Speeches

August 21, 2017

Speaking at 1st Anniversary of SPPC Yoga & Anusandhan Kendra, New Delhi

स्वामी जी, भाईयों और बहनों, वास्तव में मुझे थोड़ा पहले आना था लेकिन एक आखरी मिनट में मुझे खबर मिली एक मीटिंग बुला ली गयी, इसलिए मुझे विलंभ हुआ आने के लिए, मैं आप सबसे क्षमा चाहता हूँ| आज somehow दिन ऐसा हो गया दीदी माँ कि एक के बाद एक लाइन में मीटिंगें तो सुबह भी मुझे एक कार्यक्रम में पहुंचना था तो इस मीटिंग के कारण उसको भी बहुत कट-शोर्ट किया| तो मैं सीमा को बता रहा था वहां मैंने 10 मिनट में भाषण ख़त्म किया, पीएम के यहाँ टाइम पर पहुँचने के लिए, तो उसने कहा कि वह ज़रूर तुम्हारे बाकी भाषणों से ज्यादा अच्छा रहा होगा|

मुझे लगता है राजनीति में लगने के बाद लम्बे भाषण, लम्बे उद्बोधन देने की शायद आदत बिगड़ जाती है जबकि वास्तव में हमें आपसे उद्बोधन लेना चाहिए और आपसे सीख लेनी चाहिए| हम जितना कम बोलेंगे और आप जितना ज्यादा बोलेंगी उतना समाज के लिए अच्छा रहेगा|

संत समाज ने हम सबके मार्ग दर्शक के रूप में लगातार काम किया है, हम सबको प्रेरणा दी है, हम सबको दिशा दी है| उलटे मेरा एक ही सौभाग्य रहा कि मैं दीदी माँ के वात्सल्य ग्राम आश्रम में जा सका और तब से ही मेरे मन में इच्छा  भी है और कुछ मात्रा में पीड़ा भी है कि मैं ज्यादा कुछ कर नहीं पाया हूँ| लेकिन वास्तव में जो नया टाइम देखा समाज के उस वर्ग को संभालने का जिसके साथ कुछ न कुछ आपदा हुई हो या तकलीफ रही हो, उसके प्रति जो संवेदना और उसके प्रति जिस प्रकार से वात्सल्य ग्राम का पूरा ढांचा बना है, पूरी योजना बनी है, वास्तव में मेरे लिए बड़ा ही eye opener था| It was an enlightening experience.

हम दीदी माँ के बारे में, दीदी माँ के काम के बारे में सुनते थे, मुंबई में स्वरुप चंद गोयल ने आपके साथ, इस संस्था के साथ जुड़ाव भी रखा, कार्यक्रम भी किये लेकिन मैं समझता हूँ जब तक हम वहां जायें नहीं स्वयं, अनुभव नहीं करें कि वह कितनी vibrant organisation है, कितना तेज है वहां पर उस पूरे काम में कितना आत्मीयता है, मैं समझता हूँ बाहर बैठे हुए उसको समझना लगभग नामुमकिन है| जो कल्पना आपने बनाई है जिसमें बालक-बालिकाएं, माताएं और वृद्ध महिलाएं, तीनों का जो जुड़ाव करके एक पारिवारिक पूरा जीवन दिया है तीनों वर्गों को, मैं समझता हूँ अपने आप में यूनिक है, पूरे विश्व में ऐसा कोई मैंने comparable आज तक नहीं देखा है|

जैसे-जैसे समाज बदलता जा रहा है, nuclear families आ रही हैं, सभी अपने-अपने काम में व्यस्त होते जा रहे हैं, छोटी families, बट रही हैं families, ऐसी परिस्थिति में स्वाभाविक है कि कई लोग रह जाते हैं जिनको माता का प्यार नहीं मिलता है, माँ की छत्रछाया में पूरा पालन पोषण होने का सौभाग्य नहीं मिलता है| ऐसे में जिस प्रकार से आपने उस पूरे प्रोजेक्ट को संभाला है, बनाया है एक हम सबके लिए सोचने का विषय है कि किस प्रकार का समाज हम भारत में आगे चलकर देखते हैं|

