Speeches

March 18, 2018

Speaking at a Railway Programme, in Lucknow, Uttar Pradesh with Shri Rajnath Singh Ji

पूरे बचपन से ही मिलता रहा है, ऐसे हम सबके लोकप्रिय नेता, माननीय श्री राजनाथ सिंह जी, उत्तर प्रदेश में सरकार में हमारे वरिष्ठ मंत्री श्रीमती रीता बहुगुणा जोशी जी, श्री ब्रिजेश पाठक जी, श्री महेंद्र सिंह जी, श्री नन्द कुमार गुप्ता नंदी जी, श्रीमती स्वाति सिंह जी, श्री आशुतोष गोपाल टंडन जी, लखनऊ की महापौर श्रीमती संयुक्ता भाटिया जी, माननीय संसद सदस्य श्री कौशल किशोर जी, श्री सुरेश कुमार श्रीवास्तव जी, वरिष्ठ विधायक हैं उत्तर प्रदेश में, भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष श्री मुकेश शर्मा जी, रेलवे बोर्ड में मेम्बर श्री रविन्द्र गुप्ता जी, जनरल मेनेजर श्री चौबे जी, हमारे साथ यहाँ पर आज विशेष महमान के रूप में आये हुए एनबीसीसी के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर मित्तल जी, जिनके सहयोग से यह पूरा रिडेवलपमेंट का काम होने वाला है, मंच पर बैठे सभी महानुभाव, लखनऊ के वरिष्ठ नागरिक, मीडिया के हमारे मित्र और रेल परिवार से जुड़े हुए हमारे सभी, अलग-अलग प्रकार से अलग-अलग सेवा देने वाले सभी कर्मचारी भाईयों और बहनों |

हम सबके लिए आज बहुत ख़ुशी की बात है कि इतने पवित्र दिन नवरात्रि का पहला दिन है, आज चैत्रनवरात्रि है | अलग-अलग जगह पर मेरे, मैं मुंबई से आता हूँ महाराष्ट्र से वहां गुड़ी पड़वा के रूप में बहुत बड़ी तरीके से इसको मनाया जाता है, दक्षिण में इसको उगादि के रूप में मनाया जाती है, सिंध में चेटीचंड के रूप में मनाया जाता है | एक ऐसा दिन है जो पूरे देश को एकजुट करने वाला इतना पवित्र दिन पर आज हमें मौका मिला माननीय राजनाथ सिंह जी के कर कमलों द्वारा इतनी सारी योजनाओं का लोकार्पण करने का और जो दो प्रमुख कार्यक्रम जिसका आज भूमि पूजा की गयी है, दोनों जो हमारे स्टेशन हैं, चारबाग का और गोमतीनगर का, इन दोनों स्टेशनों में जो बहुत बड़े रूप में रिडेवलपमेंट का काम, सौंदर्यीकरण का काम होने जा रहा है उसका आज भूमि पूजन करने का हमें सौभाग्य मिला मैं कृतज्ञ हूँ माननीय राजनाथ सिंह जी का, तहे दिल से उनका धन्यवाद करता हूँ कि आज उन्होंने अपना समय दिया, कीमती समय निकालकर इस कार्यक्रम में उपस्थित हुए | और पूरे देश की चिंता करते रहने के बावजूद लखनऊ के लिए उनके दिल में जो हर समय चिंता रहती है, हर समय जो उनके दिल में लखनऊ वासियों के आगे के भविष्य की चिंता रहती है उसी का प्रतीक है कि यह सब जो कार्यक्रम होने जा रहे हैं यह इतने बड़े पयमाने पर रेल व्यवस्था को यहाँ पर बदलाव लायेंगे जो मैं समझता हूँ आज़ादी के बाद कभी इतने बड़े पयमाने पर रेल में लखनऊ में सुधार नहीं हुआ होगा |

वैसे नवरात्रि का एक और माना जाता है, और क्योंकि मैं चंद दिनों पहले तक ऊर्जा मंत्री था तो अगर इसको ऊर्जा से जोड़ने की कोशिश करूं तो आजके दिन हम देवी शक्ति की पूजा करते हैं और यह उम्मीद रखते हैं कि जितनी नकारात्मक सोच, जितनी नकारात्मक ऊर्जा वह दूर हो जाये और सकारात्मक सोच और आगे के भविष्य के लिए, एक अच्छा उज्जवल भविष्य हम सबके जीवन में आये इस संकल्प के साथ आज यह काम हम शुरू करने जा रहे हैं और मुझे पूरा विश्वास है जो मेरे अधिकारियों ने मुझे दिया है, समय-सीमा दी है उस समय-सीमा में इस काम को पूरा करने में हम सफल होंगे और माँ दुर्गा का हमें आशीर्वाद मिलता रहेगा, इस काम को पूरी अच्छी तरीके से, सुन्दर तरीके से, अच्छी गुणवत्ता से हम पूरा कर पाएं ऐसा मैं भगवन से प्रार्थना करता हूँ |

