Speeches

November 16, 2018

Speaking at 70th AGM of Northern Railway Men’s Union, in Lucknow

मेरे मित्र, हम सबके नेता और AIRF के महामंत्री माननीय श्री शिव गोपाल मिश्रा जी, नार्दन रेलवे मेन्स यूनियन के अध्यक्ष माननीय श्री त्यागी जी, बाजपेयी जी, मेरे बड़े भाई सुरेश तिवारी जी, बहन श्रीमती जया अग्रवाल जी, यहाँ पर मंच पर, मंच के नीचे उपस्थित सभी पदाधिकारीगण, महानुभाव और भारतीय रेल में जुड़े हुए, दिन और रात मेहनत करते हुए पूरी घड़ी – बारिश में, धूप में, त्योहार के दिन, हर समय देश की रेलगाड़ियों को चलाते रखने में पूरी तरीके से मेरा साथ देने वाले सभी भाइयों-बहनों को मेरा नमस्कार|

आज 70वां AGM है नार्दन रेलवे मेन्स यूनियन का और मैं आप सभी को तहे दिल से बधाई देता हूँ आज के इस शुभ अवसर पर| अभी-अभी हमने दीपावली मनाई, भाई दूज मनाया, परंपरागत तरीके से बहुत सारे त्योहारों का मौसम हाल में हम सबने मनाया है| और मैं समझता हूँ कि हम सबमें भी ज़रूर कुछ न कुछ दीपावली के शुभ अवसर पर सोचा होगा आगे के लिए कैसा होगा, क्या होगा, संकल्प भी लिए होंगे, त्योहार भी मनाया|

और उसी कड़ी में मैं आज आपके भी संकल्प पढ़ रहा था| अच्छे हैं संकल्प, पढ़के भी अच्छा लगा लेकिन सिर्फ एक हैरानी हुई| आप लोग सबसे तो मैं पहली बार मिल रहा हूँ,  शिव गोपाल जी को तो, टी पी सिंह जी को तो कई बार मुझे झेलना पड़ा है| और मुझे भी शिव गोपाल जी को बहुत झेलना पड़ा है| लेकिन वह जानते हैं कि मैं हर बार दो टूक बात करता हूँ| और मैं देख रहा था कि संकल्प में सिर्फ एक संकल्प अपने कर्तव्य के निर्वाहन करने का है| बाकी संघर्ष का संकल्प है, जोश का है, उमंग का है, पुरानी पेंशन का है, अधिकारों का है, वगैरा-वगैरा|

शिव गोपाल जी मुझे लगता है हम सब एक परिवार के सदस्य हैं| शायद हमारा संकल्प यह भी होना चाहिए था इसमें कि हम यात्रियों को कैसी सेवा देंगे, शायद हमारा संकल्प अगर इसमें हम यह भी लिखते कि रेलवे के नुकसान को हम ख़त्म करने में कड़ी मेहनत करेंगे और मिलकर इस रेलवे को दुर्घटना-मुक्त करेंगे तो हो सकता है कि पूरे देश और विश्व को एक नया संदेश जाता| अगर हम इसमें लिखते कि हम आधुनिक सुविधाओं को यात्रियों तक पहुचाएंगे, ईमानदारी से पहुचाएंगे तब शायद आपकी बात कि तन्ख्वायें और बढ़े, न्यू पेंशन स्कीम लागू हो, अल्लोवेन्सेस और मिलें यह सब चीज़ों के लिए भी आपको, और आपके हाथ मज़बूत होते| हो सकता है फिर जो हमारे यात्री हैं वह भी तैयार होते और ज़्यादा किराया देने के लिए|

