Speeches

April 10, 2019

Speaking at India Moving Towards a Superpower, in Mumbai

आई थिंक फिओ का काम जितना रामू जी ने किया होगा शायद ही कोई भूल सकता है इनका कॉन्ट्रिब्यूशन भारत के एक्सपोर्ट के लिए, भारत को… सॉरी त्रिवेदी जी, …… त्रिवेदी जी ने जितना काम किया होगा शायद ही कोई भूल सकता है, जितना इन्होंने देश के लिए किया है। फैम के प्रेसिडेंट हमारे साथ है, आईएमसी प्रेसिडेंट है, डायमंड इंडस्ट्री के नेता है, सिद्धार्थ जी है, अतुल जी और सभी यहाँ पर उपस्थित ट्रेड और इंडस्ट्री के मित्रों, भाइयों और बहनों।

वास्तव में मुझे तो लगा था इंटरैक्ट करेंगे। मुझे ध्यान नहीं था कि लंबा चौड़ा वैसे तो भाषण में उन्होंने कुछ मुद्दे बताएं भारत को महाशक्ति बनाने के दृष्टिकोण से क्या रखना चाहिए। पर मैं समझता हूँ आप लोग ने अभी तक उसका बहुत सुन लिया बहुत ग्रहण कर लिया। आखिर 5 साल पहले की स्थिति आप सबको याद है। फ्रेजाइल फाइव इकोनॉमी में हम गिने जाते थे। महंगाई डबल डिजिट में थी। ब्याज के दर महंगे थे। उस समय वित्तीय घाटा, फिसकल डिफिसिट, करंट अकाउंट डिफिसिट के ऊपर लगाम नहीं था।

और यहाँ बैठे हुए खासतौर पर ऑडियंस भली-भाँति जानती है कि अर्थव्यवस्था अगर मजबूत नहीं हो तो शॉर्ट-टर्म पैलिएटिव्स देकर, शॉर्ट-टर्म कुछ मेजर्स लेकर आप टेंपरेरिली एक फील-गुड ला सकते हो। लेकिन अगर लॉन्ग-टर्म के लिए देश को बनाना है और वास्तव में एक महाशक्ति तक पहुंचाना है, तो आपको फाउंडेशन बहुत स्ट्रांग चाहिए। और मैं समझता हूँ इस 5 साल की सबसे प्रमुख उपलब्धि खासतौर पर ट्रेड, बिजनेस, इंडस्ट्री के संबंध के नजरिए से देखें तो आज भारत की अर्थव्यवस्था एक मजबूत अर्थव्यवस्था, 11वीं अंश पर थी 2014 में, आज छटे अंश पर आ चुकी है और जल्द ही मेरा मानना है कि पांचवा हो जाएगी।

विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में फास्टेस्ट ग्रोइंग इकोनामी अगर कोई है तो भारत है। ब्याज के दर लगातार गिरते जा रहे हैं। महंगाई आजादी के बाद कोई 5 वर्ष का समय अगर आप देखें, तो सबसे कम महंगाई किसी 5 वर्ष में लगातार रही है तो प्रधानमंत्री मोदी जी के कार्यकाल में रही। एवरेज कुछ 4.5% आता है पर आज के दिन तो 2.5% है। और वह कंटीन्यूअस फॉलिंग ट्रेजेक्टरी रही। फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व्स, आफ कोर्स रिकॉर्ड है 412 बिलियन डॉलर्स मैं पढ़ रहा था आज का आंकड़ा। लेकिन उसके साथ गौर करने की बात यह है कि हमने कोई आर्टिफिशली डेब्ट बढ़ाकर, लोन बढ़ाकर, एक्सटर्नल डेब्ट बढ़ाके, एक्सटर्नल बौरोइंग बढ़ाकर यह रिज़र्व नहीं क्रिएट किए। यह एक्चुअल एफडीआई के रूप में अधिकांश आया है।

और मैंने पीछे कोई कार्यक्रम में प्रस्तुत किए थे फिगर्स भी, कि 300 बिलियन था जब हमारी सरकार आई। पर वह कैसे क्रिएट किया था डेब्ट बढ़ाकर, एक्सटर्नल डेब्ट बढ़ाकर। एक्सटर्नल डेब्ट बढ़ाकर, आपको याद होगा, सितंबर 2013 में रुपये की कीमत लगभग डॉलर के सामने 70 झोले लगे थे, 69 समथिंग। सितंबर 2013 में रुपय और डॉलर के जो कन्वर्जन रेट है, एक्सचेंज रेट है वह 69 पॉइंट समथिंग था। उस समय की कांग्रेस की सरकार को एफडीआई तो आना लगभग बंद हो गया था लोगों को विश्वास नहीं था भारत की अर्थव्यवस्था आगे कैसे चलेगी। तो उन्होंने 35 बिलियन डॉलर बहुत महंगे ब्याज पर एन.आर.आई. से इकट्ठे किए और उससे आर्टिफिशली शॉर्ट-टर्म के लिए रुपय की कीमत घटाई, रुपए की कीमत बढ़ाई और डॉलर सस्ता किया तो शायद 60 -62 रुपये या कितने में आ गया था। पर यह टेंपरेरी था। बौरोइंग करके किया।

