Speeches

May 17, 2017

Briefing Media about cabinet decisions

Thank you Mr Narona. Friends, today is a day when you will see that India will be celebrating the global leadership that due to the relentless efforts of Prime Minister Modi, we have been able to achieve for India as a nation, लगातार निरंतर प्रयास करते हुए जिस प्रकार से प्रधानमंत्री मोदी जी ने भारत का नेतृत्व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित किया है, एक प्रकार से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आज भारत की क्षमता और भारत के नेतृत्व को विश्व पहचानने लगा है, स्वीकार करने लगा है | उस दिशा में आज के कुछ महत्वपूर्ण निर्णय सबसे पहले मैं आपके समक्ष रखूँगा |

आज एक बहुत बड़ा निर्णय जो nuclear power के संबंध में लिया गया है | कई वर्षों से भारत लगा हुआ था भारत की indigenous technology जो खुद भारत में बनती है उस technology को develop करने में और आज तय किया है कि भारत की खुद की क्षमता वाले Pressurised Heavy Water Reactors (PHWR), 10 unit भारत के खुद के बनाए हुए Pressurised Heavy Water Reactors जिसकी कुल क्षमता 7000 MW रहेगी, ऐसे 700 MW के एक एक 10 Reactors भारत लगाएगा परमाणु ऊर्जा को उत्पादन करने के लिए |

वास्तव में आज के दिन हमारे पास 6780 MW की nuclear operational power plants हैं, लगभग 6700 MW के और plants under implementation हैं, construction चल रही है उनकी जो 2012-22 तक लग जाएँगे | लेकिन अभी तक 6780 चल रहे हैं, 6700 under implementation हैं और अब यह 7000 और capacity nuclear energy की देश में लगने जा रही है | यह एक प्रकार से भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में NDA सरकार के 3 वर्ष जो पूरे हो रहे हैं जिसमें हमने पूरा केंद्रबिंदु देश की जनता को रखा है, देश के सामान्य आदमी को रखा है | और Make in India programme के तहत देश में रोज़गार के अवसर बनें, देश स्वावलम्बी बने, देश आत्मनिर्भर बने, self-sufficient, self-reliant nation.

This reflects a growing strength of India in its own capacity to set up nuclear power plant capacity. It’s a first of its kind project in India, and it will give domestic manufacturing orders to domestic industry of nearly Rs 70,000 crore. जिससे भारत की खुद की क्षमता परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में और बढ़ेगी, और सक्षम होगी और high-end technologies में भी भारत का स्थान विश्व में पहचाना जाएगा | एक लाभ, सीधा एक साथ 10 unit लगाने का लाभ economies of scale का होगा, कि बड़े scale पर करते हैं तो समय भी कम लगता है और equipment multiply करते हैं 10 बार तो technology और establish हो जाती है | और लगभग 33,400 direct और indirect रोज़गार के अवसर इससे निर्माण होंगे, 33,400 jobs | एक प्रकार से एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत भी परमाणु ऊर्जा के सोत्र बना सकता है और भारत में यह क्षमता है यह अब पहचाना जाएगा | इसमें safety standards, सुरक्षा के standards एकदम top-class international standards को रखा जाएगा और मैं समझता हूँ यह भारत की जो scientific community है जो हमारे वैज्ञानिक हैं उनके लिए भी एक बहुत बड़ा recognition है, उनका भी सन्मान है कि भारत उनके काम के ऊपर भरोसा करता है | और उनमें वह क्षमता है जो क्षमता शायद विश्व में कुछ ही देशों के पास है ऐसे हमारे वैज्ञानिकों को हम आज, उनका सम्मान करते हैं और उनके प्रति अपना धन्यवाद भी देते हैं |

इसमें एक चीज़ दर्शाती है कि जिस प्रकार से प्रधानमंत्री जी ने अक्षय ऊर्जा, clean energy को भारत की ऊर्जा के संबंध में प्राथमिकता दी है उसको भी यह एक प्रकार से और दृढ़ करता है, उस निश्चय को और दृढ़ करता है | Low-carbon ऊर्जा के सोत्र देश में लगें जिससे base load जो आज के दिन base load लगभग हम कोयले के ऊपर ही निर्भर हैं वह base load में भी अब nuclear power एक बड़ा contribution कर सके जिससे नवीकरणीय ऊर्जा के solar, wind, hydro इन सबको भी हम और तेज़ी से grow कर पाएं, साथ साथ में base load भी nuclear बने तो भारत अपने जो भविष्य में साफ़-सुथरी पर्यावरण के प्रति अपनी संवेदना रखता है उसको भी यह दर्शाता है |

