Speeches

June 11, 2018

Speaking at Press Conference of 4 Year Achievements of Ministries of Railways & Coal

Thank you Mr Kar, in fact, very nice booklet, I hope everybody gets the booklet. The cover of the booklet has been designed by a railway employee. एक हमारे यहाँ पर भुवनेश्‍वर में ईस्ट कोस्ट रेलवे में श्री पी. शाम सुन्दर आचार्य काम करते हैं जिन्होंने यह बहुत सुन्दर कवर बनाया है और एक प्रकार से जो भारतीय रेल की जो इस वर्ष की थीम है जो महात्मा गाँधी जी के साथ जुड़ती है, 150 वर्ष हो गए हैं महात्मा गाँधी जी के जन्म को 2nd October, 1869, और अगला वर्ष पूरा महात्मा गाँधी जी को समर्पित रहने वाला है, डेढ़ सौ साल की वर्षगांठ मनाने के लिए|

तो इसलिए इंडियन रेलवेज ने भी अपने इस वर्ष को महात्मा गाँधी जी को समर्पित किया है, उनके दिखाए हुए रास्ते पर, उनके कहे हुए मार्ग पर रेलवे इस वर्ष काम करेगी और एक माध्यम बनेगी कैसे देश को जोड़ना एक सूत्रधार के रूप में, कैसे पूरे देश में गरीब से गरीब व्यक्ति को, हर भारत के नागरिक को रेल की सुविधाएं सस्ते कीमतों पर अच्छी सुविधाएं उपलब्ध हो सकें और एक सेवा-भाव से सभी लोग काम करें जो 13 लाख कर्मचारी रेलवे में काम करते हैं इस भावना को पूरे देश में लेकर जाने का संकल्प हम सबने लिया है|

आज वैसे एक महान क्रांतिकारी का भी जन्मदिवस है, राम प्रसाद बिस्मिल का, जिन्होंने उन शब्दों को इम्मोर्टालाइज़ किया था, हम सबके ज़हन में डाल दिया – “सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है”| और मैं समझता हूँ अगर मैं कोयला और रेलवे विभाग के मेरे सभी सहयोगियों की तरफ से कहूँ तो वास्तव में हम सबने यह संकल्प लिया है कि इसी प्रकार से इस वर्ष में हमको बदलाव, ट्रांसफॉर्मेशन, परिवर्तन और एक प्रकार से जैसे हम नए भारत की दिशा में जा रहे हैं, उसी तरीके से एक नयी रेल की दिशा में भी हम सब मिलकर काम करेंगे|

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने जिस साफ़ नियत से और सही दिशा में सही विकास के ऊपर बल दिया है चार वर्षों में उसमें भारतीय रेल का भी काफी तेज़ प्रगति का दौर रहा है यह चार साल| इन चार सालों में एक सबसे बड़ा जो बदलाव हुआ है भारतीय रेल में वह है सोच का – the mindset of Indian railways has changed.

और मैं समझता हूँ यह सबसे अहम भूमिका रही है बदलाव में कि हर व्यक्ति की सोच कैसे बदलना भारतीय रेल में काम करने वाले की, कोल सेक्टर में काम करने वाले की| और इसमें तीन प्रमुख बिन्दुओं पर हमने जोर दिया है, सबसे पहला तो रहा है सेफ्टी का, कैसे सुरक्षा को और ज्यादा तेज़ किया जाये और ज्यादा अच्छा किया जाये, आपने आंकड़े देखे गत चार वर्षों में 62% पर रह गया है और आगे चलकर और कैसे सुधार करना और सुरक्षित कैसे बनाना इसके लिए कई सारी योजनाएं, कार्यक्रम भारतीय रेल कर रही है|

उदाहरण के लिए सीसीटीवी कैमरा, हम कोशिश कर रहे हैं हर स्टेशन पर सीसीटीवी कैमरा लग जाये, अधिकांश ट्रेन के कोचेस में भी लग जाये जिससे महिलाओं को, बच्चों को, यात्रियों को सबको सुविधाजनक यात्रा करने को मिले| इसी प्रकार से टेक्नोलॉजी के माध्यम से कैसे रेल की यात्रा को सुरक्षित किया जाये, एक्सीडेंट कम किये जायें, किस प्रकार से जो बैकलॉग हमें विरासत में मिला था सेफ्टी का उसको पूरा भर दिया जाये, इन सब चीज़ों पर रेलवे प्राथमिकता दे रही है|

इसी प्रकार से आउटकम ओरिएंटेड एक्शन्ज़ – कैसे हम हर एक काम को फोकस करें कि जिससे लाभ जल्द से जल्द जनता को पहुंचे| एक उदाहरण दूं तो इलेक्ट्रिफिकेशन, इलेक्ट्रिफिकेशन के दो प्रमुख लाभ हैं, एक तो पर्यावरण सुधरता है उससे, डीजल की स्मोक जो गाँव-गाँव, घर-घर और शहर-शहर तक पहुँचती है पूरे देश में वह भी घटेगा और दूसरा भारतीय रेल के खर्चे में लगभग, और आज की कीमतों में शायद और अधिक, पर लगभग 11,000 से 13,000 करोड़ रुपये बचत हर वर्ष होगी, जो अगर हम नहीं बचाते हैं तो वह बोझा कभी न कभी देश के ऊपर ही आता है, देश की जनता के ऊपर आता है – चाहे किराया बढ़े, चाहे देश के बजट से वह पैसा इस्तेमाल हो, एक ही बात है, जनता का पैसा है|

तो मैं समझता हूँ कैसे रेलवे को एफिशियंट बनाना, कैसे रेलवे अपने पैरों पर खड़ी हो सके और कैसे रेलवे प्रॉफिटेबल हो सके इसके प्रति आउटकम्स लाना यह हम सबकी काम करने की दिशा रही है| और हर पहलू को देखते हुए हम कोशिश कर रहे हैं कि खर्चे कम करना और सेवाएं सुधारना यह हमारा काम रहेगा, चार साल से इस पर फोकस रहा है आगे चलकर इसको और बढ़ाएंगे|

और आखिरी में जो एक माननीय प्रधानमंत्री जी का हम सबको निर्देश था कि जो भी काम करें उसको स्पीड़ीली करे, बड़े स्केल पर करे और स्किल के साथ करे, अच्छी क्वालिटी का कुशलता से करे| इस पर भी रेलवे ने बहुत बड़े रूप में परिवर्तन किया है, कई सारी योजनायें देश भर में चल रही है जिसमें हमने सोच, काम करने का ढंग बदला है, काम करने का तरीका बदला है|

अगर उसमें भी एक उदाहरण देनी की चेष्ठा करूँ तो कई ट्रेनें ऐसी थी जो दिन में 24 घंटे में 8 घंटे, 6 घंटे, 12 घंटे चलती थी| कई ट्रेनें ऐसी थी जो हफ्ते में चार दिन चलने के बाद खड़ी रहती थी जिसको लाई-ओवर पीरियड कहते हैं| इस सबको कैसे इस्तेमाल करके बिना और अधिक निवेश किये, और इन्वेस्टमेंट करे बगैर कम खर्चे में वह ट्रेन ज्यादा से ज्यादा लोगों को सुविधा दे सके इस प्रकार की सोच अब रेलवे में नयी आई है|

आपने देखा होगा गतिमान एक्सप्रेस, भारत की सबसे नंबर 1 ट्रेन, फास्टेस्ट ट्रेन, बेस्ट क्वालिटी ट्रेन, दिल्ली से आगरा जाती है| दो-सवा दो घंटे में आगरा पहुँचती थी सुबह, शाम को आगरा से दिल्ली आती थी, हमने उसको आगरा से बढ़ाकर ग्वालियर तक उसका सफ़र तय किया पहले चरण में, फिर दिखा कि अभी भी संभावना है तो उसको बढ़ाकर हमने झाँसी तक जोड़ दिया| तो आज देश का सबसे पिछड़ा इलाका जो वर्षों-वर्षों और दशकों से विकास की यात्रा के साथ पूरी तरीके से नहीं जुड़ पाया, आज भारत की नंबर 1 ट्रेन, सबसे अच्छी और तेज़ ट्रेन, भारत के पिछड़े इलाके बुंदेलखंड को जोड़ने वाली ट्रेन बन गयी है| यह प्रधानमंत्री मोदी जी की सरकार की सोच है कि गरीब से गरीब व्यक्ति जो एस्पायर करता है जिसके मन में तमन्ना है एक अच्छे भविष्य के लिए उस तक यह सुविधाएं पहुंचे, अच्छी सुविधाएं पहुंचे|

