Speeches

February 20, 2018

Press Briefing on Cabinet Decisions, in New Delhi

सबसे पहले तो मैं रेलवे विभाग में जो आज महत्वपूर्ण फैसले लिए गए कैबिनेट द्वारा, उसकी थोड़ी जानकारी आपके साथ शेयर करना चाहूँगा| आज कैबिनेट कमेटी ऑफ़ इकोनॉमिक अफेयर्स ने पांच बहुत प्रमुख रेल लाइनें जिसका डबलिंग करना है और इलेक्ट्रिफिकेशन करना है ऐसी एप्रूव की हैं और एक नयी लाइन रेलवे की, ऐसे 6 प्रोजेक्ट एक ही कैबिनेट मीटिंग में सीसीईए ने आज एप्रूव किये हैं|

कुल देखें तो यह लगभग 5 for doubling and electrification, one new line – 6 projects have been approved in today’s Cabinet Committee on Economic Affairs. And the big picture is that it covers four important states – Uttar Pradesh, Bihar, Madhya Pradesh and Odisha. Within those states, it has a deep focus on the backward regions of the country and regions which are affected by Maoist activities.

नक्सल इलाके और जो बहुत ही पिछड़े इलाके हैं देश के उसपर प्रमुखतः फोकस रखा गया है, बुंदेलखंड का प्रोजेक्ट वास्तव में बहुत ही समय से जिसका इंतज़ार  था, बुंदेलखंड का भी इस बार प्रोजेक्ट झाँसी मानिकपुर और भीमसेन खैरार, यह दो प्रोजेक्ट्स, झाँसी मानिकपुर और भीमसेन खैरार, इसका डबलिंग एंड इलेक्ट्रिफिकेशन जो सीधा बुंदेलखंड इलाके को लाभ पहुंचाता है| जो देश का बहुत ही पिछड़ा इलाका है, जिसपर कई वर्षों से ध्यान नहीं दिया गया, खजुराहो की कनेक्टिविटी को भी सुधारता है तो पर्यटन के हिसाब से भी महत्वपूर्ण है, और इसकी जो अभी की लाइन कैपेसिटी है वह 100% से ज्यादा इस्तेमाल हो रही है| तो डबलिंग की सख्त आवश्यकता थी और विद्युतीकरण तो हमारी सरकार का स्टेटीड ऑब्जेक्टिव है|

इसमें लगभग 4,956 करोड़ – 4,956 crore rupees will be spent, और 102 लाख man-days – 4,956 crores for only these two projects, Jhansi Manikpur and Bhimsen Khairar, doubling and electrification – only these two projects. In Bundelkhand, developing backward region, promoting tourism to Khajuraho, providing direct employment of 102 lakh man-days. एक करोड़ से अधिक man-days के काम का भी यह उपलब्ध कराने का काम करती है यह प्रोजेक्ट! इसी प्रकार से तीसरी लाइन – भटनी से ओरनिहार, इसका भी दोहरीकरण और विद्युतीकरण (doubling and electrification) 1,300 करोड़ रुपये की लागत से, इलाहाबाद – मुग़लसराय का रूट जो हम सभी जानते हैं यहाँ पर कि बहुत ओवर-कैपेसिटी पर चल रहा है उसका काम भी शुरू करके इससे बनारस को जो कनेक्टिविटी है उसमें बहुत लाभ मिलेगा| फिर एक बार बुद्ध टूरिज्म जो है, गौतम बुद्ध के जो अलग-अलग इलाके हैं, सारनाथ वगैरा वहां जाने का लोगों को लाभ मिलेगा और हम चाहते हैं कि बुद्ध पर्यटन और बुद्ध से जुड़े हुए जो-जो क्षेत्र हैं उसको और प्राथमिकता दी जाये| इसमें लगभग 28 लाख man-days का सीधा काम का मौका मिलेगा|