हमारी सरकार ने वह भी पैसे वापस लौटाए। 35 बिलियन महंगे ब्याज सहित वापस लौटाए और उसके बाद भी 2013 के सितंबर के डॉलर की जो कीमत थी उससे कम कीमत पर आज डॉलर को लेकर आए, 68-69 के रेंज में। बीच में थोड़े समय के लिए बढ़ा था। उस समय बहुत ही एक चर्चा थी कि हम एन.आर.आईस. से वापस डॉलर ले और उसको फिर से 65 पर ले जाए, 62 पर ले जाए। सरल था लेकिन प्रधानमंत्री जी का मानना था कि हमको अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना है। विदेशी लोन नहीं बढ़ाना है। तो यह जो 300 से 412 के बीच हमने रिसर्व बढ़ाएं उसमें फॉरेन डेब्ट या एक्सटर्नल डेब्ट को नहीं बढ़ने दिया। उल्टे एक्सटर्नल डेब्ट को काबू लगाकर यह किया।

मैं यह इसलिए कह रहा हूँ कि यहाँ बैठे हुए सभी लोग भली-भांति समझते हैं कि अगर अर्थव्यवस्था मजबूत नहीं होगी और भारत सिर्फ लोन के ऊपर ही जियेगा और फिसकल डिफिसिट, करंट अकाउंट डेफिसिट…., उसको भरने के लिए लोन लेना पड़ता है। तो कभी महाशक्ति नहीं बन पाएगा। हमने इन सब चीजों को कम किया है। करंट अकाउंट डिफिसिट पर कंट्रोल लाये है। एफिस्कल डेफिसिट लगातार कम करते रहे। एक्सटर्नल बौरोइंग्स को कम किया और आज एक ऐसी फाउंडेशन बनाई है देश की अर्थव्यवस्था की, कि वास्तव में, we can aspire to become a superpowe, we can aspire to become a developed country.

और माननीय प्रधानमंत्री जी ने जब संकल्प पत्र 8 तारीख को रिलीज किया तभी बात देश के समक्ष रखी थी कि अब भारत को अगले 5 साल 2019 से 2024 के समय इस मजबूत अर्थव्यवस्था के ऊपर, इस मजबूत अर्थव्यवस्था को आधारशिला बनाकर हमने इस अगले 5 साल में एक ऐसा फाउंडेशन रखना चाहिए कि जब 100 वर्ष पूरे हो आजादी के, 2047 तब we should be the number one economy in the world.

जब हम सरकार में आए तब हमने कई सारे मापदंड अपने ऊपर रखे थे कि 2022 में 75 वर्ष पूरे होने पर किस प्रकार का भारत बनेगा। और मुझे आज आप सब से शेयर करते हुए खुशी होती है कि उसके एक-एक विषय के ऊपर ठोस काम हुआ है। परिश्रम हुआ है कैसे उस 2022 के लक्ष्य को मीट किया जाए। आप सब जानते हैं कि आज देश में लगभग हर घर तक हम बिजली पहुंचाने में सफल हुए हैं। आज कोई घर ऐसा नहीं होगा जो बिजली चाहता हो और उसको बिजली ना मिले। लगभग करोड़ों की संख्या में 10-12 करोड़ शौचालय बने देश में जिससे हमारी माता, बहुओं की, बहनों की इज्जत पर कभी आंच ना आए।

अब यह शर्म की बात थी कि देश में 3 में से 2 महिलाओं के लिए शौचालय नहीं था 2014 में। एक मिनट के लिए हम सोचे कि केसा देश हम चाहते हैं कि हमारी माता बहनों को सनराइज से सनसेट के बीच मैं टॉयलेट नहीं जा सके। या जैसे अक्षय कुमार ने पिक्चर में दिखाया। कौन सी थी? टॉयलेट एक प्रेम कथा। क्योंकि मैं रेल मंत्री हूं इसलिए मुझे याद आ रहा है कि ट्रेन के अंदर जाकर किसी को शौच करना पड़े, यह इससे बड़ी शर्म की बात इस देश के लिए नहीं हो सकती।

2004 में, 2009 में कई सारे वादे किए थे कांग्रेस ने। मैं उसकी पूरी लिस्टिंग करके आया हूँ। हर बार गोलपोस्ट चेंज करते रहना और झूठे वादों के भरोसे पर चुनाव जीतने की राजनीति को हमने बदलने का प्रयास किया। आखिर इस ब्रेकनेक स्पीड पर गांव गरीब किसान तक यह सब सुविधाएं नहीं पहुंचेगी तो आप सोचिए देश में किस प्रकार का एक आगे का सोशल फैब्रिक डिस्टर्ब होने की संभावना है। आज मुंबई से हम 50-60 किलोमीटर दूर जाये पालगढ़ में आदिवासी इलाका है, पाला-पालगढ़, वहाँ के लोग जब मुंबई आते होंगे क्या उनके दिल में पीड़ा नहीं होती होगी? देखकर दुख नहीं होता होगा ?

डेढ़ सौ ज़िले ऐसे है जहाँ आज भी माओवादी ताकतें प्रभाव कर रही है, प्रभावशाली तरीके से वहाँ पर डेवलपमेंट के कामों को रोक रही है। हमने कब 5 वर्षों में इन सब इलाकों पर फोकस डेवलपमेंट एफर्ट से विकास पहुंचना का प्रयास किया, जिससे आगे चलते हम माओवादी ताकतों से भी इस देश को मुक्त कर सके। दुर्भाग्य है कि छत्तीसगढ़ की सरकार बदली और बदलके इतना बड़ा कांड कल हो गया, कि हमारे बस्तर के एमएलए तक के जीवन को बलिदान देना पड़ा।

