Speeches

April 9, 2019

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में प्रबुद्ध नागरिकों के साथ संवाद

माननीय अध्यक्ष नरेश जी, माननीय सांसद, मेरे मित्र छोटे भाई अनिल बड़ोले जी, सोहन लाल जी, विनय जी, सभी महानुभाव मंच पर, मंच के नीचे, बुद्धिजीवियों की मीटिंग है तो सभी महानुभाव यही है तो। और अगर विनय जी का बस चलता तो 5 बजे तक तो सबका नाम हो ही जाता यहाँ पर। सॉरी, अनिल जी का बस चलता तो सभी का नाम हो ही जाता है यहां पर। पर वास्तव में आप सबका तहे दिल से धन्यवाद करता हूँ कि मुझे मिलने के लिए आप आए। मुझे मौका मिला आप सबसे बातचीत करने का और हम थोड़ा सा मैं प्रस्तावना रखने के बाद हम बातचीत भी करेंग। थोड़ा मैं भी आपसे सुनना चाहूंगा किस प्रकार से आप अगले 5 वर्ष, और फिर उसके बियोंड भी किस प्रकार का उत्तराखंड, किस प्रकार के देश के भविष्य के लिए आप चाहते हैं, हम सब भी काम करें, हम सब मिलकर कैसे विकास करें। कैसे दिल्ली में नरेंद्र और उत्तराखंड में त्रिवेंद्र दोनों मिलकर आप सबके, हमारे युवा युवतियों के भविष्य को और अच्छा सुगम बनाने के लिए उज्जवल बनाने के लिए कैसे मार्ग बनाए आगे विकास का।

वास्तव में देहरादून तो अपने आप में बहुत प्रसिद्ध इतिहास के साथ खड़ा हुआ है। यहाँ पर शैक्षिक संस्थाएं भी काफी सारी है काफी प्रसिद्ध है। कहते हैं कि गुरु द्रोणाचार्य ने यहीं पर अपना गुरुकुल बनाया था। और वास्तव में उत्तराखंड के लोगों ने जो योगदान हमारे आर्म्ड फोर्सेस को दिया है, जितने बड़े पैमाने पर उत्तराखंड के लोगों ने अपने जीवन का भी बलिदान दिया या जीवन का को दांव पर लगाया है देश की सुरक्षा और रक्षा के लिए, यह पूरा देश उत्तराखंड का सदैव ही कृतज्ञ रहेगा।

बहुत सारी चुनौतियां देश के समक्ष आती है। बहुत सारे विषयों के ऊपर काम चलता है। हम सब मानते हैं विकास जरूरी है। हम सब मानते हैं कि देश की उन्नति और प्रगति तेज गति से हो। पर मैं समझता हूँ हम सब यहाँ उपस्थित बंधू बघिनी सब समझते हैं कि सबसे सर्वोत्तम अगर कोई देश के लिए गंभीर विषय है, जो राष्ट्र को सुरक्षित रखना, राष्ट्र की सीमाओं को सुरक्षित रखना। जिस प्रकार से आतंकवाद, उग्रवाद, माओवादी शक्तियां देश में कई वर्षों से पनप रही थी, कई वर्षों से अलग-अलग इलाकों में अपना गलत कामों से देश के लोगों को भी नुकसान हो रहा था, देश की अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हो रही थी, उसका मुकाबला करना  है।

और एक प्रकार से मुझे तो लगता है कि देश के हर नागरिक की आज अगर सबसे बड़ी कोई चिंता है, तो वह चिंता सुरक्षा को लेकर है, वह चिंता राष्ट्र को एक रखने की है और ऐसी परिस्थिति में एक बहुत ही निर्णायक नेतृत्व, बहुत ही कठोर निर्णय ले सके और मजबूत सरकार चला सके ऐसी सरकार की आवश्यकता सबसे ज्यादा सामने आती है। और मैं समझता हूँ आज इस देश के सामने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के सामने कोई मुकाबले में नहीं खड़ा हुआ हैं जब हम निर्णायक और मजबूत नेतृत्व की बात करें।

