Speeches

November 6, 2017

Speaking at Aaj Tak’s programme ‘Takkar’ in New Delhi

प्रश्न: ब्लैक मनी के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक कहलाने वाले demonetization को एक साल होने को हैं, 365 दिन बाद demonetization पास था या fail| आजतक की और इंडिया टुडे की इस बड़ी बहस, बड़ी टक्कर में आज आमने सामने हैं केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल और उनका मुकाबला करेंगे कांग्रेस के सचिन पायलट| स्वागत है आप दोनों का|

मंत्री जी आपसे शुरू करते हैं, आप उस खेमे में हैं जो मानता है कि नोटबंदी पास थी, आपके हिसाब से एक साल बाद जिस उम्मीद से, जिस सोच से demonetization का सर्जिकल स्ट्राइक किया गया| क्या वह सारी जो सोच थी वह हकीकत में बदली?

उत्तर: मैं समझता हूँ कि इस देश में काला धन ख़त्म हो, भ्रष्टाचार के ऊपर वार हो, यह इस सरकार की प्राथमिकता पहले दिन से रही| 2014 में जब से हम सरकार में आये, एक के बाद एक अहम फैसले लेकर हमने देश और दुनिया के समक्ष रखा कि काला धन और भ्रष्टाचार अब ख़त्म होगा इस देश में, उस प्रकार का व्यापार इनफॉर्मल इकॉनमी को पूरी formalize करनी की यह चेष्टा करेंगे और एक के बाद एक स्टेप लेते हुए जीएसटी आने के पहले कैश इकॉनमी, और जो व्यापार कैश से होता है उसके ऊपर एक बड़ा वार करने का यह निर्णय 8 नवम्बर, एक साल पहले लिया गया|

इसके multifaceted, बहुत सारे लाभ हमारे समक्ष आज के दिन दिखते हैं, लगभग पूरा पैसा किस-किस ने डाला आज एक नाम और पता, आइडेंटिटी आ गयी है और उसपर जिस प्रकार की कार्रवाई डेटा माइनिंग कर के, डेटा analyze कर के ध्यान में आ रहा है उससे लगता है सिर्फ वह पैसा नहीं जो शायद illegitimately बैंक में डाला गया, लेकिन उस ट्रेल को लेकर जैसे शैल कम्पनीज में लगभग 2 लाख कम्पनीज deregister कर दी गयी, साढ़े तीन लाख के करीब transactions शक के घेरे में हैं| उसमें से 5000 ही transaction का डेटा माइनिंग किया तो 4000 करोड़ की transactions सामने आ गयी|

और सिर्फ पैसा जो जमा किया नहीं, उसके पहेल भी अगर किसी ने उस कंपनी या उस व्यवस्था को यूज़ करके जो गलत काम किया तो एक प्रकार से काले धन और भ्रष्टाचार करने वाले लोग जिन्होंने इसमें अपना पैसा किसी न किसी तरीके से डालने की भी कोशिश की उन सबके पुराने चित्ते-पट्टे और आजका यह पैसा, यह मिलाकर एक बहुत बड़ा मेसेज गया है, साथ में बहुत सारे और फायदे, ईपीएफ ले लो तो एक करोड़ नए खाते खुल गए, ईएसआईसी में 1.3 करोड़ नए खाते खुल गए| तो इससे ध्यान में आता है कि लोगों को मिनिमम वेजेस भी मिलनी शुरू हुई होगी जो पहले नहीं मिलती थी, और उसमें भी हमने 42% वृद्धि की|

और बढ़ते जायें तो फायदे… I can, terrorism की activities में थोड़ा कमी आई है, left-wing extremism में जितने लोगों ने surrender किया वह रिकॉर्ड रहा है लास्ट year में| तो एक के बाद एक, cashless economy की तरफ देश जाये और demonetization का एक बहुत बड़ा लाभ यह हुआ कि लोगों में यह जागरूकता आई कि less-cash economy देश हित में है, बिल लो, पूरा टैक्स पे करके लो, informal economy को एक प्रकार से ख़त्म करके GST-ready भी देश को बनाने का काम demonetization से हुआ|

प्रश्न: आपने कई फायदे गिनाये मंत्री जी| पीयूष जी विरोधी कहते हैं कि अगर घर में मच्छर घुस आये तो उस मच्छर को मारते हैं, पूरे घर को नहीं जलाते| पीयूष गोयल आपकी बात पर सचिन पायलट यह कह रहे हैं कि आपने जिस तरीके का इकॉनमी पर प्रहार कर दिया, नोटबंदी के फायदे बाकी तरीके से भी हो सकते थे पूरी इकॉनमी को जलाने की ज़रूरत क्या थी?

