable Members of the House to support this bill and pass this bill.

Thank you.

 

 

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