Speeches

February 9, 2019

Speaking at Bharat Ke Mann Ki Baat, in Mumbai

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार की है, भारतीय जनता पार्टी के हर कार्यकर्ता की है उसको आगे बढ़ाने के लिए भारत की मन की बात मोदी जी के साथ एक प्रकार से एक अनोखा कार्यक्रम है। मुख़्तार भाई ने ठीक कहा, विश्व में सबसे बड़ी योजना आज तक की जनभागीदारी की, जिसमें हमारा संकल्प पत्र, हमारा मैनिफेस्टो वास्तव में जन-जन की बात सुनकर और जनता की आशाएं, अपेक्षाएं, उमंगों को ध्यान में रखते हुए बनाया जाये, आगे का रास्ता निर्धारित किया जाये, आगे की योजनाएं उस दिशा में चलें।

और हम मानते हैं कि भारत की जनता से बढ़कर और कोई नहीं हो सकता है जो हमारे काम का भी आंकलन ले, एक प्रकार से हमारे काम पर मॉनिटरिंग करे, चुनाव में हमारे काम के ऊपर अपना निर्णय भी सुनाएगा, हमें अकॉउंटेबल ठहराएगा और हमारे आगे की दिशा को भी बनाने में भारत की जनता ही एक बहुत अहम भूमिका निभाए इस कल्पना से यह कार्यक्रम हमारी जब मैनिफेस्टो कमिटी बैठी थी तो तय हुआ कि संकल्प पत्र जनता की भागीदारी से ही बनाया जाये जिस प्रकार से सरकार ने पिछले पांच वर्ष तक अपना कार्यकाल जनता की भागीदारी से ही सफलतापूर्वक अपनी ज़िम्मेदारियों का निर्वहन किया है।

इसकी कल्पना वास्तव में मैंने बजट के भाषण में और माननीय प्रधानमंत्री जी ने दो दिन पहले जब राष्ट्रपति के भाषण की चर्चा के ऊपर जो कंक्लूडिंग रिमार्क्स दिए थे उसमें उन्होंने भी यह बात रखी कि हमारे लिए हमारी पार्टी के लिए हमारी पार्टी के हर कार्यकर्ता के लिए देश सर्वप्रथम है, पार्टी अगली है और उसके बाद स्वयं। और उसी कल्पना से देशहित और जनहित जनता तय करे यह भावना से हम देश भर में लगभग 7000-7500 भारत के मन की बात के सजेस्शन बॉक्सेस देश भर में असेंबली लेवल पर जायेंगे, हर मंडल-स्तर पर हमारे कार्यकर्ता प्रमुख स्थानों पर यह सुझाव पेटी रखेंगे, 400 के करीब रथ देश भर में घूमेंगे, अलग-अलग इलाकों में, लगभग दो-दो ज़िलों के बीच में एक रथ घूमे, गांव-गांव तक जाये लोगों का पार्टिसिपेशन हो, वेबसाइट खोली गयी है भारत के मन की बात। इसी प्रकार से ट्विटर, फेसबुक के माध्यम से भी लोग हमें सुझाव भेज सकते हैं।

और मैं अभी-अभी कुछ स्टार्ट-अप के हमारे युवा-युवती मित्रों के साथ उनके भी सुझाव ले रहा था और फिर उन्होंने भी इस पेटी में अपने सुझाव डाले तब एक ध्यान आया कि शायद निर्धारित नहीं था पर कुछ अच्छा काम करने जाओ तो शायद भगवान भी सहायता करते हैं, हमें जो नंबर मिला है जिसपर लोग फ़ोन कर सकते हैं, अगर आप देखें तो नंबर भी 6357171717. तो एक प्रकार से इस प्रधानमंत्री मोदी जी और भारत सरकार की जो सबका साथ सबका विकास की कल्पना है, कुछ दिव्य शक्ति होगी जो हमें नंबर भी 17-17-17 मिला। और जैसे परसों प्रधानमंत्री जी ने कहा कि जनता के आशीर्वाद से, जनता की सहभागिता से हमने विकास को एक जनांदोलन बनाया है।