वैसे मैं यहाँ पर क्रिकेट स्टेडियम में आया था पिछली बार जब देहरादून आया। नजदीक में हमारा वह इन्वेस्टर कॉन्फ्रेंस हुई थी। तो क्रिकेट के स्पोर्ट्स स्टेडियम जो है क्रिकेट की परिभाषा में देखें तो लगभग ऐसा मैच है जहाँ पर एक टीम में एक कैप्टन है और 10 खिलाड़ी, ऐसे 11 खिलाड़ी एक टीम में खेल रहे हैं। दूसरी टीम में 11 कैप्टन है, पर कोई खिलाड़ी बनने को तैयार नहीं है। और ऐसी परिस्थिति में देश सुरक्षित नहीं महसूस कर सकता, आम आदमी को पूरे समय एक भय से वातावरण सा रहेगा कि क्या अगर आतंकवादी इस देश पर हमला करें, क्या अगर किसी प्रकार की सीमाओं के ऊपर तकलीफ हो तो देश को कैसे एक रखना कि देश की समस्याओं का हल कैसे हो।

और विकास भी तेज़ गति से तभी हो पाता है जब देश में अमन शांति बनी रहे। और मैं समझता हूँ कि ऊरी में तो सर्जिकल स्ट्राइक पाकिस्तान ऑक्यूपाइड कश्मीर में हुई थी, लेकिन पुलवामा के बाद जिस प्रकार से हमारे सेना बलों ने, आर्म्ड फोर्सेस ने, जिस प्रकार से लाइन ऑफ कंट्रोल क्रॉस करके पाकिस्तान में जाकर जो आतंकवाद का जड़ है, उसके ऊपर हमला किया उससे आतंकवादियों को सही मायने में एक सबक सिखाने का अवसर बनाकर भारत के साथ अब किसी टेढ़ी नजर से नहीं देख सकते। भारत और भारतीय लोग सक्षम है अपने देश को सुरक्षित रखने में, सीमाओं को सुरक्षित रखने में और मुंहतोड़ जवाब मिलेगा अगर कोई भारत के ऊपर गलत नजरिए से देखता है।

इस सरकार का पिछले 5 वर्षों में मूलमंत्र विकास रहा है और विकास चारों दिशाओं में, अलग-अलग क्षेत्रों में, और देश के कोने-कोने में कैसे हो सकता है और कैसे तेज गति से हो सकता है उसका एक मिसाल पिछले 5 वर्षों का देश ने देखा। आपको ध्यान होगा किस प्रकार की अर्थव्यवस्था 2014 में हमें विरासत में मिली थी। विश्व की जो 5 सबसे कमजोर अर्थव्यवस्थाएं है, फ्रेजाइल फाइव बोला करते थे उसमें से भारत एक था। हमको तो कोई इम्पोर्टेंस ही नहीं मिलता था कोई अंतर्राष्ट्रीय मंच के ऊपर, कोई अंतर्राष्ट्रीय चर्चा में भारत का कोई स्थान नहीं नज़र आता था।

महंगाई लगभग डबल डिजिट में लगातार चल रही थी, बैठी हुई महिलाएं बहनों को ध्यान होगा, दाल जैसी चीज़ भी उस समय 260 रुपये में बिका करती थी। चीनी के दाम आसमान छूते थे। रोजमर्रा की चीजों में लगातार महंगाई तो हमने समझो एक एक्सेप्ट ही कर लिया था महंगाई तो, हमें जीना है महंगाई के साथ। और कोई भी अर्थशास्त्री से आप बात कर ले महंगाई सबसे अधिक अगर किसी को चोट पहुंचाती है तो गरीब को पहुंचाती है, मध्यमवर्ग को पहुंचाती है। अमीर आदमी को कोई महंगाई नहीं परेशान करती है।

आज कोई व्यक्ति 20,000-25,000 रुपये, 10,000 रुपये महीना कमाए तो साधारणतः उसका अधिकांश पैसा तो खर्च हो जाता है रोजमर्रा की जरूरतों में। और उसमें जब महंगाई होती है तो टंचाई ही होती है। पैसा कम पड़ने लगता है। अमीर आदमी जो बहुत बड़े-बड़े कमाई करते हैं उनको महंगाई की चोट नहीं उतनी पड़ती जितनी मध्यमवर्ग और गरीबों को पड़ती है। बड़ा अनइक्वल सा खेल है महंगाई का और कुछ अर्थशास्त्री तो यहां तक कहते हैं की महंगाई से अमीर आदमी को तो शायद लाभ होता है क्योंकि उसके पास बड़ी संपत्ति होती है बड़े-बड़े एसेट्स होते हैं जिसकी वैल्यू बढ़ जाती है।

