Speeches

July 13, 2017

Speaking at GST Meet programme in New Delhi

जिम्मेदारियों का भी अहसास रखा है और उनकी तकलीफों का भी समाधान हो उसका भी पूरी तरीके से, जुझारू रूप से काम किया है उसका मैं सबसे पहले धन्यवाद भी दूंगा, अभिनंदन भी करूँगा और बधाई दूंगा आपको सबको कि इतनी सकारात्मक सोच रही है आप सभी की| और व्यापारी वर्ग इस देश का वास्तव में प्रगति चाहता है, विकास चाहता है, एक अच्छा जीवन चाहता है जिसमें शान से अपना व्यापार करे, शान से, पूर्ण रूप से एक अच्छा पारिवारिक जीवन बिताये| और उसमें कॉनफेड़रेशन की जो भूमिका रही है जो मैंने इसके पहले अगर देखें तो demonetization के टाइम देखी, मैंने डिजिटल प्रयोग को बढ़ाने के समय देखी| उसके पहले जैसा मान्य प्रवीण जी ने कहा डायरेक्ट टैक्स कोड में जब परिवर्तन हो रहा था उस समय देखी|

मुझे लगता है लगातार इस प्रकार की हमारी इंटरेक्शन रहती है, पहले भी रही है, और बढ़नी भी चाहिए| आखिर सरकार में बैठे हुए चाहे राजनीतिज्ञ हों, चाहे अधिकारी हों उनको रोज़मर्रा की व्यापारी की तकलीफों से जब तक हम बार-बार अवगत नहीं कराते रहें तब तक वहां बैठे हुए दिन-रात फाइलों में उलझना, मीटिंगों में उलझना, रिपोर्टिंग में उलझना, दौरों में उलझने में कई बार छोटी-छोटी चीज़ें रह जाती हैं| तो इस प्रकार का हमारा इंटरेक्शन पहले भी रहा है, लगातार आगे भी चलता रहेगा, इसकी उम्मीद में, और आप सभी को आज आने के लिए धन्यवाद करके मैं अपनी बात शुरू करूँगा|

वास्तव में यह इंटरैक्टिव सेशन होना था, हम एक-दूसरे से चर्चा करने वाले थे| और मैं कई बार प्रवीण जी को पहले से ही warn करता हूँ कि भाई मेरे को माइक मत देना, अभी इतनी भाषण देने की आदत पड़ गयी है कि माइक हाथ में आता है तो छोड़ना मुश्किल हो जाता है| ज्यादा समय मैं बोलूँगा, सुनने का समय कम रह जायेगा| तो अगर मैं ज्यादा लम्बा बोलूँ तो स्पीकर साहिबा की तरह ज़रा मुझे रोकना|

पर वास्तव में सबसे पहले तो बधाई दूंगा कि 1 जुलाई को, और मुझे लगता है हम में से अधिकांश लोगों को लगा होगा यह टल के जाएगी डेट, सबको उम्मीद थी कि यह टल जाएगी, थोड़ा हल्ला- गुल्ला  करेंगे, टल जाएगी| लेकिन अब इतना हो गया है कि demonetization हो गया, अलग-अलग प्रकार के प्रयोग हो गए कि अब मुझे लगता है अगली बार प्रधानमंत्री जी कोई डेट देंगे तो सब विश्वास करेंगे| पर वास्तव में कोई इसका न तो कोई सही समय है, न कोई गलत समय, जिस समय भी यह आता, स्वाभाविक है इतना बड़ा मूलतः परिवर्तन हो रहा है, इतना बड़ा बदलाव जो विश्व में कभी नहीं हुआ उसमें कुछ न कुछ दिक्कतें तो आएँगी, कुछ न कुछ कठिनाइयाँ आएँगी, यह बहुत ही लॉजिकल और रिज़नेबल है एक्स्पेक्ट करना कि कुछ न कुछ कठिनाइयाँ आएँगी| और देश और दुनिया ने देखा कि demonetization के टाइम तो इससे दस गुना ज्यादा, 25 गुना ज्यादा तकलीफ आई, तब भी इस देश में सब्र करने की भी ताकत है, ईमानदारी को उत्साह देने की भी ताकत है और जब कोई ईमानदार व्यवस्था के प्रति कोई कदम उठते हैं तो यह देश एकजुट होकर उसका समर्थन करता है, उसमें रास्ते निकालता है और उसको आशीर्वाद भी देता है|

इसका मैं समझता हूँ विमुद्रीकरण पूरे विश्व में सबसे बड़ा उदाहरण है, जब लाइन में भी खड़े हुए अगर कोई पत्रकार यह माइक लेकर मुंह में डाले कि कुछ प्रतिक्रिया सुनाओ, कुछ गाली-गलोच करो सरकार के प्रति तो भी लोगों ने कहा नहीं हम कठिनाई झेल लेंगे पर मोदी जी के साथ हैं| आप याद करो वह दृश्य, उस समय तो बहुत होता था कि पत्रकार जाते थे सब जगह| मुझे याद है उत्तर प्रदेश चुनाव चल रहा था, हमारी यात्राएं निकलीं हुई थी, हमें लगता था यात्रा जहाँ-जहाँ गुज़रेगी, कहीं धरने-धुरने, प्रदर्शन न हो जाये| बैंक्स के बीचम-बीच गुज़रती थी यात्रा तो भी क्यू में जो खड़े रहते थे वह समर्थन करते थे, तालियाँ बजाते थे और एक प्रकार से जो यात्रा के समय हम चाहते हैं कि लोग बड़े रूप में आयें तो क्यू के लोग भी हमें मदद करते थे कि लोग जुड़ जाते थे वहां पर और यात्रा को और सफल बनाते थे|