मेरे लिए वैसे लखनऊ से एक और जुड़ाव है क्योंकि लगभग बचपन से ही मुझे श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी का स्नेह मिला, उनका प्यार मिला, उनका आशीर्वाद मिला | और यह भूमि ऐसी है जिसने बड़े-बड़े महानुभाओं को यहाँ से चुनकर दिल्ली भेजा है, पहले अटल बिहारी वाजपेयी जी ने यहाँ का प्रतिनिधित्व किया और अब राजनाथ सिंह जी यहाँ का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं | और मैं समझता हूँ लखनऊ का पूरी तरीके से यह हक़ बनता है, यह अधिकार बनता है कि भारत सरकार और पूरा देश लखनऊ के विकास के प्रति संकल्प ले, लखनऊ के विकास के लिए अपना पूरा योगदान दे, इसी श्रंखला में यह कार्यक्रम आज शुरू करने जा रहे हैं |

वास्तव में रेल विभाग का अगर संयुक्त रूप से उत्तर प्रदेश का चित्र देखें तो मैं आंकड़े देख रहा था कि रेलवे ने उत्तर प्रदेश के साथ इतना भेदभाव क्यों किया, कई वर्षों से रेलवे के सन्दर्भ में उत्तर प्रदेश के साथ भेदभाव क्यों हुआ | जब आंकड़े निकाले तो इस सरकार के आने के पहले माननीय राजनाथ सिंह जी को आपने चुनकर भेजा, वह देश के गृह मंत्री बने, उसके पहले के अगर हम पांच साल देखें तो उस पांच सालों में पूरे उत्तर प्रदेश, पूरे उत्तर प्रदेश को जो रेलवे की तरफ से पैसा मिला, जो निवेश मिला वह मात्र 5,550 करोड़ रुपये था, पांच साल के भीतर, यानी अवसतम देखें तो 1100 करोड़ रुपये हर साल – मात्र 1100 करोड़ रुपये |

आज की स्थिति यह है कि आने वाले वर्ष 2018-19 में उत्तर प्रदेश, अकेले उत्तर प्रदेश में 7,865 करोड़ रुपये का निवेश रेलवे में होने जा रहा है | आप सोचिये कितना बड़ा बदलाव है, कहाँ 1100 करोड़ रुपये अवसतम हर वर्ष और कहाँ 2018-19 में 7,865 करोड़, और ऐसा मत समझिये कि सिर्फ आखिरी साल में हमने बढ़ाकर सात गुना कर दिया है, हर वर्ष इसको बढ़ाते रहे हैं | और अगर पांच वर्ष का अवसतम निकालें 2014 से 2019 तक तो 26,390 करोड़ रुपये पांच साल में उत्तर प्रदेश में निवेश जिसका अवसतम होता है 5,500 करोड़ रुपये |

यह है रेलवे की प्रतिबद्धता उत्तर प्रदेश के विकास के लिए, उत्तर प्रदेश को तेज़ गति से पूरे देश के रेलवे नक़्शे के साथ जोड़ने के लिए, सुविधाएं बढ़ाने के लिए, सुविधाएं सुधार करने के लिए और इस प्रतिबद्धता में और कैसे तेज़ गति से काम हो सकता है उसके लिए हम सब संकल्पित हैं |

अभी-अभी आप सब जानते हैं हमने रेलवे में नयी भर्ती का भी काम शुरू किया है, लगभग 90,000 लोगों को एक साथ भर्ती करने का काम रेलवे में शायद ही पहले कभी हुआ होगा | और पूरी पारदर्शिता से एक ऐसा सिस्टम जिसमें माननीय राजनाथ सिंह जी भी चाहें, माननीय प्रधानमंत्री जी भी – वैसे तो वह कभी इन चीज़ों में कोई गलत काम करें भी तो कान पकड़कर थप्पड़ मार दें, राजनाथ जी हों, प्रधानमंत्री श्री मोदी जी हों, लेकिन कोई भी व्यक्ति इसमें ज़रा भी कोई दखलंदाज़ ना दे सके ऐसा एक पारदर्शिता के साथ बनाया हुआ पूरा रिक्रूटमेंट का सिस्टम कंप्यूटर से पूरा सिस्टम चलेगा, पूरी टेस्टिंग होगी और उससे चुने हुए 90,000 लोग देश भर से रेलवे में नयी नौकरी में लगेंगे |

