Speeches

September 19, 2017

Speaking at Guru Nanak College: Silver Lecture Series, in Mumbai

सामाजिक जीवन की शुरुआत मैंने यहीं से की थी, मेरे जीवन की शुरुआत। मुझे अभी भी याद है sixth standard में पढ़ता था, sixth होगा या fifth भी हो सकता है, इतना क्लीयर याद नहीं है। पांचवीं या छठी कक्षा में, आप लोगों ने सुना होगा लॉयन्स क्लब होता हैं, लॉयन्स क्लब के जो यूथ होंगे उसको लियो क्लब बोलते हैं तो पापा लॉयन्स क्लब ऑफ़ सायन कोलीवाडा के फाउंडर प्रेसीडेंट थे। आपको याद होगा, तारा सिंह जी को याद होगा, यहां पर कई अपने मित्रों को याद होगा। और पहले लॉयन्स सायन थे और फिर सायन कोलीवाडा की शुरुआत पापा ने की थी। तो हमने लियो क्लब बनाया उसका। यहां जो पंजाबी कॉलोनी है, और मेरी आंख के सामने वो दिन जैसे आज हो रहा हो और ये वहां बैठे-बैठे ध्यान आया, मैंने सरदार तारा सिंह जी को पूछा कि वो पंजाबी कॉलोनी अभी तक है क्या?

क्योंकि वहां पे ऐसे buildings were in a square, और बीच में आंगन है उसमें, वही है ना? तो हम लियो क्लब के सब छोटे-छोटे बच्चे पंजाबी कॉलोनी आए थे और वास्तव में मेरे लिए आज वो पुरानी मेमोरीज इसलिए भी इम्पॉर्टेंट है इसका मैं आज आपको अभी बताता हूं क्योंकि वह एकदम हमारी सरकार की प्राथमिकताओं से कैसे जुड़ती है। मेरे जीवन का पहला सामाजिक काम पंजाबी कॉलोनी में स्वच्छता की वजह से हुआ। हम सब बच्चे रविवार के दिन सुबह आए और दुर्भाग्य से भारत में स्वच्छता की बात शायद महात्मा गांधी जी ने की थी और वैसे इतिहास में देखें तो शायद गुरुदेव जी ने की थी सबसे पहले। मेरे खयाल से अगर गुरुनानक साहब ने अगर कोई बात की जिसपे बल दिया तो वो थी स्वच्छता, समानता और शुद्धता। और मैं समझता हूं कि इतने बड़े हमारे देश के ये सिद्धांत छोड़ के गए थे। दुर्भाग्य से हमने कई वर्ष लगा दिए उसको वास्तव में अमल करने में जमीन पर और उस समय हम आए थे और मुझे याद है कि कम से कम एक-डेढ़ फुट का मलबा निकला था वहां से, एक-एक उस प्रांगण से मतलब सालों-साल शायद वहां पर इकट्ठा हुआ।

When I am now talking somewhere in the 70s, it’s early 70s, probably 73 or 74, तो आप सोचिए 1973 में मेरी मदर जो बाद में यहां पर कॉर्पोरेटर बनीं, शायद उन्हीं दिनों कॉर्पोरेटर थी, हां शायद उन दिनों कॉर्पोरेटर थीं यहां पर। She was a Corporator from 72 to 78 that period she was a Corporator here. बाद में एमएलए भी रहीं यहीं से बनीं 3 बार, आप लोगों के आशीर्वाद से और इन सब मेरे कार्यकर्ताओं के परिश्रम से। और वास्तव में जब आज ऐसे ही बैठे-बैठे जब याद आया तो मुझे ध्यान आया कि सबसे पहला कार्यक्रम जो इस सरकार ने लिया वो भी स्वच्छ भारत का था।

तो in a way I feel privileged to be back amongst all of you, because you have once again reignited in me that spirit, which probably made my parents bring me to Koliwada to help the local people appreciate how important it is to have a clean environment.

