Speeches

June 14, 2018

Speaking with DD News – Sawal Aapke, Jawab Hamare

प्रश्न: हमारे साथ मौजूद हैं रेल मंत्री पीयूष गोयल जी, सर बहुत स्वागत है दूरदर्शन न्यूज़ पर| अगर रेलवे के लिहाज़ से बात करें तो केंद्र सरकार का लगातार एक मूल मंत्र रहा है – परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म और रिफार्म को लेकर, आपको लगता है कि रेलवे के लिहाज़ से अगर बात की जाये तो बीते चार साल किस तरीके से रहे हैं?

उत्तर: मैं समझता हूँ कि सबसे अहम भूमिका रेलवे की पिछले चार साल में जो रही है वह लोगों का मन परिवर्तन करने की रही है| जिस सोच से रेलवे चल रही थी उस सोच को बदला है| स्वाभाविक है कि रेलवे आज देश की आर्थिक व्यवस्था का एक बहुत अमूल्य अंग है, फ्रेट आज जो सबसे अधिक मूव होता है वह रेलवे के माध्यम से होता है, खासतौर पर कोयला| लगभग साल में साढ़े आठ सौ करोड़ पैसेंजर जर्नीज़ रेलवे के माध्यम से होती हैं, रोज़ सवा दो करोड़ के करीब|

ऐसे में कस्टमर-सेंट्रिक रेलवे बनाना, फिर चाहे यात्री हों या माल गाड़ी का काम हो, कैसे यात्रा को सुरक्षित बनाना, इंफ्रास्ट्रक्चर को कैसे एक्सपैंड करना, किस प्रकार से जो आधे-अधूरे काम सालों साल से चल रहे हैं उनको पूरा करना इसपर हमने अधिक बल दिया है| पिछले चार साल और आने वाले साल में जो निवेश होने वाला है वह लगभग ढाई गुना निवेश तो कैपिटल एक्सपेंडिचर में, इंफ्रास्ट्रक्चर क्रिएशन में पिछले पांच साल के निस्बत हो गया है|

इसके अलावा सेफ्टी और ऑपरेशनल एफिशिएंसी सुधारने पर हमने बहुत अधिक जोर दिया है, तो मैं समझता हूँ कि भविष्य में एक ऐसा रेलवे जो भारत की जनता की आशाएं अपेक्षाओं को भी पूरा करे और भारत की अर्थव्यवस्था को और तेज़ गति दे सके ऐसी रेलवे व्यवस्था को तैयार करने का काम हमने इन चार सालों में किया है|

प्रश्न: सर आपने जो आंकड़ा दिया कि लगभग सवा दो से ढाई करोड़ के आस पास यात्री प्रति दिन सफ़र करते हैं रेलवे के माध्यम से, इसलिए बड़ा पीपल-सेंट्रिक भी है सब चीजों का| आपको लगता है कि जो तात्कालिक चीज़ें हैं उसमें आजके समय में एक सबसे बड़ा एक मसला चल रहा है कि सब ट्रेनों की पंक्चुअलिटी एक बड़ा इशू बन गया है खासतौर से गर्मियों में, गर्मियों में प्लेटफार्म पर ज्यादा समय बिताना पड़ रहा है लोगों को उस दिशा में आप क्या कर रहे हैं?

उत्तर: इसके दो पहलू हैं, एक तो थोड़े आंकड़ों में इसलिए भी गिरावट आई कि हमने असली आंकड़े अब ऑटोमेटिक डेटा लॉगर्स के थ्रू लेना शुरू किया, पहले मैन्युअली रिपोर्ट होते थे, स्टेशन मास्टर जो देता था डेटा उसके हिसाब से पंक्चुअलिटी कैलकुलेट होती थी| एक तो हमने उसको रोका है क्योंकि मैं मानता हूँ डॉक्टर के पास जाओ तो मरीज़ अपनी बीमारी नहीं बोले तो क्या डॉक्टर इलाज करेगा| तो हम जानना चाहते थे कि असली कितनी सीरियस प्रॉब्लम है और है, काफी सीरियस प्रॉब्लम है|

दूसरी बात है कि हमारे सामने एक समस्या जो वर्षों से चले आ रही है, दशकों से मैं कह सकता हूँ कि रेल की जो व्यवस्थाएं सुधारने का काम है अब ट्रैक ख़राब हो गया है, ट्रैक बदलना है तो रेल गाड़ी रोककर ही बदला जा सकता है| आपको ध्यान होगा एक बड़ा भयंकर एक्सीडेंट हुआ था, ट्रैक बदलने की कोशिश हो रही थी बिना ट्रेन को रोके, अब इस प्रकार से अगर कॉम्प्रोमाईज़ करेंगे तो दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है और सेफ्टी के काम को विलंभ करेंगे तो भी दुर्घटना की समस्या बढ़ सकती है|