साथ ही साथ इसके इलावा, थोड़े ही दो-चार दिनों में हम इसका भी सूचना बाहर निकालेंगे तो आज लखनऊ की पावन धरती पर ही बता दूं, आरपीएफ में, रेलवे प्रोटेक्शन फ़ोर्स में अलग लगभग 9,500 लोगों की भर्ती का काम भी जल्दी शुरू होने वाला है, यानी एक लाख लोगों को नौकरी रेलवे एक साथ देगी | और जो आरपीएफ में भर्ती होने वाली है माननीय राजनाथ सिंह जी को मैं बताते हुए बहुत ख़ुशी महसूस करता हूँ कि उसमें 50% सिर्फ महिलाओं के लिए आरक्षित रहेगी जो आरपीएफ में हम लगभग 10,000 नौकरी खोलेंगे |

बहुत सारे अच्छे काम होने हैं उत्तर प्रदेश में, गोरखपुर में एक नया इलेक्ट्रिक लोको शेड बनाने का मैंने इन्वेस्टर समिट में घोषणा की थी उसके प्लान्स बन रहे हैं, उसका भी काम जल्दी शुरू करेंगे | एक बुंदेलखंड के संबंध में इस सरकार की बड़ी चिंता है, बुंदेलखंड एक ऐसा इलाका है जो देश में पीछे रह गया जिसका विकास जिस तेज़ गति से होना चाहिए था उस तेज़ गति से हुआ और सालों साल अपेक्षित रहे बुंदेलखंड के लोग | बुंदेलखंड में भी एक कोच रिफर्बिश्मेंट यूनिट लगे ऐसा हमने निश्चय किया है और इसका काम भी हम जल्द से जल्द शुरू करने जा रहे हैं | एक काम जिसकी घोषणा मैंने लखनऊ में पिछली बार जब आया था इन्वेस्टर समिट में की थी वह थी रायबरेली की कोच फैक्ट्री का पांच गुना वृद्धि करने का काम, पांच गुना वृद्धि | और हमारा संकल्प है कि रायबरेली में जो मॉडर्न कोच फैक्ट्री है वह विश्व की सबसे बड़ी कोच फैक्ट्री बनेगी, पूरे विश्व की सबसे बड़ी कोच फैक्ट्री रायबरेली में होगी |

लेकिन आज मैं वहां पर जब सुबह गया उसके प्लान्स फैनालाइज करने पूरी समझने के लिए क्या-क्या हुआ है तो बड़ा दुख हुआ मुझे उसके पूरे इतिहास को देखकर | और भाईयों बहनों इस सरकार की सोच कैसे देश को बदल रही है उसका एक छोटा उदाहरण मैं रायबरेली की कोच फैक्ट्री का आपके समक्ष रखना चाहता हूँ | आज जब मैं रायबरेली की कोच फैक्ट्री पहुंचा तो बड़ी सुन्दर थी फैक्ट्री, बहुत अच्छी लगी देखकर, मुझे भी आनंद आया बहुत अच्छी फैक्ट्री बनी है | मैंने पूछा यह कैसे हुआ, कब बनी? तो बोले साहब 2007 में इसका शिलान्यास हुआ था, मैंने कहा अच्छा, बहुत बढ़िया बात है, 2007 में शिलान्यास हुआ, बहुत बड़े-बड़े महानुभाव गए | फिर आगे काम कैसे हुआ? बोला साहब 2007 से 2010 तक तो कुछ काम नहीं हुआ, कोई काम नहीं हुआ तीन वर्ष तक | दो चुनाव निकल गए उस बीच, एक उत्तर प्रदेश का चुनाव निकल गया एक केंद्र में लोक सभा का चुनाव 2009 का निकल गया | लेकिन चुनाव में घोषणा हो गयी, शिलान्यास भी हो गया लेकिन कोई काम नहीं हुआ 2010 तक |