Sustainable development, energy self-sufficiency and responsible global citizen to ensure that we are a part of the global effort to fight climate change, this is, to my mind, a historic decision taken under Prime Minister Shri Narendra Modiji today. Another very major decision that has been taken today is the decision to amend the tax treaties related to black money. आप सबको याद होगा कि लगभग 2015 में एक G-20 की meeting में प्रधानमंत्री श्री मोदी जी ने विषय निकाला था कि काले धन के ऊपर जो लड़ाई है, वह काले धन की लड़ाई मात्र bilateral treaties से नहीं होनी चाहिए इसपर एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर multilateral engagement और multilateral understanding होनी चाहिए जिससे विश्व में जहाँ जहाँ पर काला धन है, जहाँ जहाँ काला धन stashed away है उसको हर एक देश के पास वापिस पहुँचाया जा सके, यह 2015 की G-20 meeting में जब सभी देश के, पूरे विश्व के सब बड़े leaders इकट्ठे हुए थे उसमें मान्य प्रधानमंत्री जी ने यह विषय पूरे विश्व के नेतृत्व के समक्ष रखके इसपर स्वीकृति करवाई थी |

तो मुझे आज बताते हुए बहुत ख़ुशी है कि उस प्रधानमंत्री मोदी जी की पहल का आज भारत ने भी ratify किया है | हम sign करने जा रहे हैं multilateral convention to implement tax treaty related measures to prevent base erosion and profit sharing. ऐसा था कि कई देश में सुविधाएं थीं कि tax planning करके और कानूनी कुछ न कुछ loopholes निकालके या mismatches अलग अलग देशों के निकालके लोग अपने profit को shift कर पाते थे ऐसे देशों में जहाँ पर या तो zero tax है या बहुत low tax है या कुछ बहुत ही थोड़ी economic activity है | कुछ देश हैं जो छोटे देश हैं जहाँ economic activity कुछ नहीं है, कागज़ी कंपनियां बनती हैं और लोग अपना profit वहां पर दिखाके shift कर देते थे जहाँ genuine profit है वहां से और लगभग zero tax या low tax से निकल जाते थे |

यह सिर्फ भारत की समस्या नहीं है, यह पूरे विश्व की समस्या है लेकिन इसको बजाए एक एक देश के साथ हर देश बात करे जिसमें अंदाज़ा लगाया गया कि अगर bilateral tax treaties से इसको solve करने की कोशिश करें तो विश्व में 3000 bilateral treaties हैं, 3000 treaties को change करना पड़ेगा | उसके बदले एक multilateral treaty बने यह प्रधानमंत्री मोदी जी की vision था, उनकी दूरदृष्टिता थी, उन्होंने विश्व के सामने रखा, सभी नेताओं ने स्वीकार किया और आज भारत ने इस BPS Action 15 Report जिसमें लिखा गया था developing a multilateral instrument to modify all these bilateral tax treaties, यह conclude हुआ है और भारत भी उसमें उसके समक्ष अपनी मंज़ूरी दे रहा है | We are signing this multilateral agreement जिससे इस प्रकार के loopholes को रोका जा सकेगा और treaty abuse जहाँ जहाँ पर हो रही हैं उसके ऊपर पाबंद आ जाएगा | और जो लोग capital gains, shares को ऐसे जगाओं पर hold करके avoid कर पाते थे या contracts इस प्रकार के बनाते थे कि profit एक जगह पर पूरा बन जाए और उसमें tax avoid हो सके, इस सबको अब हम रोक पाएंगे | यह पुनः एक बार दर्शाता है कि जब प्रधानमंत्री मोदी जी विश्व स्तरीय कोई विषय को रखते हैं उसका कितना ज्यादा acceptability है|

तो यह दोनों निर्णय भारत को वास्तव में एक प्रकार से विश्व के नेतृत्व की तरफ लेके जाता है | पहला निर्णय अपने खुद की nuclear हमारी capacity, हमारी प्रतिबद्धता sustainability के प्रति, clean energy के प्रति जो Paris में दर्शाई गयी थी | Paris में जब समझौता हुआ COP21 में, तब वास्तव में मान्य प्रधानमंत्री जी का जो नेतृत्व था इसको विश्व के सभी नेताओं ने स्वीकार किया था, सबने कहा था कि India has played the catalytic role which has enable consensus amongst the developed world and the developing world. तो एक प्रकार से यह दोनों निर्णय हम सबके लिए बहुत ही हर्ष का भी विषय है और हम सब.. it makes us all feel proud to be Indians in a situation where we are leading the world and we are becoming global leaders.

एक और निर्णय जो मेरे मंत्रालय से संबंधित है, है coal linkage policy का | आप सभी जानते हैं कि Supreme Court ने जब 204 coal blocks को cancel किया था, 2014 के अंत में तब उन्होंने एक विषय यह भी कहा था कि भारत के जितने natural resources हैं, भारत के पास जो जो संपत्ति है उस संपत्ति को एक पारदर्शिता से, transparency से देना चाहिए बजाए कि हम अपने रिश्तेदारों को, कोई सांसदों को, कोई राजनेतिज्ञों को और या कोई और कारणों से extraneous reasons के कारण किसी को दें, किसी को न दें | उसी के तहत हमने कोयले के blocks का auction किया, spectrum का auction नीलामी हुई और उसकी वजह से लाखों करोड़ रुपये जो पहले free of charge या सस्ते में दिए जाते थे देश के resources, उसको अब हमने नीलामी के तरीके से देके जो लाभ है वह सीधा गरीब के पास जाए, लाभ का फायदा राज्य सरकार गरीब की सेवा में लगा पाए, लाभ उपभोक्ता को मिले सस्ती बिजली के माध्यम से | इस प्रकार के निर्णय इस सरकार ने गत तीन वर्ष में लगातार लिए हैं |

