Speeches

November 8, 2017

Speaking at Press Conference on Anti Black Money Day, in Ahmedabad

अपने कार्यकर्ताओं के साथ लोगों को मिलने गया था और जितना प्यार और स्नेह मुझे देखने को मिला, जितनी महिलाएं अपने-अपने घरों से बाहर आईं, जो रिस्पांस था, जिस प्रकार से संपर्क के दौरान लोगों में उत्साह था उसमें मुझे निकलने में थोड़ा विलंभ हो गया, वहां पर लोग छोड़ नहीं रहे थे, आने नहीं दे रहे थे, निकलने नहीं दे रहे थे इसके लिए मैं आपसे क्षमा मांगता हूँ|

पर एक प्रकार से मुझे आज दर्शन हुआ माननीय प्रधानमंत्री जी के गुजरात के लोगों में भारतीय जनता पार्टी और उसके नेतृत्व के लिए कितना स्नेह है, कितना विश्वास है और किस प्रकार से उनमें संकल्प है कि भारतीय जनता पार्टी को फिर एक बार गुजरात की कमान संभालना, जो लक्ष्य 150 सीटों का भाजपा ने रखा है उसके प्रति जनता का समर्थन, प्यार, आशीर्वाद का मुझे स्वयं आज दर्शन हुआ|

आज एक ऐतिहासिक दिन है, इसी दिन एक वर्ष पहले प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने अपने कार्यकाल के सबसे महत्वपूर्ण कदम, काला धन और भ्रष्टाचार ख़त्म करने के लिए लिया था| विमुद्रीकरण, नोटबंदी 8 नवम्बर 2016 में एक प्रकार से देश में फिर एक बार विश्वास पैदा किया कि एक नेता इतना साहस रखता है कि किसी भी कठिनाई का सामना करने के लिए तैयार है लेकिन भारत माता को भ्रष्टाचार-मुक्त और काला बाजारी, काले धन से निजात देने के लिए कठोर निर्णय लेने के लिए तैयार है|

भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने समय-समय पर 2014 से आज तक देश की अर्थव्यवस्था सुधरे, देश की अर्थव्यवस्था ईमानदारी की तरफ जाये, फॉर्मल इकॉनमी जो unorganised काम होता था जिसमें अलग-अलग प्रकार की भ्रांतियां थी उनको हटाकर देश एकजुट होकर एक टैक्स में सम्मिलित हो उसके लिए जीएसटी का बहुत महत्वपूर्ण कदम सभी पार्टीज को साथ में लेकर एक unanimous decision हुआ कि देश में जीएसटी लगे, बेनामी संपत्ति के कानून को और कड़क बनाया, उसके रूल्स नोटिफाई किये, 28 वर्ष के विलंभ के बाद इस कानून के हिसाब से कार्रवाई शुरू की, मॉरीशस, सायप्रस, सिंगापुर, स्विट्ज़रलैंड, ऐसे जितने टैक्स हेवेंस या डबल टैक्सेशन ट्रीटी के जो मिसयूज़ होता था ऐसे जगहों के साथ पिछली सरकारें अपने आपको असमर्थ महसूस करती थी बदलाव लाने के लिए| प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री ने इन सब अग्रीमेंट्स में भी बदलाव लाकर देश की अर्थव्यवस्था को और मज़बूत किया और देश की संपत्ति और टैक्स revenues को सुनिश्चित किया|

आज वास्तव में देशवासियों को हम धन्यवाद देना चाहते हैं, देशवासियों के साहस, स्नेह और समर्थन आशीर्वाद के लिए जिन्होंने कष्ट सहते हुए भी नोटबंदी में भारत का विकास जुड़ा हुआ है, भारत के भविष्य में एक ईमानदार अर्थव्यवस्था की छवि जुड़ी हुई है| और देश और विदेश में भारत की पहचान बदले, भारत एक ईमानदार देश के रूप में पहचाना जाये, निवेश बढ़े, निवेशकों को चिंता नहीं हो भ्रष्टाचार की, अफसरशाही की, ऐसा बड़ा सन्देश आजके दिन पूरे देश में गया| एक प्रकार से राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जो स्वच्छता और सच्चाई के प्रतीक हैं, जिन्होंने जीवनभर देश स्वच्छ हो, देश ईमानदार हो उसके प्रति अपने जीवन को समर्पित रखा, यह सही मायने में देखें तो श्रधांजलि है बापू को और मुझे ख़ुशी है कि मुझे आज अहमदाबाद आने का मौका मिला, अह्मदाबादियों से मिलने का मौका मिला, संपर्क करने का मौका मिला, उनका उत्साह और स्नेह देखने का मौका मिला| और आज पूरा समाज किस प्रकार से देश में सुधार तेज़ गति से हो रहा है, विकास तेज़ गति से हो रहा है उससे संतुष्ट है वह भी देखने को मिला|

नोटबंदी के कारण देश में formalize तो हुई इकॉनमी, official चैनल्स बढ़े, कल ही मैं व्यापारियों के साथ सूरत में मुलाकात कर रहा था तो व्यापारियों ने एक स्वर में चाहे वह टेक्सटाइल के व्यापारी हों, डायमंड के व्यापारी हों, अलग-अलग क्षेत्र के लोग, एक स्वर में उन्होंने जीएसटी का समर्थन किया, कहा कि हम यह नयी ईमानदार व्यवस्था से जुड़ना चाहते हैं, अब वह पुराने ज़माने के दो-दो बहीखाता, यह कच्चा यह पक्का, इस सबसे हम निजात चाहते हैं, छुटकारा पाते हैं| खासतौर पर जो युवा पीढ़ी थी युवा पीढ़ी का उत्साह व्यापारियों में, उद्यमियों में देखने लायक था, उनको पुराना ज़माना नहीं चाहिए, कुछ एक-दो युवा ने मुझे बताया डायमंड ट्रेड के कि सबसे अच्छा तो काम यह हुआ कि अंगाडिया ख़त्म हो गयी, अब सब माल ऑफिशियली आता है, गुजरात में जो आता है|

