Speeches

June 30, 2017

Speaking on GST with Zee News

Q&A

Q: ज़ी मीडिया पर आज हमारे साथ एक ऐसे मंत्री हैं जिनकी ऊर्जा की अक्सर मोदी सरकार में मिसाल दी जाती है | हमारे साथ हैं श्री पियूष गोयल, सर बहुत बहुत स्वागत है आपका ज़ी मीडिया पर, and it’s always a pleasure having you on Zee Media. लेकिन सबसे पहले तो बधाई हो, आपकी सरकार ने एक ऐसा ऐतिहासिक रिफार्म लॉन्च किया है या फिर मैं कहूँगा कि शुरू करने जा रहे हैं – GST, जिसके लिए कई सालों से इस देश में बातें ही हो रही थीं |
A: वैसे हमारी सरकार के बदले मैं समझता हूँ सच बात तो यह है कि इसमें पूरे देश के सभी राजनीतिक दल, सभी सरकारों ने संयुक्त प्रयास करके, आखिर GST Council में सभी राज्य के प्रतिनिधि हैं, केंद्र का तो एक ही प्रतिनिधि है, निर्णय सामूहिक हुए, निर्णय सर्वसहमति से हुए | और एक प्रकार से कोई पार्टी जिसकी सरकार ना भी हो लेकिन कोई MP है, MLA है, उसने भी अपना योगदान सर्व सहमति से constitutional amendment करना, अलग अलग assemblies में पास करना, तो यह एक पहला उदाहरण है देश में संघीय ढांचे को, the truly collaborative, cooperative federal structure is demonstrated in the success of GST.

Q: बिलकुल, और यह in fact process conclude भी जिस तरह से हुआ बड़ा interesting रहा, लेकिन अब क्या हुआ है political parties को अब जब you know, now when finally फल खाने की बारी आई है तब यह लड़ाई क्यों हो रही है फिर?
A: पता नहीं ऐसा कुछ समझ नहीं आया, अभी अभी उनके एक वरिष्ठ नेता ने कुछ बयान भी दिया है कि क्यों रात के कार्यक्रम में नहीं आ रहे हैं, मुझे समझ नहीं आ रहा है कि अच्छा कार्यक्रम की कल्पना की गयी है जिसमें सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों का भी आदर सम्मान होगा, जिसमें सभी पार्टियाँ जिन्होंने मिल के 10 साल के परिश्रम से यह कानून को लागू किया है, बनाया है, संजोया है एकदम | हम तो चाह रहे थे कि यह एक देश में मिसाल बने कि कैसे आर्थिक परिवर्तन, इतना transformation reform होने जा रहा है और सर्वसहमती से, तो आर्थिक जगत का मैं समझता हूँ यह सबसे बड़ा अहम फैसला है, अच्छी बात यह है कि मिलजुल के सबने किया है | जनता का लाभ है, सामान्य आदमी को इससे आगे चल के बहुत लाभ मिलने वाला है, तो मैं तो समझता हूँ कि यह सबको सेलिब्रेट करने का अवसर है |

Q: आपको लगता है कहीं न कहीं opposition को या फिर कांग्रेस पार्टी को यह डर है कि Freedom at Midnight जिसपर जो copyright था इतने सालों से कांग्रेस का, वह क्योंकि खतरे में है, GST Midnight पर lunch हो रहा है, वह दर्द है?
A: नहीं, इन सब चीज़ों पर कोई copyright नहीं होता है, यह देश की उपलब्धि है | और आखिर वह स्वयं भी तो उस कार्यक्रम में रहेंगे, सम्मान के साथ रहेंगे, मान्य राष्ट्रपति जी स्वयं एक बहुत बड़े व्यक्ति हैं, उनके काम के बारे में और वास्तव में GST भी उन्होंने ही एक प्रकार से शुरू में देश के समक्ष रखा था, इसको introduce किया था | और वैसे आजतक कभी हमने यह नहीं सुना है कि कोई भी दल जिस कार्यक्रम में राष्ट्रपति जी जाने वाले हों, देश के सर्वोच्च नागरिक हैं, सबसे बड़े constitutional authority हैं | आजतक कभी राष्ट्रपति जी के कोई कार्यक्रम का बहिष्कार नहीं हुआ है, तो यह बहुत दुर्भाग्य की बात है |

