Speeches

June 12, 2018

Speaking with CNBC Awaaz on 4 years achievements of Ministries of Railways & Coal

नमस्कार, साक्षात्कार में आपका स्वागत है, मैं हूँ आलोक जोशी और मेरे साथ हैं एक बहुत खास मेहमान, केंद्रीय रेल मंत्री, कोयला मंत्री और फ़िलहाल अतिरिक्त प्रभार के तौर पर वित्त मंत्री, पीयूष गोयल जी|

प्रश्न: पीयूष जी आपका बहुत-बहुत स्वागत है भारत के नंबर 1 बिज़नेस चैनल सीएनबीसी आवाज़ पर, आपका स्नेह हमें हमेशा मिलता रहा है पिछले 13 साल के सफ़र में| इस सरकार के चार साल पूरे हो गए हैं, इस मौके पर हम बात कर रहे हैं| क्या हुआ, क्या बाकी है, सबसे बड़ी चुनौतियां क्या हैं और आगे का रास्ता खासकर डगर 2019 तक की कैसी होगी इसपर चर्चा करनी होगी आपसे| सबसे पहले मैं रेल मंत्रालय पर ही आपसे शुरू करूँ या उससे पहले एक बार आप बताना चाहेंगे कि सरकार ने क्या-क्या कर दिया है, उपलब्धियां क्या हैं?

उत्तर: मेरे ख्याल से सबसे बड़ा जो बदलाव गत चार वर्षों में हुआ है वह लोगों की सोच में है, काम करने के ढंग में है| जिस प्रकार की अर्थव्यवस्था हमें 2014 में मिली और वह सिर्फ अर्थव्यवस्था फाइनेंस के हिसाब से नहीं, हर क्षेत्र में, आप चाहे उसको रेलवे का क्षेत्र देख लो इतना बैकलॉग मेंटेनेंस का, गाड़ियाँ अनसेफ चल रही हैं, रेल जो ख़राब हो गया है रेल की पटरियां नहीं बदली गयी, मॉडर्नाइज़ नहीं किया, टेक्नोलॉजी नहीं आई, जिस प्रकार से वित्त विभाग में घाटा, वित्तीय घाटा हो, महंगाई चरण सीमा पर थी, ब्याज के दर इतने महँगे थे| आपको याद है 2013 में एक ही साल एक साथ 3%, 300-बेसिस पॉइंट्स ब्याज के दर बढ़े थे, रुपये की कीमत 68 रुपये तक पहुँच गयी थी उसको आर्टिफिशियली कम किया 32 बिलियन डॉलर एफसीएनआरबी लेकर|

एक प्रकार से पूरी डगमगा गयी थी अर्थव्यवस्था और फिर एक-एक क्षेत्र में जब हमने गहराई से देखा, तो there was leakages in the whole system, पूरा सिस्टम एक प्रकार से टूटा हुआ सा मिला हमें| लोगों की सोच बदलना, लोगों का व्यवहार बदलना, लोगों की एक विश्वसनीयता लाना कि सरकार में भी ईमानदार काम हो सकता है, कोयले के ब्लॉक्स भी ईमानदार तरीके से नीलामी हो सकते हैं, स्पेक्ट्रम में नीलामी होकर ईमानदार व्यवस्था बनाई जाएगी, बैंक के लोन के लिए आपको दिल्ली से फ़ोन नहीं कराना पड़ेगा, आपकी क्षमता और आपकी काबिलियत पर मिलेगा, पुराना जो गलत काम हुआ है वह सब उजागर करने का काम इस सरकार ने किया|

एक ईमानदार व्यवस्था देश में आये उसके लिए विमुद्रीकरण किया, फिर जीएसटी की व्यवस्था लाये, पुराने कानून बेनामी संपत्ति जैसे जिसमें कई वर्षों से कानून ही नहीं लागू किया गया था उसको लागू करना| एक प्रकार से पूरी व्यवस्था को ठीक करने का काम इस सरकार ने चार साल में किया| इसी के साथ-साथ हमारी एक-एक योजना गाँव तक पहुंचे, गरीब तक पहुंचे, मजदूर तक पहुंचे, महिलाओं के जीवन में परिवर्तन आये, युवाओं को मुद्रा योजना के माध्यम से स्वयं की शक्ति प्रदर्शन करने का मौका मिले, स्वयंरोज़गार बनाएं, स्वयं आत्मनिर्भर बनें| अलग-अलग क्षेत्र में और मैं समझता हूँ सरकार के हर क्षेत्र में अभूतपूर्व, ऐतिहासिक परिवर्तन इस चार साल में देखने को मिला है|