और इसी प्रकार से आगे की जो हमारी विज़न है, आगे की जो योजनाएं हैं जो कल्पनाएं हैं वह भी सहभागिता से लोकतान्त्रिक पार्टी के नाते कैसे हमारे भारत का आगे का भविष्य, भारत के निर्माण कार्य, भारत का विकास, भारत की जनता की प्रगति किस प्रकार से देश की जनता की जनभागीदारी से तय हो और जनभागीदारी ही इस विकास को और गति दे उस दृष्टि से भारत के मन की बात मोदी जी के साथ यह मास कॉन्टैक्ट प्रोग्राम देश भर में लॉन्च हुआ है। मुझे पूरा विश्वास है कि हमारे कार्यकर्ता शायद आप तक भी अलग-अलग पहुंचेंगे लेकिन पत्रकार वार्ता के बाद मैं आपसे भी रिक्वेस्ट करूँगा कि हमारे पत्रकार बंधु भी ज़रूर आपके मन की बात हमें इस पेटी में डालकर सुझाव दें, हमें मार्गदर्शन दें, हमें आपके नए-नए सोच की बात हमारे सामने रखें।

कई सारी टीम्स बनेंगी देश भर में राज्य के स्तर पर, केंद्र के स्तर पर, अलग-अलग सब्जेक्ट एक्सपर्ट्स के साथ हम विचार-विमर्श करेंगे, जो-जो सुझाव आएंगे उसमें डुप्लीकेशन वगैरा भी हो सकता है उस सबको हमारे कार्यकर्ता टीम्स बैठकर केटेगोराइज़ करेंगी, अलग-अलग सब-कमिटीज़ के समक्ष रखेगी, एक्सपर्ट्स की एडवाइस और गाइडेंस लेकर हम इस सब पर चिंता करेंगे हर एक विषय पर। और उसी में से भारतीय जनता पार्टी के आगामी 2019 के लोक सभा चुनाव का संकल्प पत्र बनाया जायेगा इस कल्पना से यह कार्यक्रम रखा है।

मैं सभी पत्रकार बंधुओं को धन्यवाद देता हूँ, सही बात है शनिवार के दिन हमने आपको कष्ट दिया लेकिन पार्लियामेंट चल रही है मेरा स्वयं का दिल्ली रहना ज़रूरी है पर इच्छा मेरी यह भी थी और आशीष जी का भी आग्रह था मुख़्तार भाई जो इस इस कार्यक्रम को देश भर में देख रहे हैं उनका भी आग्रह था कि मेरी जन्मभूमि पर मैं स्वयं आकर इसका लॉन्च करूँ इसलिए हमें सैटरडे को करना पड़ा।

I beg your indulgence and I am really grateful to you for joining us today.

बहुत-बहुत धन्यवाद।

 

प्रश्न-उत्तर

प्रश्न: मेरा सवाल यह है कि लगातार जब से यह कैंपेन लॉन्च हुआ तो कांग्रेस और तमाम सारे आपके जो ओप्पोसिशन लीडर हैं वह कह रहे हैं कि मोदी जी और अमित शाह जी तो अपने मंत्रियों की और सहयोगी दलों की बात नहीं सुनते तो वह देश की बात क्या सुनेंगे?

उत्तर: यह दो-दो मंत्री तो यहीं बैठे हैं आपके सामने और हम दोनों वास्तव में ज़्यादा बातूनी भी हैं। तो यह भ्रम फैलाने से तो मुझे लगता है कुछ लाभ नहीं होगा, विपक्षी दल आज कल और कोई विषय तो है नहीं तो इस टाइप की चीज़ों में ही उलझे हुए रहते हैं, हमारे लिए भी अच्छा है वह इन्ही विषयों में उलझे रहें। पर मैं समझता हूँ जितना माननीय प्रधानमंत्री जी सुनते हैं उतना मैं समझता हूँ कोई नहीं होगा जो मेरे जीवन में मैंने अनुभव किया है। उलटे कई बार तो मैं मीटिंग के बाहर आता हूँ तो मैं सोचता हूँ कि लगता है कि शायद मुझे कम बोलना चाहिए था। मैं बड़े लम्बे अरसे तक बोलता रहता हूँ पर वह बहुत गहराई से सुनते हैं।

In fact, if you meet anybody who has interacted with him वह बताएँगे कि he is a very good listener, and he absorbs, पूरा absorb करते हैं आप जो भी सुझाव दे रहे हो जो बात कर रहे हो। तो मैं समझता हूँ मैं तो सौभाग्यशाली हूँ और मेरा अनुभव है कि जितने अच्छे सुझाव लेकर गया हूँ उसपर पूरी अच्छी तरीके से अमल हुआ है और जब भारत की जनता अपने मन की बात पहुंचाएगी प्रधानमंत्री तक उसका भी पूरी तरीके से अमल करेंगे यह मेरा विश्वास है।

Q: You have a common minimum programme with your alliance partners, you were wooing the Shivsena, you are still the Shivsena, you have had any discussions with them regarding….?

