Speeches

May 23, 2017

Speaking at Mobile App Launch: SEVA, New Delhi

Thank you very much Madam! श्री सुशील कुमार जी, सेक्रेटरी पॉवर, श्री सुरेश कुमार जी एडिशनल सेक्रेटरी कोल, श्री सुतीर्थ भट्टाचार्य जी, Mr सिन्हा, यहाँ पर उपस्थित सभी अलग अलग कंपनियों के प्रबंधक, सरकारी कंपनियां भी हैं यहाँ कुछ, प्राइवेट सेक्टर पावर प्रोडूसर भी हैं, मीडिया के बंधु |

वास्तव में शायद थोड़ा fatigue factor भी आ  गया है, कुछ ज़्यादा ही मोबाइल ऐप्स लॉन्च होते जा रहे हैं | लेकिन इस सरकार की प्राथमिकता रही है कि पारदर्शिता हो हमारे काम में, जनता को ……. लेकिन जानकारियाँ खुले रूप से सभी के पास हमारे काम की रहें |  जिससे हमारे काम पर भी आप निगरानी रख सकते हो, जिससे हमारे काम में सुधार के सुझाव आप सब देसको, जिससे आगे चलके हम भी समझें और अपने काम में क्या सुधार लाने की आवश्यकता है | अब हमने एक बहुत सरल एक नंबर बना दिया है, जिसमें यह सभी ऐप्स, सभी चारों मंत्रालयों के? चारों Power, Coal, Renewable Energy और Mines और अलग अलग विभाग अभी आजकल थोड़ी दौड में हैं कि कौन ज़्यादा transparency  और पारदर्शिता अपने काम में दिखा सकता है |

और यह बात अच्छी है सरकार के लिए | जो हम competitiveness लाना चाहते हैं अलग अलग विभागों में, यह उसको भी एक दर्शाता है कि चरों मंत्रालय अब अपनी बातें, अपने काम को जनता के समक्ष real time data के माध्यम से देना चाहती हैं | और यह चारों मंत्रालय के अलग अलग ऐप्स अब आपको एक ही missed call करने से सबका लिंक मिल सकता है | Android पर भी, apple पर भी |  नंबर बड़ा सरल है — 1800-200-300-4 | मुझे लगता है आगे के हमारे सभी कार्यक्रमों में इसको नीचे हमारा जो भी website है चरों मंत्रालयों की और जो यह missed call नंबर है जिससे सभी ऐप्स मिल जाते हैं, यह सभी हमारे literature पर भी और कार्यक्रमों में इसको थोड़ा publicise किया जाए | जरूरत पड़े तो कुछ अखबारों में भी इस विषय को publicise  करें कि एक नंबर पर आपको इस पूरे विभाग की, कोयला, ऊर्जा, नवीकरणीय ऊर्जा, खनन,  इसकी जानकारियाँ मिलने वाले ऐप्स आप अपने फ़ोन पर डाउनलोड कर सकते हैं |

अब तो कई ऐप्स हो गये हैं – विद्युत् प्रवाह, उजाला, ऊर्जा, उदय, तरंग, अब सेवा, TAMRA, मुझे लगता है कि इन सभी के माध्यम से जो कोशिश की जा रही है कि जानकारियाँ जनता के समक्ष हो | जो प्रधानमंत्री जी कहते हैं कि e-governance और फिर e-governance को हम m-governance की तरफ लेके जाएं | E-governance is easy governance, it is effective governance and it is economical governance, m-governance is mobile.

तो हम कैसे एक सरल व्यवस्था बिठाएं, एक सरल व्यवस्था जिसमें समय समय पर या real  time basis पर सभी जानकारियाँ जनता को मिले, उस जानकारियों से हमारा काम सुधरने का माध्यम बने और जनता उस जानकारियों को लेके खुद निर्णय करे कि क्या हमने काम ईमानदारी से किया? क्या हमने काम अच्छी तरीके से किया, effectively किया और क्या हमारे काम में कमियां रह गयी हैं जिसको हम और आगे चलके सुधार सकते हैं |  मैं समझता हूँ no man is perfect, गलतियाँ किसी से भी हो सकती हैं | लेकिन उस गलतियों के पीछे क्या हेतु थी, क्या सोच थी वह ज़रूरी होती है | और जितना ज़्यादा हम पारदर्शिता से काम करेंगे उतना मैं समझता हूँ गलतियाँ भी कम होंगी और आरोपों का सिलसिला भी, करने की संभावना नहीं रहेगी |