चौथी लाइन और यह बहुत महत्वपूर्ण है, जो चंपारण से जुड़ी हुई है – चौथी और पांचवी लाइन, दो और लाइन का दोहरीकरण और विद्युतीकरण – मुजफ्फरपुर-सुगौली, और सुगौली से वाल्मीकि नगर – यह दो प्रोजेक्ट 2,729 करोड़ रुपये की लागत से उत्तर बिहार और नेपाल की तरफ जाने वाले दोनों रास्तों में इसका बहुत लाभ होगा, नॉर्थ बिहार और नेपाल| और सबसे बड़ी बात यह है कि यह लाइन आज के दिन 213% इस्तेमाल हो रही है, इतना ओवरलोड है, और आप सब समझ सकते हैं जब इतनी ओवरलोड होती है तो उसका सीधा इम्पैक्ट होता है लाइनें ख़राब होती हैं, ट्रैक्स बिगड़ जाते हैं, सेफ्टी के लिए खतरा है, एक्सीडेंट की संभावना बनती है| तो हमारी, सरकार की जो सोच है कि जहाँ-जहाँ लाइन कैपेसिटी ओवर-यूटिलाइज़ हो रही है उसको हमने सपोर्ट करना चाहिए, दोहरीकरण फिर आगे चलकर तीसरी-चौथी पटरी की ज़रूरत पड़े, कई जगह हम एलिवेटेड रेल्स का प्लान कर रहे हैं|

So, it is all reflective of this government’s mindset of advance planning and planning Indian railways to serve the people of India in the future.

इस प्रोजेक्ट में भी 2,729 करोड़ और 50 लाख man-days का इससे सीधा काम मिलेगा| सबसे बड़ी बात यह है कि चंपारण के लोग  और आज मेरे वरिष्ठ  सहयोगी, राधेमोहन सिंह जी बता रहे थे कि चंपारण सत्याग्रह के 100 वर्ष हो गए, लेकिन लोग 100 वर्ष से इस रेलवे लाइन की भी प्रतीक्षा कर रहे हैं साथ ही साथ| तो आज बहुत आनंदमयी थे राधेमोहन जी और मुझे पूरा विश्वास है कि चंपारण और उत्तर बिहार के सभी नागरिकों को बहुत हर्ष होगा इन दोनों लाइनों का डबलिंग और इलेक्ट्रिफिकेशन की सूचना जानकर|

साथ ही साथ जयपुर से मलकानगिरी, यह छठी प्रोजेक्ट – जयपुर से मलकानगिरी, यह नया प्रोजेक्ट है, नयी लाइन लगने वाली है| 2,676 करोड़ की लागत से यह लाइन, मलकानगिरी डिस्ट्रिक्ट के पास आज कोई रेल कनेक्टिविटी नहीं है, और यह आतंकवाद से, माओईस्ट   इलाका है, नक्सल इलाका है, ऐसे इलाकों को जोड़ने की भी प्राथमिकता एक प्रकार से भारत सरकार की है| तो मलकानगिरी के लिए यह पहली रेल कनेक्टिविटी का प्रोजेक्ट होगा जिससे मुझे विश्वास है वहां के औद्योगीकरण, वहां के विकास में भी बहुत सहायता होगी और जो माओवादी गतिविधियाँ हैं उसको रोकने के लिए भी पुलिसकर्मियों को, सिक्योरिटी फोर्सेज सबको इस रेल का लाभ मिलेगा, इसमें 31 लाख man-days का सीधा-सीधा opportunity create होगी|

तो एक प्रकार से यह 6 प्रोजेक्ट 11,661 करोड़ रुपये (nearly $2 billion) की लागत से 881 किलोमीटर का काम होगा, 4 राज्यों में होगा – यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा और 211 लाख man-days! आप अपने आप में सोच  सकते हैं कितना बड़ा काम होगा! 211 लाख man-days का इसमें सीधा काम करने का, जनरेट करने का पोटेंशियल होगा|

आज एक और महत्वपूर्ण निर्णय जो कैबिनेट में लिया गया वह था कोल विभाग से जुड़ा हुआ, commercial coal mining  का, methodology for auction को आज कैबिनेट ने स्वीकृति दी| मैं समझता हूँ जब हमने कोयले की नीलामी का नया कानून 2014 के अंत में लाये थे और फिर 2015 मार्च में स्वीकृत किया था पार्लियामेंट के दोनों लोक सभा, राज्य सभा में तब उसका एक महत्वपूर्ण अंग था commercial coal mining!

