Speeches

August 29, 2017

Speaking at meeting with Intellectuals, Varanasi

डॉ. नीलकंठ तिवारी जी, रविन्द्र जैसवाल जी, सौरव श्रीवास्तव जी, महापौर रामगोपाल मोहले जी, भारतीय जनता पार्टी के संगठन महामंत्री मान्य रत्नागर जी, चुनाव में जिन्होंने रात-रात भर बैठ के हमारे साथ मंच बनाया था, ऐसे ही महेश श्रीवास्तव जी, रामचन्द्र मिश्र जी, अशोक चौरसिया जी, डॉ. राकेश त्रिवेदी जी, मंच का सञ्चालन कर रहे काशीनाथ अखिला जी, विनोद गुप्ता जी, सभी बनारस के नागरिक बंधु, कार्यकर्ता बंधु, भाईयो और बहनों|

जब हम दीप प्रज्वलित कर रहे थे तब लखनवी अंदाज़ में पहले-आप  पहले-आप चल रहा था तो यह तय हुआ हम सब मिलकर करेंगे, और मैं समझता हूँ कि आज का यह जो कार्यक्रम और इतनी बड़ी संख्या में आप सब यहाँ उपस्थित हुए वर्किंग डे में दोपहर के समय 3 बजे, यह सिद्ध करता है कि जब हम संकल्प लें किसी चीज़ का और जब जनभागीदारी और मिलकर हम सब किसी काम में जुट जाते हैं तो उसकी सफलता निश्चित है|

आज का भी दीप प्रज्वलन हम सबने मिलकर किया, चाहे वह सरकार का कोई प्रतिनिधि हो, चाहे संगठन हो, जब हम सबने मिलकर उस दीप को जलाया उसी प्रकार से आज जब हम सबने मिलकर यह संकल्प लिया है कि 2022 तक एक नए भारत का निर्माण करना है, 2022 तक प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के सपनों के भारत का निर्माण करना है, 2022 जब भारत की आज़ादी के 75 वर्ष पूरे होंगे तब तक इस देश में एक भी व्यक्ति ऐसा न रहे जिसके सर पर छत न हो, अच्छा घर न हो, बिजली न मिले चौबीसों घंटे, पानी की असुविधा न हो, हर एक के घर में शौचालय हों, अच्छी शिक्षा मिले, अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं मिलें, सड़क हो गाँव तक, घर तक, चाहे वह ग्रामीण क्षेत्र हो चाहे शहरी क्षेत्र हो, किसान हो या मिल मजदूर हो, इस देश में हर एक व्यक्ति के जीवन में एक परिवर्तन की लहर उसको स्वयं को महसूस हो ऐसे एक बड़े सपने को पूरा करने का जब संकल्प पूरे देश के 125 करोड़ नागरिक लेते हैं, जब हम सब मिलकर इसको तय करते हैं कि हमको इस नए भारत के निर्माण में योगदान देना है, अपनी जनभागीदारी से इसको सफल करना है| जैसे शाहरुख खान कहते हैं, ‘जब हम सब मिलकर किसी चीज़ की बड़ी तीव्र इच्छा करते हैं तो शायद कायनात भी हमारा साथ देगी और समर्थन करेगी उसको सिद्ध करने में, उसको सफल करने में|

मुझे पूरा विश्वास है, आज के इस संकल्प में हम सब ने जो तय किया है, जो फैसला किया है वह शत-प्रतिशत सफल होगा, सिद्ध होगा| और मैं आप सबको बधाई देता हूँ इस संकल्प के लिए, आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूँ कि हम इस संकल्प में सफल हों, हम सब मिलजुलकर इसमें सफल हों, मिलजुलकर काम करें – संगठन, सरकार, जनभागीदारी, हर सामान्य नागरिक का उसमें योगदान और सभी की सहभागिता से इसको सफल बनाना मैं समझता हूँ हम सबकी सामूहिक ज़िम्मेदारी है| और मुझे पूरा विश्वास है कि जब सब हम मिलकर इसपर पूरी तरीके से झोंक जायेंगे तो इसको सफल करने में कोई भी ताकत दुनिया की हमें रोक नहीं पाएंगे|