तो मैं बता रहा था कि हम सब जब एक परिवार के सदस्य की तरह काम करते हैं, परिवार में भी बहुत सारी चीज़ें होती हैं जिसमें वाद-विवाद होता है, चर्चा होती है, बातचीत होती है, मार्ग निकलता है, रास्ता निकलता है और वह तो लगातार एक विषय चलता रहेगा| इसी प्रकार से जैसा अभी शिव गोपाल जी ने बताया – आपकी भी कुछ समस्याएँ हैं, आपकी भी कुछ माँगें हैं, स्वाभाविक हैं रहनी चाहिए| उसपर विचार चल रहा है, उसपर कई चीज़ों में हम कुछ सुधार कर भी पाए हैं| अभी उन्होंने बताया कुछ चीज़ों में समाधान हो चुका है, कुछ चीज़ें कोई कमेटी स्टडी कर रही है – यह लगातार चलता रहेगा|

लेकिन वास्तव में मुझे भी एक मिनट के लिए एयरपोर्ट पर हैरानी हो गयी कि नारे चल रहे हैं या मेरा स्वागत हो रहा है या क्या हो रहा है| और या मुझे ही अगली फ्लाइट, वह प्लेन वापस जा रहा था दिल्ली और बहुत काम है दिल्ली में, तो मुझे भी लगा कि शायद मुझे भी वापस ही चले जाना चाहिए| तो मैं समझता हूँ कि यह दोनों चीज़ें – इसमें कोई अंतर्विरोध नहीं है| हमें अपना काम करना है, …… हर एक की अपनी-अपनी सोच भी होती है|

अब apprentices भी कुछ बातें कर रहे थे| ताली मारने की ज़रूरत नहीं है आप ज़रा समझिए इस बात को| कोर्ट का फैसला है कि रेलवे में बहाली होगी तो एकदम पारदर्शी तरीके सेसभी को सामान्य अवसर मिलेगा, उसके हिसाब से बहाली होगी, आप किसी एक वर्ग को अलग से बहाली नहीं कर सकते| यह बात मैं शिव गोपाल जी आपको और आपके सभी पदाधिकारियों को और बाकी देश भर में भी समझा चुका हूँ|

आप क्यों हमारे apprentices को गलत रास्ते पर लेकर जाते हैं, गलत शिक्षा देकर| Apprentice जब किसी को लिया जाता है, यह स्पष्ट निर्धारित किया हुआ है एक कानून में और कहकर लिया जाता है कि इससे कोई नौकरी आपकी बन गयी, ऐसा कुछ पक्का नहीं है| इसकी तकलीफ देखिए क्या होगी| दस-दस साल किसी ने काम किया उसको भी नौकरी से बाहर करना पड़ा, रेलवे को क्योंकि उनको बिना कोई प्रोसेस के, बिना कोई सबको equal opportunity दिए हुए रेलवे ने अंदर जॉब दे दी थी| उन सबको घर जाना पड़ा कि नहीं शिव गोपाल जी? जाना पड़ा ना| क्यूंकि आप किसी को भी अलग से ऐसे नहीं दे सकते, नौकरी|

लेकिन फिर भी इज़्ज़त करते हुए कि इन्होंने काम किया है रेलवे में, कुछ सीखा है| हमने जब सवा लाख लोगों को देश में नयी नौकरियाँ देने का फैसला किया है, सवा लाख – एक लाख तीस हज़ार नयी नौकरी| उसमें हमने एक carve out किया कि कुछ परसेंटेज हमारे apprentice भाई-बहनों के लिए रिज़र्व रखेंगे जिससे उनकी संभावना नौकरी मिलने की बहुत बड़े पैमाने पर बढ़ जाती है|

लेकिन बिना प्रॉसेस के नहीं दिया जा सकता है| अच्छा, और apprentice किसी ने काम किया कोई गारंटी नहीं है कि उसने सीखा है| हो सकता है उसने apprentice के समय में भी काम में कन्नी काटी हो, काम मेहनत से नहीं किया हो, हो सकता है| तो एक टेस्ट करेंगे, टेस्ट में जो अच्छे apprentice हैं उनको ज़्यादा संभावना है कि नौकरी मिलेगी| लेकिन अगर सबको हम direct recruit कर लेते तो सब के सबको घर बैठना पड़ता, कोर्ट में अगर एक भी केस हो जाता| तो हमने उनका भला चाहा है बजाये कि उनका नुक्सान कि उनके लिए एक separate quota रखकर उनको आगे के लिए अच्छा अवसर मिले और अगर quota में नहीं आते हैं तो बाकी के साथ तो फिर भी उनका एक संभावना है| लेकिन प्रैक्टिकल तरीके से आगे बढ़ना पड़ेगा| अगर हम बेबुनियाद विवादों में फंसने की कोशिश करेंगे तो उसमें ना यूनियन को लाभ है, ना रेलवे को लाभ है, ना देश को लाभ है|