इसी कड़ी में आपने देखा होगा हमने वाई-फाई लगभग अभी 675 स्टेशन में देश में मुफ्त में वाई-फाई की सुविधा उपलब्ध करा दी है, बड़ी तेज़ गति से इसको इम्प्लीमेंट किया है| गूगल से जो 400 स्टेशन होने थे दिसम्बर तक वह हमने आलरेडी पूरे कर दिए हैं, आखिरी स्टेशन नॉर्थ-ईस्ट में शायद अभी-अभी जुड़ा है वाई-फाई से|

अब हमारी अगली सोच है कि स्पीड़ीली कैसे इसको 6000 स्टेशन तक वाई-फाई की सुविधा मुफ्त में पहुँच सके, जिसके दो लाभ होंगे, यात्रियों को तो सुविधा मिलेगी, सीसीटीवी कैमरा का फीड कलेक्ट करने के लिए वाई-फाई की आवश्यकता होगी लेकिन साथ ही साथ गाँव में रहने वाला गरीब, गाँव में रहने वाला किसान, गाँव में रहने वाले विद्यार्थी इन सब को भी अपने नजदीक के स्टेशन पर जाकर वाई-फाई जैसी मॉडर्न टेक्नोलॉजी उपलब्ध हो यह इस सरकार की सोच रही है|

तो मैं समझता हूँ जो ऐतिहासिक निवेश हुआ है भारतीय रेल में गत चार वर्षों में और अगर हम 2009 से 2014 में जो 2,30,000 करोड़ का निवेश हुआ उसके परिप्रेक्ष्य में देखें तो लगभग ढाई गुना निवेश 2014 से 2019 के बीच कैपिटल एक्सपेंडिचर में, कैपेक्स में, भारतीय रेल में होने जा रहा है|

इसके अलावा सेफ्टी के लिए बहुत बड़े पैमाने पर एक रेल सुरक्षा कोष माननीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के समय 2003-04 में शुरू हुआ| उसके बाद 10 वर्ष तक इसमें अधिक खर्चा ना होने के कारण हमें विरासत में एक असुरक्षित रेल जिसमें हजारों किलोमीटर रेल ट्रैक रिन्यूअल का बैकलॉग, कई ऐसी सुरक्षा से संबंधित जुड़ी हुई चीज़ें जो अनिवार्य थी उसपर काम नहीं किया गया| हमने उस सब को बल दिया है और आज जो सेफ्टी फंड है उसका सदुपयोग करके ट्रैक रिन्यूअल भी तेज़ गति से हो रहा है, टेक्नोलॉजी से जोड़ा जा रहा है हमारी मेंटेनेंस वर्कशॉप्स को, टेक्नोलॉजी का लाभ लिया जा रहा है अलग-अलग प्रकार से पंक्चुअलिटी लॉग-इन करने को, आगे चलकर सिग्नलिंग में सुधार लाने के लिए|

हर तरीके से यह एक कोशिश हो रही है और इसमें पूरी रेलवे के 13 लाख लोग मिलकर काम कर रहे हैं, कैसे हम ट्रेन्स की गति बढ़ाएं, कैसे हम जो एवरेज स्पीड, रेल गाड़ी जो सामान ढोती है फ्रेट ट्रेन्स, उनकी गति को डबल करें, कैसे पैसेंजर ट्रेन्स की अवसतन गति को 25 किलोमीटर अधिक तेज़ बनाएं|

और यह सब करने से हमारा अनुमान है कि कम खर्चे में रेल की जो कैपेसिटी है, इंडियन रेलवेज की जो कैपेसिटी है इसको आगे चलकर हम लगभग दुगना कर पाएंगे, आगे आने वाले 5-6-7 सालों में इग्ज़िस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को मॉडर्नाइज़ करके, टेक्नोलॉजी से जोड़कर हम कैसे यात्रियों की भी सुविधाएं सुधारें, भारतीय रेल की कैपेसिटी को डबल करें और उसमें से भारतीय रेल को अपने आप में एक सेल्फ-सफिशियंट, सेल्फ-सस्टेनिंग रेलवे जिसका अधिक बोझ न तो यात्रियों पर पड़े, न सामान ढ़ोने वाली गाड़ियों पर पड़े लेकिन एफिशिएंसी गेन से रेलवे में सुधार हो यह इस सरकार की सोच रही है इस पर हमने अधिक काम किया है गत चार वर्षों में|

ज्यादा तो जानकारियां और स्टेटिस्टिक्स आपको इस किताब में मिलेंगे, इसमें अलग-अलग चीज़ों पर डिवाइड किया गया है रेल सुरक्षा पर, रेल इंफ्रास्ट्रक्चर पर, रेल सेवाओं पर, रेल सुधार पर और कोयले के क्षेत्र में क्या-क्या काम हुआ है इस सबकी जानकारी इस किताब के माध्यम से आप सबको दी जा रही है|

कोयले के क्षेत्र में अगर देखें और अगर मैं अप्रैल-मई की अभी-अभी जानकारी ले रहा था तो लगभग कोयले का डिस्पैच अप्रैल-मई में 13-14% बढ़ा है, सिर्फ दो महीने के अन्दर| और हम इस तेज़ गति को पूरे वर्ष भर चलाने के लिए पूरी तरीके से प्रतिबद्ध हैं|

आज सुबह पॉवर मिनिस्टर श्री आर.के. सिंह और उनके अधिकारी और रेल अधिकारियों के साथ मैंने विस्तार से चर्चा की है| हम सबके लिए ख़ुशी की बात है कि भारत की अर्थव्यवस्था भी तेज़ गति से बढ़ रही है, बिजली विद्युत की डिमांड भी तेज़ गति से बढ़ रही है और यही सुनने के लिए मुझे लगता है हमारे कोल के अधिकारी व्याकुल थे कई वर्षों से| और गत चार वर्षों में जो तेज़ गति कोयले के क्षेत्र में आई है जिससे इम्पोर्टेड कोल का भी इस्तेमाल भारत में सालों साल, हर साल कम होते गया है पिछले चार वर्षों में, जो पहले हर साल बढ़ता था|

इसी प्रकार से कोयले में प्रोडक्शन बढ़ाना, नयी वॉशेरीज़ लगाकर पर्यावरण की चिंता करना, ट्रांसपेरेंसी लाना जिसमें जो-जो चीज़ें खरीदी जाती हैं वह रिवर्स ऑक्शन, ई-ऑक्शन के माध्यम से खरीदी जायें, GeM के पोर्टल से और अधिक चीज़ों को हम खरीदें, एफिशिएंसी सुधारने के लिए माइन बाई माइन वेरिफिकेशन करके उसकी एफिशिएंसी के प्लान्स बनें|

लगभग चार वर्षों में देखें तो 105 मिलियन टन कोयले के उत्पादन में वृद्धि हुई है, जो मैं समझता हूँ कोई भी इतिहास में चार वर्षों में इतनी तेज़ गति से वृद्धि शायद कभी नहीं होगी कोयले के उत्पादन में|

रेलवे और कोयला का विभाग दोनों का एकदम मैं समझता हूँ मिलजुल कर काम चलता है, रेलवे का सबसे बड़ा कस्टमर कोयले का विभाग है, लगभग हमारे फ्रेट का 45-48% कोल का ट्रैफिक रहता है| इसी प्रकार से कोयला देश भर में हर जगह तक पहुँचने के लिए बिना रेलवे के लगभग असंभव होगा| तो मैं समझता हूँ यह दोनों का मिलन और दोनों के जो कोऑर्डिनेटेड एफ्फर्ट्स हैं उसी का यह परिणाम है कि तेज़ गति से उत्पादन भी बढ़ रहा है और उस उत्पादन को तेज़ गति से बिजली घर तक पहुंचाने में रेलवे सफल हो रही है इसका लाभ दोनों को मिल रहा है, रेलवे के भी अप्रैल-मई में लगभग 8% फ्रेट में वृद्धि हुई है – 8% फ्रेट की वृद्धि अप्रैल-मई में अपने आपमें इतिहास है रेलवे के कई वर्षों में| कभी भी इतनी तेज़ गति से फ्रेट में वृद्धि नहीं हुई है जो अप्रैल-मई में देखने को मिली है|

और मैं आप सबको आश्वस्त करूँगा कि यही तेज़ गति से, यही अच्छी सोच के साथ रेलवे विभाग और कोयला विभाग आगे चलकर देश की, देश की जनता की सेवा करते रहेगा और देश की अर्थव्यवस्था को और बल देने का काम करेगा| As the honorable Prime Minister said – भारतीय रेल भारत की अर्थव्यवस्था का सबसे प्रमुख अंग बनेगा – it will become the growth engine of the nation’s vikas yatra.