आतंकवाद के ऊपर भी बहुत बड़ा प्रहार हुआ, जो आतंकवादी घटनाएं थी जो left-wing extremism छत्तीसगढ़, झारखंड में देखने को मिलता था उसमें भी कमी हुई है, ज्यादा अधिक लोगों ने छत्तीसगढ़, झारखंड में हथियार छोडकर आतंकवाद और left-wing extremism, माओवाद और नक्सलवाद को छोड़ने का निर्णय लिया| जो पैसा बैंकों में आया उस पैसे की अब एक पहचान है, उसकी आइडेंटिटी है, खाता है, नाम है, पता है, इससे सिर्फ उस पैसे की छानबीन नहीं लेकिन उस पैसे को जिस अकाउंट में डाला उसकी छानबीन से मैं समझता हूँ किस प्रकार से पुरानी व्यवस्था में भ्रष्टाचार और काला बाजारी होती थी उसका सबका खुलासा इस डिपॉजिट्स के कारण सरकार को मिलेगा उसके लिए डेटा माइनिंग हो रहा है| जितने suspicious transactions थे लगभग 17,73,000 केसेस स्क्रूटिनी में गए जिसमें से जानकारियां मिलेंगी कि गलत काम कहाँ हो रहा था और उससे यह भी पता चलेगा कि ईमानदार पैसा जो बैंक में आया है वह पैसा आगे की अर्थव्यवस्था में काम में आएगा, उसकी वजह से ब्याज के दर गिरे हैं, जब टैक्स का बेस बड़ा होगा तो स्वाभाविक रूप से हमारे हाथ मज़बूत होंगे कि हम टैक्स के रेट्स कम कर सकेंगे|

तो अन्य-अन्य लाभों से यह नोटबंदी के निर्णय से मैं समझता हूँ देश की अर्थव्यवस्था और मज़बूत होगी, तेज़ गति से विकास की तरफ हम बढ़ रहे हैं| स्वाभाविक है कि इतने बड़े जब ठोस कदम उठाये जायेंगे, जब इतना बड़ा जीएसटी जैसा कानून लाएंगे तो ट्रांजीशन पीरियड में थोड़े समय के लिए जब तक लोग समझे नहीं, जब तक लोग उसके साथ पूरी तरीके से जुडें नहीं, थोड़ी बहुत कठिनाइयाँ आती हैं जिसके बारे में कल मुझे भी मौका मिला अच्छी चर्चा करने का, समझने का| और प्रधानमंत्री मोदी जी ने जैसा कहा है यह संवेदनशील सरकार है, समय-समय पर लोगों के फीडबैक के हिसाब से हम अपने आपको बदलाव की तरफ लेकर जाते हैं, बदलते रहते हैं, जैसे टैक्स बेस बढ़ेगा तो टैक्स रेट्स कम करते रहते हैं|

पिछली 3-4 बैठकों में कई ऐसे महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए जिससे कई टैक्स रेट्स कम हुए, प्रोसेस सिमप्लिफ्य हुआ| कल और परसों भी जीएसटी काउंसिल की बैठक है और जैसा आप सब जानते हैं जीएसटी काउंसिल में निर्णय अभी तक सब unanimous सर्वसम्मति से लिए गए जिसमें सभी पार्टियाँ शामिल थीं, सभी वित्त मंत्री देश भर के शामिल थे और सभी ने अपना-अपना revenue भी प्रोटेक्ट करना और सिस्टम को सिमप्लिफ्य करना इसके लिए मिलकर यह जीएसटी के कानून को पारित किया और साथ-साथ में जब-जब सुधार की आवश्यकता पड़ी तो उसको परिवर्तित किया|

एक मैं ज़रूर बताना चाहूँगा कि सबसे बड़ा लाभ कामगारों को हुआ, लगभग 50 लाख नए बैंक के खाते खुले और उससे सीधा अब तनख्वा, सैलरी, खाते में आती है बजाए कि कैश में| और उसका यह लाभ हुआ कि आज ईएसआईसी, स्वास्थ्य के बेनिफिट, स्वास्थ्य सेवा के बेनिफिट, लगभग 1 करोड़ 30 लाख और लोग ईएसआईसी से जुड़े तो उनके परिवार गिनें तो 6-7 करोड़ लोगों को मुफ्त में स्वास्थ्य सेवा मिलने का मौका मिला| जो लेबर को पहले unofficial sector की वजह से यह लाभ कभी मिलता नहीं था| लगभग 1 करोड़ 3 लाख लोगों को सोशल सिक्यूरिटी बेनिफिट मिला पीएफ से जुड़ने के कारण, और आज देश भर में मिनिमम वेजेस पे करने की श्रंखला तेज़ गति से बढ़ते जा रही है, आप जानते हैं 42% मिनिमम वेजेस मोदी जी की सरकार ने बढ़ाये थे पिछले वर्ष जिसका लाभ आज सामान्य मजदूर कामगार को अवश्य मिल रहा है|

डिजिटल इकॉनमी की तरफ भी देश तेज़ी से बढ़ रहा है, यूपीआई, जो भीम ऐप्प है (Bharat Interface for Money) जो बाबासाहेब आंबेडकर जी के श्रधांजलि में रखा गया है जिसका नाम भीम, इसमें बहुत तेज़ गति से वृद्धि हो रही है और लगभग 4-5 गुना आज भीम ऐप्प के माध्यम से यूपीआई के transactions होते हैं| Overall जो digital transactions हैं वह लगभग 58% बढ़े हैं पिछले एक वर्ष में जो ऐतिहासिक है, आगे चलकर यह और तेज़ गति से बढ़ेगा इसका हमें पूरा विश्वास है|