आप सब जानते हैं कि इसी श्रेणी में हमने कोयले की जो linkage दी जाती थी पहले जो एक प्रकार से notified price पर coal दिया जाता था अलग अलग companies को और उसका लाभ फिर वह company ले सकती थी और उसका लाभ सीधा उपभोक्ता को जाए इसको सुनिश्चित करने का कोई तरीका नहीं था | उसके समक्ष हमने एक नयी कोयले की linkage policy बनाई है जिसका नाम है शक्ति, Shakti याने Scheme for Harnessing and Allocating Koyla, अब Koyla with a ‘K’ will become the new word in the English lexicon, Transparently in India, Scheme for Harnessing and Allocating Koyla Transparently in India (SHAKTI).

और यह शक्ति इस लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि आप सबको याग होगा कि पिछली सरकार धनादान देश में विदेशी कोयले पर बनने वाले बिजली के plant लगाते जा रही थी | अगर आप याद करें 2014 के पहले का दृश्य तो लगातार कोयले की shortage और कमी रहती थी भारत में, यह सामान्य था कि कोयला नहीं मिल रहा है, कोयले की वजह से बिजली नहीं मिल रही है | और भारत में विश्व का 3rd largest reserves हैं कोयले के उसके बावजूद इस देश को इतना निहत्था बना दिया और कभी यह सोचा ही नहीं कि हम अपने आप self-sufficient हो सकेंगे कि आपको जानके हैरानी होगी कि इस देश ने 83,000 MW बिजली के ऐसे plant बनाए हैं, 83,100 MW के जो विदेशी कोयले पर निर्भर रहते हैं | यह हम सबके लिए शर्म की बात है कि हमने कभी यह सोचा ही नहीं कि कोयले में आत्मनिर्भरता पर focus करें, उसके बदले 18,600 MW तो fully 100% import-based plant बने और 64,500 MW blended (import और domestic) | तो 83,100 MW plants इस देश में विदेशी कोयले के ऊपर बनने वाले बने जिसकी वजह से आज इस देश में पर्याप्त कोयले का उत्पादन होने के बावजूद हमको विदेश से कोयला लाना पड़ता है क्योंकि यह technically इस plants में विदेशी कोयला लगता है |

यह अलग बात है हम काम कर रहे हैं वैज्ञानिकों के साथ और NTPC-BHEL research कर रही है कि किसी तरीके से इनको भी हम modify करके domestic coal कुछ ज्यादा मात्रा में इस्तेमाल कर पाएं | लेकिन आज हमने शक्ति के माध्यम से ईमानदार व्यवस्था पारदर्शिता के साथ कैसे यह coal के linkages भी Coal India और SECL के माध्यम से आगे दे सकें, कैसे बिजली की कीमतें कम रखें और उपभोक्ता के ऊपर burden कम हो या उपभोक्ता को कुछ सस्ती बिजली मिल सके और कैसे पर्याप्त मात्रा में हर एक बिजली घर को कोयला मिले जिससे जो आज बैंकों की भी NPA की problem है बिजली के plants के संबंध में वह भी काफी मात्रा में solve हो सके | इन तीनों विषयों को रखते हुए एक नयी Coal Linkage Policy बनाई है जिससे जो अभी plants लग रहे हैं, आधे अधूरे हैं या लग रहे हैं, उनको भी कोयला मिल सके, जो plant लग चुके हैं जिनके पास PPA हैं, जिनके पास PPA नहीं है उनको भी कोयला मिल सके और आगे future में जो नए plants लगाने चाहें उनको भी कोयला मिल सके | यह सभी को हमने मद्देनज़र रखते हुए आम आदमी, सामान्य आदमी, मुझे लगता है आम आदमी के बदले सामान्य आदमी, यह शब्द आज के बाद हम इस्तेमाल करें तो ज्यादा अच्छा रहेगा | सामान्य आदमी को कैसे सुविधा मिल सके, सस्ती बिजली मिल सके और कभी भी कोई भी बिजली घर को कोयले की कमी न हो, यह हमने सुनिश्चित करने का और सुप्रीम कोर्ट के दिए हुए आदेश को सन्मान करते हुए एक इमानदार तरीका आज कोयले के वितरण का, कोयले को बेचने का बनाया है |