वास्तव में अभी-अभी नीलकंठ जी बता रहे थे, और यह बड़ी तकलीफ है, वाराणसी तो बुद्धिजीवियों का शहर है, बड़े विद्वान हैं यहां पर, अगर इतने सारे विद्वान आपके पहले बोलते तो आपके पास वैसे बोलने के लिए कुछ रहता भी नहीं है| लेकिन आपने सही बात कही कि हम बनारस की पावन भूमि में हैं वैसे, यहां पर संत कबीर भी बनारस से ही आये थे? जन्म यहीं हुआ था| और एक प्रकार से आध्यात्मिक सोच, आध्यात्मिक विचार से इस शहर को भी लाभ मिला, पूरे विश्व को संत कबीर के चेतन का, विचारों का लाभ मिला है| तो वास्तव में अगर संत कबीर के उस दोहे को आज याद करें तो शायद गलत नहीं होगा जिसमें उन्होंने कहा था ‘काल करे सो आज कर, कल करे सो अब’|

तो …. करना है तो हम सबके हाथों में ही है, वह कोई बाहर से आकर नहीं करने वाला है और जब हम सब निर्णय कर लें कि हम काम को कल के लिए नहीं टालेंगे, आज से ही शुरू करेंगे, तो मुझे पूरा विश्वास है कि संत कबीर भी सोच रहे होंगे, देख रहे होंगे कि मेरा बनारस बदल रहा है, कि मेरा बनारस सुधर रहा है, मेरा बनारस स्वच्छ हो रहा है| और मुझे पूरा विश्वास है जिस प्रकार से स्वच्छता में कहां हम 400 अंश से भी ज्यादा पीछे थे, पिछले वर्ष 65 अंश पर आ गए, और इस वर्ष तो 32, रैंक हमारा 32 हो गया, पूरे देश में कहाँ बनारस जाना जाता था एक ऐसा शहर जहाँ जिधर जाओ गन्दगी मिलेगी, सफाई नहीं होगी वहां पर आज बनारस पूरे देश में 32वें अंक पर आके खड़ा होना मात्र 3 वर्ष में, यह उपलब्धि मात्र आप सबके काम, आप सबकी शक्ति और आप सबके संकल्प का एक नमूना है|

और मैं बधाई दूंगा, 32वां अंश आना मात्र 3 वर्षों के परिश्रम से, और मुझे पूरा विश्वास है कि यह जो हमारा नेतृत्व बनारस का यहां बैठा है और यह जो हमारे बनारस की पूरी शक्ति और नारी शक्ति यहां बैठी है यह तब तक ढील नहीं देती जब तक हम पहले टॉप 10 नहीं आते| और यह सब काम अभी नहीं तो कभी नहीं, इसी इच्छा शक्ति से जब हम इस काम को लेंगे तभी हम इस काम में सफल हो पाएंगे|

अभी मान्य प्रधानमंत्री जी का जन्मदिन भी आने वाला है, 17 सितम्बर को, मैं सोचता हूँ एक बहुत अच्छा मौका है हम सब कार्यकर्ताओं के पास, हम सब बनारस के नागरिकों के पास| हम बताएं हमारे सांसद को कि जब आप पूरे देश में स्वच्छता की बात रखते हैं, जब आपने संकल्प लिया है कि पूरे देश में, देश को ही स्वच्छ नहीं बनाएंगे, देश की सोच को भी स्वच्छ बनाएंगे, काला धन और भ्रष्ट्राचार से मुक्त करेंगे| तो उसी कड़ी में हम सब मिलकर बनारस को अव्वल दर्जे पर लेकर आयेंगे, अव्वल इसमें काम हो, बढ़िया काम हो और समझो हम सब आज से लेकर 17 तारीख तक जुट जायें इस काम में कि 17 तारीख को इस पूरे शहर में एक भी कचरे का कोई भी …. कोई भी जगह कचरा नहीं इकठ्ठा होगा, कोई भी कचरा पूरे बनारस में हम नहीं देख पाएंगे, क्यों न हम सब ऐसा एक प्रण ले लें कि आज से लेकर 17 तारीख तक और मोहले जी इसमें आप ज़रा तेज़ गति से अपने पूरे सरकारी तंत्र को भी लगाइये| आज से लेकर 17 तारीख तक हम इस शहर को ऐसा चकाचक सुन्दर बना दें और यहां बैठा हुआ हर नागरिक इसको अपना निर्णय सोचे, यह नहीं सोचे कि यह कोई कार्यक्रम आप पर थोपा जा रहा है| जिसको लग रहा है, कोई कष्ट लग रहा है तो उसमें न सहभागी हो वह चलेगा| कोई इसमें ज़बरदस्ती नहीं है किसी की, आप में से जिसके दिल में यह इच्छा है कि हम हमारे सांसद को उनके जन्मदिन पर एक तोहफा भेजना चाहते हैं वह स्वयं तय करें वह इसमें क्या योगदान देगा अगले 18-19 दिन, स्वयं तय करे कौन से इलाके की ज़िम्मेदारी हम लेंगे एक-एक व्यक्ति और हम सब स्वयं एक फोटो लें 17 तारीख को और याद रखें हर एक व्यक्ति 1000 फोटो 17 तारीख को बनारस के अलग-अलग इलाके से आनी चाहिए जो बताये कि बनारस ने आज निर्णय ले लिया है कि हम अभी करेंगे, कल के लिए कुछ नहीं छोड़ेंगे| स्वच्छता करेंगे तो अभी करेंगे और अभी से लेकर लगातार करेंगे, जब ऐसा निर्णय एक सामूहिक हम सब कर लें और 17 तारीख को ऐसी 1000 फोटो मान्य प्रधानमंत्री जी के पास भेजें तो मैं समझता हूँ हम इससे अच्छा जन्मदिन का तोहफा आपके सांसद को कोई नहीं दे सकता| यह हीरे-सोने से जड़ित तोहफा होगा|