वैसे अगर एक अच्छी सरकार चलानी हो, सुशासन इस देश में आना हो तो हम सब एक तरीके से सेवक हैं, public servants हैं, हम सबका काम जनता के हित में है, जनता की सेवा करना है | गावों में गरीबों को वर्षों से जो वंचित पीड़ित रहे हैं उस समाज के प्रति संवेदना के साथ सरकार काम करती है, यह दर्शाना चाहिये हमारे सभी काम में | इसलिए सेवा ऐप भी आज launch किया गया है | शुरू शुरू में ऊर्जा power विभाग को जो जो कोयला लगता है वह जानकारियां हमने already इसमें उपलब्ध करवा दीए है | आगे चलके पूरा जो कोयले का वितरण होता है, इस्तेमाल होता है, वह जनता के समक्ष आ जाएगा |

इसमें कोई पूछ सकता है कि जनता का इससे क्या लेना देना? मैं समझता हूँ जनता का इससे बहुत बड़ा लेना देना है, जनता इसके माध्यम से तय कर पाएगी कि क्या हमने कोयला देने में, वितरण करने में, बेचने में, किसी के प्रति favour किया है, किसी को कुछ खास लाभ दिया है? या एक ईमानदारी से व्यवस्था के हिसाब से, proceess-driven approach से कोयला दिया है | क्या किधर ऐसा हो रहा है कि सरकारी बिजलीघर को कोयला नहीं मिल रहा है, पैसा देने को तैयार होने चाहिए और उठाने को तैयार होने चाहिए | पर अगर उठाने को तैयार है, पैसे देने को तैयार है, सस्ती बिजली बना सकती है, तो क्या कोई कंपनी उसको कोयला देने के बदले किसी और को दे रही है | और अगर दे रही है तो उसके पीछे कारण क्या है और reverse भी हो सकता है | समझो सस्ती बिजली एक प्राइवेट, निजी क्षेत्र की कंपनी दे सकती है पर क्योंकि Coal India  सरकारी कंपनी है, NTPC सरकारी कंपनी है, तो वह पूरा कोयला सिर्फ NTPC  को दे रही है चाहे वह बिजली महंगी हो और निजी क्षेत्र को डर के मारे नहीं दे रही है, क्योंकि वह निजी क्षेत्र है, कही आरोप न लग जाये | यह भी जनता के समक्ष आ जाएगा | खुद जनता कहेगी, भैया नहीं हमको तो बिजली सस्ती चाहिए | जो देता है सस्ती बिजली उसको पहले कोयला दो | आप समझ रहे हैं कैसे जनता को भी इसका लाभ हो सकता है |

साथ ही साथ समझो कोई cost plus project चल रहा है, पुराना सेक्शन 62 जो विद्युत् क्षेत्र को सब समझते हैं यहाँ पर जो बैठे हैं मीडिया के बंधु भी पावर बीट भी कवर करते हैं | अगर कोई सेक्शन 62 का, again I will take the case of NTPC क्योंकि वह मेरे under ही आता है | उनके पास सेक्शन 62 में cost plus regime है, कितना भी inefficiently चलाये, ऐसे तो most efficient पावर कंपनी है देश की NTPC, पर कोई और के ऊपर टिप्पणी करूं, किसी और के ऊपर बिना बात वह नाराज़ हो जाए, अपने ऊपर ही टिप्पणी करना ज़्यादा आसान है | पर अगर NTPC inefficiently अपना पावर प्लांट चला रहा है और कोयले की consumption अनाप-शनाप ज़्यादा कर रहा है या अगर कोई कोयला वहाँ पर जाता है और उसका चोरी हो गयी, कोई बेच देता है इधर-उधर और अपने खर्चे में दिखाके  जनता के ऊपर उसका बोझ डाल देता है | यह भी अब जनता के समक्ष खुला हो जायेगा | इस प्लांट में इतने मिलियन टन कोयला गया, इतने यूनिट बिजली बनी, आप देख लो भैया कितना कोयला इस्तेमाल हर बिजली के यूनिट पर लगा है |

