Speeches

June 2, 2018

Speaking at Interaction with Intellectuals, in Jodhpur

जिनका प्यार, जिनका आशीर्वाद मुझे लगातार कई वर्षों से मिलता रहा है और जब भी मैं जोधपुर आया हूँ पहले हर बार इनका जो स्वभाव है, इनका जिस प्रकार से सभी अतिथियों के प्रति सम्मान करने का रीति-रिवाज है उसका मुझे भी लाभ मिला जिसके लिए मैं सदैव उनका कृतज्ञ रहूँगा|

हमारे जोधपुर के सांसद, मंत्रिमंडल में मेरे सहयोगी श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत जी जिन्होंने एक चीज़ तो हम सबको, प्रधानमंत्री सहित हम सबको बहुत अच्छी तरीके से सिखाई थी, शायद उनको याद होगा – कोरा, यह कोरा एक सोशल मीडिया का साइट है जिसकी जानकारी मुझे भी नहीं थी जब इन्होंने एक बार हमारी संसदीय पार्टी की बैठक में इंट्रोड्यूस किया कि कैसे इन्होंने कोरा के माध्यम से सीधा जनता के साथ अपने आपको जोड़ा, उनके प्रश्नों का समाधान किया| वास्तव में एक स्कूल टीचर की तरह वहां पर उन्होंने उसकी जानकारियां हमें दे दी| और अच्छी बात है कि एक एजुकेशनल सिटी का प्रतिनिधित्व करते हैं लोकसभा में|

हमारे दूसरे मंत्री माननीय श्री पीपी चौधरी जी, पाली क्षेत्र से हैं, लगा हुआ है जोधपुर के भी कुछ हिस्से उनके क्षेत्र में आते हैं| और यह दोनों सांसद ऐसे हैं जो बाकी मंत्रियों को बहुत तंग करते हैं| अपॉइंटमेंट वगैरा तो दूर की बात है, सीधा कमरे में घुसकर और इतनी डिमांड, मैं तो चौधरी जी की उस दिन लिस्ट निकाल रहा था कुछ 50 तो स्टॉपेजिस मांग रखे हैं इन्होंने|

और जिस बुलेट ट्रेन की स्पीड से गजेन्द्र जी अपना यहाँ भाषण दे रहे थे उतनी ज्यादा उनकी डिमांड लेकर पहुँच जाते हैं, अब मुझे वित्त विभाग का तो आज पहली बार डिमांड आया है, अभी तक तो रेलवे और पहले बिजली के क्षेत्र में आते थे| पर वास्तव में हम सबका सौभाग्य है कि दोनों हमारे सांसद और दोनों सहयोगी मंत्री जिस निष्ठा के साथ जनता की सेवा, आप सबकी सेवा में जुटे हुए हैं मैं समझता हूँ राजस्थान के लिए और हम सबके लिए बहुत गर्व की बात है|

हमारे महापौर, जोधपुर के, श्री घनश्याम ओझा जी, और मैं आपको बधाई दूंगा आपके प्रयासों से एयरपोर्ट का भी विस्तार होगा और जोधपुर की जो एक अपने आपमें सुन्दर लुक है, एक नीली नगरी के रूप में उसको आपने बहुत अच्छी तरीके से संभालकर रखा है|

हमारे भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष शहर के देवेन्द्र जोशी जी, ग्रामीण श्री भोपा सिंह जी| नारायण प्राचार्या जी का फ़ोन आता है तो एकदम सब अपने संघ में जैसे कहते हैं दक्ष हो जाते हैं, क्योंकि हमारे चीफ व्हिप हैं और इनका आदेश आये और मैं नहीं पहुंचूं समय पर तो मेरी तो सदस्यता और मंत्रिमंडल दोनों ही साथ में जायेंगे| तो एक प्रकार से व्हिप जो होता है वह तो मालिक होता है पूरे हाउस का| पर बहुत ही प्यार से बहुत ही सबके साथ मिलजुल कर नारायण जी का सहयोग रहता है हम सबके लिए|

भारतीय जनता पार्टी के उपाध्यक्ष श्री राजेंद्र गहलोत जी, और मैं समझता हूँ नाम तो सभी के लिए गए हैं, सभी माननीय विधायकगण, राज्य सरकार के मंत्रीगण, सभी जनप्रतिनिधि जो आज यहाँ उपस्थित हैं और विशेषकर जोधपुर के प्रबुद्ध नागरिकगण, महानुभाव, अलग-अलग चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स के, ट्रेड एसोसिएशन के, व्यापार और उद्योग जगत से जुड़े हुए सभी मान्यवर, नागरिक भाईयों और बहनों, मीडिया के मित्रों|

वास्तव में जब गजेन्द्र जी ने पहले कहा कि जोधपुर आना है तब मेरे मन में इसलिए भी उत्साह था क्योंकि कई दिनों से यह हमसफ़र ट्रेन बांद्रा से जोधपुर जो आनी थी इसकी चर्चा, इसके बारे में दो-तीन, चार बार तो हमारी बैठकें हो चुकी हैं, राजस्थान के सभी माननीय सांसदों का भी आग्रह था कि मुंबई में बहुत लोग रहते हैं जोधपुर के, पाली के और पूरे अपने मारवाड़ क्षेत्र के|

और जब मैं मुंबई जाता था तो वहां पर प्रेशर आता था लोकल राजस्थान के हमारे संघटनाओं से तो मेरे लिए दोनों संकट का विषय था कि मुंबई से इसको फ्लैग-ऑफ करूँ कि जोधपुर से फ्लैग-ऑफ करूँ| और जब गोहेन जी आये उन्होंने एक ट्रेन दक्षिण भारत के लिए फ्लैग-ऑफ करी थी तो मुझे लगा था जोधपुर का कोटा हो गया अब यह ट्रेन मैं मुंबई से कर लूँगा, थोड़ा बहुत हम भी राजनीतिक लाभ ले लेंगे मुंबई में इसका|

लेकिन फिर यह दोनों आपके प्रतिनिधियों ने बहुत तंग करके इंसिस्ट किया कि जोधपुर से इसको आपको हरी झंडी दिखानी होगी तो मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि मुंबई से आकर मैं मुंबई वापिस यहाँ से ट्रेन लेके जाने वाला हूँ|

जोधपुर एक सुन्दर शहर तो है ही पर्यटन के क्षेत्र में लेकिन एक बहुत प्रमुख शिक्षा का केंद्र भी बन चुका है और मैं स्वयं एक चार्टर्ड अकाउंटेंट होने के नाते महसूस करता हूँ कि शायद जितने ज्यादा विद्यार्थी यहाँ सीए की पढ़ीई के लिए जोधपुर आते हैं शायद ही और किधर जाते होंगे| तो आप सबका धन्यवाद भी करूँगा कि आप इस देश को अच्छे चार्टर्ड एकाउंटेंट्स तैयार करके भेजते हैं, अच्छी शिक्षा प्रदान करते हैं उनको और आगे देश की सेवा में यहाँ से निकले हुए इंजीनियर, चार्टर्ड अकाउंटेंट, मेडिकल स्टूडेंट्स, अलग-अलग क्षेत्र में जाकर पूरे देश और दुनिया में जोधपुर का नाम, राजस्थान का नाम और भारत का नाम रोशन करते हैं|