तो मैं समझता हूँ कि गत एक वर्ष में हमने और अधिक जोर दिया है कि सेफ्टी का कोई काम हो, सुरक्षा से संबंधित कोई काम हो तो उसको निसंकोच किया जाये, ट्रैफिक ब्लॉक, रेल गाड़ियाँ रोकी जायें, उसको प्रायोरिटी दी जाये| और एक छोटे समय के लिए, अब साल निकल गया है, और 6-8-9 महीने तक यह समस्या रहेगी उसमें हम पुराना जितना बैकलॉग है सेफ्टी वर्क्स का उसको पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं, मेंटेनेंस को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं| यह हो जाने से रेल की गति भी बढ़ेगी, टेम्पररी स्पीड रिस्ट्रिक्शन बंद हो जायेंगे और इस प्रकार के सेफ्टी रिलेटेड वर्क्स प्लांड वे में किये जा सकेंगे बजाये कि आज की तरह सडन प्रॉब्लम सामने आती है और उसके लिए गाड़ियों को रोकना पड़ता है|

प्रश्न: कुछ जनता ने भी सर सवाल पूछे हैं, सीधे मंत्री साहब से पूछना चाहते हैं, एक सवाल पूछा है आइए सुनते हैं क्या कहना है|

प्रश्न: मेरा नाम सलमान है, मैं यही लखनऊ का रहने वाला हूँ, मेरा माननीय रेल मंत्री जी से सवाल यह है कि रेलवे की लेटलतीफी कब ख़त्म होगी और ज़्यादातर जो ट्रेनें हैं वह लेटलतीफी क्यों चलती हैं?

उत्तर: बहुत अच्छा प्रश्न है, मैं मानता हूँ कि यह कोई भी व्यक्ति हो, मैं ट्रेवल कर रहा हूँ और लेट चले तो मुझे भी बहुत आपत्ति होगी| और हमारी जो जोर है कि इंफ्रास्ट्रक्चर को हम निवेश लगाकर उसको सुधारें, जितना पुराना बैकलॉग है ट्रेन ट्रैक रिन्यूअल का उसको ख़त्म करें, जहाँ-जहाँ पर कोई न कोई समस्या पुराने दिनों में आई है उस सबको ठीक किया जाये इस सब से मेरा अनुमान है कि आगे चलकर ट्रैक्स को डबलिंग करना, ट्रिप्लिंग करना यह सबको भी बढ़ाना पड़ेगा क्योंकि आप जानते हैं कि कई ऐसी लाइन्स हैं जहाँ 130-150, कुछ लाइनों में तो 180% दिन में ट्रेन्स निर्धारित हैं|

तो इतनी जब ट्रेनें ओवर-कैपेसिटी पर चल रही है लाइनें तो ना मेंटेनेंस के लिए टाइम मिलता है और समय पर चलने के लिए जो थोड़ा कैपेसिटी चाहिए वह कैपेसिटी ना होते हुए भी ट्रेन्स बढ़ाते गयी है पुराने ज़माने में राजनीतिक कारणों से कई बार, उसके कारण भी यह लेटलतीफी चलती है| मेरा मानना है कि साल भर में यह काफी मात्रा में सुधरेगा और 3-4 साल में जैसे हम डबलिंग और ट्रिपलिंग ट्रैक्स की कर लेंगे, डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर तैयार हो जायेगा उसके बाद तो ना के बराबर होगा| हम इसको 2022 में कोशिश कर रहे हैं कि एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सुरक्षा, सर्विस और पंक्चुअलिटी, तीनों में हम अंतर्राष्ट्रीय स्तर की भारतीय रेल को एक नयी रेल का रूप दिया जायेगा|

प्रश्न: सर सिक्योरिटी के बारे में जब बात होती है तो रेलवे में कई बार लगता है कि कई ऐसे मसले हैं जिसपर काम तेज़ी से करने की ज़रूरत है| हालाँकि बीता साल अभी तक के सुरक्षा के लिहाज़ से, एक्सीडेंट के आंकड़ों के लिहाज़ से सबसे बेहतर रहा है| क्या एक यही वजह थी कि आपने ट्रेन की स्पीड को कम किया या टेक्निकल अपग्रेडेशन पर भी बहुत कुछ काम हुआ है, उस दिशा में आप क्या कहना चाहेंगे?