भारत में वैसे तो भारत सरकार की कंपनियां और कुछ-कुछ राज्यों की कंपनियां कोल माइनिंग प्रमुखतः करती हैं| साथ ही साथ end-use restriction के साथ कोल् माइंस काफी मात्रा में ऑक्शन किये गए हैं जिसमें विद्युत विभाग, एनर्जी, पॉवर, फ़र्टिलाइज़र, सीमेंट, स्टील, एल्युमीनियम, अलग-अलग end-use के लिए लोगों ने अपनी कोल माइनों को नीलामी से अभी, पहले की तरह नहीं, 2014 के पहले जैसे मुफ्त में खैरात में बांटे जाते थे, अपने मित्रों को, मेम्बर्स ऑफ़ पार्लियामेंट को और क्या कॉन्सीडरेशन से दिया जाता था वह वास्तव में फाइल में बहुत क्लियर नहीं है|

लेकिन प्रधानमंत्री मोदी जी की सरकार आने के बाद कोल माइनें सिर्फ नीलामी से निजी क्षेत्र को दी जाती हैं, उसमें एक बहुत अहम पहलू आज कैबिनेट ने निर्णय लिया है कि कमर्शियल कोल माइनिंग भी यानी विश्व के और भारत के सभी डोमेस्टिक एंड इंटरनेशनल एक्सपर्ट कोल माइनिंग कम्पनीज जिनके पास आधुनिक टेक्नोलॉजी है, मोस्ट मॉडर्न टेक्नोलॉजी, अच्छा काम करने का ढंग है, जो सेफ माइनिंग के नए-नए प्रयोग करती हैं, एफिशिएंट माइनिंग के नए-नए प्रयोग करती हैं इसको भी एक भारत में प्रोत्साहन दिया जाये| और इससे जो एक मोनोपॉली है कि भारत सरकार ही सिर्फ कोल माइनिंग करेगी उसके बदले आज और भी लोग आकर भारत में कोल माइनिंग करें जिससे कभी भी कोयले की शॉर्टेज, कोयले की कमी के कारण भारत को विदेश से कोयला न लाना पड़े| हमारी विदेशी मुद्रा फॉरेन एक्सचेंज का नुकसान न हो, विदेश में आजकल आप सब जानते हैं कोयले के दाम बहुत अनाप शनाप बढ़ गए हैं, तो आज विदेश से कोयला लाना मतलब बहुत महंगा कोयला लाना| महंगा कोयला लाते हैं तो भारत में बिजली महँगी होती है, भारत में औद्योगिक प्रोडक्शन, उत्पादन महंगा होता है, भारत में नौकरी के साधन नहीं बनते हैं पर विदेश में नौकरी के साधन बनते हैं और विदेश में एम्प्लॉयमेंट क्रिएट होती है बजाये कि भारत में, जबकि भारत में 300 बिलियन टन से अधिक आज कोयला हमारे पास है – 300 बिलियन टन! अब इतना अधिक कोयला होने के बावजूद भारत को विदेश से कोयला लाना पड़े यह अपने आप में बहुत गलत बात है|