हैंडीक्राफ्ट के बारे में भी आज ज़िक्र हुआ, कुछ लोगों ने यह भी मुझे बताया कि हैंडीक्राफ्ट इंडस्ट्री में जीएसटी रिफन्ड्स की कुछ समस्याएं कुछ समय से चल रही हैं| मुझे याद है मार्च के आखिरी 15 दिनों में एक पखवाड़ा बनाया गया था जिसमें जीएसटी रिफन्ड्स को अक्रॉस दी टेबल सॉर्ट आउट करके देने की कोशिश की गयी थी| मुझे पता नहीं उसकी जानकारियां यहाँ पहुंची हैं कि नहीं लेकिन 31 मई से हमने फिर एक बार 15 दिन का एक समय निश्चित किया है और देश भर में सभी प्रमुख स्थानों पर जीएसटी के अधिकारियों को नियुक्त किया है केंद्र के भी राज्य के भी जो अभी तक जो भी समस्याएं अगर जीएसटी रिफंड को लेकर एक्सपोर्टर्स को बाकी उद्योग जगत या व्यापार जगत से जुड़े हुए establishments को है, उसके लिए हमने एक सरल रास्ता ढूंढ निकाला है, जिनके केसेस 10 लाख से नीचे रिफंड के हैं जिसमें कुछ न कुछ मैचिंग नहीं हो रहा है या इनवॉइस में या जीएसटी रिटर्न में कुछ समस्या है उनको सेल्फ-सर्टिफिकेशन देने का प्रावधान बना दिया है| 10 लाख से नीचे जितने छोटे व्यापारी हैं वह खुद सर्टिफ़ाय कर दें कि उनके हिसाब से रिफंड कितना बनता है और आपको तुरंत रिफंड दे दिया जायेगा और 10 लाख से ऊपर जो केसेस हैं उनको एक चार्टर्ड अकाउंटेंट का एक सर्टिफिकेट आप दे दें|

यह ज़रूर ध्यान रखें कि सेल्फ-सर्टिफिकेट या सीए सर्टिफिकेट में गलती न हो, कहीं बाद में जाकर उस गलती के ऊपर कोई बिना बात आपको तकलीफ न आये, तो केयरफुली 10 लाख से नीचे आप खुद सर्टिफ़ाय कर सकते हैं, 10 लाख से ऊपर आप सीए से ऑडिट कराकर सर्टिफ़ाय करवादें| और इस 15 दिन के भीतर जीएसटी अथॉरिटी आपके लिए उपलब्ध रहेगी, आप उनको सबमिट कर दें तो तुरंत बिना कोई प्रश्न पूछे आपको वह जीएसटी रिफंड दे दिया जायेगा| और फाइनल ऑडिट के समय अगर कुछ एडजस्टमेंट होती है तो उसको पूरी तरीके से सेटल करके क्लोज़ कर दिया जायेगा|

और वास्तव में अगर हम इतना बड़ा बदलाव इस देश में करने में सफल हुए हैं वह इसलिए सफल हुए हैं कि पूरा उद्योग जगत, पूरा व्यापारी समाज पूरी तरीके से इस जीएसटी के पीछे सरकार के साथ खड़ा रहा है| कुछ शुरू में तकलीफें भी झेलनी पड़ी, कुछ शुरू में नया सिस्टम, नयी प्रक्रिया होने के कारण स्वाभाविक है कि इतना बड़ा बदलाव जब होता है तो थोड़ी दिक्कतें आती हैं| और यह शायद विश्व में पहला बड़ा देश है, आज तक कोई भारत जितने बड़े देश ने साहस नहीं किया है जीएसटी जैसा एक कानून देश में 40 टैक्स और सेसिज़ को जोड़कर एक बनाना, एक ही रेट हो पूरे देश में| इतने बड़े देश में लागू करने का साहस मात्र प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी में था जिसके कारण आज यह पूरा देश एक हो चुका है, एक मार्किट बन चुका है और लगभग सेटल हो गयी हैं काफी मात्रा में सब चीज़ें|

जो आपको देखने के लिए मिला परसों ही या रादर कल ही जीएसटी के फिगर्स आये अप्रैल के जीएसटी जो कलेक्शन हुई है, उसके फिगर्स कल ही रिलीज़ हुई है| और आपने देखा होगा कि जीएसटी कलेक्शन 94,000 करोड़ की अप्रैल 2018 की कल अन्नौंस हुई| अब यह अपने आप में एक रिकॉर्ड है| कुछ लोगों ने ग़लतफ़हमियाँ आई कुछ लोगों को कि मार्च में एक लाख करोड़ था तो अप्रैल में 94,000 करोड़ कैसे हो गया, तो मुझे लगा कि आज आप सबको मिलने वाला हूँ तो यह स्पष्टीकरण भी कर दूं कि अप्रैल एक ऐसा महीना रहता है जिसमें 12 महीने का सबसे कम टैक्स कलेक्शन सालों साल से यह चले आ रहा है|

मैंने पिछले 5 साल के आंकड़े कल निकलवाए तो लगभग जो साल में कलेक्शन होती है इंडायरेक्ट टैक्सेज की उसका 7.1% तो 100 रुपये में सिर्फ 7 रुपये अप्रैल के महीने में कलेक्ट होते हैं और मार्च के महीने में सबसे अधिक होते हैं, 11% के आस पास| तो अगर उस परिप्रेक्ष्य में आप अप्रैल का फिगर देखें, 94,000 करोड़ अप्रैल में होना अपने आप में दर्शाता है कि जीएसटी एक सफल प्रयोग रहा है और जीएसटी को इस देश ने अपनाया है, सफलता से अपनाया है| और सैंकड़ों चीज़ों के जीएसटी रेट्स कम करने के बाद भी जो 94,000 करोड़ का कलेक्शन अप्रैल में हुआ है इससे इस वर्ष का, पूरे वर्ष का जो जीएसटी कलेक्शन है यह एक्ससीड कर जायेगा बजट के टारगेट को यह लगभग सिद्ध हो गया है अप्रैल के कलेक्शन से और मैं इसके लिए आप सभी को तहे दिल से बहुत-बहुत बधाई देता हूँ|

कोई भी परिवर्तन जब आप करने जाते हो तो वह जनभागीदारी से ही सफल हो सकता है, कोई भी सरकार हो, केंद्र में हो, राज्य में हो, स्थानीय इकाई हो| जब काम करना होता है तो नेतृत्व ज़रूर कुछ लोग दे सकते हैं लेकिन सफलता सिर्फ जनभागीदारी से होती है| और उसमें जो बुद्धिजीवी वर्ग है जो प्रबुद्ध नागरिक होते हैं उनका एक बहुत बड़ा योगदान रहता है नेतृत्व भी देने में और लोगों को जोड़ने में, लोगों को बदलाव के साथ जोड़ने में, लोगों को परिवर्तन समझाने में और परिवर्तन के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने में|

और मैं समझता हूँ आइंस्टीन का एक कहना होता था जो बहुत रिलेवेंट है जब हम बदलाव और ट्रांसफॉर्मेशन की बात करते हैं, आइंस्टीन ने कहा था – ‘The world is a dangerous place not because of those who do evil, but because of those who look on and do nothing about it.’ यह आज संसार में अगर संकट हैं कुछ समस्याएं हैं वह बुरे लोगों की वजह से नहीं है, वह उन लोगों की वजह से नहीं है जो बुराई करते हैं वह उन लोगों की वजह से है जो अपने आपके सामने बुराई होते हुए देखते हैं और उसके बारे में कुछ नहीं करते|

और मैं समझता हूँ माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी की सरकार जिस दिन से आई उस दिन से प्रतिबद्ध रही है कि अगर हमें इस देश को अंतर्राष्ट्रीय स्तर का एक आर्थिक, मज़बूत, प्रगतिशील देश बनाना है, अगर हमें भारत को जगतगुरु बनाने का सपना देखना है, अगर हमें इसको एक सुपर पॉवर के रूप में उभारना है वह तभी हो सकता है जब इस देश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाएं, एक ईमानदार देश बनाएं और इस देश में सभी लोग इसमें मिलकर, मेहनत करके इस देश से भ्रष्टाचार को मिटायें|