उत्तर: सुरक्षा को तो प्राथमिकता दी ही है साथ ही साथ नया इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत क्रिएट हो रहा है, अब समझो लाइन की इलेक्ट्रिफिकेशन होनी है अब इलेक्ट्रिफिकेशन का तो सालों साल लाभ मिलेगा, विदेशी मुद्रा बचेगी, डीजल इम्पोर्ट होता है, डीजल की वजह से पर्यावरण ख़राब होता है उसमें सुधार होगा, साथ ही साथ जो खर्चा रेलवे का सालाना होता है उसमें 11-12-13,000 करोड़ की बचत हर वर्ष होगी| आखिर यह बचत नहीं होगी तो कभी ना कभी जनता के ऊपर ही बोझ आएगा, किराया बढ़ाये, किराया नहीं भी बढ़ाये तो बजट से मांगे, बजट भी तो जनता का ही पैसा हैना, आप और हम टैक्स भरते हैं उसी के पैसे से बजट में पैसा आता है, वह पैसा गरीबों की सेवा के लिए होता है|

तो रेलवे एफिशिएंटली चले और पैसा सरकारी बजट के बदले अपने आपमें सुधार करके, एफिशिएंसी सुधार करके लाना यह हमारी ज़िम्मेदारी है| तो यह एक शॉर्ट-रन के लिए हमको यह सब सुधार करना – इलेक्ट्रिफिकेशन, सिग्नलिंग सिस्टम बदलना, ट्रैक रिन्यूअल करना, मेंटेनेंस के काम बढ़ाना, डबलिंग-ट्रिपलिंग लाइन का करना यह एक प्रकार से भारतीय रेल को फ्यूचर-रेडी करना है|

यात्रियों की सुरक्षा से जुड़ा हुआ एक सवाल है जनता का, वह लेते हैं|

प्रश्न: जी हमारा सवाल यह है कि ट्रेन में यात्रियों की सुरक्षा के लिए क्या-क्या नए इन्तिजामात किये गए हैं जिससे यात्री थोड़ा सही से और महफूज़ सफ़र कर सके ट्रेन में?

उत्तर: मैंने अभी एक योजना बनाई है जिसमें पूरे देश के हर रेलवे स्टेशन लगभग 6,500-7,000 रेलवे स्टेशन, हॉल्ट स्टेशन को छोड़ दिया है क्योंकि हॉल्ट स्टेशन पर ज्यादा लोग भी नहीं उतरते हैं चढ़ते हैं और उतनी व्यवस्था भी नहीं है उसको संभालने के लिए, 6,500 स्टेशन के करीब हैं देश भर में जिस पर हम सीसीटीवी कैमरा का जाल बिछाने जा रहे हैं| साथ ही साथ लगभग 35-40,000 ऐसे रेल के कोचेस हैं जिसमें हम कोच के अन्दर भी सीसीटीवी कैमरा लगायेंगे और यह सबका फीड रेलवे स्टेशन के रेल अधिकारी और साथ में पुलिस स्टेशन में पुलिस अधिकारी, दोनों को उसकी फीड दी जाएगी जिसमें मैं समझता हूँ महिलाओं के लिए, बच्चों के लिए हर एक यात्री के लिए सुरक्षा भी सुनिश्चित हो जाएगी और साथ ही साथ एक कोई दुर्घटना होती भी है तो उसकी पूरी जानकारी, छानबीन करना और पूरी तरीके से कार्रवाई करने में हमें सुविधा मिलेगी|

प्रश्न: सर technical upgradation में LHP coach की बात हो, anti-collision device के लिहाज़ से बात हो, anti-fogging system के लिए हो, upgraded signal system की बात हो, इन सारे मोर्चों पर कहाँ तक पहुंचे हैं और कितना वक्त लगेगा जब आप कह सकते हैं एक foolproof system हम upgradation कर चुके हैं?