फिर शायद ध्यान आया कि जनता के पास फिर जाना पड़ेगा, जनता जवाब मांगेगी, हिसाब मांगेगी, तो 2011 में एक कंपनी को यह काम दे दिया गया कि आप वहां पर कोच फैक्ट्री लगा दो | उस कंपनी ने आहिस्ते-आहिस्ते रखडते हुए काम किया और 2011-12 से एक छल किया गया उत्तर प्रदेश के साथ और रायबरेली के साथ और वह छल यह किया गया कि बताया गया कि एक बड़ी कोच फैक्ट्री लगेगी, बड़ी अत्याधुनिक कोच फैक्ट्री लगेगी लेकिन क्योंकि फैक्ट्री लगाने में हिम्मत नहीं थी, समय नहीं लगा रहे थे, मेहनत नहीं कर रहे थे तो बाहर से कोच लाकर चेन्नई और कपूरथला, दोनों जगह से कोच बनके आती थी या मात्र उसमें थोडा बहुत फर्निशिंग करके बताया जाता था कि यहाँ पर कोच बन रही है |

और इस प्रकार से 2014 तक, भाईयों बहनों, 2014 तक एक भी कोच वहां से खुद का बनकर उस फैक्ट्री से नहीं निकला था, एक भी कोच नहीं निकला था | 2007 का करा हुआ शिलान्यास 2014 तक एक कोच नहीं बना था वहां पर | यह सरकार आई, सरकार ने काम को अपने हाथ में लिया, तेज़ गति से वहां पर काम किया और 2014 से कोच बनाना शुरू करने के आरंभ से आप सबको जानकर ख़ुशी होगी कि पहले वर्ष में कुछ 150-175 कोच बने, दूसरे वर्ष में शायद 300 बने, इस वर्ष में जो अब वर्ष मार्च में ख़त्म होने जा रहा है, इस वर्ष में लगभग 700 कोच उस फैक्ट्री से बनकर आयेंगे – 700 अच्छे एलएचपी डिज़ाइन के कोच जो सुरक्षित होते हैं, जिसमें एक्सीडेंट का खतरा कम होता है ऐसे 700 कोच बनकर आयेंगे | अगले वर्ष का मैं आज लक्ष्य देकर आया हूँ, अगले वर्ष वहां इसको दुगना कर दिया जायेगा और 1400 से अधिक कोच अगले वर्ष बनेंगे उस फैक्ट्री में | एक फैक्ट्री जो बनाई गयी थी 1000 कोच के लिए वहां अगले वर्ष हम 1400 से अधिक कोच बनायेंगे और 2019-20 में, उसके अगले वर्ष, उसको फिर दुगना करके लगभग 3000 कोच वहां से बनेंगे, आज से दो वर्ष के भीतर |

और यह मैं आज वादा नहीं कर रहा हूँ, यह विश्वास नहीं दिला रहा हूँ, मैं माननीय गृह मंत्री जी को वहां लेकर जाऊंगा और वहां पर जब हम 1500 कोच अगले वर्ष बनायेंगे तो 1500 वाला कोच माननीय गृह मंत्री जी के हाथों से उसका लोकार्पण करवाऊंगा |

आज यहाँ पर कई सारे काम रेलवे स्टेशन में लखनऊ में पूरे हुए हैं, एस्केलेटर्स लगाना, लिफ्ट लगाना और इस सरकार की प्रतिबद्धता है कि इस देश का हर रेलवे स्टेशन सुन्दर बने, यात्रियों की सुविधाओं के लिए अच्छा बनें, यात्रियों को वहां सुरक्षा महसूस हो, यात्रियों को वहां पर अलग-अलग प्रकार का खाने-पीने की व्यवस्था सुधरे, वाई-फाई की फैसिलिटी मिले | मैं अभी-अभी चारबाग से आ रहा था तो यहाँ पर फ्री वाई-फाई और बड़ा तेज़ वाई-फाई मिलता है, इतना तेज़ वाई-फाई तो मेरे दफ्तर में नहीं है जितना चारबाग में था |

और ऐसा तय किया है भारतीय रेल ने कि अब पूरे देश में जितने रेलवे स्टेशन हैं उन सब रेलवे स्टेशन और जितनी रेल गाड़ियाँ चलती हैं, लगभग 12,000 से अधिक रेल गाड़ियाँ रोज़ चलती हैं, इन सबके ऊपर सीसीटीवी कैमरा लगेगा जिससे महिलाओं को, बच्चों को, यात्रियों को सबको सुरक्षा भी मिलेगी और साथ ही साथ वाई-फाई की सुविधा देश के हर रेलवे स्टेशन तक पहुंचे ऐसा सरकार ने निर्णय लिया है |