तो अलग-अलग फायदों के साथ आज India stands at the cusp of the journey of transformation, the journey of growth, the journey of good governance, the journey of honest government, honest politics and honest economy. मुझे पूरा विश्वास है कि गुजरात की जनता जो व्यापार भी समझती है, मेहनती है, कृषि और एग्रीकल्चर क्षेत्र में भी बहुत तेज़ गति से विकास कर रही है| इस गुजरात में जो जनता ने विकास की सराहना पिछले 22 वर्षों में भाजपा की सरकार चुनकर बार-बार लगातार दिए हैं, मुझे पूरा विश्वास है इस चुनाव में भी भारी बहुमत से 150 सीट लेकर भारतीय जनता पार्टी की सरकार फिर एक बार श्री विजयभाई रुपानी, मुख्यमंत्री, श्री नितिनभाई पटेल उपमुख्यमंत्री, और केंद्रीय नेतृत्व के सानिध्य में चलने वाली एक सक्षम, ईमानदार, विकास से प्रेरित सरकार को फिर एक बार चुनाव में जिताएगी|

बहुत-बहुत धन्यवाद|

 

प्रश्न-उत्तर

प्रश्न: पीयूष जी आपने अभी बताया 17 लाख खाते की अस्सेस्मेंट चल रही है तो यह कब तक पूरा रिपोर्ट आ जायेगा कि उसमें क्या है, क्या नहीं है?

उत्तर: देखिए यह जो डिपॉजिट्स हैं लगभग 3,68,000 करोड़ के डिपॉजिट्स यह ऐसे खातों में गए हैं जहाँ पर पहले transactions नहीं थे| जैसे आपने देखा होगा 2 लाख से अधिक शैल कंपनियां निलकी जिसमें पहले transaction नहीं थे अब transaction दिखे तो उनको deregister किया गया| यह जो जानकारियां हैं इसमें assessees को, जनता को पूरा मौका दिया जायेगा अगर genuine transaction है उनका, genuine cash on hand है, व्यापार का पैसा है तो कोई दिक्कत नहीं होगी| पर यह सिलसिला थोड़ा समय लेने वाला सिलसिला है, विभाग इतना बड़ा नहीं है कि इतने लाखों transaction को तुरंत कर सकता है लेकिन बिना किसी को harassment किये, पूरा मौका देते हुए और benefit of doubt भी देते हुए कि अगर कुछ लगे कि शायद ठीक हो सकता है तो छोडकर कोशिश करेंगे कि किसी को कोई तकलीफ नहीं हो|

लेकिन सबसे बड़ा लाभ यह हुआ कि पैसा जमा होने के कारण हमें वह पैसा जिस खाते में जमा हुआ उसका पूरा चित्ता-पट्टा खुल गया नहीं तो यह identify करना ही मुश्किल था कि ऐसे कौनसे खाते मिसयूज़ हो रहे हैं| तो मैं समझता हूँ यह सबसे बड़ा लाभ हुआ विमुद्रीकरण का कि वह खाते identify हुए, 2 लाख से अधिक शैल कंपनियों को बंद करने का हमें मौका मिला, 3,68,000 करोड़ रुपये इन्वेस्टीगेशन के अंतर्गत है, 23 लाख एकाउंट्स में| और एक और बात जो आपको आनंद आएगी सुनकर यह जो बड़े वैल्यू के नोट्स हैं, बड़े वैल्यू के नोट्स 86% हो गए थे टोटल करेंसी के – 86%| और 2004 के बाद हर वर्ष 12-13-14% यह हाई वैल्यू करेंसी बढ़ती जा रही थी|

जब यह विमुद्रीकरण का निर्णय लिया तब एक रिपोर्ट रिज़र्व बैंक की थी कि 6 लाख करोड़ उसमें एक-तिहाई पैसा ऐसा था जो कभी बैंक में वापिस आता ही नहीं था, मतलब किधर दबा पड़ा था या illegal transactions में ही लगा हुआ था, वह सब पैसा बैंक में आने के कारण अब लोगों को जवाब देना पड़ रहा है कि वह पैसा कहाँ था, क्यों पहले बैंकिंग सिस्टम में नहीं आता था, सीरियल नंबर से मालूम पड़ जाता है कि वह कभी बैंकिंग सिस्टम में circulate ही नहीं हो रहा था| और यह पैसा बैंकों में लो-कॉस्ट डिपाजिट जमा होने से आपने देखा होगा गत एक वर्ष में ब्याज के दर भी लगभग एक टका कम हो गया – 100 basis points. तो वह लाभ सीधा जनता को मिला|

आज घर खरीदने जाओ तो 8.3% पर स्टेट बैंक लोन देता है उसमें भी भारत की सरकार जो छोटे घर खरीदते हैं, जिनको 6 लाख रुपये तक का अफोर्डेबल हाउस चाहिए उसमें 6.5% ब्याज-मुक्त कर देती है 15 वर्ष के लिए| तो effectively तो 1.8% में आज गरीब आदमी अपना घर बना सकता है और 15 साल में थोड़ी-थोड़ी किश्त देकर उसको अपना फ्री कर सकता है|

तो मैं समझता हूँ यह सरकार ने जिस प्रकार से गाँव, गरीब, किसान, मजदूर, इन सबके प्रति अलग-अलग योजनाओं से उनके जीवन को सुधारना और जो 2022 तक न्यू इंडिया की कल्पना है प्रधानमंत्री जी की, एक इंडिया जो भ्रष्टाचार-मुक्त हो, एक इंडिया जहाँ पर हर व्यक्ति के सर पर छत हो, अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं मिलें, बिजली चौबीस घंटे हो, अच्छा पेयजल हो, और इन सब मापदंड में मुझे लगता है गुजरात ने जो ऐतिहासिक प्रगति की है उसको अगले पड़ाव तक लेकर जाने के लिए भारतीय जनता पार्टी की सरकार प्रतिबद्ध रहेगी|