और आप इतिहास देख लीजिए 1947 से आज तक जब-जब कांग्रेस की सरकार आई है महंगाई बढ़ी है, महंगाई ने आसमान छुआ है। हमें दो मौके मिले प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने 6 वर्ष शासन किया और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में 5 वर्ष एनडीए की सरकार रही। दोनों यह कार्यकाल ऐसे रहे जब महंगाई नियंत्रण में रही और लगातार घटती रही। आज तो शायद 2.5% के करीब है महंगाई की दर। और औसतन 5 वर्ष का देखें तो आज़ादी के बाद कोई 5 वर्ष ऐसे नहीं गए हैं जिसमें महंगाई इतनी कम रही हो, जितनी प्रधानमंत्री मोदी जी के कार्यकाल में रही है।

अर्थव्यवस्था के और जो प्रमुख अंश होते हैं, विकास की दर, आजादी के बाद 5 वर्ष के जो औसतन विकास की दर है वह सबसे ज़्यादा अगर किसी 5 वर्ष में रही है तो यह यह 2014 से 2019 के बीच रही है। इसी प्रकार से वित्तीय घाटा हो या करंट अकाउंट डिफिसिट हो, यानी विदेशी मुद्रा में जो कमी रहती है इन दोनों मापदंड में भी हमने लगातार सुधारी है अर्थव्यवस्था को। फॉरेन एक्सचेंज रिज़र्वज़ बड़े पैमाने पर बढे हैं और एक प्रकार से विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज़ गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था आज भारत है। और यह हम सबके लिए बड़ी गौरव की बात है हम सबके लिए बड़ी प्रसन्नता की बात है। और स्वाभाविक है जब तेज़ गति से विकास होता है जब तेज़ गति से अलग-अलग आधारभूत सुविधाएं इंफ्रास्ट्रक्चर पर निवेश होता है, जब बड़े रूप में देश में गरीबों के लिए अलग-अलग योजनाओं के तहत विकास पहुँचता है, तो जीवन का स्तर भी सुधरता है और देश का भी आगे का भविष्य उज्जवल होने का मार्ग खुलता जाता है।

आप देखें तो माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने 5 वर्षों में एक-एक कार्यक्रम ऐसा शुरू किया जिससे सीधा सामान्य व्यक्ति के जीवन में प्रभाव हो, प्रभाव पड़े और जीवन का स्तर सुधरे। आखिर इस कल्पना को साकार करना और उसके लिए दिन और रात मेहनत करना कि आजादी के 75 वर्ष जो 2022 में पूरे होंगे तब देश में कोई व्यक्ति ऐसा ना रहे जिसका पक्का मकान ना हो, जिसमें 24 घंटे बिजली ना हो, शौचालय ना हो, पीने का पानी ना हो, अच्छे स्वास्थ्य और शिक्षा की सेवाएं नजदीक में हो, सड़क हो, हर प्रकार से हर व्यक्ति के जीवन में जो रोजमर्रा की जरूरतें है इसको ध्यान में रखते हुए विकास के अन्य-अन्य कार्यक्रम को पिछले 5 वर्षों में तेज़ गति दी गई, आंकड़ों में मैं जा सकता हूँ और मैं समझता हूँ यहाँ पर सभी प्रबुद्ध नागरिकों को ध्यान होगा कि हर विषय की जो स्केल रही है, जिस स्पीड के साथ काम हुआ है वह दुगना-तिगना नहीं, कई गुना – अब घर बनाने का एक कार्यक्रम प्रधानमंत्री आवास योजना है। कहां पहले 25 लाख घर 5 वर्ष में बने। इन 5 वर्षों में डेढ़ करोड़ घर बने। कहां आज़ादी से 2014 तक देश में 13 करोड़ घरों तक एलपीजी गैस कनेक्शन पहुंचा था। मात्र 5 वर्षों में 12 – साढ़े 12 करोड़ गैस कनेक्शन सिर्फ 5 वर्षों में, 65 वर्षों के सामने 5 वर्षों में 12 साढ़े 12 करोड़ घरों में गैस कनेक्शन पहुंचा।