और वहां से शुरू हुई हुई जर्नी मुझे लगता है आज यहां तक पहुंचाई है। आप सबका भी प्यार है, आप सबका आशीर्वाद है। और इसीलिए जब कोलीवाड़ा आने की बात हुई, गुरु तेग बहादुर नगर आने की बात हुई तो मेरे मन में जरा भी 1 मिनट के लिए भी कोई हिचक नहीं हुई। मुझे आना था और मैंने लगभग सभी कार्यक्रम कैंसिल कर दिए, जबसे रेल मंत्रालय का भार मिला है, काफी नई चीजें सीखनी पड़ रही हैं, नई चीजें समझनी पड़ रही हैं लेकिन अपने घर आने का कार्यक्रम तो नहीं कैंसिल कर सकते हैं।

1947 में ये सोसाइटी बनी है और सरदार तारा सिंह जी के पिताजी उस समय से एसोसिएटेड रहे इस गुरुनानक विद्यक सोसायटी के साथ। मैं समझता हूं 70 वर्ष भारत की आजादी, साथ-साथ में 70 वर्ष समाज की सेवा, इस संस्था द्वारा हम सबके लिए बहुत गौरव की बात है। मैं बधाई दूंगा सभी सम्मानीय ट्रस्टीज, मैनेजिंग कमिटी और सभी उन लोगों ने जिन्होंने अपना योगदान दिया इस सोसायटी के अलग-अलग कार्यक्रमों को सफल बनाने में। और बहुत-बहुत शुभकामनाएं दूंगा कि आगे चलके ये सोसायटी और अधिक रूप से, और बड़े रूप से और तेज गति से समाज की भी सेवा करे और जो सिद्धांत, जो मूल सोच गुरुनानक देव की थी उसको वास्तव में अमल करने में जो आपका योगदान है उसके लिए मैं समझता हूं समाज और देश जितना आप सबका धन्यवाद करे वो कम है। और आपका जो ये कार्य है ये जरूर हम सब अलगी पीढ़ी के लिए एक प्रेरणादायक दिशा दिखाएगा कि हम सबने भी बड़े होकर किस प्रकार से समाज सेवा करनी है, किस प्रकार से, how we have to give back to society for all that we have got from society, and our leaders sitting here today – Principal Dabolkar, Sardar Manjeet Singh Ji, Sardar Amarjeet Singh Ji, Tara Singh ji, Captain Selvam, all of them have dedicated their lives for the cause. And I am sure, each one of youngsters here will continue with that same spirit, that same zeal and keep the nation, keep our society above ourselves.

In our party belief that when we are working even for the political party that we are working for society, for our various causes, the nation comes first. Society has a priority over ourselves, and I think that is the spirit, which this esteemed institution is inculcating in all of you, spirit with which they are developing a very holistic personality around the children of this institute, fostering the spirit of free thinking, of entrepreneurship, of innovation and above all, love for humanity. And I am sure this spirit will hold all these young boys and girls in good stead when you embark on your careers, when you come out in the real world, come out of the cocoon of this protected environment that the college always provides. And in this real world, you will make the nation proud, you will make this institution proud, you will make this college proud of your work. I wish each one of you students the very best in the years to come in each one of your careers.

गुरुनानक साहब जिंदगी भर समाज सेवा में लगे रहे और एक विद्यार्थी की तरह उन्होंने काम किया। उनका मानना था जितना मैं समझ पाया हूं उनकी वास्तव में बड़ी सोच इतनी उदार थी, इतनी व्यापक थी कि मेरे जैसे छोटे व्यक्ति को समझना तो बहुत ही कठिन होगा और एक लाइफटाइम में पूरा समझना तो शायद नामुमकिन होगा। लेकिन जो मुझे समझ में आया वह जिंदगी भर अपने आपको एक विद्यार्थी के रूप में देखते थे। सीखना, कैसे नई चीजें ग्रहण करना, नई चीजों से कैसे जुड़ना। और मुझे बताया गया 28,000 किमी उनके पांच अंतर्राष्ट्रीय दौरों में उन्होंने सफर पार किया। 28000 किमी|

