Speeches

October 14, 2017

Panchayat Aaj Tak Gujarat: Fir Ek Baar Bjp Sarkar

प्रश्न: गुजरात पंचायत में इस वक्त हमारे साथ मौजूद हैं केंद्रीय रेल मंत्री, पीयूष गोयल| पीयूष जी स्वागत है आपका| एक तरफ आप ज़िम्मेदारी संभाल रहे हैं रेल मंत्रालय को सुधारने की, दूसरी तरफ गुजरात चुनाव में भी आप सक्रिय हैं| पॉवर में आपके काम की काफी सराहना हुई उसके बाद आपको एक नयी ज़िम्मेदारी दी गयी| आप कभी न कभी सोचते हैं ‘अरे कहाँ आकर फस गए’| रेल में इतनी सारी समस्याएं हैं आपके पास वक्त इतना कम कि आपको लगता है कि बहुत बड़ा चैलेंज है और बहुत बड़ी एक ज़िम्मेदारी भी?

उत्तर: सबसे पहले तो राहुल जी मैं गुजरात के लोगों का, गुजरात की जनता का नमन करता हूँ क्योंकि आज अगर 3-3.5 वर्ष के बाद जैसा आपने अभी-अभी कहा कि ऊर्जा क्षेत्र में इस सरकार ने बहुत अभूतपूर्व परिणाम दिए, उसका अगर श्रेय किसी को जाता है तो इसी धरती को, इसी पावन भूमि को जाता है| यह गुजरात के लोग थे, गुजरात की जनता थी जिसने विकास का मार्ग ऊर्जा क्षेत्र में पूरे देश को दिखाया| (Speaks in Gujarati)

और यह इसलिए कह रहा हूँ कि जिस दिन मैंने शपथ ली मंत्री के कारण, उसके दो-तीन दिन बाद मैं इसी क्षेत्र में गांधीनगर आया| गांधीनगर में दफ्तर में पूरे ऊर्जा विभाग के सभी अधिकारियों के साथ लगभग पूरे दिवस मेरी बैठक चली| और बैठक का उद्देश्य एक ही था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने ऐसा क्या चमत्कारी काम किया जो उनके मुख्यमंत्री बनने के दो-ढाई वर्ष के भीतर ही एक ऐसा राज्य जहां 14-15 घंटे बिजली कटौती होना एक स्वाभाविक रहता था कांग्रेस के राज्य में कैसे उस समय के मुख्यमंत्री मोदी जी ने पूरे प्रदेश में ऊर्जा भी सरप्लस कर दिया, पूरे प्रदेश में ऊर्जा की कीमतों पर भी लगाम कस दी, कैसे प्रदेश में चोरी रोकी, कैसे गाँव-गाँव तक बिजली पहुंचाई, घर-घर तक बिजली पहुंचाई, कैसे किसानों को पर्याप्त बिजली मिलने लगी|

और राहुल जी मेरा जो वह एक दिन का ट्रेनिंग क्लास था जिसमें मेरा कौशल विकास किया गया गुजरात गांधीनगर में उसने मुझे तीन वर्ष तक मार्ग दिखाया कैसा काम होना चाहिए, काम की तेज़ गति कैसी होनी चाहिए, विकास कैसे जनता तक को लाभ मिलना चाहिए, जनता तक पहुंचना चाहिए| और मुझे यह कहते हुए कोई हेज़िटेशन नहीं है कि जब माननीय प्रधानमंत्री जी ने यह नयी ज़िम्मेदारी दी रेल मंत्रालय की तो जिस प्रकार से हमने ऊर्जा में इस पूरे देश को एक प्रकार से चमका दिया| वह नासा की पिक्चर आपने भी देखी है, कैसे तीन वर्षों के अन्दर भारत का कोना-कोना बिजली से संपन्न हो गया, कैसे एक देश जहां वर्षों तक लोगों ने स्वीकार कर लिया था कि बिजली कटौती या बिजली की कमी तो वे ऑफ़ लाइफ है|

आज भारत में सरप्लस बिजली है, जब चाहे जिस जगह पर चाहे बिजली मिल सकती है, कोयला पर्याप्त मिलता है, नवीकरणीय ऊर्जा में इतनी छलांग लगी है कि पांच गुना सौर ऊर्जा हो गयी| मैं अभी-अभी आपका बोर्ड देख रहा हूँ पीछे, एक एलईडी कंपनी का बोर्ड है, एक केबल कंपनी का बोर्ड है, आपका यह प्रोग्राम भी पूरा अगर स्पोंसर करने की क्षमता कोई कंपनियों में है तो वह ऊर्जा विभाग से सम्मिलित होती है|

तो यही स्थिति अब रेलवे में भी कैसे और रेल यात्रियों को किस प्रकार से आधुनिक टेक्नोलॉजी से सुरक्षित किया जाये, सेफ्टी स्टैंडर्ड्स अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कैसे बनाये जायें, कैसे भारत में भी नयी जो तेज़ गति की ट्रेन्स विश्व में चलती हैं वह भारत में लायी जाये, किस प्रकार से पैसेंजर एक्सपीरियंस, जो ट्रेन में सफ़र करते हैं उन यात्रियों को भी एक नए रूप का एक्सपीरियंस मिले इसमें काम किया जाये|

प्रश्न: नहीं, पर रेल मंत्री जी, 20 साल से तमाम रेल मंत्रियों से बातचीत हुई मेरी भी, सबने यही सब गिनाया कि सेफ्टी होनी चाहिए, एक्सपीरियंस होना चाहिए, साफ़-सफाई होनी चाहिए और खाना अच्छा होना चाहिए| यही चीज़ें तो देश में जो ट्रेन में ट्रेवल करते हैं वह तो कितने रेल मंत्रियों से सुन रहे हैं?

उत्तर: राहुल जी, फरक काम का और काम की गति का है| मैंने तो वैसे लगभग 350-400 निर्णय अभी तक ले लिए हैं पिछले 35 दिनों में, पर मैं आपको एक झलक देता हूँ सोच कैसे बदलती है अगर आप जनता की सेवा को तेज़ गति देना चाहें| सेफ्टी का उदाहरण ले लेते हैं|

अभी तक एक 100 साल से भी पुरानी प्रथा थी कि फुट-ओवर ब्रिज, रेलवे का प्लेटफार्म, यह सब एमेनिटीज हैं, मैंने उस प्रथा को बदला कि यह भी सेफ्टी का अंग है और इसके लिए अब कोई बजट नहीं होगा, जितना पैसा लगे वह पैसा इसपर निर्धारित खर्चा किया जायेगा| पॉवर पूरी decentralize कर दी कि इसके लिए कोई, हर चीज़ के लिए रेलवे बोर्ड के पास नहीं जाना पड़ेगा|

इसी प्रकार से अगर कभी आप पुराना इतिहास देखें तो 5-5, 10-10 साल का बैकलॉग चलते रहता था safety के कामों में क्योंकि बजट restriction रहती थी| मैंने पूरी बजट restriction ही निकाल दी, एक mindset परिवर्तन करने की आवश्यकता थी|

प्रश्न: पैसा कहां से आएगा?