इसमें कई मुद्दे हैं लेकिन प्रमुख दो-तीन मुद्दे मैं सिर्फ आप के समक्ष रखता हूँ | जो 1,08,000 MW को fuel supply agreement sign नहीं हुआ था, Letter of Assurance holder थे 1,08,000 MW के, उसमें लगभग 78,000 MW को तो 2013 में fuel supply agreement दे दिया गया था | Balance जो 30,000 MW के plants थे क्योंकि वह उस समय की policy के हिसाब से लगे थे और उनके पास Letter of Assurance जो एक प्रकार से legal assurance है कि Coal India Limited उनको कोयला देगी, उन plants में से हमने देखा कि 28,000 MW के plant लग रहे हैं, अलग अलग स्थिति में हैं | और 2021-22 तक वह plant लग जाएँगे, उन 28,000 MW के plants को Coal India Limited fuel supply agreement देगा, आज की स्थिति के हिसाब से continue करके क्योंकि यह एक agreement हुआ हुआ है, Letter of Assurance दिया गया है और हमारी सरकार ने पहले से कहा था कभी भी हम retroactive amendment नहीं करेंगे, हम कोई पुरानी commitment से back-out नहीं करेंगे | तो उसका सन्मान रखते हुए उन 28,000 MW को FSA दिया जाएगा जैसे जैसे वह अपने plant को commission करेंगे |

इसके इलावा जितने plants के पास power purchase agreement है लेकिन fuel supply agreement नहीं है उनको नीलामी की जाएगी, fuel supply agreement एक coal का linkage और उनको bid करना पड़ेगा कि कितना discount देंगे वह बिजली में, बिजली के cost में कितना discount देंगे और वह discount DISCOM को सीधा मिलेगा हर यूनिट बिजली की जो linkage के कोयले से बनेगी और वह DISCOM फिर उपभोक्ताओं को उसका लाभ दे सकेंगे | जिन कंपनी के plant PPA नहीं हैं लेकिन लग चुके हैं या लग रहे हैं उनके लिए अलग window होगी auction की और उनको नीलामी forward auction किया जाएगा, वह premium देंगे, coal companies को premium देंगे और उनको linkage premium के ऊपर एक transparent नीलामी के माध्यम से दी जाएगी |

एक और तरीका आगे से हम बनाएँगे जिससे राज्य सरकारों को भी हम कोयला देंगे और राज्य सरकार उस कोयले को offer करके कि कोयले के cost, जो fixed cost है वह रहेगा उसके ऊपर लोग नीलामी से अपनी बिजली बेच सकेंगे | तो समझो 1000 रुपये हैं कोयले का एक फलानी माइन से और  उत्तर प्रदेश सरकार ने लिया 4 million tonne तो वह bid कर सकता है कि 1000 MW 4 million tonne इस्तेमाल करके कौन किस दाम पर हमें देगा जिसमें कोयले का cost fixed होगा और fixed cost पर bidding हो जाएगी | इसी के साथ साथ जितनी सरकारी कंपनियां हैं central या state उनको Coal India continue करेगा notified price पर linkage देने के लिए जिससे सरकारी कंपनियों को कोई bidding की आवश्यकता नहीं होगी, वह जनता को सस्ती बिजली सीधा पर्याप्त मात्रा में दे पाएंगे |

इसके इलावा कुछ इसमें और दो-तीन मुद्दे हैं जैसे कि अगर छोटे राज्य हैं तो उनके join करके एक common bidding हो सकती है 4-5 राज्यों को कुछ tariff policy में सुविधाएं दी गयी हैं, कोई राज्य सरकार अपने खुद के राज्य में कोई बिजली घर promote करना चाहे तो वह special category में expansion allow कर सकता है existing coal-based thermal plant का, उसके लिए exceptions राज्य सरकारों के support के लिए कुछ बनाए गए हैं | तो यह रहा तीसरा बहुत ही महत्वपूर्ण आज का विषय |

चौथा जो आज के दिन निर्णय हुआ है, और मैं समझता हूँ यह भी बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय माना जाएगा | Indian Agricultural Research Institute, Assam में Dirpayi Chapori Dogamukh, Dhemaji district Assam की, जो अरुणाचल प्रदेश से लगके है, यहाँ पर देश की तीसरी Indian Agricultural Research Institute बनाई जाएगी | अभी तुरंत उसपर लागत होगी लगभग 155 करोड़ रुपये की, पर अनुमानित है कि 7-8 वर्षों में लगभग 700-1000 करोड़ रुपये इस institute के ऊपर खर्चा होगा | यह institute वैसे तो 2014-15 के budget में 2 institute announce करी गयी थी, 1967 में दिल्ली में पहली IARI बनी थी, Indian Agricultural Research Institute, 1967 से 2014 तक कोई और institute नहीं बनी | तो इतने वर्षों तक जो agriculture इस देश की धड़कन है जिसमें research करना वैज्ञानिक लोगों को support करके नए findings development करना, देश में एक ही research institute 1967 के बाद एक ही चल रही है | प्रधानमंत्री मोदी जी की सरकार ने 2 institute को मंज़ूरी दी जिसमें रांची में काम शुरू हो गया लेकिन असम की सरकार, पहले वाली सरकार ज़मीन नहीं दे रही थी | सोनोवाल जी की सरकार ने आके तुरंत ज़मीन का आवंटन किया, 587 acres असम सरकार ने आवंटित किए और उसके तहत अब यहाँ पर लगभग 155.29 करोड़ रुपये की लगत से यह institute लगायी जाएगी जिसमें हर वर्ष 67 MSc in agricultural sciences, विद्यार्थी निकलेंगे और PhD में 106 विद्यार्थियों को हर साल admission दी जाएगी जो 3-4 वर्ष आगे से, समझो 20 या 21 से 90 PhD students doctorate करके, agricultural science में हर वर्ष इधर से निकलेंगे | यह agricultural research संशोधन को भी प्रोत्साहन देगा और असम और पूरे जो 8 पूर्वी भारत के, उत्तर पूर्वी भारत के North Eastern states हैं इसमें agriculture बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रखता है | असम में तो 85% लोग agriculture पर dependent हैं, इन सबको एक आगे के लिए एक अच्छा नया agriculture को प्रोत्साहन देने का एक सोत्र बनेगे |