A: First of all, this is the BJP manifesto, भारतीय जनता पार्टी का संकल्प पत्र बन रहा है, यह एनडीए का मैनिफेस्टो नहीं है, एनडीए का कार्यक्रम, योजना क्या होगी वह तो बाद में निर्धारित होगा अभी तो हम बीजेपी के मैनिफेस्टो की तैयारी कर रहे हैं। पर जहाँ तक आपने ‘wooing’ word use किया, पत्रकार हो you are free to use any word you like, पर मैं समझता हूँ दो मित्र पक्ष आपस में बातचीत कर रहे हैं, यह अच्छी बात है और बातचीत का समाधान क्या निकलता है, फाइनल निर्णय क्या निकलता है उचित समय पर आपके समक्ष रख दिया जायेगा।

प्रश्न: सर पश्चिम बंगाल से एक ….. सामने आया है जिसमें पता चल रहा है कि ऑफिसर्स को गलत रिपोर्ट देने के लिए कहा गया था कि ……..?

उत्तर: मैं समझता हूँ पश्चिम बंगाल की स्थिति आज पूरे देश के समक्ष है, यह जो पश्चिम बंगाल में आज अराजकता का माहौल वर्तमान की वहां की तृणमूल कांग्रेस की सरकार और वहां की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जी ने बनाया है बहुत निंदनीय है, बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। हमारे नेताओं के मुख्यमंत्रियों के, राष्ट्रीय अध्यक्ष के हेलीकॉप्टर तक को लैंड करने की परमिशन नहीं देना, कार्यक्रम जहाँ रखना हो, कार्यक्रम के स्थल नहीं देना, परमिशन नहीं देना, माननीय प्रधानमंत्री, वह तो कोई पक्ष के, दल के नहीं होते वह तो देश के प्रधानमंत्री हैं उनके कार्यक्रम के लिए भी सभा स्थल ठीक से नहीं देना और लाखों के जनसैलाब को जो इतने बड़े मात्रा में जनता उनको सुनने आना चाहती है उनके लिए व्यवस्थाएं ठीक से नहीं करना यह एक बहुत दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है।

मैं तो सिर्फ इतना सोच सकता हूँ, देखता हूँ कि अब समझ में आता है कि पश्चिम बंगाल जो एक ज़माने में देश की शान थी औद्योगिक कितना बड़ा क्षेत्र था, कोलकाता एक प्रकार से देश की राजधानी मानी जाती थी, आर्थिक राजधानी, सबसे बड़े व्यापारी, सबसे बड़े उद्योगपति एक ज़माने में कोलकाता से आते थे। अब समझ में आता है कि 35 वर्ष वामपंथी, कम्युनिस्टों की सरकार और अब हाल में ममता बनर्जी जी की सरकार ने जिस प्रकार से प्रदेश को विकास से भी वंचित रखा और उसको इतना पिछड़ा बना दिया उसका शायद गुस्सा जनता में स्वाभाविक है। और जो त्रिपुरा में हुआ जहाँ भारतीय जनता पार्टी को मात्र एक प्रतिशत वोट मिला था पिछले चुनाव में और उसके बाद अगले चुनाव में हम 51% वोट लेकर आज वहां हमारी सरकार चल रही है, मुझे तो पश्चिम बंगाल में भी ठीक इसी प्रकार का माहौल दिख रहा है, भारी मात्रा में असंतोष है गुस्सा है पश्चिम बंगाल की जनता में, हमारे वहां के भाइयों बहनों में। और ज़रूर इस लोक सभा चुनाव में और आगे अगले विधान सभा चुनाव में वहां की जनता भारतीय जनता पार्टी को बहुत बड़े रूप से समर्थन और आशीर्वाद देगी।

प्रश्न: पीयूष जी आपने बजट में जो किसानों को …..दिया है उसके बाद क्या agrarian crisis कम होगा ऐसा आपको लगता है?