लेकिन अगर विकास गांव, गरीब, किसान, शोषित, वंचित, पीड़ित वर्ग तक नहीं पहुंचेगा तब आगे चलकर देश की कभी बहुत बड़ी प्रगति विकास पर नहीं पाएगा। उद्योग और व्यापार को भी बहुत बड़ी दिक्कत आएगी। और मैं समझता हूँ कि यह जो 5 साल में आधारशिला रखी है एक ईमानदार देश की, एक अच्छी अर्थव्यवस्था, गरीबों के कल्याण के लिए और समाज के हर वर्ग तक विकास पहुंचाने की इसका लाभ उन गरीबों को, उन किसानों को, उन आदिवासियों को तो जरूर होगा ही, मध्यमवर्ग परिवारों को होगा ही, लेकिन व्यापार और उद्योग को भी एक बहुत बड़ा बल मिलेगा आगे बढ़ने के लिए। क्योंकि यह सरकार का मानना है कि जो  वेल्थ क्रिएटर्स है, जो आप सब है, जो इस देश का उद्योग चलाते हैं, जो इस देश में व्यापार करते हैं, छोटा-बड़ा सब। यही है वह इंजन, यही है वह व्हील वह चक्का जो इस देश को वास्तव में महाशक्ति बना सकता है।

और आप सबका काम सफल हो, आप सबका काम तेज गति से बढे, उसके लिए जिस प्रकार से पिछले 5 वर्षों में काम हुआ, उसके रिजल्ट्स अब दिखने लगे हैं। आखिर जीएसटी किसकी मांग है? आप सब की मांग है। जीएसटी का पॉलीटिकल फॉलआउट चिंताजनक था। क्यूंकि जीएसटी में आखिर आप क्या कर रहे थे? आपने 40 अलग-अलग टैक्स और सेस को सम्मिलित करके एक बना दिया। यह एक प्रकार से मूर्खता है कुछ लोग कहते हैं कि एक ही रेट होना चाहिए। स्वाभाविक रूप से हमारा देश कोई इतना डिवेलप नहीं हो गया है, सिंगापुर की तरह या अमेरिका की तरह कि एक ही रेट हो सकता है।

आखिर गरीब आदमी के वस्तु, रोजमर्रा के सामान्य आदमी के वस्तु, और एक बीएमडब्ल्यू मर्सिडीज कार के बीच में तो फर्क होगा ही। लेकिन एक टैक्स पूरे देश में एक वस्तु के ऊपर. यह बोतल है तो एक ही टैक्स का रेट पूरे देश में। यह करने का साहस सिर्फ और सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी जी कर सकते थे। क्योंकि एक प्रकार से आपने कंस्यूमर को आयना दिखा दिया। आज अगर इस चीज पर, मुझे मालूम नहीं इसका टैक्स रेट क्या है। पर समझो 12 परसेंट हो या 18 परसेंट हो या 5 परसेंट हो, जो भी है यह पहले कैसे था?

पहले एक्साइज ड्यूटी फैक्ट्री में लग जाती थी। ओक्टरोई या सेस या याएंट्री टैक्स वह दो इलाके पर लगता था। कई बार लगता था कई बार नहीं लगता था। वह भी हम सब जानते हैं। कोई लेबर सेस था कोई एनवायरनमेंट सेस  था। अलग-अलग तरीके से एक्साइज ड्यूटी अलग थी, सेल्स टैक्स अलग था, एंटरटेनमेंट ड्यूटी अलग थी, लग्जरी टैक्स अलग था। यह सब अलग-अलग खांचों में टेक्स्ट कलेक्ट होते थे। जिसके कारण मल्टीप्लिकेशन ऑफ़ टैक्स भी होता था। एक टेक्स के ऊपर दूसरा, दूसरे पर तीसरा। कैस्केडिंग इफ़ेक्ट था। हर एक का क्रेडिट नहीं मिलता था।

लेकिन कंस्यूमर को इस बात का एहसास नहीं था। कंस्यूमर को तो लास्ट, एट द लास्ट माइल डिलीवरी, सिर्फ सेल्स टैक्स दिखता होगा ज़्यादा से ज़्यादा। एक ही टैक्स। अब इन सब टैक्सेज को मिलाकर एक रेट बनाना। देश की सभी राज्य सरकारों को उसपर एग्री करवाना। यूनियन टेरिटरीज को एग्री कराना। प्रोसेसेस बनाना जो सब लोग सहमत हो। फिर जब अनुभव आते है उसको सुधार करते रहना। आखिर ये भी समझदारी है कि अड़के नहीं बैठी सरकार। जब-जब आप लोगों ने जो विषय बताएं, उसको सुधार करती रही। कभी टैक्सटाइल ट्रेड ने कहा उसको सुधार किया। कभी जेम एंड ज्वेलरी डायमंड इंडस्ट्री ने कहा उसको सुधार किया। छोटे व्यापारियों की समस्या आई, उसको सुधार किया। कंपोजिशन स्कीम कम लग रही थी, उसको बढ़ा दिया डेढ़ करोड़ कर दिया। रिटर्न्स की समस्या दिख रही थी, 5 करोड़ रुपये तक क्वार्टरली रिटर्न कर दिया। अब सॉफ्टवेयर उसका बन रहा है जल्दी लागू हो जाएगा।

एक अलग-अलग प्रकार से संवेदनशील सरकार जो कभी अड़कर नहीं बैठी। जब समस्या सामने आई उसका समाधान किया। लेकिन यह भी साहस किया कि कंज्यूमर को मालूम पड़े कि इतने-इतने  छोटे-छोटे खाँचों में टोटल टैक्स का बर्डन कितना है। और उस सबको लेते हुए जैसे-जैसे ईमानदार व्यवस्था बढ़ी, जैसे-जैसे टैक्स कलेक्शन बढ़ी, तो लगातार हर चीज का रेट भी कम करते जाना। 400 से अधिक रेट कम हो चुके है एक ही साल में, एक सवा साल में। मोर दैन 400 आइटम्स के रेट लगातार कम किये जाना।