उत्तर: वैसे इस देश का दुर्भाग्य यही है कि कांग्रेस पार्टी को भ्रष्टाचार या लाखों करोड़ रुपये के घोटाले करते हुए उनको सिर्फ एक मच्छर दिखता है, उनको ध्यान नहीं आता है कि देश की जनता के ऊपर कितना नुकसान और देश की अर्थव्यवस्था कितनी डैमेज होती है इस प्रकार के भ्रष्टाचार से जो सालों साल कांग्रेस ने इस देश में किया है| जहाँ तक बात रही कि कैशलेस की बात उस दिन नहीं की, कोई हर एक बात हर वक्तव्य में तो नहीं दी जाती है, कैशलेस इकॉनमी की तरफ जाने का निर्णय सरकार का फरवरी 2016 में ही अन्नौंस हो गया था, 23 कड़े कदम उठाये गए थे और कैशलेस इकॉनमी को जाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है, यह continuing process था, 16 फरवरी के आस पास यह decision लेकर, 23 निर्णय लेकर अन्नौंस किया था कि कैशलेस की तरफ जाना है|

जहाँ तक बात रही, यह आंकड़ों की बात कर रहे हैं, यह भूल रहे हैं कि number of taxpayers कैसे बढ़े तो लोगों को undisclosed income detect करने के बदले हम प्रोत्साहित कर रहे हैं कि आप अपनी income disclose honestly करो, number of taxpayers बढ़ गए, Idea scheme निकाली तो 65,000 करोड़ रुपये लोगों ने अपने खाते में जमा करके उसपर टैक्स भर दिया| सचिन जी कह रहे हैं कि आतंकवाद बढ़ा है, मैं समझ नहीं पा रहा हूँ जबकि reality है कि left-wing extremism जितने लोगों ने surrender किया वह भी बढ़ा है और terrorist activities झारखंड, छत्तीसगढ़ में घटी हैं| आप stone pelting देख लें तो लगभग एक-चौथाई रह गयी है जो पिछले वर्ष थी नोटबंदी के पहले, इन सब गतिविधियों पर भी availability of fake currency इसलिए कम हुई, अब जैसे बड़े वैल्यू के नोट्स हैं, 16.5 लाख करोड़ थे और 16.5 लाख करोड़ भी लगभग 2004 से 2014 के बीच हर वर्ष 12-13% बढ़ते-बढ़ते यह हो गए| तो यह 16.5 लाख करोड़ 18 लाख करोड़ होते हैं आजके दिन, उसके बदले आज सिर्फ 12 लाख करोड़ के बड़े वैल्यू के नोट्स हैं, कोई अर्थव्यवस्था में दिक्कत नहीं है, सब कारोबार ठीक चल रहा है|

Digital transactions, गत एक वर्ष में 58% बढ़ी हैं, तो स्वाभाविक है कि देश ईमानदारी की तरफ जा रहा है, देश recognize कर रहा है कि अब यह काला बाजारी करना, tax evade करना इसका कोई लाभ नहीं है, और मैं समझता हूँ देश इससे GST के लिए भी ready हुआ और इससे आगे चलकर एक विश्वसनीयता देश और विदेश सभी जगह भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगी, ब्याज के दर कम हुए, ज्यादा पैसा available रहा for lending to small and medium enterprises. हर प्रकार से, आप जितने इसके अलग-अलग पहलू देखें, cash in the economy कम होने से स्वाभाविक है कि लोग formal transactions ज्यादा करेंगे, formal करेंगे तो GST successful होगा|

प्रश्न: तालाब में छोटी मछलियाँ मर गयीं लेकिन जो मगरमच्छ है वह तो बाहर निकल गया?

उत्तर: नहीं तो इसकी जानकारी अगर सचिन जी के पास है तो हमें मदद करें कि हम जो मगरमच्छ क्रिएट किये गए थे पहले उनको भी हम जल्द से जल्द कटघरे में खड़ा कर सकें| सचिन जी आप गलती यहाँ कर रहे हैं कि आपको ध्यान में नहीं आ रहा है formalize होने से इकॉनमी कैसे कामगार, मजदूर, गरीब को फायदा होता है| आज 1 करोड़ 3 लाख additional EPFO में subscribers आये, कोई वर्ष में पहले कभी इतनी वृद्धि नहीं हुई, ESI में 1 करोड़, 30 लाख नए ESI के subscribers आये तो सीधा 5-6 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य की सेवाएं मिल जाती हैं|

अब यह सब क्यों हुआ? क्योंकि लोगों ने formal economy में जुडकर आज तन्ख्वाएं official channel से देनी शुरू की उससे साथ में minimum wages देने के लिए भी बाध्य हो गए| हमने 42% minimum wage बढ़ाया था इस सरकार ने सभी sectors के लिए, तो आज एक गरीब आदमी जो कामगार है उसको एक अच्छा जीवन जीने के लिए जो minimum wages भी नहीं मिलता था जिसको स्वास्थ्य सेवाएं या social security नहीं मिलती थी वह हमने सुनिश्चित की| जहाँ तक income tax के payees की बात है हम तो कह ही रहे हैं हमने 2014 से लगातार यह सिलसिला चालू रखा है काले धन और भ्रष्टाचार के खिलाफ यह चालू, चलता रहेगा और इसी के कारण है कि the tax base is also increasing, tax base बढ़ेगा तो स्वाभाविक है कि tax rates कम करने में भी सरकार का साहस बढ़ेगा|

और अब यह बार-बार इनके मन में है कि RBI ने किया या government ने किया इसके ऊपर तो मैंने ही स्पष्टीकरण दी थी पार्लियामेंट में, फिर एक बार समझा देता हूँ शायद समझने में कुछ कठिनाई होगी कांग्रेस के मित्रों को| यह निर्णय RBI के board पर दिया गया as a recommendation from the government, उस board ने उसको स्वीकृत करके final जो call लेना होता है वह cabinet ने लेना होता है| तो एक well-established process है जो Reserve Bank Act में stipulated है, स्वाभाविक है उस process के तहत इसका निर्णय RBI और government के दोनों की मिली सहमति से यह निर्णय लिया गया|

