Speeches

December 18, 2018

Speaking at Agenda Aaj Tak

प्रश्न: हम अपने .. इस सेशन को कह रहे हैं ‘यात्रीगण कृपया ध्यान दें!’ और ध्यान दें किस बात का कि यह चुनावी साल है यह साल तो अच्छी ख़बरों से भरा ही रहेगा पीयूष जी?

उत्तर: मुझे लगता है अभी तक आपने महसूस किया होगा कि यह एक सरकार है जो आधारभूत बदलाव में विश्वास रखती है। हमने विकास की श्रंखला को तेज़ गति दी है भारत में, विकास को ईमानदार बनाया है, विकास को सबके लिए लाभ हो ऐसा बनाया है, सबका साथ सबका विकास हमारी सरकार की मूल भावना रही है। और मैं समझता हूँ आप हाल के भी दिनों में देख लो हमने ऐसे निर्णय लिए हैं जो देशहित में हैं जनहित में हैं चुनाव के हिसाब से निर्णय लेने का काम माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी ने नहीं किया है।

प्रश्न: क्या यही हो गया इन चुनाओं में जिसमें तीन राज्य हाथ से चले गए?

उत्तर: अलग-अलग चुनाव  में परिस्थितियां होती हैं वैसे देखें तो कोई बहुत ज़्यादा फटकार भी नहीं दी है जनता ने, मध्य प्रदेश में तो लगभग थोड़ा ज़्यादा ही वोट मिले हैं हमें। पर स्वाभाविक है कि हमारी सरकारें नहीं बनी तीनों में हम उसको स्वीकार करते हैं, जनता का निर्णय है उसपर समीक्षा भी कर रहे हैं। और उसमें से ज़रूर अगर कुछ कोर्स करेक्शन के सुझाव आते हैं, आपके माध्यम से आते हैं, जनता हमें देती है तो उसके लिए यह सरकार तट पर है। पूरी खुली सरकार है जिसमें विचारों का आदान प्रदान लगातार चलता रहता है।

प्रश्न: हम उन चुनाओं पर आते हैं लेकिन उससे पहले आपके मंत्रालयों की बात मैं आपसे पूछना चाहूंगी, हालाँकि यह थोड़ा रिस्की है क्योंकि आप सरकार के 5-स्टार मिनिस्टर्स में से एक हैं जिनके लक्ष्य अधिकतर अभी तक आपने हासिल कर लिए हैं इसलिए जो हासिल लक्ष्य हैं वह तो चलिए वह मालूम है। लेकिन जो नहीं हासिल हुए हैं उनमें एक बुलेट ट्रेन को मानते हैं, क्या आपने सोचा था इसी कार्यकाल में करना है या?

उत्तर: नहीं बुलेट ट्रेन का तो बड़ा निर्धारित समय है, आपकी जानकारी के लिए बुलेट ट्रेन दुनिया में जब नॉर्मली किधर भी लगी है और खासतौर पर पहली बार लगी है तो वह 8 से 10 वर्ष लगते हैं। और भारत में तो हमने जो लक्ष्य रखा है कि पांच साल में 2023 तक बुलेट ट्रेन बनाना यह जापानीज भी इसके लिए तैयार नहीं थे, बड़ी मुश्किल से उनको समझाया है कि भारत अब बदल गया है, अब भारत में समय सीमा के हिसाब से प्रोजेक्ट लगते हैं। और उनका तो मानना था कि 2023 भी बहुत अग्रेसिव टारगेट है पर मैं मानता हूँ कि हम 2023 तक शत-प्रतिशत बुलेट ट्रेन भारत में ले आएंगे मुंबई से अहमदाबाद तक। वास्तव में हम अगस्त 2022 तक जब 75 वर्ष भारत के पूरे होते हैं एक सेक्शन उसके पहले शुरू करना चाहते हैं, एक प्रकार से लोगों को स्वाद आना शुरू हो कि आगे चलकर यह जो हाई स्पीड रेल, सेमी हाई स्पीड रेल इसमें जो सफर होगा वह कितना सुगम होगा।

प्रश्न: तो 2022 का लक्ष्य रखते हुए आप आश्वस्त हैं कि 2019 जीतेंगे ही जीतेंगे?

उत्तर: देखिये आपके हिसाब से हर एक चीज़ चुनाव के साथ जुडी हुई है, हमारे हिसाब से चुनाव एक पड़ाव होता है। और बुलेट ट्रेन लाना अगर सिर्फ चुनावी दृष्टिकोण से देखते तो हम कभी शायद साहस करते ही नहीं। जैसे पिछली सरकारों में भी, हाई स्पीड रेलवे कोई हमने पहली बार नहीं बातचीत शुरू की, यह मुंबई से अहमदाबाद बनाने की जो कल्पना थी यह तो कई वर्ष पहले हमसे पिछली सरकार ने ली थी लेकिन उनमें साहस नहीं था निर्णय लेने का क्योंकि उनको चुनावी फायदा तुरंत दिखता नहीं था। प्रधानमंत्री मोदी जी कोई चुनाव के दृष्टिकोण से नहीं कर रहे हैं उनको देश को तैयार करना है कि आगे कैसे भारत में पूरी जो यातायात का अलग-अलग तरीके से लोग करते हैं उसको कैसे अच्छा बनाया जाये, कैसे सुधारा जाये।

अब उदाहरण के लिए मैंने एक मेरे अफसरों को कहा है एक स्टडी करके मुझे बताएं कि अगर देश की सभी मेल और एक्सप्रेस ट्रेंस जिसमें राजधानी, यह, वह तो आलरेडी एयर कंडिशन्ड हैं पर क्या हम देश की सभी सुपर फ़ास्ट एक्सप्रेस ट्रेंस को हम पूरी तरीके से वातानुकूल, एयर कंडिशन्ड बना सकते हैं क्या। तो मेरे अधिकारी वर्क आउट कर रहे हैं कितना समय लगेगा इसको करने के लिए, अब वह मुझे 2019 के चुनाव में कोई लाभ नहीं देने वाला है लेकिन मैं देश को आगे कैसे अच्छी यात्रा कर सके मैं उस लक्ष्य के हिसाब से वह कर रहा हूँ।

प्रश्न: एक आंकड़े के हिसाब से 2017-18 सेफेस्ट साल माना गया रेल हादसों का जहाँ तक संबंध है लेकिन क्या कोई ऐसा दिन आएगा, कोई ऐसा साल आएगा जब हम क्योंकि दुनिया भर के देश हैं जहाँ पर हादसे नहीं होते हैं या होते हैं तो इतनी बड़ी खबर बन जाती है?

उत्तर: एकाद नाम बतायें?

प्रश्न: नहीं, मैं आपसे पूछ रही हूँ?

उत्तर: आपने कहा दुनिया भर में देश हैं जहाँ होते नहीं हैं एक्सीडेंट, एकाद नाम बता दें तो विचार आगे बढ़ा सकते हैं या राहुल शायद गूगल कर सकता है।

प्रश्न: मैं पूरा सवाल कर रही हूँ। जहाँ पर हादसे इस तरह की सुर्खियां नहीं बनते हैं जहाँ पर, आप भी सुनते होंगे और आपको वह बात कचोटती होगी जहाँ यह लिखा जाता है कि बताइये यहाँ रेल पटरी से उतर गयी और यह बुलेट ट्रेन चलाएंगे?

उत्तर: देखिए मेरी इच्छा है कि देश में एक भी व्यक्ति दुर्घटना से न घायल हो न जान देनी पड़े और वास्तव में पहली मीटिंग रेल मंत्री बनने के बाद से लेकर तीन दिन पहले जब मैं मुंबई में था उस दिन तक, तीन दिन नहीं चार दिन हो गए मुंबई में था, उस दिन तक मेरे लिए कैसे रेलवे को पूरी तरीके से सुरक्षित बनाना यह प्राथमिकता है। लेकिन इसको एक एस्पिरेशनल गोल के रूप में देखना पड़ेगा आपको क्योंकि इतना बड़ा नेटवर्क और ऐसा नेटवर्क जिसके पास बहुत सारे इमपॉन्डरेब्लस हैं जिसकी हम कल्पना नहीं कर सकते हैं। उदाहरण के लिए एक एलीफैंट के कुछ कॉरिडोर हैं, हाथियों के, अब उन कॉरिडोर पर तो हम स्लो कर देते हैं गाड़ी, कॉशन लगा देते हैं, कॉशन नोटिस और हादसा न हो यह सुनिश्चित करते हैं।