और आगे भी हमने हमारे संकल्प पत्र में कहा है कि हम तो चाहते हैं कि आहिस्ते-आहिस्ते और रेट्स कम होते जाए। और थोड़ा बहुत कन्वर्जन्स भी हो रेट्स का। एक रेट कभी नहीं हो सकता है। और मैं तो हैरान हो गया कांग्रेस के अध्यक्ष जोर-जोर से कहते हैं कि मोदी ने 4 रेट, 5 रेट बना दिए। और जब भी हमने उनको पूछा कि क्या चाहते हो कि मर्सेडीस का रेट गरीब आदमी के 20 रुपये की थाली में लगना चाहिए? तो कभी उसका जवाब नहीं दिया। क्या हवाई चप्पल जो, यह तो मैं गलत एग्जांपल देख रहा हूँ। यहाँ तो शायद उस प्रकार के लोग नहीं है। लेकिन गांव में या आदिवासी क्षेत्र में कोई बच्चा एक 100-50-20-40 रुपये की चप्पल पहने क्या उसका रेट और कोई लुई वीटोन और प्राडा के ब्रांडेड शूज पहने क्या उसका रेट सेम हो सकता है? क्या मर्सिडीज कार का रेट और कोई व्यक्ति शायद टैक्सटाइल का कोई प्रोडक्ट खरीद रहा है उसका रेट सेम हो सकता है? असंभव है।

तो जिसने भी जब मेनिफेस्टो बनाया कांग्रेस का तो क्यूंकि उनके नेता ने बोल दिया था कि एक रेट करेंगे तो घोषणा तो कि एक रेट लाएगा और उसके नीचे सबहेडिंग में लिख दिया कि मेरिट रेट अलग रहेगा। डिमेरिट रेट अलग रहेगा। और सिन गुड्स के ऊपर अलग टैक्स लगेगा। अब खुलकर देखेंगे तो आप हैरान हो जाएंगे। हेडिंग कुछ और बोलता है, सब टेक्स्ट कुछ और बोलता है। तो सब यहाँ पर ध्यान, टेक्सटाइल वाले तो सब समझ जाये। सबके ऊपर 18 % आने वाला है। वैसे तो सैम पित्रोदा जी ने खुलासा कर ही दिया।

यहाँ सब के पास मोबाइल है? इस रूम में? कोई भी है जिसके पास मोबाइल नहीं है? तो अतुल जी आपने मुझे यहाँ इनवाइट किया है, सैम पित्रोदा जी के हिसाब से, to address a group of monkeys. मैं तो बंदरों के साथ बैठा हूँ यहाँ पर। और मैं तो खुद भी बंदर हूँ क्योंकि मोबाइल है मेरे पास। यह सैम पित्रोदा जी का वक्तव्य आपमें से किसी ने शायद देखा भी होगा। वह योग गुरु है। उनके कांग्रेस के नेता के गुरु माने जाते हैं। आइडियल लोग है आजकल सब सलाहकार बने हुए हैं राहुल गांधी के लिए। और बोलते हैं, India is a country where you have given mobiles to a set of monkeys. इस प्रकार के अपमान करने वाले लोग क्या इस देश का भविष्य बनाना चाहते हैं? और क्या बना पाएंगे? सैम पेट्रोडा जी ने तो यह भी बोल दिया है मिडिल क्लास के ऊपर टैक्स बढ़ाना चाहिए। तो आप सब तैयार हो जाइए अगर किसी ने भूल-चूक में हाथ के ऊपर बटन दबा दिया तो थप्पड़ पड़ेगा। और यहाँ हम सिर्फ घोषणा नहीं कर रहे हैं करके बता रहे हैं कि आज ₹500000 तक का जिसकी टैक्सेबल इनकम है वह आज टोटली फ्री होगा। और यह 500000 टैक्सेबल इनकम है। हममें सब जानते हैं इसमें ₹250000 स्पेसिफाइड सेविंग्स में अलग डिडक्शन है। त्रिवेदी साहब तो उसके ऊपर पूरा भाषण दे देंगे। हम सब जानते हैं कि ₹200000 तक का आपने घर की खरीदा तो ब्याज छूट है इनकम टैक्स पर। नेशनल पेंशन स्कीम में ₹50000 डाले तो टैक्स फ्री है। मेडिक्लेम पॉलिसी ली डिडक्शन मिल गई। बच्चों के एजुकेशन के लिए लोन लिया तो डिडक्शन मिल गया। शायद डोनेशन वगैरा पर भी डिडक्शन अलग है। …… या उसी में डेढ़ लाख पर आता होगा। आजकल मैं भी अपनी सीए भूल रहा हूँ बिजली के कनेक्शन देते और रेलवे की सफाई करते। परन्तु एफ्फेक्टिवेली  मेरे पास जो फोन पर किसी ने भेजा है कि 10 लाख रुपय की इनकम लगी, He doesn’t have to pay any tax. और हमने फिर से दोहराया अपने सरकर पत्र में कि अभी कहानी खत्म नहीं हुई है आगे और संभावनाएं बनेगी। जैसे-जैसे देश एक ईमानदार रास्ते पर और जाता है टैक्स बेस बड़ा होता है। टैक्स कलेक्शन साधारणता जो रिक्वायरमेंट है वह बढ़ती है। टैक्स रेट्स और करने के लिए वक्त मिलता है सरकार को भी। मौका मिलता है। और हम प्रतिबद्ध है आगे चलकर औ ररेट्स कम हो इनकम टैक्स हो, जीएसटी हो। अब कोई सब्सिडी बंद नहीं करना चाहते। कोई डिडक्शन बंद नहीं करना चाहते।