प्रश्न: पीयूष जी मेरे दो सवाल है मेरे, कल पूर्व प्रधानमंत्री यहाँ आये उन्होंने कहा कि बुलेट ट्रेन के मसले को लेकर ‘exercise in vanity’ तक कह दिया कि ….. पूरा करने के लिए आपने यह किया? दूसरा सवाल अभी सूरत में राहुल यह कह रहे हैं कि आपने एक देश, एक टैक्स, एक रिफार्म की बात करी थी, अब 5 अलग-अलग स्लैब्स में लेकर आ गए इससे जनता को तकलीफ हो रही है, हमारे जीएसटी को देरी इसलिए हम लोग कर रहे थे क्योंकि व्यापारियों को मारना नहीं था?

उत्तर: बहुत अच्छे सवाल आपने पूछे और अच्छा है मुझे स्पष्टीकरण देने का मौका मिल गया इसी बहाने| पहली बात तो आप सब जानते होंगे कि बुलेट ट्रेन का प्रोजेक्ट 6-7 साल पहले से चल रहा था, इसका काम, इसकी स्टडीज, इसकी सर्वेस वगैरा 6-7 साल पहले शुरू हुई, लेकिन पिछली सरकार भ्रष्टाचार में इतनी लिप्त रहती थी कि उसको विकास के लिए समय नहीं था| भ्रष्टाचार और घोटाले की सरकार उसी काम में लिपटी रही, बिजी रही, निर्णय लेना और जापान के साथ आप जब गवर्नमेंट टु गवर्नमेंट इतना बड़ा निर्णय लो जिसमें लगभग मुफ्त में आपको पैसा मिलना है तो उसमें तो भ्रष्टाचार कुछ होने का उनको लाभ था नहीं तो इसलिए उन्होंने निर्णय लिया नहीं|

आज अगर वैनिटी की बात कर रहे हैं तो कोई मनमोहन सिंह जी को पूछिए कि आपने 6-7 साल पहले यह सर्वे क्यों शुरू कराया, आपने मेट्रो ट्रेन इतने देश भर में लगाये, मेट्रो ट्रेन की लागत से सस्ती आज भारत में मोदी जी बुलेट ट्रेन ला रहे हैं| 200 करोड़ रुपये अनुमानित प्रति किलोमीटर खर्चा मेट्रो ट्रेन से कम है, इतना hard negotiation bargain करके हमने इसको सस्ता किया, पैसा .1% ब्याज में 50 वर्ष का पैसा, जो भारत के इतिहास में पहली बार आया है, 50 year money at .1%, लगभग ना के बराबर| और ultimately भारत को कांग्रेस की जो सोच थी वह भारत को backward ही रखने की सोच थी, आखिर इतने accidents वगैरा की जो समस्या है क्योंकि सालों साल न कोई आधुनिक टेक्नोलॉजी लायी गयी रेलवे में, न कोई improvement किया गया railway passenger amenities और services में, safety standards में|

हमारी सरकार ने निर्णय लिया है कि एक तरफ safety, existing infrastructure को सुधारना, upgrade करना, उसपर उतना ही जोर लगाया जाये जितना आधुनिकीकरण और नयी टेक्नोलॉजी पर लगाया जाये| और दोनों में कोई अंतर विरोध नहीं है, दोनों simultaneously parallelly चल सकती हैं| जैसा मैंने पहले भी कहा है safety के लिए, passenger amenities के लिए नयी लाइनें लगाने के लिए कोई पैसे की कमी भारतीय रेल में नहीं है|

मैं जबसे आया हूँ आपने देखा होगा हमने safety के ऊपर unlimited budgets sanction किये हैं, जितना खर्चा हो उसको तेज़ गति से हम safety की तरफ track renewal हो, unmanned level crossings को बंद करना हो, passengers के लिए सुविधाएं, escalators, देश में लगभग 3000 से अधिक escalators लगने जा रहे हैं पूरे देश में, suburban services सुधार करना, elevated railways लगाना, अलग-अलग प्रकार से सुविधाएं सुधरे, बढ़ें, सुरक्षा सुधरे, उसके लिए कोई funds की कमी नहीं है, इसलिए मैं समझता हूँ एक तरफ existing network का सुधार, दूसरी तरफ आधुनिक टेक्नोलॉजी और यह तो पहला ही फेज है, इसके बाद देश भर में बढ़ाकर मेरे मन में कल्पना है कि 10,000 किलोमीटर का एक पूरा जाल बिछाया जाए जिसमें हर एक व्यक्ति को लम्बे डिस्टेंस भी जाने की सुविधा हो, सेफ हो|

आप जानते हैं शिन्गनसेन जो टेक्नोलॉजी है यह 1964 में जापान में लॉन्च हुई, भारत ने इसको 50 साल पहले लाना चाहिए था, 50 साल विलंभ कर दिया इसको लाने में अधिकांश समय कांग्रेस की सरकारें रही| मोदी जी में साहस था कि भारत और हमारे भारत के युवा लेटेस्ट टेक्नोलॉजी चाहते हैं, नयी दुनिया के साथ जुड़ना चाहते हैं नए भारत को इसलिए हमने इसको तेज़ गति दी है, आगे चलकर इसको और मेक इन इंडिया के साथ जोडकर भारत में बनाएंगे, इसकी ट्रेन्स, इसके ट्रैक, इस पूरी व्यवस्था को सिग्नलिंग सिस्टम सब मेक इन इंडिया के तहत भारत में बनेगा, क्योंकि इस एग्रीमेंट में टेक्नोलॉजी ट्रान्सफर भी सम्मिलित है और आगे चलकर यह पूरे देश में हाई स्पीड ट्रेन्स की एक जाल बिछे, जैसे सड़कों का golden quadrilateral हमने बनाया था वाजपेयी जी के समय शुरू हुआ, मोदी जी के समय भारत माला से उसको लगभग 6 लाख करोड़ का इन्वेस्टमेंट हो रहा है, वैसे ही बुलेट ट्रेन्स भी देश भर में जनता की सेवा करे आधुनिक टेक्नोलॉजी, सेफ टेक्नोलॉजी के साथ|