तो नीलकंठ जी, दादा, रवेन्द्र जी, हम सब मिलकर बोलें हर हर महादेव| पक्का? मैं भी कहीं न पहुँच जाऊं 17 तारीख को, ध्यान रखना| उत्तर प्रदेश कई वर्षों से उम्मीद में बैठा था कि इस प्रदेश के नागरिकों के जीवन में परिवर्तन आये, जीवन बदले, जीवन सुधरे| कई सरकारें आईं, कई सरकारें गयीं, प्रदेश वहीँ का वहीँ रहा| जब आप सबके आशीर्वाद से, और बनारस और इधर की तो आठों सीटें हम जीतें हैं, आप सबके आशीर्वाद से और आप सबके परिश्रम से जिस प्रकार की अभूतपूर्व, ऐतिहासिक विजय भारतीय जनता पार्टी और हमारे सहयोगी मित्र दलों को मिली, आज आकांक्षाएं भी जनता की बहुत हैं, उम्मीद बहुत बड़ी है| और उस उम्मीद पर हमें खरा उतरना हम सबका सामूहिक दायित्व है, सरकार भी जुटी हुई है, सरकार भी काम में लगी हुई है, सांसद, विधायक भी काम में जुटे हुए हैं, कार्यकर्ताओं और नागरिकों को भी इसी कड़ी में काम में जुड़ना पड़ेगा|

आप याद करिए मान्य प्रधानमंत्री जी ने जब नए भारत के संकल्प की बात कही थी, तब यह भी साथ में कहा था कि यह नया भारत सरकार अकेले नहीं कर सकता, यह नए भारत की कल्पना सफल बनानी है तो देश के 125 करोड़ लोगों को सहभागी होना पड़ेगा, इसमें कदम से कदम मिलाना पड़ेगा| और सरकार जब योजनाएं लाती है, सरकार जब कोई काम आपके समक्ष रखती है तो उसकी निगरानी करना और उसका लाभ हर व्यक्ति तक पहुंचे यह दोनों ज़िम्मेदारी भी हम सबकी होती है|

मैं जब आज पहुंचा तो मुझे बताया गया कि बिजली क्षेत्र में यहाँ पर जो काम हो रहा है उसमें कुछ कमियां पाई गयी, मैं बहुत खुश हुआ कि हमारे सब विधायक, हमारे नेता यहाँ के सतर्क हैं, लगातार निगरानी रखते हैं काम की, लगातार देखते रहते हैं किसी को कोई तकलीफ नहीं हो, तकलीफ होती है तो उसमें सुधार के लिए प्रयत्नशील रहते हैं| मैं सौरव को डांट रहा था मैंने कहा तुमने मुझे क्यों नहीं फ़ोन किया अगर तुम्हें कुछ तकलीफ लगी, कुछ हादसा हो गया, बोले नहीं आपके अधिकारियों को हमने जम के कटघरे में खड़ा किया और तुरंत दुरुस्ती कराई और उसके बाद काम ठीक से चल रहा है| तो मुझे आनंद आया कि यह सब हमारे प्रतिनिधि चौकन्ने हैं, देखते रहते हैं कि काम क्या हो रहा है, कैसे हो रहा है|

