Speeches

February 10, 2019

Speaking at 13th Foundation Day of SPMCIL, in New Delhi

कामगार, प्रतिनिधि कामगार बंधु, सभी विजेता जिनको आज सम्मानित किया गया उनकी निष्ठा के लिए, उनके अच्छे काम के लिए, पत्रकार बंधु भाइयों और बहनों। वैसे आज मेरा एक बहुत बड़ा भ्रम टूट गया है, अभी तक मैं सोचता था और रेलवे मंत्रालय पिछले डेढ़ वर्ष से देख रहा हूँ मुझे लगता था शायद सबसे पुरानी संस्था रेलवे होगी, 160 साल पुरानी। आज आपने वह भ्रम ही तोड़ दिया, आपने बताया कि मुंबई का मिंट तो 190 साल पुराना है। पर ख़ुशी की बात यह है कि दोनों शुरू मुंबई से हुए, मेरे शहर से।

ट्रेन भी मुंबई से ठाणे गयी थी और मिंट भी मिंट स्ट्रीट पर, वैसे बचपन से हम मिंट स्ट्रीट-मिंट स्ट्रीट देखते थे, I must have been there a few thousand times probably. पर कभी यह नहीं कनेक्ट किया कि Mint Street is because the coins are being minted there. हम तो सोचते थे रिज़र्व बैंक हेडक्वार्टर है तो इसलिए मिंट स्ट्रीट है।

तो बहुत अच्छा लगा आप सबसे मिलकर, अभी-अभी वैसे मुंबई से ही आ रहा हूँ सुबह। और वास्तव में एक वित्त मंत्री टेम्पररी चार्ज होने के कारण ही मुझे यह मौका मिला, मैंने तो कल शाम को माननीय अरुण जेटली जी वापस आ गए हैं हम सबके लिए बहुत ख़ुशी की बात है, स्वस्थ होकर वापस आये हैं। कल मैं उनसे बात कर रहा था मैं कह रहा था फिर मैं आज का कार्यक्रम छोड़ सकता हूँ क्या मैं एक और दिन मुंबई रह जाऊंगा, तो उन्होंने कहा नहीं, तुमने एग्री किया है तो तुमको जाना पड़ेगा।

पर अच्छा लगा आप सबसे मिलने का भी मौका मिल गया और आपके पास तो अनलिमिटेड करेंसी, अनलिमिटेड नोट्स रहते हैं, अगर बजट बनाने के पहले आपने बुला लिया होता शायद बजट बनाने में भी सुविधा हो जाती। वित्त मंत्री के लिए तो जिधर-जिधर से पैसे आ सकते हैं हमने ले लेने चाहिए, बटोर लेने चाहिए। पर यह हम सबके लिए गौरव की बात है कि शायद 16-17 साल पहले वाजपेयी जी की सरकार में यह fiscal responsibility, FRBM Act कब बना? 2003 में, जब वाजपेयी जी की सरकार थी, श्रद्धेय वाजपेयी जी ने देश की अर्थव्यवस्था अच्छी तरीके से चले उसके लिए FRBM Act वगैरा बनाया।

वैसे तो अमेरिका में आज भी मुझे लगता है deficit financing is by printing of currency? Is that right or wrong Subhashji? We keep hearing these stories that they just keep printing more currency.

But जिस प्रकार से आपने कंपनी को ग्रो किया है, जिस प्रकार से कंपनी की आधुनिकीकरण की है, modernize किया है और अब बताया कि debt-free भी हो गयी है मैं समझता हूँ आप सबके लिए बहुत ख़ुशी की बात है, बहुत गर्व की बात है। और साधारणतः यह सक्सेस में सभी की भागीदारी होती है, ऐसा कुछ नहीं होता है कि कोई एक यूनिट या दूसरा यूनिट या कुछ ही लोग इसके भागीदारी होते हैं। स्वाभाविक रूप से संस्था के सभी कर्मचारियों ने मेहनत की है, निष्ठावान काम किया है। लेकिन अवॉर्ड्स तो देने के लिए कुछ ही लोग चुने जाते हैं जो exceptional perform करते हैं। और सभी आज के अवार्डीस को मैं बहुत-बहुत तहे दिल से मुबारकबाद देना चाहूंगा।