यह पूरी दुनिया ने आश्चर्य किया इस बात पर, उसी समय आपको याद है एक और देश ने शायद वेनेज़ुएला ने यह कोशिश की, 3 दिन में वापिस होना पड़ा| लेकिन आप सबका समर्थन था, आप सबने झेला और उसको सफल बनाया और विमुद्रीकरण कोई सिर्फ एक मात्र एक पांव पर खड़े होने वाला ही शस्त्र था| जब तक 25 चीज़ें नहीं होंगी इस देश में सुधार की और यह क्रमशः काम चलते जा रहे हैं| जबसे मोदी जी आये हैं उन्होंने एक के बाद एक कदम ऐसे उठाये और मैं ईमानदारी से बोल रहा हूँ यह ultimately, इसका सबसे बड़ा लाभ होगा तो हम सब व्यापारियों को होगा, हम मुक्त होंगे परेशानियों से|

आप सोचिये, अधिकांश व्यापारी, कोई इस प्रकार के गलत काम करने में कोई खुश नहीं है| और मेरा तो अनुभव है जहाँ-जहाँ में जाता हूँ जो युवा पीढ़ी है, आप अपने लड़के बच्चों और बच्चियों को पूछ लो वह तो ज़रा भी नहीं चाहती है हमारी तरह एक कच्चा एक पक्का, दुनिया भर के अड़ंगे, टैक्स कंसलटेंट, सीए के पास जाओ, नोटिस आ रहे हैं तो अपनी किताबें ठीक करो, जोड़ो, भाई वह एंट्री ढूंढो उधर की किधर थी, उसको हमने क्या दिखाया, इसका क्या रीज़न दे सकते हैं, उसका कोई रफू-दफू करने का क्या कीमत होगी| यह सब चीज़ों से अब यह नयी पीढ़ी नहीं जुड़ना चाहती, हम में से भी कई लोगों को तो यह शायद हालात के हम मारे थे|

मेरे खुद के तो जैसा प्रवीण जी ने कहा सही कहा, जितने विभाग से आप लोग जूझ रहे हो उन सबसे मेरा पाला पड़ा है, मतलब मैं 17 वर्ष का था जब मैंने उद्यमी के नाते एक नयी फैक्ट्री लगाने की चेष्टा की थी, स्माल स्केल इंडस्ट्री| कॉलेज जाता था और साथ में फैक्ट्री लगाता था, डोंबिवली में, बहुत दूर था वह, मुंबई के भी बाहर है| सबसे पहले तो 100 चक्कर काटे थे MIDC के ऑफिस के, सिर्फ 2930 sq mt के plot allot कराने के लिए, 100 चक्कर! मुझे उस दफ्तर का एक-एक कोना कोना मालूम है MIDC चकाला अँधेरी में जो दफ्तर है| जितना आपने सेल्स टैक्स, वैट को झेला है, आप में से कई लोगों ने तो शायद एक्साइज और सर्विस टैक्स को नहीं पाला पड़ा है, मेरा तो उनसे भी बहुत घनिष्ट पाला पड़ा है | सीए की पढाई करते हुए इनकम टैक्स से पाला पड़ा उसके बाद इनकम टैक्स प्रैक्टिस नहीं की सीए के नाते तो कभी नहीं मिला मौका जाने का| और भगवान न करे जाना पड़े|

लेकिन परिस्थितियां थी उसके हिसाब से काम होता था, और यह कोई एक विशेष कर के विभाग की बात नहीं है, पूरे देश में एक परिस्थिति ऐसी बन गयी थी, कोई राजनीतिज्ञों ने कम नहीं तंग किया आप लोगों को, पॉलिटिशियन से भी आप लोग दुखी रहते थे – चंदा मांगने आना, तंग करना, चुनाव तो यहाँ पर इस देश में हर 6 महीने में चुनाव होते हैं| हम उससे भी परेशान रहे, उसमें भी मतलब ऐसा नहीं सोचिये कि मैं सिर्फ अधिकारी को बोल रहा हूँ, राजनीतिज्ञों ने भी बहुत तंग किया है इस देश में| और व्यापारी में भी अलग-अलग प्रकार के वर्ग हैं थोड़ा एक छोटा वर्ग हो सकता है, और बहुत छोटा वर्ग है जिसको शायद कर देने में तकलीफ होती है|