इसी प्रकार से सफाई में भी मुझे पता चला रामगोपाल जी आजकल महादेव के दर्शन करने जाते हैं, साथ-साथ में सफाई का भी दर्शन करते हैं| अच्छी बात है, मैं पिछली बार तो पूछ्के गया था सभी विधायकों को, सभी अधिकारियों को कि आप लोग सुबह उठकर कितने बजे जाकर निरीक्षण करते हैं कि सफाई ठीक से हो रही है कि नहीं हो रही है| हम सबको इसमें मिलकर सामूहिक प्रयत्न करने पड़ेंगे, अपने आप में यह चीज़ें नहीं होंगी| और सरकार की तरफ से कार्यक्रम आयेंगे, कार्यक्रम को सफल बनाने में हमको एक सेतु की तरह जनता और सरकार के बीच में पन्ना बांधना पड़ेगा, समन्वय बांधना पड़ेगा, योजनाएं जनता तक पहुंचानी पड़ेंगी, योजनाओं का लाभ जनता ले सके इसको सफल बनाना पड़ेगा|

और जिस प्रकार से योगी जी लगे हुए हैं, दिन और रात एक कर रहे हैं कि अलग-अलग तरीके से पूरे प्रदेश में हर इलाके में सफल प्रयोग हों, विकास के प्रयोग हों, मुझे पूरा विश्वास है कि अगले 5 वर्षों में जो अभूतपूर्व, एकदम ऐतिहासिक परिवर्तन उत्तर प्रदेश में आने जा रहा है और इस ऐतिहासिक परिवर्तन में समाज का कोई वर्ग नहीं छूटे, यह हम सबको ध्यान रखना है, गरीब से गरीब व्यक्ति जो समाज के अंतिम छोर पर खड़ा है, जिसने पीड़ियों तक शोषण का सामना किया है, हर महिला का आत्मसम्मान हो, हर युवा को अवसर मिले, किसानों की आमदनी दुगनी हो, एक भी घर ऐसा न रहे जिसको बिजली से लाभ न मिले, एक भी महिला ऐसी नहीं रहे पूरे उत्तर प्रदेश में और पूरे देश में जिनके घर में एलपीजी सिलिंडर न हो, पाइप्ड गैस न हो, कोई किसी महिला को पुराने लकड़ी के या कोयले के चूल्हे पर भोजन न बनाना पड़े, कोई एक भी किसान ऐसा न हो जो असमर्थ हो अपने जीवन को सुधारने में, असमर्थ हो जीवन को सँवारने में, कोई विद्यार्थी ऐसा न रहे जिसको अच्छी शिक्षा का लाभ न मिल पाए|

अगर ऐसा प्रदेश, ऐसा देश हम चाहते हैं तो हम सबको सतर्क रहना पड़ेगा, हम सबको सरकारी खजाने से निकला हुआ एक-एक रुपया सदुपयोग हो, एक-एक रुपया जनता की सेवा में जाये इसका संकल्प भी साथ ही साथ लेना होगा| हमने संकल्प आज जो पढाया लेकिन इस संकल्प को कार्यान्वित करने की ज़िम्मेदारी और उसके एक-एक विषय को लेकर जब तक हम सब गहराई से सोचें नहीं, गहराई से उसके ऊपर काम न करें तो मैं समझता हूँ कि जो जनता ने जिस उम्मीद से हम सबको आशीर्वाद दिया है, समर्थन दिया है वह हम उम्मीदों  पर खरे नहीं उतर पाएंगे|