आजकल पता नहीं आप में से किसी ने वह वीडियो देखा होगा, एक एक-मिनट का वीडियो बड़ा वायरल हो रहा है जिसमें एक माँ अपनी बच्ची को मैथ्स सिखा रही है, गणित सिखा रही है| देखा होगा आजकल बहुत ही ज्यादा घूम रहा है| कल मैं भी मुंबई में था मेरी लड़की आई हुई है, मेरी लड़की आई हुई है, हम लोग, मैं थोड़ा समय दे रहा था परिवार को| तो हम बार-बार उसको वह वीडियो दिखा के बता रहे थे कि हमने तो बड़ी गलती की, हमने तो तुम्हें ठीक से पालन पोषण किया ही नहीं, एक भी बार थप्पड़-वपड नहीं मारा, तुम तो बिगड़ जाओगी आगे चलकर|

पर वास्तव में वह कोई तरीका नहीं हो सकता है बच्चों को बड़ा करने का, बच्चों को पालन पोषण करके अच्छा बनाने का| जो तरीका मैंने दीदी माँ के यहाँ देखा वह तरीका ही असली माँ के प्यार से एक पौधे को जैसे बड़ा करके एक अच्छा सभी को छत्रछाया देने वाला पौधा बनता है, वैसा वहां पर मुझे वात्सल्य ग्राम में पूरा अनुभव हुआ, पूरा देखने को मिला और आज के इस 21वीं सदी में इस प्रकार के काम को बढ़ाना, पालन पोषण करके बच्चों को अच्छा बनाना, यह वास्तव में हमारे लिए आगे के लिए एक नयी दिशा दिखाता है|

आज यह जो पहला वर्षगांठ है इस संस्था की, इसमें भी हम सबको स्वामी परमानंद जी की सीख एक प्रकार से फिर से याद आती है, बहुत ही प्रबुद्ध विद्वान थे, योग गुरु हैं, शिक्षक हैं, दार्शनिक हैं, आध्यात्मिक गुरु हैं, सरल सन्देश देते हैं, जब भी बात करते हैं तो बहुत, शब्दों में बहुत सरलता रहती है, कोई बहुत complicate नहीं करते हैं, विषय को बहुत आसानी से लोगों को समझा देते हैं, लोगों को अपनी तरफ मोहित कर देते हैं|

ऐसे में जब इस प्रकार की संस्थाएं बनती हैं उसमें हम सब जुड़ते हैं तो मैं समझता हूँ हमारी भी अगली पीढ़ी को वह सीख मिलती है जो हम सबको मिली इन सब महानुभाओं के साथ, इनके टच में आने से| इस संस्था का एक वर्ष पूरा होना, एक वर्ष पूरे होने पर हम सबको मौका मिलना देखने के लिए कैसा अच्छा काम हो रहा है यहाँ पर, और हमारे सभी संत महानुभाओं का आशीर्वाद मिलना यह हम सबके लिए बहुत ही सौभाग्य की बात है| मैं बधाई देता हूँ यहाँ के सभी ट्रस्टीज को, सभी आयोजकों को और विश्वास करता हूँ कि यह संस्था और आगे चलकर सफलतापूर्वक समाज में अच्छा काम करती रहेगी, समाज सेवा करती रहेगी|

और अभी-अभी आते-आते मैं जिम देख रहा था, एक मॉडर्न और आध्यात्मिक, दोनों का मिलाव करके जब हम लोगों की चिकित्सा का भी ध्यान रखेंगे, लोगों के आगे के लिए जीवन को एक सम्पूर्ण रूप से देखकर ठीक रखने का प्रयत्न करेंगे, तो मैं समझता हूँ this modernity with traditional methods of treatment, यह combination ही आगे चलकर relevant होगा, practical होगा, देश में आगे बढेगा|

आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं| दीदी माँ माफ़ करना कि मैं, विलंभ हो गया मुझे आने से, लेकिन हमारी नौकरी ऐसी है कि हमारा टाइम दूसरे लोग तय करते हैं, पर अच्छा लगा आ कर |

तो आपको और आपकी संस्था को बहुत-बहुत शुभकामनाएं और हम सबको आपका आशीर्वाद मिलता रहेगा, ऐसी कामना करते हुए मैं बहुत बहुत धन्यवाद देता हूँ|

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