और मैं समझता हूँ अवॉर्ड फंक्शन इसलिए भी महत्वपूर्ण होता है कि हम recognize कर रहे हैं उनके अच्छे काम को, साथ ही साथ दूसरों को भी प्रेरणा दे रहे हैं कि वह अगले साल के अवार्डीस बनें और उसी तरीके से साल भर मेहनत करें, साल भर अपने काम से अगले साल के विजेता बनें यह मैसेज ज़रूर आपके सभी कर्मचारियों तक पहुंचना चाहिए। और विशेषकर नासिक की करेंसी नोट प्रेस उसके महानिदेशक एसपी वर्मा जी को अभी-अभी हमने सम्मानित किया है और उनके साथ ही सभी महाप्रबंधक – महाप्रबंधक वर्मा जी को और उनकी पूरी टीम को मैं तहे दिल से मुबारकबाद देता हूँ और आप सब लोग इसी प्रकार से और मेहनत से काम करते रहें यह मुझे पूरा विश्वास है।

वास्तव में हम सबका पोटेंशियल बहुत है, वह पोटेंशियल हम सब अगर यूज़ करने लग जाएं तो एकाद कंट्री नहीं मुझे अभी तृप्ति जी बता रही थी हमने बातचीत शुरू की है कि मिंट करके कॉइन्स हम एक्सपोर्ट करना शुरू करें पर एकाद कंट्री क्यों आप तो पूरे अफ्रीका के 55 कन्ट्रीज में एक्सपोर्ट करने की कल्पना से आगे बढ़िए। यूरोप में आज कॉइन्स मिंट करना मैं समझता हूँ हमारे से दस गुना ज़्यादा महंगा होता होगा, वहां पर बातचीत शुरू करें।

We should have a huge outreach programme कैसे हम विदेश में अपनी प्रिंटिंग से करेंसी नोट्स, कॉइन्स, पोस्टल स्टैम्प्स, हर एक क्षेत्र में आज विश्व में संभावनाएं हैं। भारत की क्षमता है, भारत में आप सबका ट्रैक रिकॉर्ड बहुत अच्छा है। और मुझे लगता है कि इसमें अब छोटी एम aim करिये, think of a big jump. और मुझे लगता है पिछले 4-5 वर्षों में कोई भी क्षेत्र हो उसमें हमने छोटे-मोटे इंक्रीमेंटल ग्रोथ की कल्पना नहीं की है, हर क्षेत्र में कैसे हम एक छलांग लगाएं उस प्रकार की कल्पना से प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में सरकार ने काम किया है।

और शायद दो-तीन दिन पहले उनके भाषण अगर हम सुनें जो गुरुवार को उन्होंने लोक सभा में दिया,  हर क्षेत्र में चाहे वह शौचालय बनाने का काम हो, चाहे वह बिजली पहुंचाने का काम हो, कुकिंग गैस देने का काम हो, जन धन खाते खोलने का काम हो, एलईडी बल्ब लोगों तक पहुंचाने का काम हो जिससे आज 50,000 करोड़ रुपये की बचत हम सबके बिजली के बिलों में होती है। आप ने सब एलईडी कर दिया है कि नहीं अपनी फैक्ट्रीज को 100%? Very good!

ऐसे ही मैं समझता हूँ यह जो modernisation का प्लान है अभी मैं आपसे चर्चा कर रहा था इसको कोई फेसेस वगैरा में करने की क्या आवश्यकता है, मुझे नहीं लगता कोई हमारे पास 1000-1500-2000 करोड़ रुपये की तंगी होगी अगर हम करना चाहें तो। तो सोच को समुचित मत रखिये, छोटा मत रखिये और ज़रा भी कॉम्प्रोमाइज मत करिये जो दुनिया में सबसे अत्याधुनिक है वही होना चाहिए भारत में, nothing but the best.

