Speeches

July 29, 2017

Speaking at the Book Launch of Mann Ki Baat : A Social Revolution on Radio, In Mumbai

हितेश जैन, जिन्होंने छोटी ही अवधि में ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन को एक महत्वपूर्ण संस्था के रूप में खड़ा किया है, हितेश और राजेश जैन| अखिलेश मिश्रा लगभग चुनाव के पहले से ही हमारे साथ जुड़े हुए थे और सरकार बनने के बाद Mygov के माध्यम से और फिर अब ब्लूक्राफ्ट के माध्यम से जो प्रधानमंत्री मोदी जी के और भारत सरकार के अलग-अलग कार्यों को जनता तक पहुंचा रहे हैं, ऐसे अखिलेश मिश्र जी, कई सारे सम्मानित मुंबई के नागरिक यहाँ पर हैं| सबके नाम ले सकता हूँ क्योंकि लगभग सभी हमारे पहचाने हुए घरेलू संबंध के व्यक्ति यहाँ बैठे हैं, आप सबको नमन करता हूँ|

आज वास्तव में मन की बात की किताब जब हम सबके सामने रखी जा रही है तो सवाल यह भी उठ सकता है कि मन की बात पर जो कहना था प्रधानमंत्री जी ने वह तो कह ही दिया है, रेडियो पर आ गया, आजकल तो लगभग टेलीविज़न भी उसको पूरा ही दिखाती हैं| और एक प्रकार से कोई सोच सकता है कि इसका महत्व क्या है, इस किताब को निकालने का| मैं जब पढ़ रहा था किताब तो मुझे ध्यान में आया कि इस किताब में प्रधानमंत्री जी की जो सोच है अलग-अलग विषयों पर, अलग-अलग बातें जो वह रखते हैं मन की बात के माध्यम से जनता के समक्ष, उस सोच को थोड़ा और विस्तार से इस किताब में लोगों को पहुँचाया गया है|

कई बार हम अपने-अपने व्यस्त कार्यक्रमों में देख भी नहीं पाते हैं, सुन भी नहीं पाते हैं हर महीने जब मन की बात का कार्यक्रम रेडियो पर सुनाया जाता है| लेकिन पढने से जो एब्सोर्ब होता है जितना ज्यादा वह विषय अपने ज़हन में आता है वह इसको एक और डायमेंशन देता है, सब्जेक्ट को एक और डायमेंशन देता है| इसलिए मन की बात का वास्तव में एक बहुत महत्वपूर्ण योगदान होगा, 33 एपिसोड हो चुके हैं, अभी बताया कल रविवार है, आखरी रविवार है, 34वा एपिसोड आने वाला है| और हम अगर देखें इसको हर एपिसोड में कुछ न कुछ नई बात – it opens up the mind to new possibilities. Somebody may think Clean India or Swacchta is such an ordinary thing, but that ordinary thing has such great dimensions that is reflected in the messaging that Prime Minister Modi tries to do through the Mann Ki Baat and then has been tried to be captured in this book, which is a kind of summary of essays giving the essence of what the Prime Minister has desired to convey to the people of India.

वास्तव में अगर आप देखें तो मन की बात के जो विषय हैं वह भी जनता से ही निकलते हैं, जनभागीदारी का भी एक बड़ा प्रतीक है यह| तो Mygov के माध्यम से लोगों तक पहुंचना, लोगों से उनके दिल की इच्छा की जानकारी निकालना, लोग क्या सुनना चाहते हैं, किस विषय पर प्रधानमंत्री की मन की बात सुनना चाहते हैं| वह विषय लोगों से संकुलित करके उसमें से प्रधानमंत्री जब अपनी बात रखते हैं हर महीने तो उसमें आप देखेंगे अलग-अलग विषयों को उन्होंने टच किया| यह शब्द ‘दिव्यांग’ सबसे पहले हमने मन की बात में सुना था, दिव्यांग व्यक्तियों को एक साहस भी देना, आत्मनिर्भर बनाने की शक्ति देना और समाज में इज्ज़त देना, यह मैं समझता हूँ हम सबकी प्राथमिकता है, हम में से यहां कोई भी ऐसा नहीं होगा जो वह नहीं चाहेगा| लेकिन उस विषय को किस सुन्दर तरीके से जनता तक पहुंचाना, यह उन्होंने मन की बात के माध्यम को इस्तेमाल करके लोगों तक पहुँचाया|