पर अगर वह कॉरिडोर के बाहर अगर हाथी एक बार क्रॉस करने चले जाये और फुल स्पीड पर ट्रेन आ रही है तो उसमें तो न कोई ट्रेन ड्राइवर कुछ कर सकता, न रेलवे कुछ कर सकती। अच्छा हम बाउंड्री वॉल बनाना चाहते हैं, मैंने 5000 करोड़ बाउंड्री वॉल बनाने के लिए इस साल अप्प्रूव भी कर दिया। अब यह बाउंड्री वॉल ऐसे हैं कि हाथी को आप कितने भी बाउंड्री वॉल बना दो वह तोड़ भी सकता है और उसके ऊपर से भी पार हो सकता है – एक बात। और वह तो छोड़ो, बाउंड्री वॉल असम में एलीफैंट कॉरिडोर छोड़िये मैं मुंबई की आपको बताता हूँ। मैंने मुंबई में चार दिन पहले बहुत हाई लेवल सब अधिकारियों के साथ मीटिंग की कि मुंबई के रेल सफर को कैसे और सुरक्षित बनाया जाए।

आपको मैं जब बताऊंगा क्या-क्या कठिनाइयां आती हैं, मतलब हम बाउंड्री वॉल बनाएं और उसके ऊपर अगर आंदोलन हो जाये और लोग पटरी पर आ जाएं कि यह बाउंड्री वॉल तोड़ो नहीं तो हम गाड़ी नहीं चलने देंगे। हम आपकी सुविधा के लिए बना रहे हैं, आप रेल पटरियों पर जो क्रॉस करते हैं रिस्क आपकी जान को है, हम आपकी सुविधा के लिए बना रहे हैं और फुटओवर ब्रिज दे रहे हैं। मैं आपको पिक्चर दिखाऊंगा उन्होंने मेरे सामने पेश किया, फुटओवर ब्रिज के नीचे लोग पटरी पर क्रॉस कर रहे हैं, शायद 10 सेकंड का फासला होगा। मैंने कहा अच्छा सब पर एस्केलेटर लगा देते हैं, बोलता है चलो एस्केलेटर के बाजू की फोटो दिखा देते हैं क्योंकि एस्केलेटर में भी कुछ समय लगता है ऊपर जाना नीचे उतरना, भीड़ होती है थोड़ी तो कभी एकाद मिनट रुकना भी पड़ सकता है तो फट करके ट्रैक पर।

हर एक को यह लगता है मेरे साथ कुछ नहीं होगा, पर जब दुर्घटना हो जाती है दुर्घटना तो कुछ बताके नहीं आती है। तो मैं समझता हूँ अगर आपका मुझे सहयोग मिले और आपका चैनल तो वास्तव में देश भर में बहुत प्रमुख भूमिका रखता है अगर आप जैसे मीडिया चैनल्स जो जागरूकता पैदा कर सकते हैं, जो मुझे मदद कर सकते हैं कैंपेन करने में। तो अगर यह सहभागिता यात्रियों की, मीडिया की और रेलवे की हो सकती है तो वास्तव में हम देश में रेल यात्रा को सुरक्षित और बनाने में भी सफल होंगे और हो सकता है आगे चलकर दिन आएगा जब साधारणतः हम मुक्त हो जायेंगे इस तकलीफ से।

प्रश्न: और खासकर अनमैन्ड रेलवे क्रॉसिंग को लेकर भी आपने अपना लक्ष्य रखा था?

उत्तर: देखिये मैं जब आया अनमैन्ड लेवल क्रॉसिंग लगभग 4500 थे, यह बात है सितम्बर 2017 की, और मैंने पहली ही मीटिंग में जब अलग-अलग कारण देख रहा था क्यों दुर्घटनाएं होती हैं तो अनमैन्ड लेवल क्रॉसिंग एक सीरियस कारण था। मैंने उस दिन निर्देश दिया कि अगले गणपति तक यानी इस साल सितम्बर तक, 2018 सितम्बर तक मुझे यह शून्य चाहिए। नोक झोंक चलती रही अधिकारियों के और मेरे बीच। उन्होंने कहा साहब, रेलवे के पूरे इतिहास में और रेलवे का तो इतिहास 160 साल का है, इतिहास में आज तक कभी भी 11-1200 से ज़्यादा हमने अनमैन्ड लेवल क्रॉसिंग को ख़त्म नहीं किया या मैन करके या अंडरब्रिज या ओवरब्रिज बनाकर।

मैंने कहा ठीक है पहले नहीं होता होगा पर अब हमें चाहिए कि एक साल में इसको शून्य करें। पहले 4-6 महीने तो थोड़ा लचीलापन था, बहुत ज़्यादा प्रोग्रेस हुआ नहीं मेरे रोज़ दबाव डालने के बावजूद, अप्रैल में मैंने एकदम सख्ती से सबके साथ मीटिंग की। और अप्रैल में मैंने कहा जो यह काम में सफल नहीं होगा एक्शन तो रेलवे में कुछ ज़्यादा ले नहीं पाते हैं पर मैं, अब मैं क्या करूँगा मैं नहीं बता सकता पर मैं ऐसा करूँगा कि आगे आपको मज़ा नहीं आएगा काम करने के लिए। स्वाभाविक है अगर कोई नॉर्थ-वेस्ट, नॉर्थ फ्रॉंटियर रेलवे में डाल दो किसी को, not that they are bad officers पर एक suddenly किसी को आप बड़े शहर से उठाकर चेंज कर दो मिडटर्म तो पूरी रेलवे देखती है कि यह एक प्रकार से पनिशमेंट है।

और थोड़ा बहुत सख्ती भी की और थोड़ा प्यार भी किया। जिन लोगों ने अच्छे टारगेट अचीव किये थे उनको प्रोत्साहन दिया उनको recognize किया। तो यह carrot and stick approach से आपको जानकर ख़ुशी होगी कि अप्रैल 2018 से सितम्बर 2018 – मात्र 6 महीने में – 3000 से अधिक अनमैन्ड लेवल क्रॉसिंग यही रेलवे के अधिकारी, यही रेलवे की व्यवस्था जो 1100-1200 से ज़्यादा किसी साल में कभी नहीं किया। 6 महीने में 3000 लेवल क्रॉसिंग बंद किये, उसमें भी सितम्बर एक महीने में 1705, एक ही महीने में।

तो क्षमता भारत में बहुत है और यह रेलवे नहीं, हर क्षेत्र में क्षमता है। हमारी कोशिश है और मोदी जी इसके ऊपर बार-बार बल देते हैं, हमारी कोशिश है get the best out of the people of India. Indians and Indian capability is par excellence, विश्व में हमारे जैसा कोई नहीं है इतना हमें विश्वास है। और जैसे-जैसे यह क्षमता हमारी बाहर आ रही है, जैसे-जैसे लोगों को हम आत्मनिर्भर बना रहे हैं, लोग कल्पनात्मक विचार लेकर आ रहे हैं, असाधारण काम कर रहे हैं मुझे विश्वास है कि यह गति से जब भारत तेज़ गति से दौड़ेगा तो भारत का भविष्य उज्जवल भी है सुरक्षित भी है। और मैं समझता हूँ चाहे रेलवे हो, चाहे रोडवे हो, चाहे इंटरनेट कनेक्टिविटी हो हर प्रकार से हम कनेक्टिविटी देते हुए नए भारत की जो कल्पना है 15 अगस्त 2022 तक हर व्यक्ति के जीवन में एक ऐसा बदलाव जो उसको अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं अपने घर पर दे सकें इसमें हम सब पूरी तरीके से काम कर रहे हैं।

प्रश्न: और कोहरे को लेकर हमारी क्षमता कब तक बढ़ सकती है, उसके सामने बेबसी कब तक…. ?