और मैं समझता हूँ पहले दिन से, पहली कैबिनेट मीटिंग में एसआईटी बनाई गयी काले धन के खिलाफ और उसके लिए लगातार अलग-अलग प्रयासों से सरकार प्रतिबद्ध रही है कि कैसे सरकार के काम करने की प्रणाली को बदला जाये, जनता की सोच को बदला जाये और इस देश के पूरे काम करने के ढंग को कैसे बदला जाये| और इसलिए पहले दिन से इस सरकार ने जो-जो काम अपने हाथों में लिए उसको कुछ मूल सिद्धांतों के आधार पर लागू किया, कुछ मूल सिद्धांतों के आधार पर योजनायें बनाई और इन योजनाओं को ज़मीन पर, धरातल पर लागू किया|

जब सरकार आई तो हमारे सामने दो मार्ग थे, एक मार्ग था कि हम शॉर्ट टर्म फटाफट काम करें, शॉर्ट टर्म फटाफट काम बैंड-ऐड सलूशन की तरह होता है, किधर चोट लगी आप एक बैंड-ऐड लगा दो खून रुक जाता है लगता है कि ठीक हो गया है| परन्तु उससे ठीक नहीं होता है और यह जो आपका इतना सुन्दर एम्स का परिसर है जिसमें आज सौभाग्य मिला है इस कार्यक्रम को करने का, इसके कोई भी डॉक्टर, कोई भी कर्मचारी को पूछलो तो वह बताएगा नहीं आपको जड़ से बीमारी को निकालना पड़ता है|

आपको सिर्फ बैंड-ऐड लगाकर काम नहीं चलेगा, आपको टेटनस का भी इंजेक्शन लगाना पड़ेगा कि यह बीमारी फैले नहीं, आपको अन्दर एंटीसेप्टिक भी लगाना पड़ेगा जिससे खून सिर्फ थोड़ी देर के लिए नहीं रुके, परमानेंटली उसका इलाज हो जाये| आपमें से कई लोगों ने अपनी दुकान को, अपने घर को शायद इंटीरियर डेकोरेटर से सुन्दर बनाने का काम भी किया होगा| कुछ महिलाएं यहाँ पर हैं जिनको ध्यान होगा कि जब घर में हम इंटीरियर डेकोरेशन का काम करते हैं तो कितनी तकलीफें झेलनी पड़ती हैं|

महाराज जी ने अपने होटल में भी कभी न कभी रंग का काम किया होगा और ध्यान होगा कि रंग करने के भी दो तरीके होते हैं, एक होता है कि ऊपर ही एक कोट मार दो डिस्टेंपर का या ऑइल पेंट का या इपोक्सी का क्योंकि दीवारें उसके ऊपर एक पेंट हाथ मार दो बड़ा सुन्दर दिखता है| एक-दो दिन, चार दिन के अन्दर पूरा रूम सुन्दर सज जायेगा और पेंट लग जायेगा, लगेगा यार, कितना मज़ा आ गया, चार दिन के अन्दर घर सुन्दर लगने लग गया, दुकान सुन्दर हो गयी|

लेकिन जो अन्दर दीमक लगी हुई होती है, या जो अन्दर इसके भीतर पानी घुस गया होता है या ख़राब हुई होती है दीवार वह बहुत जल्द इस कोट ऑफ़ पेंट को ख़राब कर देती है, पैसा भी बेकार होता है जो हम करते हैं और फिर एक बार दीवार ख़राब हो जाती है| कोई इंटीरियर डेकोरेशन में जब सोफा बनाने जाते हैं अगर आप फिर ऊपर-ऊपर उसका सोफा का कवर चेंज कर दो तो बड़ी आसानी से कवर चेंज हो जायेगा, सुन्दर लगेगा सोफा, लेकिन अन्दर के स्प्रिंग अगर ख़राब हो, कुशन ठीक से नहीं किया हुआ हो तो बहुत जल्द वह सोफा फिर बैठ जायेगा, फिर ख़राब हो जायेगा, फिर ढीला हो जायेगा उसकी अप्होल्स्ट्री|

इसी प्रकार से जब देश में हम बदलाव करना चाहते हैं तब जब तक आप मूल जड़ में नहीं जायें, समस्या के जड़ के अन्दर नहीं जायें, पूरी तरीके से समस्या में रूट कॉज़ एनालिसिस करके हमें क्या करना है जिससे आगे चलकर ऐसी समस्या वापिस देश के समक्ष नहीं आये, जब तक उसपर नहीं ध्यान दिया जायेगा तब तक मैं समझता हूँ देश समस्याओं में ही जूझता रहेगा| हो सकता है शॉर्ट टर्म फटाफट कुछ सलूशन से थोड़े दिनों के लिए आपको राहत दिखेगी, मिलेगी लेकिन वह सस्टेनेबल नहीं होगा, वह लम्बे अरसे तक जनता की सेवा नहीं कर पायेगा|

मुझे याद है जब 204 कोयले की खदानों को सुप्रीम कोर्ट ने कैंसिल किया अगस्त-सितम्बर 2014 में, नया-नया कोयले का मंत्री बना था, वैसे ही सब ने डराके रखा था कि भाई कोयले का क्या मंत्री बन गया यह तो कोयले की खदान में तो हाथ काले होने ही होने हैं| पर बिना हाथ काले किये, बिना मुंह काला किये माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के आशीर्वाद से, उनकी गाइडेंस में हमने पूरी प्रक्रिया को जड़ से सुधारते हुए एक नीलामी की ईमानदार प्रक्रिया देश के समक्ष रखी, कानून व्यवस्था बदली और जो पहले के ज़माने में मुफ्त में दिए जाते थे कोयले की खदानें, भाईयों को, भतीजों को, अपने पार्टी के सांसदों को, मंत्रियों को, उनके रिश्तेदारों को, उस सबको ख़त्म करके एक पारदर्शी नीलामी के तरीके से कैसे कोयले की खदानें जनता की सेवा में जा सकें|

और उन खदानों में नीलामी करके जो आय आती है, जो रॉयल्टी और जो ऑक्शन का जो पैसा आता है वह पैसा कैसे राज्य सरकारों में जाकर जनता की सेवा के योजनाओं में लग सके उसको पूरा सुनिश्चित करके जड़ से सुधारते हुए ईमानदार व्यवस्था को ऐसा बनाया कि आजसे 100 साल बाद भी कोई और आकर इस व्यवस्था को छेड़खानी नहीं कर सके यह ईमानदार व्यवस्था परमानेंट कर दी इस देश में|

और यह इस सरकार का काम करने का सोच रहा है, हर चीज़ का कैसे रूट कॉज़ एनालिसिस किया जाये, कैसे काम को प्रायोरिटाइज़ किया जाये, कौन से काम को पहले करना, कौन सा काम करने से देश की समस्याओं का हल जल्दी निकलेगा, कौन सा सबसे ज़रूरी है जनता के लिए| और उसके मैं कई उदाहरण दे सकता हूँ कि कैसे काम को प्रायोरिटाइज़ किया गया, यहाँ पर हो सकता है कुछ लोगों को लगे कि स्वच्छता क्या बड़ी बात है| स्वच्छता की बात प्रधानमंत्री के लेवल पर क्यों की गयी?

भाईयों बहनों स्वच्छता मेरे हिसाब से और खासतौर पर जोधपुर के हिसाब से देखें तो इतनी अहम भूमिका रखती है कोई भी देश के निर्माण के लिए क्योंकि स्वच्छता के साथ जुड़ा हुआ है हम सबका रहने का हिसाब-किताब, काम करने का ढंग, उससे जुड़ा हुआ है पर्यटन का क्षेत्र, सबसे ज्यादा उससे जुडाव है तो स्वास्थ्य का है| एक स्वच्छ समाज देश को अच्छी दिशा पर लेकर जाता है, एक स्वच्छ वातावरण हमें स्वास्थ्य में अच्छा स्वास्थ्य देता है हर नागरिक को अच्छा स्वास्थ्य देता है|

और जब पूरा देश स्वच्छ होगा तभी तो जाकर दुनिया भर के लोग देश में आना चाहेंगे, उनको सब फैसिलिटीज़ मिलेंगी सब जगह, आप सब जानते होंगे कई जगह पर्यटक आकर परेशान होते थे कि बड़ी गंदगी है चारों तरफ| मैं ट्रेनों में आज कल सफाई के काम में लगा हुआ हूँ कैसे स्टेशनों को और सुधारा जाये, पिछले 4 सालों में काफी परिवर्तन आया, उसको अब नेक्स्ट लेवल तक लेकर जाने का काम कर रहे हैं|

पर जब पूरा देश साफ़ होता है, और हम जब विदेश जाते हैं हम ही लोग, हम अपने यहाँ पान थूकने में हिचकिचाहट नहीं करते हैं, कुछ पेपर है उसको फोल्ड करके फेंकने में हिचकिचाहट नहीं करते हैं| लेकिन विदेश जाते हैं तो पेपर फोल्ड करके अपनी जेब में रख देते हैं क्योंकि वातावरण ऐसा है, आस पास में किसी को देखते हैं तो कोई थूकता नहीं है, कोई कचरा नहीं फेंकता है| तो ऐसे ही क्या हमारा देश सुन्दर नहीं हो सकता है?