और by chance अगर कोई approvals की आवश्यकता है तो अगले एक-दो महीने में जो approvals चाहिए आप सुभाष जी से ले लीजिये और सुभाष जी ज़रा भी विलंभ मत करना, इतना देख लेना कि second best कुछ नहीं होना चाहिए, it should be the best in the world. और कोई फेसेस करनी की ज़रूरत नहीं है, सीधा एक साथ सभी अपने मिन्ट्स प्रेसेस को modernize करिये, टीम्स बनाइये, लोगों को हायर करिये अगर आपके पास टीम्स नहीं हैं जो दुनिया में फैलें सब जगह जाएं, एक्सपोर्ट के हर पोटेंशियल, हर संभव पोटेंशियल को और जब आपके पास most modern presses होंगे और 190 वर्ष का इतिहास होगा तो मैं समझता हूँ कोई हिचकिचाएगा नहीं आपके साथ व्यापार करने के लिए, आपके साथ काम करने के लिए।

यह जो 600-700 करोड़ का कुछ प्रॉफिट मैं देख रहा था, 630 करोड़, अब आपको प्लान करना चाहिए 6000 करोड़ का प्रॉफिट कैसे बनाएं। And I mean it, I am very serious about it Triptiji, don’t take it lightly. मैंने जिस भी विभाग में काम किया है इसी प्रकार से कल्पना की है, LED प्रोग्राम देख लो कभी कल्पना नहीं थी किसी को कि पूरा देश विश्व का लीडर बनेगा LED में।

रेलवेज में यह unmanned level crossings में बड़े एक्सीडेंट्स होते थे मेरे सँभालने के मैंने तीसरे चौथे दिन जब सेफ्टी रिव्यू किया उसी दिन निर्देश दिया कि रेलवे में एक भी unmanned level crossing नहीं रहना चाहिए, not one! और मेरा तो झगड़ा हो गया जब मुझे दो महीने पहले बताया गया साहब एक बाकी रह गया है, I said you have failed in your duty. वह बुलंदशहर में कोई लॉ एंड ऑर्डर प्रॉब्लम के कारण हम एक नहीं कर पाए थे, 31 जनवरी को वह भी ख़त्म हो गया।

तो आपने देखा होगा राष्ट्रपति जी के अभिभाषण में कहा गया कि लगभग सब समाप्त हो गया है, मैंने एक तारीख को अपने भाषण में कहा अब कोई भी नहीं है पूरे देश में unmanned level crossing. तो इसी प्रकार से मुझे पूरा विश्वास है यह जो टीम आपकी बैठी है मेरे सामने इसमें पूरी क्षमता है most modern technology absorb करने की और विश्वभर में मेक इन इंडिया के तहत मेड इन इंडिया कॉइन्स जाएं, मेक इन इंडिया करेंसी जाये, स्टैम्प पेपर जाए, पोस्टल स्टैम्प्स जाएं उससे ज़्यादा हम सबके लिए ख़ुशी की क्या बात हो सकती है।

और भारत मूल के जितने निवासी विश्वभर में रहते हैं जब वह अपने व्यापार करें कॉइन से या नोट से और उनको पता हो कि यह भारत में बना हुआ कॉइन है, भारत में बना हुआ नोट है तो सोचिये कैसे उनकी भी छाती फूलेगी गर्व से आपके काम से।

Demonetization, नोटबंदी के समय जो काम किया उसकी सुभाष जी ने भी उल्लेख की, मैं आपका तहे दिल से माननीय प्रधानमंत्री जी के बिहाल्फ पर, हम सब मंत्रियों के बिहाल्फ पर, सब अधिकारियों के बिहाल्फ पर और देश की जनता के बिहाल्फ पर आप सबका धन्यवाद करना चाहता हूँ। और आपको मुबारकबाद भी देना चाहता हूँ जिस गति से और जिस लगन से जिस प्रतिबद्धता से आपने उन दिनों में वह जो 60-90 दिन एक प्रकार से चुनौती थी देश के सामने उसमें जो आपने काम किया वह लाजवाब था और वास्तव में बधाई के पात्र था, आप सबको बहुत-बहुत बधाई।

और एक प्रकार से उस एक कार्यकाल ने जो नोटबंदी का कार्यकाल रहा और उसके बाद जो देश की सोच बदली है और देश ने तय किया कि अब सीधे रास्ते चलना ही ठीक है, अब ईमानदार व्यवस्था ही देश को आगे बढ़ाएगी उसमें आप सब भी एक संतुष्टि कर सकते हैं कि आपका योगदान इतिहास में याद रहेगा कि आपने किस प्रकार से नोटबंदी को सफल बनाया !