राहुल गाँधी जी की बात तो बहुत ही चिंताजनक है| भारत में अभी भी असमानता बहुत है, एक तरफ गरीबी भी है और एक तरफ करोड़पति और अरब-करोड़पति रहते हैं, क्या राहुल गाँधी जी चाहते हैं कि अधिक टैक्स का बर्डन देश की गरीब जनता पर पड़े, देश के किसानों पर पड़े और जो अमीर लोगों के वस्तु हैं वह सस्ती हो जाये| क्या वह इस बात से नाराज़ हैं कि हमने बीएमडब्ल्यू कार और रेंज रोवर और बेंटली के ऊपर अधिक टैक्स लगाकर उसको महंगा किया जिससे वह जो पैसा कलेक्ट होगा वह बोझ गरीब आदमी और किसान और मध्यम वर्गीय के ऊपर नहीं जाये?

मैं समझता हूँ राहुल गाँधी जी को अर्थव्यवस्था की या तो समझ कम है या उनकी संवेदशीलता अमीरों के साथ है, गरीबों के प्रति नहीं है यह दर्शाता है जब वह कहते हैं कि टैक्स अमीरों का कम करो और गरीबों का बढ़ाओ| मैं राहुल गाँधी जी पर स्पष्ट आरोप लगाता हूँ कि वह आज बड़े उद्योग और अमीर लोगों की वस्तुओं पर जो नरेन्द्र भाई मोदी ने भारी टैक्स लगाया है, सेस लगाया है उससे पीड़ित हैं| शायद उनको व्यक्तिगत भी उसकी वजह से महंगाई लग रही होगी बड़ी गाड़ियाँ खरीदने में, बड़े आलिशान वस्तुओं के ऊपर खर्च करने में, लेकिन हमारी सरकार ने वस्तु जो सामान्य आदमी से जुड़ा है, मध्यम वर्गीय परिवारों में लगता है वह सस्ता हो उसके लिए टैक्स रेट बहुत कम रहे और अमीर आदमी को जो वस्तु खरीदने में कोई कठिनाई नहीं हो वह और महँगी होने से भी उनके ऊपर टैक्स का बोझ ज्यादा हो यह इस सरकार की प्रतिबद्धता रही|

आगे चलकर जैसे-जैसे टैक्स का कलेक्शन सुधरेगा, बढ़ेगा, सब लोग फॉर्मल इकॉनमी से जुड़ेंगे और संभावना होगी तो मोदी जी ने तो बार-बार कहा है कि यह सरकार खुले दिल से, खुले मन से और जनता के साथ बार-बार बातचीत करके इसमें सुधार लाने के लिए संकल्पित है| आपने देखा होगा पिछली दो-तीन बैठकों में 100 से अधिक वस्तुओं के जीएसटी रेट्स कम किये गए, कल और परसों और एक बैठक है, हो सकता है कुछ और आइटम्स क्योंकि टैक्स कलेक्शन अच्छा हो रहा है, अच्छी टैक्स कलेक्शन हो रही है जीएसटी के माध्यम से, हो सकता है कुछ और आइटम्स में जीएसटी काउंसिल निर्णय ले, परन्तु जैसा मैंने कहा जीएसटी काउंसिल सभी राज्यों को लेकर अपना निर्णय सर्वसम्मति से ले रहे हैं|

प्रश्न: सर एक तरफ एक साथ पूरे बैंक के अकाउंट…. खुले हैं, और दूसरी तरफ सरकार को इनके NPA कम करने के लिए stimulus देने की ज़रूरत पड़ी, बैंकों की हालत इतनी खराब है…….(inaudible)?

उत्तर: यह बैंकों की हालत पूरी तरीके से कांग्रेस के शासन के दौरान जो उन्होंने गलत प्रकार से लोन दिए उसकी वजह से यह बैंकों की यह हालत बनी, खासतौर पर 2007 और 2012-13 के बीच जो indiscriminate lending हुआ और उसमें भी काफी चीज़ें बाहर आ रही हैं जिससे ध्यान आता है कि सीधा दिल्ली में बैठे अधिकारी और राजनीतिक नेता आर्डर कर-करके लोन दिलवाया करते थे अपने समर्थकों को, अपने पार्लियामेंट मेम्बर्स को या अपने पार्टी वालों को और उसके कारण जब यह डिफ़ॉल्ट होता था तो उसको एवरग्रीनिंग करते थे – एक लोन नया देकर पुराने लोन का ब्याज भरना और ऐसे कर-करके सिर्फ समस्या को टालते रहना|

मोदी जी ने कहा यह गलत काम बंद होना चाहिए, कोई राजनीतिज्ञ, कोई अधिकारी interfere नहीं करेगा, रिज़र्व बैंक और बैंक ईमानदार व्यवस्था से काम करेंगे, जो सच्चाई है उसको सामने लाएंगे, जहाँ पर गलत काम हुआ है उसपर कार्रवाई होगी| और आपने देखा है कई जगह सीबीआई ने, ईडी ने सबने जब कार्रवाई की तो बहुत सारी चीज़ें सामने आ रही हैं कि कैसे लोन गलत दिए जाते थे| पर यह बैंक हमारे सरकारी बैंकों को मज़बूत बनाना भी हमारी ज़िम्मेदारी है, वहां लाखों कामगार काम करते हैं, जनता के डिपाजिट हैं उसके लिए bank recapitalization एक regular process है, विश्व में अन्य-अन्य समय पर अन्य-अन्य देशों ने किया है, भारत ने भी पहले bank recapitalization के द्वारा बैंकों को सुधार किया है और हम उस प्रक्रिया से हमारे सभी बैंकों को और मज़बूत बनाएंगे| मुझे विश्वास है इससे मुद्रा लोन जैसे किसान लोन जैसे जो हमारी अलग-अलग schemes हैं उसमें और ब्याज के दम करने में हमें सहूलियत होगी|

प्रश्न: 200 करोड़ का डिफरेंस बताया था मेट्रो और बुलेट ट्रेन में…??