प्रश्न: मंत्री जी मैं आपको बताऊँ कि demonetization की पहली anniversary पर भारत में जो लघु उद्योग के तमाम केंद्र हैं वहां से हमने अपने रिपोर्टरों को भेजकर ground report कराई – लुधिआना, मुरादाबाद, वाराणसी, सूरत, मुंबई, दिल्ली के इर्द-गिर्द जो फैक्ट्री के इलाके हैं वहां पर हमारे रिपोर्टरों ने पाया कि जो छोटा उद्योगपति है वह काफी प्रभावित है demonetization के बाद और GST के चलते उसका बिज़नेस अभी पूरा रिकवर नहीं हुआ है| कईयों ने बताया कि कम से कम 40-50% उनका जो turnover था उसपर impact हुआ, उनका कहना है कि कई सारे जो उनके साथ employees थे उनको hire करने की अब उनकी हालत ही नहीं है| तो कहीं न कहीं small and medium enterprises को जो चोट पहुंची है उससे अभी पूरी recovery नहीं हुई है?

उत्तर: अलग-अलग उदाहरण आपकी उस रिपोर्ट में मैं स्पोर्ट्स गुड्स का देख रहा था, स्पोर्ट्स गुड्स वाले कह रहे थे कि हमारे काम में तो बहुत वृद्धि हुई है| तो यह individual case by case जो लोग formal economy से जल्दी जुड़े जो formal economy में tax structure के अन्दर आ गए उनका व्यापार तेज़ गति से ठीक हो गया| अगर कुछ लोग informal economy में अभी तक रहते हैं उनको शायद समय लगेगा समझने में कि अब कर की चोरी करना advisable नहीं है| मैं समझता हूँ यह कोई one-size-fits-all आपकी रिपोर्ट के हिसाब से निर्णय नहीं ले सकते हैं| The fact is कि overall एक देश में लोगों के अन्दर भावना उठी है कि अब आर्थिक व्यवस्था सुधरी है, आर्थिक व्यवस्था ईमानदार हो रही है और ईमानदार व्यवस्था से जब सब लोग जुड़ते हैं तो उसका स्वाभाविक है लाभ होता है, टैक्स रेट्स कम हो सकते हैं, टैक्स बेस बढ़ने से a larger number of people when they are paying taxes, तो सरकार की ज़रूरतों के हिसाब से टैक्स रेट्स भी घट सकते हैं|

तो मुझे लगता है कि it’s too early, GST के अभी-अभी 3 महीने के अनुभव के हिसाब से सुधार की प्रक्रिया निरंतर चालू है जिसमें कांग्रेस के भी Finance Ministers अभी तक GST Council में अभी तक पूरी तरीके से देश कांग्रेस-मुक्त हुआ नहीं है, जब तक कांग्रेस-मुक्त नहीं होता तो वह सम्मिलित हैं यह सर्वसम्मति से जो निर्णय लिए जाते हैं| मुझे तो समझ नहीं आता कि यह double standards कैसे हैं कि GST Council में कुछ और और बाहर कुछ और कहना, यह वास्तव में कांग्रेस की क्या सोच है, आर्थिक सोच, यह क्यों क्लियर नहीं हो रही है उनके अन्दर यह मेरे समझ में नहीं आ रहा है|

सचिन: मैं समझा देता हूँ आपको पीयूष जी, पहली बात तो मुझे बड़ा आश्चर्य होता है कि सरकार में जो लोग बैठते हैं वह वास्तविकता से इतनी दूर हट जाते हैं, एक साल बाद आज हमें बताया जा रहा है कि ईएसआई बढ़ जायेगा, टैक्सेज शायद कम हो जायेंगे लेकिन एक साल में जो मार पड़ी है, जो अर्थव्यवस्था चरमराई है, जीडीपी 2% कम हो गया, ….. वेज बढ़ नहीं रही, नौकरी मिल नहीं रही, मुझे तो कोई दुकानदार या आज तक वैसा वाला नहीं मिला जिसने कहा हो कि नोटबंदी से मेरे इकनोमिक प्रोग्रेस मेरे को मिली है| और हमें लगता है कि आप लोग जो बातें करते हैं जीएसटी की आपने कहा, जीएसटी एक अच्छा इशू है लेकिन जिस प्रकार आपने implement किया है उसका परिणाम भुगतना पड़ेगा बहुत जल्द और तभी प्रधानमंत्री जी ने कल बोला कि हम और कुछ रिहायत देंगे, क्योंकि यह push back आ रहा है छोटे व्यापारियों से जैसे आपने कहा राहुल जी, देश में भावना है अब कोई उसको न माने तो अलग बात है|

लेकिन बात नोटबंदी की हम करें, नोटबंदी के माध्यम से मुझे लगता है कि इस देश के अन्दर ज़रूरत नहीं थी, जो आप भ्रष्टाचार के खिलाफ, काले धन के खिलाफ कदम उठाना चाहते थे, उठा सकते थे लोगों को कॉन्फिडेंस में लेकर| लेकिन आपने नोटबंदी करके जो हमको कहा देश में ऐसा होगा वैसा हुआ नहीं है| आज आप इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट्स की बात कर रहे हैं, RBI बोल रहा है कि जो electronic transactions हैं वह pre-नोटबंदी की लेवल तक पहुँच चुके हैं, तो एक उछाल आया वापिस आ गया, लेकिन e-wallet और digital payment ही नोटबंदी का उद्देश्य था क्या? नोटबंदी के उद्देश्य से आपने काला धन ख़त्म करने की बात की थी, कितना काला धन आपने पकड़ा है और मुझे तो लगा था कि नोटबंदी के बाद जो पैसा जमा होगा तो बीजेपी ने कहा था 15 लाख रुपये हर खाते में आयेंगे, हमने कहा हो सकता है पहली किश्त उसी की मिल जाये वह भी नहीं हुआ| तो ले देकर बहुत बड़ा failure साबित हुआ है कोई इस बात को माने या न मने|            