7-8 साल में इसमें उतनी लागत लग जाएगी, तुरंत 155 करोड़ की लागत है | आप सब जानते हैं कि North East को develop करना इस सरकार की प्राथमिकता रही है, हमने throughout North East को कैसे promote किया जाए, North East में कैसे fast development हो | और Eastern development का, जो evergreen revolution का जो हमारा संकल्प है, second green revolution North East से शुरू हो उसके लिए यह एक बहुत महत्वपूर्ण निर्णय है |

पांचवां निर्णय गुजरात में एक four-laning of the Dwarka Porbandar National Highway, Porbandar से Dwarka Section लगभग 1958 करोड़ रुपये की लागत से, 1958.88 करोड़ की investment से यह hydrid annuity mode में यह project लगेगा Porbandar से Dwarka तक | 117 km की यह road वहां के पूरे इलाके में एक प्रकार से बहुत तेज़ी से प्रगति हो, तेज़ी से यहाँ का development हो उसके लिए यह road का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है, Dwarka to Porbandar | और वह पूरा क्षेत्र, पर्यटन के माध्यम से भी द्वारका की वजह से बहुत ही important है | तो मैं समझता हूँ कि यह project भी गुजरात की अर्थव्यवस्था के लिए four-laning of this Porbandar-Dwarka Road will have a great importance और public-private partnership का एक और बहुत महत्वपूर्ण project होगा |

इसमें लगभग 4,80,000 man-days employment की संभावना है, 4,80,000 man-days employment, हजारों लोगों को इसमें employment मिलेगा और पूरे region के development से आगे चलके तो बहुत बड़ा employment का एक support इस project में से बनेगा |

इसके इलावा 3 हमने railway projects आज मंज़ूरी दी है, तीनों projects महत्वपूर्ण हैं | लगभग 700 km के यह 3 railway projects हैं, पहला project Guntur से Guntakal, आंध्र प्रदेश में यह project Guntur, Prakasham, Kurnool और Anantpur district, आंध्र प्रदेश की 4 districts को लाभ देगा | इसके साथ साथ, इसकी doubling के साथ साथ electrification भी की जाएगी इस railway line की और लगभग 4,201 करोड़ रुपये की लागत से आंध्र प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार आधा आधा पैसा खर्चके इस प्रोजेक्ट को लगा रहे हैं | और आंध्र प्रदेश Bifurcation Act में यह कहा गया था कि connectivity Rayalaseema के लिए बढाई जाएगी, यह उस प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए जो नया capital आंध्र प्रदेश का Guntur के पास आने जा रहा है उसमें traffic बहुत smooth हो जाये उसके लिए यह rail line को doubling भी किया जा रहा है और इसकी electrification भी की जा रही है |

इधर आंध्र प्रदेश के 4 districts, जिल्लों में जाएगी – Guntur, Prakasham, Kurnool और Anantpur, दूसरी rail line Manmad से Jalgaon, महाराष्ट्र में, इसमें तीसरी line 160 km की और साथ ही साथ इसका electrification, इस project को भी जिसको budget 2016-17 में announce किया था इसको मंज़ूरी दी गयी है | यह जो दिल्ली से मुंबई और कोलकाता से मुंबई जो traffic आता है इसको और तेज़ गति देने के लिए यह लाभदायक होगा | और यह सब lines जो 2 double track lines आती हैं वरदा और इतार्सीत को, वरदा और इतार्सीत से भुन्सावल में आती हैं, इस पूरे काम को यह तेज़ गति देगा और वहां पर सुविधा देगा expansion की और fast movement of traffic की | इसमें लगभग 1,200 करोड़ रुपये, Rs 1,198 करोड़ का investment होगा और यह project भी इस पूरे क्षेत्र में काफी employment, लगभग 32 लाख man-days की employment generate करेगा |