जब जनभागीदारी हो जाये सबकी और देश सुन्दर और साफ़ हो जाये तो स्वास्थ्य के ऊपर खर्चा भी कम हो जायेगा सबका, काम करने में, रहन-सहन में अच्छा लगने लगेगा| इसलिए माननीय प्रधानमंत्री जी ने अपने पहले ही दो-तीन प्रमुख प्रोग्रामों में जब तय करना था तो उसमें स्वच्छता को एक प्राथमिकता दी, उसमें बिजली को प्राथमिकता दी कैसे पूरे देश भर में हर एक को बिजली पहुंचा सके, उसमें उज्ज्वला योजना को प्राथमिकता दी, कैसे पूरे देश में हमारी कोई माता-बहन को 400 सिगरेट का धुआं अन्दर नहीं लेकर जाना पड़े रोज़ और उनको मुफ्त में एलपीजी का कनेक्शन मिल सके, प्राथमिकता दी जन धन योजना की और आज 31 करोड़ नए खाते देश के गरीबों के खुले हैं, गाँव-गाँव में जाकर खुले हैं जिससे देश के लगभग हर परिवार को आज कम से कम एक खाता है, अधिकांश महिलाओं के नाम पर खाते खोले गए, सुरक्षा बीमा को प्राथमिकता दी जिससे देश में लगभग 13 करोड़ लोगों को एक्सीडेंट इंशुरन्स मात्र 12 रुपये साल में मिलती है, 5 करोड़ 22 लाख परिवारों को 90 पैसा प्रति दिन देने से कुछ भी वजह से उनका देहांत हो जाये या कोई उनको डिसएबिलिटी हो जाये, काम करने लायक नहीं रहे तो उनको 2 लाख रुपये मिलने का प्रावधान किया|

अलग-अलग प्रकार से जो रोज़मर्रा के जीवन में जो समस्याएं एक गरीब को देखनी पड़ती हैं उसपर माननीय प्रधानमंत्री जी ने प्राथमिकता देते हुए प्रायोरिटाइज़ किया कि क्या काम ज्यादा ज़रूरी है पहले करना उसकी चिंता की, समय सीमा में यह सब योजनायें लागू हों उसको निर्धारित किया, एक समय दिया कि देश के जो बाकी 18,452 गावों हैं उनको 1000 दिन के अन्दर बिजली पहुंचाना है तो 1000 दिन के अन्दर पूरे 18,452 गावों और उसके ऊपर 1200 और गावों निकले जो सूची में नहीं थे उन सब तक बिजली पहुंचाई| और वह इसलिए पहले प्राथमिकता दी कि जब तक गावों में नहीं बिजली पहुंचेगी तो घर तक कैसे पहुँच सकते हैं| दूर-दूर तक जो मजले-टोले ढाणी हैं उन तक कैसे पहुंचेंगे|

और अब सौभाग्य योजना से जो भी व्यक्ति चाहे उसके घर तक कनेक्शन देने का बीड़ा माननीय प्रधानमंत्री ने उठाया और उसको भी हम अगले 9-10 महीनों में पूरी तरीके से करके आज़ादी के बाद ऐसे जो करोड़ों विद्यार्थी हैं जिनको आज तक बिजली नहीं मिली है, ऐसे करोड़ों जो नागरिक हैं जिनको पीढ़ियों तक बिजली से वंचित रखा गया उन सब तक बिजली पहुंचाने को प्राथमिकता देते हुए आज हमें हर्ष है कि देश में सरप्लस बिजली है, देश में पर्याप्त बिजली है जितनी देश की ज़रूरतों के लिए चाहिए, पर्याप्त कारखाने हैं जो और बिजली बना सकते हैं, बड़े रूप में नवीकरणीय ऊर्जा को प्रोत्साहन दिया जा रहा है जिससे पर्यावरण की भी चिंता को हम समाधान ढूंढ सकें, जलवायु परिवर्तन का जो बड़ा समस्या है विश्वभर के उसमें भी भारत एक तेज़ गति से सुधार लाये अपने देश में|

और अलग-अलग चीज़ों में इस प्रकार से प्रायोरिटाइज़ करके, इस प्रकार से किन कामों को पहले करना इसको इस सरकार ने बड़े सोचे सुलझे ढंग से लागू किया| इसी प्रकार से एक और सिद्धांत पर इस सरकार ने काम किया कि बजट में प्रावधान कर दिया यह सिर्फ पर्याप्त नहीं है, आउटले जिसको बोलते हैं, बजट आउटले, बजट में हमने पैसा दे दिया तो हमारी ज़िम्मेदारी नहीं ख़त्म होती| जब तक उस पैसे का सदुपयोग नहीं हो, जब तक उस पैसे से जो आउटकम जो निर्णायक परिवर्तन होना चाहिए जब तक वह जनता तक नहीं पहुंचे जब तक उसका प्रमाण सरकार तक नहीं पहुंचे तब तक कोई मंत्री हो या कोई अधिकारी हो वह चैन से नहीं बैठ सकता है|

आउटकमज़ क्या होते हैं पैसा जो खर्च होता है उसका उसपर पूरा बल दिया गया और यह तभी हो सकता था जब हर एक व्यक्ति का जन धन खाता खुले| आखिर लाखों करोड़ रुपये जब सब्सिडी के रूप में, या स्कालरशिप के या एलपीजी की सब्सिडी या बेनिफिट के रूप में जनता तक पहुंचना होता है तो वह पहुँचता है और जीवन में परिवर्तन करता है तो वह आउटकम बनता है| सिर्फ पैसा दिल्ली से निकलता है पर शायद लाभार्थियों तक पूरा नहीं पहुँचता है तो वह सिर्फ मात्र एक आउटले बनके रह जाता है|

और आपको याद होगा एक पूर्व प्रधानमंत्री जिस परिवार की तीन पीढ़ियों ने इस देश पर शासन किया, चौथी पीढ़ी शायद शेख चिल्ली के सपने देख रही है उस परिवार ने कभी यह नहीं चिंता की कि 100 रुपये दिल्ली से निकलते हैं तो वास्तव में गरीब जनता तक पहुँचते हैं कि नहीं? उन्होंने तो बोल दिया पूर्व प्रधानमंत्री जी ने, एक्नॉलेज कर दिया, बोल दिया कि 100 रुपये हम दिल्ली से भेजते हैं तो मात्र 15 रुपये जनता की जेब में आता है|

माननीय प्रधानमंत्री जी ने इसको स्वीकार नहीं किया, मोदी जी ने इसको स्वीकार नहीं किया इस परिस्थिति को| जैसे मैंने शुरू में कहा अगर यह परिस्थिति को आप स्वीकार कर लो तो यह एक ज्यादा बड़ा खतरा है देश के लिए कि ऐसा नेता जो स्वीकार कर लेता है कि 100 रुपये निकलते हैं 15 रुपये पहुँचते हैं पर मैं क्या करूँ| यह ‘मैं क्या करूँ’ वाली सोच माननीय प्रधानमंत्री जी की नहीं है, उन्होंने सोच-समझकर खाते खोले और सुनिश्चित किया कि खातों में सीधा डायरेक्ट बेनिफिट ट्रान्सफर से लाभार्थी की जेब में पूरा पैसा जाये, शत-प्रतिशत पैसा लाभार्थी को मिले|