उत्तर: पैसे की कोई कमी नहीं है| मैंने स्पष्ट मेरे हर रेल अधिकारी को बोल दिया है पैसे की कदापि  भी कमी नहीं है, पैसे की कमी नहीं होगी| और जैसा हमने उत्तर प्रदेश में जो प्लान किया था कि भू माफिया को ख़त्म करो, जैसे हमने उत्तर प्रदेश में कहा था कि जिस प्रकार से खनन माफिया काम करता है, भू माफिया, वह सब चोरी रोककर जो पैसा बचेगा उससे जितना विकास के कार्य में पैसा चाहिए वह मिलेगा|

मैं अभी देख रहा हूँ कि हम जो तीन वर्षों में हमने जिस तेज़ गति से इन्वेस्टमेंट को प्रोत्साहन दिया है – आपको जानकारी होगी कि कांग्रेस के समय लगभग 45-48,000 रुपये सालाना निवेश होता था नए कैपिटल गुड्स में, इंफ्रास्ट्रक्चर में| माननीय सुरेश प्रभु जी के समय वह बढकर इस साल 1,31,000 करोड़ रुपये – लगभग ढाई गुना, मात्र 3 वर्षों में ढाई गुना निवेश रेलवे में होने वाला है| और वैसे आप देखें तो देश भर में इतने रेलवे स्टेशन है, इतनी ज़मीन है, इन सबको मोनिटाइज़ करके जितना पैसा चाहिए रेलवे में खड़ा किया जा सकता है, जिस प्रकार के सिस्टम्स रेलवे में चल रहे हैं इसको हम बदलाव करके पैसे की बचत कर सकते हैं|

अभी आपने एलईडी का जैसे मैंने ज़िकर किया, आपको याद होगा मैंने एलईडी के प्रोग्राम को जब तेज़ गति दी तो 310 रुपये का बल्ब घटके 38 रुपये में खरीदना शुरू कर  दिया| आखिर यह भ्रष्टाचार रोका, चोरी रोकी, कांग्रेस के समय में 310 की चीज़ मोदी जी के समय में 38 रुपये में जनता की सेवा करती है और मात्र 2 महीने में उसका पूरा पेबैक मिलता है| एक व्यापारी की तरह सोचो तो economies of scale, भ्रष्टाचार-मुक्त शासन ले आओ तो रेलवे में भी अभी escalators हैं, मैंने सोचा है 4000 escalator पूरे देश के एक साथ आर्डर होंगे, AAA अच्छी क्वालिटी के escalators| अंतर्राष्ट्रीय स्तर की जो कंपनियां अच्छा सामान बेचती हैं उनको लाया जायेगा, मुझे पूरा विश्वास है 30-40% तो वहीँ खर्चा कम हो जायेगा|

प्रश्न: आप रेलवे की ज़मीन के बेहतर इस्तेमाल की आप बात कर रहे हैं, आप कहीं पर भी चलिए, रेलवे की ज़मीन की हालत देखिए कितना वहां पर encroachment हो रखा है, उसको हटाना, वहां से लोगों को हटाना किसी भी पॉलिटिशियन के लिए कोई आसान काम थोड़े ही है| तो यह कहना आसान है, करेंगे कैसे आप?

उत्तर: ज़रा भी मुश्किल भी नहीं है क्योंकि हमारे में कार्यक्षमता भी है और हमारे खुद के काम के ऊपर पूरा विश्वास है, और जनता को विश्वास है कि जब हम कुछ करते हैं तो जनहित में काम करते हैं| मैं आपको बताता हूँ कैसे करेंगे|

पहली बात तो यह भी स्पष्ट हो जाये कि यह जो encroachment हुई है यह जो 70 वर्षों से और अधिकांश तो इस समय कांग्रेस की सरकारें रहीं, यह उस बीमारी को आज हमें विरासत में मिला है, लेकिन हम उससे डरते नहीं है| अब दुर्भाग्य की बात है वह भी गरीब हैं उनको कुछ कारण की वजह से इस परिस्थिति में रहना पड़ता है, लेकिन मैंने एक बड़े प्रमुख आर्किटेक्ट के साथ चर्चा करके एक प्रोग्राम बनाया है कैसे हम रेलवे लाइन के ऊपर affordable housing, सस्ते घर बना सकें, क्योंकि आखिर यह जो झोपड़पट्टी में रहते हैं, encroach करके बैठे हैं यह बहुत दूर भी नहीं जाना चाहते हैं| बहुत दूर इनको  rehabilitate करने की कोशिश करो तो इनके काम में बाधा आती है, वह चाहते हैं कि हम जहाँ पर अभी – चाहे स्थिति अच्छी नहीं है – पर जहाँ रहते हैं उसके नजदीक ही हमें rehabilitate किया जाये|

तो मैं अभी आर्किटेक्ट के साथ planning कर रहा हूँ कि कैसे रेलवे लाइन के ऊपर हम इनको rehabilitate कर सकें और वह ज़मीन खाली होकर उसको मोनिटाइज कर दें तो इनको भी अच्छा एक घर मिलेगा जिसमें शौचालय होगा, चौबीस घंटे बिजली होगी, पानी मिलेगा, रेलवे लाइन के ऊपर ही होगा तो जहाँ वह रहते हैं उसके नजदीक है|

प्रश्न: पर आप खुद मुंबई से आते हैं, मुंबई में इस तरह का rehabilitation plan कितने सालों से हम सुन रहे हैं कि जिस ज़मीन में झोपड़पट्टी है वहीँ पर और बड़े घर बनाने…..

उत्तर: मैं तो वह कह ही नहीं रहा हूँ भाई साहब, आपने समझा ही नहीं| मैं तो कह रहा हूँ मेरे रेल पटरी के ऊपर बना लूँगा और पटरी के ऊपर बनाकर उनको rehab कर दूंगा और वह ज़मीन को मोनिटाइज करके उसका पूरा खर्चा निकाल लूँगा|

प्रश्न: तो कोई आपकी टाइमलाइन है कि आप कब तक ऐसा कर पाएंगे?

उत्तर: अभी मुझे 35 ही दिन हुए हैं और 35 दिन में जिस प्रकार से हमने पूरा प्रोग्राम बना लिया है, मैं उदाहरण देता हूँ| मैंने पूरा स्टडी किया देश भर में जो railway stations का development है इसको कैसे तेज़ गति दी जाये, हमारा काम करने का ढंग stakeholder consultation और जो लोग उसमें दिलचस्पी रखते हैं, रुची रखते हैं उन्ही से समझना कि कैसे इस काम को तेज़ गति दी जाये| तो मैंने 2 मीटिंग की दिल्ली में, एक में 150 लोग आये देश भर से, दूसरी मीटिंग में प्रमुख जो निवेश करने की क्षमता रखते हैं ऐसे लोगों के साथ बैठे और independent experts और हमारे रेल अधिकारी उनके साथ बैठके उन्होंने समझा कि ऐसी क्या चीज़ें करी जायें जिससे यह पूरा प्रोग्राम तेज़ गति ले सकता है – एक पूरा नया ढांचा rail land monetization का और station development का तैयार हो गया है|

आप जानते होंगे मैं पिछली बार गांधीनगर आया तो गांधीनगर में तो काम भी शुरू हो गया है, नया पूरा station development का और उसके ऊपर एक 5-star hotel बन जायेगा जिसके निवेश से पूरा स्टेशन का खर्चा अपने आप निकल जायेगा| साथ ही साथ उसके बाजू में जो ज़मीन है उसको डेवेलप कर लिया जाये| इसी प्रकार से मुझे बहुत आनंद है आप सबसे शेयर करते हुए सूरत में एक बड़ा सुन्दर मॉडल बना है जो मुझे दिल्ली में पेश किया गया, इतना सुन्दर डेवलपमेंट, लगभग एक करोड़ square foot का डेवलपमेंट जिसमें स्टेशन भी एकदम आधुनिक, most modern station जो आपको लन्दन में देखने को मिले या जापान में देखने को मिले, इस प्रकार का मॉडर्न स्टेशन, स्टेशन के साथ-साथ एक पूरा मैं समझता हूँ लगभग diamond bourse या textile park बन जाये इतनी बड़ी ज़मीन गुजरात सरकार और रेलवे ने मिलकर उसका गठन किया है| और उस प्रोजेक्ट की जो मैंने कल्पना देखी दिल खुश हो गया कि सूरत एक iconic development का प्रमुख स्थान बनेगा|

प्रश्न: नहीं, क्योंकि रेलवेज के सामने बहुत सालों से एक बहुत बड़ा सवाल रहा है privatization को लेकर, unions इसके खिलाफ रहे हैं, तमाम रेल मंत्रियों के सामने यह सवाल रहा है कि क्या private investment को आप रेलवे में लेकर आयेंगे या आपको लगता है कि सरकार में ही यह मापदा है कि यह सब आप खुद कर देंगे?