कठिनाइयां हुई, आपको भी हुई जनता को भी हुई लेकिन जनता ने उस कठिनाई को सहन किया, उसको स्वीकार किया क्योंकि सबको विश्वास था कि यह जो कदम हैं यह आगे चलकर देश को एक नए मार्ग पर लेकर जायेगा, एक ईमानदार मार्ग दिखायेगा और यही ईमानदार मार्ग से देश तेज़ गति से प्रगति कर सकता है। जब देश ईमानदार होगा तभी आगे चलकर हमारी अगली पीढ़ियां विश्व में जाकर एक ईमानदार व्यवस्था में जुड़ेंगी और भारत जब एक ईमानदार व्यवस्था के रूप में उभरेगा पूरे विश्व में तभी जाकर पूरा विश्व भी भारत की इज़्ज़त करेगा, भारत के हर निवासी की इज़्ज़त करेगा।

अगर अनुमति हो तो एक-दो सुझाव दे दूँ? यूनियन का मुझे उसमें समर्थन लगेगा हम सबको लेकिन वास्तव में मैं समझता हूँ आप सबके लिए हर प्रकार से अच्छा होगा। मैं तृप्ति जी से अभी जब मुझे मालूम पड़ा मुझे तो ख्याल ही नहीं था कि मिंट स्ट्रीट पर आपके पास मिंट है, मैंने कहा कितनी ज़मीन है? तो बोली दो-ढाई एकड़ हैं शायद। और मेरे ज़हन के बाहर है कि आज के ज़माने में, 190 वर्ष के बाद आपको साउथ मुंबई, दक्षिण मुंबई में क्यों कॉइन्स की मींटिंग करने की आवश्यकता है मेरे ज़हन के बाहर है। हाँ, हमारे कर्मचारी कुछ होंगे जो उसमें काम करते हैं लेकिन वही कर्मचारी परेल से या जहाँ भी आपकी कॉलोनीज हैं वहां से दक्षिण मुंबई ट्रेनों में जकड़कर आते होंगे या इतने ट्रैफिक में आते होंगे उसके बदले उनको नार्थवर्ड्स जाना पड़े तो शायद सुविधाजनक भी जायेंगे, उस ढाई एकड़ को आप मोनेटाइज करेंगे तो यह जितनी modernisation आपको करनी है …. प्रेस का वह पूरा खर्चा बिना कर्ज़ा लिए उस ढाई एकड़ से आप कलेक्ट कर सकते हैं।

और मैं यूनियन के अपने भाई बहनों को कहना चाहूंगा कि हमको सोच बदलने की आवश्यकता है, हम पकड़कर रहें पुरानी बातों को तो देश में प्रगति और विकास नहीं हो सकता है। वास्तव में आप सोचिये इतना ट्रैफिक जैम रहता है मिंट स्ट्रीट पर जो भी अगर कोई वहां से आया हुआ हो यहाँ पर या जिसने भी वह देखी हो, ट्रैफिक जैम रहता है। आप जो सामान बनाते हो वह उस ट्रैफिक जैम को और बढ़ाता है, उसको वहां से निकालना तो पड़ता ही हैना? छोटी सी उन गलियों में, रात को करते होंगे, ट्रकों को तो रात को ही लाते होंगे। सिक्योरिटी की भी एक प्रकार से मैं समझता हूँ एक हेडएक होगी उस जगह पर उतने क्राउडेड जगह में कैसे सिक्योर रखना।