तो यह नया मूव बहुत अहम रिफॉर्म और कोयले के क्षेत्र में एक प्रकार से क्रांति लाने वाला कदम जिससे कम्पटीशन, प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, क्वालिटी सुधरेगी, कीमतों में नियंत्रण आएगा, एफिशिएंसी सुधरेगी, उत्पादन की एफिशिएंसी सुधरेगी और आगे चलकर अफोर्डेबल जो कोयला लोगों को चाहिए, जो उद्योग को चाहिए और रिलाएबल सप्लाई – अफोर्डेबिलिटी एंड रिलायबिलिटी| समय पर कोयला मिले, सुनिश्चित हो जाये कि कोयला पर्याप्त मात्रा में मिलेगा और सस्ते कीमतों में मिलेगा जिससे आगे चलकर बिजली के दाम हो, लोहे के दाम हो, फ़र्टिलाइज़र का दाम हो, किसी भी चीज़ में भारत की जनता को नुकसान न पहुंचे| यह एक बड़ा रिफॉर्म है कोल माइनिंग क्षेत्र में|

इसके बाद जब कोई कोयले की माइन नीलामी की जायेगा किसी को यह डरने की ज़रूरत नहीं है कि कल को लाकर कोई और उसको उसमें कोई कमियां पाकर कैंसिल कर सके| आपने देखा है कितना पारदर्शिता से और ईमानदार तरीके से अभी तक की सब कोल माइनें ऑक्शन हुई है, उसी की अगली कड़ी, अगला पड़ाव अब यह कमर्शियल कोल माइनिंग इससे ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस भी सुधरेगा, जिसको कोई कारखाना लगाना है फ़र्टिलाइज़र का, किसी को लोहे का लगाना है, किसी को एल्युमीनियम का लगाना है जो अभी तक देश में इम्पोर्ट हो रहा है| जबकि बॉक्साइट देश में है, कोयला है, तो एल्युमीनियम इम्पोर्ट नहीं होना चाहिए भारत में बनना चाहिए, उसके लिए पर्याप्त मात्रा में रॉ मटेरियल होने के कारण सस्ता एल्युमीनियम और लाखों लोगों को नौकरी देने वाला उत्पादन बन सकता है|

साथ ही साथ नया निवेश इस क्षेत्र में आये, कोयले के क्षेत्र में, भारतीय कंपनी भी करे, विदेशी कंपनियों को भी हम आमंत्रित करेंगे, अंतर्राष्ट्रीय स्तर की आधुनिक टेक्नोलॉजी को अट्रैक्ट करेंगे| और मुझे लगता है लाखों लोगों को नौकरियों के साथ-साथ, लाखों लोगों को नौकरियों के साथ-साथ जो हमारे पूर्वी भारत के जो अधिकांश प्रदेश या जो प्रदेशों में कोयला है, जैसे पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़, कुछ मात्रा में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना – ओडिशा, बहुत बड़े रूप में ओडिशा, इन राज्यों को सबसे बड़ा लाभ होगा, इन राज्यों के लोगों को नौकरियां मिलेंगी, इन राज्यों को राशि मिलेगी, रेवेन्यू मिलेगा रॉयल्टी का, इन राज्यों को रेवेन्यू मिलेगा पारदर्शिता से की गयी ऑक्शन के पैसे का| तो जो भी रॉयल्टी है, ऑक्शन का पैसा है वह पूरा राज्य सरकारों को दिया जायेगा जहाँ पर कोयले की खदान है, केंद्र सरकार सिर्फ एक कैटेलिस्ट, एक फैसिलिटेटर का रोल प्ले करेगी, केंद्र सरकार इस रेवेन्यू में से एक रुपया भी नहीं रखेगी, पूरा का पूरा पैसा जो ऑक्शन से आएगा और जो रॉयल्टी का है, पूरा का पूरा पैसा राज्य सरकारों को दिया जायेगा, केंद्र सरकार इसमें एक रुपया नहीं रखेगी|

साथ ही साथ डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड को जो पैसा मिलेगा इसमें से, वह जो माइनिंग डिस्ट्रिक्स हैं उसके विकास और प्रगति के लिए काम आएगा यह एक बहुत बड़ा इसका अहम पहलू है|