उत्तर: मैंने अभी-अभी गाड़ी में आते हुए पार्लियामेंट में बुधवार को एक प्रश्न आपने वाला है इसके ऊपर, अभी-अभी उसी को अप्रूव किया है। कोहरा एक ऐसी चीज़ है जिसमें सिग्नल दिखता नहीं है और सिग्नल नहीं दिखने के कारण ट्रेंस की स्पीड बहुत स्लो करनी पड़ती है क्योंकि सिग्नल पास हो जाये तो आगे एक्सीडेंट का भी रिस्क रहता है। आगे चलकर हमने जो लॉन्ग-टर्म प्लान किया है वह मैं पहले बता देता हूँ क्योंकि यह समस्या मुझे विरासत में मिली है 2014 में, वर्षों-वर्षों तक किसी ने इसपर काम नहीं किया। और जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सिग्नलिंग सिस्टम है, आज कल जापान में मॉडर्न सिग्नल्स हैं, यूरोप में है, यूरोप में उनको बोलते हैं ईटीसीएस, उसका भी लेवल 2 अभी आ गया है, लेवल 3 पर काम चल रहा है। अब हम भारत में भी शौध कर रहे हैं, डेवेलोप कर रहे हैं।

भारत के indigenous signalling system जो अंतर्राष्ट्रीय लेवल के हों उसमें ट्रेंस एक दूसरे से बात करेंगी कंप्यूटर द्वारा। तो सिग्नल के ऊपर डिपेंडेंस पूरी तरीके से ख़त्म हो जायेगा और आगे चलकर इससे कैपेसिटी भी ट्रैक की बढ़ेगी, ज़्यादा ट्रेनें ट्रैक पर रह सकेंगी क्योंकि डिस्टेंस एक बार मेन्टेन हो गया जिससे ट्रेन रुक सके तो ज़्यादा गाड़ियां आएँगी ट्रैक पर। अगर कोई आगे गाड़ी खड़ी हो और सिग्नल आएगा कि गाड़ी खड़ी है तो ऑटोमैटिक बिना ड्राइवर के ब्रेक लगाए गाड़ी रुकना शुरू हो जाएगी, स्लो डाउन होगी तो सुरक्षा भी बढ़ेगी।

तो यह प्लान तो हमने बनाना शुरू कर दिया है, इसके ऊपर मेरी स्वयं की तीन-चार मीटिंगें विश्व की सभी सिग्नलिंग कंपनियां और तीन भारतीय कंपनियां जो शोध कर रही हैं इनके साथ मेरी हो चुकी है विभाग की तो बहुत ज़्यादा हो चुकी हैं। तो यह तो हम लॉन्ग-टर्म प्लान कर रहे हैं जो मुझे लगता है 4-5 वर्षों में हम लगभग एक लाख करोड़ रुपये खर्चके रेलवे को सुरक्षित भी बनाएंगे, कैपेसिटी भी बढ़ाएंगे और फिर फॉग में लेट होने की समस्या परमानेंटली ख़त्म हो जाएगी। तब तक के लिए हमने एक fog pass device develop किया है. यह fog pass device ऐसा है जो ड्राइवर को बताता रहता है कि सिग्नल कितनी दूर है तो वह तेज़ गति से आ सकता है और जब सिग्नल का समय आ जाये तो उससे स्लो डाउन करना पड़ेगा सिग्नल देखने के लिए। यह एक प्रकार से interim measure के रूप में डेवेलोप कर दिया गया है। शायद 6000-7000 fog pass devices जो fog के areas हैं साधारणतः उत्तर भारत के और पूर्वी भारत के उसमें लग चुके हैं। 6000 और fog pass device हमने ऑर्डर प्लेस कर रखे हैं तो इस साल समस्या पिछले साल से कम होगी और लगभग अगले साल तक समस्या काफी हल हो जाएगी। लेकिन परमानेंट सलूशन तो जब सिग्नलिंग सिस्टम चेंज होगा।

प्रश्न: चलिए अच्छी बात है, अब विद्युतीकरण का भी जहाँ तक सवाल है सरकार के पास अपना रिपोर्ट कार्ड है।

उत्तर: शत-प्रतिशत विद्युतीकरण कैबिनेट ने अप्रूव किया है।

प्रश्न: आपके पास रेलवे के कामकाज को लेकर अपना रिपोर्ट कार्ड है आप चुनावों के लिए काम न करें न सही लेकिन आप …?

उत्तर: भाई मैं राजनीति में हूँ आप ऐसा आरोप लगा देंगी कि मैं चुनाव के लिए काम नहीं करूँ। देखिये जब आप जनता के हित का काम करते हैं, जनता को लाभ हो ऐसा काम करते हैं तो स्वाभाविक है चुनाव में फायदा होगा। और मोदी जी के साथ आज भी देश की जनता की आस्था और विश्वास पूरी तरीके से जुड़ा हुआ है और मुझे लगता है एक मात्र नेता जो आज देश के युवाओं की, देश के गरीबों की, देश के किसानों की चिंता भी करता है और उसके लिए एक लम्बे समय का भविष्य visualize करके प्लान कर रहे हैं वैसा एक मात्र नेता आज नरेंद्र मोदी है।

प्रश्न: तो आप यह भी मानते हैं कि जो चुनाव होते हैं वह रेफेरेंडम होते हैं आपकी लोकप्रियता पर? चाहे आप एक रन से सेंचरी मिस करें लेकिन सेंचरी तो मिस हो जाती है?

उत्तर: ऐसा हैना कि हम उस प्रकार के लोग नहीं हैं जो अगर चुनाव हारते हैं तो ईवीएम पर ब्लेम कर दिया, अफसर पर ब्लेम कर दिया। हमने बड़ी इज़्ज़त से स्वीकार किया कि हमें जनता का मैंडेट नहीं मिला है, हमारे किसी ने कोशिश नहीं की कि हम सरकार बनाएं जबकि डिफरेंस भी बहुत कम था। रूलिंग पार्टी सेंटर में कैसे बिहेव करती थी आपको भी मालूम है हमने किधर भी इस प्रकार का बिहेवियर नहीं किया। और मैं समझता हूँ हमने इस जनता के निर्णय को देखते हुए अगर समीक्षा के बाद कुछ और सुधार करने की ज़रूरत है तो हम उसके लिए तट पर हैं, यह हमारा जवाबदेही सरकार का दायित्व रहता है।

प्रश्न: अभी तक कोई शुरुआती समीक्षा कर पाए हैं कि क्या करना है?

उत्तर: मुझे लगता है चल रही है उसके ऊपर, राज्य में चल रही है, फिर केंद्र में चर्चा होगी। लेकिन इतना स्पष्ट है कि जब भी आपने देखा होगा कांग्रेस हारती थी और इतने चुनाव हारी एक के बाद एक तब हर बार यह होता था, नहीं यह तो लोकल इशू है यह तो उनके केंद्रीय नेतृत्व के ऊपर नहीं है। लेकिन एक चुनाव जिसमें हमारा परफॉरमेंस उतना अच्छा नहीं रहा उसमें सीधा केंद्रीय नेतृत्व के ऊपर ब्लेम करना तो यह तो स्वाभाविक है कि थोड़ा अनफेयर हो जाता है।

प्रश्न: क्या आप मानते हैं कि मोमेंटम उनके पास चला गया है, तीन राज्य उनके साथ जाने के साथ ही मोमेंटम जो 2019 से पहले का था वह उनके पास है?

उत्तर: मुझे नहीं लगता, देखिये हमारा तो चुनावी काम लगभग अभी जिस प्रकार से साल भर चुनाव चलते हैं हम तो लगभग perpetual election mode में रहते हैं जिसके लिए प्रधानमंत्री जी ने कहा कि अच्छा रहेगा अगर देश तैयार हो जाये कि एक साथ सब चुनाव हों। और उसके बाद पांच साल राज्य सरकारें केंद्र सरकार  जनता की सेवा में लगेंगी। अभी तक विपक्ष ने हमें सहयोग नहीं दिया है, एग्री नहीं किया है नहीं तो यह एक प्रकार से देश के लिए बहुत हित की बात होगी लम्बे अरसे के लिए। लेकिन यह तीन चुनाव में अच्छा रिजल्ट नहीं आना उसके दोनों पहलू होते हैं एक प्रकार से एक हमें भी थोड़ा ध्यान में आता है कुछ विषयों पर अगर हमें कोर्स करेक्शन की ज़रूरत हो। मुझे भी ध्यान में आ सकता है कि क्या मेरी रेल गाड़ियां इन तीनों राज्यों में कोई तकलीफ तो नहीं दे रही थी जनता को, क्या कोयले की सप्लाई ठीक से पहुँच रही थी, नहीं पहुँच रही थी।

हम में से हर एक को अपने आप सोचना पड़ेगा, देखना पड़ेगा और इसी प्रकार से राज्य सरकारों ने भी जो-जो किया, नहीं किया वह भी उसकी समीक्षा कर रहे हैं। पर मैं समझता हूँ थोड़ा बहुत fatigue factor ज़रूर प्ले की होगी और 15 साल सरकार में होने के बाद शायद ही कोई भारत में सरकारें हैं गुजरात को छोड़कर जहाँ पर व्यवस्था ईमानदार रही हो और जो इतने सालों-सालों तक चलती रही हो। हो सकता है जनता के मन में आया होगा कि थोड़ा बदलाव देखा जाये। उसके बावजूद मध्य प्रदेश में तो बहुत ही अच्छा परफॉरमेंस शिवराज जी ने किया है, तीन चुनाव के बाद चौथे चुनाव में।

तो gracefully we have accepted defeat, हमने कोई EVM यह-वह के ऊपर डाला नहीं है और समीक्षा के बाद कोई कोर्स करेक्शन होगा तो हम भी राजनीतिज्ञ हैं उसके हिसाब से करेंगे।

प्रश्न: Fatigue factor कहें, थोड़ा anti-incumbency कह लें उसे, या फिर राहुल गाँधी को क्रेडिट दें?