विभाग ने मुझे पूछा, पर सर, 6000 स्टेशन तो दूरदराज़ के इलाके में हैं, वहां पर वाई-फाई कौन इस्तेमाल करेगा, इतने यात्री भी नहीं होते हैं जो इस्तेमाल कर सकेंगे | पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का निर्णय है कि जो आधुनिक सुविधाएं शहरों में मिलती हैं, जो आधुनिक सुविधाएं आप और हम जिसका लाभ लेते हैं वह हमारे गाँव के गरीब भाई-बहनों तक भी पहुंचे, गाँव के गरीब विद्यार्थियों तक भी पहुंचे, गाँव में महिलाओं तक भी पहुंचे तो यह निर्णय लिया गया है कि हर एक स्टेशन चाहे वह कितना भी दूर क्यों न हो वहां पर वाई-फाई पहुंचे और मुफ्त में वहां के आस पास के गाँव के सभी लोगों को उसका स्वाद, उसका लाभ लेने का मौका मिले यह निर्णय भारत सरकार ने लिए है | और अब हमारे दूरदराज़ के गाँव के रहने वाले लोग भी आधुनिक सुविधाओं के साथ जुड़ेंगे और पूरे देश और विश्व में जो काम हो रहा है, जो प्रगति हो रही है, जो विकास हो रहा है उसकी जानकारियां, उसके माध्यम से अच्छी शिक्षा, कौशल विकास, अन्य-अन्य कार्यक्रम भी गाँव गरीब तक पहुंचे, किसानों तक पहुंचे यह भारतीय रेल का फैसला है और इसको अमल करने के लिए हम सब दिन और रात काम में लगे हुए हैं |

अब हम सब सुनना चाहते हैं माननीय गृह मंत्री जी को, तो मैं अधिक समय न लेते हुए सिर्फ इतना अपने अधिकारियों को कहना चाहूँगा कि यह लखनऊ एक ऐतिहासिक शहर है, इस ऐतिहासिक शहर में हम सबकी ज़िम्मेदारी बनती है जितने यहाँ हम सब अधिकारी बैठे हैं जिस-जिसके ऊपर जो ज़िम्मेदारी है हम सब लगकर इस लखनऊ की रेल सुविधाएं, लखनऊ के स्टेशन इतना सुन्दर बनाएं और काम में इतनी गुणवत्ता लायें कि पूरे देश से लोग आकर लखनऊ में देखने के लिए आयें कि कैसे अच्छा काम होता है, कैसे विकास होता है |

और मैं यह इसलिए भी कह रहा हूँ क्योंकि मुझे याद है मेरी एक बहन का ससुराल यहाँ पर गोमतीनगर में था, अब तो नहीं रहे सास-ससुर तो अब यहाँ पर इतना आना-जाना नहीं है पर मुझे याद है मेरी बहन की शादी के बाद पहली बार जब हमारा पूरा परिवार आया था तो स्वाभाविक है ट्रेन से ही आते थे, तो ट्रेन से हम मुंबई से लखनऊ आये थे | तब मुझे कुछ अच्छा नहीं लगा था कि बड़ा सुन्दर स्टेशन, सुन्दर है, बाहर से सुन्दर है लेकिन अन्दर देखकर अच्छा नहीं लग रहा था | आज लेकिन जो मैंने आज स्टेशन देखा, आज स्टेशन में जो सफाई देखी, आज स्टेशन में जो सुविधा देखी, वाई-फाई की हो, अलग-अलग प्रकार की जो सुविधाएं देखी तो मुझे कुछ आनंद आया | लेकिन मैं समझता हूँ हम सब में क्षमता है कि हम इसको इतना सुन्दर बनाएं कि अब विश्व से लोग आके देखने जायें कि यह लखनऊ की तहज़ीब तो बहुत जानी मानी है, लखनऊ की एम्ब्रायडरी तो बहुत जानी मानी है लेकिन लखनऊ के स्टेशन भी पूरी दुनिया देखने आये, इस संकल्प के साथ हम इस काम को लें |

पुनः एक बार माननीय राजनाथ सिंह जी का, गृह मंत्री जी का और सभी माननीय मंत्री, सांसद, विधायक, महापौर और आप सभी गणमाननीय नागरिकों का मैं बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूँ |

जय हिन्द |

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