अच्छा इसका दूसरा पक्ष सोचिए – आज मैं एक लाख लोगों को apprentice रख सकता हूँ रेलवे में, एक लाख युवा-युवतियों को| लेकिन इस प्रकार का अगर व्यवहार चला तो मेरे अधिकारी कहते हैं कि भाई हमको और apprentice रखना ही नहीं है| तो क्या यह देशहित में होगा कि हमारे युवा नौजवान भाईयों-बहनों को रेलवे में जहाँ ट्रेनिंग मिल सकती है उस ट्रेनिंग से वंचित रखा जाए| क्या यह देशहित में होगा कि मैं एक दबाव में आकर सबको नौकरी दे दूँ और दो महीने-चार महीने बाद सबको घर भेजना पड़े| उसके बाद एक को भी नौकरी ना मिले|

मैं मानता हूँ कि यह अच्छा रहेगा और यहाँ पर बड़े-बड़े वरिष्ठ नेता ट्रेड यूनियन मूवमेंट के बैठे हैं| अभी-अभी बात हो रही थी बाजपेयी जी की, बाजपेयी जी ने देश की सेवा की, बहुत ही वरिष्ठ और विख्यात ट्रेड यूनियन लीडर थे, माननीय प्रधानमँत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी उनका बहुत सम्मान करते थे, आदर करते थे| उलटे मेरे लिए तो बहुत हर्ष की बात है कि मुझे स्वयं को वाजपेयी जी की गोद में खेलने का मौका मिला जो आपके स्टेशन मास्टर एसोसिएशन के बारह वर्ष तक अध्यक्ष रहे – बारह वर्ष तक आपके अध्यक्ष रहे स्टेशन मास्टर एसोसिएशन के| और मुझे सानिध्य मिला उनका एकदम बचपन से सीखने का लेकिन अटल जी भी कभी यह नहीं सिखाते थे कि किसी को बहकावे में रखो, किसी को गलत रास्ता दिखाओ, मार्ग दिखाओ|

अटल जी भी दो टूक बात करते थे, अटल जी भी जो सच्चाई है वह सामने रखते थे| और मैं समझता हूँ कि आप सबके परिवार का एक सदस्य होने के नाते यह मेरी ज़िम्मेदारी है कि मैं आपके साथ भी छल ना करूँ|

अभी-अभी शिव गोपाल जी ने LARSGESS का बताया, मेरे पास फाइल आई हुई थी,  इनको पता है अच्छे तरीके से और शिव कुमार जी मेरे को बहुत परेशान करते हैं| वास्तव में मैं आपके सामने आज इसलिए आया हूँ इनकी complaint करने के लिए, कुछ ज्यादा ही परेशान करते हैं| लेकिन आपके दुःख-दर्द, आपकी एक-एक समस्या की मुझे 24 घँटे शिव गोपाल जी, पाठक जी आप सभी के माध्यम से जो जानकारियाँ मिलती हैं उससे मैं अपने काम का निर्वाहन ठीक से कर पाता हूँ| और मैं आपको धन्यवाद करता हूँ शिव कुमार जी कि आप समय-समय पर मिलते हो, बातें बताते हो, जमीनी हकीकत मुझे मालूम पड़ती है तो मैं भी अपना काम ठीक से कर सकता हूँ|