अगर अनाप-शनाप ज़्यादा लगा है तो बिजली मंत्री के नाते मेरा दायित्व है कि मैं उनको सवाल पूछूँ | अगर प्लांट inefficient  है तो या उसको सुधार करे या बदले या बंद करे, जो भी जरूरत है | इन सब निर्णय में केंद्र बिंदु उपभोक्ता होगा, consumer होगा, भारत की गरीब जनता होगी, भारत का किसान होगा, जिसको हमें सस्ती बिजली से सुविधा देनी है |  और ऐसे मैं हज़ार उदाहरण बना सकता हूँ जो इस सेवा ऐप के माध्यम से और इस में हमारे पत्रकार बंधु एक प्रकार से सेतु बनेंगे क्योंकि सामान्य आदमी साधारणतः इतनी गहराई में नहीं जाता है | पर मेरे प्रत्रकार बंधु ज़रूर इसको बहुत अच्छी तरीके से देखेंगे, समय-समय पर थोड़ी रिसर्च करेंगे |

मैंने कई public forums में journalists पर भी थोड़ी टिप्पणी की है, एक आत्मीयता से, एक दोस्ती के नाते कि उन्होंने अपना रिसर्च, उन्होंने अपना stories वगैरा में और ज़्यादा जानकारियाँ निकाल के बनानी चाहिए | उलटे दो दिन पहले कुछ मैं ज्यादा ही बोल गया था एक TV Show  के ऊपर, पता नहीं उसका क्या परिणाम होगा? मुझे शायद boycott ही न कर दे journalistic world | परन्तु on a serious note, we really need to have responsibility on all of us, जितनी responsibility एक राजनीतिज्ञ होने के कारण मेरे ऊपर है,  जितनी responsibility इन सब अधिकारियों के ऊपर है, जिनको भारत में वर्षों से जनता ने शायद सिर्फ brickbats ही दिए हैं | Politician – corrupt and inefficient, government servant – corrupt and inefficient | एक प्रकार से एक फैशन बन गया है कि यह बोल दो और मज़े लो | लेकिन आज 3 वर्ष सरकार में होने के बाद और शायद तीन ही दिन के बाद हमारी 3rd anniversary भी celebrate होगी, मैं आज दावे के साथ कह सकता हूँ कि जिस ईमानदारी से, जिस अच्छे नियत से हमारी सरकार का एक एक अधिकारी काम कर रहा है, हमारी सरकार के एक एक मंत्री, हमारी सरकार एक पूर्ण रूप से एक सुशासन इस देश में ला रही है, उससे हमें गर्व होता है और उसके लिए मैं आप सभी का धन्यवाद करना चाहता हूँ | कुछ aberrations ज़रूर आएँगे, समाज के हर वर्ग में aberrations हैं | क्या निजी क्षेत्र में भ्रष्टाचार नहीं होता हैं? क्या निजी क्षेत्र में inefficiency नहीं हैं ?

इस प्रकार से समस्याएं दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति में कुछ न कुछ गलत चीज़ें हर क्षेत्र में हैं, लेकिन मुझे अभी भी विश्वास है कि, on balance, on an overall perspective we still have people committed to honest working. We still have people in all walks of life, all the pillars of democracy, be it the judiciary, be it the political establishment, be it the bureaucracy, be it the media, in all walks of life the basic thinking, mindset,  वह शब्द DNA इसलिए नहीं इस्तेमाल कर रहा हूँ कि वह DNA use करें तो वह बड़ी headline बन जाती है और बहुत फिर उसके बाद controversy create हो जाती है | But really the mindset and the desire of each one of us is basically to serve the country, is basically to do an honest day’s job, is basically to do good work for the country, for the people. There is care, there is concern for the less privileged sections of society और मुझे विश्वास है कि यह भी जिस सेवा भाव से कोयला मंत्रालय ने सुधार किया, आखिर Specific Heat Rate 8 प्रतिशत सुधरना मात्र दो वर्षों में, यह कोई सरल achievement नहीं है | हर यूनिट जो बिजली का इस देश में बनता है उसमें दो वर्ष पहले तक – ढाई वर्ष पहले तक 0.69 kilograms of coal इस्तेमाल होता था per unit of electricity, आज वह 0.63 kilograms per unit of electricity हो रहा है |