हम चाहते हैं कि देश में और मौका मिले वेल्थ जेनरेशन का। और सरप्लस इनकम आप सबको मिले। जैसे आपके भी आपके परिवार के, आपके एम्प्लोईस के जीवन स्थर को और सुधार करा जा सके। और यह सब संभव है। सिर्फ एक कैविएट है। एक इमानदार देश। और वह ईमानदार देश बनाने की जो प्रयास 5 वर्षों में किए हैं मैं समझता हूँ आप सब मानेंगे कि यहीं एक मार्ग है जो आगे चलकर इस देश को सुपर पावर बनाएगा।

और वास्तव में तो मैं आप सब का धन्यवाद करूंगा। तहे दिल से करूंगा कि आप सब इस नई व्यवस्था को आपने बहुत अच्छी तरीके से स्वीकार किया। आपने  बहुत अच्छे तरीके से उसके साथ जुड़े समस्या। समस्याएं भी झेली थोड़ी बहुत। समस्याएं तो मेरे साथ झगड़ा भी बहुत किया है। और मैं स्वागत करता हूँ उसका। और मैंने जितनी मीटिंग की होगी मुझे लगता है फैम के साथ, सबके साथ और जहाँ तक हो सके जब-जब कोई चीज मुझको जेन्युइन लगी उसके लिए मैंने ऊपर भी लड़ाई किया और आज साधारणता चीज़ें लाइन पर आ गई हैं। अभी भी जरूर विषय होंगे। No man is perfect, no system is perfect. पर हम एक ऐसी सरकार है जो सुनने के लिए भी तैयार है और हम समझते हैं कि जनभागीदारी से ही सुधार होगा। वैसे प्रधानमंत्री जी ने उस दिन कहा एयर कंडीशन रूम में बैठी हुई सरकार नहीं है यह। यह जनता के बीच जाने वाली सरकार है। और मैं आप सबसे पूछूंगा भी कि कोई ऐसा परिस्थिति में कभी आपको तकलीफ आई हो तो आप बताइए कि कितने एक्सेसिबल रहे थे पहले के बदले। कितना समय देते थे आप लोगों के साथ चर्चा करने में। कितनी चीजें पर आपके समझने के लिए तैयार थे और बदलने के लिए तैयार थे। मुझे लगता है डायमंड इंडस्ट्रीज में अभी मैं होकर आया पोर्स में, तो किरण भाई बता रहे थे मैं भी बोल भूल गया था कि 16-16 घंटे हमारी मीटिंग चलती थी जब डायमंड इंडस्ट्री को थोड़ी तकलीफ आई थी। पर समाधान निकाला और समाधान सरकार ने नहीं निकाला समाधान इंडस्ट्री ने निकाला। इंडस्ट्री और सरकार के लोग साथ में बैठे। पूरी चीज़ को समझा। और सरकार ने कहा जो इंडस्ट्रीज बता रही है, it makes sense. Let us adopt that system. और एकदम स्मूथली वह सिस्टम आज चल रहा है। और मैंने तो आज भी रिक्वेस्ट की डायमंड इंडस्ट्री को और मैं आप सबको भी रिक्वेस्ट करूंगा कि यह जो मिंडसेट चेंज हुआ है ईमानदार रास्ते पर चलने का, हम सब ने निर्णय लिया है, आपने भी लिया है और सरकार इसको प्रोत्साहन देना चाहती है। इसके तहत जो-जो कठिनाइयां आपको फिर भी लगती है अभी एक महीना है। हम तो आचार संहिता के वजह से हमारे हाथ बंधे हुए हैं। लेकिन 23 तारीख के बाद फिर हम बैठ सकते हैं। और यह एक महीना भर यूज करके आप लोग तैयारी करके रखिये कि क्या स्टेप्स लिए जाए जिससे आगे की अर्थव्यवस्था और मजबूत हो। आगे का काम करना और सरल हो। आज आखिर आपने हम सब के लिए गर्व की बात है इस ऑफ़ डूइंग बिज़नेस में कितनी बड़ी छलांग लगाई है सरकार के आने के बाद। कपटातीवनेस इंडेक्स हो या चाहे वह इंटीग्रिटी इंडेक्स हो, हर एक में भारत सुधार रहा है। अब इसको अगले लेवल पर लेकर जाना है। हमने बिना कोई काम के, बिना कोई भ्रष्टाचार के 5 साल केंद्रीय सरकार और हमारी राज्य सरकारे चलाई।  अब इसको नीचे तक लेकर जाना है।