LARSGESS की फाइल आयी उसपर स्पष्ट लिखा हुआ था कि कोर्ट का आदेश है LARSGESS scheme को तुरंत बंद किया जाए| यह था कि नहीं शिव गोपाल जी?फाइल में नोटिंग है, आप RTI में मंगवाकर सबको circulate कर दो| और उसपर मेरा आदेश भी circulate कर दो, क्या है| ऐसा नहीं है कि हमारे दिल में आपकी चिंता नहीं है| मैंने तो सभी अधिकारियों को – यहाँ टी पी सिंह जी बैठे हैं, बाकी अधिकारी बैठे हैं| आदेश दिए हैं मुझे रेलवे का या यात्रियों का एक भी व्यक्ति की क्षति नहीं होनी चाहिए,मुझे एक भी दुर्घटना नहीं चाहिए रेलवे में|

कोई ट्रैकमैन काम नहीं करेगा जब तक ट्रैफिक ब्लॉक नहीं होगा| अभी शिव गोपाल जी ने बताया मेरा पहला निर्णय यह था जितनी नयी रेल आएगी पहले ट्रैक रिपेयर में जाएगी, कोई नयी लाइन न लगे, चलेगा| लेकिन पहले ट्रैक को रिपेयर करो, दुर्घटनाएँ कम करो| और मैं आप सबका धन्यवाद करना चाहता हूँ कि पिछले वर्ष भारत के रेल के इतिहास में सबसे कम दुर्घटनाएँ हुई| लगभग 60 प्रतिशत दुर्घटनाएँ कम हुई पिछले वर्ष| 118 थी 2013-14 में शायद, घटकर 73 रह गयी हैं|

और मुझे याद है दिवाली के दिन मुझे ध्यान आया कि भाई आज भी हज़ारों गाड़ियाँ, मालगाड़ियाँ सुबह से शाम चल रही हैं तो मेरे भाई-बहन – ट्रैकमैन, लाइनमैन, रनिंग स्टाफ, लोको पायलट, स्टेशन मास्टर, कूली – सभी आज त्योहार के दिन भी पूरी रेल सेवाएँ पूरी तरीके से चला रहे हैं तो मैंने ट्वीट किया सबका धन्यवाद करने के लिए| और देश को बताने के लिए कि यह हैं रेलवे के हमारे कर्मचारी – मूसलाधार बारिश हो, फॉग हो, ठंडी हो, 44-45 डिग्री गर्मी हो, आँधी-तूफ़ान हो लेकिन हमारी रेलगाड़ियाँ चलती हैं, आप सबकी बदौलत, आप सबकी कड़ी मेहनत की बदौलत|

अटल जी ने भी तो यही कहा था कदम मिलाकर चलना होगा| आपके और मेरे बीच में कोई अंतर्विरोध नहीं है| मुझे आपके साथ ही कदम मिलाकर चलना है और आपकी दुःख-सुख, आपकी चिंताएँ मेरी चिंताएँ हैं| अभी-अभी आप NPS की भी बात कर रहे थे| हम नहीं चाहते कि कोई stock market में पैसा डाले| यह तो मुझे विरासत में मिला है, कोई मैंने नहीं बनाई है| यह NPS की स्कीम मेरी बनायी हुई नहीं है| लेकिन इसके हिसाब से seventh pay commission ने कुछ निर्धारित किया, sixth pay commission फिर seventh pay commission,दोनों के निर्णय लागू कर दिए गए हैं| कुछ एक-आध विषय पर कुछ वह हो तो चल रहा है उसकी भी कमेटी बैठी है|

लेकिन जब पूरी परिप्रेक्ष्य में कुछ निर्णय होता है तो उस पूरे परिप्रेक्ष्य में हम यह नहीं कह सकते कि यह तो आने दो, आने दो, आने दो पर एक विषय पकड़कर हम बैठे रहेंगे| पूरी परिप्रेक्ष्य में होता है निर्णय| और आखिर रेलवे को भी अपनी कमाई करनी पड़ेगी, प्रॉफिट में आना पड़ेगा| जनता के टैक्स के पैसे के ऊपर सिर्फ हम रेलवे नहीं चला पाएँगे, उसको दुरुस्त नहीं बना पाएँगे, उसको आधुनिक नहीं बना पाएँगे, उसको सेफ और सुरक्षित नहीं बना पाएँगे|