उत्तर: वह जिसको भी क्रेडिट देना चाहें वह तो वही दे सकते हैं क्योंकि उनका कैंपेन किस बात पर निर्धारित था, किस तरीके से जीते वह उनको तय करना होगा, कांग्रेस को। जहाँ तक मेरा मानना है, मेरा मानना है कि हमको उसको gracefully लेना चाहिए और आगे का किस प्रकार का रास्ता नापना है उसके लिए तैयारी करनी चाहिए।

प्रश्न: क्योंकि आपने कहा कि हमने कोशिश भी नहीं की सरकार बनाने के लिए इसके बावजूद कि बहुत कम फासला था दोनों पार्टियों के बीच?

उत्तर: पर वह सिंगल लार्जेस्ट थे इसलिए हमने सोचा उनका अधिकार बनता है।

प्रश्न: नहीं, तो क्या आप कोशिश भी करते तो लोग आते क्योंकि कांग्रेस ने माँगा नहीं बीएसपी खड़ी हो गयी कि हम आपका समर्थन करेंगे?

उत्तर: पर हम कभी कोशिश भी नहीं करते इस प्रकार से, देखिये कर्नाटक में हम सिंगल लार्जेस्ट थे। हमने अपना दावा पेश किया क्योंकि आखिर हम नहीं पेश करते तो हमारे कार्यकर्ता और हमारे एमएलए बोलते कि सिंगल लार्जेस्ट होकर हमने क्यों नहीं दावा पेश किया, लेकिन जैसे ही उन दोनों ने अलायन्स बनाई हमने तो कोई कोशिश नहीं की, हमने कोई तोड़फोड़ नहीं की। आप लोग स्पेक्युलेट करते रह गए पर यहाँ से कोई गया भी नहीं कर्नाटक या बैंगलोर। हमारा पक्का इरादा था कि हम सिंगल लार्जेस्ट हैं हमें पहला अधिकार बनता है, जब हम नहीं बना पाए हमारे को नंबर्स नहीं थे वह तो स्वाभाविक ही है कि वह दोनों मिल गए थे तो हमने gracefully exit भी कर दिया।

जैसे अटल जी ने 1996 में बनाई थी उसके बाद आपने देखा क्या हुआ दो साल में फिर अटल जी वापस आ गए। तो जहाँ तक बीजेपी का सवाल है मैं समझता हूँ यह नैतिकता के हिसाब से चुनाव और राजनीति को करते हैं।

प्रश्न: कांग्रेस कर्नाटक के पूरे मामले में गोवा का example देती रही?

उत्तर: पर मैडम, गोवा की बार-बार यह ज़िक्र होती है गोवा में पेश ही नहीं किया, आपको तो पूरी गोवा की कहानी याद होगी। सिंगल लार्जेस्ट पार्टी होने के बावजूद उन्होंने पेश ही नहीं किया अपना दावा सरकार बनाने के लिए, तब तक कई लोग हमारे साथ जुड़ गए थे, हमारी मेजोरिटी बन गयी थी तो हमने दवा पेश करके ….

प्रश्न: इसलिए मध्य प्रदेश में 12 बजे रात से पहले दावा पेश करने चले गए थे?

उत्तर: यह तो अच्छी बात है, करना ही चाहिए। जो सिंगल लार्जेस्ट पार्टी है अगर उसके पास जनता का मैंडेट है उसको करना ही चाहिए पेश।

प्रश्न: नहीं मैंने बीएसपी साथ ही समाजवादी पार्टी इसका ज़िक्र इसलिए किया कि कहीं आपको यह लगता है कि भारतीय जनता पार्टी के साथ आने वाले सहयोगी दलों की संख्या सीमित है और जो महागठबंधन जिसे अभी तक सिर्फ एक क्रिएशन कहा जा रहा था वह एक सच्चाई है जो राहुल गाँधी को अपना नेता मान रही है।

उत्तर: पता नहीं, मुझे जो सुनने में आया है वह swearing-in पर वापस वह नहीं गए हैं।  शायद ऐसा ही यह भी खबर चल रही थी मुझे अभी exact पता नहीं है। पर जो खबरें है उसके हिसाब से दोनों पार्टीज चाहे समर्थन दिया हो लेकिन swearing-in पर तो कोई गया नहीं, उनके दोनों के नेता। तो मैं समझता हूँ यह एक प्रकार से जैसा माननीय वित्त मंत्री अरुण जेटली जी बोलते हैं ‘Its a coalition of rivals. कोई कॉमन प्रोग्राम नहीं है, कोई उनका नैतिक आधार नहीं है, वास्तव में एक दूसरे से झगड़ा बना रहता है।

अब आंध्र प्रदेश-तेलंगाना का देख लीजिये, चंद्रबाबू नायडू और कांग्रेस इनका इससे ज़्यादा अनैतिक तो कोई कोएलिशन हो नहीं सकता है और आप देखेंगे कि तेलंगाना में क्या उसका जनता ने उनको खामियाना करना पड़ा। तो मुझे लगता है कि भारतीय जनता पार्टी अपने allies principles के हिसाब से जो पार्टीज की सोच हमारे साथ aligned है उसके हिसाब से कर रही है, उसके हिसाब से हमारे allies हमारे साथ आएंगे और हम मिलकर फिर एक बार अच्छी दो-तिहाई बहुमत एनडीए की पूर्ण बहुमत भाजपा की सरकार 2019 में फिर लाने में सफल होंगे ऐसा हमारा पूरा विश्वास है भारत की जनता के ऊपर।

प्रश्न: इसके लिए आपको बहुत सारे जो तबके नाराज़ चल रहे हैं सरकार से उनको एड्रेस करना होगा। किसानों की संख्या बड़ी इन चुनावों में एक फैक्टर वह भी रहे इससे इंकार किया नहीं जा सकता है। कमल नाथ ने आज ही घोषणा कर दी जो वादा किया गया था किसानों के क़र्ज़ को लेकर?

उत्तर: अब कर्नाटक की तरह न हो जाये यह वादा इतना ज़रूर कांग्रेस पार्टी और उनके नेता सुनिश्चित करें। कर्नाटक में शायद मई में सरकार बनी थी, मई-जून में, जुलाई में क़र्ज़ माफ़ी की घोषणा हुई थी। और मैं अभी-अभी रिपोर्ट पढ़ रहा था शायद आपके इंडिया टुडे में था या किस में कि अभी तक 800 या 1000 किसानों को सिर्फ क़र्ज़ माफ़ी का लाभ मिला है, यह अभी-अभी मैं पढ़ रहा था, दो-तीन दिन पहले की खबर है। मुझे पूरा विश्वास है आप लोग भी मॉनिटर कर रहे होंगे शायद, एजेंडा आजतक में वह भी होगा कि बताया जाये कि किस प्रकार से किसानों के साथ छल किया जा रहा है। और उसके सामने हमारा उदाहरण देखिये, उत्तर प्रदेश में सब किसानों तक पहुंचा क़र्ज़ माफ़ी, महाराष्ट्र में सब किसानों तक पहुंचा क़र्ज़ माफ़ी।

तो मेरे ख्याल से जो भी चीज़ हम निर्णय लेते हैं जो भी फैसला करते हैं, जो भी घोषणा करते हैं उसको शत-प्रतिशत करने का काम यह हमारा दायित्व है और यह भारतीय जनता पार्टी और मोदी जी करते हैं। हम इस मामले में मुझे लगता है कांग्रेस का ट्रैक रिकॉर्ड अभी तक काफी ख़राब रहा है।

प्रश्न:क्योंकि जिन राज्यों का आपने ज़िक्र किया कृषि क़र्ज़ माफ़ी एक तरह से चुनावों का मुद्दा बनता जा रहा है, बहुत आसान है, आप समय सीमा निर्धारित कर दीजिये कि 10 दिन, 5 दिन, 1 दिन, एक घंटे, यह निर्धारित कर रहा है चुनावों को कि जिसने वादा कर दिया सबसे पहले का वह चुनाव जीत रहा है?