और मुझे एकाद जगह तो लोगों ने पूछा एक व्यापारी मित्र ने, मुझे याद नहीं है कहाँ की बात है वो, शायद विशाखापट्टनम या किधर की बात है, यह पूछा कि हम टैक्स क्यूँ दें, हमारे लिए क्या, हम क्यों टैक्स दें? और वास्तव में उसका जवाब बहुत ही सरल और साधारण है| मैं समझता हूँ आप में से कई भाई-बहनों ने ‘गिव इट अप’, प्रधानमंत्री जी ने एक ही आवाहन किया था गिव इट अप का| मैं समझता हूँ इस रूम में जितने लोग बैठे हैं, अधिकांश लोगों ने अपनी एलपीजी की सब्सिडी छोड़ी थी, क्यों छोड़ी थी? क्योंकि हमें लग रहा था कि भाई हम एक प्रकार से, बाकी समाज से हमारा स्तर बढ़ गया है, हम आज, एलपीजी सब्सिडी के बगैर भी हमारे जीवन में कोई फरक नहीं पड़ेगा| लेकिन उस आपकी छोड़ी हुई एलपीजी सब्सिडी से आप सोचिये किसी गरीब महिला के घर में क्या उज्ज्वला आई है, कैसे उसको मुफ्त में एलपीजी कनेक्शन मिलने से, आगे चल के सस्ती एलपीजी उस परिवार को मिलती रहने से कैसे वह 400 सिगरेट के धुंए से मुक्त हुई है हमारी माँ या बहन जो गरीब परिवार में है, जो गाँव में या झोपड़पट्टी में रहती है| क्या आज आपको समाधान, एक ख़ुशी नहीं होती है कि मेरे एक छोटे पहल से, मैंने एक छोटी त्याग दी उससे कैसे एक गरीब के घर में एक बेहतर जीवन आया|

तो मैं समझता हूँ टैक्स देते वक्त या टैक्स न देते वक्त हमें सिर्फ एक मिनट के लिए पॉज करने की आवश्यकता है सोचने के लिए कि शायद जो मैं टैक्स मुझे भरना चाहिए नहीं भरता तो उससे किसी गरीब महिला को अच्छी स्वास्थ्य सेवा नहीं मिल रही होगी, शायद किसी गरीब विद्यार्थी को अच्छी शिक्षा मिलने में मैं बाधा बन रहा हूँ, शायद मेरे न pay करने से टैक्स कोई एक गरीब घर में दो वक्त की रोटी नहीं पूरी हो पा रही है| बस उतना ही अगर हमें ध्यान में आ जाये तो हमारे हाथ से कभी गलत काम होगा ही नहीं, हम कभी गलत काम कर ही नहीं पाएंगे|

और एक बार हम सब प्रण ले लें. और गलत काम करने के भी कई कारण होते हैं, मैंने कहा कि कई बार हम ही लोग तंग करते हैं आपको तो आपको गलत काम करना पड़ता है क्योंकि और कैसे करें? कई बार कम्पटीशन में एक व्यापारी, दो व्यापारी गलत काम करते हैं, बाकी 60-70 व्यापारी क्या करें, खड़े नहीं हो पाते कम्पटीशन में| एक-दो के गलत काम से पूरा व्यापार बिगड़ जाता है क्योंकि आखिर कम्पटीशन में अगर उनका माल सस्ता होगा टैक्स नहीं भरने से तो हम सबको नुकसान होगा ना, हमारा व्यापार कम होगा, उनका व्यापार बढेगा| फिर हमारे पास दो ही पर्याय रहेंगे, या तो उनकी तरह हम भी टैक्स की चोरी करें या व्यापार बंद कर दें और साधारणतः अक्लमंद लोग व्यापार बंद नहीं करते हैं|

तो यह बदलाव जो लाने की कोशिश हो रही है और यह बदलाव कोई मोदी जी अकेले नहीं ला रहे हैं या जेटली साहब ने अकेले पूरा जीएसटी नहीं किया है, यह सांझी विरासत है इस देश की| देश के हर राजनीतिक दल ने इसमें समर्थन दिया है, constitutional amendment bill इसका जो था यह सभी पार्टी ने सर्वसम्मति से पास किया है, ऐतिहासिक काम है सब पार्टियों को एक पन्ने पर लाना| जितने निर्णय 17 जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में हुए सब unanimous हुए, सर्वसम्मति से हुए|

इस कमरे में बैठे हुए, हम तो 200 लोग ही हैं, मैं चैलेंज करता हूँ हम एक भी निर्णय सर्वसम्मति से यहाँ ले लें, और यहाँ तो प्रतिनिधि थे देश भर के, सबको सर्वसम्मति में लाना और उन सबको चुन के आप लोगों ने ही भेजा है अलग-अलग राज्यों ने| फिर वह चाहे दिल्ली की आम आदमी पार्टी हो, कांग्रेस की 6 सरकारें हो, जम्मू कश्मीर हो, बंगाल हो, टीएमसी के नेता तो सबसे आगे बढ़ बढ़के पार्लियामेंट में हल्ला करते थे जीएसटी जल्दी लाओ, जीएसटी बिल कब आ रहा है| दक्षिण की पार्टियाँ हों – एआईएडएमके, कम्युनिस्ट पार्टी जिनकी दो राज्य सरकारें हैं| तो इतनी आम सहमति बना के यह आज इस देश की विरासत है, यह मोदी जी या अरुण जी ने अकेले नहीं किया है| और हम तो चाहते थे कि इसका पूरा श्रेय सब मिलकर ले और सब मिलकर आप लोगों को मदद करे कि व्यापार smoothly ट्रांजीशन हो| और मैं मानता हूँ हम में से किसी को उम्मीद नहीं था  इतना smooth ट्रांजीशन होगा जितना आज हुआ है| मैं आपको सबको बधाई देता हूँ इस ट्रांजीशन के लिए!