उत्तर: इसमें कोई privatization तो है ही नहीं, यह तो सरकारी ज़मीन है, सरकार के पास रहेगी, एक lease पर दी जाएगी, lease पर दी हुई ज़मीन से अगर लोगों की सुविधाएं सुधरती हैं, लोगों को अच्छी amenities भी मिलती हैं और safety भी बढती है तो रेलवे के कर्मचारियों से ज्यादा खुश कौन होगा| साथ ही साथ इस निवेश से जो पैसा मिलेगा रेलवे को उससे workers welfare किया जायेगा|

अब मैंने आदेश दिया है, रेल के 13 लाख कर्मचारी हैं, 13 लाख कर्मचारी के 123 अस्पताल हैं पूरे देश में, मैंने 123 अस्पतालों का third party audit का काम शुरू किया, कैसे इन अस्पतालों में अच्छी सुविधाएं बनें, कैसे इनको भी modern equipment से लाभान्वित किया जाये| और मेरे रेलवे के एक-एक कर्मचारी, उनके एक-एक परिवार जनों को और जो pensioners हैं जो retire हो गए हैं उन सबको ऐसे लगभग 65-70 लाख जिन्होंने सेवा की है दिन और रात रेलवे की, इन सबकी स्वास्थ्य की सेवा कैसे सुधारी जाये उसके ऊपर मैं निवेश कर रहा हूँ|

साथ ही साथ इन रेलवे अस्पतालों में मेडिकल कॉलेज खोलने का कार्यक्रम शुरू कर दिया है, कि अगले वर्ष जब academic year शुरू होगा वहां additional medical college खुल जायेगा, साथ ही साथ post graduate diplomas मिले उसका कार्यक्रम शुरू कर दिया है| एक बैंगलोर में बड़े जानकार और बड़े prestigious institution है नारायण हृदयालय, डॉक्टर देवी शेट्टी, शायद आपने भी कभी नाम सुना होगा, मैंने डॉक्टर देवी शेट्टी से रिक्वेस्ट की तुरंत बैंगलोर से दिल्ली आये, पूरा उन्होंने स्टडी किया और हमें गाइड किया कैसे इसको most modern बनाया जाये कि रेलवे के कर्मचारियों को ऐसी treatment मिले जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर का हो|

प्रश्न: नहीं पर मैं आपको बताऊँ जो हाल ही में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रेल हादसा हुआ उसके बाद इंडिया टुडे और आज तक की इन्वेस्टीगेशन टीम ने तहकीकात की, तमाम उन अधिकारियों की हमने पड़ताल की जोकि उस वक्त ड्यूटी पर थे और जो तस्वीर उभरकर आई वह बड़ी डरावनी है कि ट्रेन पर मरम्मत का काम चल रहा है ट्रैक पर, ट्रैक हटा दिया जाता है, सीनियर्स को बता दिया जाता है कि ट्रैक हटा हुआ है, उनको कहा जाता है कि आप ट्रेन को रोक दीजिये बावजूद उसके ट्रेन आती रहती है, एक दो ट्रेन निकल भी जाती है और फिर हादसा हो जाता है| ऐसी तस्वीर देखकर तो लगता है कि जब आप भारतीय रेल से ट्रेवल कर रहे हैं तो आप हैं राम भरोसे|

उत्तर: स्वाभाविक है कि 70 वर्ष-100 वर्ष पुरानी एक व्यवस्था और एक ऐसी व्यवस्था जिसमें आधुनिकीकरण तो कभी किया ही नहीं गया| आखिर भारत में लास्ट मॉडर्न ट्रेन जो आई है वह 1969 में आई है, आज से लगभग 50 साल पहले| 50 साल में भारतीय रेल में कोई नयी टेक्नोलॉजी की ट्रेन आई नहीं है अब हम बुलेट ट्रेन लाने जा रहे हैं| स्वाभाविक है कि यह तो डरावनी स्थिति है ही, पर यह डरावनी स्थिति से हम डरने वाले लोग नहीं हैं, हम इस स्थिति को एक चैलेंज के रूप में opportunity में कन्वर्ट करने वाले लोग हैं| और मैं तो धन्यवाद करूँगा आपका राहुल जी और सभी मेरे मीडिया और पत्रकार भाईयों बहनों का जो इस प्रकार की चीज़ों से मुझे जानकारियां देते हैं, मुझे लाभान्वित करते हैं, मुझे सोचने का एक मौका देते हैं कि इसको अब कैसे सुधारा जाये|

तो मैं तो ऐसी सब रिपोर्ट्स को एक positive view से, अब आप जानते हैं मुंबई में बड़ा दुखद हादसा हुआ| अब यह हादसे में, मैं तो तब नया-नया रेल मंत्री बना था, मैंने तुरंत पूरा फ्राइडे, पूरा सैटरडे, सैटरडे दशहरा का दिन था, मुंबई के सभी रेल कर्मचारियों ने तय किया हम दशहरा नहीं मनाएंगे, हम इसमें से रास्ता खोजेंगे कि आगे कैसे सुधार को तेज़ गति दी जाये| अब कुछ लोग उसमें डर सकते हैं और कुछ लोग उसमें से आगे का मार्ग बना सकते हैं कि कैसे सुधार का मार्ग किया जाये और इतने सालों की जो तकलीफ विरासत में मिली है वह आप भी जानते हैं कि कोई ओवर नाईट तो इसका कोई सलूशन नहीं है|

प्रश्न: पर आपकी रिपोर्ट हमने देखी हाल में, उसमें कहा गया कि बारिश हो रही थी, लोग panic कर गए भगदड़ हो गयी, कोई एक व्यक्ति गुनहगार नहीं है| मैं आपसे पूछता हूँ मंत्री जी कि 2015 में उस वक्त के रेल मंत्री सुरेश प्रभु Elphinstone में जो foot over bridge है वह दोबारा बने इसकी इजाज़त देते हैं, 2016 में इसके लिए पैसे रख दिए जाते हैं बजट के अन्दर, बावजूद इसके नहीं बनता| तो किसी की तो ज़िम्मेदारी है आपने कार्रवाई उसके खिलाफ क्यों नहीं की?

उत्तर: एकदम सही बात कही आपने और शायद आपने मिस किया होगा, आपने पूरी रिसर्च नहीं की इस विषय में| जहाँ तक वह safety रिपोर्ट आई उस दिन भी मुझे कुछ पत्रकार पूछ रहे थे पर तब तक हमने पढ़ी नहीं थी इसलिए बता नहीं पा रहे थे, लेकिन उसके बाद जब वह मेरे समक्ष आई, ऑफिस जाने के बाद, तो तुरंत मैंने एक independent third party, retired एक Chief Vigilance Commissioner हैं श्री प्रत्यूष सिन्हा जी, उनकी अध्यक्षता में independent लोगों को लेकर, एक और infrastructure expert हैं वह भी आप जानते होंगे श्री विनायक चटर्जी|

तो मैं नहीं चाहता हूँ कि कभी भी ऐसी चीज़ में किसी प्रकार का अगर कोई दोषी है तो उसको छोड़ दिया जाये, इसलिए एक independent team को कहा गया है कि उस रिपोर्ट को भी स्टडी करे, साथ ही साथ यह भी स्टडी करे कि यह 2016 में बजट जब तय हो गया उसके बाद की जो प्रक्रिया है उसमें किसी की कोई गलती है तो उसको दोषी ठहराया जाए|

और तीसरा, जो हमारा काम करने में विशेषता है कि साथ ही साथ सुझाव दे यह कमिटी और independent experts के कि कैसे आगे इस प्रकार से विलंभ न हो, किसी प्रोजेक्ट को जब मंज़ूरी मिलती है तेज़ गति से उसपर काम कैसे किया जाये इसका भी हमें suggestions or रास्ता बताएं| तो वह तुरंत मतलब within 2 or 3 hours of getting information about that report शायद 1 बजे मैं उस कार्यक्रम से निकल रहा था तब आप लोगों से ही पता चला कि ऐसी रिपोर्ट आई है, ऑफिस गया तो देखा कि रिपोर्ट आई है और 3-3.5 बजे तक मैंने निर्णय ले लिया|

प्रश्न: आपने ज़िकर किया बुलेट ट्रेन का, इस वक्त हम लोग अहमदाबाद में हैं और अहमदाबाद ही आएगी आपके शहर से यह बुलेट ट्रेन| दिन भर तमाम सवाल पूछे गए, हार्दिक पटेल ने पूछे, जिगनेश मेवानी ने पूछे, इसके इलावा अल्पेश ठाकुर ने पूछे, और तमाम सवालों में यह सवाल उठा कि जब यहाँ पर इतनी दिक्कतें हैं डेवलपमेंट को लेकर, काम अभी बाकी है, तो क्या सरकार की जो प्राथमिकता है वह misplaced हैं| इतना सारा पैसा बुलेट ट्रेन पर खर्च कर रहे हैं, पहले जो मूलभूत सुविधाएं हैं ट्रेन की वह तो ठीक कीजिये?