उत्तर: मैं समझता हूँ यह टोटली करेक्ट नहीं है, अगर इस प्रकार से सिर्फ देश चलता या इसी एकाद मुद्दे पर देश चलता तो शायद एक पार्टी सरकार में आती और हर पांच साल बाद क़र्ज़ माफ़ी करके वह कभी हटती नहीं अगर इतना सरल होता। मैं समझता हूँ जनता पूरे परिप्रेक्ष्य में देखती है सुरक्षा के दृष्टिकोण से कौन अच्छा है, आर्थिक व्यवस्था के दृष्टिकोण से कौन अच्छा है, किसने ईमानदार और भ्रष्टाचार-मुक्त सरकार दी, किस सरकार के मंत्रियों का आचार-विचार, ढंग कैसा है, व्यवहार कैसा है जनता के साथ, किस प्रकार से लम्बे अरसे की सोचती है सरकार या बस छोटा-मोटा समय बिताने के लिए लगी हुई है, किस प्रकार से इंफ्रास्ट्रक्चर डेवेलोप हो रहा है।

आखिर आप देखिये इस सरकार ने पहली बार देश में लगभग 25-30 करोड़ों को बिजली दी है जिनको कभी बिजली नहीं थी, आज भी देखें तो 2014 तक और आज़ादी को लगभग 65 साल के बाद तीन में से दो महिलाओं को शौच के लिए सूर्योदय से सूर्य उतरने तक शौच की सुविधा नहीं थी। हमने सम्मान दिया है महिलाओं को, उनको dignity of life दी है कि आज लगभग 94%घरों में शौचालय दिया है, बिजली शत-प्रतिशत हो जाएगी अगले दो महीने के अंदर, शौचालय भी शत-प्रतिशत हो जायेंगे अगले डेढ़ महीने के अंदर।

कुकिंग गैस – आज़ादी से 2014 तक 13 करोड़ महिलाओं को कुकिंग गैस मिलती थी, हमने उसको बढ़ाकर 25 करोड़ कर दिया, इतने वर्षों के आंकड़ों को लगभग साढ़े चार साल में उतना ही और दे दिया और आगे चलकर दो-तीन महीने में कोशिश रहेगी कि शत-प्रतिशत लोगों को कुकिंग गैस कनेक्शन मिल जाये। तो मैं समझता हूँ एक-एक विषय देखें financial inclusion, जन धन जिस प्रकार से बढ़ाया गया है व्यापक किया गया बीमा को, किसानों के लिए फसल बीमा योजना, छोटे साहूकारों के लिए, छोटे ट्रेडर्स, जो अपना आत्मनिर्भर होना चाहें entrepreneurs उद्यमियों के लिए, मुद्रा लोन की सुविधा। हर प्रकार से हमने देश में सबको लाभ मिले और बिना भेदभाव के। ऐसा हम नहीं देखते हैं यह किस जात का है, किस धर्म से है उसके हिसाब से हमारा लाभ नहीं पहुँचता है।

प्रश्न: लेकिन इसके बावजूद जाति, धर्म यह मुद्दा बन जाता है चुनावों के समय?

उत्तर: वही कुछ लोग बनाते हैं हमने देखा पिछले चुनावों में भी, कुछ लोग कह रहे हैं भाई एक विशेष धर्म के लोग 90% आएंगे तभी मैं जीत पाउँगा और अब मुख्यमंत्री बन पाउँगा। अब यह इस देश की जनता को तय करना है।

प्रश्न: मैं हर एक धर्म के लोगों को यह रिक्वेस्ट करूँगा वह एक समुदाय या दूसरे समुदाय की बात नहीं है, मैं समझता हूँ हर धर्म के लोगों को सोचना पड़ेगा कि क्या धर्म के आधार पर वोट मांगने वाले लोगों को और जो कहें कि भाई आप अगर हमें वोट नहीं दोगे और भय और डर की वजह से उनसे वोट लेने की कोशिश करें तो मैं समझता हूँ वह देश हित नहीं है। हम जब विकास करते हैं हम कभी विकास में किसी का धर्म नहीं पूछते, किसी की जाति नहीं पूछते हैं, हम हर विकास के काम को सर्वव्यापी बनाते हैं सबको साथ में लेकर चलते हैं।

प्रश्न: पर योगी जी के बयानों से जब एक पूरा नैरेटिव चुनाव का बदल जाता है तब तो भारतीय जनता पार्टी का मंच ही हुआ ना?

उत्तर: कौनसा ऐसा बयान था बताएं ज़रा आप?

प्रश्न: एक अली और बजरंगबली का उनका बयान था, फिर एक विवाद उनका उठखड़ा हुआ हनुमान जी की बात का?

उत्तर: देखिये ऐसे तो आपके एंकर भी कई बार कुछ न कुछ कभी बोल देते हैं भूल चूक में, अब उसके ऊपर क्या सालों साल तक आप उस एंकर के पीछे वह याद दिलाते रहते हैं क्या?

प्रश्न: कुछ एक महीना भी नहीं हुआ है अभी?

उत्तर: नहीं तो मैं समझता हूँ कि ऐसी कोई भावना यह नहीं थी वह बात कर रहे थे आदिवासियों की, वनवासियों की, दलितों की, वह ज़रा contextually बजरंगबली के साथ जुड़ गया दुर्भाग्य से और मुझे लगता है स्पष्टीकरण भी आ गया है कि ऐसी कोई उनकी भावना नहीं थी।

प्रश्न: आपको लगता है कि जो SC-ST Act के बाद जो पूरा मामला बवंडर उठा एक तरह से थोड़ा हैंडल करने में दिक्कत हो गयी कि दलित भी नाराज़ हुए, सवर्ण भी नाराज़ हुए?

उत्तर: देखिये इस देश में सदियों से पीढ़ियों-पीढ़ियों तक हमारे दलित भाई-बहनों के साथ काफी मात्रा में अन्याय हुआ है, और उस अन्याय को समाप्त करने के लिए डॉ बाबा साहेब आंबेडकर ने जो संविधान बनाया जो भारत ने अपनाया उसमें कुछ न कुछ प्रावधान उनकी सुरक्षा के लिए रखे गए हैं। उन प्रावधानों को interpretation में सुप्रीम कोर्ट ने कुछ कहा जिसके ऊपर एक प्रकार से देश में काफी भावनाएं उत्तेजित हुई थी तो हमने उसको clarify करने का काम कानूनी व्यवस्था में सुधार करके भारत सरकार ने किया। मैं समझता हूँ दुर्भाग्य से उसका प्रचार कुछ लोगों को उत्तेजित करने के लिए किया गया और दुर्भाग्य की बात है कि इस प्रकार से अगर हम समाज को बांटेंगे और यह कोशिश करेंगे कि नहीं दलितों की सुरक्षा के लिए कानून बनाया तो जैसे हमारे खिलाफ है तो काफी दुर्भाग्य होगा उसमें।

देश की न्यायपालिका पर हम सबको विश्वास है, देश में न्याय होता है यह हम सबकी सामूहिक सोच है, हम सबका विश्वास है। और किसी के साथ अन्याय नहीं होगा जब तक भारत का संविधान मज़बूत है, जब तक भारत में कानून व्यवस्था अच्छी है मुझे पूरा विश्वास है न कोई सवर्ण के साथ न कोई दलित भाई बहन के साथ, किसी के साथ अन्याय नहीं होगा यह इस देश की कानून व्यवस्था की विशेषता है।

प्रश्न: पर आपकी अपनी सांसद सावित्रीबाई फुले बांटने वाली पार्टी का आरोप लगाते हुए भारतीय जनता पार्टी पर वह छोड़ गयी?

उत्तर: देखिये ऐसे तो कई लोग पार्टी जब छोड़ते हैं, बदलते हैं, एकाद केस हमारे भी हुए हैं उससे कई ज़्यादा अधिक केस अलग-अलग पार्टीज से हमारे पास भी आये हैं तो जब लोग छोड़ते हैं तो स्वाभाविक है कि कुछ न कुछ उनकी परेशानियां या समझ में कुछ कमी रहती होगी या कुछ विषयों पर मतभेद होगा तभी छोड़कर जाता है व्यक्ति, तो टिप्पणी तो करेंगे ही जब छोड़कर जायेंगे। तो एक व्यक्ति के बयान के ऊपर पूरी पार्टी कठघरे में नहीं खड़ी होती।

हम कुछ दो सवाल अपने ऑडियंस में से लेंगे जिन्होंने अभी तक सवाल पूछा नहीं है।

प्रश्न: मेरा नाम राहुल नागपाल है मैं एक दलित कवि हूँ। मेरा सवाल यह है कि जब 2 तारीख के भारत बंद के आंदोलन में 11 बच्चे मारे जाते हैं और जिसमें से सिर्फ दो लोग पुलिस की गोली से मारे जाते हैं, 9 लोग जो हैं वह राजा चौहान जैसे लोगों की गोली से मारे जाते हैं या उन लोगों की गोली से मारे जाते हैं जो दबंग हैं कहीं न कहीं समाज में। इस पर सरकार न तो कोई बयान देती है न उनकी सुरक्षा के लिए जो लोग शहीद हुए हैं उनके लिए कोई मुआवज़ा या उनके लिए कोई नौकरी वगैरा की घोषणा करती है?