उत्तर: नहीं, आपकी बात में बहुत सारी चीज़ों में सिर्फ गोल-मोल ही बात है, स्पष्ट बात अगर देखें तो जितनी जनता है वह जनता आज प्रधानमंत्री मोदी जी और इस निर्णय के साथ खड़ी है, चुनाव आफ्टर चुनाव उसके बाद, आखिर चुनाव जनता उसमें निर्णय लेने का जो प्रक्रिया है उसका अगर सर्टिफिकेशन है तो वह जनता देती है| कांग्रेस से तो सर्टिफिकेशन हमें मिलना नहीं है|

सचिन: पंजाब में सर्टिफिकेट नहीं मिला आप लोगों को?

उत्तर: पंजाब के कारण चुनाव के आप भी जानते हैं, मैं भी जानता हूँ, पर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड….. तो ठीक है पंजाब एक स्टेट के सामने जो देश भर के चुनाव हुए| नहीं चुनाव एक सर्टिफिकेशन है| आंकड़ों की जहाँ तक बात है, digital transaction 58% बढे, यह फॉर्मल इकॉनमी और ईमानदार इकॉनमी बढती है कि नहीं, they have not come back to pre-demonetization. I think you are mistaken.

Second, second जो आप बार-बार सोचते हैं कि workers को या छोटे दुकानदार को लाभ नहीं हुआ, reality यह है कि 50 लाख नए खाते खुलकर आज workers को official payment उनके खाते में जाती है| जो suppliers हैं अलग-अलग प्रकार के, चाहे वह vegetable suppliers हो, food grains हो उन सबको भी formal economy से जोडकर आगे उनकी ऋण लेने की capacity….

सचिन: मंत्री जी फॉर्मल इकॉनमी तो जुड़ना चाहिए लेकिन क्या नोटबंदी ज़रूरी थी उसके लिए?

उत्तर: नोटबंदी इसलिए ज़रूरी थी कि जो लाखों करोड़ बड़े नोट लोगों के घर में या किधर छुपे हुए थे वह एक बार बाहर आने से, बैंक में आने से…

सचिन: सारे बाहर आ गए?

उत्तर: बाहर तो आये ना, वह तो फिगर सबके पास है| वह तो बाहर आये और बाहर आने से आज सिर्फ….

सचिन: तो वह काला धन कहाँ चला गया, अगर बैंक में जमा सारे पैसे हो गए तो फिर काला धन कहाँ चला गया?

उत्तर: सचिन जी अगर एक बार बैंक में पैसा जमा हो जाता है तो वह ब्लैक टू वाइट नहीं हो जाता है, अब उसकी छानबीन से लोगों को जवाब देना पड़ता है|

सचिन: अब क्या है राहुल, अब वह tax terrorism, अब लोगों को नोटिस मिल रहे हैं, सच्चे-झूठे केस बन रहे हैं, तो tax terrorism, minimum governance की बात करते थे आज छोटा दुकानदार हो या बड़ा उद्योगपति हो जैसे ही मुंह खोलता है उसको फट नोटिस मिल जाता है| तो नोटिस देकर लोगों के अन्दर आतंकित करना कोई बहुत अर्थव्यवस्था का कॉन्फिडेंस जो है इकॉनमी में वह ख़त्म हो रहा है|

उत्तर: आप ऐसा तो मुझे बताइये कि कौन इसमें परेशान हुआ, जो भ्रष्टाचारी लोग हैं वह परेशान हुए, ईमानदार आदमी को इससे कोई कठिनाई हुई है| ईमानदार आदमी ने तो वेबसाइट पर रिप्लाई लिख दिया कि यह पैसा इधर का है उसको कितने तकलीफ नहीं हुई और जो 2 लाख लोगों ने……

प्रश्न: पर पीयूष जी, हकीकत यह भी तो है कि आप कितने चोरों को पकड़ पाएंगे, फ़र्ज़ कीजिये जैसे इन लोगों ने कहा कि Fair and lovely एक स्कीम है कि आपकी black white हो जाती है अगर आपने कहा कि अब इसका एक trace हो गया financial और हम लोगों को पकड़ सकते हैं तहकीकात के बाद, आपको मालूम है कि हमारा जो tax structure है, जो tax officials हैं, investigation wing है वह कितना बड़ा, कितना छोटा है, सवाल यह है कि अगर बहुतों ने चोरी की और सबने declare कर दिया उनका calculation यह था कि कुछ पकडे जायेंगे ज़्यादातर बच जायेंगे, जो पकडे गए वह tax pay कर देंगे बाकी बच गए उनका black to white हो गया?