और ऐसे 20 करोड़ से अधिक परिवारों को आज एलपीजी सब्सिडी सीधा खाते में मिल रही है| 431 सरकारी स्कीमों का पैसा आज सीधा लाभार्थियों के खाते में जाता है, अभी तक 3,65,000 करोड़ से अधिक डायरेक्ट बेनिफिट ट्रान्सफर के माध्यम से लोगों के खाते में गया है| और अगर वह पूर्व प्रधानमंत्री के हिसाब-किताब से जोडें और मैं तो राजस्थान में बैठा हूँ जहाँ बहीखाता तो मुझे लगता है पैदा होने के दिन से ही हम सब समझते हैं अच्छी तरीके से, अगर यही 3,65,000 करोड़ रुपये पुरानी सरकार, कांग्रेस की सरकारों की व्यवस्था के हिसाब से जनता की, लाभार्थियों की जेब में देना होता तो आप कैलकुलेट कर लीजिये 20 लाख करोड़ दिल्ली से देने पड़ते, 3,65,000 करोड़ फिर जाकर जनता की जेब में आते, 100 में से 15 ही पैसे आते थे उस ज़माने में|

पर प्रधानमंत्री मोदी जी ने एक-एक पैसा जो दिल्ली से निकलता है वह सीधा लाभार्थी की जेब में जाये, लाभार्थी के हाथ में आये इसको सुनिश्चित करके और उसके लिए पूरी योजनाओं को बनाना यह होता है आउटकम ओरिएंटेड एक्शन – क्या लाभ होगा उसपर चिंता करो बजाये कि सिर्फ बजट में कितना पैसा दिया है उसकी चिंता करना| इसी प्रकार से जो भी काम शुरू करो उसको समय सीमा में ख़त्म करना|

आज जब मैं जोधपुर आ रहा था तो मैं कुछ रिपोर्ट्स देख रहा था रेलवे की योजनाओं का जो 25-25 साल पहले शुरू हुई – 25 साल पहले! कितनी ख़त्म हुई है अभी तक? कोई 15%, कोई 20%, कोई 5% – 25 साल बाद! घोषणा करते रहो, करते रहो, घोषणा करके लोगों को झांसे में रखो कि अब आने वाली है हमसफर ट्रेन-आने वाली है हमसफर ट्रेन! एक चुनाव में घोषणा करो, दूसरे चुनाव में बोलो बस थोड़े दिन में आ रही है, तीसरे चुनाव में बोलो निकल चुकी है पहुँचने वाली है|

प्रधानमंत्री मोदी जी ने रेलवे बजट ही बंद कर दिया क्योंकि वह एक राजनीतिक छल बन गया था जनता के साथ, सिर्फ अनाउंसमेंट पर अनाउंसमेंट करके सैंकड़ों योजनायें इस देश में अनाउंस हो गयी है, लोगों की उमीदें बंद गयी कि हमारे गाँव में रेल गाड़ी आने वाली है, हमारे गाँव में रेल की पटरी बिछने वाली है, हमारे गाँव में स्टेशन आने वाला है, लेकिन पीढ़ियाँ गुज़र गयी वह ना तो रेल गाड़ी आई, ना पटरी आई ना स्टेशन आया बस सपने ही सपने रह गए|

फिर प्रधानमंत्री जी ने कहा जब कोई चीज़ अनाउंस करो तो उसको समय सीमा में ख़त्म करने की भी साथ में योजना लेकर आओ उसके बगैर कैबिनेट में कोई प्रपोजल नहीं रहा| और आपको जानकर ख़ुशी होगी कि राजस्थान में जो पैसा रेल की सुविधाओं में हर वर्ष लगाया जाता था 2014 के पहले, 2009 से 2014 के आंकड़े मैं निकाल रहा था लगभग 680 करोड़ के आस पास, 682 करोड़ शायद अवसतम हर वर्ष राजस्थान में रेल सुविधाओं पर लगाया जाता था|

मोदी जी के आने के बाद यह बढ़कर 2,900 करोड़ रुपये प्रति वर्ष अवसतम हुआ – 4 गुना से अधिक! कहाँ 5 साल में 3,500 करोड़ रुपये राजस्थान को मिले रेल सुविधाएं और रेल का इंफ्रास्ट्रक्चर क्रिएट करने के लिए, कहाँ मोदी जी के 5 साल में लगभग 15,000 करोड़ रुपये सिर्फ राजस्थान को अकेले में| पूरे देश की देखो तो कहाँ 40,000 करोड़ रुपये अवसतम हर वर्ष 2009 से 2014 के बीच रेल में कैपिटल एक्सपेंडिचर इंफ्रास्ट्रक्चर में लगा, मोदी जी के समय में साढ़े आठ लाख करोड़ रुपये 5 साल में – साढ़े आठ लाख करोड़ रुपये!

और मैं समझता हूँ यह उनके दिल की सोच और समझ थी कि जब तक इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं आएगा रेल गाड़ी, सड़क, विमान के लिए सुविधाएं, वाटरवेज़ इसका अभी ज़िक्र एक शेखावत जी ने किया कि एक 600 किलोमीटर का कनाल सिस्टम बना लिया जाये तो पोर्ट तक कनेक्टिविटी राजस्थान को भी मिल सकती है| एयरपोर्ट का विस्तार हो तो हवाई जहाज़ से भी सफ़र हो सकता है, नेशनल हाइवेज रोल-आउट हो तो बड़े रूप में हो, भारत माला के तहत पूरे देश में एक व्यापक जाल राष्ट्रीय राजमार्गों का हो, रेल गाड़ी का काम हो तो जो काम 65 वर्ष में नहीं हुआ वह हमको जल्द से जल्द जनता तक पहुंचाना है|

जब सभी तरीके से होलिस्टिक डेवलपमेंट, बहुमुखी विकास देश का होगा तभी चलकर डिस्टेंपर का एक कोट लगाने के बदले हम जड़ से समस्या को सुलझा पाएंगे| आप लोगों में से कुछ लोगों ने सुना होगा अमेरिका के एक पूर्व राष्ट्रपति ने यह सवाल उठाया था कि क्या अमेरिका ने हाइवेज बनाये, राष्ट्रीय राजमार्ग बनाये या यह जो बड़ा जाल हाइवेज का अमेरिका में है उसकी वजह से अमेरिका आज एक सशक्त सुपर पॉवर बना – जॉन एफ कैनेडी ने यह प्रश्न उठाया था|

वास्तव में यह सोच का प्रश्न है आप सब सोचिये कि अगर हमें इस देश को सुपर पॉवर बनाना है, एक विश्व शक्ति बनानी है तो क्या यह सब कनेक्टिविटी ज़रूरी है कि नहीं है? क्या इन्टरनेट देश में हर गाँव-गाँव तक पहुंचे यह ज़रूरी है कि नहीं है?