Q: यह लगातार दूसरा बहुत बड़ा कदम है, demonetization अपने आप में कितना daring step था, उसके बाद GST | हमने दुनिया भर में कई देशों में मिसालें देखीं हैं कि GST जिस सरकार ने लागू किया वह सरकार फिर अगले चुनाव में चुनकर नहीं आ पाई, उसके बावजूद यह कदम उठाया जा रहा है क्योंकि शायद यह देश के लिए इस समय ज़रूरी भी है – one nation, one tax, इसका impact, being an economist आप कैसे देखते हैं?
A: ऐसा है कि मेरा खुद का तीन वर्ष का अनुभव है मान्य प्रधानमंत्री जी के साथ काम करने का, कोई भी एक भी निर्णय ऐसा कभी हमने लेते हुए उन्होंने यह नहीं सोचा कि इसका राजनीतिक लाभ या नुकसान क्या होगा | कई बार विषय ऐसे आते हैं जिसमें लगता है कि भाई कोई assembly का चुनाव आने वाला है उसमें इसका परिणाम शायद ख़राब हो सकता है, फलानी चीज़ थोड़ा defer कर दो, कोई राजनीतिक कारणों से | प्रधानमंत्री जी का हर वक़्त यह मानना रहता है कि इसमें जनता का हित हो, देश हित हो और समय पर्याप्त हो करने का तो करना चाहिए | 17 tax और 33 cess, यह सब मिला के एक टैक्स इस देश में आने जा रहा है, तो इतना बड़ा harassment, और यह हर एक डिपार्टमेंट का अलग assessment होता था, अफसर आते थे, रिटर्न भरना पड़ता था, भूल-चूक में 2-4 दिन delay हो जाये तो harassment, penalty, कुछ कुछ कानूनों में तो arrest का भी प्रावधान है |

अब इस नई जो व्यवस्था है इसमें multiple taxes, cascading effect of taxes से तो छुटकारा मिलेगा ही, बाबू राज से छुटकारा मिलेगा कि भाई एक ही आपको sales return भरना है, sales का register बनाना है | और मुझे याद है हम तो excise के लिए register बनता था, sales tax के लिए बनता था,  income tax के लिए बनता था, इतने register बनाते थे, अब तो मात्र एक sales register बनाना है, सरल कितना हो जायेगा | और एक register बना लिया उसके बाद आपके लिए सब कुछ सिस्टम अपने आप करेगा | गलत प्रचार हो रहा है, यह 37 return का प्रचार, इतना बेवकूफी वाला प्रचार है मैं तो हैरान हूँ कि समझदार लोग इस बात को नहीं समझ पाए अभी तक कि भाई मात्र, आज की जो परिस्थिति है उससे 90% राहत हो जाएगी और sales register तो हर व्यापारी बनाता है उसमें सिर्फ एक GST No. add करना है, बाकी तो सब आपका sales register आपका है |

Q: इसका जो दूसरा पहलू है कि एक तो compliance बढ़ने की उम्मीद है, दूसरा, जो लोग टैक्स भरना ही नहीं चाहते थे, वह कमाना चाहते थे लेकिन देना नहीं चाहते थे वापिस उनके लिए मुश्किल हो जाएगी?
A: यह ज़रूर आपकी बात सच है कि जो टैक्स नहीं देना चाहते थे उनके लिए इस सिस्टम में ज़रूर कठिनाई आएगी | आखिर टैक्स जब हम नहीं भरते हैं तो हम किसी के पेट पर लात मारते हैं, तो यह जो भावना आज इस देश में आते जा रही है और लोग जुड़ना चाहते हैं ईमानदार व्यवस्था से | मेरा व्यक्तिगत मानना है कि अधिकांश लोग अपना टैक्स ईमानदारी से भरना चाहते हैं, कुछ लोग हालत के मारे होते हैं कि भाई, 10 दुकानें हैं, 2 लोग चोरी कर रहे हैं 8 ईमानदारी से काम करना चाहते हैं | पर यह 2 का जो goods हैं वह सस्ते हो जाते हैं या सर्विस सस्ती हो जाती है क्योंकि वह टैक्स नहीं भरते, जो 8 ईमानदारी से टैक्स भरते हैं उसके प्रोडक्ट महँगे हो जाते हैं | तो ऐसे में नुकसान होता है तो या तो they have to close their business or they have to join, वह भी चोरी करना शुरू करते हैं competition fair करने के लिए |