उत्तर: दुर्भाग्य, यही mindset, यही सोच है जिसने इस देश को बैकवर्ड रखा है| अगर आप सोचें तो ऐसे तो मैंने शुरू में ही आपको बताया पैसे की कोई कमी नहीं है, आत्मविश्वास और सोच की कमी है| आपको याद होगा हम सरकार में आये उसके पहले कई डिबेट्स में आप लोग पत्रकार मुझे पूछा करते थे कि public sector undertakings बहुत ख़राब काम करती हैं, गवर्नमेंट में बहुत lethargy है| मेरा बार-बार मानना था कि अगर कोई कमी है तो वह vision की कमी है, एक दूरदृष्टि की कमी है, और एक नेतृत्व की कमी है – leadership! What we lacked was vision and leadership. और प्रधानमंत्री मोदी जी ने इस देश को विज़न दिया है, इस देश को leadership दी है, नेतृत्व दिया है, एक निर्णायक नेतृत्व जो दूरगामी परिणाम इस देश में लाना चाहते हैं|

आखिर मैंने अभी-अभी बताया कि आखरी modern train 1969 में आई थी, क्या हम इस देश में इस देश की जनता को कभी आधुनिक टेक्नोलॉजी से सुरक्षित सेवाएं देंगे या ज़िन्दगी भर हमने तय कर लिया है कि भारत के लोग गरीबी में रहेंगे, भारत के लोग इतिहास में रहेंगे, भारत के लोग बिना कोई अच्छी सुविधाओं के रहेंगे| हमारा मानना है कि latest modern technology देश में आये और उससे फिर बढ़ाके हम पूरे देश की जो रेल व्यवस्था है इसको भी आधुनिकीकरण करे, इसको भी safe बनाएं, इसको भी comfortable बनाएं| और पैसा कोई, बुलेट ट्रेन का पैसा और safety के पैसे में कोई commonality नहीं है, यह अलग ही एक line of credit और लगभग कोई ब्याज के बगैर, .1% interest, बिना कोई ब्याज के 50 साल का ऋण जो भारत में कभी भी नहीं मिला है, इतना सस्ता और इतने लम्बे अरसे का, 15 साल का moratorium भी है| यह जापान ने दिया है भारत को, यह एक अलग funding source है, safety के लिए हमारे पास अलग पैसा है|

और शायद सुरेश प्रभु जी ने पहले ही 1.5 लाख करोड़ safety के लिए निर्धारित करके रखा हुआ है, तो पैसे की कोई कमी नहीं है| और अब तेज़ गति से यह खर्चा करके कैसे ट्रेन को भी सुरक्षित किया जाये और यह 70 साल से जो बैकलॉग चल रहा है| मैंने तो कुछ-कुछ चीज़ें देखी ममता बनर्जी जब रेल मंत्री थी, लालू प्रसाद यादव जब रेल मंत्री थे, उस समय कैसे safety को नेगलेक्ट किया गया, कैसे overloaded coaches के कारण rail fracture को होने दिया, कैसे investment modernisation पर कुछ किया ही नहीं, वह देखकर तो मुझे हैरानी होती है और जब मैं ज़ोन से मांगता हूँ कि आपका कितना बैकलॉग है तो 8-8, 10-10 साल पुराने उनके requests pending दिखते हैं|

काफी कुछ सुरेश प्रभु जी ने क्लियर किये थे, मेरे आने के बाद उसको और तेज़ गति दे रहे हैं| मेरा पूरा फोकस, और आपने पढ़ा होगा, मैंने कहा है जितनी रेल आती है वह पूरी safety में लगाओ, नयी लाइनें चाहे 6 महीने विलंभ हो, पहले जो existing infrastructure है उसको safe करो, मैंने compulsory कर दिया है कि अब ICF – पुराने डिजाईन के coaches भारत में नहीं बनेंगे, LHP coaches जो modern भी है जिसमें कभी fatality नहीं होती है वह एक के ऊपर एक नहीं चढ़ते हैं जो दृश्य आपने बीच में देखा होगा| LHP coaches में coupler technology से बड़ा strong, robust, शायद German या कोई European technology से बने हुए हैं जो accident भी हो तो वही रुक जाते हैं, एक के ऊपर एक नहीं चढ़ते हैं इससे उसमें fatality नहीं होती है| शायद इतने सालों में एकाद कोई हुई हो तो हुई हो, अधिकांश रूप में उसमें fatality नहीं होती है|

अब मुझे समझ नहीं आता है कि पिछली सरकारों ने क्यों इसको रोका नहीं, सुरेश जी ने लगभग बहुत कम कर दिया ICF, और अब अगले वर्ष से कोई ICF coach नहीं बनेगी, सिर्फ एक बड़ी strong LHP coach ही आगे से इस देश को सेवा देगी|

Electrification – electrification को जो तेज़ गति दी गयी है जिससे पूरे देश में अगले 5 साल में पूर्ण रूप से हम electrify कर देंगे| उसके कारण लगभग 11,000 करोड़ रुपये रेलवे के सालाना बचत होगी डीजल पर, साथ ही साथ आप सब दिल्ली में pollution से चिंतित हैं, प्रदूषण ख़राब किया हुआ है| अहमदाबाद में ट्रेनें आती हैं तो जो धुआं फूंकती है तो यहाँ के लोग प्रदूषण से दुखी हैं|

हम चाहते हैं यह प्रदूषण ख़त्म करना और नवीकरणीय ऊर्जा बने, renewable energy को हम एक तरफ प्रोत्साहन दे रहे हैं, दूसरी तरफ हम electrification को प्रोत्साहन दे रहे हैं| सौभाग्य के माध्यम से हर घर को बिजली पहुंचा रहे हैं जैसे गुजरात की जनता में यह आनंद है कि सबके घर में चौबीस घंटे बिजली है, उसी प्रकार से पूरे देश में किसी को भी बिना बिजली या बिजली से वंचित न रखना यह हमारी प्रतिबद्धता है|

प्रश्न: मंत्री जी क्या कुछ जनता उम्मीद करे कि अब 2019 के चुनाव से पहले, 2018 के आखिर में हो या 2019 में हो, क्या कुछ उम्मीद करें कि रेल मंत्री के तौर पर आप ensure करेंगे कि 2019 से पहले आपके रेल मंत्री रहते-रहते आप कर जायेंगे?