अच्छा हमारे कर्मचारी फिर अपने घर मकान के मालिक बन सकते हैं अगर उनको समझो इस प्रेस को हम नवी मुंबई या उधर कहीं ले जाते हैं। हम मदद करके सभी कर्मचारियों को वहां पर अपने मकान का मालिक बना देंगे, क्यों हमारे मोहताज रहे क्यों सरकार के घर के मोहताज रहे। उनको हमारी प्रधानमंत्री आवास योजना में भी सुविधा दे सकते हैं, वैसे तो सरकारी स्कीम्स भी हैं लोन्स वगैरा देने की।

तो क्यों रुकना पड़े हमारे कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद ध्यान आये कि अरे हमने अपना घर नहीं बनाया, अपना मकान नहीं बनाया। और मकान नज़दीक होगा, अच्छा बढ़िया मकान होगा, यह तो आपके मकान भी रेलवे की तरह ही होंगे, बुरे हाल में होंगे I am sure. I don’t know. क्या है भाई आपके मकानों की हालत? पुराने होंगे, रेलवे के भी मैं मकानों को अब सब इस प्रकार से modernize करने जा रहा हूँ कि ज़मीन को हम मोनेटाइज करेंगे और जहाँ-जहाँ पर मोनेटाइज करेंगे उसमें जो कॉलोनीज एनबीसीसी या जो भी बनाये उसमें हमारे रेलवे के सब अधिकारियों को मौका देंगे, मतलब सब कर्मचारियों को मौका देंगे कि वह अपने घर के मकान मालिक बनें, क्यों उनको रिटायरमेंट के बाद फिर ढूंढना पड़े घर और फिर मुश्किल हो।

और यह सब संभव है, यूनियन्ज़ के साथ मैंने बातचीत भी की उन्होंने पूरे ओपन उससे स्वागत किया रेलवे के सभी यूनियन्ज़ ने, दो-तीन प्रमुख यूनियन्ज़ ने, बीएमएस के मैं देख रहा था यहाँ काफी यूनियन अधिकारी आये ऊपर, बीएमएस के भी यूनियन ने स्वागत किया इस कल्पना को कि रेलवे में करीब-करीब 12-13 लाख लोग काम करते हैं। मेरी तो तीव्र इच्छा है कि अगले दो-तीन वर्षों में सबके सब अपने मकान के मालिक बन जाएं।

फिर आप जॉइंट वेंचर कर सकते हो रेलवे के साथ कि अगर समझो कोई व्यक्ति आपके यहाँ नाम ले लो कोई राजेश व्यक्ति है, रहने वाला झाँसी का हो समझो, और आपकी मिंट तो झाँसी में है नहीं, आपकी कॉलोनी है नहीं। हमारे यहाँ तो सब जगह कॉलोनीज हैं रेलवेज की देश भर में, पर जब झाँसी की कॉलोनी बनेगी उसमें राजेश अपना मकान – अगर अपने घर पर जाकर आगे चलकर पोस्ट रिटायरमेंट रहना चाहे तो झाँसी में अपना घर वहां पर रेलवे की कॉलोनी में वह खरीद ले, किराये पर चढ़ा दे कोई रेलवे का अधिकारी किराये पर ले लेगा जब तक उसको खाली नहीं करना है। और गवर्नमेंट टु गवर्नमेंट अधिकारी होंगे तो खाली करने की भी मुश्किल नहीं होगी।

I am just throwing an idea कैसे हमने पूरे हमारे सरकारी व्यवस्था को एक ऑर्गेनिक एंटिटी, एक समूह की तरह देखना चाहिए। हम सब दुर्भाग्य से अलग-अलग बटे हुए सोच में पड़े रहते हैं, यह मेरी कंपनी है तो मैं बस उतना ही सोचूंगा, रेलवे अपने साम्राज्य को चलाएगा अपने आप ही उसकी ही सोचेगा। पर अगर हम पूरी सरकारी व्यवस्था और साथ में राज्य सरकारों को भी जोड़ दें तो केंद्र और राज्य की सरकारें और हमारे सब PSUs अगर एक साथ मिलकर सोचें और कल्पना करें तो आप सोचिये कितना बड़ा परिवर्तन हो सकता है, कितना बड़ा विकास के लिए एक माध्यम बन सकता है।