Q: जो एक आम बिजली का उपभोक्ता है उसे राहत मिलेगी GST roll-out होने के बाद, चाहे initial impact भले ही जो भी हो….?
A: हम कई reforms, कई अलग अलग पहलू पर बिजली क्षेत्र में काम कर रहे हैं जिससे बड़े रूप में उपभोक्ताओं को राहत मिल रही है और आगे भी मिलेगी | और यह राहत हर बार सिर्फ दाम कम होने से नहीं होता है, दाम बढ़ने से भी बचना एक राहत है | DISCOM losses ही करते रहे, distribution company, और लोगों को चौबीस घंटे बिजली दे ही न पाए उसके बदले चौबीस घंटे बिजली मिले यह बहत बड़ी राहत है | तो हम लगातार बिजली के क्षेत्र में सुधार और कैसे चौबीसों घंटे सस्ती बिजली, अच्छी बिजली, गुणवत्ता वाली, साथ साथ में अक्षय ऊर्जा को प्रोत्साहन देना, इसमें लगे | जहाँ तक GST का सवाल है लगभग, either it is tax-neutral, revenue-neutral या कुछ न कुछ लाभ ही है, जैसे कोयले में पहले ज्यादा था अब सिर्फ 5% GST लगेगा, Octroi, Entry tax वह सब चीज़ें निकल गयी उसमें से, total GST 5%, सौर ऊर्जा के जो पदार्थ हैं 5% लगेंगे, एक-आद चीज़ों में थोड़ा बढ़ा भी है पर वह overall context में | बिजली क्षेत्र बहुत संतुष्ट है, हमारे ऊपर किसी प्रकार की कोई कठिनाई नहीं है और आगे चल के और अच्छी सेवा कर पाएंगे इसमें मुझे पूरा विश्वास है |

Q: बिलकुल, आपने सोलर की बात की, before moving on to other topic मैं quickly इसपर एक सवाल लेना चाहूँगा, solar energy अपने आप में जिस तरह से India has become actually the talking point in the solar energy and globally जिस तरह से expansion हो रहा है | एक viability नए solar projects की और दूसरा इसका expansion, horizontally, पूरे देश में, और फिर तीसरा जो renewable energy पर चलने वाले vehicles की बात होती है, इन तीनों पर आपका vision क्या है?
A: जहाँ तक viability का सवाल है, आप हर बार हमारी आलोचना करते हैं कि सरकार ठीक काम नहीं करती है, प्राइवेट क्षेत्र, निजी क्षेत्र अच्छा करता है | तो हमने तो अपना ईमानदारी से नीलामी या ऑक्शन के माध्यम से निजी क्षेत्र को invite किया कि आप आयें, आप bid करें, जो जीता वह सिकंदर, उसको कॉन्ट्रैक्ट मिल जाता है | तो हमने तो पारदर्शिता का मैं समझता हूँ चरमसीमा इन सब हमारे procurement process में achieve किया, zero tolerance to any wrongdoing in the system. ऐसी परिस्थिति में निजी क्षेत्र वाले, अच्छा बड़ी बड़ी कंपनियां, लाखों करोड़ की revenue या लाखों करोड़ की वैल्यू वाली कंपनियां इसमें बिड कर रही हैं, जीत रही हैं attractive prices पर सौर ऊर्जा देश में दे रही हैं, सस्ती बिजली दे रही हैं | तो मैं समझता हूँ यह तो निजी क्षेत्र ने बहुत खुले आँखों से, खुले दिमाग से सोच समझके के यह सब प्राइस.. तो viability का तो ध्यान रखा ही होगा, कोई भी loss करने के लिए तो बिज़नेस नहीं करता है, उनका तो कोई सरकार कि तरह social objective नहीं हो सकता |

जहाँ तक दूसरी बात रही कि रिन्यूएबल के ऊपर चलने वाली गाड़ियाँ, आज भी देश आत्मनिर्भर नहीं है oil and gas में, हमें विदेश से लाना पड़ता है, बड़े रूप में विदेशी मुद्रा भी लगती है | उसकी वजह से current account deficit, trade deficit भी ख़राब होता है तो रुपये की वैल्यू घटती है, जितनी रुपये की वैल्यू घटती है, हमारी अर्थव्यवस्था कमज़ोर होती है | और इस कमज़ोर अर्थव्यवस्था में हर एक चीज़ महँगी होती है, तो यह एक vicious circle है, चीज़ें महँगी होती है, महंगाई बढती है तो ब्याज के दर बढ़ते हैं, ब्याज के दर बढ़ते हैं तो और fiscal deficit बढ़ता है, economy नीचे जाती है |

तो यह एक चक्रव्यूह में वर्षों से यह देश फंसा हुआ है, हमने इसको अगर बदलाव ले आना है तो जो जो वस्तु में हम आत्मनिर्भर हो सकते हैं और विदेश के ऊपर हमें dependent न रहना पड़े, और उसके geopolitical diplomatic लाभ भी हैं, उसमें हमने और जोर देना पड़ेगा | तो मैं समझता हूँ जितना हम electric vehicles को प्रोत्साहन दे के इस देश में विस्तार कर सकें उतना हमारे विदेशी मुद्रा भी बचेगी, पर्यावरण में तो एक game changing रिफार्म हो जायेगा | समझो देश में diesel petrol के धुंए से छुटकारा मिल जाये तो सोचिये शहरों में, highways पर कितना बढ़िया देश के पर्यावरण के प्रति कितनी बड़ी संवेदना होगी, कितना लाभ होगा | तो यह एक प्रकार से एक holistic programme है और मेरा मानना है आगे चलके electric vehicles आज की diesel petrol car से सस्ती होगी in terms of purchase cost, बिना कोई सरकारी intervention के और उसका जो operating cost है वह तो कई गुना सस्ता है |