उत्तर: मैं समझता हूँ मेरे रेल मंत्री रहते-रहते इस टर्म में, अब वह आज तक या इंडिया टुडे ने क्या एनालिसिस निकाला है वह तो सभी जानते हैं, अभी-अभी पीछे आपका सर्वे आया था| तो मुझे लगता है कि इस टर्म की बात कर सकते हैं, अगले टर्म की चुनौतियां और अगले टर्म के क्या काम, किसको क्या काम दिया जाता है, किसको दिया जाता है, नहीं दिया जाता है वह तो अगले टर्म में तय होगा| लेकिन इस टर्म की मेरी प्राथमिकताएं तीन हैं – एक सुरक्षा, safety को बल देना, पूरा फोकस करके जहाँ-जहाँ पर on the ground safety के ऊपर निवेश करना है, safety के ऊपर action लेना है, उसको पूरा बल दिया जाये, एक तरफ उसपर पूरा फोकस हो| दूसरी तरफ जो stations का infrastructure है इसको कैसे जनता की सेवा में और अच्छी तरीके से develop किया जाये|

मैं जैसे एक उदाहरण देता हूँ, मैंने अधिकारियों को लगाया है स्टडी करने के लिए, आपको आनंद आएगा सुनकर| मैंने कहा 8,500 हमारे पास रेलवे स्टेशन है, क्यों न हम पूरे 8,500 स्टेशन में Wi-Fi की facility उपलब्ध करा दें| मेरे पास RailTel है, RailTel ने fiber optic lay किया है, उस fiber optic से मैं Wi-Fi लगभग हर एक स्टेशन, थोड़े बहुत रह जायेंगे तो आपके रिपोर्टर भेजकर आप पता लगाकर मुझे बता देना, लेकिन लगभग पूरे देश में मैं यह Wi-Fi facility लेकर जाना चाहता हूँ| अब सोच भाईयों बहनों कैसे फरक है, पहले सोच रहती थी कहाँ passenger ज्यादा हैं सिर्फ वहां पर Wi-Fi दिया जाये| प्रधानमंत्री मोदी जी ने मुझे क्या कहा? “पीयूष यह जो दूर-दराके के स्टेशन हैं, इसमें गाडी शायद दिन में एक आती है, दो आती हैं, कम इस्तेमाल होता है, इस infrastructure को कैसे अधिक इस्तेमाल करना इसके बारे में सोचो|

और अभी-अभी आपने सुना होगा उन्होंने पीछे इस विषय को उजागर किया था थोड़े दिन पहले ही| In English we call it ‘Sweating your assets’. कि एक स्टेशन बना हुआ है, स्टेशन का इंफ्रास्ट्रक्चर है, प्लेटफार्म है, छत है, वेटिंग हॉल बना हुआ है, अब इसका कैसे सदुपयोग किया जाये, तो हमें idea आया कि हम Wi-Fi दूर-दराके के स्टेशन में भी पहुंचा दें, शायद रेल गाड़ियाँ ज्यादा नहीं होंगी लेकिन आस-पास के जितने गाँव में रहने वाले हमारे बच्चे हैं वह उस स्टेशन पर आ सकेंगे| और लगभग हर गाँव के लोग स्टेशन तो जानते ही हैं नजदीक का, उस स्टेशन पर आ पाएंगे, स्टेशन में मैं public-private partnership से कोशिश करूँगा कि सुविधाएं बन जायें, कुछ computers लग जायें, कुछ internet की facility मिल जाये|

तो जो लोग गाड़ी पकड़कर शहरों में आ गए, आगे जिनका विकास हो गया उनके साथ-साथ जो पीछे रह गए हैं, गाँव में रह गए हैं उनके बच्चों को भी कैसे आधुनिक दुनिया में क्या चल रहा है उससे उनको भी वंचित न रखा जाये, उनको भी उस प्रकार की सुविधाएं मिलें यह मेरी कल्पना है| और इस प्रकार से अगले डेढ़ वर्ष में आप देखेंगे कई जगहों पर स्टेशन डेवलपमेंट होगा, कई स्टेशन में सुविधाएं सुधरेंगी|

मैंने निर्णय लिया है कि जितने 8,500 स्टेशन है सब में एक महिलाओं के लिए, एक पुरुषों के लिए अच्छा टॉयलेट साफ़-सुथरा बनाया जाये| आप भी गए होंगे रेलवे स्टेशन में, आपने देखा होगा कि टॉयलेट्स अच्छे हैं|

प्रश्न: डेढ़ साल में बन जायेंगे?

उत्तर: 100%! हमने तो 4 लाख टॉयलेट्स बनाये थे पहले साल में, 2014 से 2015, जिसमें 1,21,000 तो मेरे PSUs ने, power, coal और MNRE के PSUs ने बनाये थे आपको अगर याद हो तो – एक ही वर्ष में, 12 महीने में| और इन टॉयलेट्स को सुधार करें, lighting अच्छी करें, एक dingy toilet के बदले एक well-lit toilet होता है, और साथ में मेरे मन में है कि उधर ही आस-पास के कोई गाँव के कोई अच्छे लड़के को या महिला को उसका एक guardian बना लिया जाये, कुछ न कुछ उनको honorarium दे दिया जाये तो उसको संभालेंगे भी|

तो इस प्रकार से हम सोच रहे हैं कैसे लोगों के साथ मिलकर public-private-people participation से जिसकी कल्पना माननीय प्रधानमंत्री जी ने कई platforms पर रखी है| लोगों की जनभागीदारी से कैसे लोगों की सुविधाएं सुधारी जायें यह हमारी कल्पना है|

प्रश्न: इस वक्त हम लोग गुजरात में हैं, गुजरात का चुनाव बेहद नजदीक है और ऐसे में बीजेपी के गुजरात मॉडल पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं| कुछ आंकड़े हमारे सामने हैं, यह summary के indices हैं| Human Development Index में गुजरात इस वक्त कहा जा रहा है कि 20 बड़े राज्यों में 9वें नंबर पर हैं; Achievement of babies and children जिसमें child nutrition, survival, education, immunization इसमें 20 में 9वें नंबर पर है; Multi-dimensional Poverty Index जोकि Oxford University के कुछ professors ने बनाया है उसमें भी 20 में 9वें नंबर पर है; Composite Development Index जोकि रघुराम राजन कमिटी ने बनाया, इसमें वह देखते हैं health, education, urbanization, financial inclusion, इसमें 20 में 9वें नंबर पर है| तो आपसे पहले जो कांग्रेस के तमाम प्रवक्ता आये उन्होंने कहा कि अगर सभी में गुजरात कहीं बीच में है तो गुजरात मॉडल ऑफ़ डेवलपमेंट इतना बढ़ा चढ़ाकर क्यों पेश करती है बीजेपी?

उत्तर: क्योंकि इन सब को अगर इतनी समझ होती तो जनता उनकी यह दुर्दशा नहीं करती कि अब ढूंढ रहे हैं कि पूरे भारत के नक़्शे में कांग्रेस को कहाँ रखा जाये| आप सब जानते हैं कि गुजरात में जब पहली बार हमारी सरकार आई तब भारत की क्या दशा थी, आपने Infant Mortality Rate की बात की, 62 per 1000 थी जब सरकार हमारी 20 वर्ष पहले आई, इसको आधा कर दिया, अभी-अभी प्रकाश जावडेकर जी ने भी इसके बारे में ज़िकर किया|

Maternity Mortality Rate जो childbirth के टाइम की गिनी जाती थी वह 202 थी, आज आधी हो गयी है| और आप जो भी देखना चाहें, मैं इंजीनियरिंग सीट्स का देख रहा था जैसे, पढाई-शिक्षा के क्षेत्र में उस ज़माने में कांग्रेस ने कई वर्षों तक यहाँ पर राज किया पर कांग्रेस कभी चाहती नहीं थी कि गुजरात के लोग प्रगति करें| अगर कांग्रेस के लोगों को गुजरात और गुजरातियों की प्रगति की चिंता होती तो शायद सरदार वल्लभ भाई पटेल को भारत का प्रधानमंत्री बनने से नहीं रोकते, अगर उनको चिंता होती कि गुजरात के लोगों को पानी पहुंचे तो शायद नर्मदा योजना को 56 वर्ष नहीं लगते| और प्रधानमंत्री मोदी जी ने यहाँ जो 10-12 वर्षों तक संघर्ष किया उसमें बाधाएं नहीं डालती कांग्रेस की केंद्र की सरकार, उसके बावजूद जिस प्रकार से एक प्रदेश जहाँ सौराष्ट्र हो, उत्तर गुजरात हो, वर्षों-वर्षों से पानी की किल्लत में रहता था| यह ऐसा प्रदेश नहीं बनता कि यहाँ आज 78% घरों में पानी पहुंचा हुआ है – 78%! शायद ही देश में कोई और प्रदेश होगा जिसमें गाँव-गाँव तक पानी पहुंचा और desert तक पानी पहुंचा|