उत्तर: 200 करोड़ नहीं, मैंने कहा 200 crores per kilometer is the cost of bullet train, और मेट्रो ट्रेन कई जगह पर 250 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर, 300 करोड़ प्रति किलोमीटर ऐसे होती है| एक फरक है कि स्टेशन ज्यादा लगते हैं, पर वह एक फरक इतना खर्चा जस्टिफाई नहीं करती है, तो बुलेट ट्रेन ने जितना hard bargaining और negotiation करके हम दाम कम कर पाए हैं और टेक्नोलॉजी हमें साथ में मिलेगी उसके कारण मुझे लगता है भारत भी आधुनिक होगा, सेफ होगा और पैसेंजरस को एक अच्छा ट्रांसपोर्ट का मीडियम – आखिर आज आप समझो मुंबई से अहमदाबाद 3-3.5 घंटे में आ जायें या सूरत से अहमदाबाद एक-सवा घंटे में आ जायें तो कितना ज्यादा व्यापार इस पूरे बेल्ट में बढ़ेगा और गुजरात में अधिकांश यह बुलेट ट्रेन का रूट है| तो गुजरात वासियों को और महाराष्ट्र के मुंबई टु धानू रूट में कितना ज्यादा तेज़ गति से औद्योगीकरण और peripheral activity, economic activity विकास होगा उसका आप अनुमान लगाइये|

प्रश्न: (inaudible)

उत्तर: मुश्किल नहीं है समय लगता है, नहीं, ऐसा नहीं कहा मैंने, मैंने कहा कि स्टाफ कम है लेकिन साथ में हम डेटा माइनिंग यूज़ कर रहे हैं, टेक्नोलॉजी की सहायता, तो टेक्नोलॉजी ट्रिगर दे देता है कि एक खाते में इतने सालों में कोई डिपाजिट नहीं है, सडनली 100 करोड़ रुपये डिपाजिट हो गया तो वह सामने आता है और उससे उस खाते में और क्या मिसयूज़ हुआ है पुराना वह भी सामने आता है| तो डबल बेनिफिट होता है, जो पैसा तो ज़ब्त होता ही है साथ में पुराने भी चीज़ें सामने आती हैं|

मैं एक उदाहरण देता हूँ आपको ध्यान में आएगा कैसे डेटा माइनिंग से लाभ होता है और कैसे विमुद्रीकरण से सीधा लाभ काला धन पकड़ने में होता है| एक व्यापारी ने दक्षिण में, दक्षिण भारत में 94 करोड़ रुपये कैश में जमा किये 8 नवम्बर से 10-12-14 नवम्बर तक, जब डेटा माइनिंग के हिसाब से एक ट्रिगर आता है कि सडनली इतना बड़ा कैश एक अकाउंट में जो पहले कभी नहीं होता था| तो जब पूछताछ हुई तो उसने बताया कि 5000 लोग 2-2 लाख रुपये लेकर मेरी दुकान पर आ गए 8.30 बजे के बाद 8 नवंबर, 2016 को, वह लोग कौन थे उसका अता पता मैंने नोट नहीं किया है, सिक्यूरिटी कौन थी जब इतने लाखों रुपये, करोड़ों रुपये दुकान में आ रहे थे वह भाग गए,  पैसा किसने गिना, स्टाफ? वह मुझे अभी याद नहीं है| तो स्वाभाविक है कि इसमें सख्त से सख्त कार्रवाई हो सकेगी, सख्त से सख्त ऐसे जो काला बाज़ार करने वाले लोग हैं उनकी जानकारियां, पर्दा फाश होगा|

तो जो ईमानदार व्यापारी हैं, जो ईमानदारी से अपना उद्योग चलाता है, व्यापार चलाता है उसका स्वाभिमान बढ़ता है और उसको लगता है हाँ, एक ऐसी सरकार है जो मेरी ईमानदारी का मुझे एक तरीके से मुझे इनाम देती है और मेरे व्यापार को और अच्छा बनाने के लिए काला बाजारी लोगों को पकडकर ईमानदार व्यापार को प्रोत्साहन देती है|

प्रश्न: सर आपने शुरुआत में टैक्स हेवेंस की बात कही, नोटबंदी का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य यह भी था कि इस तरीके को ख़त्म किया जाये, पर लास्ट 3 साल में एक जनरल परसेप्शन विपक्ष का यह भी रहा है और विरोध भी रहा है कि इस तरीके का पैसा ख़त्म करने के लिए कोई नए कदम नहीं उठाये गए, SIT तो बनी थी ब्लैक मनी की उसका भी कोई अनाउंसमेंट या कोई कार्रवाई और दूसरा लास्ट में पनामा और पैराडाइस स्कैम यह भी हमारे सामने आये, लेकिन सरकार की तरफ से कोई कार्रवाई नज़र नहीं आई?