Thank you very much for your presence here to all the ladies and gentlemen from the media, my colleague Shri Manoj Sinha ji, honorable Minister of State with Independent Charge for Telecommunication and honorable Minister of State for Railways would like to add a few words.

We are open to questions. We will be happy to respond to any questions, specific questions that you may have. Mr Sitanshu Kar will moderate the discussions.


Question Answer

प्रश्न: सर मैं मधुरेन्द्र, न्यूज़ नेशन से! सर मेरा सवाल जो आम जनता को कवर करते हुए हमारा अपना अनुभव है खासतौर पर रेलवे में उससे जुड़ा हुआ है| 4 साल के इस दौर में आज जहाँ हम खड़े हैं जनता जो सफ़र करती है ढाई करोड़ जिसका ज़िक्र आपने किया उसके मन में यही सवाल है कि रेलवे की स्पीड कम होती चली गयी, डिले 8 से 18 घंटे तक एवरेज चल रहा है नॉर्थ इंडिया की अगर बात करें, आपने फेयर नहीं बढ़ाया लेकिन डायनामिक फेयर के ज़रिये जितनी ट्रेनें आ रही हैं वह खासतौर पर उसमें शामिल है और उसके ज़रिये कहीं न कहीं वह पंच भी आम आदमी की जेब पर पड़ रहा है| तो अब चूँकि सरकार इलेक्शन मोड में आ गयी है, अगले साल आप जनता के बीच में जायेंगे, 5 साल का रिपोर्ट कार्ड रखेंगे तो जनता को आप कैसे कन्विंस कर पाएंगे कि 5 साल में रेलवे ट्रांसफॉर्म हो गया, ट्रेनों की गति बढ़ गयी?

उत्तर: मैं समझता हूँ कि भारत की जनता पूरी तरीके से समझती है कि किस प्रकार से यह जो बदलाव लाने का काम इस सरकार ने किया है, मोदी सरकार ने इससे कैसे रेल सुरक्षित हुई है, कैसे रेलवे ने अपनी पूरी व्यवस्था में इंफ्रास्ट्रक्चर पर बल दिया है और कैसे फ्यूचर-रेडी बन रही है भारतीय रेल| हम सबने देखा है कि किस प्रकार की विरासत 4 साल पहले मिली थी, कितना निवेश होता था, किस गति से प्रोजेक्ट्स लगते थे, नयी ट्रेनें कितनी निकलती थी, नहीं निकलती थी, अन्नौंस होती थी उसके बाद काम की गति कैसी होती थी, सुरक्षा के क्षेत्र में भय का वातावरण था, एक्सीडेंट अधिक थे|

इस सबके बदलाव का एक क्रम होता है, उसकी एक पूरी योजना होती है और उसमें इतना बड़ा निवेश करके जो बदलाव लाया जा रहा है उसमें जो शॉर्ट टर्म पेन भी अगर कुछ रहा है तो मैं समझता हूँ जनता ने उसको सराहना है| जहाँ तक सरकार के चुनाव का सवाल है हमने कभी भी और यह बात मैंने कई बार मेरे प्रेस के मित्रों को कहा है, हमने कभी भी चुनाव की दृष्टि से निर्णय नहीं लिया है, हमने जनहित और देशहित को सर्वप्रिय रखा है| आप पंक्चुअलिटी की बात कर रहे थे, लोहानी जी शायद उसमें कुछ जोड़ना चाहते हैं|

सेक्रेटरी: आपने पंक्चुअलिटी का मुद्दा उठाया, इस समय रेलवे का बहुत ज़बरदस्त फोकस सेफ्टी पर है| आपने देखा होगा पुराने ट्रैक्स का रिन्यूअल करीब-करीब डेढ़ गुना हुआ है, इस साल भी वही गति जारी रहेगी, कई डिकेड से क्या हुआ कि ट्रेनें, नंबर ऑफ़ ट्रेन्स में बहुत इज़ाफा हुआ, फिगर्स भी हैं करीब अगर हम देखें पिछले 16-17 साल में| जो टोटल ट्रेन्स हैं करीब-करीब वह डबल हो गयी, हमारा इंफ्रास्ट्रक्चर उस रफ़्तार से डबल नहीं हुआ तो मेंटेनेंस के लिए समय मिलना थोड़ा मुश्किल हो गया, तो हम लोग उस भूल को भी सुधार रहे हैं, हम चाहते हैं कि किसी भी हालत में अनसेफ कंडीशन में हम ट्रेन्स न चलायें जो भी मेंटेनेंस करना हो मेंटेनेंस करें|

और साथ-साथ जैसा मंत्री जी ने बोला, इस सरकार में कैपेक्स में बहुत ज़बरदस्त वृद्धि हुई है, और कैपेक्स बसिकली इंफ्रास्ट्रक्चर क्रिएट करने के लिए किया जा रहा है, डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर को भी लाइन पर लाया गया है, थर्ड एंड फोर्थ लाइन्स पर बहुत जोर हो रहा है| तो इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने में जो हमारा पूरा नेटवर्क है इतना कॉनजेस्टेड हो गया है कि अगर हम इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने पर जोर लगाते हैं तो वह भी एफेक्ट करता है, अगर हम सेफ्टी के लिए मेंटेनेंस करते हैं तो वह भी एफेक्ट करता है| पर जैसा मंत्री जी ने बोला वह कीमत तो थोड़ी चुकानी पड़ेगी इस समय, यह जितना इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट होगा और रेल्स का रिप्लेसमेंट होगा अल्टीमेटली लॉन्ग टर्म में इसका बहुत ज्यादा बेनिफिट मिलेगा|

प्रश्न: सर जी नमस्कार, मैं ओमकार सिंह बोल रहा हूँ, दैनिक भास्कर से| सर एक तो गुजरात का सबसे बड़ा महत्व का मुद्दा है यहाँ पश्चिम रेलवे का नेटवर्क more than 70% गुजरात में है, earning more than 70% गुजरात में है, इसका हेडक्वार्टर अहमदाबाद को आज तक नहीं मिला| और दूसरा सर हाई-स्पीड में अभी ज़मीन के अधिग्रहण को लेकरके काफी विवाद चल रहा है?

उत्तर: … कोई चेंज अभी ज़ोन्स, डिवीज़न में चेंज करनी की कोई प्रस्ताव अभी रेलवे के समक्ष नहीं है| मैं समझता हूँ बड़े अच्छी तरीके से सभी ज़ोन्स देश की सेवा में लगे हैं, भारतीय रेल एक ही है और हर क्षेत्र, हर राज्य की सेवा करना भारतीय रेल की सामूहिक ज़िम्मेदारी है| जहाँ तक ज़मीन अधिग्रहण का सवाल है, ज़मीन के विषय में चर्चा चल रही है और हर एक प्रोजेक्ट में कुछ न कुछ चर्चा और बातचीत से ही समाधान करके प्रोजेक्ट आगे लगाया जाता है, कोई ऐसी समस्या नहीं है जिसका समाधान नहीं किया जा सकेगा| मुझे लगता है जल्द ही महाराष्ट्र और गुजरात दोनों में ज़मीन की समस्या का हल निकालकर बुलेट ट्रेन का काम अपने निर्धारित समय पर किया जायेगा|

Q: Hello, sir, Shreya from Business Standard. Bringing your attention to coal, in the past few months there have been complaints regarding the supply of coal and shortage, both from private power producers and other sectors such as steel, iron, captive power producers, etc. So would want to know what is the status right now and what is being done to improve the situation given that we are looking at high demand months. And allied to it, also wanted to status of commercial coal mining because that would improve the situation of coal supply?