और कब की बात है – 1500 to 1524, it’s unbelievable! हम सबके लिए तो शायद कल्पना के बाहर है कि इतने वर्ष पहले 500 वर्ष पहले इस प्रकार का व्यापक दौरा पूरे विश्व में करना और एक मूल इंसानियत की बात पूरे विश्व तक पहुंचाना, मैं समझता हूं पूरा विश्व उनके कॉन्ट्रिब्यूशन को, उनके विचारों के लिए कृतज्ञ रहेगा। और जैसा मैंने कहा तीन उनके प्रमुख सोच थे – स्वच्छता, सेवा और समानता। स्वच्छता आज वास्तव में इस देश की सबसे बड़ी प्राथमिकता बन चुकी है। और आज भी हम कोई गुरुद्वारे में चले जाएं कभी आपको वहां पर कोई गंदगी नहीं मिलेगी। इतना साफ, इतना सुंदर, इतना स्वच्छ मैं समझता हूं शायद ही कोई और ऐसा विश्व भर में कोई place of worship होगी जो इतनी स्वच्छ रहती होगी और जनभागीदारी से। कोई वहां बाहर वाला आकर साफ नहीं करता है। स्वेच्छा से, अपने आप वॉलंटियर करके जिस प्रकार से स्वच्छता को प्राथमिकता दी गई है, मैं समझता हूं हम सबके लिए भी बहुत बड़ी प्रेरणा है।

प्रधानमंत्री मोदी जी तो शायद स्वच्छता पर सबसे अधिक बल देते हैं। और ऐसा नहीं कि सिर्फ स्वच्छ होना चाहिए, स्वच्छता के साथ मानसिक स्वच्छता भी होनी चाहिए। ऐसा नहीं है कि हमने अपना घर साफ कर दिया, आंगन साफ कर दिया, सड़क साफ कर दी और मन में गलत काम किया, चाहे वो भ्रष्टाचार हो, चाहे वो किसी भी प्रकार का कानून तोड़ने वाला काम हो।

तो मैं समझता हूं गुरुनानक देव का जो एक बहुत बड़ा योगदान हम सबके लिए रहा और जो हम सबको आगे भी चलकर प्रेरणा देता रहेगा और शायद महात्मा गांधी जी ने भी उनसे प्रेरणा ली जब उन्होंने स्वच्छता को इतना बल दिया और मुझे पूरा विश्वास है कि ये अगर हम पूरे देशभर में इसको ईमानदारी से इस मैसेज को देश भर में लेके जाएंगे तो देश का भविष्य ही कुछ और बन जाएगा।

इसी प्रकार से सेवा शायद गुरुनानक जी के रग-रग में था। एक मुझे किसी ने कहानी बताई कि जब वो मात्र 12 वर्ष के थे तो उनके पिताजी ने उनको शायद 20 रुपये दिए कि जाओ कुछ अपना व्यापार शुरू करो। नानक देव ने उस 20 रुपये से कुछ खाने-पीने के पदार्थ खरीदे और गरीबों में बांट दिए और कहा मेरे लिए तो इससे अच्छा व्यापार कुछ हो ही नहीं सकता कि किसी भूखे के पेट में मैंने अन्न डाला।

एक प्रकार से जब हम अंत्योदय की कल्पना से इस सरकार में काम करते हैं तो हम उन्हीं के उस दिखाए हुए रास्ते से प्रेरणा लेते हैं कि कैसे समाज में जो गरीब से गरीब व्यक्ति है उसके जीवन में क्या परिवर्तन हम ला सकते हैं, उसके जीवने में कैसे एक नया सवेरा हो सके वो हमारी प्राथमिकता रहती है।

और अगर गुरुनानक देव को कोई भी एक चीज सबसे ज्यादा डिफाइन करती है और इस समुदाय की जो सबसे बड़ी ताकत अगर कुछ मैं कहूं तो वो है समानता। कैसे पूरे समाज को एकजुट करना, कैसे हर एक व्यक्ति को एक समान देखना, कितना भी बड़े से बड़ा आदमी हो, अमीर आदमी हो, बड़े नाम हो और एक सामान्य व्यक्ति, सबके बीच में समानता। आज कोई हम गुरुद्वारे में चले जाएं और या गुरुनानक कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड साइंस एंड कॉमर्स में पढ़ने आएं कभी मैं समझता हूं आपको भेदभाव की भावना कभी नहीं दिखेगी। ये ऊंचा है, ये छोटा है, ये बड़ा है… एक समान सबके प्रति व्यवहार, इज्जत ये उनकी बहुत बड़ी विशेषता थी। एक उन्होंने इस विषय में कुछ कहा था जो मैं आपको पढ़कर सुनाना चाहूंगा –

The highest religion is to rise to universal brotherhood, to consider all creatures your equals.