उत्तर: आपने मेरे बजट में सुना होगा कि यह एक जर्नी है, यह एक यात्रा है। आखिर वर्षों-वर्षों से, और एक परिवार ने तो लगभग 55 वर्ष तक almost directly, कुछ समय तक कोई और प्रधानमंत्री थे लेकिन रिमोट कंट्रोल से सरकार चलती थी, किस प्रकार से प्रधानमंत्री का इंसल्ट होता था, कैसे एक नामदार केंद्र सरकार की कैबिनेट के निर्णयों को पत्रकार वार्ता में फाड़कर अपमानित करता था इस प्रकार की 55 वर्ष के एक परिवार की सरकार ने इस देश को कितनी झरझर अवस्था में डाल दिया, कितना कमज़ोर बना दिया कि हम एक ‘Fragile 5’ इकॉनमी बन गए। किसानों की स्थिति कोई आज की, हाल की नहीं है यह वर्षों-वर्षों तक जो उनके साथ अन्याय हुआ है उसकी स्थिति हमें 2014 में विरासत में मिली। हमने लगातार पांच वर्षों तक कई कदम उठाये किसानों के जीवन में सुधार लाने के लिए, उनके काम में उनकी आमदनी को दुगनी करने के लिए।

आखिर किसी ने पहले की सरकारों को रोका नहीं था कि ऐसी फसल बीमा योजना लाएं जिसमें बहुत कम प्रीमियम देकर शत-प्रतिशत भुगतान हो जायेगा अगर कोई दुर्भाग्यपूर्ण नुकसान हो जाये, कभी किसी ने रोका नहीं था कि एक ही पांच साल के कार्यकाल में किसानों के लोन को डबल कर दिया जाये। परसों आपने देखा होगा रिज़र्व बैंक ने 1 लाख से बढ़ाकर 1 लाख 60 हज़ार कर दिया एक कोलैटरल-फ्री लोन को, कभी किसी ने यह नहीं रोका था कि नीम कोटिंग की जाये लेकिन क्यों कांग्रेस की सरकार ने किस उद्योग को और किस उद्योगपति को लाभ पहुंचाने के लिए नीम कोटिंग को रोका था फ़र्टिलाइज़र के। पता नहीं आप लोग जानते हैं कि नहीं नीम कोटिंग से फ़र्टिलाइज़र जो केमिकल प्रॉपर्टीज हैं फिर वह केमिकल प्लांट में यूज़ नहीं हो पता है फिर वह फ़र्टिलाइज़र के रूप में इस्तेमाल हो सकता है और बेटर आउटपुट देता है as a fertilizer.

लेकिन कांग्रेस के समय में एक percentage limitation थी कि इससे ज़्यादा नीम कोटिंग हम allow नहीं करेंगे। मोदी जी की सरकार आयी उन्होंने तुरंत फैसला लिया शत-प्रतिशत नीम कोटिंग करो तो हज़ारों करोड़ का जो किसानों को फ़र्टिलाइज़र मिलना चाहिए था जिसके लिए कांग्रेस के समय में एजिटेशन होते थे, हाईवे ब्लॉक होते थे। हर हार्वेस्ट सीजन के पहले, देश भर में सोइंग के पहले एजिटेशन होती थी, हमारे समय पांच साल तक एक एजिटेशन नहीं हुआ क्योंकि हमने शत-प्रतिशत नीम कोटिंग की और जो लोग यह फ़र्टिलाइज़र ब्लैक मार्किट में बेचकर केमिकल फैक्ट्रियों को लाभ दिलाते थे हमने किसानों को लाभ दिलाया।

महाराष्ट्र में मैं आता हूँ, हम सब महाराष्ट्र के हैं, 70,000 करोड़ रुपये सिंचाई योजना के कहाँ गए वह भ्रष्टाचार में गए यह हम सब यहाँ पर जानते हैं। एक हेक्टेयर ज़मीन की सिंचाई नहीं हुई, अब प्रधानमंत्री सिंचाई योजना के तहत हम कई सारे देश भर में ऐसे आधे अधूरे लटके-पटके सिंचाई योजनाओं को ख़त्म कर रहे हैं।