उत्तर: सबसे ख़ुशी की बात तो यह है कि अब भारतीय रेल ने और हमारी कोच फैक्ट्रीज हैं उन सबने शत-प्रतिशत LHP coaches बनाना शुरू कर दिया है, ICF जो पुराना डिजाइन था ICF coaches का उसकी प्रोडक्शन पुर्णतः बंद हो गयी है और अब LHP coaches जो ज्यादा अच्छे हैं, ज्यादा टिकाऊ हैं, ज्यादा safer हैं, coupler technology अच्छी है उसी पर शत-प्रतिशत प्रोडक्शन रेलवे में हो रही है|

इसी प्रकार से सिग्नलिंग पर भारत में कुछ सिग्नलिंग सिस्टम डेवेलोप हो रहे हैं उसको भी बल दे रहे हैं, उसको अंतर्राष्ट्रीय स्तर का कैसे बनाना| और साथ ही साथ हम कोशिश कर रहे हैं कि इंटरनेशनल भी जो टेक्नोलॉजीज आ सकें उन टेक्नोलॉजीज को भी भारत में लाकर सिग्नलिंग अपग्रेड करें जिससे फ़ॉग के समय भी गाड़ी को तकलीफ नहीं हो, फ़ॉग के समय भी गाड़ी चल सके| स्पीड बढ़ाने के लिए दोनों तरफ हम वॉल बनाने की सोच रहे हैं रेलवे लाइन्स के जिससे यह रिस्क भी नहीं रहे कि कोई लोग क्रॉस कर रहे हैं या कोई एनिमल आ रहा है|

इसी प्रकार से एक बहुत अहम भूमिका रहती है पूरे सिस्टम में जो सिस्टम अपग्रेडेशन की बात जब होती है वह रहती है कि कैसे detection of rail fracture या detection of locomotive या coaches में कोई defect हो उसको कैसे ढूंढ निकालना, उसमें नयी technologies की मदद ली जा रही है, wheel का circumference ठीक है कि नहीं, wheel में कोई damage तो नहीं है, ट्रैक कोई ख़राब तो नहीं हुआ है, उसके internal corrosion तो नहीं आ गया है उसमें या उसमें कोई tensile strength में ख़राब नहीं हो गया है कोई, ultrasonic flaw तो नहीं है| इस प्रकार से अन्य-अन्य चीज़ों में देश विदेश की जो सबसे अच्छी टेक्नोलॉजी है उसको हम भारत में लाने की कोशिश कर रहे हैं|

प्रश्न: सर यात्रियों की सर्विसेज के लिए भी आपका खासा जोर है, लुक एंड फील को लेकर किस प्रकार के चेंजेस क्योंकि बायो-टॉयलेट की बात की जा रही है, स्क्रीन …. देने की बात की जा रही है और एक इंटरनेशनल लेवल की ट्रेन सिस्टम देने की बात की जा रही है उसपर क्या कहना है?

उत्तर: बायो-टॉयलेट  का तो बताते हुए मुझे ख़ुशी होती है कि शत-प्रतिशत कोचेस में मार्च 2019 तक बायो-टॉयलेट लग जाये इसपर हम बल दे रहे हैं| इसमें मेरा आपके माध्यम से आपके दर्शकों को इतना ही अनुरोध है कि बायो-टॉयलेट में कोई कचरा ना डालें, उसको क्लॉगिंग ना कर दें, ब्लॉक ना कर दें उससे वह स्मेल रिवर्स में बाहर आती है| तो हमने अभी डस्टबिन देना शुरू किया है हर टॉयलेट में, कोई कचरा है तो डस्टबिन में डालें, उसको क्लॉग न होने दें|

साथ ही साथ उसमें मैंने एक सिलसिला शुरू किया है वैक्यूम टॉयलेट्स डेवेलोप करने का अगर वह एक बार सक्सेसफुल हो गया तो एयरलाइन्स की तरह हम रेलवे में भी वैक्यूम टॉयलेट कर देंगे तो और ज्यादा सुविधाजनक हो जायेगा|

इसके अलावा अगर हम पूरी व्यवस्था में देखें तो क्लीनलीनेस पर एक बहुत बड़ा जोर दिया गया है हमारे कार्यकाल में मोदी जी के आने के बाद, उनकी तीव्र इच्छा है कि रेलवे स्टेशन हो, कोचेस हो, इन सबमें बहुत हाई लेवल पर क्लीनलीनेस पर हमने फोकस करना चाहिए|

प्रश्न: सर एक जनता का सवाल है और जनता का सवाल इस बात को लेकर है कि जो केटरिंग पॉलिसी है उसको लेकर सवाल है|

प्रश्न: मेरा नाम घनश्याम चढ़ाल है, मैं जबलपुर से आया हूँ| माननीय मंत्री जी से कहूँगा कि जो खाना अभी ट्रेनों में मिल रहा है उसमें गुणवत्ता नहीं है, उसपर क्या सुधार हो रहा है कि ताकि वह ताज़ा है, फ्रेश है और यह इसपर कॉन्फिडेंस जो यात्री हैं उन्हें भी हो कि हमें जो खाना मिल रहा है वह सही ढंग का मिल रहा है इसपर मंत्री जी सुधार करें और उसपर क्या सुधार कर रहे हैं जनता को बताएं?