छोटे आंकड़े हमें बहुत छोटा लगता होगा पर जिस देश में एक लाख 20 हज़ार करोड़ यूनिट electricity  के लगते हैं — 1,20,000 crore units of electricity are produced in this country,  1.2 trillion units अगर कोई विदेशी भाषा ज्यादा अच्छी समझता हो — 1.2 trillion units of electricity are produced in this country | और अब तो मेरे captive power plants का डेटा अब तक देश में capture ही नहीं होता था, I hope वह डेटा भी जल्द हमें capture हो जाए और वह भी हम जनता के समक्ष रखने लगें | यह मुझे विश्वास है कि captive power plants को जो कोयले का आभाव रहता था पहले और आज लगभग खत्म हो गया है, सभी captive power plants को जितना कोयला चाहिये आज हमारी कंपनियां तैयार हैं वह देने के लिए, उसके लिये पूरी तरीके से हमारे पास capacity है, कोयले का stock है | उसमें तो बहुत ही बड़े रूप में वृद्धि हुई होगी बिजली के उत्पादन में – captive plants में |

तो मैं समझता हूँ सभी पावर का क्षेत्र इसका लाभ लेगा, आगे चलके steel, cement, aluminium, बाकी सभी क्षेत्रों का डेटा भी इसमें डाला जायेगा | और इससे कोयले का rationalisation करना, आखिर जब सामने दिखेगा कि समझो कन्हैया mine से कोयला जा रहा है, कोई बिजलीघर में – झज्जर में, दिल्ली में, तो आप लोग सवाल पूछोगे ना कि भाई यह कोई अकलमंदी है क्या? कन्हैया के पास चार पावर प्लांट्स हैं जो खाली बैठे हैं और आप लोग कोयला भेज रहे हो झज्जर में | और झज्जर के नज़दीक HCCL के mines ज़्यादा नज़दीक हैं तो भैया वहां से कोयला दो झज्जर को, आप क्यों इतनी दूर से लाके और NTPC के section 62 में दिल्ली को महंगी बिजली दे रहे हो | वैसे ऐसा नहीं हो रहा है यह मैंने सिर्फ एक उदाहरण बताया है |

Coal rationalisation अकेले से लगभग चार करोड़ टन कोयला – 40 million tonne coal – का आदान-प्रदान इधर-उधर हुआ है जिससे नज़दीक की माइनों से कोयला देके लगभग सालाना 3 हजार करोड़ रुपये इस देश के बचे हैं, 3 हजार करोड़ रुपये सालाना | और वह लाभ सीधा उपभोक्ता को जाता है | तो यह पत्रकार बंधु मुझे पूछते हैं कि भाई यह आप कहते हो GST कोयले में 5% ही रहेगी तो क्या इसका लाभ सीधा हमारी बिजली के बिल में मिलेगा क्या? स्वभाविक है आपको सीधा लाभ consumer को मिलेगा | और लाभ दोनों तरफ से हो सकता है, एक तरफ तो यह है कि महारष्ट्र के तरफ बिजली के दाम ही कम हो जाये लेकिन दूसरी तरफ यह भी है कि अगर यह बचत नहीं होती तो फिर regulator शायद आपकी बिजली की कीमतें बढ़ा देता जो अब बढ़ाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी | यह बचत इसलिए सीधा consumer को help  करती है | It is a no brainer, इसमें कोई ज़्यादा दिमाग लगाने की जरूरत नहीं है, वही regulator का काम है, इसलिए regulator बिठाए गए हैं कि वह देखते रहें क्या क्या बचत हो रही है और बचत का लाभ सीधा जनता तक पहुंचे |