उत्तर: देखिए किसी के भी जीवन को आहात पहुँचता है और इस प्रकार की घटना होती है तो बहुत बड़ा दुर्भाग्य है इसको हम सबको मिलकर इसपर चिंता भी करनी चाहिए, रोकना भी है और समाज में इस प्रकार के लोगों को पूरी तरीके से बहिष्कार करना चाहिए ऐसा मैं समझता हूँ कि हम सबका दायित्व बनता है। मुझे इस particular incident की पूरी जानकारी नहीं है पर मुझे यह विश्वास है कि सख्त से सख्त कार्रवाई होगी, कोई भी व्यक्ति दोषी पाया जाये, कोई भी हो वह किसी का भी कुछ लगता हो पर उसके ऊपर पूरी कार्रवाई भी होनी चाहिए। मुआवज़े की जहाँ तक बात है उसके नॉर्मली कुछ न कुछ मापदंड होते हैं मुझे विश्वास है उस मापदंड के हिसाब से हुआ होगा, नहीं हुआ होगा तो मैं भी जानकारी ले लूंगा इस कार्यक्रम के बाद आप अगर मुझे उसकी कुछ डिटेल्स एक कागज़ पर लिखकर दें।

प्रश्न: क्योंकि मामले जो निकलकर आते हैं, अगर लिंचिंग से ही जुड़े आ जाते हैं एक के बाद एक मतलब उसकी भर्त्सना कर दी जाती है लेकिन यह मामले रुकते तो नहीं हैं?

उत्तर: देखिये लिंचिंग को हमने पूरी तरीके से चाहे फिर वह प्रधानमंत्री जी हो या कोई भी हमारे मुख्यमंत्री नेता हों हमने सभी ने इसको कंडेमन किया है इसको बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घोषित किया है और कहा है कि पुलिस को भी निर्देश है कि ऐसे में सख्त से सख्त कार्रवाई हो कोई भी व्यक्ति हो। और हम सभी जनता को रिक्वेस्ट करना चाहेंगे अपील करना चाहेंगे कि अगर आपको कुछ गलत काम दिखे भी होता हुआ तो वह पुलिस की ज़िम्मेदारी है उसपर कार्रवाई करना, हम में से किसी को भी अधिकार नहीं है हम कानून अपने हाथ में ले लें। और मैं समझता हूँ कि यह मैसेज हम सबने और इसमें मीडिया की भी ज़िम्मेदारी है, राजनीतिज्ञों की भी है, सरकार की भी है और समाज की भी है, हम सबको मिलकर ऐसे जो उत्तेजित हो जाते हैं उन सबको संभालकर रोकना पड़ेगा, लेकिन उसके बावजूद कोई गलत काम करे तो सख्त से सख्त कार्रवाई करनी पड़ेगी।

प्रश्न: Good afternoon sir, सर मेरे को यह पूछना था जैसे हम कार्गो के बारे में बात करते हैं जो सामान जाता है international cargo जाता है, sea से जाता है, by air जाता है, is there any provision that it can go by train also to the international, मतलब not कि जो, suppose if I want to send something from here to let us say Russia, अगर मुझे Moscow मान लीजिये कोई चीज़ भेजना हो कोई cargo भेजना हो by air जायेगा या by sea जायेगा, by train का कोई provision है या नहीं?

उत्तर: देखिये ट्रेन के कनेक्शन कुछ neighboring countries तक है, नेपाल, बांग्लादेश की है लेकिन उसके बियॉन्ड तो आज कोई ट्रेन का कनेक्शन अफ्रीका वगैरा नहीं पहुँच सकता है। तो इसके लिए multi-modal transport से माल जाता है तो ट्रेन से आप inland container depoमें दे दें वहां से ट्रेन से जायेगा up to the port, फिर शिप से जायेगा और फिर आगे जिस भी मार्ग से आपके अंतिम डेस्टिनेशन तक। This is called multi-modal transport. इसकी व्यवस्था है देश में, भारत सरकार की जैसे CONCOR company है, Container Corporation of India, रेलवेज की है वह भी ऐसा कार्गो लेती है जो पोर्ट तक पहुंचाती है और फिर आगे शिप से जाता है। और multi-modal transport ऐसे सैंकड़ों कंपनियां हैं यह aggregation of freight करती हैं अलग-अलग माध्यम से।

प्रश्न: राजनीतिक मुद्दों पर ही लौटते हुए, करप्शन के मुद्दे पर आपको लग रहा है कि राहुल गाँधी सरकार को घेरने में कामियाब हुए हैं?

उत्तर: मुझे नहीं लगता अब तो सुप्रीम कोर्ट ने भी फैसला सुना दिया है अपना।

प्रश्न: लेकिन यह स्वीकार नहीं कर रही हैं न विरोधी पार्टियां जो आपकी हैं?

उत्तर: नहीं वह तो उनका selective स्वीकार करने का ढंग है, जो चीज़ उनके फेवर में होती है वह तो सुप्रीम कोर्ट इस सुप्रीम, जो चीज़ उनके खिलाफ जाती है तो फिर वह किस प्रकार के हथकंडे अपनाने की कोशिश करते हैं सुप्रीम कोर्ट पर दबाव डालने के लिए उससे आप भलीभांति परिचित हैं। अभी-अभी माननीय प्रधानमंत्री जी ने भी देश को बताया कि कैसे सुप्रीम कोर्ट के ऊपर दबाव लाने की कोशिश की गयी कि एक चीफ जस्टिस के ऊपर इम्पीचमेंट की कोशिश करने की साहस विपक्षी पार्टी ने की सिर्फ दबाव डालने के लिए कि जो भी फैसला सुनाओ वह मोदी सरकार के खिलाफ सुनाओ।

और कांग्रेस पार्टी का ट्रैक रिकॉर्ड तो केशवानंद भारती से लेकर जितने आप कानूनी जजमेंट्स आये हैं उसमें देख लीजिये, इमरजेंसी आखिर देश को क्यों सहनी पड़ी। मेरी माँ को जेल में क्यों जाना पड़ा, मैं तो तब छोटा सा बच्चा था मेरी उम्र ही शायद 12 साल की थी। तो मेरी माँ को भी जेल में जाना पड़ा वह इन्ही लोगों के कारण है जो आज बड़ी-बड़ी दुहाइयाँ दे रहे हैं उन्होंने तो पूरे कानून को ही बदल दिया और इस देश की कानून व्यवस्था तो छोड़ो, कोर्ट के जजमेंट को छोड़ो कानून ही बदल दिया और जब कोई जज की नियुक्ति की बारी आयी तो कह दिया नहीं हम तीन judges छोड़कर चौथे को बनाएंगे क्योंकि हमें कमिटेड जुडिशरी चाहिए। इस पार्टी का तो कोई नैतिक आधार ही नहीं है कुछ बोलने का।

प्रश्न: पर संवैधानिक संस्थाओं  को लेकर आरोप आप पर भी लगते हैं?

उत्तर: नहीं आरोप पर अगर कोई तत्व आप दे सकते हैं तो मैं उसका जवाब दे सकता हूँ।

प्रश्न: जैसे सीबीआई?

उत्तर: हमारा एक्चुअली आरोप, बहुत अच्छा किया आपने यह प्रश्न उठाया, अगर हम कांग्रेस की तरह सीबीआई के अफसरों को अपने दबाव में रखते और सीबीआई के अफसरों को हम माइक्रो मैनेज करते तो ऐसी स्थिति कभी आती ही नहीं। हमने तो letter and spirit में कोशिश की कि जो देश की व्यवस्था है कि सीबीआई एक इंडिपेंडेंट एजेंसी है वह अपना काम independently करे उसमें अगर दो अफसर आपस में मतभेद हो या कुछ आपस में झगड़ा हो तो उसमें सरकार क्या कर सकती है, सरकार ने तो उलटे दखलंदाज़ी नहीं करने का फैसला किया। पर सीवीसी के सामने जब दोनों की कम्प्लेंट्स गयी तब हमें यह एक्सट्रीम स्टेप लेना पड़ा। In fact, this only certifies कि हम एक ऐसी सरकार हैं जो इसमें दखलंदाज़ी नहीं करते हैं।

प्रश्न: आरबीआई?