मैंने आगे के विज़न में भी बजट में बताया कि अगले 10 वर्ष में कैसे माइक्रो इरीगेशन को हम प्रमोट करें, कैसे हम फ़ूड प्रोसेसिंग को और बल दें। हमने आज देश को आत्मनिर्भर बनाया है किसानों के बलबूते पर और उसी के सम्मान में हमने यह 55,000 करोड़ रुपये हर वर्ष यानी आगे 10 वर्षों में 7,50,000 करोड़ रुपये किसानों को एक सम्मान के रूप में देने का निर्णय लिया। यह सम्मान इसलिए कि आज हम सब फ़ूड सिक्योर हैं, यह देश फ़ूड सिक्योरिटी से लाभान्वित है हमारे किसानों की कड़ी मेहनत से।

तो एक प्रकार से यह छोटे, लघु और सीमांत किसान – small and marginal farmers को एक कृतज्ञ देश सम्मान कर रहा है। उस हेतु यह कार्यक्रम किया गया है। रास्ता लम्बा है, पांच साल में काफी विकास हुआ है। स्वामीनाथन जी का आप लेख देख लीजिये उन्होंने कहा कि यह पहली सरकार है नरेंद्र मोदी की जिसने किसानों की चिंता की, आज तक कोई सरकार ने इतनी चिंता किसानों की नहीं की। और यह जर्नी चलेगी और हमारा दृढ़ निश्चय है कि 2022 तक हमारे किसानों की आमदनी दुगनी हो जाएगी।

प्रश्न: पीयूष जी, गए साढ़े चार सालों में प्रधानमंत्री जी ने देशवासियों की मन की बात जानने की कोशिश की लेकिन जिस तरह से अभी चुनाव सर पर हैं शिवसेना की तरफ से भूमिका व्यक्त की जा रही है। उद्धव जी के मन की बात कभी जानने की कोशिश हुई है क्या या कोशिश होगी और अगले चुनाव में आपका सहयोगी दल, शिवसेना आपके साथ दिखाई देगा क्या?

उत्तर: मुझे लगता है वह प्रश्न तो आपको … जाकर पूछना पड़ेगा। हमने तो आमंत्रण दिया है हम दोनों मित्र पक्ष हैं, हमने साथ में मिलकर लड़ना चाहिए। सभी माननीय सांसद और आमदार शिवसेना के भी मिलते रहते हैं, पार्लियामेंट में तो हमें बार-बार मिलते हैं और मैं समझता हूँ उनके मन की बात भी हमने सुनी है और शायद विचार-विमर्श भी हो रहा है जल्द ही कुछ न कुछ निर्णय भी होगा ऐसी मेरी अपेक्षा है।

प्रश्न: प्रशांत किशोर भी खुद माधवश्री गए थे, यह भी खबर आ रही है कि खुद आपके एक पार्टी के अध्यक्ष ने ही उनको न्योता देने के लिए भेजा था?

उत्तर: भाई न तो मैं पार्टी अध्यक्ष की डे टु डे मॉनिटरिंग करता हूँ न उनके मन की बात मुझे पूरे टाइम वह शेयर करते हैं। पर मैं समझता हूँ इस बात में कोई तत्व नहीं है, it’s a baseless rumour. और वास्तव में मेरे घर पर कौन मुझे मिलने आता है वह तो मैं ही तय कर सकता हूँ, वैसे ही मुझे लगता है सभी को अधिकार है किसी को बुलाना चाय पर और चाय पर चर्चा तो हम प्रमोट ही करते हैं। आप भी सब आमंत्रित हैं, इसके बाद चाय पिलाओगे कि नहीं आशीष? तो हम सब चाय पर और चर्चा करेंगे इसके बाद।

प्रश्न: इसके अलावा और एक खबर आ रही थी कि आप खुद मुंबई से लोक सभा चुनाव लड़ने वाले हैं, कितनी सच्चाई है इसमें?