Coal rationalisation में भी, या flexible utilisation of coal में भी हमने प्रावधान रखा है कि जब ऐसे rationalise होगा coal linkage तो उसको regulator देखके उसका लाभ सीधा DISCOM को मिले और DISCOM वह सेतु है बिजलीघर और उपभोक्ता के बीच में तो स्वभाविक है कि DISCOM के माध्यम से ही वह लाभ जनता तक पहुंच पायेगा | तो मुझे पूरी उम्मीद है आज की परिस्थिति में और 3 वर्ष के बाद आज हम सब के लिए बहुत गर्व की बात है कि देश में कोयला भी पर्याप्त है, surplus है, कोयले की quality superior है, जो तीन वर्ष पहले थी उससे, बिजली तो मतलब भण्डार है बिजली का, जितनी बिजली इस्तेमाल करना चाहें |

अब मुझे दुख होता है कभी कभी दिल्ली में देखके, मुझे फ़ोन और SMSs आते रहते हैं और मैं उसपर कोशिश करता हूँ act भी करने की  कि दिल्ली में आज भी कई इलाकों में बिजली कट रही है जब बहुत लोड बढ़ जाता है और उसका कारण दिया जाता है कि load गर्मी के कारण बढ़ गया | अब यह तो हम सबका दायित्व है कि हम ऐसा foresight से आगे की सोचके planning करें | इसलिए 3 वर्ष पहले जब – जैसा कुछ पत्रकार बंधु कहते थे मेरा baptism by fire हुआ था – baptism by storm मेरा जब May 2014 में हुआ था, एक बड़ा तूफान आया और पूरी व्यवस्था बिजली की ख़राब हो गयी थी | उस समय सीखते हुए, situation को समझते हुए हमने एक पूरे 7000 करोड़ का एक comprehensive plan बनाया जिससे दिल्ली की पूरी बिजली व्यवस्था को सुदृढ़ किया जाये, अच्छा किया जाये | उस plan के तहत मान्य वित्त मंत्री अरुण जेटली जी ने 200 करोड़ रुपये दिए दिल्ली सरकार को, उसके हिसाब से पावरग्रिड ने अलग अलग जगह नए sub-station बनाने का पूरा प्रोग्राम बनाया | Transmission infrastructure expand करने की कल्पना की और पूरा 7 हज़ार करोड़ का प्लान पब्लिक में है | लेकिन दुर्भाग्य से उसके बाद चुनाव आ गया, चुनाव में एक सरकार आई जिसको मुझे लगता है, अब मैं राजनीतिक बात ना ही करूँ तो अच्छा है पर वह शायद बहुत busy है अलग अलग चीजों में, उसको जनता की सेवा शायद भूल गइ है …….

….. को करना पड रहा है जिनको बिजली के outages से नुकसान हो रहा है, क्योंकि वह investment अगर तब करना शरू कर दिया होता तो आज व्यवस्था इतनी सुधर जाती कि आज दिल्ली में कितना भी लोड बढ़े जनता को त्रस्त नहीं होना पड़ता, तकलीफ नहीं होती |

जैसे आज महाराष्ट्र में 23500 MW तक डिमांड जाने के बाद जो अभूतपूर्व है, इतिहास में कभी नहीं हुआ लेकिन एक दिन भी बिजली की कमी नहीं करनी पड़ी महाराष्ट्र में | खैर इन सब विषयों को देखते हुए मुझे पूरा विश्वास है सेवा भी – नया पोर्टल, जनता के लिए एक बहुत लाभदायक रहेगा | आप सब जानते हैं अभी अभी हमने Shakti – Scheme for Harnessing and Allocating Koyla Transparently in India, ऐसी एक transformational policy  और मैं उसके लिये सभी मेरे कोयला मंत्रालय के अधिकारियों को, coal कंपनियों को तहे दिल से बधाई दूंगा जिन्होंने इसके पीछे इकदम लगातार मेहनत करके इस पूरी scheme को कैसे अधिक से अधिक पारदर्शी बनाया, एकदम ईमानदारी की पराकाष्ठा बनाना और इतना सरल बनाना कि हर एक बिजली के क्षेत्र की कंपनी को सरलता से लेकिन बिना भेदभाव के और पारदर्शिता से कोयला मिल सके, सस्ता कोयला मिल सके इसको सुनिश्चित किया है | और अब शक्ति दे दी हमारे मंत्रालय को जनता की सेवा करने का माध्यम | इस विश्वास के साथ मैं पुनः एक बार आप सबको बधाई देता हूँ |

बहुत बहुत धन्यवाद |

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