उत्तर: आरबीआई तो ऐसा है कि मेरे परिवार में जब कोई विषय होते हैं जिसमें अगर बातचीत शुरू हो तो विषय थोड़ा गंभीर हो जाते हैं गर्मा गर्मी तो हम उसको touchy topic बोलते हैं। तो अगर हम परिवार में चारों में से किसी को भी लगता है एक विषय out of hand जा रहा है तो वह बोलता है टी-टी, टी-टी  तो वह बंद हो जाता है वह विषय। तो आरबीआई का विषय मुझे लगता है वित्त मंत्री आ रहे होंगे इसके लिए आप उनसे पूछेंगे तो अच्छा रहेगा यह एक प्रकार से touchy topic है।

प्रश्न: पीयूष जी, विकास की बात आप लोग करते हैं लेकिन रोज़गार के आंकड़ों में और अपनी ही सरकार के जारी किये आंकड़ों में मैं इन राज्यों की ही बात कर रही हूँ, चूँकि मध्य प्रदेश, राजस्थान खासकर वहां पर जो आंकड़े जारी हुए या फिर वहां पर जो युवा थे जो यह दुहाई देते,और यह सच्चाई है कि एक चपरासी की भी अगर वेकन्सी निकलती है तो पीएचडी डिग्री धारक वहां पर जाता है देने के लिए?

उत्तर: देखिये यह एक सालों साल से आयी हुई इस देश में सरकारी नौकरी के प्रति एक आकर्षण है। अब लोगों को एक लगता है कि सरकारी नौकरी एक बार मिल गयी तो बस हम सुनिश्चित हो गए, सुरक्षित हो गए अब हमें आगे महत्वाकांक्षी होने की ज़रूरत नहीं है और बस इसी में तनख्वाह भी आती रहेगी पेंशन आएगी वगैरा-वगैरा। यह लेकिन अब परिस्थिति आहिस्ते-आहिस्ते बदलनी भी शुरू हुई है। आज का नया नौजवान, युवा-युवती इनको आज कल entrepreneurship, उद्यमी बनने का भी शौक हो रहा है। कई लोग अपने पांव पर खड़े होने के लिए एंटरप्राइज खुदका शुरू करना चाहते हैं।

मैं एक उदाहरण दूँ आपको, एक घाटकोपर स्टेशन है मुंबई में, घाटकोपर स्टेशन के बाहर एक व्यक्ति मसाला डोसा बेचता है। और बहुत अच्छा टेस्टी होता है, बहुत लोग आते हैं खाने के लिए, तो एक बार किसी ने स्टडी किया उस मॉडल को और आपको जानकर हैरानी होगी कि मसाला डोसा बेचने वाले व्यक्ति ने एक छोटे खांचे-खोंचे में, लगभग 300 रोज़ मसाला डोसा बेचता है। 300 रुपये का एक मसाला डोसा होता है, आप कैलकुलेट करें, गणित लगाएं तो लगभग 90,000-एक लाख रुपये रोज़ की सेल होती है, साल में तीन-साढ़े तीन करोड़ की सेल करता है। अब उस व्यक्ति ने कभी नौकरी सरकारी नहीं की क्योंकि नौकरी में तो उसको शायद 25,000-30,000 रुपये मिलते महीने के।

बल्कि आज एक उद्यमी के नाते, अब कुछ मित्र तो विपक्ष के इसको फिर मज़ाक़ उड़ाएंगे कि अरे यह पकौड़ा बेचना क्या होता है, और डोसा बेचना क्या होता है। लेकिन मैं समझता हूँ आज के देश के कई नौजवान अपनी-अपनी क्षमता के हिसाब से नयी-नयी चीज़ों में काम कर रहे हैं, बड़ा अच्छा काम कर रहे हैं। किसी ने एक सर्विस शुरू की ओला की देखिये कहाँ से कहाँ पहुँच गया हज़ारों करोड़ की उसकी वर्थ हो गयी। किसी ने शुरू किया ट्रक ड्राइवर्स की सर्विस देना और कहाँ से कहाँ पहुँच गयी उसकी कंपनी मुझे नाम नहीं याद आ रहा है, शायद ऑलमोस्ट यूनिकॉर्न बन गयी है।

अब समय ऐसा आ गया है कि सरकारी नौकरी का आकर्षण ज़रूर है कुछ वर्गों में, लेकिन आहिस्ते-आहिस्ते उद्यमी बनने का अपने पांव पर अपना आत्मसम्मान के साथ जीवन बनाने का भी कई लोगों में लक्ष्य आते जा रहा है। और मैं तो बड़ा खुश हूँ कि अब भारत बदल रहा है, भारत की सोच बदल रही है। और वह ज़माना गया, और भारत का नहीं है, पूरे विश्व में अब ज़माना बदल गया है अब वैसा नहीं है कि एक कोल प्लांट में, या थर्मल पावर प्लांट में या स्टील प्लांट में ही व्यक्ति नौकरी के पीछे भाग रहा है। अब लोग देख रहे हैं मैं उसमें क्या सप्लाई करके कैसे अपना जीवन और बड़ा बनाऊं, कैसे मैं कुछ फैक्ट्री लगाऊं, कैसे मैं कुछ सर्विस देना शुरू करूँ।

आज तो अब घर में आपको प्लम्बर या कारपेंटर चाहिए हो तो मुश्किल हो जाता है, मैं पीछे मुंबई में 70-80 लोगों के साथ बैठा था छोटे मध्यम वर्गीय कामगार, कारोबार करने वाले लोग। लगभग सभी ने यह बताया कि हमको जो लोग चाहिए मिलते नहीं हैं, किसी ने बताया मेरे पास 40 लोगों की टीम का काम है, मेरे पास 27 लोग हैं बार-बार मैं advertise कर रही हूँ मुझे लोग नहीं मिल रहे हैं। कोई टेक्सटाइल  यूनिट था वह बोल रहा था कि मैं लोग ढूंढ रहा हूँ लोग आते हैं, कुछ समय काम करके चले जाते हैं। तो मैं समझता हूँ जो काम करना चाहे, क्षमता है, जो थोड़ी मेहनत करने के लिए तैयार हो, ईमानदारी से मेहनत करे, काम करे, अपने कौशल विकास को करके आगे ज़िन्दगी में कुछ बनना चाहे तो अच्छे अवसर हैं। सरकार भी उसको प्रोत्साहन दे रही है और आहिस्ते-आहिस्ते यह सरकारी नौकरी का आकर्षण जैसे फॉरेन में कम हुआ है वैसे भारत में भी कम होगा।

प्रश्न: तो इन सारे मुद्दों के बीच जो विकास, रोज़गार, यह सारे मुद्दे होते हैं उनके बीच राम मंदिर कहाँ पर ठहरता है?

उत्तर: राम मंदिर के बारे में हमारा बहुत स्पष्ट सोच है। हमने मैनिफेस्टो में भी 2014 में आपको बताया था कि हम चाहते हैं कि यह आपसी तालमेल से बातचीत करके यह मसले का हल हो जाये तो बहुत ही अच्छा होगा, दोनों लोगों के बीच में एक आत्मीयता भी बढ़ेगी, मित्रता भी बढ़ेगी, एक अच्छा सन्देश देश और विदेश और दुनिया को मिलेगा तो वह तो सबसे अच्छा तरीका है। वह नहीं होता है तो कोर्ट के समक्ष यह मामला है पहले तो विचार था शायद पिछले महीने ही हो जाता इसपर कुछ न कुछ निर्णय पर कुछ कारणों से शायद नहीं हो पाया। अब जनवरी में डेट लगी है तो हम उम्मीद करेंगे कि इसपर जल्द से जल्द निर्णय हो।

प्रश्न: अगर वह भी नहीं हो पाया तो क्या 2019 का दबाव रहेगा?

उत्तर: अभी तक इस पर कोई विचार-चर्चा हुई नहीं है, अब तो पहले डेट आने ही वाली है थोड़े दिनों में।

प्रश्न: आपके हिसाब से सबसे बड़ा मुद्दा जिसपर 2019 का चुनाव लड़ा जाने वाला है?

उत्तर: विकास।

प्रश्न: उधर से राहुल गाँधी कहेंगे कि यह भ्रष्टाचार कर रहे हैं?