A: As all of you are aware, the coal production which was 462 million tonnes in 2013-14, has increased to 567 million tonnes in 2017-18, and in the current year, it is growing at almost 15%! 15% growth in April-May, first two months of this year. What used to happen in seven or eight years has happened in four years that is the speed with which we have been able to expand the output in coal. Railways has also correspondingly ramped up its ability to transport coal and all of this has helped us to reduce the dependence on foreign currency utilized for import of coal, it has helped us to reduce the cost of power significantly. Otherwise, imported coal which is much-much costlier than Indian coal was being used in a big measure.

Having said that, it’s a matter of happiness that there is more demand for coal and we will ensure that as much of it that can be met from domestic sources will be done. Obviously, coal output also involves land acquisition, installation of necessary equipment and a whole cycle, as the demand is growing very rapidly in the last eight or nine months, this so-called feeling of shortages has crept in, but the Coal Ministry and the Rail Ministry are working together to ensure that at no point of time anybody loses the ability to generate power for lack of availability of coal.

And as far as commercial coal mining is concerned the process is underway, we have had some discussions also with the unions, the last time around when I had met them in Mumbai. We are also looking at more mines being auctioned out for the power sector, for the non-power sector, for the washeries sector, different sectors where we are looking at some mines being auctioned out soon.

प्रश्न: हेलो सर, मैं शफीक दैनिक जागरण भोपाल से, सर मेरे दो सवाल है मंत्री जी से, पहला, क्या मंत्री जी यह assurity दे सकते हैं कि in future रेलवे का निजीकरण नहीं होगा| And second is, GRP और RPF में जो communication gap है उसकी वजह से crime control नहीं हो रहा है रेलवे में, क्या इन दोनों को merge करके कोई नयी agency in future सामने आ सकती है?

उत्तर: पहली बात तो बहुत स्पष्ट आप सबके लिए जानकारी दे दूँ कि रेलवे का निजीकरण नहीं हो रहा है, नहीं होने वाला है और उसकी तरफ कोई विचार भी नहीं है| जहाँ तक GRP और RPF का सवाल है, दोनों की अपनी-अपनी अलग-अलग जिम्मेदारियां हैं, GRP स्टेट लेवल से आती है, RPF रेलवे स्टेशन और रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर और रेल यात्री जो ट्रेन में सफ़र करते हैं उनके प्रति फोकस रखता है, GRP यात्री और उसके साथ जो संबंधित, associated services हैं उसपर ध्यान देती है| ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है दोनों को merge करने का, एक स्टेट लेवल, एक सेंट्रल लेवल और दोनों के coordination से इस काम को ठीक तरीके से संभाला जा रहा है|

Q: ………. Speed connectivity, there are critics who have pointed to over-aged assets, undeveloped stations, lack of basic amenities, 100-year old bridges; what have you done in the last 4 years to look at these issues, thank you.

A: I think I have made that very clear that the government is committed to making Indian railways not only safe, but also as I had said earlier, bring back the charm to travel in Indian railways. But both these projects are not in contradiction to each other. I still remember when the Rajdhani was introduced in India, the naysayers and the critics had criticized even the Rajdhani being introduced to India. And Rajdhani was introduced some 50 years ago. It’s very unfortunate that some people in this country do not wish that this country progresses, that this country joins the international levels of technology and safety and quality of service. But this government stands committed both to improving the existing infrastructure and to providing the most modern in the world also to the people of India, both will work simultaneously.

और दोनों के बीच में कोई अंतर्विरोध नहीं है, दोनों का अपना-अपना स्थान है, दोनों का अपना-अपना महत्व है और दोनों का लाभ भारत की जनता को मिलेगा, दोनों की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था और मज़बूत होगी और हम दोनों के लिए equally प्रतिबद्ध हैं, संकल्पित हैं|

प्रश्न: नमस्कार सर, गुवाहाटी से सर सुष्मिता गोस्वामी फ्रॉम यूएनआई!

Good afternoon Mr Goyal, I am Sushmita from UNI Guwahati. My question is as you are aware, unemployment is a major challenge in the North East and job avenues in the public sector is very limited, so is the railway ministry thinking of any specific employment generation scheme targeted for the North East with reservation of jobs for youth from the region?

A: Well, the railways provides jobs to youths from all over India and we have opened up almost 1 lakh new jobs for the youth of India. I am sure the young boys and girls from North East have also applied and will get an equal and fair opportunity to be selected through a very-very transparent online examination process. In addition to that there is a proposal that I have received from the honorable Chief Minister Shri Sarbananda Sonowal, seconded and supported obviously by our Minister of State Shri Rajen Gohain to look at establishing facility in Assam for production or maintenance of railway coaches, which is under our active consideration.

प्रश्न: सर देश भर में एक तो पंक्चुअलिटी पर असर पड़ा है ऊपर से यह कहा जाता है, जो मेन वजह बताई जाती है वह ब्लॉक्स बताई जाती है, तो कोई प्लान है कि यह ब्लॉक्स कब तक लिए जाते रहेंगे और कब तक ट्रेन पंक्चुअल हो जाएगी?

सेक्रेटरी: जैसा अभी बताया गया था आपको कि एक decadal negligence जिसको हम लोग कहते हैं, maintenance के इतने arrears जमा हो गए थे और दो तरह का maintenance होता है एक होता है fixed assets का maintenance, दूसरा होता है moving assets का maintenance. Moving assets में हमारी coaches और wagons और locomotives आते हैं जिनको हम workshop में ले जा सकते हैं maintain करने के लिए, लेकिन जो fixed assets होते हैं जिसमें वही चीज़ होती है, signaling equipment and track, यह वही पर होता है और इसको हमको करना पड़ता है मेन्टेन| इसके लिए जैसा कि अभी बताया गया था, 2500 km के आस पास track renewal इस तरह के काम होते थे एक वर्ष में, यह बढ़कर 4000 km से ऊपर किये गये हैं 2017-18 में| और ऐसी संभावना है कि आने वाले दिनों में, एक साल लगभग और में और 5000 किलोमीटर के आस पास यह track renewals मार्च 2019 तक आप समझ लीजिये कि ज्यादातर जितने हमारे पास arrears होंगे renewal के वह कम्पलीट किये जा चुके होंगे और उसके साथ ही साथ हम लोगों के पास dedicated freight corridor और जो बाकी काम हो रहे हैं इंफ्रास्ट्रक्चर के 3rd line, 4th line और doubling के यह भी काफी पूरे हो जायेंगे तो बहुत ज्यादा हम लोगों को रिलीफ मिलेगा गाड़ियों को ठीक से चलाने में|

उत्तर: एक मैं जोड़ दूँ इसमें एक और किया जा रहा है कि इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट और ट्रैफिक डिपार्टमेंट दोनों को मैंने निर्देश दिया है कि वह लोग टाइम टेबल ट्रैफिक ब्लॉक्स बनाएं जिसमें एक निर्धारित समय पर सब मेंटेनेंस के काम हों, उसके इलावा अगर कोई सडन मेंटेनेंस आता है उसके लिए तो लेना पड़ेगा अलग ब्लॉक| लेकिन जो निर्धारित मेंटेनेंस का काम निर्धारित ब्लॉक में हो और शायद उसके लिए थोड़ा फेर-बदल भी करना पड़े अगर टाइम टेबल में, पैसेंजर टाइम टेबल में वह करके जैसे मुंबई में रोज़ रात को 3 घंटे गाड़ियाँ बंद होती हैं, सबअर्बन मुंबई रेलवे में| ऐसे हम एक ट्रैफिक ब्लॉक लेकर उस समय सब रेल रिन्यूअल करें और रिपेयर्स के काम करें जिससे कि सडन ट्रैफिक ब्लॉक्स लेने की ज़रूरत और अलग-अलग स्थान पर अलग-अलग समय पर लेने की ज़रूरत कम हो सके, उसपर अभी वह लोग दोनों डिपार्टमेंट मिलकर काम कर रहे हैं |

प्रश्न: लखनऊ से टीएन मिश्र नवभारत टाइम्स|

सर मेरा सवाल … मेरा कहना है लखनऊ में प्रोजेक्ट बहुत अन्नौंस हुए हैं लेकिन लखनऊ सारे स्टेट का जो है …. बना हुआ है, यहाँ पर 35 साल से कोई डेवलपमेंट प्लेटफॉर्म्स का और लाइन्स का नहीं हुआ जिससे ट्रेनें यहाँ डेली खड़ी रहती हैं, अब इन कंडीशन्ज़ में ट्रेनें जो बाहर से आती हैं वह 2-2, 3-3 घंटे लखनऊ में रुकी रहती हैं| और दूसरी चीज़ अभी आपने कहा कि हम ट्रेनों की यूटिलाइजेशन बहुत बेहतर तरीके से करते हैं, डबल डेकर यहाँ पर हफ्ते में दो दिन चलती है और पांच दिन खड़ी रहती है और दो साल से यह प्रोजेक्ट चल रहा है, जयपुर तक जाएगी आज तक नहीं चल पाई वह| सीतापुर अभी एक साल पहले था चल जायेगा लेकिन एक साल से …. के बाद नहीं चल सके, यह सवाल हैं मेरे?