हमें इसमेंसे कमाकर रेलवे को मज़बूत करना है| और जहाँ तक आपके पेंशन की बात है, contributory pension,मैंने पहले भी बताया और मैं, टी पी सिंह साहब पूरे हमारे 13 लाख कर्मचारियों को तुरंत यह सूचनाएँ दी जाएँ, तुरंत सबको अवगत कराया जाए कि कोई स्टॉक मार्किट में डालने का अनिवार्य नहीं है|

वह लिख सकते हैं कि हमारा शत प्रतिशत पैसा सरकारी बॉन्ड में, सरकारी ख़ज़ाने में रखा जाए, सुरक्षित रहेगा, उसमें सुरक्षित कमाई होगी जिससे हमारा पेंशन सुरक्षित रहेगा| कोई किसी ने आपको नहीं कहा है कि स्टौक मार्किट में पैसा डालो, कोई ज़बरदस्ती नहीं है| और यह मुहिम चलाई जाए यूनियन द्वरा भी कि सब लिखित दें| आखिर हम सब समझदार लोग हैं, पढ़े-लिखे लोग हैं, हम तय कर सकते हैं हमें शत-प्रतिशत सरकारी बॉन्ड में डालना है, उसमें डालें| हो सकता है किसी की इच्छा हो कि वह कुछ प्रतिशत स्टॉक मार्किट में डालना चाहे उसको स्वायत्तता है कुछ निर्धारित सीमा के लिए| पर कोई ज़बरदस्ती नहीं है|

तो मेरा मानना है कि हमने हर एक विषय को ज़रा comprehensively, पूरे परिप्रेक्ष्य में, 360 डिग्री सोचना चाहिए और उसके हिसाब से अपनी बातचीत या अपना मन बनाना चाहिए| एक ख़ुशी से काम करने का वातावरण जो इस रेलवे में मैंने देखा है, मैं पहले भी आपके कई कार्यक्रमों में अलग-अलग जगह गया हूँ, आपके दफतर भी आया हूँ, बहुत अच्छा स्वागत हुआ था, बहुत आनंद आया था आपके दफतर जब मैं आया था|

और मैं समझता हूँ यही आपस में मिल जुलकर जब हम इस रेलवे को एक राष्ट्रीय सेवा का माध्यम बनाएँगे, एक राष्ट्र के निर्माण का माध्यम बनाएँगे|आखिर 160 वर्ष की परंपरा लेकर भारतीय रेल देश की सेवा कर रही है, दो करोड़ से अधिक लोग रोज़ रेल में सफर करते हैं| हर रोज़ लगभग 30 लाख-40 लाख टन माल ढोया जाता है रेलवे में| सालाना 110-120 करोड़ टन माल ढोया जाता है रेलवे में| और मुझे पूरा विश्वास है जो कामगारों की जय जयकार में कहा गया है –‘श्रमेव जयते’| वास्तव में श्रम की हमेशा विजय होगी लेकिन श्रम करते हुए भी हमें अपनी ज़िम्मेदारियों के एहसास को रखना पड़ेगा सामने, काम करने के ढंग को अच्छा रखना पड़ेगा|

आखिर हमें अगर एक्सीडेंट फ्री रेलवे बनाना है जिसमें एक भी रेल कर्मचारी को दुर्घटना न हो, किसी को किसी प्रकार का नुकसान न हो, वह किया जा सकता है, हमको मिलकर सोचना पड़ेगा, उसके बारे में कुछ नियम, कायदे, कानून निर्धारित करने पड़ेंगे| हमको सोचना पड़ेगा काम को और कैसे अच्छे तरीके से कर सकते हैं| आधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कैसे हमको आगे चलकर काम अच्छा करने के लिए सुविधाजनक बन सकता है|