तीसरा railways का project जो मैं समझता हूँ बहुत ही महत्वपूर्ण है 150 km का – फिफाना इंदिरा और मऊ शाहगंज – यह दोनों rail lines को, links को doubling भी करेगा और electrification भी करेगा | इन दोनों projects का लाभ वास्तव में एक बहुत बड़े भारत के इलाके को मिलेगा, इसका लाभ एक तो अमृतसर, लखनऊ, वाराणसी, मुग़ल सराई, यह जो पूरा route है इसमें भी इसका लाभ होगा | और दूसरा गोरखपुर, छपरा, हाजीपुर, गुवाहाटी, इस route को भी इसका लाभ होगा | तो आप समझये यह दो लाइनें फिफाना इंदिरा और मऊ शाहगंज से कितने राज्यों को लाभ मिलता है – पंजाब, अमृतसर, उत्तर प्रदेश, लखनऊ, वाराणसी, बिहार, छपरा, मुग़ल सराई, गोरखपुर भी यूपी में, हाजीपुर भी और असम गुवाहाटी – इतने बड़े इलाके में, बिहार मैंने कहा छपरा, हाजीपुर और छपरा, इतने बड़े इलाके में यह लाभ देता है, यह दो lines | इसमें लगभग 150 km doubling होगी और इस project के माध्यम से लगभग 5 साल में यह project complete किया जाएगा और 30 लाख man-days की employment generate की जाएगी |

अब एक और महत्वपूर्ण project जो science और technology से संभंधित है और जिसमें शायद पहली बार भारत में इतने बड़े पयमाने पर industry और academia का collaboration research में किया जा रहा है | यह है एक mission for accelerating discovery, research for early development in the biopharmaceutical space. Biopharmaceuticals में भारत का एक वास्तव में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत बड़ा स्थान है | इसमें department of biotechnology ने academia और industry दोनों की partnership में इस mission को promote करने का निर्णय लिया है और इस collaboration से हम समझते हैं कि applied research, जो biopharmaceutical में नए शोध हो रहे हैं उसको application में convert करने में बहुत तेज़ गति से लगभग 1500 करोड़ रुपये की लागत से, Rs 1500 crore investment, 50% भारत सरकार और 50% World Bank इसमें contribute करेगी और यह mission implement होगा Biotechnology Industry Research Assistant Council (BIRAC) के माध्यम से, यह एक public sector undertaking है | तो BIRAC industry और academia, दोनों को मिलाके 1500 करोड़ रुपये की investment से यह applied research के project को आगे प्रोत्साहन देगी |

अगला जो महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है वह प्रधानमंत्री ने 31 दिसम्बर, 2016 में जब demonetization का पहला चरण ख़त्म हुआ था, उसदिन announce किया था कि जो project, एक pilot project शुरू किया गया था उसको हम पूरे देश में लागू करेंगे, उसका निर्णय आज ले लिया गया | Maternity Benefit Programme योजना जिससे पूरे देश में जो भी गर्भवती महिला है उसके पहले child के लिए, for the first child, pregnant and lactating mothers will be given a benefit of up to Rs 6000, जिसमें से 5000 रुपये Department of Women and Child Development के माध्यम से 3 किश्तों में दिया जाएगा, पहली installment early registration of pregnancy की 1000 रुपये, दूसरी installment जब पहला anti-natal check-up हो, 6 महीने pregnancy के बाद, उस समय 2000 रुपये और तीसरा installment child के registration के बाद जब उसको पहला cycle BCG, OPV, DPT and Hepatitis B का दिया जाएगा, उस समय 2000 रुपये | और बाकी जो benefits मिलते हैं अलग अलग departments के माध्यम से उससे मिलाके कुल लगभग 6000 रुपये हर गर्भवती महिला को दिए जाएँगे जो Direct Benefit Transfer mode से, DBT से हर महिला के खाते में दिए जाएँगे |

अगली जो महत्वपूर्ण योजना आज, कानून, योजना नहीं है कानून जो आज finalize किया गया है वह है Amendment to the public premises, eviction of unauthorised occupants act 1971. वास्तव में मैं सभी पत्रकार बंधुओं का भी धन्यवाद करूँगा क्योंकि आप लोगों ने समय समय पर इस विषय को उजागर किया है, जनता के समक्ष रखा है कि कैसे लोक प्रतिनिधि या सरकारी अफसर जिनका अपना कार्यकाल ख़त्म हो गया है लेकिन वह अपनी सरकारी occupied जो वस्तु होता है उसको खाली नहीं करते हैं और मैं समझता हूँ शायद आप में से सभी ने इसमें अलग अलग समय पर कुछ न कुछ लेख लिखे होंगे या TV पर show किया होगा | यह धन्यवाद मैं आप सभी को देना चाहूँगा कि आपके लगातार प्रयत्नों से, और मान्य वेंकैया जी के प्रयत्नों से प्रधानमंत्री श्री मोदी जी के नेतृत्व में कैबिनेट ने आज यह मंज़ूरी दी है कि amend किया जाए Public Premises Eviction of Unauthorized Occupants Act को, जिससे जो लोग overstay करते हैं अपने सरकारी घर में और फिर कानून का फायदा लेके सालों साल तक कानूनी कार्रवाई से अपने घर को खाली नहीं करते हैं, उस mechanism को fast-track किया जाएगा और heavy penalties या penal provisions लगाए जाएँगे अगर कोई भी समय पर खाली नहीं करे अपने सरकारी मकान को | जिसमें मंत्री भी शामिल होंगे, Members of Parliament भी शामिल होंगे, हमको तो एक महीने की समय मिलती है अपने घर को खाली करने के लिए और एक महीने से ज्यादा अगर समय कोई रहता है तो फिर penalty और prosecution  भी हो सकता है |