उसमें से 7 करोड़ तो मुफ्त में हमारी गरीब महिलाओं के जीवन को सुधारने के लिए, उज्जवला योजना के तहत दिए गए। हमारे लिए सबके लिए शर्मिंदगी की बात थी और उसमें मैं अपने आप को और मेरे सहित हम सबको एक प्रकार से एहसास दिलाना चाहूंगा कि आजादी के 65-66 साल बाद भी इस देश में करोड़ों मकान-घर थे, करोड़ों लोग थे, करोड़ों बच्चे थे जिनको बिजली क्या है वह नहीं पता थी बिजली कभी उनके घर में नहीं पहुंचे थी। करोड़ों घर ऐसे थे।

मुझे मेरी दादी बताया करती थी कि मेरे पिताजी ने अंबाला में स्ट्रीट लाइट के नीचे पढ़ाई कर-कर के अपना स्कूल पास किया था। और फिर जाकर काशी विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग करने का उनको सौभाग्य मिला। लेकिन क्या आज 21 वीं सदी के भारत में करोड़ों बच्चों को बिजली ना मिले यह देश उसको सह सकता है क्या? यह हम सबके लिए शर्मिंदगी की बात है कि नहीं? प्रधानमंत्री मोदी जी ने जिन्होंने खुद ने स्वयं महसूस किया था बिना बिजली, बिना गैस कनेक्शन, बिना शौचालय गरीबी कैसे जी जाती है। जिन्होंने खुद झेला हो इस प्रकार का जीवन शायद वही समझ सकता है कितना जरूरी होता है यह रोजमर्रा की चीजें गरीब व्यक्ति के घर में।

और इसीलिए सौभाग्य योजना के तहत उन्होंने आदेश दिया – पहले मैं देख रहा था और फिर आर. के. सिंह साहब ने उसको आगे बढ़ाया, हर गांव तक हर मजला ढाणी टोले तक, हर घर तक बिजली पहुंचाने की जिम्मेदारी इस सरकार ने ली। और मुझे आनंद होता है आज बताते हुए शायद मात्र कुछ घर रह गए हो लेकिन आज देश में शत-प्रतिशत गांव शत-प्रतिशत मजला ढाणी टोले और लगभग शत-प्रतिशत घरों तक आज बिजली पहुंच चुकी है और जहां तक हो सके घरों में 24 घंटे बिजली देने के लिए, केंद्रीय सरकार और राज्य सरकारें मिलकर काम कर रही हैं। मैं समझता हूँ उत्तराखंड में तो 24 घंटे बिजली साधारणतः आती होगी। अब अगले चरण में जो व्यवस्था है जो इंफ्रास्ट्रक्चर है बिजली का, कई जगहों पर तो शायद सैकड़ों वर्ष पुराना होगा – 20-25-40 साल पुराना इंफ्रास्ट्रक्चर चल रहा है।

मैंने अनुमान लगाया था देश को लगभग 25-30 लाख करोड़ रुपये लगेंगे इसको पूरी को अपग्रेड करने में। लेकिन हम वह भी करते रहेंगे हम कोई ऐसा जगह नहीं छोड़ेंगे जहाँ पुरानी झर-झर व्यवस्था चलती हो। स्वाभाविक है इन सब चीजों को समय लगता है। आज देश की अपनी समस्याओं की प्रिऑरिटीज़ है सामने। प्रायोरिटी के हिसाब से हमको काम करना पड़ेगा। लेकिन हमने प्रायोरिटी में शौचालय पहुंचाया, हर महिला के आत्मसम्मान को ध्यान में रखते हुए 10 करोड़ से अधिक शौचालय इस देश में हर घर तक बने। आज लगभग 98% घरों तक शौचालय पहुंचा है। और मैं समझता हूँ एक प्रकार से कैसा जीवन होगा उन महिलाओं के लिए, किस प्रकार का अपमान होगा जिनको सूर्योदय से सूर्यास्त तक, सनराइज से सनसेट शौच करने के लिए भी जाने के लिए परेशानी होती होगी।