आखिर अभी आपने चौधरी साहब को सुना उन्होंने स्पीड, स्किल और स्केल की बात करी जो माननीय प्रधानमंत्री कई बार कहा करते थे चुनाव के पहले भी और बाद में भी और जिसके ऊपर शायद हम सबकी बड़ी क्लास भी लगती है| काम स्पीड से होना चाहिए, काम का व्यापक विस्तार होना चाहिए और समझदारी से, स्किल से होना चाहिए|

ऑप्टिक फाइबर केबल, इन्टरनेट के लिए ज़रूरी होता है ऑप्टिक फाइबर केबल बिछाना, यह सरकार आने के पहले पूरे देश में 358 किलोमीटर ऑप्टिक फाइबर केबल केंद्र सरकार ने ले की, राज्य सरकारें भी उसके साथ जुडी हुई थी, 2014 के पहले 358 किलोमीटर! आज वह 2 लाख किलोमीटर से अधिक बढ़ गया है, स्केल पर काम हुआ|

एक उदाहरण में अपने विभाग का दे सकता हूँ जिससे मैं उम्मीद करूँगा आप सब लोगों ने, आप सब जुड़े होंगे और आप सबने उसका लाभ भी लिया होगा| माफ़ करिएगा अभी वह गजेन्द्र शेखावत जी ने इतना बड़ा भाषण दिया मुझे डर लग रहा है कहीं मैं उससे कम बोलूं तो आपको लगेगा कि मेरे पास बोलने के लिए कुछ नहीं है| पर अगर आपका साहस है तो मैं कल सुबह तक गिना सकता हूँ इतनी सारी योजनाओं की जानकारी लेकर आया हूँ|

पर मैं एलईडी बल्ब का एक छोटा उदाहरण देना चाहता हूँ, छोटी सी चीज़ है एलईडी बल्ब| मुझे याद है जब यह कार्यक्रम लॉन्च हुआ, 5 जनवरी 2015 को यह कार्यक्रम माननीय प्रधानमंत्री जी के कार्यालय से लॉन्च हुआ, उन्होंने स्वयं अपने हाथों से पीएमओ के बल्ब निकालकर एलईडी बल्ब वहां पर लगाए, स्वयं| तब केंद्र सरकार 2014 तक एलईडी बल्ब खरीदती थी, 7 वाट का एलईडी बल्ब एक सरकारी कंपनी है ईईएसएल वह 310 रुपये में खरीदती थी, उसके ऊपर टैक्स लगते थे, मार्केटिंग कॉस्ट, डिस्ट्रीब्यूशन कॉस्ट, ब्याज वगैरा जोड़कर कुछ 600 रुपये का पड़ता था वह बल्ब| उसमें 100 रुपये केंद्र सरकार सब्सिडी देती थी और सब्सिडी कोई आसमान से नहीं आती है भाईयों और बहनों, यह जो आप लोग टैक्स भरते हो यही सब्सिडी बनकर जाता है, यह आपका ही पैसा है| कोई हम अपनी जेब से दे रहे हैं या कोई हम खैरात दे रहे हैं ऐसा नहीं है, यह आप ही का पैसा आपको वापिस मिलता है|

तो एलईडी बल्ब 310 में 7 वाट का बल्ब ख़रीदा जाता था, टैक्स-वैक्स सब जोड़कर, खर्चे जोड़कर 600 रुपये का पड़ता था, आप ही के पैसे में से 100 रुपये सब्सिडी दी जाती थी और 500 रुपये में बिकता था| कितने बिकते थे साल में ईईएसएल द्वारा? साल में? 6 लाख बल्ब! निजी क्षेत्र के लोग कुछ और बल्ब बेचते होंगे मुझे याद है मेरी पत्नी ने सवा दो हज़ार रुपये के एलईडी बल्ब लिए थे जब मैंने अपने घर में लगाये थे मुंबई में, 5-6 साल पहले की बात है|

प्रधानमंत्री जी ने कहा यह मेरे देश की गरीब जनता तो 600 और 500 रुपये के बल्ब नहीं ले पायेगी और मुझे देश के हर घर में एलईडी बल्ब लगवाने हैं, सस्ते होने पड़ेंगे, लेकिन क्वालिटी एकदम बढ़िया, अंतर्राष्ट्रीय स्तर की, काम करो, मेहनत करो, रास्ते खोजो और देश में 77 करोड़ बल्ब चार वर्ष में बदलने का उन्होंने मेरे सामने लक्ष्य रखा – 6 लाख से 77 करोड़ मात्र 4 वर्ष में| 77 crore bulbs were to be changed in India in 4 years time 2015 से 2019 तक|

जब मैंने विभाग की बैठकें लेनी शुरू की तो मैंने पहले लक्ष्य रखा कि यह 310 रुपये को हमें डबल डिजिट में लाना है, लोगों को लगा कि मैं मज़ाक कर रहा हूँ| किसी ने तो, एक अधिकारी ने पूछ लिया, sir what do you mean by double digit? बड़े-बड़े अधिकारी होते हैं IAS officers वगैरा, मैंने कहा ‘double digit is double digit’, दो आंकड़ों में होता है, 99 रुपये से ज्यादा नहीं हो सकता| उसने कहा सर 310 का बल्ब 99 कैसे हो जायेगा? मैंने कहा ईमानदारी से खरीदेंगे, 99 रुपये से भी कम हो जायेगा|

और हमने पहले दिन से यह बल्ब बेचने की प्रक्रिया में बदलाव किया| पहली बात तो सब्सिडी ख़त्म करी, सब्सिडी कई बार बीमारी की जड़ होती है क्योंकि सब्सिडी के चक्कर में वॉल्यूम भी नहीं बढ़ता है, सब्सिडी अगर 100 रुपये मिलनी है और 100 करोड़ रुपये मिल गए तो एक करोड़ ही बल्ब आप बदल सकते हो| हमने सबसे पहले सब्सिडी ख़त्म की, दूसरा हमने कहा बचत देखते हैं कितनी होती है इससे| और यह तो स्वाभाविक है, 60 वाट का आप पुराने ज़माने का बल्ब घर में लगाते थे ना, 60 वाट, 40 वाट, 100 वाट का बल्ब लगाते थे| इसमें तो हम मारवाड़ी भाईयों बहनों को कुछ अकल लगाने की ज़रूरत नहीं है कि अगर 60 वाट का बल्ब आप 6 या 9 या 7 वाट से बदलोगे तो बिजली का खर्चा तो 15% रह जाएगा| 60 वाट एक घंटे में खर्च होगी बिजली या उसके बदले 9 वाट होगी तो 15% ही बिजली खपत होगी 15% ही बिल आएगा|

तो हमने कैलकुलेट किया तो ध्यान में आया कि एक बल्ब के पीछे 200-250 रुपये सालाना बच सकते हैं, एक बल्ब के पीछे! तो हमने कहा चलो ऐसा करते हैं, 10 रुपये शुरू में लेकर बल्ब दे देते हैं, अच्छा बिजली के उपभोक्ता तो पूरा बिजली का कनेक्शन होता है, नंबर होता है, भागकर नहीं जा सकते किधर, आप हर महीने बिजली के बिल में और 10-10 रुपये लेकर 12 महीने में 120-130 रुपये रिकवर करो| क्योंकि लक्ष्य रखा है कि 99 से ज्यादा तो बल्ब का दाम होना ही नहीं चाहिए था और सबको टेंशन कि कहीं नुकसान हो गया कुछ तो सीएजी रिपोर्ट आ जाएगी, सीबीआई पीछे पड़ जाएगी|

तब मुझे आइंस्टीन का भाषण याद आया कि कुछ ना करना बुराई में शामिल होने से ज्यादा ख़राब है, हमें कुछ करना चाहिए कि बुराई ख़त्म करें, ईमानदार व्यवस्था लायें और मुझे अटूट विश्वास था कि जब हम स्पीड, स्किल और स्केल से करेंगे काम तो कीमतें नक्की कम हो गयी| हर महीने दो महीने में टेंडर आता था, प्राइस घटती गयी, भाईयों बहनों एलईडी बल्ब जो 310 रुपये में 7 वाट का बल्ब खरीदती थी सरकार वह 9 वाट का बल्ब जिसमें 30% अधिक बिजली मिलती थी, 9 वाट का, मात्र 38 से 40 रुपये में खरीदने लग गयी सरकार|