प्रधानमंत्री मोदी जी का क्या कहना है| कई बार यह विषय होता है कि आज़ादी की लड़ाई में हम सहभागी नहीं हो पाए, हम बलिदान नहीं दे पाए और मैं समझता हूँ इस कमरे में अधिकांश लोग हम सब जो हैं, हम सब की आयु ऐसी है कि हमने शायद, आज़ादी की लड़ाई में हमको सौभाग्य नहीं मिला, उसमें काम करने का, उसमें जुड़ने का| शायद अधिकांश यहां पर कमरे में लोग ऐसे हैं जो 1947 के बाद जिन्होंने जन्म लिया है| लेकिन मोदी जी का कहना ठीक है, हमें किसने रोका है कि हम आज़ादी मिलने के बाद जो विकास की लड़ाई है, जो समृद्धि की लड़ाई है, जो गरीबी के खिलाफ लड़ाई है, जो भ्रष्ट्राचार के खिलाफ लड़ाई है उसमें तो हम सब सहभागी हो सकते हैं, हम यह तो कर सकते हैं कि विकास देश में कोने-कोने तक पहुंचे, उस मुहिम पर तो हम सब अपना योगदान दे सकते हैं|

और इस वर्ष जब हम 100 वर्ष पूरे करते हैं भारत छोड़ो, क्विट इंडिया मूवमेंट के, और 1942 से 1947 – 5 वर्षों में जिस तेज़ गति से आज़ादी का आन्दोलन बढ़ते-बढ़ते पूरे देश में फैला, वैसे ही आज 75 वर्ष जब पूरे हुए 1942 के क्विट इंडिया मूवमेंट के और आप सब जानते हैं कि अगस्त क्रांति मैदान से भारत छोड़ो का नारा दिया गया था, अगस्त क्रांति मैदान मुंबई में है और मेरे घर से मात्र दो किलोमीटर दूर है| तो शायद इसलिए जब पार्टी के नेताओं ने तय किया कि कौन किधर जाएगा तो मेरे नाम के सामने शायद बनारस इसलिए तय किया गया कि वह जो भारत छोड़ो का नारा अगस्त क्रांति मैदान से 1942 में देते हुए, 1947 तक मात्र 5 वर्षों में भारत आज़ाद हुआ, वैसे ही आज 2017 में बनारस यह तय करे, बनारस एक प्रण ले कि हम भारत को विकास के रास्ते पर तेज़ गति से लाने में नेतृत्व करेंगे, बनारस यह तय करे कि भारत स्वच्छ हो, इसकी जो नीव है यह बनारस से रखी जाएगी, बनारस तय करे कि गरीबी मुक्त भारत में बनारस सबसे ज्यादा योगदान करेगा, यहां कोई किसी को गरीब नहीं छोड़ेगा, बनारस यह तय करे कि हम भ्रष्ट्राचार-मुक्त बनारस बनाएंगे जिसमें किसी को भी…. आखिर भ्रष्ट्राचार को दो हाथों से ही होता है| कोई देता है तभी तो कोई ले सकता है| हम सब यह तय करें, न हम लेंगे न हम देंगे किसी को|

और मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ, अगर हम सब तय कर लें और हमारे सभी इलाकों में सब अपने मित्र बंधुओं, भाईयों, रिश्तेदारों को यह कहें कि बनारस को हम भ्रष्ट्राचार-मुक्त बनाएंगे – न हम लेंगे, न हम किसी को रिश्वत देंगे| तो मुझे पूरा विश्वास है कि यहां की व्यवस्थाएं भी सुधर जाएँगी और बनारस वास्तव में नेतृत्व करेगा पूरे देश को भ्रष्ट्राचार-मुक्त बनाने का| सांप्रदायिकता, आतंकवाद, जातिवाद, यह सब मैं समझता हूँ बनारस में सबसे कम हैं और हम इससे मुक्ति जल्द ही पा सकते हैं अगर हम सब तय कर लें कि हम सब चीज़ों को एकदम पीछे छोड़ेंगे|

और 5 साल वैसे लम्बा नहीं होता है समय और दूसरी तरीके से देखें तो बहुत होता है, अपने-अपने नज़रिए की बात है| जब हम सब अपनी सोच बदल लें और हम उस आत्मविश्वास के साथ काम करें जिस आत्मविश्वास के साथ प्रधानमंत्री श्री मोदी जी दिन और रात एक  करके अपने काम में लगे हुए हैं| जिस लगन के साथ, जिस प्रतिबद्धता के साथ मोदी जी ने तय किया है कि मैं पूरे भारत में विकास करके ही रहूँगा, अगर हम सब भी उसी प्रकार से उस आत्मविश्वास के साथ इस काम में जुट जाते हैं तो मुझे पूरा विश्वास है कि यह जो संकल्प आज लिया है, यह जो नए भारत की कल्पना मेरे पहले के वक्ताओं ने बताई, डॉ तिवारी ने, मंत्री जी ने बहुत अच्छी तरह उसका विवरण दिया| यह हम बनारस से सिद्ध कर सकते हैं कि यह मात्र संकल्प नहीं, यह संकल्प सिद्ध हो सकता है, सिद्ध होकर रहेगा और हम सब मिलकर इसको सिद्ध करेंगे ही|