मैंने बजट के टाइम बताया था। इनकम टैक्स एसेसमेंट में 99.6% returns are accepted as it is. No scrutiny. इनकम टैक्स रिफंड आप सब को घर बैठे आए होंगे। किधर धक्के तो नहीं खाने पड़ें होंगे । अब यह सिलसिला ऐसे ही रहेगा। आप रिटर्न फाइल करेंगे। एल्गोरिदम से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से कंप्यूटर देखेगा सब ठीक-ठाक है। पूरा फॉर्म भरा है। कुछ अब्नोर्मलिटी होगी तो ही स्क्रुटनी  में जायेगा। तो आज 6 करोड़ देश में रिटर्न अगरफाइल होते है, 6 करोड़, उसमें मात्र दो-ढाई लाख अगर स्क्रूटिनी होते हैं, तो क्या यह …….., तो क्या यह ढाई लाख भी नहीं होनी चाहिए। उतना तो डेटेरेंट रखना पड़ेगा ना। और अगर कोई आपको बोले तुम्हारा स्क्रुटनी में आ रहा है मैं निकाल दूंगा। जरा भी विश्वास मत करना। झूठ बोल रहे है। क्यूंकि आज सिर्फ कंप्यूटर तय करता है। किसका स्क्रूटिनी होती है, किसकी नहीं होगी। हाँ आपका अगर कोई अवाला ऑपरेटर पर कानूनी कार्रवाई हो और आपका नाम आये तो फिर मेरे को मत ब्लेम  करना। और उसके लिए भी आज ओप्पोसिशन वाले हमको, हमसे नाराजगी बताया । मतलब अगर वह चाहते हैं कि पैसा जब्द हो तो पैसा पकड़ा जाए, उस पर भी कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। मैं समझता हूँ यह तो आप में से कोई नहीं चाहेगा। और राजनीतिक प्रक्रियाओं को हम सुधारने की कोशिश कर रहे है। एक ईमानदार पैसा राजनीति में लगे और इमानदार पैसा खर्च हो ईमानदारी से, जिसके लिए …….. आये।  उसको भी ओप्पोस कर रहे हैं विपक्ष वाले। आधार के हिसाब से डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर करके जो पिछोलिये याद ना एक पहले कांग्रेस के प्राइम मिनिस्टर, आज के अध्यक्ष के पिताजी ने क्या कहा था? मैं ₹100 देखता हूँ, ₹85 तो मेरे दलाल और पिछोले वह सब ही खा जाते है भ्रष्टाचार हो रहा है। सिर्फ 15 पैसे जनता तक पहुंचा। क्या मोदी जी की सरकार ने इसको बंद नहीं किया? आज सीधा डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर से गरीब के खाते में पैसा डाला। तो आधार को भी पूरे 4-4 कानून में ओप्पोस करती रही कांग्रेस। कोर्ट केस होता है तो कांग्रेस के बड़े वकील जाते हैं। क्यों? शायद दाल में कुछ काला है। कुछ छुपाने के चक्कर में है। और या इस उम्मीद में बैठे हैं कभी फिर से उनको मौका मिलेगा, तो फिर वापस वह भ्रष्टाचारी काम शुरू कर सकते हैं। तो मुझे लगता है इस देश की जनता ने मन बना लिया है कि कांग्रेस के झूठे वादों से आज देश की जनता कोई विश्वास करने को तैयार नहीं है। बिचारे पंजाब के किसानों ने इन पर विश्वास किया। उन्होंने कहा था लोन वेइवर करेंगे। 2 साल हो गए पर अभी तक वह लोन वेब नहीं हुआ है।

कर्नाटक में 1 साल पहले लोन वेइवर अनाउंस किया था। और क्या बोलते हैं 2 घंटे में लोन वेइवर अनाउंस कर दिया। ऐसे बोलते हैं ना? 2 घंटे में हमने लोन वेवर कर दिया। अरे भाई अनाउंसमेंट नहीं लोन भी किया कि नहीं यह बताइए। 1 साल हो गए कर्नाटक चुनाव के खत्म हो गया। आज तक बिचारे गरीब किसान को कोई लाभ नहीं मिला। छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्यप्रदेश में तो स्कीम ही नहीं बनी है शायद। या हुआ भी है तो कुछ दो ढाई हजार रुपय के लोन वेव हुए है। अब झूठे वादे और झूठे इरादों से यह देश की जनता मानने नहीं वाली है। हमें ऐसी सरकार चाहिए जो 1 फरवरी को एक सम्मान के रूप में हमारे किसानों को प्रतिवर्ष ₹6000 देने की निर्णय ले। उसके लिए पूरा शत प्रतिशत बजट में प्रावधान करें। और 1 फरवरी को किया वादा 24 फरवरी को कार्यन्वत करे। ………