तो मैं समझता हूँ अगर summarize करें तो कम्पटीशन आएगी, एफिशिएंसी इन प्रोडक्शन आएगी, भारत के खुद का डोमेस्टिक प्रोडक्शन बढ़ेगा जिससे इम्पोर्ट के ऊपर हमें कम निर्भर रहना पड़ेगा, विदेश के ऊपर कम निर्भर रहना पड़ेगा तो विदेशी मुद्रा बचेगी, कोयला भारत में बनेगा, लोकली डोमेस्टिकली ट्रांसपोर्ट होगा तो लोगों को नौकरियां मिलेंगी और मेरा अंदाज़ा है लाखों लोगों को नौकरियां मिलेंगी| और साथ ही साथ भारत अपने आप में self-sufficient nation बनेगा कोयले की requirement में| हम आत्मनिर्भर हो जायेंगे, विदेशों के ऊपर निर्भरता हमारी ख़त्म हो जाएगी|

और इसका सीधा लाभ, बाकी उद्योग वगैरा में तो होगा, नौकरियों में होगा, विदेशी मुद्रा में होगा लेकिन विद्युत विभाग, बिजली की कीमतों पर भी नियंत्रण रखने में लो-कॉस्ट पॉवर available हो भारत की जनता को, भारत के गरीबों को जिसके लिए सौभाग्य के माध्यम से 4 करोड़ घरों को मुफ्त में बिजली कनेक्शन देने का काम तेज़ गति से शुरू हो गया है| उसमें विद्युत के कनेक्शन के बाद विद्युत भी सस्ती मिलती रही इस ज़िम्मेदारी को भी समझते हुए हमने सोचा कि कोल माइनिंग को ओपन किया जाये और यह एक बहुत बड़ा मेरे ख्याल से रिफॉर्म आज भारत सरकार ने किया है|

मैं माननीय प्रधानमंत्री जी को बधाई दूंगा और मुझे पूरा विश्वास है कि आज रेलवे और कोयले दोनों के जो यह प्रमुख फैसले हुए हैं यह विशेषकर पिछड़े इलाकों में, बैकवर्ड रिजन्स में सबसे ज्यादा लोगों को लाभ देगा, सबसे ज्यादा नौकरियां वहां पर उत्पादन करेगा, सबसे ज्यादा रेवेन्यू इन सब राज्यों के लिए – ओडिशा, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, इन सब राज्यों में रेवेन्यू बढ़ाएगा, फॉरेन एक्सचेंज बचाएगा, क्वालिटी ऑफ़ कोल सुधारेगा और एक देश को और एक तेज़ गति से विकास की तरफ पहुँचाने में गति देगा|

बहुत-बहुत धन्यवाद|

 

प्रश्न-उत्तर

प्रश्न: सर जो कोल ब्लॉक को लेकर जो फैसला लिया गया है इसमें कोल इंडिया के हितों पर किस तरह का असर पड़ेगा, और दूसरा सवाल यह है सर कि हाल ही में जो पंजाब नेशनल बैंक गड़बड़ी सामने आई है, वह बैंक में ऑडिटिंग और इंस्ट्रक्शन की मौजूदा व्यवस्था पर एक सवालिया निशान खड़ा करता है?

उत्तर: जहाँ तक कोल इंडिया का सवाल है आप सबको जानकर ख़ुशी होगी कि यह विषय लगातार हमारी चर्चा कोल यूनियंज के साथ भी चलती रही है| आपको याद होगा जब कानून पारित हुआ था तब एक दो दिवसीय स्ट्राइक भी हुई थी, लम्बी स्ट्राइक की आशा थी लेकिन जब हमने चर्चा की और उनको बताया कि इससे कोल इंडिया को कैसे लाभ होगा, तो वह सब समझकर यूनियन ने तुरंत स्ट्राइक को भी withdraw कर दिया था| इससे कोल इंडिया को अलग-अलग तरीके से लाभ होगा, पहली बात तो कम्पटीशन से देखा गया है कि कंपनी भी अपने आपको सुधारती है, अब एनटीपीसी को ले लीजिये, एनएचपीसी को ले लीजिये, एसजेवीएन, पूरे विद्युत विभाग को ले लीजिये, तेल विभाग को ले लीजिये – एचपीसीएल, बीपीसीएल, ओएनजीसी!