और ऐरी-गैरी कंपनियों से नहीं, 38 रुपये की जब पहली प्राइस आई थी विश्व की सबसे बड़ी कंपनी फिलिप्स ने दी थी उस क्वालिटी का बल्ब| और आपको जानकर ख़ुशी होगी पहली मई 2015 को पहला बल्ब बिका था, आज 3 वर्ष और 1 महीना, 37 महीने हुए हैं, 48 महीने भी नहीं हुए इस प्रोजेक्ट को जो लक्ष्य रखा था, 77 करोड़ 4 साल में| अब 3 साल और 1 महीने हुए हैं देश में 90 करोड़ से अधिक बल्ब अब तक बिक चुके हैं|

और सालाना आप सबके बिल में, उपभोक्ताओं के बिल में 40,000 से 45,000 करोड़ रुपये सालाना बचत होती है बिजली के बिल में और जो आप लागत लगाते हो टैक्स और सब मिलाकर 60-70 रुपये में आज कल मिलता है लगभग वह आपका 4-5 महीने में ही, 3-4-5 महीने में ही उतनी आपकी बचत हो जाती है और फिर 6 साल, 7 साल अधिक भी वह बल्ब चलते रहते हैं|

ख़राब आसानी से नहीं होते हैं, पहले के बल्ब तो 6-8 महीने में ही ख़राब हो जाते थे| एलईडी बल्ब की लाइफ आराम से 3-4-5-7 साल होगी और 90 करोड़ बल्ब बदलने में पूरे देश में अभी तक मात्र 6000-7000 करोड़ रुपये लगे हैं, मात्र 6000-7000 करोड़| सरकार का एक रुपया नहीं लगा है उसमें, मतलब आपकी सब्सिडी आपके पास है, आपके और कामों में लगी हुई है, 6000-7000 करोड़ रुपये लगाकर सालाना 45,000 करोड़ रुपये अगर बचते हों तो यह माडा सौदा है क्या? पंजाबी वर्ड है, थोड़ा मैं हरियाणा-पंजाब से आता हूँ, पर यह बुरा सौदा है क्या? खोटा बोलते हैना यहाँ? खोटा सौदा तो नहीं हैना?

और इसमें आप सबको जानकार ख़ुशी होगी वही संस्था इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी जिसका ज़िक्र महाराज साहब ने लिया था अभी उसके जो अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, डॉ फतीह बिलोर, और यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ अमेरिका के जो पूर्व बिजली मंत्री थे, डॉ अर्नी मुनीज़, यह दोनों व्यक्ति भारत के सबसे बड़े एम्बेसडर बनकर पूरे विश्व में इसकी चर्चा करते थे कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने जो नेतृत्व किया बिजली बचाने के लिए और जब आप एक यूनिट बिजली बचाते हो तो उत्पादन में एक प्रकार से 1.3 बिजली उत्पादन कम करनी पड़ती है| पर्यावरण में कितना सुधार हो रहा है?

उन्होंने इस बात की चर्चा देश के पूरी दुनिया के हर देश में जाकर की है कि भारत के नेतृत्व की वजह से आज एलईडी बल्ब इतने सस्ते हो गए भारत में नहीं, पूरे विश्व में, और सबसे बड़ा प्रोग्राम भारत ने लिया विश्व का – एलईडी बल्ब रिप्लेसमेंट| आज जब भारत का गर्व, गौरव पूरे विश्व में होता है, वह जो छप्पन इंच की छाती की हम बात करते हैं कि आज जब हमारे प्रधानमंत्री हम सबके प्रतिनिधि बनकर किधर भी जाते हैं विश्व में तो जो मान और सम्मान उनको मिलता है वह मोदी जी का सम्मान नहीं है, वह आप सबका सम्मान है| वह 125 करोड़ भारतियों की ताकत है जो प्रधानमंत्री मोदी जी हम सबके प्रतिनिधि के रूप में लेकर हमारे पास आ गए|

पता नहीं आपको जानकारी है कि नहीं, रशिया के राष्ट्रपति पुतिन कभी भी, कभी भी विश्व के कोई नेता को छोड़ने के लिए एयरपोर्ट नहीं गए हैं, पहली बार उनकी ज़िन्दगी में अगर वह एयरपोर्ट गए किसी नेता को छोड़ने तो प्रधानमंत्री मोदी जी को, हाल ही में|

टेक्नोलॉजी को कैसे इस्तेमाल करना बड़े रूप में, जब हम आधारभूत सुविधाएं लाना चाहते हैं तो दो तरीके हैं, बेवकूफी से भी लाये जा सकते हैं और अच्छी नयी टेक्नोलॉजीज इस्तेमाल करके भी लाये जा सकते हैं तो हम टेक्नोलॉजी का भी फोकस ला रहे हैं| नए रूप से सोचने का काम कर रहे हैं, कुछ प्रकार से मारवाड़ी की तरह सोच रहे हैं कि भाई थोड़े-थोड़े बल्ब खरीदेंगे तो महँगे पड़ेंगे, 5 करोड़ का टेंडर निकालेंगे कि 5 करोड़ बल्ब खरीदने हैं तो ललचाएगा व्यापारी भी, उद्योगपति भी ललचाएगा तो कीमतें कम होंगी|

पहले की व्यवस्था में एलईडी बल्ब की पेमेंट होती थी 5 साल में क्योंकि वह सुनिश्चित करना चाहते थे क्वालिटी ठीक है, तो हर महीने या हर तीन महीने में थोड़ी-थोड़ी पेमेंट| अब यहाँ का कोई मारवाड़ी भाई सरकार को कोई माल दे दे और 5 साल उम्मीद करे कि पेमेंट आती रहेगी और हर महीने, हर तीन महीने जाकर रिश्वतें देकर पेमेंट निकालनी पड़े तो वह क्या माल देगा सरकार को?

हमने क्या किया? हमने कहा आप सामान दो सरकार को, 30वें दिन आरटीजीएस से बैंक के द्वारा आपके खाते में सीधा पैसा पहुंचेगा शत-प्रतिशत| क्वालिटी के लिए आप 10% के लिए बैंक गारंटी दे दो बाकी तो हम टेस्टिंग करते ही हैं किसी की क्वालिटी ठीक नहीं है तो ब्लैकलिस्ट कर देते हैं| 30वें दिन पेमेंट आपके बैंक में पहुँच जाएगी और नहीं पहुंची तो मेरा मोबाइल नंबर दिया मैंने कि सीधा मंत्री को फ़ोन करना, अधिकारियों की खाट मैं खड़ी करूँगा|

आज तक एक बार फ़ोन नहीं आया, सबको 30वें दिन पेमेंट मिल गयी| और यह एक-एक, एक-एक चीज़ करके, इसको कहते हैं इनोवेटिव फाइनेंसिंग मॉडल, खर्चे कम करो खरीद में और बेचो इस तरीके से कि जनता के ऊपर सीधा बोझ नहीं आये, 10 रुपये हर महीने देने में तकलीफ नहीं हुई| इसी की वजह से आज देश भर में एलईडी ही एलईडी देखने को मिल रहा है| और अगर आपमें से किसी ने नहीं बदला है| कहीं यह तो नहीं आरोप लगेगा कि मार्केटिंग करने आया हूँ एलईडी बल्ब का? पर सरकारी कंपनी से खरीदना, ईईएसएल से|

इसी प्रकार से जहाँ से मैंने शुरू किया था कि भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्थाएं बनाना, काले धन के ऊपर प्रहार करना और उसके लिए तो पहले दिन से, पहली कैबिनेट मीटिंग में एसआईटी बनाई| जो काम असंभव माना जाता था कि सायप्रस, सिंगापुर, मॉरीशस की डबल टैक्सेशन अग्रीमेंट्स की जो लूपहोल्स हैं गलतियाँ हैं उसको कोई सरकार ख़ारिज कर सकती है, उस असंभव काम को करके तीनों को रिनिगोशिएट किया|