उत्तर: मेरे ख्याल से केटरिंग की जो व्यवस्था है वह बीच में सभी लेवेल्स पर कॉन्ट्रैक्टर्स को दे दी गयी थी| अब हमने देखा कि उनकी परफॉरमेंस भी अप टु दि मार्क नहीं है तो आईआरसीटीसी के माध्यम से मॉडर्न हाइजीनिक किचन बने, सीसीटीवी कैमरा से उसके पूरे कामकाज को मॉनिटर किया जाये और साथ ही साथ उसकी फीड मैं अल्टीमेटली पब्लिक डोमेन में डाल देने वाला हूँ कि जनता भी देख सके वहां क्या काम हो रहा है तो उससे एक तरीके से सबके ऊपर ज़िम्मेदारी भी बढ़ जाएगी कि और अच्छी तरीके से काम करें|

साथ ही साथ केटरिंग के दृष्टिकोण से मैं आप सबसे अनुरोध करूँगा अगर किसी को भी यात्रा में अच्छा खाना नहीं मिलता है या क्वालिटी ऑफ़ फ़ूड या सर्विस या किसी में कोई कठिनाई है तो हमने एक आज app launch की है MADAD, अगर आप उस app के ऊपर या हमें पत्र लिखकर या ईमेल लिखकर या फ़ोन करके, एक नंबर भी दिया हुआ है, complaint नंबर, अगर हमें specific complaint जानकारी देते हैं तो हम उचित कार्रवाई कर सकते हैं| सिर्फ यह बोल देना कि खाना अच्छा नहीं है ट्रेन में उससे मैं कार्रवाई नहीं कर सकता हूँ| आखिर कोई कॉन्ट्रैक्टर पर कार्रवाई करूँ बिना तत्व के तो कल कोर्ट में जाकर स्टे ले लेगा, कोई अधिकारी पर कार्रवाई करूँ तो कल उनको रिइंस्टेट करना पड़ेगा कैट के ऑर्डर्स| तो उसके लिए हमारे पास प्रॉपर डॉक्यूमेंटेशन हो तो मैं सख्ती भी कर सकता हूँ और एक्शन भी ले सकता हूँ|

प्रश्न: और इस छोटे से ब्रेक के बाद आप सभी का स्वागत है, हम बात कर रहे हैं आज देश के रेल मंत्री पीयूष गोयल जी से, सर बहुत स्वागत है एक बार फिर से इस छोटे से ब्रेक के बाद| यात्रियों से जुड़ी हम सुविधाओं की बात कर रहे थे ट्रेन में टिकेट्स की अवेलेबिलिटी एक बड़ी समस्या है आपको लगता है कि एक आईडियालिस्टिक सिचुएशन के बारे में बात किया जाता है टिकेट ऑन डिमांड को लेकर, वह एक वक्त कब तक आ पायेगा?

उत्तर: देखिए उसी को मद्देनज़र रखते हुए हमने कोशिश की है कि रेल का जो इंफ्रास्ट्रक्चर है वह बढ़ाया जाये, डबलिंग, ट्रिपलिंग हो लाइन्स की, मॉडर्न सिग्नलिंग सिस्टम लगे उससे कैपेसिटी बढ़ जाएगी, अच्छे प्रकार का रोलिंग स्टॉक, लोकोमोटिव्ज़ वगैरा हों, इलेक्ट्रिफिकेशन पूरे रेलवे का हो जाये उससे भी स्पीड बढ़ेगी रेलवेज की| तो एक तरफ तो यह सब कामकाज चल रहा है जिससे हम और अधिक ट्रेनों को चला सकेंगे|

आजके दिन तो अधिकांश जो इम्पोर्टेन्ट लाइन्स हैं उसमें सवा सौ, डेढ़ सौ, किधर तो 180% लाइन कैपेसिटी चल रही है, मतलब ओवर-लोडेड हैं सब लाइन इंफ्रास्ट्रक्चर| ऐसे में तो और नयी ट्रेनें ऐड नहीं कर पाएंगे तो लोगों को कहाँ कन्फर्म टिकेट दे पाएंगे, तो एक तरफ तो यह जोर चल रहा है|