ये 500 साल पहले की सोच, आप सोचिए उस समय के परिपेक्ष्य में ये कितनी बड़ी बात उस समय उन्होंने हमारे को और विश्व को दी थी। और एक प्रकार से हम भी उसी से सीख के आज सबका साथ सबके विकास को हमारा मूलमंत्र बनाकर काम कर रहे हैं। कैसे पूरे देश में हर व्यक्ति को समान अवसर मिले, समान सबका इज्जत हो, हर व्यक्ति का जीवन कैसे सुधर सके। सबके घर में कैसे बिजली आए, पानी आए, शौचालय आए, अच्छा घर हो हर नागरिक के लिए, अच्छी शिक्षा मिले, अच्छी स्वास्थ्य सेवा मिले, वो जो नए भारत की कल्पना है, the vision of new India that Prime Minister Modi often articulates is what inspires all of us to work harder, to work faster as madam was saying and to work better.

मैडम आपने पूछा कि I am in a hurry to do work, certainly, I am in a hurry. क्या ये परिस्थिति चल सकती है कि वो गांव में छोटा विद्यार्थी जिसने 70 वर्ष आजादी के बाद भी बिजली नहीं देखी, जिसके घर में टीवी नहीं है, इंटरनेट नहीं है। आज आप सब लोग इंटरनेट से वाकिफ हैं। जब कोई प्रश्न पूछे, मैं आपको कोई प्रश्न पूछूं, आप तुरंत मिस्टर गूगल को पूछने लग जाएंगे उसका जवाब। पता नहीं आगे चलके तो सर एग्जाम में भी लगता है कि इंटरनेट पे पढ़के लिखना शुरू हो जाएगा। पर क्या उस विद्यार्थी का हक नहीं है, अधिकार नहीं है कि उसको भी बिजली मिले, क्या उसको भी अच्छी शिक्षा मिला मिले। क्या वो दृश्य ओडिशा में एक व्यक्ति अपने परिवार वाली महिला को लेकर 12 किमी कंधे पे दौड़ रहा है उनको स्वास्थ्य सेवा दिलवाने के लिए, क्या वो देखके हमारा खून नहीं खौलता है?

आज इस देश में 125 करोड़ लोग अवसर चाहते हैं, 125 करोड़ लोग अच्छा जीवन चाहते हैं और वो अधिकार है हर एक का और वो कर्तव्य है हम सबका कि कैसे इस देश में हर व्यक्ति के जीवन में हम वो सुनहरे दिन लाएं, कैसे उनके जीवन में परिवर्तन हो| How do we transform India into a developed nation, and we don’t have the luxury of time. Every day lost is the day lost in the lives of millions of children, is the day lost in the lives of millons of families. Many of us have boarded the train but we must never forget that there are millions who have been left behind on the platform. And unless we make sure that there is inclusive growth, unless we make sure that every citizen of this country gets an opportunity to take care of himself, to take care of his family, and to be a useful asset of society, to serve the nation, to serve society, I don’t think our life can be complete.

And, therefore, for all of us, India’s democracy is its greatest strength. This society was founded 70 years ago when India became independent. Can we all pledge that when we celebrate 75 years in 2022, we want to see a developed India with every citizen having a shelter on his head, the toilet in his home, 24 hours electricity for his children to study, clean drinking water, good educational facilities in the neighbourhood, adequate healthcare for his parents. And that is the New India that we are all aspiring for, that we are all committed to, that we are all dedicating ourselves to.

I appeal to all of you, young friends, let’s be a part of this revolution, let’s be a part of this transformation, and let’s make India once again that super power, that Jaggat Guru, a nation which is a proud part of the developed world, a nation which integrates itself with development, with technology, with innovation, the best of facilities, modern facilities. A nation where every citizen is respected, a nation where every citizen gets his due share of progress.

And I have no doubt in my mind that each and every student who comes out of this Guru Nanak College of Arts, Science and Commerce, this outstanding institute, founded by well-meaning committed social workers, will serve society, will be a good honest, dedicated, servant of societies, servant of this nation, will give back to society in the same spirit by which our elders have given us and become good citizens of a modern India, of a new India. My best wishes to all of you.

Thank you.

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