और बिना लोन के आप जब modernize करोगे तो प्रॉफिट भी आपका बढ़ जायेगा, प्रॉफिट बढ़ेगा तो अगली बार वेज नेगोशिएशन में यूनियन वाले ज़रा और कड़क नेगोशिएट भी कर पाएंगे आपसे। ठंडी है यहाँ की यूनियन। मैं वेज नेगोशिएशन में आपको और बल दे रहा हूँ और आप उसमें भी खुश नहीं हो।

एक छोटा उदाहरण देकर इस बात की सराहना करना चाहूंगा और फिर अपनी बात को भी विराम दूंगा। एक विद्वान व्यक्ति ने अपने बच्चे को कहा एक छोटा सा पौदा किधर था शायद कुछ फूल-वूल हों उसपर, कि इस पौदे को निकालकर लाओ। वह गया उसने खींचा निकालकर ले आया, उस विद्वान व्यक्ति ने कहा कि थोड़ा और दूर जाओ वह जो पेड़ है उसको निकालकर लाओ, छोटा पेड़ था, बड़ा नहीं था, थोड़ा गया मेहनत करके खींच-खांचकर निकालकर ले आया। फिर विद्वान व्यक्ति ने एक बहुत बड़ा ऊँचा पेड़ था, बरगद का पेड़ था, शायद 190 साल पुराना हो मुझे पता नहीं कितना पुराना था, बरगद का पेड़ था। उसको कहा जाकर उसको खींचकर निकालकर लेकर आओ।

बच्चा बोला मैं वह कैसे निकाल सकता हूँ वह तो इतना बड़ा है, इतना मुश्किल है। लेकिन विद्वान ने कहा कि कभी भी कोई चीज़ मुश्किल नहीं होती है। अगर हम अपनी 190 वर्ष की लिगेसी को मुश्किल बना देते हैं और मुश्किल सोचते हैं तो कभी सक्सेसफुल नहीं हो पाएंगे लाइफ में, पुरानी सोच, पुरानी व्यवस्थाओं को बदलने की आवश्यकता है।

वह लड़का वहां गया, देखा, जाइज़ा किया कैसे क्या करना चाहिए, फिर ख्याल आया कि इसको अगर मैं गड्ढा खोदूं चारों तरफ और इसके रूट्स तक जाऊं तो मैं रूट पर जाकर इसको नीचे से जब देखूंगा तो इसकी जो भी गलत चीज़ें हैं जो भी तकलीफ है उसको निकाल सकता हूँ, और ज़रूरत पड़े तो वह पेड़ भी उखाड़ सकता हूँ। लेकिन विद्वान की इच्छा पेड़ उखाड़ने की नहीं थी, विद्वान के ध्यान में था कि यह 190 वर्ष पुराना पेड़ हो गया है, नीचे इसके शायद वीड्स वगैरा आ जाती हैं तो कमज़ोर होते जा रहा है। ज़रूरत है कि इसमें नीचे तक जाकर खाद देना पड़ सकता है शायद, पानी पहुँच रहा है कि नहीं वह देखना पड़ सकता है शायद, नुट्रिएंट्स डालने की आवश्यकता पड़ सकती है।

और इसलिए चाहता था कि वह बच्चा जाये, खोदे, देखे नीचे क्या समस्याएं हैं उस पेड़ को आगे और 190 वर्ष तक रहने के लिए क्योंकि अगर 190 वर्ष का इतना बड़ा पेड़ गिर जाये और वह भी बरगद का पेड़ गिरे तो कितना बड़ा नुकसान तो होगा ही लेकिन एक प्रकार से सेंटिमेंटल वैल्यू होती है बरगद के पेड़ की।

और मैं समझता हूँ आपकी कंपनी तो वास्तव में देश के लिए एक बरगद का पेड़ है, उस समान है। आपकी वजह से देश की अर्थव्यवस्था स्मूथ भी चलती है, आप समय-समय पर जहाँ ज़रूरत पड़े कॉइन्स पहुंचाते हैं, सिक्योरिटी पेपर पहुंचाते हैं, पोस्टल स्टैम्प पहुंचाते हैं उसके बगैर पूरी व्यवस्था पोस्टल डिपार्टमेंट बंद हो जाये, नोट्स नहीं होने के कारण समस्या तो एकदम पूरी व्यवस्था की ख़त्म हो जाएगी, कारोबार ख़त्म हो जायेगा।