और आप नोट करेंगे इसमें कोई भी, मन की बात के एपिसोड में कभी भी कोई राजनीतिक विषय को नहीं टच किया गया, It has risen above politics. सामाजिक विषयों के बारे में जानकारी, सामाजिक विषयों को उजागर करना, आखिर बच्चों की पढाई एक कोई सोच सकता है कि भाई हम सब माँ-बाप अपने आप देख रहे हैं, बच्चों को प्रोत्साहन दे रहे हैं| जो थोड़ा बहुत हम नहीं दे पाते हैं वह ‘3 Idiots’ देखकर लोग कॉन्फिडेंस ले लेते हैं, लेकिन कैसे बच्चों को कॉन्फिडेंस यह दिलाना, उनको समझाना कि भाई आपके मार्क्स कम आयें, ज्यादा आयें, उससे ही कोई आप बहुत बड़े व्यक्ति या कमी रह जाएगी ऐसा नहीं है| और मार्क्स के पीछे होर्ड में पड़ना यह भी कोई बहुत समझदारी की बात नहीं है, जिस प्रकार से उन्होंने सीधा युवा-युवतियों के साथ कनेक्ट किया उस मन की बात के एपिसोड में जहां पर उन्होंने एक्साम्स के प्रेशर के बारे में कहा था, I think it was a very unique way to touch the hearts of the youth of India.

और innovative ideas, कल्पनात्मक विषय लेना, transformative suggestions देना समाज में उसके माध्यम से उन्होंने मुझे लगता है एक सीधा संपर्क जनता के साथ करने का यह जो मन की बात का माध्यम, रेडियो का माध्यम इस्तेमाल किया है| वैसे तो शायद इतिहास में जायें तो Franklin Roosevelt ने भी रेडियो का बहुत इस्तेमाल किया था, I think during the early parts of the 20th century. फिर Ronald Reagan, because that’s the remembrance I have, हमारे बचपन के दिनों में Ronald Reagan ने भी रेडियो का काफी बड़े हद तक इस्तेमाल किया|

Winston Churchill was another person who used radio very effectively to communicate during the war. मैं अभी-अभी वह पिक्चर देख रहा था, ‘ट्यूबलाइट’ शायद, ट्यूबलाइट के बारे में न चर्चा करें वह ज्यादा अच्छा है, लेकिन पिक्चर में जो रेडियो का यूज़ दिखाया| If we recall, wars के समय रेडियो से हमें पता चलता था क्या हो रहा है, क्या नहीं हो रहा है, कैसे लोग इकट्ठे होते थे रेडियो के इर्द-गिर्द जानकारियां लेने के लिए क्या हुआ युद्ध में| और वास्तव में कौन सोच सकता था कि 21वीं सदी में, in 2014-15-16, we would have people collecting around a radio to hear somebody give a message. And we are actually finding that in different parts of the country, people are collecting to listen to his broadcast collectively, I mean we have all done that, probably, for cricket matches. And, particularly, when it’s India and Pakistan on a cricket match final, but to do that for a political leader conveying a social message on an, in a way, outdated medium like radio, is by itself a great testimony to the success of this as a communication medium.

I don’t know if any of you are aware, recently, that Saregama Company has actually brought out a radio with 5000 songs pre-loaded on it. You should be knowing Anuji. We may have some of your songs on that. And, it’s become a super hit. People want to actually keep a radio in their living room and are willing to pay top dollar for it. I remember radios at Rs 100 they would go a-begging, and people are willing to pay Rs 5000 for this huge piece. It’s like a whole music box.

So, in effect, we have actually been able to design a new communication method by which one can reach the length and breadth of the country. There are still many homes who may not have the benefit of a television set, who may not be blessed with internet and Google and computers, and what not. But to be able to reach even these media-dark places, the remotest corners of the country, be it in the North-East, be it in the Eastern parts of, the less developed parts of India, this design around the radio has truly worked successfully almost causing a social revolution.

I mean, today, try throwing a piece of garbage on the street; you will have some child making fun of you over there. And, of late, we see a lot of Whatsapp messages around that. और स्वच्छता चाहे छोटी लगती हो, पर स्वच्छता के जो dimensions हैं……………………………….!!!!

 

Ends.

 

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