आप लोगों के सहयोग, आप लोगों के अथक  प्रयत्न, आप लोगों की ज़िम्मेदारी महसूस करने की जो क्षमता है मैं उसकी दात देता हूँ| यह सफल नहीं हो सकता था जब तक. और देश के करोड़ों व्यापारियों ने, लाखों करोड़ों उद्योग चलाने वाले लोगों ने सबने इसमें पूरी सहमति दी, सब लोग इसमें मिलकर इसको अपनाया, दिक्कतों में से मार्ग निकालने के लिए सब प्रयत्न कर रहे हैं| और जैसा प्रवीण जी ने ठीक कहा, यह बात कर करके और कुछ चीज़ें आएँगी सामने जो सुधार के माध्यम में हमें मदद करेंगी| पर सुधार कोई जेटली जी अकेले नहीं कर सकते, मैं कुछ सुधार का आश्वासन नहीं दे सकता, मोदी जी भी नहीं कर सकते| क्योंकि जब यह सांझी विरासत है तो हम सबने अपने अपने अधिकार जीएसटी काउंसिल में सम्मिलित कर दिए हैं तो जो सुधार के आपके सुझाव आयेंगे और आज भी कुछ सुझाव ज़रूर आयेंगे वह हमें जीएसटी काउंसिल के समक्ष रखना पड़ेगा| अगर कुछ ऐसा सुझाव आता है जो केंद्र सरकार कर सकती है तो मैं जेटली जी के समक्ष रख सकता हूँ|

लेकिन मुझे यह ख़ुशी है कि आप सबने दिल से अपनाया, जब दिल से आपने अपनाया तो हम भी दिल से आपकी बात सुन सकते हैं| उसमें से मार्ग निकाल सकते हैं, गाली-गलोच करके, झगडे करके वगैरा हम अगर करते तो ऐसी परिस्थिति में तो वार्तालाप भी सकारात्मक हो ही नहीं सकता है, फिर सोच एकदम अलग दिशा में चली जाती है, confrontationalist हो जाती है| लेकिन चूँकि पूरे देश ने इतनी अच्छी तरीके से अपनाया है, हमारी भी ज़िम्मेदारी बनती है कि हम आपकी बात सुनें और मैं लगभग 25 जून से लगातार, अपने मंत्रालय का काम तो शायद कम कर रहा हूँ और आपकी बातें सुन रहा हूँ| और उसमें से कई अच्छी-अच्छी चीज़ें आ रही हैं और कई चीज़ों पर आपने देखा होगा सुधार भी हुआ है|

आखिर 63 essential commodities में टैक्स के रेट घटे, कई procedural simplifications में जीएसटी काउंसिल ने निर्णय लिए और यह लगातार चलते रहेगा सिलसिला, अगली मीटिंग है 5 अगस्त को| उसमें भी मुझे विश्वास है कि कई आप लोगों के सुझाव रखे जायेंगे, हो सकता है कुछ रह जायेंगे तो अगली मीटिंग में जायेंगे, यह एक लगातार चलते रहेगा| लेकिन इस दौरान आप लोगों को कोई परेशान न करे और किसी भी प्रकार की आप लोगों को दिक्कत नहीं हो यह भी अधिकारियों ने और सभी सरकारों ने मिलकर यह भी आश्वासन दिया है कि किसी प्रकार का किसी को तकलीफ नहीं होने दी जाएगी, आपको एक मित्र के नाते सेवा केन्द्रों में से आपको एडवाइस दी जाएगी, सभी अधिकारी, सभी हम सब राजनेता आपके समक्ष रहेंगे| आप किधर भी हों, भारतवर्ष में किधर भी हों आपकी बात सुनी जाएगी, उचित कार्रवाई की जाएगी|

अच्छा कई चीज़ें ऐसी हैं जो पहले मैं आपसे सुनता हूँ, मुझे लगता है हाँ यह गलत है, यह रिवर्स चार्ज के बारे में मुझे कुछ ग़लतफ़हमियाँ थी, फिर मैंने चर्चा की अधिकारियों से, अरुण जी से, उनकी बात से मैं कन्विंस हो गया, हाँ यह तो एक्चुअली बहुत अच्छी चीज़ लायें हैं|