मैं तो कई बार कहता हूँ हम सब सौभाग्यशाली है कि या तो हमारे परिवार में, हमारे पूर्वजों में कोई गाड़ी चढ़ गया और गांव से निकलकर एक अच्छे जीवन के लिए आगे बढ़ गया। पर जो लोग रह गए हैं जो गाड़ी नहीं चढ़ पाए, एक हैंना अंग्रेजी में कहावत – “Those who have boarded the train have a responsibilty to those who could not board the train”. हमारी भी जिम्मेदारी है कि जो लोग विकास में पीछे रह गए, कैसे उनतक विकास पहुंचे, कैसे उनके जीवन में एक नई उमंग, एक नई आशा, एक अच्छा भविष्य बने और मैं समझता हूँ इस सरकार ने 5 साल में एक तरफ एक मजबूत अर्थव्यवस्था की आधारशिला बनाई, दूसरी तरफ गांव गरीब किसान तक, उस वर्ग तक जो वंचित रहा, उस वर्ग तक जिसको सदियों से शोषण हुआ है, उस वर्ग तक विकास पहुंचे इस काम को प्राथमिकता देने का जो संकल्प लेकर हम 2014 में आए थे, उसमें अभूतपूर्व काम हुआ है। एकदम ट्रांसफॉरमेशनल जर्नी रही है इस 5 वर्षों की।

और मुझे विश्वास है कि इस करोड़ों की संख्या में देशभर में लगभग 22 करोड़ परिवारों को सरकार ने सीधा छुआ है उनके जीवन में सीधा परिवर्तन लाने का काम किया है। कुछ घरों में तो कई प्रकार से घर भी मिला, शौच भी मिला, बिजली पहुंची, पेयजल पहुंचा, स्कूल बना नजदीक में। आयुष्मान भारत से आज 50 करोड़ हमारे गरीब और निम्म मध्यमवर्ग परिवारों के लिए, लोगों के लिए 10-12 करोड़ परिवारों के लिए, एक आशा जगी है कि उनको घर में किसी को कभी कोई बीमारी हो, तकलीफ हो तो मुफ्त में इलाज किया जाएगा, सरकार द्वारा इलाज किया जाएगा।

और मुझे तो आनंद है कि हमारे लोकप्रिय मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी ने उत्तराखंड में आयुष्मान भारत-2 , यानी जो आयुष्मान भारत के लाभार्थी दिल्ली केंद्रीय सरकार से है वह तो है ही जो बाकी रहता है उन सबको भी आयुष्मान का लाभ मिला ऐसा निर्णय लिया। और मुझे याद है मैं उत्तराखंड चुनाव के पहले जब देहरादून आया था मैंने यही वादा किया था कि डबल इंजन की सरकार जब उत्तराखंड में देंगे, आप जब केंद्रीय सरकार में भाजपा एनडीए की सरकार है। जब आप उत्तराखंड में भाजपा की सरकार बनाएंगे तब यह डबल इंजन की तरह तेज गति से विकास करेगी। और मुझे आनंद है कि आप के सभी सांसद आप की सरकार लगातार हम सबके साथ मिलकर, केंद्रीय सरकार के साथ मिलकर कैसे उत्तराखंड का तेज गति से विकास हो, चाहे वह इंफ्रास्ट्रक्चर हो चाहे वह गरीब किसान मध्यमवर्ग के विकास की बात हो, चाहे वह व्यापारी वर्ग के लिए एक अच्छे भविष्य की बात हो, चाहे वह प्रोफेशनल्स को एक अच्छा आगे के लिए शिक्षा की संस्थाओं में, स्वास्थ्य की संस्थाओं में और आगे चलके मौके मिले, चाहे वह पर्यटन के क्षेत्र को और तेज़ गति देने की बात हो।

अलग-अलग विषयों पर कैसे यहाँ पर काम किया जाए, कैसे यहाँ पर तेज गति से विकास हो, इसके लिए आप की उत्तराखंड की सरकार आपके केंद्र की सरकार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में, आपके सभी चुने हुए जनप्रतिनिधि संकल्पित है। पूरी तरीके से संवेदना के साथ, प्रतिबद्धता के साथ और पूरे विश्वास के साथ काम में जुटे हुए हैं। मैं तो अनिल से बहुत वैसे नाराज रहता हूँ। बहुत तंग करता है मुझे। और अगली बार आप ऐसे तंग करने वाले संसद मत भेजा करिए।