प्रश्न: आपने यह जो भी बातें गिनाई इसमें किसी से कोई नाइत्तफाकी नहीं रखता है लेकिन एक बात है, आप ध्यान दें तो इस सरकार ने जब भी कुछ कड़े कदम उठाये जनता ने बहुत बड़े पैमाने पर साथ दिया इसमें भी कोई शक नहीं है| आलोचना करने वालों ने आलोचना की है लेकिन पब्लिक ने साथ दिया, शायद उनको यह भी लगा कि इस वक्त कुछ तकलीफ हो रही है लेकिन मुझसे ज्यादा तकलीफ उसको हो रही है जो गलत काम कर रहा है और आगे जाकर मुझे अब इसका फायदा मिलने वाला है| अब समस्या यह हो रही है कि कई मोर्चों पर खासतौर पर मिडिल क्लास आदमी तकलीफ में दिख रहा है, उसको लगता है कि मुझे वह फायदा अब नहीं मिल रहा है और काफी समय हो चुका है| तो जैसे आंकड़ों की बात हो गयी लेकिन आम आदमी की नज़र में खासकर मिडिल क्लास अगर देखें जैसे पेट्रोल डीजल की महंगाई से परेशान हैं, बेरोज़गारी पढ़े-लिखों की थोड़ी तकलीफ दे रही है इसको कैसे, क्या आपको लगता है कि यह एक बड़ी चुनौती है आपके लिए और इसको एड्रेस करने का कोई साफ़-साफ़ प्लान दिख रहा है सामने?

उत्तर: देखिए जनता में उमंग हो, जनता में अपेक्षाएं हो यह तो बहुत ज़रूरी है कोई भी एक अच्छे देश की व्यवस्था जब बदलती है और सुधरती है तो लोगों में अपेक्षाएं भरपूर होना तो एक प्रकार से हम सबके लिए प्रोत्साहन का विषय है, हम सबको और मेहनत करने के लिए गति देता है| और स्वाभाविक रूप से मैं भी एक सामान्य आदमी हूँ, मैं भी एक मध्यम वर्गीय परिवार से आता हूँ और हम सबकी अपेक्षाएं रहती हैं कि हमें कुछ और मिले, हमारे जीवन में और सुधार हो| लेकिन साथ ही साथ मैं यह भी देखता हूँ कि जहाँ एक तरफ पेट्रोल-डीजल की कीमतों में थोड़ा बढ़त हुई है और उसकी ज़रूर सरकार भी संज्ञान ले रही है और ऐसे कदम उठाने की कोशिश कर रही है जो लम्बे अरसे तक पेट्रोल-डीजल की समस्या से लोगों को निजात दे|

लेकिन साथ ही साथ जब आप व्यापक रूप से देखें तो एक मध्यम वर्गीय परिवार के लिए इतने सारे कदम उठाएं हैं, आप देखेंगे तो आज महंगाई, सीपीआई 3%-4%, अभी 4% पर है जो डबल डिजिट में होती थी| फ़ूड इन्फ्लेशन आज 2% पर आ गया है जो आपको याद होगा दालों की कीमतें 150-140-160 रुपये पहुँच गयी थी| हमने व्यवस्था ऐसी बनाई कि अब कभी भी उस प्रकार के दामों की कीमत बिगड़ नहीं सकती है, 70-80 रुपये में आज दाल मिलती है|

तो एक मिडिल क्लास परिवार का पूर्ण रूप से अगर बजट देखें और उनके सभी.. आज घर लेने जाता है एक व्यक्ति तो सीधा उसको 6.5% ब्याज में छूट मिलना, 6 लाख रुपये तक के लोन में या 9 लाख रुपये तक का कोई लेता है तो 4% छूट मिलना यह कोई साधारण बात नहीं है| और 20 साल तक यह ब्याज में छूट मिलेगी तो आप कुल करो तो 5-6 लाख रुपये का बेनिफिट सीधा एक परिवार को मिल जाता है| उसकी नेट प्रेजेंट वैल्यू, आप बिज़नेस चैनल हैं तो नेट प्रेजेंट वैल्यू भी लगभग 3 लाख रुपये हो जाती है|