जब-जब कम्पटीशन आया हमारी सरकारी कंपनियों ने और अच्छा काम किया, और पारदर्शिता से काम किया, और अपनी एफिशिएंसी सुधारी, अपनी प्रोफिटेबिलिटी सुधारी| पॉवर ग्रिड कॉर्पोरेशन में मैंने कम्पटीशन जब लाया था विद्युत मंत्री के नाते 30% दाम भी कम हुआ ट्रांसमिशन लाइनों का और पॉवर ग्रिड का प्रॉफिट डबल हो गया तीन वर्ष में, उसका मार्किट कैप डबल हो गया, शेयर प्राइस डबल हो गया|

तो मैं समझता हूँ इससे कोल इंडिया को आगे चलकर बहुत लाभ होगा, हाल ही में मैंने कोल इंडिया को 11 माइनें दी थी जो कोल इंडिया भी अपने आप डेवेलोप करेगा तो अब यह प्रतिस्पर्धा में हम सभी लोग efficiently काम करें और कोल इंडिया का प्रोडक्शन जो 1 बिलियन टन लेकर जाना था उसका हम फिर एक बार गति दे रहे हैं, रेलवे की लाइनें तैयार कर रहे हैं जिससे evacuation हो, 225 मिलियन टन की हमने माइनें already दे दी हैं, कुछ और माइनें मेरे मन में हैं और विचार में हैं जिसको हम कोल इंडिया को देकर कोल इंडिया को इतना पावरफुल एक कंपनी बना देंगे कि अब वह सदियों तक इस देश को efficiently और profitably सेवा कर सके|

Q: Methodology for coal block auction if you can tell ?

A: Broadly, the methodology is going to be the same as we had done in the earlier coal blocks. It will be a forward auction, people will be encouraged to bid through a transparent e-bidding platform and then there will be an auction process after short-listing the bidder. So, what we had done last time, 50% of the bidders were eliminated subject to a certain minimum, and the rest would then compete amongst themselves through the transparent process, which I will make sure in now Coal Ministry or Shastri Bhavan, PIB office we will have a display light we did in the earlier coal block auction, and we will invite all the press to participate and enjoy the auction process which is really quite interesting.

You have seen the benefit of that in solar power, now you are seeing the benefit of that in wind power, we have enjoyed the benefit of that in LEDs as a nation, collectively. We have enjoyed the benefit of that in transmission lines. And, now in commercial coal mining, the same honest transparent bidding which will help maximize the revenues to Odisha, West Bengal, Jharkhand and all these backward regions.

Q: Sir, what is the royalty offered to them?

A: No, royalty is a fixed amount. The additional amount that they will pay as auction fee, that will be the bidding amount and it will be a forward auction.

Q: End-use and price restriction?

A: There is no end-use restriction, there is no price restriction. That is the beauty of this scheme. It will encourage people to be efficient and bring down the prices in the market, so that there is more competition and the people of India can get the maximum benefit.

Q: Sir, how many mines will be allowed for commercial coal mining by private companies and by when will you notify these?

A: We are in the process of identifying and finalizing the mines, but there is no limit. We will go about it gradually, in a calibrated manner. I am seeing the market response. In our mind, we have some big mines, some mid-sized mines, and some small mines.

Q: Can you name a few?

A: We will decide and we will give you information. But we will have all sizes, so that big and small all companies can come in and bring in efficiency in it.

Q: By when will you notify this methodology?

A: As soon as we decide .