अगला निर्णय जो लिया गया है वह एक HOCL (Hindustan Organic Chemicals Limited) जिसकी रसायनी में जो plant है उसमें कई वर्षों से काम नहीं हो रहा है, नुकसान में चल रही है, उस plant को बंद करने का निर्णय लिया गया है, उस प्लांट में plant में CNA और N2O4, I think Nitrogen Dioxide बनता था, उस plant को सिर्फ बंद किया जाएगा | HOCL को नहीं बंद किया जा रहा है उस plant को रसायनी में बंद किया जा रहा है, उसकी operations को और बाकी operations बंद होंगी लेकिन जो CNA और N2O4 यह बनाने का जो कारखाना है वह ISRO को transfer किया जाएगा जो 20 acre में स्थित है, उसके जो workers हैं और उसमें जो काम करने वाली पूरी व्यवस्था है वह ISRO को transfer की जाएगी | बाकी ज़मीन में से 442 acres BPCL खरीद रहा है उनको requirement है, कुछ शायद नयी refinery या कुछ लग रही होगी या कुछ काम होगा उसके लिए वह Rs 618.8 crore के लगत से, Rs 618 crore की लागत से उस ज़मीन को खरीद रहे हैं और बाकी ज़मीन को एक पारदर्शी तरीके से सरकारी कंपनी NBCC बेच के या उसको इस्तेमाल करके जो भी पैसा आएगा, उस पैसे से जो भी इसकी सरकारी investment है उसको पूरा कर पाएगी | जो भी इसके liabilities हैं, HOCL के, वर्षों से चले आ रही liabilities हैं जिसमें workers के भी dues हैं, accumulated dues हैं, कुछ VRS के dues हैं | इन सब dues को इस पैसे से तुरंत पूरा किया जाएगा जो मुझे लगता है सभी कामगार और workers भी इसका स्वागत करेंगे और सालों से चल रहे उनके dues पूरे किये जायेंगे |

अब एक दो छोटे विषय ही हैं | Ancient Monuments and Archeological Sites and Remains Act में पीछे कुछ amendments लाके लगभग impossible कर दिया था किसी भी प्रकार का development | तो अगर कोई national highway बनना है, कोई railway line जानी है और वह national monument के नजदीक आती है तो उसका सभी काम लगभग ठप हो जाता था | इसमें तीन प्रकार के areas हैं, एक protected areas जो monument के अन्दर हैं, एक prohibited area, 100 metre के अन्दर और एक regulated area उसके आगे 200 metre के अन्दर | पिछली amendment के बाद वह 100 metre में कोई प्रकार का काम except repairs and renovation permit नहीं होता था |

तो सरकार ने बहुत ही समझदारी से और बहुत अच्छे नियम बनाके जिससे वह एकदम misuse की कोई संभावना न हो और monument को सँभालते हुए, monument की importance को ध्यान में रखते हुए सिर्फ अगर कोई काम public works of national importance हो और केंद्र सरकार की मंज़ूरी हो तो ही उसको permission मिल सकेगी, उसका एक पूरा elaborate process होगा, procedure होगा जिसके बाद कोई national importance का काम, कोई highway बनना है, कोई rail line जानी है और अगर लगभग एकदम 100 metre में, 99th metre पर आती हैं, ऐसे सब projects जो अटक गए हैं उनको भी सुविधा हो उसके लिए एक proper, very-very tightly knit programme सरकार ने बनाया है |

साथ ही साथ approval दिया गया है National Defense College, New Delhi का agreement for faculty exchange with National Defense College, Bangladesh, Dhaka, एक बार और दर्शाता है बांग्लादेश और भारत के बीच कैसे संभंध सुधर ही नहीं रहे हैं पर बेमिसाल होते जा रहे हैं, अलग अलग क्षेत्रों में हमारे दोनों के आपसी भाईचारा बढ़ता जा रहा है, उसका एक और उदाहरण है यह | ऑस्ट्रेलिया के साथ एक agreement किया गया है Memorandum of Understanding जो आतंकवाद और organized crime, drug cartels वगैरा में दोनों देश एक दूसरे का सहयोग करेंगे उसका एक agreement किया गया | इस प्रकार से अलग अलग निर्णय से मैं समझता हूँ एक बहुत महत्वपूर्ण Cabinet meeting भारत के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व, भारत के अन्दर, कैसे सामान्य आदमी के लिए सुविधाएं बढें, सामान्य आदमी की सुविधाएं सस्ती हों और पारदर्शिता और भर्ष्टाचार-मुक्त good governance के मिसाल के बहुत सारे आज निर्णय इस cabinet ने लिए |

बहुत बहुत धन्यवाद |

Q&A

Q :Sir, is there a time frame by which the 6000 MW of nuclear plants will be set up …?