आखिर हम सब एक ही लक्ष्य के लिए काम कर रहे हैं कि हर यात्री की सेवा भी अच्छी हो, हमारे परिवारों की भी देख-रेख अच्छी हो, हमारा जीवन भी आगे चलकर अच्छा बने, हमारे बच्चों को अच्छे पढ़-लिखने का मौका मिले, अच्छे नागरिक बनने का मौका मिले| और हम एक ऐसा रेलवे छोड़कर जाएँ कि कोई इतिहास में आगे कभी कोई पीछे देखकर यह न बोल सके हमारे कार्यकाल के लिए जिसमें आपने काम किया, जिसमें मैंने काम किया, जिसमें माननीय शिव गोपाल जी ने काम किया, जिसमें माननीय टी पी सिंह साहब ने काम किया, कभी कोई पीछे देखके यह न बोल पाए कि हमने तो मौका दिया था इन सबको पर इन्होंने मौके का फायदा नहीं उठाया, इन्होंने जो कर सकते थे वह करने में कुछ कमी छोड़ दी|

और मुझे पूरा विश्वास है कि जिस उत्साह से, जिस उमंग से, जिस लगन से आप सब अपने कर्तव्य का निर्वाहन करते हैं उससे हम भारतीय रेल को विश्व का सबसे अच्छा रेल बनाने में सफल होंगे और विश्व भर में लोग भारतीय रेल के मिसाल को लेकर आगे अपनी अपनी रेलगाड़ियों की, अपनी-अपनी रेल सुविधाओं को तय करेंगे|

आखिर जब हम शत-प्रतिशत विद्युतीकरण करने जा रहे हैं रेलवे कीइसमें आप सबका भी लाभ है| खर्चा तो बचेगा सो बचेगा, प्रदूषण भी कम होगा, हमारे बच्चों को प्रदूषण से हम बचाएँगे, अगली पीढ़ी हमारा धन्यवाद करेगी| जब हम boundary wall लगाने जाते हैं ट्रैक पर, तो दुर्घटना से बचाने के लिए लगाते हैं, जब हम ट्रैक मेंटेनेंस के लिए या overhaul के लिए या जब हम LHP coaches को बढ़ाने का काम बनाते हैं| यह सब चीज़ें भी आगे चलकर रेल यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए कर रहे हैं| और मुझे पूरा विश्वास है कि यह जो इतना परिश्रम, इतना काम आप सब दिन-रात करते हैं यह जनता भी देख रही है और इससे जनता भी अपना समाधान आप सब तक पहुँचाती है|

आखिर जब कल रात को मैं अपना twitter देख रहा था| एक व्यक्ति श्री गिरीश झा रात को ट्वीट करते हैं कि मैंने दस बजे मेरी समस्या की जानकारी, रात को दस बजे रेल अधिकारियों को दी और मैंने request किया कि मेरे मित्र ट्रेन में हैं उसको मदद की ज़रूरत है| एक घंटे के अंदर कोई न कोई हमारे रेलवे का भाई या बहन पहुँचकर उसकी मदद के लिए तत्पर थे|

यह हम सबके लिए गर्व की बात है| और यह प्रेरणा अंदर से आती है, यह प्रेरणा कोई बाहर वाला आकर नहीं देता है| यह आप सब में जो देश भक्ति की भावना है यह उसमें से काम होता है| यह बाहर वाला आकर हमसे नहीं करवा सकता| और जो यह हमारे प्रयत्नों से बदलाव आने जा रहा है, जो यह बदलाव देश और दुनिया देख रही है, जो इस बदलाव की अपेक्षा में है दुनिया|