उत्तर: ऐसा नहीं है, जब डेटा माइनिंग करते हैं और डेटा निकलता है तो लोगों को उसकी credible reason देनी पड़ती है, साथ ही साथ अकाउंट में और पुरानी transactions भी सामने आती हैं तो आखिर यह 2 लाख companies, shell companies जो deregister हुई हैं यह तो कांग्रेस के ज़माने में भी थी| जिस प्रकार से shell companies use होकर money laundering होता था उसपर आज तक कभी प्रहार नहीं हुआ था जो पहली बार हो रहा है| अब हाँ, अगर कोई गलत काम करे और उसको बचाने की कोशिश कोई करना चाहे या उसको tax terrorism का नाम दे तो मैं समझता हूँ हमारी सरकार उससे कोई डरती नहीं है|

प्रश्न: क्या यह मेसेज नहीं गया पीयूष जी कि यह मार्केटिंग वाली सरकार है, तमाम लोगों के कहा, इवेंट मैनेजमेंट में सरकार बहुत माहिर है, और ठीक है नियत सही है, कोशिश भी की लेकिन जितना कहते हैं उतना हुआ नहीं, होता कम है कहते ज्यादा हैं?

उत्तर: देखिए, 6 सरकार थी हमारी 2014 में, अगर सिर्फ इवेंट मैनेजमेंट वाली सरकार होती तो आज 18 सरकारें देश में नहीं होती, अगर इवेंट मैनेजमेंट वाली सरकार होती तो जहाँ ऑप्टिक फाइबर केबल 358 किलोमीटर लगा हुआ था 2014 तक आज 2,25,000 किलोमीटर नहीं होता, अगर इवेंट मैनेजमेंट वाली सरकार होती तो रेलवे का दोहरीकरण, रेलवे की नयी लाइनें, यह electrification यह सब इतने, almost double नहीं होता पिछली सरकार से| और आप जो आंकड़ा ले लो चाहे वह विद्युतीकरण हो, चाहे वह नवीकरणीय ऊर्जा हो, चाहे वह कोयले के उत्पादन की बात हो, चाहे वह digitalization of the economy की बात हो, चाहे वह fertilizer की बात हो, आखिर fertilizer का क्या होता था, कांग्रेस के समय में fertilizer chemical बनकर फैक्ट्रियों में जाता था और किसान सड़क पर आकर धरने बोलते थे, 3 साल में एक भी जगह खाद की कमी नहीं है, पता नहीं सचिन जी को कहाँ से नया issue आया है, 3 साल में एक भी जगह खाद की कमी नहीं हुई|

सचिन: क्योंकि पीयूष जी मैं उन किसानों के साथ धरने पर बैठा हूँ राजस्थान में जहाँ महीनों तक खाद नहीं मिला, लाठी चार्ज हुआ है, लोगों को पुलिस की निगरानी में जो बोरी होती है खाद की वह बिकी है|

उत्तर: आपने अगर उत्तेजित किया हो किधर किसी छोटे…. तो पता नहीं, आज देश में जबसे नीम कोटिंग हुई है…..

सचिन: आप आरोप लगाने का काम मत करो, आप सच्चाई से मुंह नहीं नहीं जोड़ सके… पीयूष जी किसानों की दुःख सुनने का अगर आप में दिल हो तो मैं लेकर चलता हूँ राजस्थान जाकर देखो आप, वहां किसानों पर गोली चल रही है मध्य प्रदेश में…

उत्तर: मैं नहीं समझता हूँ कि कोई किसानों पर गोली चल रही है, उत्तेजित करके आप अगर कोशिश करो तो वह आपकी…..

सचिन: उत्तेजित करें? गोली चला रहे हो आप, 6 लोगों के छाती पर गोली मार ली मध्य प्रदेश ने, किसान धरना दे रहे थे फसल और खाद के लिए| यह कहना कि 3 साल में आपने चमन लेकर आ गए हिंदुस्तान के अन्दर तो जीडीपी हमारी 5.5% पर कैसे आ गयी?

उत्तर: आपने स्थिति इतनी बिगाड़ कर दी कि 3 साल में तो कोई चमन नहीं आएगा, समय लगेगा चमन आने में लेकिन…… साढ़े तीन ….

सचिन: तो ऐसा है पीयूष जी, 4 साल हो गए आप कब तक कांग्रेस को कोसते रहोगे, आप कब तक कांग्रेस को दोष दोगे आपको 4 साल होने को आये हैं| आप सिर्फ कांग्रेस को दोष देने से …नहीं पड़ेगी, आपको अपना करना पड़ेगा|

उत्तर: मैं तो आंकड़े दे रहा हूँ कि किस प्रकार से तेज़ वृद्धि से चाहे वह roads हो, रेल…..

सचिन: तो किसान आत्महत्या क्यों कर रहे हैं पूरे हिंदुस्तान में, गोलियां क्यों चल रही है, धरने क्यों हो रहे हैं, ऋण माफ़ी क्यों करनी पड़ रही है आपको? किसान इतना परेशान है आज…..

उत्तर: 3 साल तक जो drought states थे उसमें हमने अगर ऋण माफ़ी करी है तो वह मैं समझता हूँ सरकार की संवेदना है, महाराष्ट्र सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी संवेदना उन इलाकों में….