तो जो तुलना हुई है, जिस प्रकार से तेज़ प्रगति हुई है उसको आपको ध्यान रखना पड़ेगा और यह जिस प्रकार की स्थिति विरासत में मिली थी और उसमें जो बड़ा बदलाव हुआ, जो बड़ी छलांग हुई उसको आपको देखना पड़ेगा कि 20 वर्ष पहले क्या अंश था और आज क्या है| और आप हर एक चीज़ देख लो, बिजली – 3 गुना बिजली की consumption बढ़ी है और लोगों की consumption 3 गुना बढ़ी| आय के बारे में तो प्रकाश जी ने बताया ही, per capita income लगभग 10 गुना हो गयी, GDP इस प्रदेश का 15 गुना और शायद एक मात्र प्रदेश है, पूरे देश में एक मात्र राज्य है गुजरात जहाँ पर किसानों की भी आउटपुट उतनी बढ़ी, इंडस्ट्री की भी आउटपुट 15 गुना हुई और हर प्रकार से इस प्रदेश ने तेज़ प्रगति की| और कांग्रेस के राज्य जो आजू-बाजू में हैं उनकी क्या स्थिति थी जब भारतीय जनता पार्टी के राज में थी उसके तो आंकड़े सबके सामने हैं|

एक बड़ा common example कई बार लिया जाता है, आज शायद आपके यहाँ भी पृथ्वीराज चौहान जी आये थे जो हमारे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहते थे| महाराष्ट्र में एक चेक-पोस्ट है और जैसे ही बॉर्डर क्रॉस करो गुजरात में चेक-पोस्ट है, गुजरात के चेक-पोस्ट की आमदनी 10 गुना होती थी महाराष्ट्र से, क्योंकि यह भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश था और भारतीय जनता पार्टी के राज में ही भ्रष्टाचार मुक्त बना और आज पूरे देश ने देख लिया कि प्रधानमंत्री मोदी की सरकार कैसे भ्रष्टाचार को ख़त्म करने में सफल हुई है|

प्रश्न: आपका जवाब कुछ हद तक सही है, आप कह रहे हैं कि आप….

उत्तर: हर हद तक सही है, I will be able to contest any हद that you want to discuss.

प्रश्न: नहीं, मेरी बात आप सुनिए, आप कह रहे हैं कि जहाँ पर कांग्रेस के राज में गुजरात था उससे तुलना कीजिये लेकिन लोग तो तुलना करेंगे आज, वह कहते हैं कि अगर आज आप देखो अलग-अलग पैमानों पर गुजरात कहाँ खड़ा होता है बनिस्बत तमिल नाडु के, केरल के, महाराष्ट्र, केरल में आपकी सरकार नहीं है, तमिल नाडु में आपकी सरकार नहीं है; और साथ ही साथ महाराष्ट्र में चलिए अब आपकी सरकार है| लेकिन इन तीनों राज्यों में गुजरात की तुलना में डेवलपमेंट के आंकड़े आपसे आगे हैं तो कहते हैं कि अगर गुजरात स्टार है तो यह डेवलपमेंट की तुलना में तो सुपर-स्टार है?

उत्तर: यह always base effect होता है, आपको पहले निकालना पड़ेगा कि उन राज्यों में 20 साल पहले क्या स्थिति थी और गुजरात में 20 साल पहले क्या स्थिति थी| और whether उन राज्यों में भी इस प्रकार की वृद्धि हुई है कि GSDP 15 गुना, Gross State Domestic Product बढ़ा है, क्या उन राज्यों में स्टेट का बजट 17 गुना बढ़ा है, 10,000 से लेकर 1,70,000 करोड़ तक| क्या उन राज्यों में capital expenditure; revenue expenditure करना तो बड़ा आसन है, तन्ख्वाएं बांटो, खर्चे कर लो| Capex (निवेश) 22 गुना बढ़ा है क्या| तो आपको always तुलना करनी पड़ेगी base effect लेकर उस समय का और आज की स्थिति क्या है|

और आखिर अगर स्थिति ऐसी नहीं होती तो क्या गुजरात की जनता election, after election, after election, हर चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी जी और हमारी भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को आशीर्वाद देती, उनका समर्थन करती| आखिर 22 साल से अगर यह प्रदेश में भाजपा को जनता का प्यार है, समर्थन है, अभी-अभी कुछ by-election हुए उसमें भी 8 में से 6 हम जीते|

महाराष्ट्र में अभी-अभी आपने देखा पंचायती चुनाव, एक ज़माने में, और वह ज़माना में सिर्फ 4 साल पुराना कह रहा हूँ, 4 साल पहले भारतीय जनता पार्टी को चौथे अंश पर गिना जाता था महाराष्ट्र में| मात्र 4 साल बाद आज महाराष्ट्र में जो गावों में पंचायत के चुनाव हुए, 50% से अधिक भाजपा की विजय हुई| मतलब 3000 में लगभग 1500 हम जीते, कांग्रेस की शायद 300| 1500 और 300, इतना फरक! जिस पार्टी ने सालों साल महाराष्ट्र में राज किया, और पूरे देश की स्थिति आप देख लीजिये| भाजपा की कितनी सरकारें थी? 2014 में मात्र 6 सरकारें थी, आज कितनी सरकारें हैं, हमारी और हमारे मित्र पक्ष? 18 सरकारें! और जिस प्रकार से स्थिति चल रही है मुझे लगता है 3-4 सरकारें तो और, लग रहा है 6-8 महीने में ही और वृद्धि हो जाएगी|

प्रश्न: पर क्या गुजरात एक तरीके से एक लिटमस टेस्ट है मोदी जी और बीजेपी की लोकप्रियता के लिए?

उत्तर: गुजरात की जनता और गुजरात की अस्मिता को जिस प्रकार से कांग्रेस ने ठेस पहुंचाई है, जिस प्रकार से उनके वक्तव्य हैं, जिस प्रकार से कांग्रेस ने गुजरात की जनता को बहुत ही मैं समझता हूँ ओछी तरीके से इन्सल्ट किया है| मैं समझता हूँ यह गुजरात की जनता ऐसी जनता है जो अपनी अस्मिता का बहुत वैल्यू करती है, अपनी अस्मिता को संभालने के लिए, अपनी अस्मिता को प्राथमिकता देने के लिए गुजरात की जनता भारतीय जनता पार्टी को पहले तो हम सोचते थे कि पूर्ण बहुमत से जिताएगी, फिर सोचा दो-तिहाई बहुमत से जिताएगी जिस प्रकार से आज पूरे प्रदेश में unprecedented support हमारी यात्राओं को, गुजरात गौरव यात्राओं को मिल रहा है, मैं समझता हूँ यह गुजरात के गौरव, गुजरात के विकास की यात्राओं के समर्थन के बाद अब हम तीन-चौथाई majority लेकर गुजरात में सरकार बनाएंगे|

प्रश्न: समर्थन का आपने ज़िकर किया, राहुल गाँधी की रैली जो हुई सौराष्ट्र में, रोड शो हुआ उसको भी ठीक-ठाक सपोर्ट मिला?

उत्तर: ठीक-ठाक होता होगा लेकिन हम तो ठीक-ठाक से कभी संतुष्ट होते ही नहीं है, हम तो अभूतपूर्व से ही संतुष्ट होते हैं| और 16 तारीख को जो यह दोनों यात्राओं का समाप्ति का कार्यक्रम है उस दिन मैं आपसे राहुल जी दरख्वास्त करूँगा कि आप ज़रूर आइये, उस दिन देखिए कि गुजरात में किस प्रकार का उत्साह भारतीय जनता पार्टी और गुजरात के जो गौरव और खासतौर पर जिस प्रकार से माननीय प्रधानमंत्री जी, माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह जी ने हमारी पार्टी को बल दिया है, देश के विकास को बल दिया है उसके लिए जो गुजरात की जनता में गौरव है, गुजरात की जनता में जो आनंद है, गुजरात की जनता ने जो योगदान पूरे देश के विकास में दिया है उसका सेलिब्रेशन आप 16 तारीख को दिवाली पर देखेंगे|

प्रश्न: पर आपने देखा होगा कांग्रेस यह आरोप लगा रही है कि कुछ 16 तारीख को आप यह बड़ा कार्यक्रम कर रहे हैं इसलिए आपने इलेक्शन कमीशन से डेट अन्नौंस नहीं करने दी, वैसे करते कि सब चुनाव साथ में करा लो, कांग्रेस बार-बार यह कह रही है कि EC ने …. में गुजरात की तारीख भी दी?