उत्तर: ऐसा है दोनों उन स्टेशन का लखनऊ और गोमती नगर, दोनों का डेवलपमेंट का काम शुरू हो गया है, मैं स्वयं आया था उसके शिलान्यास के लिए, उसका मॉडल वगैरा भी है और एनबीसीसी अभी उसकी बिडिंग करके, कॉन्ट्रैक्ट तो सरकार में बिड करके प्रोसेस के थ्रू ही दिया जा सकता है, उस प्रोसेस को करके वहां का काम शुरू करेगा|

यह डबल डेकर का जहाँ तक सवाल है, जब हम युटिलाइज़ करने की बात करते हैं ट्रेन्स को स्पेयर टाइम में उसके लिए एक ज़रूरी कंडीशन यह भी है कि ट्रैक अवेलेबिलिटी होनी चाहिए| आप भलीभांति जानते हैं कि जो लखनऊ का ट्रैक है और लखनऊ से गुज़रने वाले जो रेल लाइनें हैं वह आलरेडी लगभग 150% से ज्यादा उसका इस्तेमाल हो रहा है| तो जहाँ पर इमप्रैक्टिकल है उसका स्पेयर टाइम यूज़ करना उसको तो और 150 को 160 करने की संभावना तो है नहीं, और ट्रेन लेट हो जायेंगी उससे|

प्रश्न: पीयूष जी, I am Manash Banerjee from Dainik Agrudut Assam. नॉर्थ ईस्ट का सबसे बड़ा जो प्रोजेक्ट है, बोगीबील प्रोजेक्ट है यह 20 साल से यह काम चल रहा था लेकिन 5 साल से सुन रहा हूँ अभी ख़त्म होने वाला है, इसी साल में ख़त्म हो जायेगा| बार-बार बोल रहे हैं ख़त्म होगा, लास्ट टाइम भी बोला था दिसम्बर में ख़त्म होगा, तारीख पर तारीख हो रहा है यह कब तक ख़त्म होगा?

उत्तर: नहीं यह सवाल आपने 20 साल क्यों नहीं पूछा? यह तो हमने आके काम शुरू करके उसको अभी ख़त्म करने जा रहे हैं लेकिन आप वह पहले 16 साल कहाँ थे पूछने के लिए?

प्रश्न: संजय पांडेय हिंदुस्तान से, हमारा प्रश्न है मोकामा ब्रिज को लेकर 2015-16 में पीएम मोदी ने उसका शिलान्यास किया था डबल लाइन रेल ब्रिज का, …. को अगर प्रोजेक्ट में सारा काम हो चुका है लेकिन काम इसका शुरू नहीं हुआ| तो यह कब तक शुरू हो जायेगा क्योंकि उत्तर बिहार और दक्षिण बिहार को जोड़ने का यही एक मात्र मुख्य ब्रिज है| और दूसरा एक प्रश्न है पैसेंजर ट्रेन को लेकर कि पूरे ईस्ट बिहार में पैसेंजर ट्रेन कभी समय पर नहीं चलती है और काफी बड़ी संख्या में नागरिक डेली इसपर यात्रा करते हैं तो इसकी परेशानी कब दूर होगी?

सेक्रेटरी: पांडेय जी, मोकामा में जो गंगा नदी है उसके दोनों तरफ डबलिंग हो गयी थी और मोकामा में जो ब्रिज है वह सिंगल लाइन का था| तो आप लोगों ने डबल लाइन के ब्रिज की बात करी थी न कहीं से वह रेलेवेंस होता है.. बिहार की आवश्यकता को देखते हुए स्वीकृत किया था, उसके टेंडर अवार्ड किये जा चुके हैं| एक शिकायत आई थी जिसकी जांच की गयी है और वह स्वाभाविक है जांच करना लेकिन वह 3 साल में ब्रिज बनाकर के तैयार किया जायेगा और मैं मानता हूँ कि जो सबसे बड़ा बोटलनेक है बिहार का वह समाप्त हो जायेगा| दो बड़े ब्रिज बिहार में और इसी सरकार ने बनाये हैं पटना जो लम्बे 16 साल से पेंडिंग था और मुंगेर|

तो मैं मानता हूँ कि बिहार की कनेक्टिविटी को लेकर के पिछले 4 वर्ष में भारतीय रेल ने ऐतिहासिक काम किये हैं, कुछ गाड़ियाँ जैसा पहले ही बताया गया कि मेगा ब्लॉक के कारण लेट चल रही हैं लेकिन वह भी जल्दी ठीक हो जाएँगी|

प्रश्न: मंत्री जी, एसएम आसिफ, मेरा सवाल आपसे यह है कि चार साल के अन्दर रेलवे इलेक्ट्रिफिकेशन कितना हुआ है अब तक? और दूसरा सवाल है हमारा कि आपने यह कहा है कि हम जो हैं वाई-फाई जो है सब स्टेशनों पर लगा रहे हैं जिसमें गाँव-देहात के लड़के जो हैं उस वाई-फाई से फायदा उठाएंगे, जो वाई-फाई है वह एक घंटे के लिए चलता है तो गाँव-देहात के लड़के हैं उसको कितना इस्तेमाल कर सकते हैं?

सेक्रेटरी: धन्यवाद सर, 1 अप्रैल 2018 को तकरीबन 30,000 किलोमीटर रेलवे का नेटवर्क विद्युतीकृत हो चुका था| ध्यान देने योग्य बात यह है कि इससे पहले किसी साल 600 किलोमीटर, किसी साल 1000 किलोमीटर लेकिन पिछले वित्तीय वर्ष में कुल 4,087 किलोमीटर का इलेक्ट्रिफिकेशन करके और उसको बिजली की गाड़ियाँ चलनी शुरू हो गयी हैं|

उत्तर: And actual figure is really very interesting. 2013-14 में 610 रूट किलोमीटर का विद्युतीकरण हुआ था, 2017-18 में जैसा इन्होंने कहा 4,087 यह दर्शाता है स्पीड, स्किल और स्केल के काम को|

प्रश्न: Good afternoon sir, Raja from …… सर मेरा क्वेश्चन यह है कि कोल में प्रोडक्शन तो काफी अच्छा हुआ है पर यह जो छत्तीसगढ़ में हम देख रहे हैं कि MDOs काफी appoint हो रहे हैं| So, what is the policy behind appointing these MDOs and whether it is not a step towards privatization of coal mining?

उत्तर: Privatization और MDO का तो कोई संबंध नहीं है, privatization तो मिल्कियत पर होता है, मिल्कियत सरकार की है, कोल इंडिया की है, अब कोल इंडिया एक autonomous organisation है, independent उसका बोर्ड है वह अपने आप तय करता है किस प्रकार से कौन से माइन में माइनिंग किया जाये तो इसका और privatization का तो दूर-दूर का कोई संबंध नहीं है|

प्रश्न: गोयल साहब एक सवाल है, इस सरकार का और देश का एक सपना है बुलेट ट्रेन लेकिन आपके ही अल्लाई हैं शिव सेना, जिस तरह से हंगामा हो रहा है क्या फ्यूचर है इस नेशनल प्रोजेक्ट का?

उत्तर: बहुत बढ़िया है वह तो मैं पहले ही बता चुका हूँ| यह समस्याएं इस देश में हर नए सोच, आधुनिकीकरण और प्रोग्रेस के साथ आती हैं और इसका समाधान करके आगे काम किया जाता है|

Q: Good afternoon Mr Goyal, sir there have been a lot of complaints regarding differently-abled people having comfortable journeys, be it long distance or in the local trains. Will you be able to do something to make travel even better for differently-abled sir, starting from getting tickets from the counters to boarding the train and even in coaches, they find it very difficult. This problem has been persisting sir. The other question is that there have been a lot of complaints regarding the maintenance of 3rd AC coaches, especially in the South. So, there have been repeated complaints?