सचिन: मैं आपको हाथ जोड़कर बोलता हूँ, प्लीज राजस्थान के किसान के लिए भी करा दीजिये, आपने उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र में करा दिया है, वसुंधरा जी को बोलकर राजस्थान के किसान का ऋण माफ़ भी करा दीजिये| मेरा आपसे निवेदन है आप बोल सकते हैं तो बोल दीजिये|

उत्तर: चलिए, वहां की स्थिति के हिसाब से तय होगा|

प्रश्न: पीयूष जी मेरे पास कुछ आंकड़े हैं, एक जो बड़ा मकसद demonetization का था वह यह कि fake currency पकड़ी जाएगी, जाली नोट पकडे जायेंगे| हमारे 2015 के National Investigation Agency के आंकड़े हैं जोकि कहते हैं कि उस वक्त 0.028% fake currency थी इकॉनमी में जोकि करीब 400  करोड़ रुपये थे, अभी क्या है RBI ने आंकड़े नहीं दिए उनका कहना है कि अभी भी गिनती चल रही है जाली नोटों की| लेकिन कुछ अर्थशास्त्रियों ने जो डेटा अभी तक RBI के सामने है उसके आधार पर calculate किया है कि 0.0007% 1000 रुपये के नोट और 0.02% 500 रुपये के नोट, जिसकी कुल मिलाकर वैल्यू ज्यादा नहीं होती है?

उत्तर: I don’t know these datas, लॉजिक क्या है? जाली नोट तो जब पकड़ा जायेगा तभी मालूम पड़ेगा, तब तक जो नोट बाहर है उसका तो मालूम ही नहीं पड़ेगा और अब वह जाली नोट्स वैसे भी useless हो गए क्योंकि जाली नोट को तो कोई cash कर नहीं सकता, use नहीं कर सकता| तो 1000 और 500 को SBN बनाकर (Specified Bank Notes) जो उसको रद्द किया, उसकी वजह से जो भी जाली नोट्स होंगे वह तो कागज़ का टुकड़ा ही बन गए ना अब तो use नहीं हो सकता है| That was one of the stated objectives.

प्रश्न: पर एक जो बड़ा मिशन था कि जाली नोट पर लड़ाई होगी, जाली नोट के खिलाफ…..?

उत्तर: हो गयी ना क्योंकि वह अभी वह जाली नोट, 31 मार्च के बाद तो कोई भी 1000 और 500 का नोट कोई काम का ही नहीं रहा|

सचिन: राहुल यह कह रहे हैं कि इतने कम जाली नोट थे तो आपको पूरे 15 लाख करोड़ ही नोटबंदी करनी पड़ी आपको वह जाली नोट पकड़ने की|

उत्तर: जाली नोट की डिटेल्स आपके पास ज्यादा होंगी मुझे तो मालूम नहीं कितना है|

सचिन: मेरे को RBI ने दिया है|

प्रश्न: RBI बहुत धीमे से गिन रही है, उनके पास मशीन नहीं है क्या गिनने की? वह एक-एक करके नोट गिनती है, इतना टाइम लग रहा है?

उत्तर: नहीं, नहीं, आप समझे नहीं, जाली नोट जो 400 करोड़ का फिगर या जो भी है यह वह बेसिस पर होता है जो पकडे जाते हैं, जो नोट पकडे नहीं गए वह तो, after all, किसी को मालूम नहीं कितने हैं क्योंकि नोटबंदी की गयी, अब यह जाली नोट्स तो useless हो गए ना, जिधर भी पड़े होंगे वह जाली नोट का तो कोई वैल्यू ही नहीं रहा|

प्रश्न: वह जो जमा हो गए ना बैंक में?

उत्तर: नहीं जमा तो हुए नहीं क्योंकि जमा हुए होंगे तो वह उनके कैलकुलेशन में आयेंगे|

प्रश्न: वही तो मैं बोल रहा हूँ कब आएगा कैलकुलेशन बाहर, यह बहुत धीमी-धीमी RBI की गिनती चल रही है?

उत्तर: देखिए इतने बड़े पयमाने पर नोट गिनती करने की व्यवस्था पूरे विश्व में किधर नहीं है, अब वह जो मशीन है गिनती है वह इस रूम से भी बड़ी है जो मशीन यह नोट्स गिनती है, वह नोट्स गिनती है, उसमें जाली नोट चेक करती है, bundling करती है, destroy करती है| तो यह एक सिलसिला RBI के हाथ में है, उनके पास जो व्यवस्था है उसके हिसाब से ही वह कर सकते हैं|

सचिन: एक साल तक अभी नोट गिने नहीं गए, हमें पता नहीं है कि कितने नोट जमा हुए हैं और कितने जाली थे और जो stated objective था कि जाली नोट हम पकड़कर ख़त्म कर देंगे वह अभी हमको कोई डेटा RBI ने दिया नहीं है|

उत्तर: भईया जो जाली नोट यूज़ ही नहीं हो पा रहे हैं वह तो ख़त्म हो गए ना|

सचिन: अरे पता तो पड़े ना?

उत्तर: कैसे पता चलेगा वह तो वेस्ट हो गए नोट|

सचिन: ऐसी कौनसी मशीन है जो RBI के पास नहीं है एक साल तक नोट ही नहीं गिन पा रहे है?

उत्तर: सचिन बाबू, वह नोट ही वेस्ट हो गए, वह नोट लग ही नहीं सकते|

प्रश्न: नहीं, वह तो कन्वर्ट हो गए रियल में, जो डिपाजिट हो गए कई सारे, इतने सारे जो नोट…?

उत्तर: The bank managers would return any such notes, there were not, कोई जाली नोट डिपाजिट नहीं हुए हैं|

सचिन: आप अलग-अलग बात बोल रहे हो, पहले तो कह रहे हो अभी गिन ही रहे हैं पता नहीं कितने जाली नोट होंगे, नहीं होंगे, फिर कह रहे हो जो बैंक मेनेजर देख लेगा वापिस कर देगा|

प्रश्न: That checks also, the RBI double checks.