उत्तर: आपको शायद थोड़ी जानकारी कम मिली है इस विषय में लेकिन मैं पूछना चाहूँगा कि 2004 से 2014 कांग्रेस और उसके नेता 4 कदम, 2 कदम बता दें जो उन्होंने काला बाज़ार रोकने को किया, क्यों कोयले के ब्लॉक्स के आवंटन में इतना बड़ा भ्रष्टाचार हुआ? आखिर मेरे कोल मंत्री बनने के बाद तो थोड़े ही ब्लॉक्स अभी तक हमने नीलामी की है और उसी में 3 करोड़ से अधिक आगे चलकर ऑक्शन में से पैसा आएगा, टेलिकॉम 2G स्पेक्ट्रम सस्ते में देने का निर्णय कांग्रेस के नातों ने क्यों लिया, कॉमनवेल्थ गेम्स मुझे जहाँ तक याद है 40,000 रुपये का एक-एक टॉयलेट पेपर रोल था ऐसा ही कुछ था ना? इस सबका कौन जवाब देगा और कौन उत्तरदायित्व होगा?

तो एक घोटालों की सरकार और उन्होंने तो पाताल, ज़मीन के नीचे, किधर भी नहीं छोड़ा, सब जगह घोटाले ही घोटाले सामने आये और उसका खामियाना उनको करना पड़ा जनता ने उनको जवाब दिया, 2014 के चुनाव में, 10% भी लोक सभा में उनकी सीट नहीं आ पाई| लेकिन, हमारी सरकार ने पहली कैबिनेट में SIT बिठाई, SIT के दिखाए हुए रास्ते पर जो-जो वह सुझाव दे रहे हैं उन सुझाओं पर काम चल रहा है लगातार, घोषणा तो लगातार होती रह रही है, उसमें से काफी सुझाव SIT से आते हैं|

साथ ही साथ हर एक चीज़ में पारदर्शिता, जो पारदर्शिता हमारी एक प्रकार से यूनीक आइडेंटिटी है इस सरकार की, हर निर्णय पारदर्शिता से, हर निर्णय ओपेन्ली करना, नीलामी से लोगों को नेचुरल रिसोर्सेज देना, यह इस सरकार की विशेषता रही है| और मैं समझता हूँ जितने कठोर कदम हमने उठाये हैं 3-3.5 साल में इतना शायद भारत के इतिहास में कोई सरकार ने इतने कठोर कदम काला बाज़ार, काला धन और भ्रष्टाचार पर नहीं उठाये हैं|

जहाँ तक पनामा और पैराडाइस पेपर्स हैं, वित्त मंत्री ने कल बताया पनामा पेपर्स पर हर एक पर enquiry हुई, investigation हुई, वैसे ही पैराडाइस पेपर्स में भी जो 714 नाम आये हैं हर एक से पूछताछ होगी| लेकिन सिर्फ नाम आ जाना उससे आप सीधा उसको दोषी नहीं करार कर सकते, छानबीन के बाद एक लीगल प्रोसेस करके कोर्ट के समक्ष यह जानकारी रखनी पड़ती है| मैं तो हैरान हूँ कि पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के बड़े नेताओं ने यह डिमांड की हमारी सरकार खुलासा कर दे इन सब नामों की| और वह भलीभांति जानते हैं आखिर 10 वर्ष उन्होंने सरकार चलाई 2004 से 2014, भलीभांति जानती है कि अगर यह डेटा हम पब्लिक कर दें सरकार की तरफ से, प्रेस करे तो उसमें कोई आपत्ति नहीं है, हम कर दें तो जो कोऑपरेशन विदेशी देशों से हमें चाहिए वह कोऑपरेशन मिलनी बंद हो जाएगी अंतर्राष्ट्रीय प्रोटोकॉल के तहत|

तो हम यह जानकारियां सिर्फ कोर्ट में दे सकते हैं, कोर्ट से फिर जो कोर्ट निर्णय ले और कोर्ट जानकारी बाहर दे वह कोर्ट के अधिकारों में है| लेकिन यह जो पूछ रहे थे कि जानकारी पब्लिक हो क्या इसके पीछे कोई रहस्य था, क्या वह कुछ अपना नाम बचाना चाहते थे कांग्रेस के नेता, क्या वह इन्वेस्टीगेशन को हानि पहुँचाना चाहते थे या रुकवाना चाहते थे, यह कांग्रेस के नेताओं को इसका सवाल जा जवाब देना होगा|

प्रश्न: सर जीएसटी आप बता रहे थे गरीब लोगों को ज्यादा फायदा देने के लिए ……. तो पेट्रोल-डीजल क्या अमीरों का.. उसको क्यों जीएसटी में शामिल नहीं किया और ..??

उत्तर: नहीं, हम तो चाहते हैं, वित्त मंत्री और हमारी सरकार ने बार-बार यह रिक्वेस्ट किया है कि पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को जीएसटी में शामिल किया जाये, राहुल गाँधी जी आज सूरत में है, आप उनसे पूछिए कि उनके जो 6 फाइनेंस मिनिस्टर्स अभी भी जीएसटी में कल बैठेंगे वह सब हमारा समर्थन करें तो हम जीएसटी में पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स लाने के लिए तो हम खुद मांग रहे हैं, वित्त मंत्री ने खुद कहा है … और सर्वसम्मति से फैसला हो जाये तो हम चाहते हैं कि पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स भी जीएसटी में आयें|

प्रश्न: सर मेरे तीन सवाल हैं| सर राहुल गाँधी ने अभी सूरत में कहा कि जीएसटी और नोटबंदी के कारण देश की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा और जिसका फायदा भारत के जो मेन चैलेंजर्स है उनको मिला है| दूसरा सवाल है कि आपने अभी जिस तरह से कहा कि अगर आप नाम जारी नहीं करेंगे तो विदेश से जो सपोर्ट मिलता है वह मिलना बंद जायेगा?

उत्तर: अगर हम जारी करेंगे| ऐज नहीं करेंगे तो पूरा सपोर्ट मिलता है, इन्वेस्टीगेशन के बाद हम कोर्ट में वह नाम दे सकेंगे|

प्रश्न: लेकिन प्रधानमंत्री जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब वही बार-बार यह इशारा कर रहे थे, बार-बार अपने भाषण में बोल रहे थे कि लोगों के नाम जारी कर दिए जाएँ?