रिटर्न्स की बात थी, रिटर्न्स तो वास्तव में मैं ही समझ गया था जब मैंने सिस्टम देखा कि यह तो गलती हो गयी, हमने इसको वर्ड ‘रिटर्न’ देना ही नहीं चाहिए था| रिटर्न तो वास्तव में शून्य है इसमें, यह बिना बात का यह गलत प्रचार हो गया है, और आजकल आना भी बंद हो गया है प्रचार| अब बंद हो गया है वह 37 रिटर्न और फलाना-ढिमका, क्योंकि रिटर्न तो एक भी नहीं है, 37 छोड़ो 100-100 रिटर्न तो मैं भरता था जब मैं अपनी फैक्ट्री चलाता था| अलग-अलग डिपार्टमेंट का अलग-अलग टैक्स, अलग-अलग कैलकुलेशन, अलग-अलग फॉर्मेट, उस फॉर्मेट में रिकॉर्ड रखो, सबमिट करो| उससे तो मुक्ति है, अब तो एक सेल्स का स्टेटमेंट बना के देना है|

ज़रूर, पहले महीने से इतना सरल नहीं होगा पर आहिस्ते-आहिस्ते जब सब लोग अपना अपना सेल्स स्टेटमेंट ईमानदारी से और सही बनाने लग जायें तो फिर तो कोई परेशानी नहीं है, इससे सरल सिस्टम नहीं डेवेलोप हो सकता| मैं आपको ईमानदारी से अपने खुद के और मुझे अपने आप पर गर्व है कि मेरे में काम करने की, सोचने की शक्ति है, लेकिन मैं 100 जन्म ले लूं इतना अच्छा सिस्टम नहीं बना सकता था, ऐसा मेरा विश्वास है| इतना सरल, इतना अच्छा सिस्टम इन लोगों ने बनाया है दात देनी पड़ेगी इन सबको|

और यह चर्चा हमारी लगातार चलती रहेगी, कोई विषय में ऐसा मत सोचिये कि यह विषय आज ही सब सोल्व हो जायेंगे या आज जो चर्चा हो गयी उसके बाद कुछ हो ही नहीं पायेगा, लगातार चलती रहेगी| करीब-करीब 1211 रेट्स तय करे गए हैं तो स्वाभाविक है कि इतना परफेक्शन नहीं हो सकता है| पर फिटमेंट कमिटी बैठती थी, सब राज्य के प्रतिनिधि थे, आप सबकी बातें सुनी जाती थी, weighted average निकाला जाता था कि कैसे देश भर में कितना .आखिर revenue neutral बनाना पड़ेगा ना नहीं तो टैक्स नहीं आएगा तो सेवाकारी कार्य गरीबों के, किसानों के, यह सब कैसे होंगे| तो टैक्स न्यूट्रल बनाने के लिए देश भर में हर कमोडिटी का weighted average निकाला जाता था उसके हिसाब से टैक्स तय होता था|

कुछ चीज़ों में टैक्स नहीं था उसमें टैक्स लाना पड़ा क्योंकि जब तक एंड टू एंड वैल्यू चेन कैप्चर नहीं होगी तब तक यह सरल नहीं बन पायेगा सिस्टम| और जो हम चाहते हैं कि आपकी assessments वगैरा सब computerize हों और आपको अफसरशाही से मुक्ति जो चाहते हैं वह तभी हो पायेगा जब सब transactions end-to-end सिस्टम में कैप्चर हो और system-driven governance हो| आज इनकम टैक्स में 99% assessments system-driven हो रही हैं| आप सोचिये कितना बड़ा परिवर्तन है| आज कोई आपके पास आ के बोलता है क्या कि आपका स्क्रूटिनी में केस आ रहा है, फलाना अमाउंट दो तो स्क्रूटिनी से बचा दूंगा, कोई आता है आपके पास? क्योंकि कोई कर ही नहीं सकता, स्क्रूटिनी कोई भी नहीं तय करता है, सिस्टम तय करता है| उसके ट्रिगर्स है, मापदंड हैं|

जेवेलर्स पर तकलीफ आई थी और तब प्रवीण जी ने बहुत ही, जिसको कहते हैं, ज़िम्मेदारी से नेतृत्व किया था बातचीत का, और प्रवीण जी कह रहा हूँ मतलब आप सभी हो, अपनी संस्था में तो यह तो एक प्रतीक है ना? जैसे मैं एक प्रतीक के नाते आज बैठा हूँ, जैन साहब एक प्रतीक के नाते बैठे हैं| तो आप लोगों ने ज़िम्मेदारी से वार्तालाप, चर्चा करके मार्ग निकाला, और मैंने अपना मोबाइल नंबर दिया था सभी व्यापारियों को, व्यापारी संघठनों को, कि किसी को कोई कठिनाई आये तो सीधा मुझे फ़ोन कर देना, किधर भी कोई harass करे|