अब ऐसी सरकार चाहिए जो व्यापार बढ़ाने के लिए 59 मिनट के अंदर लोन देने की बात करें और उसकोकार्यन्वत करें और मुझे बताया गया है कि लगभग 30-31 करोड़ रुपय छोटे व्यापारियों को उस माध्यम से लोन मिल चुका है। सैंग्शन की बात नहीं क्र रहा हूँ। सैंग्शन के बाद, प्रक्रिया पूरी होने के बाद, मिल चुका है। और मेरा मानना है कि जितना-जितना यह भ्रष्टाचार बैंकों में हम खत्म करने में सफल हुए हैं, जो बड़े-बड़े लोग वापिस नहीं करते थे सालों साल तक, उनको मजबूर किया है वापस करने को लोन। उसके कारण ब्याज के दर और कम करने में बैंकों को सुविधा होगी। क्योंकि आप सोचिए बैंक ₹100 लोन देता है। अगर उसमें ₹25 के लोग लोन वापस नहीं देते हैं। या तो डिफॉल्ट करते हैं या फिर एवरग्रीन करते हैं या रीस्ट्रक्चर करते हैं। त्रिवेदी साहब ₹100 में ₹25 के लोन नहीं देते है ब्याज। तो बैंक को तो मुनाफा कमाना है। तो बाकी 75 से वह मांगेगा कि जो 25 का ब्याज दिया है इधर लोड करेगा। ऐसे ही तुम्हारा नेट इंटरेस्ट मार्जिन इतना ज़्यादा है। अच्छा लोड करने के लिए उसके पास कौन है। जो फार्मर है उसका ब्याज का दर तो फिक्स्ड है। प्रायरिटी सेक्टर लेंडिंग का ब्याज का दर फिक्स्ड है। तो उस पर लोड नहीं कर सकता। जो बड़ी इंडस्ट्री है, बड़ी इंडस्ट्री को तो अगर वह ब्याज का दर बढ़ाएगा तो वह किधर और जाके पैसा ले लेगी। कमर्शियल पेपर करेगी, बांड करेगी। कोई और बैंक से ले लेगी। तो वह बोझ किसके ऊपर आता है। वह बहुत छोटे और मध्यम वर्ग के व्यापारी और उद्योग के ऊपर आता है। आप सब के ऊपर आता है। आपके लिए यह बोझ बंद हो, उसके लिए कठोर कार्रवाई जो एनपीए, स्ट्रेस्ड अकाउंट, एवरग्रीन अकाउंट, रिस्ट्रक्चर्ड अकाउंट कांग्रेस छोड़कर गई थी, उसके ऊपर एक कठोर कार्रवाई करना करने का काम मोदी जी ने किया। जिससे आगे चलकर आप के पास ………  आप कभी लोन डिफॉल्ट करेंगे तो कैसे घर पर पहुंच जाते हैं बैंक वाले। कभी कोई करोड़ दो करोड़, लाख दो लाख, 10000 20000 का लोन वाला  हो तो बैंक वाले पीछे पड़ते थे कि नहीं वापस लाने के लिए। क्योंकि कांग्रेस की समय बड़े लोन वालों के पीछे कभी कार्रवाई हुई नहीं।  जि ने ₹10000-₹20000 का लोन ले लिया उसको तो लगता था कि अब तो बैंक की जिम्मेदारी है लोन को सेटल करना। या लोन वापस लेना। मेरे को तो देना ही नहीं है। कभी आपने सुना था पहले किसी के हवाई जहाज और बंगले और रियल एस्टेट के बड़े प्रोजेक्ट, स्टील के कारखाने या आयल की रिफाइनरिया गांव में लगाकर बैंक के लोन रिपे हुए हैं। कभी सुना था ऐसा? सिर्फ गरीब आदमी और छोटे व्यापारी के ऊपर कार्रवाई होती है। आज बड़े लोगों को मजबूर किया है कि लोन वापस दो जिससे छोटे व्यापारी के ब्याज का दर कम हो जाये। कोइ ईमानदार देश जो आज तेज गति से प्रगति कर रहा है आखिर विश्व की सबसे तेज गति से प्रगति करने वाला देश साधारणता सरल काम नहीं था। यह आप लोग ने करके दिखाया है। यह कोई सरकार नहीं करती है, यह आप लोग करते हैं। और मेरा मानना है यह जो आधारशिला बनी है पिछले 5 साल में जो यह फाउंडेशन बना है देश की अर्थव्यवस्था का, आगे चलकर यह और मजबूत अर्थव्यवस्था मेरे हिसाब से तो डबल डिजिट ग्रोथ दूर नहीं है। ब्याज की दर और कम हो सकते हैं। मेहंगाई पर ऐसे ही काबू रखा जा सकता है। 130 करोड़ लोगों की आशा अपेक्षा है एक अच्छा जीवन बिताने के लिए। स्वाभाविक रूप से सब आपके लिए नए बिजनेस के ओप्पोरचूनटीस देगा, नए व्यापार के रास्ते खोलेगा। आपको याद होगा वह दिन जब हम सोचते थे आज मानसून इस बार अच्छी हो जाए तो व्यापार बहुत अच्छा होगा। यह कहते थे कि नहीं? हम सोचते थे बारिश अच्छी आ जाए तो व्यापार अच्छा तेज गति से प्रगति करेगा। क्यों? क्योंकि छोटे आदमी के हाथ में जब पैसा पहुंचता है तो वह खरचता है। वह खरचता है तो पैसा रोटेट होता है मार्केट में। एक से दूसरा तीसरा मनी वेलोसिटी बढ़ती है। और पूरा उद्योग जगत पूरा व्यापार जगत बढ़ता है। मैं समझता हूँ कि इस सरकार ने जो गरीब कल्याण का काम किया है। हमारी सरकार ने जो देश के मध्यम वर्ग के जेब में ज्यादा पैसा पहुंचे उसके लिए जो काम किया है। और त्रिवेदी जी आप कोई 5 साल का टेन्योर निकाल लो, मैं दावे के साथ कह सकता हूँ, जितना इनकम टैक्स में मध्यम वर्ग के लिए जितने डिडक्शंस बढ़ाएं,जितना टैक्स फ्री लिमिट बढ़ाई, ₹200000 टैक्स फ्री था जब हम आए। उसको पहले ढाई किया। ढाई के बाद तीन तक रिबेट किया। अब 3 से 5 तक रिबेट किया। तो 200000 को एक प्रकार से पांच लाख। ढाई गुना। एक्सेम्पशन सेविंग्स की 1 लाख थी उसको डेढ़ लाख किया। स्टैंडर्ड रिडक्शन निकलगई थी, इंट्रोड्यूस किया। पहले 40000 बढ़ाकर अब 50000। हाउसिंग लोन शायद डेढ़ लाख तक था उसको दो किया। याद करूँगा तो और याद आते रहेंगे। लेकिन लगातार जो टैक्स के रेट कम करने वाली सरकार, लगातार गरीब की भी चिंता करना, मध्यमवर्ग की भी चिंता करना, किसान की भी चिंता करना, आदिवासियों की भी चिंता करना। जब 130 करोड़ लोगों की चिंता करेगी सरकार, जब 130 करोड़ लोगों का जीवन सुधरेगा, तभी जाकर यह देश आतंकवाद से भी मुक्त होगा। यह देश और सुरक्षित होगा। यह देश और खुशहाली के ओर जाएगा। मैं समझता हूँ जो लोग विकास में पीछे रह गए, जिन लोगों को अभी तक विकास का स्वाद नहीं मिला उनके जीवन में भी आगे चलकर एक उत्साह उमंग एक फुर्ती हो, उत्साह और उमंग उनके भी जीवन में पहुंचे। गरीब आदमी मध्यमवर्ग हर एक की इच्छा होती है एक better future for our children. उस बेटर फ्यूचर को वास्तविक बनाने के लिए, वास्तविकता में कन्वर्ट करने के लिए भारत को वास्तव में एक महाशक्ति बनाने के लिए।