दूसरी तरफ हाई स्पीड ट्रेन्स – आखिर भारत की जनता का भी अधिकार है कि अच्छी सुविधाएं उनको मिलें, हाई स्पीड ट्रेन का पहला प्रयोग मुंबई से अहमदाबाद का शुरू हुआ है| जैसे-जैसे उसमें प्रगति होगी हम और जगहों पर देश भर में हाई स्पीड ट्रेन्स लगें और जनता की सेवा कर सकें| आखिर पहले मेट्रो एक ही लगी थी, आज देखिए देश भर में कितनी मेट्रोज शहरों में चल रही हैं और 23-24 अंडर इम्प्लीमेंटेशन हैं|

तो मेरे ख्याल से इसी प्रकार से हाई स्पीड रेलवे भी आगे चलकर जब लगेगी, मुझे याद है जब पहली राजधानी आई तब कितनी आलोचना हुई थी, ‘क्या ज़रूरत है इतनी फ़ास्ट ट्रेन की?’ जब पहली मेट्रो आई तो लगा अरे राम, हजारों करोड़ रुपये लगेंगे, आज बिना मेट्रो के आप दिल्ली सोच सकते हैं कैसे चलेगा? कितना ट्रैफिक होगा, क्या पॉल्यूशन होगा और सड़क पर कौन गाड़ी चला पायेगा, मेट्रो लाइफलाइन बन गयी है दिल्ली की| मुंबई में अगर सबअर्बन रेलवे नहीं हो तो मुंबई ठप हो जाता है|

तो ऐसे ही कैसे विस्तार करना बुलेट ट्रेन्स का आगे चलकर, हाई स्पीड ट्रेन्स का आगे चलकर उससे मैं समझता हूँ एक स्थिति निर्माण होगी जब हर यात्री को टिकेट ऑन डिमांड मिलेगा और सुरक्षित और सस्ती यात्रा करने का साधन मिलेगा|

प्रश्न: आपने सस्ती यात्रा कहा तो एक इसपर जुड़ा हुआ जनता का सवाल है वह लेते हैं|

प्रश्न: नमस्कार, देलागुंडे सरकार बोल रहा हूँ, कोलकाता से| ट्रेन के किराए में बीते हुए कुछ सालों में काफी वृद्धि हुई है| मेरा एक प्रश्न है कि किराया कम करने पर सरकार क्या कुछ विचार कर रही है?

उत्तर: दो विषय हैं, पहली बात तो एक स्पष्टीकरण कर दूं, मात्र 70 गाड़ियाँ हैं 3000 में से, एक्सप्रेस मेल ट्रेन्स – 3000, कुल गाड़ियाँ तो 12,000 चलती हैं हर रोज़, पर मात्र 70 गाड़ियों में यह डायनामिक फेयर लगाया गया है| तो मेरे हिसाब से इसको शायद कुछ ज्यादा ही over-exaggerated विषय को बना दिया है लेकिन फिर भी जो व्यक्ति इन में 70 में ट्रेवल करते हैं यह भी हमारे मध्यम वर्गीय भाई बहन हैं हमें उनकी भी पूरी उतनी ही चिंता है| और उसको भी मैं पुनः विचार कर रहा हूँ, मैंने डिपार्टमेंट को कहा है इसको और सरल बनाने के लिए और इसका बोझ यात्रियों पर कम हो उसकी व्यवस्था जल्दी वह मुझे देने वाले हैं और उसको हम इम्प्लीमेंट करेंगे|

प्रश्न: सर आप फ्यूचर की ट्रेन की बात कर रहे हैं, खुद आपकी एक छवि एक टेक-सैव्वी पर्सन के लिहाज़ से है, और पिछले मंत्रालयों में जो भी आपका एक टेक रिकॉर्ड रहा उसमें आपने कभी अभिनव प्रयोग किये हैं| अभी रेलवे में किस प्रकार के नए प्रयोग की हम अपेक्षा, उम्मीद कर सकते हैं चाहे वह सोशल मीडिया के प्लेटफार्म से फीडबैक लेने की बात हो या नयी टेक्नोलॉजी पर काम करने की बात हो?