A: Madam, as regards the complaints of the 3rd AC, we will of course look it up immediately and take the necessary action. There should be absolutely no room for complaints on that score. As regards the differently-abled people, this government and this administration of the railways is committed to ensuring that the divyangs get easy access to the railway stations, easy access to the coaches, easy availability of toilets. We have already started a project to improve the toilet facilities across the Indian railway stations, so that before the end of the year we will have a good men and good women separate toilet at every station in the country.

We are also working to change all the toilets with bio-toilets in the coaches, and we hope that in the next one year almost every coach in Indian railways will have only bio-toilets. We are now experimenting with vacuum toilets to see if the airline style toilets can be set up in the railways, which will help us to also further enhance the comfort and the hygiene in the toilets in the coaches. In order to enable the differently-abled persons to access these toilets, to reach the railway stations, we are looking at ramps, we are looking at handhelds, handrests. As regards access to the train, we are still dependent on physical assistance to assist the differently-abled to board the train. And I think we will have to still look at some design changes which can help us take the access on the train to the differently-abled. As regards the signages and literature being available in …. that’s a project that has recently been taken up by the railways.

Q: Sir, Shivangi from NewsRise, Sir are you in a position to talk a little more about your meeting with the Power Minister RK Singh earlier today. What is the centre’s likely resolution plan for stressed assets in the power sector?

A: Well though it’s more related to power, but I am happy to at least share with you that during April and May, the power generation in India has been 103.5% of the programmed or planned power generation, despite the fact that hydro generation has been only 88%, which means the coal-based power generation has probably been more than 105-106% which has all been fed largely by domestic coal, because the April figure I remember there was a 9% or 10% reduction in import of thermal coal for power sector.

So we have been able to meet the needs of the power plants both after reducing imported coal, after reduction in hydro generation and with the increased power demand, so to that extent we are on a sound footing. And we are confident that going forward with the cooperation of the power, coal and railway ministry, we will ensure adequate coal supply to all the power plants in the country.

Q: Good afternoon everyone, myself Jiten and I am with …. Express, Imphal. My question to the Minister, what is the present status and what progress of the Jiribam-Imphal railway project, a national project ……. And world’s tallest… can you tell me…..?

A: It’s a very specific question, we will send you a reply in writing. I wouldn’t know each specific project details over here. इतना मैं वह पार्लियामेंट की तरह तैयार होकर नहीं आया था एक-एक प्रोजेक्ट की डिटेल लेकर|

Q: Sir I am Abhimanyu Sharma from ET Now. Sir you had ramped up coal loading from 464 rakes a day to 500 rakes a day, but the latest CEA data shows that there are 25 plants which are having acute coal shortage?

A: We have gone through that gentleman. There is a huge increase in power demand, you cannot create new lines, you cannot get new wagons overnight. Obviously, you need to get land, ramp up your production. I just gave you the statistics how much that has been met by the concerted efforts of all the three Ministers.

प्रश्न: मंत्री जी राजस्थान के लिहाज़ से बात करें तो कौन से नए प्रोजेक्ट की हम उम्मीद कर सकते हैं आपके लास्ट इयर में?

उत्तर: देखिए, दुर्भाग्य इस देश का यह रहा है कि हमने पूरे समय सिर्फ घोषणाओं पर निकाल दिए और इतने वर्षों में हजारों घोषणाएं कर दी लेकिन उसका आउटकम और वह वास्तव में लगती है कि नहीं लगती है उसपर आप लोगों का ध्यान नहीं रहता है| तो मैं समझता हूँ आपने देखना चाहिए और राजस्थान के मुझे जहाँ तक आंकड़े याद हैं, लगभग 4 गुना निवेश हुआ है राजस्थान में गत चार वर्षों में|

और यह इसलिए क्योंकि इतने सालों में घोषणाएं तो पूर्व के रेल मंत्रियों ने बहुत सारी की लेकिन कभी निवेश नहीं दिया उन प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए| तो हमारा जो फोकस है वह अधिकांश है कि जो इतनी अन्नौंसमेंट्स और आधे-अधूरे प्रोजेक्ट लगे हैं जिसका कॉस्ट और टाइम ओवर-रन होते जा रहा है उसको जल्द से जल्द ख़त्म किया जाये, लेकिन अगर कोई ज़रूरी लाइन है जिसपर काम करने से जनता को और देश को फायदा होता है उसके लिए हमारी रेलवे कभी भी तैयार है| डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पर बहुत तेज़ गति से काम हो रहा है राजस्थान में जिसका लाभ सीधा राजस्थान के लोगों को, राजस्थान के उद्योग को और राजस्थान की अर्थव्यवस्था को मिलेगा|

और एक लाइन अब जल्दी ख़त्म होने वाली है रेवाड़ी-फुलेरा जो 15 अगस्त तक ख़त्म होकर देश को समर्पित होगी|

Q: Sir, both Member Traffic and Chairman Railway Board just said that there was a historic backlog in maintenance. The question is to CRBN Member Traffic, an infrastructure was required over the years, so I just wanted to ask, irrespective of political dispensation how could railway officials allow it?

A: Well, you have not asked me to answer it, I don’t know for what reason, but before they answer, because the political leadership never gave them funds.

Secretary: दो चीज़ें हैं, एक तो जैसा मंत्री जी ने बोला, sufficient funds for infrastructure development were not there, तो उसकी वजह से इंफ्रास्ट्रक्चर का उस रफ़्तार से विकास नहीं हो पाया जिस रफ़्तार से गाड़ियों की संख्या में इज़ाफा हुआ| और दूसरा गाड़ियाँ अगर आप देखेंगे तो गाड़ियों की संख्या में काफी इज़ाफा हुआ है मेरे पास पिछले 18 साल में करीब डबल हुई हैं टोटल ट्रेन्स| और आपका जो ऊपर वाला बेल्ट है, नॉर्थ से जो ईस्ट की तरफ गाड़ियाँ जाती हैं वहां पर गाड़ियों की संख्या में बहुत इज़ाफा हुआ है, यही दो वजह हैं बसिकाली|

उत्तर: देखिए यह continuous process है जिसके बारे में चिंता लगी रहती है लेकिन एक बहुत अच्छी बात है कि रेलवे के सभी अधिकारियों ने मिलकर जो top management team है उसने मिलकर यह निर्णय लिया है कि हम कैसे रेलवे को विभागों में ना बाटें और एक बार एक व्यक्ति higher administrative grade में आ जाते हैं जिसको additional secretary and above का दर्जा मिल जाता है तो सब एक संयुक्त रेलवे की तरह सोचें, सब अपना काम और postings एक रेलवे की तरह देखें इसका निर्णय सामूहिक रूप से पूरे भारतीय रेल की top management team ने किया| और वास्तव में इस देश के लिए हर्ष की बात है कि रेलवे के अधिकारी खुद समझकर यह निर्णय लेते हैं कि हमें एक तरीके से सोचना चाहिए, एकजुट होकर सोचना चाहिए और काम करना चाहिए|

Q: Good afternoon sir, actually in the last couple of years, the coordination between West Bengal government and centre has been improving and it is more frequent now. So how quickly the ongoing projects….. not only metro projects but also the stalled, eastern and south-eastern projects, and do you have any specific plans to sanction any new project?

A: All the projects will be taken up as in when we get the land for each project, the railways will focus on those projects and give enhanced capital to those projects where land is available with the railways, so that those projects can come into fruition, can be completed and start serving the people of India.

Q: Sir, is there any plan to sanction fresh projects?

A: Whatever demands and needs are there will all be met.

Q: Hello sir, Diwesh Mishra from Hindu Business Line. Sir I have two questions, first is regarding coal. What is the estimated demand for coal in the country that you see and that there is a supply mismatch that the industry has been alleging, do you concur with it? What is in your estimation the demand?

A: I have explained it in pretty great detail that because of the increasing demand the Coal India had ramped up production very massively, you are all aware of it. As on 31st March, 2017, there was nearly 68 or 69 million tonnes of stock at a level at which we were worried that if there is a fire over there it could cause a massive loss. Post that, there has been a surge in demand which we are now meeting both through enhanced production and enhanced dispatch. I think there will be robust demand for coal going forward. We are also trying to encourage plants which are based on imported coal to redesign their capacities so that they can use more domestic coal. Of course, with the closure of some of the import-based plants after the last supreme court judgment that has also increased the load on domestic coal. But I am glad that we have been able to meet that demand and nowhere in the country have we heard of power shutdown because of lack of coal.