उत्तर: बड़ा अच्छा सवाल पूछा आपने, मुझे आनंद है कि आपने यह सवाल पूछा| अभी-अभी कुछ ही दिन पहले एक छल के बेसिस पर कांग्रेस ने एक आर्डर लिया था EC से, आप भी उस दिन थे, आपको याद है कितनी दुहाइयाँ दी गई इलेक्शन कमीशन को| हमने तो कभी इलेक्शन कमीशन की आलोचना नहीं की, उस दिन भी नहीं की आज भी नहीं करते हैं|

हम संवैधानिक institutions को strengthen करना चाहते हैं, मोदी जी का always insistence रहती है जो institutions हैं they are above politics, institutions की integrity को हमने बढ़ाना चाहिए, उसका संवैधानिक पद को सुशोभित करना चाहिए, उनपर कभी आरोप नहीं लगाना चाहिए| तो जो आर्डर मैं पर्सनली समझता हूँ बेबुनियाद था, जिसमें कोई तत्त्व नहीं थे, उसके बावजूद हमने कभी आलोचनाएं नहीं की, हमने respect किया, एक इलेक्शन कमीशन का आर्डर था उसको respect किया| उस दिन तो कांग्रेस ने बड़ी-बड़ी दुहाइयाँ दी थी, बड़े-बड़े statements दिए थे आपके चैनल पर भी| अब एक आर्डर उन्होंने अगर डेट नहीं तय की तो उसके कारण इतने ओछे पन पर उतर आना कि एक संवैधानिक संस्था के ऊपर भी झूट-मूट करके आरोप लगाना| और उन्होंने समझाया इलेक्शन कमीशन ने कि आखिर एक model code of conduct लगता है, गुजरात की 18 जनवरी तक समय-सीमा है इस असेंबली की, इलेक्शन कमीशन अपने आप से असेंबली की समय-सीमा काट नहीं सकता, they have to respect the verdict of the people.

इसी गुजरात की जनता ने चुनकर आज गुजरात में भाजपा सरकार को 18 जनवरी तक mandate दिया है, तो इलेक्शन कमीशन के पास अधिकार नहीं है कि वह इसको cut short कर सकें| और मॉडल कोड आखिर दो महीने चले, और आप जानते हैं मॉडल कोड में कई विकास के काम में भी बाधाएं आ जाती हैं, रुक जाती हैं| और वही इलेक्शन कमीशन, मेजोरिटी तो अभी वही है जिसने महीने-डेढ़ महीने पहले ही वह आर्डर दिया था|

तो मैं समझता हूँ कि एक-एक निर्णय पर इतने ओछे पन पर उतरना यह शायद कांग्रेस को ही शोभा देता है, भाजपा इस प्रकार की पार्टी नहीं है|

प्रश्न: आखिर में मुझे यह बताएं पीयूष गोयल जी, आप बात कर रहे हैं कि गुजरात की जनता कितनी खुश है, कितना यहाँ पर विकास हुआ है| लेकिन यही वह जनता है जिसमें पाटीदार युवा यह पूछते हैं कि हमें नौकरी क्यों नहीं मिल रही, हम लोग ग्रेजुएट तो हो रहे हैं लेकिन हम लोग बेरोजगार क्यों हैं| यही वह युवा पीढ़ी है जिसमें दलितों में इस वक्त मूंछ रखने का एक आन्दोलन चल रहा है, यही वह युवा हैं जोकि कई जगहों पर कारोबारी और आप खुद ट्रेडर्स से बहुत नजदीक का तालुक रखते हैं आपने देखा किस तरीके से अलग-अलग जगहों पर इस वक्त जीएसटी को लेकर आन्दोलन चल रहा है, स्ट्राइक्स चल रही हैं, तो अगर सब कुछ इतना बम-बम है तो यह लोग इतने नाराज़ क्यों हैं?

उत्तर: स्वाभाविक है जनता की आकांक्षाएं, अपेक्षाएं जितनी ज्यादा होंगी उतना अच्छा होगा देश के लिए, उतना अच्छा होगा सरकारों के लिए| आपको तो पता है मैं क्यों मोबाइल ऐप्प पर हर डेटा डालता था, मैं आपसे कहता था भाई इसको आप स्टडी करो, इसमें आप मेरे काम को मॉनिटर करो, मॉनिटर करके मुझे जानकारियां दो अगर कोई कमियां रह जाती हैं और उसको मैं सुधार कर सकूं – accountability and monitoring. और मैंने आपको बताया भी था कि प्रधानमंत्री मोदी जी ने LED का ही जब project मैंने launch किया तब मुझे यह शिक्षा दी थी कि पीयूष जब तक आप मॉनिटर नहीं करोगे काम को, लोगों को ज़िम्मेदार नहीं ठहराओगे, निगरानी नहीं रखोगे, तब तक काम जनता की सेवा नहीं हो सकेगी| और मैंने तो उसको गांठ बांध के मेरा मूल मंत्र के रूप में अपने काम में रखा है|

इसी प्रकार से मैंने कई platforms पर यह कहा है जितनी ज्यादा जनता की अपेक्षाएं बढती हैं, जितना ज्यादा वह हमसे मांग करते हैं, मैं तो धन्य समझता हूँ अपने आपको कि आज इस जनता को इतना विश्वास है प्रधानमंत्री मोदी जी पर, अमित शाह जी पर, हमारी राज्य सरकार पर, हमारी केंद्र सरकार पर कि वह बहुत सारी demands और बहुत सारी अपेक्षा लेकर हमारे समक्ष आते हैं| मैं धन्यवाद करता हूँ गुजरात की जनता का कि उन्होंने हमारे ऊपर इतना पूर्ण विश्वास रखा कि हम सफल होंगे उनकी अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए, और जितने ऐसे demands आते हैं, जितने ऐसे inputs आते हैं, हम उसको सोचकर कैसे उससे सुधार कर सकें उसके लिए पूरे समय वचनबद्ध रहते हैं|

आपने देखा होगा पूरे पाटीदार समाज ने भारतीय जनता पार्टी का समर्थन किया, सबके बीच में चर्चा हुई, नितिनभाई पटेल और हमारे बाकी नेताओं ने सबसे चर्चा करके एक बहुत अच्छा आगे का मार्ग बनाया कैसे पाटीदार समाज, पटेल समाज भी भाजपा से जुड़े और उनकी समस्याओं को हमारी सरकार मद्देनज़र रखते हुए कार्यक्रम करे, कैसे प्रधानमंत्री मोदी जी ने अलग-अलग कार्यक्रम के द्वारा जो समाज में वंचित हैं, पीड़ित हैं, शोषित वर्ग हैं उनके उद्धार के लिए कितने सारे कार्यक्रम किये हैं| इसी प्रकार से मैं समझता हूँ कि जीएसटी में, आखिर it’s a new animal, नयी चीज़ है, और कारोबार करने वाले व्यापारियों की ही मांग पर जीएसटी को इस देश में लागू किया गया और जीएसटी कोई अकेले भाजपा ने नहीं तय किया है, पूरे देश की हर प्रदेश सरकार मिलकर इस पूरे जीएसटी के फ्रेमवर्क को तय किया, रेट्स को तय किया| जैसे-जैसे कुछ इनपुट्स आते हैं, कुछ समस्याएं सामने आती हैं, मैं या मोदी जी या कोई तो इसको सोल्व नहीं कर सकता है अकेले, यह जीएसटी काउंसिल के समक्ष रखे जाते हैं|