उत्तर: अलग-अलग प्रयोगों पर काम चल रहा है, एक तो जैसा मैंने विद्युत् क्षेत्र में किया था कि मोबाइल ऐप्स के माध्यम से पारदर्शिता बढ़ाओ, ट्रांसपेरेंसी बढ़ाओ, अपने हर काम को जनता के समक्ष रखो| समझो मेरे अधिकारी मुझे कहते हैं कि यह एक किलोमीटर लाइन बन गयी है तो उसकी फोटो लग जाये मोबाइल ऐप्प द्वारा आप सबको मिल जाये और मेरे पत्रकार भाई बहन, मेरे नागरिक भाई बहन उसको देखकर देख लें कि भाई लगी है कि नहीं लगी है|

तो उससे पूरे सिस्टम में एक जागरूकता आएगी, लोगों को भी ध्यान आएगा कि रेलवे स्टेशन अगर साफ़ नहीं है तो शायद किसी व्यक्ति ने ही कचरा डाला तभी तो साफ़ नहीं है| आखिर हम कितनी ही सफाई करते रहें अगर कचरा लोग ज़मीन पर डालते रहेंगे तो कभी भी साफ़ नहीं हो सकता है| तो यह सब चीज़ों को मैं पारदर्शिता से जनता के समक्ष डालकर एक जागरूकता बनाना चाहता हूँ, इसी श्रेणी में और भी कई सारे छोटे-बड़े प्रयोग चलते रहते हैं कि कैसे क्या स्थिति वस्तुस्थिति वह हम तक कैसे इंडिपेंडेंट वेरीफाई हो|

तो एक बोलते हैं mystery shoppers का concept है कि युवा-युवती देश भर में ट्रेन में घूमेंगे बिना कोई अधिकारियों की जानकारी के और वहां से फोटोज लेकर कैप्चर करते रहेंगे और पब्लिक डोमेन में डाल देंगे कि कोई स्टेशन आया रास्ते में तो साफ़ सुथरा था कि नहीं, कुछ कमी थी अच्छा था बुरा था, टॉयलेट कैसे थे स्टेशन के, स्टाफ जो है वह ड्यूटी पर था कि नहीं था, ट्रेन की क्लीनलीनेस कैसी है, खाने की क्वालिटी कैसी है| तो इसमें मैं इन फैक्ट सोच रहा हूँ अपील करने के लिए हमारे नौजवान भाई बहन युवा युवतियों को कि वह दो महीने, तीन महीने, छः महीने के लिए वालंटियर करें, हम एक छोटा हॉनोरेरियम देंगे और एक प्रकार से वह देश का भ्रमण भी कर पाएंगे और हमें फीडबैक भी दे पाएंगे कि असली में ज़मीन पर क्या हो रहा है|

प्रश्न: ठीक है सर, आप यह अभिनव प्रयोग करेंगे तो निश्चित रूप से इसके फीडबैक बढ़िया मिलेंगे, सवाल और है जनता का वह ले लेते हैं|

प्रश्न: मेरा नाम भारुड चिराग है, मैं अहमदाबाद से हूँ| और रेल मंत्री पीयूष जी से मेरा यह सवाल है कि रेल मंत्रालय में रेलवे आधुनिकीरण के लिए क्या प्रयास हो रहे हैं?

उत्तर: इसमें कुछ विलंभ हुआ दो कारणों से, एक तो थोड़ा बीच में डिमांड भी थोड़ी घटी थी नए प्रोजेक्ट्स के लिए, रियल एस्टेट के प्रोजेक्ट्स के लिए जिसके कारण बहुत ज्यादा टेंडर्स में रुची नहीं आई| लेकिन उससे ज्यादा अधिक जो तकलीफ आई थी वह दो कारणों से थी एक तो लोग चाहते थे कि 45 साल के बदले 99 साल की लीज़ हो और मोर्टगेज, सब-मोर्टगेज करना, सब-लीज़ करने की अनुमति हो तो वह पहले नहीं थी उसका एक कैबिनेट प्रपोजल मैंने मूव किया है उसको जल्दी अप्रूव करके इन नए टर्म्स पर हम ऑक्शन करेंगे|

दूसरा रियल एस्टेट डेवेलोप करने वाले लोग स्टेशन के काम करने से थोड़ा कतराते थे, रेलवे स्टेशन पर काम करने की अपनी एक तकलीफें हैं, अपनी एक मजबूरियां हैं| तो हम अब अलग-अलग कर रहे हैं कि रेलवे के काम रेलवे की व्यवस्था से हो और उसके बाजू में ज़मीन का मोनिटाइज़ेशन करके उससे रेलवे को पैसा मिले, लाभ मिले और रेलवे की सुविधाएं हम और सुधार सकें यह दोनों को इंडिपेंडेंट कॉन्ट्रैक्ट्स करके मैं समझता हूँ हम वैल्यू मैक्सीमाइज़ कर पाएंगे|

प्रश्न: सर एक चीज़ यह है कि रेलवे आत्मनिर्भर बन सके, सेल्फ-सस्टेन कर सके इसको लेकर भी अपने आपमें एक इशू है तो आपको लगता है चाहे वह एफडीआई पॉलिसी को ईज़ी करने की बात हो या इसके अलावा उसमें जो निजी निवेश के लिहाज़ से बात हो आपको लगता है कि इस दिशा में क्या कोशिश रही?