प्रवीण जी उस दिन से आज तक एक फ़ोन नहीं आया, एक फ़ोन नहीं आया मेरे पास, कमिटी बैठी, सिस्टम बनाया| और ऐसे ही चर्चा होती थी, उन दिनों तो 8-8, 9-9 घंटे चलती थी, आज तो नहीं बिठाओगे न आप? तो एक अच्छा बदलाव हुआ है, 4500 से अधिक ट्रेनिंग कैंप सरकार के करे देश भर में, आपने 250 से अधिक ट्रेनिंग कैंप किये, ऐसे अलग-अलग संगठनों ने अपने मेम्बर्स के लिए ट्रेनिंग कैंप किए, 24*7 कॉल सेंटर है, सेवा केंद्र लगे हैं देश भर में जो सभी सरकारी दफ्तरों में चल रहे हैं, ट्विटर हैंडल है जहाँ पर आप कुछ ट्वीट करते हैं तो उसका जवाब भेजने की चेष्टा करते हैं| एक ऐप्प बना है ‘GST Rate Finder’ जिसको कोई दुविधा हो तो उसमें भी जा सकता है और हर एक के हमारे दुकान, फैक्ट्री के नजदीक कोई न कोई तो गवर्नमेंट ऑफिस है ही, पहले जाते थे तकलीफें ले के अब जा सकते हैं तकलीफों का समाधान करने के लिए|

पर सोचिये 10 प्रकार से टैक्स से मुक्ति, कितने? 17 टैक्स! 23 सेस्सेज़! स्वाभाविक है सबके ऊपर सब नहीं लगते थे पर एक मुसीबत तो ख़त्म हुई ना, आज एक टैक्स देना पड़ेगा एक कमोडिटी पर, अलग-अलग टैक्सेज से मुक्ति मिली| मेरे तो सोलर पॉवर में मैंने जाकर रिक्वेस्ट किया 0 मत करना, 5% रखना, ईमानदारी से, क्योंकि कई ऐसे आइटम हैं, कुछ दुष्प्रचार हुआ सेनेटरी पैड्स का, disabled के instruments का, कितनी ग़लतफ़हमियाँ फ़ैलाने की कुछ लोग कोशिश कर रहे हैं| इसपर टैक्स नहीं लगते तो कीमतें बढती और विदेश से माल आता हम सबका व्यापार एफेक्ट होता क्योंकि इनपुट क्रेडिट नहीं मिलता अगर 0 कर देते, तो इनपुट क्रेडिट पूरा वेस्ट होता और उससे इम्पोर्टेड गुड्स सस्ती हो जातीं| क्योंकि जैसे पहले सीवीडी लगता था अब इम्पोर्टेड गुड्स पर आईजीएसटी लगेगा| तो कुछ चीज़ों ने तो व्यापारी मंडलों ने आके हमें बोला कि भाई टैक्स लगाओ हमको 0 नहीं करना|

मैं मज़ेदार बात बताता हूँ, newspaper industry – जो एक प्रकार से एक, you know, सभी लोग बड़े ध्यान से डील करते हैं उन्होंने तो सामने से आ के बोला कि भाई हमें 0 पर मत रखना हमें 5% रखना और धन्यवाद किया सरकार का| मैंने धन्यवाद किया जेटली साहब का कि मेरे renewable energy पर आपने 5% रखा है, 0 नहीं किया है, क्योंकि renewable energy तो आज जलवायु परिवर्तन जो क्लाइमेट चेंज का जो गंभीर समस्या से पूरा विश्व जूझ रहा है उसमें विश्व में किधर टैक्स नहीं लगता है, पहले भी सोलर पर जीरो टैक्स था तो हमने मान के 5% करा|

तो अलग-अलग प्रकार की चीज़ें हैं लेकिन उपभोक्ता को सामने रखते हुए कैसे हम इस पूरे व्यापार को सरल बनाएं और मेरा तो मानना है कि जीएसटी आने के बाद नए रोज़गार, नए, CAs के लिए नहीं, उद्योग में और व्यापार में| नए रोज़गार के अवसर बनेंगे, विदेशी सामान आना कम होगा, भारत में मेक इन इंडिया को प्रोत्साहन मिलेगा| आज ट्रकों का सिलसिला सरल हुआ है, 22 चेक पोस्ट 22 राज्यों में ख़त्म होने से और थोड़ा ई-वे बिल आ जायेगा तब और सरल हो जायेगा| तब तक भी सभी राज्यों को बोला गया है कोई harassment नहीं होनी चाहिए ट्रक्स के मूवमेंट में जब तक कोई विशेष जानकारी नहीं है कि कोई गड़बड़ काम हो रहा है| समय बचता है, डीज़ल बचता है, डीज़ल बचता है तो फॉरेन एक्सचेंज बचता है, फॉरेन एक्सचेंज बचता है तो हमारा रुपये की कीमत मज़बूत रहती है, रुपये की कीमत मज़बूत रहती है तो महंगाई से हमें छुटकारा मिलता है| आपने देखा महंगाई तो 1.5% हो गई है लास्ट मंथ, महंगाई को हम सबकी ज़िम्मेदारी है हम कंट्रोल रखें, ऐसा न हो कि इनपुट क्रेडिट हम ही रख लें और चीज़ों पर पूरा जीएसटी लगाके दाम बढ़ा दें|