उत्तर: हमारे पार्टी के अध्यक्ष तय करते हैं, हमारी पार्टी में सिस्टम बहुत क्लियर है। और मैं स्पष्ट बोल रहा हूँ वास्तव में, वैसे मैं कैंडिडेट नहीं हूँ वह भी मैं स्पष्ट आपको बोल दूँ तो एक बार यह स्पेक्युलेशन आप लोग ज़रा हैडलाइन करके ख़त्म कर देना। लेकिन एक ज़रूर बताऊंगा कि भारतीय जनता पार्टी एक मात्र पार्टी है जहाँ पर आपने देखा होगा हमारा राष्ट्रीय सम्मेलन भी जब होता है पार्टी का तो राष्ट्रीय अध्यक्ष चेयर करते हैं और बाजू में बाकी जो भी लोग प्रधानमंत्री सहित रहते हैं। आज भी आप वार्तालाप देखिये हमारे अध्यक्ष चेयर कर रहे हैं मंत्री और हम साइड में है।

तो यह इस पार्टी की विशेषता है। मैं नेपियन सी रोड पर रहता हूँ वहां के मेरे जिला अध्यक्ष हो हैं वह जिला अध्यक्ष प्रथम भूमिका रखते हैं हमारे ज़िले के। मुंबई के मेरे अध्यक्ष मेरे नेता हैं तो इस पार्टी की विशेषता यह है और मैंने पहले भी कहा – Nation first, Party next, Self-last. सरकार में रहने की मुझे एक ज़िम्मेदारी मिली है, लेकिन मेरी प्रथम ज़िम्मेदारी पार्टी के प्रति रहती है।

प्रश्न: ….

उत्तर: हम तो स्वागत करते हैं कि वह लड़े और हमको और एक सीट में उनको पराजय करने का मौका मिले।

Q: Sir, on information technology, Twitter CEO and other senior officials of the office have refused to appear in the parliamentary committee. So, what will be the action from the parliament? As we see it’s the breach of the privilege?

A: Madam, the parliament functions under the superintendence of the honourable Chairman of the Rajya Sabha and the honourable Speaker of the Lok Sabha. The government does not take any decisions relating to this subject. The Chairman and the honourable Speaker, they are the authorities who will decide on what will be the action in such cases where anybody refuses to submit before the parliamentary committee and the parliamentary processes.

प्रश्न: सरकार ने 8 लाख रुपये की जिनकी इनकम होगी उनको काफी योजना की तरफ … दी गयी है और इनकम टैक्स का जो आपने अभी स्लैब बनाया है वह 5 लाख रुपये का है तो इसमें कैसे आप …….?

उत्तर: बहुत ही एक वह कौनसी किताब थी – Elementary my dear Watson, वह आपने सुना होगा, यह बड़ी elementary बात है। पहली बात तो 8 लाख की सीमा पहले ओबीसी में रिजर्वेशन में गिनी जाती थी, अब जो हमने एकॉनॉमिकाली वीकेर सेक्शन है उसमें भी 8 लाख की सीमा सेम रखी है, यह फैमिली इनकम है, यह व्यक्ति की इनकम नहीं है, परिवार की इनकम है 8 लाख। जो इनकम टैक्स में छूट होती है वह इंडिविजुअल की होती है, पहली बात। दूसरी बात पांच लाख पर टैक्स जिसका पांच लाख तक टैक्सेबल इनकम है उसको हमने रिबेट देकर टैक्स के दायरे से बाहर किया है। लेकिन उसके अलावा कई सारे डिडक्शन भी मिलते हैं, उदाहरण के लिए डेढ़ लाख रुपये तक अगर आप specified savings में डालो तो उसके ऊपर आपको डिडक्शन मिलती है, मेडिक्लेम की पॉलिसी निकालो तो उसपर आपको डिडक्शन मिलती है, अगर आप नौकरी करते हैं तो 50,000 रुपये तक आपको स्टैंडर्ड डिडक्शन, 40,000 से हमने बढ़ाकर 50,000 कर दिया है कि सैलरी अर्नर्स को और पेंशनर्स को और सुविधा मिले।

कोई आप घर खरीदते हैं, और हमारी तो इच्छा है आपमें से इस रूम में कोई ऐसा नहीं रहना चाहिए जिसके अपने घर नहीं हो उसके लिए प्रधानमंत्री आवास योजना में हम ब्याज की भी छूट देते हैं, जो लोन होता है उसपर जो आगे के वर्षों में आप किश्तें दोगे उसमें 5 से 6 लाख रुपये तक की केंद्र सरकार छूट देगी ब्याज की जब कोई व्यक्ति घर खरीदता है। उसके बाद जो थोड़ा बहुत ब्याज आपके ऊपर आएगा उसके ऊपर भी इनकम टैक्स डिडक्शन मिलती है दो लाख रुपये तक। इसी प्रकार से किसी के बच्चे पड़ रहे हैं आपने एजुकेशन लोन लिया तो उसका भी ब्याज का आपको डिडक्शन मिलता है। तो अन्य-अन्य प्रकार से यह सब डिडक्शन जब लें तो शायद 8 क्या 9 लाख रुपये तक भी टैक्स नहीं देना पड़े। पर वह फैमिली इनकम है और यह इंडिविजुअल की टैक्स गिनी जाती है।

Q: Sir, how do you see Rafale deal impacting party’s poll prospects?