Q: Sir is there a number that you would like to share this is the coal demand of the country now?

A: That is for the CEA and the Niti Aayog to decide.

Q: Hi sir, Ashmeet from CNBC TV-18. Sir we just wanted to understand the rail PSUs that were supposed to be listed which were announced in the budget. Not much has happened on that front, IRFC has been put on a backburner, IRCTC you said needs a different expansion plan, so what is…..?

A: Well, I think RITES is already underway, IRCON is underway, IRC RVNL is underway, IRCTC I have delayed, because to my view the valuation that IRCTC can get and here I am putting on my investment banker’s hat a little bit. It has a huge data base which is not being captured in the valuation of IRCTC.  Therefore, I am trying to see how we can capture and cross utilize these databases so that we get a better valuation comparable to other companies which have large customer bases. And as regards IRFC, there is an issue about the carried forward depreciation and that carry forward MAT benefit and a tax set off which we would otherwise normally loose, which they are sorting out with the Corporate Affairs Ministry. Once that is sorted out, we’ll have IRFC coming in to the market also.

Q: Hello sir, this is Ateek from Indian Express. My question pertains to the station infrastructure development and augmentation of station capacity to host more trains but I can give you the example of Pune. I can tell you that for last 5-6 years, we have been told that no new trains can be started from Pune because there is not, we don’t have enough capacity to host more trains. But there were three projects which were announced to increase the capacity of stations to host trains. Of this, one is the Shivaji Nagar Station development which was to happen on PPP model. Second was the Pune Station development which was to happen on a Swiss challenge model and third was the, you know, conversion of Hadapsar station to a Terminal. All these three projects, of which one is from the previous government and two were announced in this government. Nothing has happened on ground. These are very small projects, they are not really very big projects?

A: I am not carrying the details of every station and what is the status of that but I am sure, my officials either in Pune or from Delhi will be happy to furnish you those details.

प्रश्न : श्रीकांत भाटिया मेरा नाम है सर| गोयल साहब पिछले 4 साल से 3 साल से अभियान चल रहा है स्वच्छ भारत का, लेकिन आप किसी भी ट्रेन में बैठिए, कहीं से कहीं जाइए, ट्रेनों के आसपास आपको महा गंदगी, लोग शौच करते हुए मिलेंगे| यह सवाल मैं हर मंत्री से करता हूं, हर मंत्री यही जवाब देता है… ट्रेन के बाहर की सर, जो पटरियों के आस-पास शौच और गँदगी होती है|

उत्तर: तो इसलिए आप सबसे अनुरोध है कि इसमें आप हमारी मदद करिए, यह जनभागीदारी से होगा, यह कोई रेलवे एक-एक व्यक्ति क्या कर रहा है उसकी जिम्मेदारी रेलवे नहीं ले सकती|

प्रश्न : सर हर मंत्री जवाब देता है कि स्टेट गवर्नमेंट की जिम्मेदारी है|

उत्तर: मैं तो कहता हूं सबसे ज्यादा जिम्मेदारी आपकी है| आप जरा हमारी मदद करिए इस मैसेज को जनता तक पहुंचाइए कि स्वच्छता जनभागीदारी से होगी, स्वच्छता रखने में रोकना नहीं पड़े, स्वयं से  व्यक्ति के दिल से आवाज उठनी चाहिए और इसी के लिए आज 7 करोड़ से अधिक टॉयलेट मोदी सरकार ने लोगों को घरों में बना कर दिए हैं, स्कूल, कॉलेजों में शौचालय बनाए गए हैं| ओपन डिफेकेशन फ्री साढ़े तीन लाख से अधिक गांव ओपन डिफेकेशन फ्री हो चुके हैं|

प्रश्न : सर नमस्कार! मैं संतोष ठाकुर लोकमत से| सर मेरे दो क्वेश्चंस हैं, एक तो कन्फर्म टिकेट रेल में कबसे मिलेगा, कितने साल में? दूसरा सर सवाल यह है कि मुंबई वेस्टर्न में और ईस्टर्न में जयनगर, भागलपुर और सहरसा गरीब रथ को डेली करने की मांग सर लंबे समय से पेंडिंग है|

उत्तर: मैं समझता हूं कि कन्फर्म टिकेट आज भी मिलता है, देश की बड़ी जनसंख्या है जितनी ट्रेनें चल सकती हैं व्यवस्था के ऊपर उसके हिसाब से कन्फर्म टिकट मिलता है| स्पेसिफिक प्रोजेक्ट्स की जानकारी आपको बाद में मिल जाएगी|

प्रश्न : जी नमस्कार मैं आशीष झा बोल रहा हूं दैनिक जागरण से| हमारा सवाल है मंत्री जी आपने समय, सुधार और काम पर जोर दिया है| हमारा सवाल है कि कई योजनाएं समय पर पूरी नहीं हो रही हैं| मैं स्पेसिफिकली बताना चाहूंगा कि दामोदर रेल पुल परियोजना है, 30 वर्षों से पेंडिंग है| दूसरा सवाल है हमारा कि  बहुत लंबी मांग है जोनल ऑफिस का, रांची में| वह पूरी नहीं हो रही है|

उत्तर: जहां तक डिले का सवाल है, जमीन जितनी जल्दी हमें जिस प्रोजेक्ट की पूरी जमीन मिल जाएगी, उस प्रोजेक्ट को तेज गति देकर खत्म किया जाएगा| यह स्पेसिफिक प्रोजेक्ट की जानकारी लेकर मैं यहां नहीं बैठा हूं और जहां तक मेरे ख्याल से ज़ोन का सवाल है, मैंने पहले ही जवाब दिया कि कोई नया डिवीजन जोन या कुछ की आज कोई प्रस्ताव सरकार के समक्ष नहीं है|

प्रश्न : मैं जितेंद्र तिवारी हूं हिंदुस्तान समाचार न्यूज़ एजेंसी से| जो आप इतनी टेक्नोलॉजी बढ़ रही है लेकिन कई स्टेशनो पर यह देखा जा रहा है कि जब भी आप जाएं तो कई बार सर्वर डाउन मिलते हैं और इसके कारण से लोगों को इतनी प्रॉब्लम हो रही है कि टिकेट कैंसिलेशन के लिए कि जब टिकेट कैंसिल कराने जाए तो कंफर्म टिकेट जब ट्रेन जाने को होती है, तो पब्लिक को इतनी परेशानी होती है कि ट्रेन जाने का टाइम हो गया, सर्वर डाउन है टिकेट कैंसिल नहीं हो सकता| पूरा पैसा डिपॉजिट हो जाता है, तो इस तरह से कैंसिलेशन टिकट के लिए पब्लिक बहुत ….?

उत्तर: अगर कोई आप स्पेसिफिक दो-चार केसेज़ दें generalize करने के बदले कि सर्वर डाउन हुआ और उसकी वजह से उस समय पर दिक्कत हुई, तो हम उसपर उचित कार्रवाई भी कर पाएंगे लेकिन सर्वर जो रेलवे का है उसका अप टाइम बहुत अधिक है| मैं नहीं समझता हूं कि ऐसा कोई उसका डाउन टाइम इतना ज्यादा है, जैसा आपने अभी कहा जिसकी वजह से यह समस्या कोई बहुत व्यापक हो गई हो पर आप कोई जानकारी हो आपके पास तो जरूर मुझे पहुंचाइए|

प्रश्न : वह मैं लिखित में भेज दूंगा| दूसरा जो कन्फर्म टिकेट के बारे में है कि जहां ट्रेन चलने लगती है, जहां से, स्टार्टिंग पॉइंट से, आपका अगर टिकेट पहले से है और आप कैंसिल कराना चाहते हैं तो वह कैंसिल नहीं होता, वह पूरा पैसा डिपाजिट होता है इससे पब्लिक को बहुत प्रॉब्लम है|

उत्तर: एक समय होता है कि कितने पहले आप कैंसिल कर सकते हैं| नहीं तो वह सीट खाली जाती है और सीट का भोजा एक प्रकार से रेलवे और रेलवे के माध्यम से, जनता के ऊपर आता है| तो हर एक चीज में, हवाई जहाज में जाओ, ट्रेन में जाओ एक समय सीमा होती है जिसके अंतर्गत आपको कैंसिल करना होता है|

Q: Sir, has the rise in crude oil prices impacted railways?