यह भी हम सबकी सामूहिक ज़िम्मेदारी है, यह anti-profiteering जो कानून लाना पड़ा, वह एक deterrent है, आपको तंग करने के लिए नहीं लाया गया है, एक deterrent है कि ऐसा न हो कि इनपुट क्रेडिट पास-ऑन नहीं हो और महंगाई की मार उपभोक्ता पर पड़े, यह हम सबकी सामूहिक ज़िम्मेदारी है कि महंगाई ना होने दें| महंगाई नहीं होगी तो ब्याज के दर कम होंगे जिसका सीधा लाभ हम सबको मिलेगा, बैंकों को भी हम और मज़बूत बना रहे हैं जो पुराने हैं उनके ख़राब लोन्स-वोनस थे उसका समाधान करके बैंक्स एक ईमानदार व्यवस्था से आप सबको दें|

अच्छा जब सेल्स रिकॉर्ड पूरी तरीके से, अच्छी तरीके से बनेगा तो बैंकों में भी आपको लोन देने की क्षमता आएगी कि भाई हाँ इनका 5 करोड़ का सेल्स है तो इनको 50 लाख का लोन दिया जा सकता है, कैश सेल में तो कोई लोन भी नहीं मिलता है, दुविधा में रहते हैं बैंक्स कि सही है गलत है, क्या है, अब जीएसटी के माध्यम से आपने सेल्स रजिस्टर भर दी तो बैंक भी जीएसटी के सेल्स रजिस्टर पर विश्वास करके आपको लोन दे सकती है| उनको भी कॉन्फिडेंस आएगा| एक ज़रूर मुझे बताया गया था कि लोग थोड़ा डरते हैं कि हमारी सेल्स बहुत बढ़ जाएगी तो कहीं पुराने न खोलने लग जायें| उसकी चिंता मत करिए, अभी आप नयी व्यवस्था से ईमानदारी से जुड़िये, पुराने चित्ते-पट्टे खोलने का कोई इरादा नहीं है सरकार का|

पर अभी भी कोई ईमानदार व्यवस्था से जुड़ने से हिचकिचाएगा तो फिर पुराना नया सबमें तकलीफ पायेगा| मैं सिर्फ कह रहा हूँ कि एक अच्छी व्यवस्था से जितना जल्दी हम सब जुड के, अच्छा क्या होता है जब दामन साफ़ होता है न तब हिम्मत से आओ भाई कोई भी आ जाओ, पीयूष गोयल भी आ जाये तो आप दंगल में जीत सकते हो| क्योंकि दामन साफ़ है, हमारा सब हमने काम ठीक किया है मैं नहीं करूँगा, जाओ आपको जो करना है कर लो, यह बोलने की हमारी क्षमता आ जाएगी| और जब यह क्षमता आ जाएगी तब harass करना बंद होगा| मैंने वैसे परसों एक उदाहरण दिया आपकी अनुमति हो तो रिपीट करू? मैं जब सीए का articles clerk कर रहा था, articles clerk में हमें 3 साल सीए के नीचे काम करना पड़ता है, स्वाभाविक है तो इनकम टैक्स ऑफिस वगैरा जाना पड़ता है| मेरे सीए एक छोटी सी फर्म थी, मतलब एक रूम था छोटा सा, सीए बैठते थे हम तीन articles थे, दिव्यांग थे मेरे सीए, सीनियर, अब नहीं रहे| पर ईमानदारी की पराकाष्ठा थे, एक रुपये रिश्वत कभी उन्होंने नहीं दी, एक रुपये किसी क्लाइंट से कैश नहीं लिया – एस.र. रेगे| और हम लोग इनकम टैक्स जाते थे ऑडिट यह अपना असेसमेंट वगैरा के लिए, यह बात है 30 साल पुरानी, तो अब 30 साल अगर कोई पीछे जाये तो आपको याद होगा स्टूल भी नहीं मिलता था बैठने के लिए इनकम टैक्स ऑफिस में, सुबह बुलाते थे रात तक कई बार नंबर ही नहीं आता था, right?

सबने अनुभव किया होगा कभी न कभी, क्वेरीज देते थे 2 बार, 3 बार, चौथी बार पहली क्वेरी रिपीट हो जाती थी, क्योंकि और तो थी नहीं पूछने के लिए कुछ| पर रेगे साहब ऐसे थे कि जितने क्वेरी आये आपको रिप्लाई करना है, अच्छा हम कई बार परेशान होकर बोलते थे, ‘साहब छोटा-मोटा ही मामला है, रफू-दफू कर देते हैं’, कभी नहीं allow किया| चौथे क्वेरी को मैं ले के जाता था साहब यह तो पहले क्वेरीज हैं वह रिपीट हो रही हैं अब समझने की बात है’| बोलते थे फिर तो और आसन है अगर रिपीट हो रही हैं तो आप answer रिपीट कर दो| पर एक रुपये रिश्वत नहीं देने देते थे हमको जब हम articles करते थे|