A: Not at all, in fact, we have been going around the country. This issue nobody has ever raised, nobody is worried about it because there is complete trust in Prime Minister Shri Narendra Modi. The people of India trust Mr Modi. Absolutely baseless allegations are just being thrown in the air, nothing has come. These insinuations have no basis at all, so I don’t think this is an issue in the election. But it is keeping the opposition busy, which is good, while we focus on development and outreach to the people. We are happy that they are busy in a non-issue.

Q: The other question is about simultaneous polls, there has continuously been a speculation…?

A: As Prime Minister Modi had said we would like to have simultaneous polls, but unless there is a national consensus and all the parties come on the same page. It cannot be applied selectively. It has to be a national consensus.

प्रश्न: 2004 के चुनाव के पहले इस तरह से प्रचार किया जाता था राष्ट्रीय पार्टियों को ही वोट दीजिये, राष्ट्रीय पार्टियों के ही उम्मीदवारों को ही वोट दीजिये क्योंकि क्रांति पार्टी के उम्मीदवार जीतते हैं वह ब्लैकमेलिंग ज़्यादा करते हैं। हमारे यूपी में …. से चुनाव लड़े लोक सभा जीत गए साठगांठ की राजनीति से, तो इस बार भी क्या इसपर आप वोट देंगे, या तो एनडीए या तो यूपीए?

उत्तर: देश की जनता बड़ी समझदार है, और समझदारी से भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत देगी और हमारे एनडीए मित्रों के साथ हमको दो-तिहाई बहुमत से ज़्यादा देगी यह हमारा अटल विश्वास है।

प्रश्न: पीयूष जी कांग्रेस प्रियंका गाँधी को महाराष्ट्र में स्टार प्रचारक के तौर पर लानी चाहती है, कैसे देखते हैं कितना असर होगा प्रियंका से?

उत्तर: हम स्वागत करते हैं और मैं समझता हूँ कि हर एक दल ने अपने-अपने बेस्ट फुट को आगे लाना चाहिए जो उनको लगता है कि कोई स्वीकार कर सकता है। अब जब स्वीकार हो ही गया है कि उनके खुदके राष्ट्रीय अध्यक्ष और नेता तो फेल  हो गए हैं तो जो भी और कोशिश करना चाहें उन्होंने ज़रूर लाना चाहिए अगर यह भी फेल जाये तो कोई और भी ढूंढना चाहिए पर परिवार में पता  नहीं और कोई सदस्य अब बचा है कि नहीं है जो कैंपेन में आ सकता है। पर यह दुर्भाग्य है कि परिवारवाद इस स्थिति तक पहुँच गया है कि एक परिवार के अलावा कोई और नेता है ही नहीं उनके पास कैंपेन करने के लिए यह इस देश के  लिए बड़ी दुर्भाग्य की बात है।

प्रश्न: जिस तरीके से प्रधानमंत्री जी के लिए अपशब्दों का उपयोग लगातार किया जा रहा है कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा और राफेल को लेकर प्रधानमंत्री की सफाई के बाद एक चिट्ठी दिखाई जाती है उसे कैसे देखते हैं?

उत्तर: इसमें कोई नयी बात नहीं है उनको करने दो अपना काम, मैंने कहा न वह बिजी रहे उसमें तो अच्छा है।  देश की जनता माननीय प्रधानमंत्री जी पर अटूट विश्वास रखती है और मुझे लगता है कि वह जितनी भी बार कोई भी चीज़ दिखाएं उससे कोई सत्य बदल नहीं जाता है।

प्रश्न: सर पवार जी पूरे ताकत के साथ में मैदान में उतरे हैं इस बार आपने देखा कि …. में अलग-अलग गुटों को जोड़ने का काम कर रहे हैं और केंद्र में भी और पहले जैसा एनसीपी और कांग्रेस के बीच में मनमुटाव भी नहीं है अबकी बात, कैसे आंकलन करते हैं शरद पवार के राजनीति को?