सचिन: But RBI की autonomy को जिस तरह तहस-नहस किया है, आज हम देश वासियों को पहले गर्व होता था RBI की एक…. के ऊपर, एक autonomous body है, आज RBI का कुछ अता पता ही नहीं है कि नोट गिन पाएंगे नहीं गिन पाएंगे, कितने पैसे हैं किसने ऑर्डर किया| पहले इन्होंने कहा कि 2000 के नोट आयेंगे, फिर वह ATMs में उसको fit नहीं कर पाए, फिर अलग-अलग साइज़ के बना दिए और 74 notification 50 दिन में नोटबंदी के बाद| तो क्या preparation नहीं कर सकती थी सरकार अगर आपको करना ही था तो?

उत्तर: देखिए नोटबंदी का कोई decision preparation करके और जनता को अवगत करके तो नहीं किया जा सकता|

सचिन: RBI को तो बता सकते थे, RBI गवर्नर को तो बता देते बेचारे को?

उत्तर: RBI में भी जो व्यक्ति जो involved थे उनको पता था और यह एक-एक जो आप कह रहे हो कि ATM वगैरा की recalibration पहले से करने का तो संभावना ही नहीं थी|

प्रश्न: कुछ आंकड़े मैं आपको देना चाहता हूँ पीयूष जी क्योंकि एक बड़ा मकसद था कि कैशलेस इकॉनमी की तरफ हम बढ़ेंगे और लोग कार्ड का इस्तेमाल करेंगे| ऐसा हुआ भी, demonetization के फ़ौरन बाद, नवंबर में 671 million transactions हुई, पिछले साल के नवंबर में, वह बढ़ गयी 957 million में, दिसम्बर में, जुलाई आते-आते 862 हो गयी| और फिर अगर हम इसकी volume भी देखें कि किस volume की transaction हो रही है वह भी गिर रही है और जिसकी इसकी वैल्यू है दोनों, एक spike हुआ, spike के बाद थोड़ा stabilize हो गया| अब सवाल यह है कि क्या वाकई में behavior हमेशा के लिए चेंज हुआ क्योंकि हो सकता है कि लोग cash की तरफ …. बढ़ते जा रहे हैं?

उत्तर: देखिए, spike होकर stabilize होना तो अच्छा है अब और कदम उठाये जायेंगे|

प्रश्न: Spike होकर फिर गिरा भी है?

उत्तर: Slightly, और जो 23 steps लिए थे सरकार ने उस सब steps का continuous process रहेगा, जितना ज्यादा यह देश formalized economy में जायेगा उतना देश के लिए अच्छा रहेगा| और मैंने जो बड़ी बात कही थी आपको कि बड़े नोट्स कम हुए हैं और छोटे नोट्स ज्यादा रहने से मार्किट में जो खर्चा हो रहा है वह छोटे नोट्स का छोटे लेवल का खर्चा हो रहा है, बड़े नोट्स से जो भ्रष्टाचार में इस्तेमाल होता था वह नोट्स..

सचिन: राहुल अगर 1000, 500 के बंद कर दिए और 2000 के चालू कर दिए, तो obviously नोट्स कम हो जायेंगे ना?

उत्तर: नहीं, वैल्यू! Not number of notes, value.

सचिन: नहीं, I am saying value also, आपने 1000 रुपये का नोट बंद कर दिया, जब 2000 रुपये के नोट छापोगे तो आधे छापने पड़ेंगे|

उत्तर: अरे भाई, value of notes in the market has become less.

सचिन: यह कहा गया था कि बड़े वैल्यू के नोट्स बंद करोगे तो काला धन कम हो जायेगा लेकिन बड़ा वैल्यू का बंद करने के बाद उससे बड़ी वैल्यू का नोट निकल दिया|

उत्तर: वह तो इतनी बार discuss हो चुका है कि वह issue भी नहीं है, सचिन, जब आपने 15 लाख के आस पास करोड़ रुपये मार्किट से निकाले तो उसको remonetize करने के लियी… पर अब जिस-जिसके पास गया उसके बैंक से ही गया, stated identified लोगों के पास गया है और the bigger picture is कि जो लोगों ने accumulated पैसा रखा था वह सब बैंक में आने से अब उसकी identity आ गयी| यह नोट अब 12 लाख करोड़ हैं rather than 18 lakh crores, तो value-wise almost 1/3rd कम हो गया, तो this is a continuous purge on large value notes.

प्रश्न: पर सचिन, आखिर में यह बताएं कि क्योंकि हमें देखना है केवल demonetization को एक standalone move के तौर पर नहीं बल्कि जो सारी चीज़ें साथ में हुई, GST आप उसमें जोड़ दीजिये, benami properties के खिलाफ जो मुहिम चल रही है उसको जोड़ दीजिये, data mining चल रही है उसको जोड़ दीजिये, कुल मिलाकर आपको नहीं लगता कि जो हमारा ecosystem है, economic ecosystem, उसमें थोड़ी बेहतरी आ रही है?