उत्तर: भ्रष्टाचार पर मुझे नहीं लगता इस देश में कोई भी उनके इन झूठे आरोपों के ऊपर विश्वास करता है। प्रधानमंत्री मोदी जी ने जो ईमानदार सरकार इस देश को दी है वह वास्तव में इस देश के जन-जन के दिल और दिमाग में घुसी है यह बात कि देश ईमानदार हो सकता है। जब ऊपर ईमानदार होगा तो नीचे तक ईमानदारी लेकर जाने में हमें आगे का भविष्य मिलेगा। मैं एक छोटा उदाहरण देता हूँ कई बार मैं एक कोट करता हूँ, शायद राहुल को मैंने सुनाया भी है। करीब 2012-13 की बात है मेरी पत्नी एक टैक्सी लेकर कहीं गयी होंगी, जब उतरी तो पूछा कितने हुए, तो उसने कहा 100 रुपये। मीटर शायद 80 या 90 रुपये कुछ दिखा रहा था, अब साधारणतः अगर वह 80 या 90 बोलता तो मेरी पत्नी ज़रूर 100 रुपये ही देती उसको। लेकिन जब उसने 100 बोला जब मीटर कम दिखा रहा था तो पत्नी ने पूछा – अब मैं राजू जी आपके काम में दखलंदाज़ी नहीं दे रहा हूँ यह वस्तुस्थिति है जो मैं बता रहा हूँ – मेरी पत्नी ने उसको पूछा कि भाई यह तो 80 बता रहा है या 90 जो भी था, आप 100 क्यों मांग रहे हो?  तो उसका जवाब था, मैडम मैंने तो आपसे 10 रुपये ही ज़्यादा मांगे हैं कोई कोयले की खदान थोड़े ही मांगी है। और तब तो किसी को कल्पना नहीं थी कि मैं मंत्री बनूँगा वह भी कोयले विभाग को।

लेकिन मुझे लगता है कि देश की जनता ने देखा है किस प्रकार से पिछली सरकारों ने काम किया, किस प्रकार से मुफ्त में कोयले के ब्लॉक्स का आवंटन किया गया, अपने भाई भतीजों को, अपने एमपीज़ को, अपने रिश्तेदारों को और किस प्रकार से इस सरकार ने हर एक चीज़ पारदर्शी तरीके से की। Most transparent  auction जिसमें आपके पत्रकार भी प्रेस ऑफिस में शास्त्री भवन आकर देख सकते थे कैसे समय-समय पर ऑक्शन में बिडिंग होती थी। आपने देखा कोई चीज़ इस सरकार ने बिना प्रॉसेस, बिना सिस्टम, बिना प्रोसीजर के नहीं दिया फिर चाहे वह टीवी का लाइसेंस ही क्यों न हो।

प्रश्न: पर अपनी ईमानदारी की अग्निपरीक्षा के लिए ही सही क्या राफेल पर जेपीसी के लिए तैयार होंगे आप?

उत्तर: पर कोई सवाल उठता नहीं है क्योंकि अब तो सुप्रीम कोर्ट का भी निर्णय आ गया है और रही बात हमने कहा है कि चर्चा कर लेते हैं दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा, पूरी तरीके से चर्चा होनी चाहिए पार्लियामेंट में। चर्चा से वह क्यों भाग रहे हैं कांग्रेस वाले यह हमें जवाब दें। उनके पास तत्व क्या है उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष क्यों नहीं रखे, एक प्रकार से यह कंटेम्प्ट ऑफ़ कोर्ट है। समझो किसी ने कोई गलत काम किया और कोर्ट में कार्रवाई चल रही है और तुम्हारे पास कुछ जानकारी है which can assist the court in taking the right decision – और अगर कोई कानून का यहाँ पर विद्यार्थी हो तो वह आपको बता सकता है कि आप अगर उस जानकारी को छुपाओ या उस जानकारी को कोर्ट के समक्ष नहीं रखते हो तो वह भी अपराध है। मुझे लगता है किसी न किसी को उनसे पूछना चाहिए कि क्या यह अपराध नहीं है उनके पास बड़े वकील हैं, वह पूछें कि क्या यह अपराध नहीं है कि कोर्ट के समक्ष एक विषय चर्चा था, निर्णय होने वाला था अगर आपके पास कोई तत्व है कोई सबूत है तो आपने कोर्ट के समक्ष नहीं रखना यह भी कानूनी अपराध है और इसका उनको खामियाज़ा भारत की जनता को देना पड़ेगा।

प्रश्न: लेकिन वह तो कह रहे हैं आपने मिसलीड किया गलत जानकारी देकर और अब ग्रामर का नाम दे रहे हैं उसे?

उत्तर: भाई आप भी वह पढ़ लीजिये, हमारा जो एफिडेविट है उसको आप भी पढ़ लीजिये। हमने बहुत स्पष्ट कहा है कि ‘the detail has been given to the CAG’ मतलब यह हम कर चुके हैं। और ‘CAG is to give’ or जो भी वर्ड यूज़ किया है अब ‘was’ or ‘is’ का फासला अगर उसको लिखने में गलती हो गयी वह कोर्ट उसको revisit कर लेगा, हमने स्वयं से एफिडेविट फाइल किया है कि कोर्ट इसको परिप्रेक्ष्य में देख ले। हमने स्पष्ट रूप में CAG को जो details दी वह details कोर्ट के समक्ष रखी है। और ‘It has been given’ वह लिखा है past tense में, और नॉर्मल प्रोसीजर दिया है कि CAG एक बार रिपोर्ट आती है तो वह PAC के पास जाती है। PAC consider करती है और पार्लियामेंट को एक संक्षेप में उसका ब्यौरा देती है।

तो यह प्रोसीजर लिखकर कोर्ट के समक्ष रखा है तो इसमें कहाँ मिसलीडिंग है हमें तो समझ नहीं आया। अब उनके पास जब हार गए कोर्ट केस तो बोलते हैना ‘you pick on the threads’ तो अब वह ढूंढ रहे हैं कि कहाँ कुछ मिल जाये जिससे वह अभी भी मोदी जी को निशाना बना सकें। मैं समझता हूँ भारत की जनता समझदार है वह सब जानती है, उनको पता है कि ईमानदार सरकार कैसी चलती है उन्होंने साढ़े चार साल उसका स्वाद भी लिया है, अनुभव भी किया है। और उन्होंने यह भी देखा है कि किस प्रकार का भ्रष्टाचार करती थी कांग्रेस की एक के बाद एक सरकार, यहाँ तक कि उनके पूर्व प्रधानमंत्री यह भी घोषणा कर चुके हैं कि भाई मैं एक रुपया देता हूँ तो जनता तक पहुँचते-पहुँचते तो 15 पैसा रह जाता है, वह समझते थे कि उनके मंत्री, उनके सभी प्रतिनिधि, उनके लोग कैसे पैसे को लूटते रहते थे जनता के पैसे को। जबकि हमारी सरकार ने जब एक रुपया भेजा तो जनता के हाथ में एक रुपया मिला है यह हमारा आत्मविश्वास है।

प्रश्न: कभी-कभी दरअसल दोनों पक्षों के तर्क होते हैं लेकिन अब देखना है कि 2019 में मुहर किसपर लगती है।

उत्तर: श्वेता जी, तत्व आप और कलेक्ट कर लीजिये, मैं आपके शो पर फिर एक बार आता हूँ, अब विपक्षी आएंगे यहाँ पर भी आएंगे ज़रूर।

प्रश्न: पीयूष जी आज कल तर्क भी निष्पक्ष नहीं रह गए हैं।

उत्तर: आप सब तर्क लो तत्व लो, सबूत लो सब लेकर आओ फिर में आता हूँ एक बार एक-एक सबूत के साथ बात कर लेते हैं। पर सबूत के बगैर मेरा मानना है कि पत्रकारों के ऊपर भी जवाबदेही है कि बिना सबूत आरोपों को आप जब एम्प्लिफाई करते हो तो मैं समझता हूँ आप भी अन्याय करते हो भारत की जनता के साथ। आपको भी रिसर्च विंग होना चाहिए, आपको भी सब स्टडी करना चाहिए क्या सच्चाई है क्या गलत है। आपको भी देखना चाहिए कि क्या sensationalize करने की कोशिश हो रही है।

प्रश्न: पीयूष जी राफेल के लिए तो फ्रांस से लेकर यहाँ तक न जाने कितने सबूत और कितने गवाह सामने खड़े हो गए थे इसलिए आखिर जो फैसला लेना है अब सचमुच उस जनता को लेना है।

उत्तर: तो वह फैसला अब आखिरी फैसला सुप्रीम कोर्ट ने भी ले लिया और जनता भी लेगी आगे आने वाले चुनाव में, हमें पूरा विश्वास है भारत की जनता पर, भारत की जनता को पूरा विश्वास है प्रधानमंत्री मोदी जी और हमारी सरकार पर।

प्रश्न: और अब ईवीएम भी स्वच्छ है। बहुत धन्यवाद।

Next Speech

December 18, 2018 Speaking at Republic Summit 2018

Subscribe to Newsletter

Podcasts