A: Which is why we are expediting the electrification so that such impact doesn’t affect the railways anymore.

प्रश्न : सर मैं प्रशांत गुप्ता हूं, News24 चैनल से| मेरा सवाल है लेटेस्ट कल की घटना है प्रयागराज ट्रेन की जिसमें आपके, मोदी सरकार के एक मिनिस्टर मुख्तार अब्बास नकवी भी थे ट्रेन 6 घंटे से ज्यादा डिले रही….|

उत्तर: यह विषय पर बहुत विस्तार से चर्चा हो गई है, कोई और विषय है तो……….

प्रश्न : और दूसरा मेरा सवाल यह है कि आपने फ्लाइट इंडस्ट्री से, अगर कहा जाए उसको फॉलो करते हुए डायनामिक फेयर बढ़ा दिए लेकिन ट्रेनें लेट होती हैं|

उत्तर: इसपर पुनः विचार हो रहा है एक बार कमेटी का निर्णय या रिकमेंडेशन हमारे पास आए तो इसपर जल्द ही पुनः विचार करने का प्रस्ताव है|

प्रश्न : नहीं मेरा सवाल तो सुन लीजिए पूरा सर| मेरा सवाल यह है कि डायनामिक फेयर आपने बढ़ाए| लोगों की जेब पर बोझ पड़ा उससे लेकिन सुविधाएं एयर इंडस्ट्री की तरह नहीं मिलती| अगर ट्रेनें लेट हैं तो उनको पानी मिलना चाहिए, उनको खाने को मिलना चाहिए, वह सुविधाएं तो हैं नहीं|

उत्तर: सही बात है इसके ऊपर जरूर हमें और चिंता करनी पड़ेगी और अगर ट्रेन लेट होती है, उसमें किस प्रकार से सुविधाएं और सुधार सकते हैं, यह अच्छा सुझाव है आपका, इस पर करेंगे| … और आपकी जानकारी के लिए एक अच्छा मनोज जी ने सूचना दी कि 3000 गाड़ियां जो चलती हैं रिजर्व्ड, मेल और एक्सप्रेस की, उसमें सिर्फ 70 गाड़ियों पर डायनामिक फेयर है, जो सामान्य आदमी जो गरीब आदमी, जो मध्यम वर्गीय आदमी अधिकांश जिसपर चलते हैं उसपर किसी पर डायनामिक्स फेयर नहीं है|

Q: Sir Anshu from CNBC TV18. My question to you is over 89 coal blocks have been allocated and auctioned. What is the progress in the last 3 years? And the second question is you tweeted about power sector stress today in the morning.  What happened was the Allahabad High Court order discussed, what is the government’s stand?

A: We have had preliminary discussions on the Allahabad High Court order and formal meeting will soon be convened by the Banking Secretary along with the Association of Power Producers, the Reserve Bank of India and all other officials to consider the directions of the Hon’ble Allahabad High Court and prepare a way forward for that. Auction – most of those have been given to the state governments, the allocated mines are all to the state governments or state utilities. NTPC, Neyveli Lignite, some of the companies have done very quick work on that. Some of the state governments have been lagging behind, we are pursuing them to proceed faster. As regards, the year wise production for the coal mines in 2015-16 it was 11.8 million tonnes;  2016-17 – 15.32 million tonnes; 2017-18 – 16.20 million tonnes and as land is being acquired and all the necessary mining plan approvals are being done, this will rapidly grow in the years to come.

प्रश्न : गोयल साहब मैं हरीश लखेड़ा हूं, दैनिक ट्रिब्यून से| एक सवाल दिल्ली को लेकर हो जाए| दिल्ली मैं हरियाणा, मेरठ वगैरा से बहुत लोग आते हैं डेली| मेट्रो बहुत आसपास, एनसीआरबी भी बहुत नहीं पहुंची है| तो जो लोकल ट्रेन चलती है, उनको लेकर कुछ है और इसी से जुड़ा यह भी है कि एक विदिन स्टेट जैसे अपने एक घोषणा की थी देहरादून में – देहरादून से नैनीताल विदिन स्टेट भी लोग जाते हैं| इस तरह की कुछ योजना है कि जो लोकल ट्रेन होती है यात्री – डेली पैसेंजर उनको बढ़ाने का….|

उत्तर: जहां-जहां लाइन कैपेसिटी अवेलेबल होगी, वहां पर ऐसी डेली ट्रेंस डेमो-मेमो के माध्यम से डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट या उसके माध्यम से हम कैसे सुविधा दे सकें, यह हमारा लगातार प्रयास रहता है| दिल्ली की भी जो रिंग रेलवे है इसके लिए भी हमने स्टडी शुरू की है कि कौन से स्टेशनस को सुधार करने की आवश्यकता है जिससे दिल्ली में भी एक रिंग रेलवे को सबअर्बन के रूप में चलाया जा सके|

प्रश्न : पीयूष जी एक लालू जी की रीजन का| डालमियानगर बिहार में, रेलवे प्रोजेक्ट के लिए रेलवे ने एक प्रोजेक्ट लिया था आज तक उसका स्टेटस नहीं मालूम हुआ है| वह डालमियानगर बिहार में जो रेलवे ने एडोप्ट किया था?

उत्तर: मुझे चेक करना पड़ेगा जैसा मैंने कई पत्रकार मित्रों को बताया कि देश में मुझे लगता है हजारों प्रोजेक्ट और रेलवे लाइनें चल रही हैं|

Q: Sir, Union Cabinet in April last year cleared formation of Rail Development Authority. Can you tell what’s the status of it?

A: Ya… the Union Cabinet had cleared it. We were able to start work on two of the projects in Gandhi Nagar and Habibganj in Bhopal. Well, I think the process of recruitment of people is underway but we haven’t received any recommendations from the Committee as yet.

प्रश्न : मंत्री जी, मैं मनोहर मनोज इकॉनमी इंडिया से| मेरा सवाल दो हैं जो नीतिगत हैं|  पहला यह कि ऐसा माना जाता है कि रेलवे का बहुत सारा रेवेन्यु टीटी और टाऊट की जेब में चला जाता है| तो क्या आपकी ऐसी योजना है कि दिल्ली मेट्रो के तकनीक पर रेलवे में पायलट बेसिस पर ही टीटी लेस ट्रेन या उस तकनीक का इस्तेमाल करके क्या आप शुरू करेंगे और दूसरा यह जो ट्रैफिक congestion का जो huge प्रॉब्लम चल रहा है, उसमें ट्रैक की कमी है तो फ्यूचर डिमांड और ऑन डिमांड अवेलेबिलिटी ऑफ बर्थ के हिसाब से प्राइवेट सेक्टर को रेवेन्यू शेयरिंग बेसिस पर डबल ट्रैक करने को लेकर के कोई ऐसी योजना है?

उत्तर: जहां तक मेट्रो का सवाल है, मेट्रो में जो शुरू से ही प्लानिंग की गई है वह उस हिसाब से टिकट पहले लिया जाएगा एंट्री पर चेक करके उसके बाद ही आदमी जा सके, ऐसी व्यवस्था की गई है और एग्जिट के टाइम पर भी इसको चेक किया जा सकता है| भारतीय रेल 160 साल पहले लगाई हुई सुविधा है, शुरू इतने वर्षों में आहिस्ते-आहिस्ते बढ़ी है| इसमें यह सुविधा आज के दिन introduce करना गरीब यात्रियों के लिए, unreserved चलने वाले यात्रियों के लिए बहुत असुविधाजनक हो जाएगा इसलिए ऐसी कोई योजना आज नहीं कोई हम करना चाहते हैं जिससे गरीब को या एक सामान्य व्यक्ति को कठिनाई हो और जहां तक निजी क्षेत्र से लोग निवेश करें रेलवे में उसके लिए अभी भी कई योजनाएं हैं और आगे चलकर भी एक-दो योजनाओं पर काम चल रहा है जिससे हम निजी क्षेत्र को और ज्यादा रेलवेज के साथ जुड़कर पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप में रेल इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए प्रोत्साहित करेंगे|

Okay, ladies and gentlemen, with that we come to the end of this media interaction.

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