आपने देखा लगभग पिछली 2-3 मीटिंग में 100 से भी अधिक चीज़ों पर जीएसटी का रेट कम किया गया, प्रोसीजर सिमप्लिफ्य किया गया, छोटे व्यापारियों के लिए quarterly return हो गया, टेक्सटाइल में एक बड़ी मांग थी तो 18% से 12% उसके रेट को कर दिया गया| तो यह एक संवेदनशील सरकार है, ऐसी सरकार जो समय-समय पर अपनी जनता के साथ, अपने लोगों के साथ, उनके बीच उनके समक्ष रहकर उनकी आशाएं, उनकी अपेक्षाओं को समझकर अपने काम को सुधारती रहती है| और यही बात है जिसके लिए भारत की जनता देश-देश के कोने-कोने में भाजपा को चुनकर ला रही है और गुजरात की जनता फिर एक बार मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र सरकार, विजयभाई रुपानी और नितिनभाई पटेल के नेतृत्व में गुजरात की सरकार को भारी से भारी बहुमत से चुनकर लायेगा और फिर एक बार भारतीय जनता पार्टी गुजरात की जनता की सेवा में पूर्ण रूप से लग जाएगी| (Speaks Gujarati)

प्रश्न: पीयूष जी, एक बड़ी दिलचस्प चीज़ मैं आपको बताऊँ यहाँ पर जो तमाम लोग अहमदाबाद में हमारे साथ मौजूद हैं, सुबह से जब बीजेपी के नेता अपनी बात रख रहे थे तालियाँ बज रही थी, ज़ोरों से तालियाँ बज रही थी| फिर जब कांग्रेस के नेता अपनी बात रख रहे थे उनके लिए भी तालियाँ बज रही थी, फिर जब युवा ब्रिगेड आई अल्पेश, हार्दिक, जिगनेश, यह सब आये उनके लिए भी ताली बज रही थी| तो अब यह बड़ा दिलचस्प है कि तालियाँ अगर सबके लिए बज रही हैं, सबसे ज़ोरदार तालियाँ जिस दिन वोटिंग होती है और जिस दिन counting होती है उस दिन जनता किसके लिए…?

उत्तर: हमें पूरा आत्मविश्वास है, राहुल जी तालियाँ तो सबके लिए बजती हैं यही तो भारत की डेमोक्रेसी का ताकत है, और हम इस डेमोक्रेसी के ताकत को नमन करते हैं, इसलिए कि इसी की वजह से बदलाव होता है इस देश में| 2014 में इसलिए पूर्ण बहुमत से मोदी जी आते हैं क्योंकि भारत की जनता कांग्रेस के भ्रष्टाचार और जिस प्रकार से उन्होंने एक बहुत ही जिसको कहते हैं सरकार जिसने भारत की अपेक्षाओं को ठुकराया, लाखों करोड़ के भ्रष्टाचार के स्कैंडल्स किये, निर्णय कोई लेने की प्रक्रिया में उनमें दम नहीं था, उसको निकालकर उनकी सरकार के मात्र 44 लोग जीते और भाजपा की इतनी बड़ी छलांग हो कि पूर्ण बहुमत से भाजपा जीते, यह आखिर ताकत है इस डेमोक्रेसी की और यही ताकत है जिसमें कहाँ आपका भी चैनल चागमगा गाया था कि उत्तर प्रदेश में अब यूपी को यह साथ पसंद है|

आपको याद है? वैसे तो बड़ा भद्दा गाना था, उस भद्दे गाने के ऊपर उन्होंने कैसे स्लोगन बनाया, मुझे लगता है उनको थोड़ी better advertising support और slogan coining की ज़रूरत है, अगर मैं शायद सरकार में नहीं होता तो consultancy दे देता उनको उस काम के लिए|

प्रश्न: अच्छा आप freelance कर सकते हैं ऐसे non-BJP के?

उत्तर: आजकल allowed नहीं है, मॉडल कोड ऑफ़ कंडक्ट में और जो हमने शपथ ली है एक मंत्री के कारण उस लिए हम नहीं कर सकते हैं, लेकिन कितने भद्दे गाने के ऊपर उन्होंने एक स्लोगन बनाया कि आप लोग भी चौंधिया गए और आपके तो चैनल के कई रिपोर्टर्स बड़े ही उम्मीद में बैठे थे कि जैसे कोई बड़ा चमत्कारी साथ है| आपने हालत देखली क्या रहा, शायद 20 का भी आंकड़ा पार नहीं किया था कांग्रेस ने, 400 में 20 का आंकड़ा नहीं पार हुआ और भाजपा का आंकड़ा 325, 400 में से|

प्रश्न: हमारा पोल सही था, आप कह रहे हैं कि हमारा चैनल गलत था पर पोल तो सही था?

उत्तर: नहीं आपका पोल सही था पर आपके पत्रकार बड़े निराश थे, उनको बड़ी निराशा हुई कि भाजपा कैसे इतनी अभूतपूर्व विजय ले सकी| कई पत्रकार, ऐसा मैं कोई आरोप नहीं लगा रहा हूँ, मैं भी मज़ा ले रहा हूँ आपके चैनल के ऊपर| लेकिन भारत की जनता सही मायने में डेमोक्रेसी को समझती है, अपने वोट के ताकत को समझती है और उस वोट के ताकत से जहाँ पर बदलाव लाना होता है वहां बदलाव लाती है और अब आप हिमाचल प्रदेश में वह बदलाव का नमूना देखेंगे| कोई आप सर्वे देखलो, हिमाचल प्रदेश में 80% सीटों से कम भाजपा को नहीं मिलने वाली और अब गुजरात में जिस प्रकार के भद्दे कमेंट कुछ लीडर्स करते हैं और अभी आजकल तो clamour है कि उनको और ऊंची पद दी जाये, मैं तो बड़ा खुश हूँ, मैंने आपके shows में कई बार कहा है कि हमारे लिए तो एक प्रकार से ताकत और बढ़ जाती है, जितना ज्यादा कुछ नेता घूमते हैं और भद्दे भद्दे कमेंट्स करते हैं महिलाओं के ऊपर और सब, उसके बाद भाजपा की तो ताकत और बढती है|

प्रश्न: आप राहुल गाँधी का नाम लेने से आप बच क्यों रहे हैं आज?

उत्तर: नहीं बचने की कोई बात नहीं है, देखो कितनी समझदारी है| यह यह भी दर्शाता है कि कुछ नाम भी लेना नहीं पड़ता है, सब लोग समझ जाते हैं, आप भी समझ जाते हो, तो कितना लॉजिकल बात कर रहा हूँ, यह इसको दर्शाता है|

प्रश्न: चलिए हम गुजरात की जनता पर यह छोड़ते हैं कि उसको किसका साथ पसंद है, किसका नहीं|

उत्तर: नहीं साथ तो वह साथ.. उस टाइप के dialogues होते हैं, गुजरात की जनता को विकास पसंद है, गुजरात की जनता को ईमानदार शासन पसंद है, गुजरात की जनता को नरेन्द्र मोदी जैसा निर्णायक नेता पसंद है, गुजरात की जनता को अमित शाह जैसा नेता जो भारतीय जनता पार्टी को विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बनाने में सफल हो ऐसा नेता पसंद है, गुजरात की जनता को पसंद है कि इस देश की आशाएं, अपेक्षाएं और उम्मीदों में खरी उतरने वाली सरकार – विजय रुपानी और नितिन पटेल के नेतृत्व वाली गुजरात सरकार पसंद है, यह गुजरात की जनता को पसंद है| और इस विकास और क्षमता वाली सरकार को फिर एक बार चुनकर गुजरात की जनता लाएगी|

प्रश्न: रेल मंत्री पीयूष गोयल जी आप हमारे साथ आज तक गुजरात पंचायत में जुड़े इसके लिए आपके लिए बहुत-बहुत शुक्रिया| बहुत ज़ोरदार तालियाँ प्लीज़|

 

 

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