तो इस प्रकार से अगर आप देखें तो कई मोर्चों पर, आज स्वास्थ्य की सेवाएं महँगी होती जा रही थी उसकी चिंता थी माननीय प्रधानमंत्री ने आयुष्मान भारत के तहत एक ऐसी योजना लायी कि 50 करोड़ लोगों को और इसमें अधिकांश गरीब और निम्न मध्यम वर्गीय लोग होंगे उनको 5 लाख रुपये तक हर परिवार को मुफ्त में इलाज होगा उसकी व्यवस्था बन रही है, उसमें अस्पतालों को भी कैसे सुधारना, उसके सिस्टम्स और उसके व्यवस्थाओं को सुधारना यह एक प्रकार से एक व्यापक सोच कि हर गरीब, हर मध्यम वर्गीय के जीवन में परिवर्तन हो, एक ईमानदार व्यवस्था देश में चले, यह काम जो मोदी सरकार ने किया है मुझे पूरा विश्वास है यह भारत की जनता इसको नज़रंदाज़ नहीं करेगी इसको एप्रीशियेट करेगी और इसी पयमाने पर अगले एक वर्ष भी हम काम लगातार करते रहेंगे| देश के 125 नागरिक को छूने वाली व्यवस्थाएं कैसे और ईमानदार हों, कैसे और सुदृढ़ हों, अच्छी हों और कैसे जनता तक लाभ पहुंचाने में हम सफल हों यह हमारी प्राथमिकता है|

प्रश्न: पीयूष जी जब चार साल पहले यह सरकार बनी थी चार साल से कुछ पहले, थोड़ा 2-4 दिन जोड़ लेंगे तब ऐसा नहीं लगता था कि जो मंत्रालय आपको मिले हैं वह बहुत आसान मंत्रालय हैं – कोयला और पॉवर – दो बहुत विकट मंत्रालय थे बहुत विकट समस्याओं से जूझ रहे थे, कोयले के कारोबार के बारे में तो तरह-तरह की कहावतें हैं कि इसमें हाथ डालते ही हाथ काला होता है| इसके बावजूद कोयले में आपने बहुत क्रांतिकारी काम किया और यह बिलकुल क्रेडिट दिया जाना चाहिए कोयले में भी, पॉवर में भी| कोयले में लेकिन एक काम जो बचा हुआ है आपने एक कमर्शियल माइनिंग की बात कही है, निजी क्षेत्र को उसमें बढ़ावा दिया जायेगा तो यह क्या 2019 के चुनाव से पहले हम यह कमर्शियल माइनिंग को ज़मीन पर उतरते हुए देख लेंगे?

उत्तर: हो सकता है, इसमें हमने कभी भी कोई विषय को प्रेस्टीज इशू नहीं बनाया, हर एक स्टेकहोल्डर के साथ चर्चा करना, मार्किट कंडीशन देखना और उसके हिसाब से अपना काम करना| आपने देखा होगा गत वर्षों में 2-3 ऑक्शन ऐसी गयी कोयले की खदानों की जिसमें पर्याप्त मात्रा में डिमांड नहीं थी, कैंसिल करनी पड़ी| इसके कारण थोड़ा हम स्लो चल रहे थे कि शायद अब पर्याप्त मात्रा में कोल इंडिया लिमिटेड और एसईसीएल कोल प्रोडक्शन कर रहा है जिससे लोगों की पूरी डिमांड मीट हो रही है और इसलिए कोयले के ब्लॉक्स में ज्यादा रुची नहीं थी| अब वापिस कोयले की डिमांड भी बढ़ी है कोयले में रुची भी आई है हमने उसपर पुनः विचार करना शुरू किया है जिसके लिए सभी स्टेकहोल्डर से चर्चा का काम हम सबने शुरू कर दिया है|

Ends.

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