उत्तर: बहुत अच्छी बात है, उनको मनमुटाव रखना भी नहीं चाहिए। उन्होंने तय कर लेना चाहिए कि जिस मुद्दे पर वह कांग्रेस से निकलकर गए थे अब घुटने टेक दिए उन्होंने तो उनकी मर्ज़ी है, अब घुटने टेककर वह चुनाव में राजनीति में आएंगे फिर से और उसी पार्टी के साथ जिसके उनके खुदके भी शब्द आपको भी याद होंगे क्या-क्या उन्होंने कहा था।

Q: Sir, just five years ago becoming a doctor, engineer, scientist used to be the national aspiration, today when the government is saying that NSSO report, it tells you that jobs have been created by Ola, Swiggy, Zomato, basically drivers, delivery boys. So, we want to understand for the 2019 election, what is the kind of aspiration you are showing to the youth of this country?

A: I think the world is changing. And all of us have seen the change not only in India, but all over the world. I was giving an example the other day, there was a time when a job in a government department or a company, let’s say a Tata group company, or a PSU like NTPC, was the only thing that reflected a job or a working class in this country. In the whole world, the situation has changed today. We have an aspirational youth who is looking to engage with new technologies, looking to engage with new ways of working. And in this changing world, where artificial intelligence, 3D manufacturing, 4th generation ways of using technology, these are becoming the prima donna of how nations are progressing. These are determining the future of mankind. The charm only to have a fixed 9 to 5 job is gradually changing.

I gave an example in one or two interactions that when NTPC or a power plant which makes coal-based thermal power produces or generates electricity, it may provide X number of jobs, in the whole value chain. Coal is mined, transported, converted to electricity, it creates X number of jobs. That same amount of electricity generated by new ways, like solar power, for instance, will generate 14 to 15 times the number of jobs. But there will not be a job in an organised factory where you can report the number, it is distributed in a variety of ways in the entire ecosystem.

These type of new working opportunities are making our youth job-creators, rather than only job-seekers. In the room next to you where I had the interaction with the startups, the enthusiasm was to be seen to be believed. The youth of India is aspiring for an entirely new way of working. But, having said that, it will be a combination of different ways, by which working opportunities and employment will be created, self-employment will be created, self-empowerment will be created. And it is that new way of working that NSSO is trying to capture. Traditionally, once in five years they did a survey and came out with a report, but now we realise that a lot of the old methods of data collection are now outdated. We have to connect with the modern age of data collection and data analytics.

And I will give you a real life example related to me, which will explain why I believe it’s important that data should be correct, should be correctly compiled, and importantly, correctly analysed. I run the railway ministry. Until a year and a half ago, every day I used to get a bashing that trains are late – trains are late. Every time I sat in a review after I became rail minister, they would show me statistics which showed 85 to 90 per cent trains are on time. Now I was always a confused man, my officers give me data, people give me their Man ki Baat. So finally, we got down to analysing the problem, and just like when you go to a doctor unless you tell him what your problem is how will the doctor solve it? You can’t go to a doctor and stand and say, now treat me. For a headache, he may land up replacing your knee.

We decided to have data loggers in the railways at all the interconnection, junction points. And throughout the railway, we barely put now, I think today it’s 150 or so data loggers, where the data directly comes on when the train passes that point, because of which all intermediate data also became correct, because now people know we cannot even make a mistake. I am not using the word ‘give wrong data.’ They can’t even afford to make a mistake. They will be found out and action will be taken.

And, therefore, 31st March there was a certain punctuality performance. 1st April we switched on the data loggers and got accurate data, punctuality fell by 20% with accurate data. But I didn’t look at it negatively. I looked at it positively that now I have more correct data. I sat with every zone personally. For three months, I sat with every zone in the country and we worked out plans how we will address it. And I am happy to report to you that today we are back to the original punctuality levels, you can talk to people who are train travellers, long distance, they will tell you that punctuality has significantly improved. The Minutes lost, which is number of trains which are late, multiplied by the number of minutes it is late, has come down to about one-third of what it was earlier, as of April.

You know, when you switched on from the incorrect to the correct data, from April to now it is left to one-third, because we did focused, like a doctor we clinically analysed and corrected the problem. Therefore, every data should connect with the modern world and accuracy and better good data analytics is very important.

Ends.

 

 

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