पर मैं भी उनको बहुत तंग करता हूँ। सुबह-सुबह छह-साढ़े छह बजे न्यूज़पेपर देखते हैं तो सबसे पहला फोन इन्ही को जाता है। वास्तव में जिस जिम्मेदारी के साथ आपके छोटे भाई अनिल बलूनी ने, और जब यह नए-नए आए थे तो मैं आपको एक सच्चाई बताऊँ तो हम जानते नहीं थे हमने कहा यह कौन उत्तराखंड से नरेंद्र मोदी जी उठाके ले आए है, और पूरा ऑल इंडिया मीडिया का इंचार्ज बना दिया। और आप समझ सकते हैं राजनीतिक पार्टी और राजनीतिक जीवन में और जिस पार्टी की केंद्र सरकार और देशभर में 15-16-17 सरकारें चल रही हो उस पार्टी का कितना महत्वपूर्ण अंश रहता है मीडिया का।

और मैं समझता हूँ हम सबके लिए हर्ष की बात है कि जिस खूबसूरत तरीके से, जितने प्रभावशाली ढंग से और जिम्मेदारी के साथ अनिल जी ने हमारा पूरा मीडिया का काम संभाला है वास्तव में उत्तराखंड का नाम आपने रोशन किया है। उत्तराखंड का एक-एक व्यक्ति गर्व से कह सकता है कि आपका बड़ा योगदान है भारतीय जनता पार्टी और केंद्र की सरकार की उपलब्धियों को जनता जनार्दन तक पहुंचाने में मीडिया के साथ संबंध बनाने में, सरकार, पार्टी  और मीडिया के बीच समन्वय बनाने में जिस प्रकार से अनिल जी ने अपने बहुत ही हंसमुख स्वभाव से, कभी नाराज़ ही नहीं होते है, मुझे तो हैरानी होती है।

हमको तो ज़रा सी कुछ चीज गलत होती है तो देखो मैं आपको अनिल जी आपको भी डांट दिया था और यह कभी नाराज ही नहीं होते हैं। कभी-कभी इनपर भी हमको गुस्सा आता है कि आप सीरियसली कुछ ले नहीं रहे हो, आप और काम करो। वो कहते हैं मैंने सब कर दिया आप तो अभी बोल रहे हैं। मैं करके फिर आपको फोन करा। इसी प्रकार से माला बहन भी इतनी सरल हंसमुख स्वभाव की बड़ी बहन है हमारी। बड़े राजघराने से आती है लेकिन एक बार एक बार भी कभी उन्होंने अपना कोई इतिहास या अपने नाम का प्रभाव या वर्चस्व किसी के ऊपर डालने की कोशिश की।

पार्लियामेंट में बहुत ही सहज रूप से जिम्मेदारी के साथ एक सांसद की भूमिका निभाती है। हमारे पास जब-जब उत्तराखंड का विषय लेकर आती है, संवेदना रहती है उनके दिल में चिंता करती है। और मैं समझता हूँ यह पांचों जो हमारे उत्तराखंड के उम्मीदवार चयनित हुए हैं, जो मुझे पूरा विश्वास है आप सबको रिप्रेजेंट करेंगे अगली लोकसभा में। आप सबका समर्थन, आप सबका आशीर्वाद उनको जरूर प्राप्त होगा।

इनके वर्षों-वर्षों का किया हुआ समाज सेवा का काम, इनके वर्षों की राजनीतिक तपस्या वास्तव में उत्तराखंड के लिए और तेज गति से विकास की दौड़ में आगे बढ़ाएगी उत्तराखंड के कामों को। मुझे पूरा विश्वास है कि 11 तारीख को और आप सब तो सौभाग्यशाली है कि भारत का चुनाव आप से शुरू होने जा रहा है। आप दिशा दिखाएंगे पूरे देश को। और जब एग्जाम में 100 में से 100 अंक आते हैं तो उसका स्वाद कुछ और ही होता है। तो यह आपका फाइनल एग्जाम 11 तारीख को होने जा रहा है और मुझे पूरा विश्वास है 5 में से 5 सीटें देके आप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के प्रयत्नों को, प्रयासों को और बल देंगे, उनकी शक्ति बढ़ाएंगे। और यह पांचों आपके सांसद, आपके चुने हुए प्रतिनिधि उत्तराखंड के लिए पूरी तरीके से पूरी जिम्मेदारी से काम करेंगे।