प्रश्न: सर दो सवाल हैं, कोल इंडिया और रेलवे का एक मज़बूत गठबंधन के तौर पर एक रहा है हमेशा, आपको लगता है कि आपने नौकरियों की बात की, प्रधानमंत्री का भी एक सपना था कि 2 करोड़ नौकरियां हमें हर साल जनरेट करनी है, तो इनसे लगता है कि कोल इंडिया और रेलवे के जो गठजोड़ है उससे आने वाले दिनों में नौकरियों के जैसे आप कह रहे हैं कि लाखों लोगों को मिलेगी, तो दोनों का अगर काम तेज़ी से होता है तो क्या नौकरियां और जनरेट हो जाएँगी?

उत्तर: बहुत बड़े रूप में होगी, मैंने, in fact, railways की जो थोड़ी बहुत आंकलन अभी तक निकाला है, रेलवेज अकेला लाखों लोगों को अलग-अलग प्रकार से काम के अवसर देगा और अभी कुछ और नए प्रोजेक्ट जैसे विद्युतीकरण, हमने शत-प्रतिशत विद्युतीकरण का निर्णय ले लिया है| उससे एक प्रकार से देश भर में और बैकवर्ड रिजन्स में जो लोगों को काम नहीं मिलता था उनको काम मिलेगा क्योंकि रेलवे लाइनें देश भर में है, स्टेशन डेवलपमेंट देश भर में होगा, बैकवर्ड एरियाज में होगा| इसी प्रकार से वाई-फाई, सीसीटीवी, यह पूरे देश भर में हम लेकर जा रहे हैं, तो अलग-अलग प्रोजेक्ट्स से देश भर में लाखों लोगों को काम मिलेगा|

प्रश्न: सर आपने कहा कि कम्पटीशन जब बढ़ता है तो कामकाज सरकारी कंपनियों का बेहतर होता है, ट्रांसपेरेंसी ज्यादा आती है, क्या यह बैंकिंग सेक्टर का भी समझते हैं कि लागू होगा?

उत्तर: कोयले और रेलवे में जिस प्रकार से अभूतपूर्व विकास पिछले तीन चार वर्षों में हुआ है और जिस प्रकार से इसमें तेज़ गति लाने से economies of scale का भी benefit मिला, जिस प्रकार से अलग-अलग तरीकों से रेलवे और कोल में benefit हुआ है उसी प्रकार से भारत सरकार के हर क्षेत्र में हमने पारदर्शिता को बढ़ाया है और जो पुरानी विरासत में मिली हुई हमें तकलीफें थी उस सब को उजागर करके मैं समझता हूँ माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की सरकार ने आज भारत को क्या चल रहा था पहले यह सामने दिखाया कैसे लोन बांटे जाते थे, कैसे 2004 से 2014 के बीच तीन गुना लोन हो गए| आपको मैंने पिछली बार भी एक बार बताया था कहाँ 18 लाख करोड़ लोन थे यह बैंकों के 2004 में, क्यों वह बढ़कर और कैसे बढ़कर और किस टाइप की कंपनियों को वह देके 54 लाख करोड़ हो गया 2014 में और वह सब चीज़ें अब बाहर आ रही हैं|

मैं समझता हूँ यह साहस सिर्फ यह सरकार कर सकती थी देश को बताने का कि कितना गलत काम हुआ है, और किस-किस प्रकार के लोगों को लोन दिए जाते थे| और जैसे-जैसे हमने सफाई-छठाई शुरू की और चीज़ों को उजागर किया तो यह सब चीज़ें बाहर आने लगी हैं और इसका देश की जनता उस समय की सरकार को सीधा सवाल पूछेगी कि आपने किस प्रकार के लोगों को लोन दिया, इन लोन को देने के पीछे हेतु क्या था, किस प्रकार के लोगों को लोन देने में उस समय की सरकार का क्या रोल था, यह सब सवाल जनता उस समय की सरकार को पूछेगी|

Thank you.

Subscribe to Newsletter

Podcasts