Of course, उससे हमने भी कुछ अच्छा सीखा लेकिन आहिस्ते-आहिस्ते क्या हुआ, रेगे साहब की फाइल जाती थी इनकम टैक्स में, पानी की तरह assess होकर क्लियर हो जाती थी क्योंकि उनका मालूम था रेगे ने अगर रिटर्न फाइल किया है और ऑडिट किया है तो एक रुपये की गड़बड़ भी नहीं होगी और एक रुपये का कोई आना-जाना नहीं है इसमें| हमें बुलाना बंद हो गया, कोई क्वेरी ही नहीं आती थी, सब असेसमेंट smooth| हिम्मत करने की बात है| आज Tatas के पास क्यों कोई रिश्वत मांगने नहीं जाता है? कोई मजाल है निकाल के ले ले, एक रुपये रिश्वत निकाल ले उनके पास से| हिम्मत है कि भाई हमारा दामन साफ़ है, आपको 100 नोटिस भेजने हैं 100 नोटिस भेज दो, जो करना है कर लो| तो फिर एक विश्वसनीयता बन जाती है|

और मेरा मानना है यह जीएसटी सिस्टम जो बनाया गया है यह उसी प्रकार की विश्वसनीयता indirect taxes में भी लाएगी जब आप अपना पूरे तरीके से सेल्स, सिर्फ सेल्स ही एन्टर करनी है बाकी सब आटोमेटिक सिस्टम में आ जायेगा| और देखिए जैसे जैसे टैक्स की कलेक्शन सुधरती है, पूरा व्यवस्था ईमानदार होता है तो कम्पटीशन टैक्स की चोरी पर नहीं होगी, हमारी गुणवत्ता पर होगी, हमारी सर्विस, सेवा अच्छी है, हमारा सामान अच्छा है, उसपर कम्पटीशन होना चाहिए| और मुझे पूरा विश्वास है कि जैसे जैसे पूरा व्यापार इसके साथ जुड़ेगा तो हम टोटली अफसरशाही से भी मुक्ति पाएंगे, राजनीतिक फंडिंग भी ट्रांसपेरेंट करने के लिए अब इलेक्टोरल बांड्स भी लाये जा रहे हैं,  इनकम टैक्स में शत-प्रतिशत छूट देते हैं कि कोई 100 रुपये डोनेट करे राजनीतिक पार्टी को तो 33 रुपये तो indirectly सरकार भारती है, कि फुल 100% – 100 रुपये आप अपने इनकम टैक्स में आप डिडक्शन ले सकते हैं| तो राजनीतिज्ञों को भी हम सुधार के रास्ते पर ले के जा रहे हैं कि राजनीतिक फंडिंग भी ईमानदार टैक्स-पेड पैसे से हो, rather टैक्स-पेड नहीं टैक्स भी उसमें आपको रिफंड ही मिलने वाला है|

तो एक नयी व्यवस्था, नए उत्साह, उमंग के साथ एक बार हम ले लें सकारात्मक विचारों से, positive mindset से तो यह सफल होने में भी जल्दी हो जायेगा, दिक्कतें, कठिनाइयाँ, procudure, सिस्टम में सुधार यह सब चलता रहेगा, लगातार सिलसिला रहेगा| जैसे मैंने कहा यह जीएसटी काउंसिल के समक्ष रखकर ही उसका समाधान हो सकेगा, मैं अकेले या कोई और अकेले नहीं कर पायेगा| साधारणतः आगे चलकर इसके कई लाभ हैं, ईमानदार व्यवस्था के लाभ, टैक्स के रेट्स भी कम हो सकते हैं, टैक्स की simplification और होती रहेगी, और clubbing करके कोशिश करेंगे सरलता और बढे|

अच्छा और कई चीज़ें भी इस दौरान गलती भी हो रही है, पर गलतियों पर कोई एक्शन नहीं ले रहे हैं हम| मैं खुद इडली डोसा खाने सन्डे जाता हूँ, मैं गया था वह होटल में, 5-स्टार होटल के अन्दर restaurant है, उनको लगा 5-स्टार में 28% रेट है, रूम रेट, तो उन्होंने मुझे 28% चार्ज कर लिया restaurant के बिल का| वैसे तो हम लोग कोई देखता नहीं है बिल normally पर आजकल जीएसटी के कारण सब बिल भी देखने लग गए, मैंने कहा 28 तो मैं तो एकदम उत्तेजित हो गया, वैसे उत्तेजित नहीं होना चाहिए था मुझे पर मुझे लगा अरे 18 का 28 क्यों चार्ज कर रहे हैं? तो मैंने तुरंत complain की, उनको भी शायद ग़लतफहमी थी, उनको लगा 5-स्टार होटल में है तो इसलिए 28, पर restaurant में 18 ही है, तो तुरंत अगले दिन से उन्होंने 18 चार्ज कर लिए| दो-चार दिन गलती हो गयी तो कोई सूली पर थोड़े ही चढ़ाया, तो यह सब गलतियों को मद्देनज़र रखते हुए हम एक बार जुडें, सुधार करते रहे, जानबूझकर गलती न करें, अंजाने में गलती होती रहेगी|

तो इस नयी व्यवस्था में आप सबको जुड़ने के लिए मेरी शुभकामनाएं भी हैं, मेरी बधाई भी है जिस प्रकार से आप सबने इसमें हम सबको समर्थन दिया है, और आज मैं आपका आशीर्वाद लेकर यहाँ से उठूंगा|

बहुत बहुत धन्यवाद |

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July 13, 2017 Speaking at Press Conference, New Delhi

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