उत्तर: पहली बात तो मैं स्पष्ट कर दूँ कि भारतीय रेल भारत की जनता की धरोहर है और किसी प्रकार का भारतीय रेल को प्राइवेटाइज़ करने का कोई सवाल ही नहीं उठता है और इस सरकार की ज़रा भी ऐसी कोई सोच विचार नहीं है| तो भारतीय रेल सरकारी क्षेत्र में रहेगी, भारत की जनता की रहेगी, लेकिन स्पेसिफिक प्रोजेक्ट्स अगर निजी निवेश से आते हों, बनते हो जिसमें जो रेलवे अपना निवेश करता है उसको सप्लीमेंट किया जा सके, उसके ऊपर और जोड़कर और ज्यादा तेज़ गति से विस्तार हो सके उसके लिए रेलवे तैयार है|

अगर कोई व्यक्ति अपने कोयले को ट्रांसपोर्ट करने के लिए अपनी वैगंस खरीदना चाहता है या रेक्स बनाना चाहता है उसमें हमें कोई आपत्ति नहीं है| आखिर सरकारी रेलवे के ऊपर निजी वैगंस या ट्रेन्स चलकर हमारी इनकम बढ़ती है तो हमें उसमें कोई दिक्कत नहीं लगती है| किस प्रकार से हम रेलवे की फाइनेंसिज़ इम्प्रूव कर सकें और जिससे जनता के ऊपर या माल गाड़ी ढ़ोने वाली कंपनियों के ऊपर ज्यादा बोझ न आये वह हम काम करने के लिए मेहनत कर रहे हैं|

प्रश्न: सर देश भर में रोज़गार को लेकर एक बहस चलती है, रेलवे एक बड़ा जरिया है रोजगार पैदा करने को लेकर, आपने लगभग एक-सवा लाख नौकरियों के लिए बोला हुआ है| इसका कोई टाइमफ्रेम भी है कि कब तक यह फिल-अप किये जायेंगे?

उत्तर: यह वैसे तो पहले के ज़माने में देखो तो डेढ़-डेढ़ साल लगता था, अब मैंने सभी अधिकारियों को कहा है कि इसको थोड़ा फ़ास्ट ट्रैक किया जाये| हमने एक बदलाव किया इसमें, पहले क्या था हर छोटे इलाके की ज़ोन की अलग-अलग रिक्रूटमेंट होती थी तो वह तो जल्द हो जाती थी थोड़े ही एप्लिकेंट होते थे| लेकिन उसमें वही लोग हर जगह जाकर अप्लाई करते थे तो कई लोगों को मौका ही नहीं मिलता था और कई लोग एंटरप्राइजिंग होते थे कि 15-15 एग्जाम में बैठे हैं अलग-अलग ज़ोन में| हमने अब पूरे देश का एक ही एग्जाम कर दिया है, तो एक व्यक्ति एक ही बार अप्लाई कर पायेगा वह किधर से भी करे देश में|

उसकी वजह से यह जो एग्जाम है इसमें लगभग सवा दो से ढाई करोड़ लोग इस एग्जाम को लेंगे और उसमें से हमें भर्ती करना एकदम पारदर्शी, ट्रांसपेरेंट तरीके से केयरफुली करने वाला काम है, पेपर लीक नहीं होना चाहिए, पेपर डायनामिक होना चाहिए, बदलना चाहिए, एग्जाम लगभग 70-80-100 सेशन में होगा, सुबह, दोपहर, शाम, अलग-अलग सेंटर पर देश भर में महीनों चलेगा| तो यह एक बहुत बड़ा विस्तार का काम है, केयरफुली भी करना है लेकिन तेज़ गति से करना है, मैं उम्मीद करता हूँ कि 8-9 महीने में यह पूरा हो जाना चाहिए|

प्रश्न: हमारी शुभकामना है कि जिस नए भारत के लिए नयी ट्रेन की आप काम कर रहे हैं वह बहुत जल्दी ज़मीन पर उतरती नज़र आये, बहुत शुक्रिया अपना कीमती वक्त दूरदर्शन न्यूज़ के साथ साँझा करने के लिए|

Thank you very much sir.

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