Q: पॉवर सेक्टर में भी इस तरह का बैगेज आप बहुत साल से ढो रहे हैं, आपने खुद भी इसका रिव्यु कई बार किया हुआ है?
A: आपकी जानकारी के लिए पॉवर सेक्टर में निजी क्षेत्र में ज़रूर समस्याएं हैं, सरकारी क्षेत्र में एक दामोदर वैली कारपोरेशन (DVC) छोड के हमारा एक भी उपक्रम ऐसा नहीं है केंद्र सरकार जो loss में हो |

Q: I am talking about the state?
A: अच्छा राज्य सरकारों में लगभग generating companies और transmission companies देश भर में अब profit में आने लग गयी हैं एक या दो को छोड के उसपर भी हम पूरा जोर लगा रहे हैं क्योंकि हमने उदय में कहा है, generation और transmission में तो loss कदा भी हम tolerate ही नहीं करेंगे पहले साल से, तो उसको strictly किया जा रहा है | जहाँ तक distribution companies हैं, यह एक व्यवस्था एक विरासत हमें मिली जब हमारी सरकार 2014 में आई, उसके पहले 2013 में वसुंधरा राजे जी की जैसे सरकार आई राजस्थान में | आपको जान के हैरानी होगी, 15,000 करोड़ रुपये सालाना नुकसान, मतलब मैं तो सोचता हूँ कि कोई चाहे भी तो 15,000 करोड़ कितना होता है? इतना बड़ा loss एक छोटा सा राज्य जो देश का 6% population या consumption को support करता है, 15,000 करोड़ का loss करेगा?

उत्तर प्रदेश – 12-14,000 करोड़ का loss! तो पिछली सरकारों ने, राज्य सरकारों ने एकदम ही मैं समझता हूँ, अब उसको क्या शब्द इस्तेमाल करें, बेवकूफी भी बोल सकते हो, बेईमानी भी बोल सकते हो लेकिन उन्होंने एकदम ही लाचार व्यवस्था और irresponsible losses करके इनको हालत ख़राब कर दी | हमारी सरकार ने राज्य सरकारों के साथ मिल के उदय योजना से इन सबको ठीक करने का प्रयत्न किया है | अभी मैं हरियाणा का रिव्यु कर रहा था, आपको जान के आनंद होगा कि पहले ही वर्ष में उनका loss घटके मात्र 250-300 करोड़ रुपये पर आ गया, कितनी बड़ी उपलब्धि है? 4.5-5% उनका losses कम हो गए, AT&C losses, financially तो लगभग break-even पर आ गया है 250-300 करोड़ इतने बड़े स्टेट के लिए इतना बड़ा तकलीफ नहीं है, अगले साल तक हम मुझे पूरा विश्वास है प्रॉफिट में आ जायेंगे |

उत्तर प्रदेश का loss आधा हो गया है – 6,600 करोड़ | तमिलनाडु का loss एक-तिहाई हो गया है – 12000 से 3000 करोड़, राजस्थान का loss एक-तिहाई हो गया है – 15000 से 5500 करोड़ | तो अब मेरे सामने जब मैं देखता हूँ उदय की सफलता को तो बड़ा आनंद आता है कि यह देश ने सामूहिक रूप. तब नया नया जब उदय आया आपको याद है कितनी आलोचना हुई थी? कांग्रेस तक ने आलोचना की थी | तो मैं समझता हूँ यह भी, GST भी इसी श्रेणी में जा रहा है, एक बहुत अहम् फैसला, transformative reform है, कुछ लोग आलोचना कर रहे हैं, कुछ लोग डर रहे हैं कि अब यह नंबर दो का धंधा नहीं कर पाएंगे लेकिन आगे चलके सबको ध्यान आएगा, देश हित में है, व्यापारी हित में है और जनता के हित में है, उपभोक्ता के हित में है |

Anchor: बिलकुल, चलिए सर उम्मीद करते हैं कि GST का roll-out भी demonetization की तरह pleasant surprises लेकर आये और जो डर है उससे उभर कर लोग इसका लाभ उठा पाएं | बहुत बहुत शुक्रिया and all the best to you.

Thank you so much.

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