तो आपकी बहुत अहमियत है और उस अहमियत को हमें बरकरार रखना है जिसके लिए जो भी व्यवस्थाएं चल रही है इतने सालों से, और मैं वास्तव में रेलवे में वही अनुभव कर रहा हूँ, एकदम I can see a great parallel. पर अब सोच बदलने की कोशिश कर रहे हैं वहां और मुझे पूरा विश्वास है आप भी मैनेजमेंट हो, हमारे कर्मचारी भाई बहन हो, यूनियन हो, या डिपार्टमेंट हो सब मिलकर इसी प्रकार से अपनी सोच को भी modernize करेंगे, आधुनिकीकरण करेंगे उसका।

Best of technology, modern management practices, innovative thinking कैसे हम, जैसे अभी सुभाष जी कह रहे थे कि भाई अभी भी क्यों इम्पोर्ट करना पड़ रहा है रिज़र्व बैंक को पेपर, हमने कहा अच्छी मॉडर्न प्रेस लाकर अपनी कैपेसिटी बढ़ाएं, मॉडर्न प्रेस लाएंगे, कैपेसिटी बढ़ाएंगे, सरप्लस होगी तो एक्सपोर्ट करने में भी सुविधा हो जाएगी। मुझे नहीं लगता शायद इम्पोर्टेड पेपर बाहर से आएगा उसपर प्रिंट करके शायद आपको एक्सपोर्ट में भी तकलीफ हो सकती है। They may want to have the assurance कि बहुत secure environment में पेपर बन रहा है, क्योंकि इम्पोर्ट करने में कहीं गड़बड़ हो जाये कहीं गलत पेपर आये कुछ आये।

इंक का आपने शायद बताया अभी आप खुद की इंक बनाते हैं, but I had thought अभी भी UK वगैरा से इंक इम्पोर्ट होती है कुछ। हाँ तो उसका भी कुछ सोचिये कि can we get technology transfer, उसमें भी कई सारे कई बार हम सुनते हैं कि कुछ न कुछ प्रश्न चिन्ह उठाये जाते हैं उसके बारे में भी। तो हमको कोशिश करनी चाहिए वह भी अपने कंट्रोल में आये most modern technology अपने प्रेसेस की हों।

I think we have to really look holistically कि अगले 190 वर्ष का जो यात्रा हम सबको आप सबको और हम सबको मिलकर करनी है उसके लिए कैसे आज हम तैयार हों, कैसे हम पूरे आर्गेनाइजेशन में एक ऐसी नीव स्थापना करें, ऐसी फाउंडेशन बनाएं कि कोई कभी समस्या आये, कोई कभी आगे तकलीफें आएं उसमें हमारी संस्था और खासतौर पर आपका तो सिक्योरिटी, प्रिंटिंग और मिन्टिंग, दोनों का काम इतना क्रिटिकल और इतना हाइली सिक्योर एनवायरनमेंट में होने की आवश्यकता है। Counterfeiting न हो उसके लिए क्या-क्या नए-नए प्रयोग किये जा सकते हैं, कैसे पता नहीं अमेरिकन डॉलर्स के ऊपर वह एक पेन लगाते हैं और पता चल जाता है उनको यह counterfeit है नहीं है।

इस टाइप की मोस्ट दुनिया में अगर चार कदम गए तो हमको पांच कदम आगे जाना है, इस प्रकार की सोच से यह संस्था आगे चले। आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं, पुनः एक बार सभी अवार्डीस को मुबारकबाद, अगले साल के अवार्डीस को शुभकामनाएं। और अगले साल के अवार्डीस बनने के लिए तो सभी को काम करना पड़ेगा और अच्छे से, उसमें तो संभावनाएं ओपन हैं सबके लिए।

All the very best to you, your families and I pray for the continued success of this wonderful organisation. Thank you.

 

 

 

 

 

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