थोड़ी गर्मी होती जा रही है मौसम में पर मैं मैं राजनीतिक गर्मी की बात नहीं कर रहा हूँ। उत्तराखंड में तो वैसे लगभग एक तरफा सा चुनाव,  मैंने जो जितने यहाँ की खबरें समाचारें सुनी, जो हम लगातार देखते रहते हैं अलग-अलग देश में क्या-क्या माहौल बन रहा है। पर उसमें कभी-कभी डर भी लगता है एक तरफ ओवरकॉन्फिडेंस का दूसरी तरफ मौसम का। मैं चाहूंगा हमारे आज सभी जो भाई बहन उपस्थित है बड़ी जिम्मेदारी के साथ 11 तारीख को गांठ बादके यह तय कर लें कि हम सुबह ही 11 बजे के पहले ही हम स्वयं, हमारे परिवार के लोग, हमारे मित्र-बंधु, रिश्तेदार, पड़ोसी, हमारे साथ काम करने वाले लोग हम सब 11 तारीख को 11 बजे के पहले समय पर अपना खुदका वोट, हमारे सब चाहने वालों का वोट डलवाएंगे।

यह तो बोलने की आवश्यकता नहीं है कि कमल पर बटन दबाएंगे। इतने तो ज़िम्मेदार उत्तराखंड और देहरादून के सभी लोग है। लेकिन भूल चूक से भी अगर हम कभी आलस पर आ जाए तो यह भी याद रखें राजस्थान के कांग्रेस के मुख्यमंत्री के प्रत्याशी का उदाहरण है जो सोचते थे कि मैं तो जीता पड़ा हूँ, मैं तो पक्का जीतूंगा और 1 वोट से हार गए थे। और मुख्यमंत्री नहीं बन पाए थे। एक वोट से।

तो कहीं ऐसा ना हो जाए कि कोई भविष्य का आपका कोई बनने वाला मंत्री कहीं आप लोग के किसी छोटी चूक के कारण, कोई छोटी गलती के कारण और उस ओशन में तो बोलते हैं ना – “Every drop makes an ocean”. अगर बहुत सारे लोग ऐसे छोटी-छोटी गलतियां करने लग जाए तो बहुत बड़ी गलती हो जाती हैं। तो मुझे लगता है आप सब ने ज़िम्मेदारी के साथ 11 तारीख को सुबह ही अपने मित्र-बंधु सबको लेकर कमल का बटन दबाना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के कार्यक्रमों को, उनकी योजनाओं को और बोल देना है, और शक्ति देनी है। और इस देश के आगे आने वाले कल में जो एक संकल्प लेकर प्रधानमंत्री मोदी जी चले हैं, एक सुशासन का संकल्प, एक अच्छी ईमानदार सरकार जो केंद्र में चली है वैसी पूरी देश में चले। हर वर्ग नीचे तक महसूस करे कि विकास हर व्यक्ति, हर परिवार को छू रहा है। एक ऐसे संवेदनशील सरकार जो गांव गरीब किसान की भी सोचे, मध्यमवर्ग की भी चिंता करे, शोषित वंचित पीड़ितों की जीवन में नया उमंग लाए और देश के हर इलाके का विकास चारों दिशाओं में विकास हर वर्ग को पहुंचे, हर जिले, हर घर तक पहुंचे। ऐसे विकास के लिए आप सबसे प्रार्थना है कि आप भारतीय जनता पार्टी के हमारे सांसदों को चुने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को आपका आशीर्वाद दे और उनके माध्यम से उनका हाथ मजबूत करें। इस विनम्र प्रार्थना के साथ मैं अपनी बात को विराम देता हूं ।

बहुत-बहुत धन्यवाद।

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