बेनामी संपत्ति का कानून 1988 में बना था, चौधरी जी इसको अच्छी तरह, भलीभांति जानते हैं, 28 साल तक कानून पारित हो गया, उसके रूल्स रेगुलेशन नहीं बनाये, उसको लागू नहीं किया| मोदी जी ने आने के बाद उसके रेगुलेशन बनाकर उसको लागू किया, आज बड़े-बड़े फ्रौडिया लोगों की संपत्ति बेनामी कानून एक्ट में ली जा रही है, ज़ब्त करी जा रही है|

ऐसे मैं कई उदाहरण बता सकता हूँ जहाँ चोरी होती थी, जहाँ बेईमानी होती थी जिसको हमने पारदर्शिता लायी, ईमानदार व्यवस्थाओं को बिठाया और आज इस देश में हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि भारत एक ईमानदार देश की तरह काम कर रहा है, एक ईमानदार देश की श्रेणी में विश्व भर में पहचाना जा रहा है| हो सकता है किधर छोटी गलतियाँ हैं, हो सकता है कुछ डिपार्टमेंट में नीचे स्तर पर थोड़ा बहुत अभी समय हुआ नहीं है कि पूरे तरीके से सफाई छटाई हो गयी है लेकिन उसमें भी हमें आपकी सहायता चाहिए, उसमें भी हमें आपकी जनभागीदारी चाहिए| जब तक आप आवाज़ नहीं उठाओगे तब तक यह बीमारी भी ख़त्म नहीं हो पायेगी|

मैं दिल्ली में बैठा हुआ नहीं देख सकता हूँ कि नीचे के अधिकारी ने किसको तंग किया, किसी से कुछ गलत काम किया, पर अगर आपका एसोसिएशन नक्की करले समझो कपड़ा बाज़ार के यहाँ सभी व्यापारी, सभी उद्योग जगत के लोग नक्की कर लें कि अगर कोई भी व्यक्ति गलत करेगा हमारे बाज़ार में, कोई भी व्यक्ति अभी भी दो बहीखाते रखेगा, कोई भी व्यक्ति बिना जीएसटी पेड सामान बेचेगा तो हमारा एसोसिएशन सहन नहीं करेगा उसकी कंप्लेन करेगा, उसका कारोबार बंद कराएगा, तब सभी लोग ईमानदार व्यवस्था में जुड़ जायेंगे|

नहीं तो एक आदमी बेईमानी करता है वह पूरे व्यापार को ख़राब करता है, एक आदमी की बेईमानी मार्किट ख़राब करती है, रेट ख़राब करती है, दूसरों को मजबूर करती है कि वह भी बेईमानी करे नहीं तो कम्पटीशन में खड़ा नहीं हो सकता है| पर इसकी ज़िम्मेदारी समाज की होती है, इसकी ज़िम्मेदारी हम सबकी सामूहिक है|

एक विमुद्रीकरण, नोटबंदी के समय एक व्हाट्सएप घूमता था कि भले ही लाइन में खड़े होने में इतनी तकलीफ हो रही है, सोचो मोदी जी को देश बदलने में कितनी तकलीफ हो रही होगी| पर जब 125 करोड़ भारत की जनता जुड़ जाएगी उस मुहिम में, जब आप सबका हमें समर्थन, आशीर्वाद मिलेगा, सहयोग मिलेगा तब वही काम कितना सरल हो जायेगा? और इसलिए मैंने शुरू में वह बात रखी थी कि बुराई करने वाले से ज्यादा ख़राब है वह व्यक्ति जो बुराई को सहन करते हैं|

और मेरा अनुरोध है जोधपुर के सभी मेरे भाईयों बहनों से, सभी प्रबुद्ध नागरिकों से, बुद्धिजीवियों से कि आप लोग पूरे देश को पहल करके दिखाइये, आप लोग पूरे देश में मेसेज दीजिये कि जोधपुर से अगर हैंडीक्राफ्ट निकलेगा तो ईमानदार टैक्स-पेड वे में निकलेगा, माल बाहर जाएगा ई-वे बिल के साथ जायेगा| कोई चोरी करेगा तो हम आवाज़ उठाएंगे उसकी और कोई अधिकारी हमें गलत तंग करेगा तो उसकी भी जानकारियां देकर उसका पर्दा फाश करेंगे|

हिम्मत तो जुटानी पड़ेगी, अगर आप हिम्मत से यह नहीं करोगे तो हम भी असमर्थ होंगे, मैं कोई अधिकारी के ऊपर, कोई कांट्रेक्टर के ऊपर, समझो सफाई नहीं है ट्रेन में, केटरिंग ख़राब है समझो किसी ने रिश्वत मांग ली, मैं उसपर एक्शन नहीं ले सकता जब तक कंप्लेन नहीं हो, जब तक छानबीन करके कागज़ की कार्रवाई करके एक्शन नहीं होगा| नहीं तो अगले दिन जाकर कोर्ट से स्टे मिल जायेगा और स्टे मिलने के बाद तो कुछ करना और मुश्किल हो जायेगा उसके ऊपर कार्रवाई|

तो यह आपकी भी उतनी ही ज़िम्मेदारी है जितनी हमारी है कि हम इसमें मिलकर इस देश में जो ट्रांसफॉर्मेशन की जर्नी है, जो बदलाव, जो परिवर्तन के लिए दिन और रात मेहनत कर रहे हैं केंद्र सरकार, राज्य सरकार मिलकर, हम सभी लोग इस मेहनत में सामूहिक रूप से जुडें| जो पूजनीय बाबासाहेब आंबेडकर जी ने संविधान इस देश को दिया है और मैं समझता हूँ विश्व का सबसे बेहतर संविधान अगर किसी के पास है तो वह हमारे पास भारत में है| इस संविधान की रक्षा करते हुए हम सब लोग एक ही धर्म – भारत – इंडिया फर्स्ट| एक ही शस्त्र – भारत का संविधान, एक ही निष्ठा लेकर – देशभक्ति, राष्ट्रभक्ति और काम करने की एक ही संस्कृति रखते हुए सबका साथ, उसी में सबका विकास इस भावना से जब हम सब पूरी तरीके से मिलकर इस देश में परिवर्तन लाएंगे, साफ़ नियत से, जब सब लोग साफ़ नियत से सही विकास की तरफ इस देश को लेकर जायेंगे, मैं समझता हूँ यह जो काम इस 48 महीनों में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में ऐतिहासिक परिवर्तन जो इस देश ने देखा है जो इस देश ने महसूस किया है, जो माननीय प्रधानमंत्री जी का सपना है कि 2022 में जब देश की आज़ादी के 75 वर्ष पूरे होते हैं तब देश के हर परिवार, हर नागरिक के सर पर छत हो, उसके खुद का मकान हो, उसमें साफ़ पेयजल मिले, चौबीस घंटे बिजली मिले, एक शौचालय हो, घर के नजदीक अच्छी शिक्षा मिले हमारे बच्चों को, अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं मिलें हमारे बुजुर्गों को, सड़क गाँव तक पहुंचें, हमारे गाँव भी साफ़ सुथरे, सुन्दर, शहरों की तरह सब सुविधाएं हमारे गाँव में मिलें, हमारे किसानों की आमदनी दुगनी हो जाये उनको सही मूल्य मिले अपने उत्पादन का, उनके उत्पादन में कैसे और वैल्यू एडिशनल हो सके, क्या क्रॉप पैटर्न सुधर सके, क्या और उत्पादन बढ़ सके, उत्पादन की प्रोडक्टिविटी बढ़े – यह जो सपना लेकर माननीय प्रधानमंत्री ने एक ईमानदार भारत की अर्थव्यवस्था, मज़बूत अर्थव्यवस्था बनाने में इसमें मुझे पूरा विश्वास है आप सबका आशीर्वाद, आप सबका समर्थन लगातार भारतीय जनता पार्टी और एनडीए को, हमारे सभी जनप्रतिनिधियों को और माननीय प्रधानमंत्री जी को मिलता रहेगा इस अटूट विश्वास के साथ मैं आपसे विदा लेता हूँ|

बहुत-बहुत धन्यवाद!

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