मुझे पूरा विश्वास है यह बदलाव हम सब मिलकर जिस भावना से हम पूजा करते हैं, किसी भी धर्म के हों हम| जिस भावना और आदर सम्मान के साथ हम बड़ों का इज़्ज़त करते हैं, उसी भावना के साथ हमारा काम भी देश और दुनिया देख रही है| जनता का समर्थन हमारे साथ है और मैंने तो पहले दिन से, कैसे हमारे कर्मचारियों की सुविधाओं में सुधार किया जाए उसको बल दिया है| शिव गोपाल जी जानते हैं हमारे सभी अस्पतालों को अपग्रेड करने के लिए मीटिंग मैंने शायद मेरे मंत्री बनने के चौथे या पाँचवे दिन रखी थी| उसकी सख्त योजना बन गयी है| सभी अस्पतालों को अपग्रेड करके हमारे retired employees और हमारे serving employees को कैसे सुविधाएँ और अच्छी मिलें, कैसे आगे चलकर हर साल हमारा हेल्थ चेकअप हो जिससे अगर कोई बीमारी या कुछ हो तो पहले से ध्यान में आए, उसको हम बचा सकें|

Delegation of powers में बहुत नीचे ही डिवीज़न लेवल पर, ज़ोन लेवल पर powers दे दिए गए हैं कि किसी को कोई तकलीफ ना हो| कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए बहुत सारे कदम उठाए गए हैं| सफाई में जो हमने काम किया है, पूरी दुनिया में उसकी सराहना हो रही है कि आज रेल स्टेशन पर जाओ,  ट्रैक्स देखो रेलगड़ियाँ देखो – सफाई अच्छी हुई है| केटरिंग पर बल दिया जा रहा है, punctuality पर बल दिया जा रहा है| और यह सब तभी संभव है जब आप और हम के बीच का जो दरार है यह ख़तम हो| और मैं के बदले हम सब यह ज़िम्मेदारी, यह ज़िम्मेदारी सामूहिक भी है, व्यक्तिगत भी है|

जब तक एक-एक व्यक्ति इस ज़िम्मेदारी को अपनाता नहीं है तब तक यह सामूहिक ज़िम्मेदारी नहीं बन पाएगी| और जब तक यह सामूहिक ज़िम्मेदारी नहीं बनेगी तब तक हम कभी लक्ष्य नहीं प्राप्त कर पाएँगे|

जैसे हम ट्रेड यूनियन के काम में एक …..there is a  strength in numbers…. हम सब मिलकर जैसे उस काम को ज़िम्मेदारी से निभाते हैं| वैसे ही हम रेलवे के काम को भी – यह हमारी माता है, यह हमारी घर चलाती है, यह रेलवे हमारी एक प्रकार से सौरक्षण करती है| और इस रेलवे के प्रति हम अपनी ज़िम्मेदारियाँ अच्छी तरह से निभाएँ| यह व्यक्तिगत तथा सामूहिक रूप से जब हम सब इस संकलप को भी अपने अंदर ले लेंगे तो मैं समझता हूँ दुनिया की कोई ताकत आपको भी अपने demands बोलो, आपकी अपेक्षाएँ बोलो उससे वंचित नहीं रख पाएगी| और जनता और देश को भी रेल की सुविधाओं के बारे में एक अच्छा संदेश देगी|

आईये हम सब मिलकर अपने-अपने ज़िम्मेदारियों को, अपने अपने काम को और अच्छे तरीके से निभाएँ, और अच्छे तरीके से करें| इस संकल्प के साथ इस दिवाली में हम आगे बड़े| मिलकर काम करें, मिलकर समस्याओं का समाधान करें और आगे चलकर इस रेलवे को विश्व की सबसे अच्छी रेलवे बनाने का, एक नयी भारतीय रेल बनाने का संकल्प लेकर हम इस आज के 70वें वर्षगांठ की celebrations को आगे बढ़ाएँ|

आप सबको बहुत-बहुत बधाई| दीपावली की आपको और आपके परिवारों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं| और चलिए मिलकर इस रेलवे के लिए हम सब अपने-अपने व्यक्तिगत और सामूहिक संकल्पों को फिर एक बार पुनर्जीवित करते हुए रेलवे के लिए अपने काम में जुटें|

रेलवे आपकी चिंता करेगा, आप देश और जनता की और …….. की चिंता करें|

 

बहुत बहुत धन्यवाद|

Subscribe to Newsletter

Podcasts