Ans: Today is the preliminary approval. The project has been approved, the technology has been approved, financial outlay has been approved, now all the other detailing will be carried out by the Department of Nuclear Energy, and we will keep the nation informed from time to time.

Q : यह plant कौन लगाएगा, nuclear plants सर?

Ans:  यह, आपको याद होगा पीछे इसपर भी एक कानूनी प्रावधान लाया गया था, जो सरकारी nuclear power की जो कंपनी है, प्रमुखतः वह लगाती है | और साथ में अगर वह Joint Venture भारत की सरकारी कंपनियां के साथ करना चाहे, समझो NTPC के साथ करना चाहे, ऐसी कोई भारत की सरकारी कंपनी, राज्य सरकार का मुझे याद नहीं है पर केंद्र सरकार का तो था ही, सरकारी कंपनी के साथ Joint Venture हो सकता है लेकिन सरकार के अंतर्गत ही यह लगेंगे |

Q: सर आपने 3 rail projects के बारे में कहा, पहले का आपने कहा कि Andhra government उसमें 50% देगी, दूसरा जो Maharashtra वाला क्या उसमें भी Maharashtra government को share करना है या वह रेलवे मंत्रालय करेगा पूरा?

Ans: जो पहला है वह hybrid annuity mode में है, 50% Andhra और 50% central government, 2nd वाला जो है वह government के railway budget से है पूरा महाराष्ट्र का |

Q: Sir, this 28000 MW is there, so non-PPA premium on linkage will be over and above 28000 or for that…..?

Ans: Over and above 28000, for the 28,000 we already had the letter of assurance. As I mentioned, this government does not backtrack on a commitment already made. We do not want to have retroactive amendments. There was a National Coal Distribution policy prevailing till now under which these LOAs were made so we are respecting that. Also, at the request of the bankers who have lent money to these projects on the back of these Letter of Assurances. And, this will help the NPA’s problem getting resolved in the country.

Q: This multinational tax treaty, is signed immediately and when will it come into effect, does it have to be ratified by all the countries?

Ans: Yes, that’s the normal protocol for all multilateral treaties. I think the whole world has accepted the point made by Prime Minister Modi that there should be multilateral engagement. And I see no reason that this will have any difficulty in being ratified when all the top leaders of the world had accepted it. India is signing that treaty now based on today’s cabinet decision.

Q: सर आपकी सरकार को 3 साल हो गए, आप काफी सारी उपलब्धियां भी बता रहे हैं लेकिन कल कांग्रेस ने अपने तमाम युवा………..

Ans:  यह अलग से मैंने इसपर जवाब कल दे दिया है, कुछ और चाहिए तो बाद में दे देंगे | उसमें वास्तव में कोई विषय था ही नहीं, पहली बात तो समझ ही नहीं आ रहा था वह क्या कह रहे हैं और फिर मैंने बड़ी मुश्किल से निकाले और 30 बिंदु में मुझे तो कोई बिंदु में कोई तत्त्व ही नहीं लगा, मुझे लगता है उनको classroom में जाना चाहिए और classroom में पहले समझें कि criticism के लिए भी कैसे point निकाला जाए |

Q: सर यह 28,000 MW FSA होगे या इसी को ……………….?

Ans:  नहीं 28,000 भाई साहब इनको LOA already है, तो LOA जब जब उनका plant पूरा हो जाएगा और जो terms and conditions हैं FSA के, FSA के कुछ terms and conditions होते हैं उनको PPA मौजूद करना पड़ता है medium term या long term PPA दिखाना पड़ता है, plant synchronized होना पड़ता है | वह सब conditions पूरे हो जाएँ तो उनको FSA मिल जाएगा |

Q: मेरा सवाल है कि इसके बाद नया FSA होगा या सिर्फ linkage के लिए auction होगा?

Ans: ना ना, इसके बाद 28,000 के इलावा तो linkage का auction होगा तो FSA ही convert होगा, linkage will obviously convert to FSA.  We want stability in the power system. और आप सब जानते हैं कि non-power का linkage जो हमने auction किया वह बहुत सफल चल रहा है, करोड़ों tonne कोयला उस माध्यम से पारदर्शिता से दिया गया है | किसी ने कभी कोई आरोप नहीं लगाया है, कोई प्रकार का भ्रष्टाचार उसमें संभावना ही नहीं है, सबको सामान्य रूप से उसमें bid करने को मिलता है, तो हमने watch किया, उसकी success को पहले अच्छी तरीके से देखा और उसके बाद यह आज की policy लाई | थोडा विलंभ इस लिए हुआ कि हम चाहते थे कि policy एकदम perfect आए |

Ends.

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