मैं आपसे अपील करने आया हूँ कि आज फिर एक बार इम्तिहान आ गया है। 29 तारीख को मुंबई में चुनाव होगा आपका एक-एक वोट मोदी जी के काम को आशीर्वाद देगा। मोदी जी को और मजबूत बनाएगा। आपका एक-एक वोट देश की सुरक्षा और राष्ट्र प्रेम का वोट होगा। आपका एक-एक वोट आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने का वोट होगा। आपका एक-एक वोट गरीबी को मजबूर बनाने के लिए नहीं गरीब को एंपावर करने के लिए गरीब को सशक्तिकरण देने के लिए। अगर 100 लाख करोड़ का निवेश होगा इंफ्रास्ट्रक्चर में तो को आसमान से तो इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं आएगा। करोड़ों लोग काम करेंगे तभी तो जाकर 100 लाख करोड़ का निवेश इंफ्रास्ट्रक्चर में होगा। तभी तो 25 लाख करोड़ किसानों के लिए और ग्रामीण क्षेत्र में निवेश होगा जिससे किसानों की आपरी बनने का मार्ग खुलेगा। और इन सब में करोड़ों लोगों को डायरेक्टली इनडायरेक्टली  रोज़गार भी मिलेगा, काम के अफसर भी मिलेंगे। तो क्या भारत को मजबूत बनाना है? भारत के 130 करोड़ लोगों को मजबूत और आत्मनिर्भर बनाना है? या उनको मजबूरी के हालात में छोड़ना है? यह निर्णय भाइयों बहनों आपके हाथ में है। 29 तारीख को छुट्टी होगी लेकिन कोई बाहर ना जाए। सुबह-सुबह 10:30 बजे के पहले, हम अपने मोहल्ले को, रिश्तेदारों को, दोस्तों को, हमारे साथ काम करने वाले सभी लोगों को, पड़ोसियों को सब को प्रोत्साहित करें कि वह सुबह ही वोट डाल दे। गर्मी होने के पहले। हो सकता है हम ग्रुप्स में खट्टे हो जाए अपने एरिया में। मैंने तो पहले रिक्वेस्ट किया कि अगर आप सब और मैं बड़ी जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूँ। इस रूम में बैठे हुए सब लोग अगर आप अपना मोबाइल फोन खोलें साधारणता तो मैं कहता हूँ किं 500 तो कांटेक्ट होंगे। पर इस रूम में बैठे हुए एक-एक व्यक्ति के फोन में कम से कम दो हजार कांटेक्ट होंगे इस रूम में। इस प्रकार के ऑडियंस में। थोड़े डुप्लीकेट होंगे। अतुल का नंबर मेरे में भी है, किरण में भी है, रामभाई में भी है। डुप्लीकेट निकल भी दो, तो मैं दावे के साथ कहता हूँ कि यह रूम की ताकत इतनी है, अगर हम थोड़ी मेहनत करे और मोदी जी के लिए, इस देश के लिए हम सब में जो प्यार है, जो आस्था है, जो विश्वास है। मैं इतना ही आपसे दरख्वास्त कर रहा हूँ हम सब अपना फोन निकाले, फोन में जितने कांटेक्ट है उनको अगर हम प्रेरित करें प्रोत्साहित करें कि सुबह-सुबह जाकर वोट डाले। हो सकता है कि हमारे दो चार वोट वाले, दो चार फोन एसे चले जाए जो सामने भी वोट डाल दे। चलेगा। बट अपनी जिम्मेदारी पूरी करें। वोट डालने जाये। अगर यह रूम में बैठा एक-एक व्यक्ति अपने सब मित्रों को, सब काम करने वाले सभी सहयोगियों को, रिश्तेदारों को, पड़ोसियों को अगर फोन कर दे अगले दस बारह पन्द्रा दिन में और सारे दस के पहले लोगों को वोट डालने के लिए प्रेरित कर दे। तो मुंबई की तो 6 की 6 सीट पक्की जीतेंगे लेकिन भारत की दो तिहाई बहुमत से हम मोदी जी को समर्थन देते हैं। मोदी जी के कार्य शक्ति को और मजबूत बनाएं इस प्रार्थना, इस विनम्र प्रार्थना के साथ में अपनी बात को विराम करता हूँ। आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं, बहुत-बहुत शुभेच्छा। 29 तारीख कमल के बटन पर और धनुष बाण के बटन पर आप सब वोट दें अपना। ऐसी प्रार्थना के साथ मैं आप सबसे इजाजत लेता हूँ।

धन्यवाद।

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