सचिन: मैं सारे steps का समर्थन करता हूँ, जो भी कदम काले धन, भ्रष्टाचार के खिलाफ उठाने की कोई भी सरकार कदम उठाती है मैं उसका सपोर्ट करता हूँ, लेकिन मेरा मानना है कि नोटबंदी का जो एक कदम था वह यह कहकर  कि हम आतंकवाद, अलगाववाद और जाली नोट को बंद करेंगे और अब आप कह रहे हो डिजिटल पेमेंट बढ़ गए वह गले उतरती नहीं है explanation| लेकिन आप बाकी Acts बनाओ, आप लोगों को काला धन को समाप्त करने के लिए जो भी कदम उठाएंगे उसका हर व्यक्ति सपोर्ट करेगा, कौन सपोर्ट नहीं करेगा? लेकिन नोटबंदी को लेकर जो ढिंढोरा पीटा था, प्रोपगंडा एक पोलिटिकल किया था कि हम गरीबों की लड़ाई लड़ रहे हैं और बड़े-बड़े सेठों ने जो पैसा इकट्ठा किया उसको ख़त्म करेंगे, लोगों को विश्वास हो गया गरीबों को कि यह 15 लाख मेरे खाते में आने वाला है, वह प्रोपगंडा fail हुआ है यह मेरा कहना है|

उत्तर: नहीं, वह आपने कहा होगा, हमने वैसा नहीं कहा, हमने तो स्पष्ट यह कहा था कि काला धन और भ्रष्टाचार के कारोबार करने वालों को कैश की ज़रूरत पड़ती है, कैश इस्तेमाल करते हैं| वह जितना कैश उस समय पर था वह सब बैंक में आने से identify हुआ, identify होने के कारण उसकी transaction, data mining से पुरानी सब चीज़ें बाहर आ रही हैं|

सचिन: सब थ्योरी है, आंकड़ा आपके पास कोई नहीं है, भारत सरकार अभी तक नहीं बता पाई की कितना पैसा वापिस बैंक में जमा हो गया, 99% पैसा वापिस जमा हुआ है| आप लोगों ने कहा था कि 3 लाख करोड़ काला धन निकलेगा, 3 लाख करोड़ काला धन कहाँ है?

उत्तर: किसने कहा था?

सचिन: भारत सरकार ने कहा है, कई बार कहा है?

उत्तर: आप बता दीजिये किसने कहा, बता देना मुझे|

प्रश्न: नहीं आपके अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा जब चर्चा हो रही थी demonetization पर तो उन्होंने यह आंकड़ा सुप्रीम कोर्ट जज के सामने दिया कि 3 लाख करोड़ रुपये हमें उम्मीद है कि इतना black money पकड़ा जायेगा?

उत्तर: हाँ तो उससे ज्यादा ही पकड़ा जायेगा…

सचिन: कब तक पकड़ा जायेगा, पैसा तो बैंक में पड़ा है सारा?

उत्तर: हाँ तो बैंक में आने से अभी तो मैंने आपको बताया कि ब्लैक से वाइट नहीं हो जाता है| उलटे वह बैंक पर… बैंक में आने से उसकी आइडेंटिटी आने से जो भी transactions, अभी उदाहरण देता हूँ एक, एक सोने के व्यापारी ने 94 crore rupees बैंक में डाले| जब उसको पूछताछ हुई तो ध्यान में आया कि वह बोलता है 5000 लोग आये, 2-2 लाख रुपये हमें जमा कर दिए 8.50 और 12 के बीच और यह पैसा मैंने बैंक में डाला है| अब स्वाभाविक है कि यह पकड़ में आया पैसा, कारोबार…||

सचिन: बहुत अच्छा है, ऐसे तो 100 लोग पकड़ो आप, लेकिन जो छोटा रिक्शा खींचता है, ठेले लगाता है उन लोगों को आर्थिक तंगी है?

उत्तर: यह जो चोट पहुंची है और पता नहीं कांग्रेस के नेताओं को क्यों इतना ज्यादा तीव्र गुस्सा आता है इसपर क्या चोट पहुंची है जिसकी वजह से आपको…..

सचिन: मैं तो बड़े प्यार से पूछ रहा हूँ आपको, गुस्से का सवाल ही नहीं|

उत्तर: मैं इसलिए कह रहा हूँ आपको कि रिक्शा वाले को तो कोई नोटबंदी से नुकसान नहीं हुआ|

प्रश्न: पीयूष जी आप खुद गुजरात में काफी घूम रहे हैं, मैं भी 2-3 दफा गुजरात होकर आया| वहां पर आप जिससे बात करो सड़क चलते वह बोल रहा है कि धंदा मंदा है, जिससे भी आप बात करो, by and large, कहते हैं कि थोड़ा असर पड़ा और अभी recovery full नहीं हुई है| उनका कहना है कि बेहतर हो रही है लेकिन demo के बाद GST भी आया उसके बाद recovery नहीं हुई, कहीं न कहीं जो सवाल उठा कि गाड़ी अर्थव्यवस्था की तेज़ी से चल रही थी आपने चली दी गोली टायर पर, उससे गाड़ी क्या economy slow नहीं हुई, 5.7 तो GDP की रफ़्तार आ ही गयी?

उत्तर: यह expected था कि economy पर थोड़ा धक्का पड़ेगा और यह भारत नहीं, पूरे विश्व में जहाँ-जहाँ GST लागू की गयी है, there has been a small dip, but वह dip transitional period में रहता है, destocking होती है, लोग नयी व्यवस्था के साथ जुड़ते हैं तो you will see the upswing very rapidly in the days and months to come.

प्रश्न: चलिए, इसी को यहीं पर ख़त्म करते हैं, आप दोनों जुड़े हमारे साथ, आपका बहुत-बहुत शुक्रिया| पीयूष गोयल भी और सचिन पायलट भी आप जुड़े, आपने इस बहस में हिस्सा लिया, आपका बहुत-बहुत शुक्रिया|

Thank you.

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