उत्तर: इन लोगों पर कार्रवाई हो और नाम तो जारी कोर्ट में ही करना पड़ेगा, पब्लिक कर देती तो उस टाइम पर भी, आखिर चिदंबरम जी ने यही जवाब दिया था पार्लियामेंट में कि पब्लिक जानकारी कर दें तो फिर फॉरेन कंट्री से सपोर्ट नहीं मिलता है|

प्रश्न: तीसरा मेरा सवाल यह है कि बुलेट ट्रेन जैसा प्रोजेक्ट है वह हेल्थ प्रोजेक्ट और एजुकेशन बजट से भी ज्यादा है तो फिर इसको importance ज्यादा क्यों किया जाता है? हालांकि रेलवे अपने….. की वजह से तीन साल में डिले हुई है और दूसरा उसे सुधार करने का प्रोजेक्ट अभी…. नहीं लाया गया है?

उत्तर: आपकी जानकारी में थोड़ी कमी है, मुझे लगता है आपको पता नहीं है रेल सुरक्षा एक लाख करोड़ का सुरेश प्रभु जी ने बनाया है| शायद आपको ध्यान में नहीं आ रहा है कि पूरे देश में कैसे एक्सिस्टिंग रेलवे ट्रैक्स की स्पीड बढ़ाने के लिए और रेलवे स्टेशनों को अपग्रेड करना, वाई-फाई लगाना, साफ़-सुथरा बनाना, प्लेटफार्म में सुधार करना, यह सब कार्यक्रम पिछले तीन वर्ष से लगातार चल रहे हैं और उसी के कारण जो रेलवे पर हर वर्ष यूपीए-2 के समय 40-45-48,000 करोड़ रुपये सालाना खर्चा होता था, प्रधानमंत्री मोदी जी के आने के बाद इसको डबल से भी ज्यादा किया गया| और इस वर्ष रेलवे का 1,31,000 करोड़ रुपये खर्चने का अनुमान है एक्सिस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर, बुलेट ट्रेन तो गिना भी नहीं|

तो आपकी जानकारी में एक शायद यह भी कमी है कि हेल्थ और एजुकेशन बजट से ज्यादा बुलेट ट्रेन है यह एकदम गलत है| हेल्थ और एजुकेशन पर जो खर्चा होता है वह कई गुना ज्यादा है, बुलेट ट्रेन में 5 साल में 2022 तक जो पैसा खर्चा होगा उसका अधिकांश हिस्सा जापान से .1% – ना के बराबर लो, जो 15 साल मोरेटोरियम और फिर 35, कुल 50 वर्ष में रिपे करना है| तो यह आधुनिक टेक्नोलॉजी आने से देश में लाखों लोगों को रोज़गार मिलने का साधन बनेगा, नया मेक इन इंडिया के तहत हम यह सब भारत में बनाएंगे, एक बार यह बनेगा तो मेट्रो ट्रेन लगाने का भी खर्चा कम होगा, बुलेट ट्रेन का भी कम होगा| और जो एक्सिस्टिंग नेटवर्क है इसको सुधार करने के लिए भी हमारे हाथ में ताकत आएगी, आधुनिक टेक्नोलॉजी आएगी|

अब व्यापक सोच तो एक प्रगतिशील विकास से जुड़ा हुआ प्रधानमंत्री ही रख सकता है, बाकी जो सरकारों ने अपने आपको भ्रष्टाचार में बिजी रखा उनको इतनी व्यापक सोच कि टेक्नोलॉजी लाओ, आधुनिक टेक्नोलॉजी आएगी, मेक इन इंडिया होगा, इंडिया में लाखों लोगों को नौकरी मिलेगी, फिर हम विदेश में भी भेज सकेंगे हमारी यहाँ की बनाई हुई बुलेट ट्रेन तो एक्सपोर्ट की इनकम होगी| यह सब चीज़ें देखते हुए होलिस्टिक थिंकिंग के साथ इस प्रोजेक्ट को प्रोत्साहन दिया गया है| भारत की जनता चाहती है, भारत के युवा-युवती चाहते हैं कि भारत अंतर्राष्ट्रीय comity of nations जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का भी नाम ऊंचा हो, गौरवमय हो, हम नहीं चाहते कि यहाँ पर एक underdeveloped, undeveloped, developing economy का हमारे ऊपर पूरे समय यह रहे, हम भारत को विश्वस्तरीय इकॉनमी बनाना चाहते हैं|

प्रश्न: (inaudible)

उत्तर: उनको अगर अर्थव्यवस्था की इतनी समझ होती तो जब 10 साल एक के बाद एक जो निर्णयों के कारण जो चाइना और भारत के बीच का ट्रेड गैप था वह आप 2004 का निकल लीजिये और 2014 का निकल लीजिये और आप देखेंगे कि कितने गुना हो गया है| तो अगर उनमें ज़रा भी संवेदना होती भारत के लिए, भारत के उद्यमी और व्यापारी के लिए तो इतना बुरा हाल 10 साल में देश का नहीं करते| हम भारत के स्वाधीन अपने स्वदेशी लोगों के बनाये हुए चीज़ों को प्रोत्साहन देने के लिए जितने निर्णय चाहे वह एंटी-डंपिंग हो कई विषयों पर, चाहे वह प्रोटेक्ट करना भारत की इकॉनमी में भारत की स्टील इंडस्ट्री को प्रोटेक्ट करना, छोटे उद्योग को प्रोटेक्ट करना, सस्ते ब्याज पर मुद्रा लोन देना, अलग-अलग तरीके से हम भारत को आत्मनिर्भर और मज़बूत बनाना चाहते हैं|

Thank you, आभार पीयूष जी|

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November 6, 2017 Speaking with ABP News on demonetisation

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