और मुझे पूरा विश्वास है, और इसलिए भी विश्वास है क्योंकि मेरा तो कुछ पता नहीं ऐसा संजोग है कि मुझे अभी तक समझ नहीं आ रहा मैं बनारस के साथ जुड़ा कैसे| ज़रूर यह हो सकता है कि मेरे पिताजी काशी विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग करके गए थे 1949 में, तो आज़ादी के लड़ाई के समय वह आपके ही शहर में ही थे, बनारस में ही थे| 1948 में अंडरग्राउंड हो गए जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ऊपर बैन लगा था, यहीं से प्रचारक निकले, बाद में उनको घर भेजा गया| तो या तो वह पुराना क़र्ज़ चुका रहा हूँ मैं आपके ऊपर, 2014 के पहले तो मैं बनारस आया भी नहीं था, 2014 में भी एक दिन कार्यालय में बैठा हुआ अपना काम कर रहा था तभी महामंत्री थे, हमारे आज के तेजस्वी और मैं समझता हूँ जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी को विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बना लिया, ऐसे यशस्वी अध्यक्ष अमित शाह जी ने कार्यालय बैठे-बैठे मुझे कहा चलो पीयूष हमको बनारस जाना है और साथ में लेकर हवाई अड्डे आ गए और बनारस ले आये| और यह कहा गया था कि एक मीटिंग के लिए जाना है यहां पर, कार्यालय में एक मीटिंग के लिए आया था मैं तो सिर्फ, कोई कपडे नहीं थे कुछ नहीं था, 2014 की बात कर रहा हूँ मैं|

एक और बात कह देता हूँ क्योंकि परसों ही राष्ट्रीय अध्यक्ष जी मुंबई थे तो हम गोल गप्पे खा रहे थे तो वह याद कर रहे थे कि बनारस वाले गोल गप्पे मुंबई में नहीं मिलेंगे| परसों रात की बात है और इसलिए याद आई बात क्योंकि जब हम हवाई अड्डे से कार्यालय जा रहे थे तो आधे रास्ते में बोलते हैं ‘गाडी रोको-गाडी रोको’, सड़क पर खड़े होकर हमने गोल गप्पे खाए| और वह करते-करते मीटिंग ख़त्म हुई तो अध्यक्ष जी बोले अच्छा में दिल्ली जा रहा हूँ तुम यहीं रुको ज़रा, और उसके बाद शायद अभी आप बता रहे थे 14 दिन तक मैं यही रहा, चुनाव तक|

और 2014 में वह सडनली जो मुझे बनारस आना पड़ा उसके बाद से सौभाग्य रहा कि मैं लगातार आप सबके बीच आ सका, कई यहां पर विकास के कामों में भी मुझे जुड़ने का मौका मिला, कचरा-सफाई यहां पर नहीं हो रही थी उसकी जब जब मूल कारणों में हम गए तो करसदा के बारे में पता चला जो कई वर्षों से प्लांट बंद पड़ा था, करसदा के प्लांट को मात्र 3-4 महीनों में मेरे एक उपक्रम एनटीपीसी ने चालू किया, मैं समझता हूँ अभी अच्छा चल रहा है? और वास्तव में अगर करसदा ठीक नहीं होता तो शायद यह कचरा किधर डालने की जगह भी रहती और कचरे को हम निकालकर किधर डाल नहीं सकते तो बनारस साफ़ नहीं कर सकते|

तो इस सोच के साथ जो मान्य प्रधानमंत्री जी के मंत्रिमंडल में काम हो रहा है, हर काम के बीच आधारभूत सोच कि इसका मूल कारण क्या है, मूल कारण में जाना……

Ends.

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