Speeches

April 16, 2018

Speaking at 63rd Railway Week National Awards Function

सदस्य रेलवे बोर्ड के श्री रविन्द्र गुप्ता जी, श्री घनश्याम सिंह जी, श्री ए.के. प्रसाद जी, श्री गायन जी, कुछ मेम्बर आ नहीं सके क्योंकि दिल्ली में भी आज एक ज़रूरी मीटिंग थी जिसमें मेम्बर ट्रैफिक और मेम्बर इंजीनियरिंग दोनों की मुझे सहायता की आवश्यकता थी इसलिए उन दोनों की तरफ से भी मैं आप सबसे क्षमा भी मांगता हूँ और उन दोनों का मैं समझता हूँ हम प्रजेंस आज यहाँ मिस करेंगे | सभी रेलवे के सीनियर अधिकारीगण, मध्य प्रदेश सरकार के सीनियर अधिकारीगण, मीडिया के मित्रों, भाईयों और बहनों |

हम सबके लिए गर्व की बात है कि 165 साल पुरानी आज रेलवे की व्यवस्था बार-बार लगातार उत्कृष्ट काम करके देश की जनता की अलग-अलग प्रकार से सेवा में जुटी हुई है, फिर वह चाहें यात्री हों जिनका काम एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने का सरल करती है रेलवे और या वह फिर अलग-अलग उद्योग हों या बिजली घर हों जहाँ पर फ्रेट ट्रैफिक के माध्यम से रेलवे लगातार सेवा करती है, देश की आर्थिक व्यवस्था को तेज़ गति देने में अपना कार्य लगातार करती रहती है |

मुझे बताया गया आज लगभग 160 से अधिक अवार्ड्स भी दिए गए हैं, कुछ दिए गए हैं कुछ दिए जाने वाले हैं जो पुरस्कृत करते हैं उन रेलवे के परिवार के सदस्यों को जिन्होंने वर्ष भर में एक्स्ट्राऑर्डिनरी काम करके, कुछ न कुछ विशेष अपनी भूमिका अदा कर  रेलवे की सेवाओं को और अच्छी तरीके से निर्वहण किया | मैं सभी उन अवार्डीज़ का जिन सबको आज पुरस्कार मिलने वाला है उन सबको तहे दिल से बधाई देता हूँ, उनका स्वागत करता हूँ और मुझे पूरा विश्वास है यह अवार्ड उनको और अच्छी सेवा देने के लिए भी प्रेरणा देगा और हमारे बाकी 13 लाख जो रेल कर्मचारी हैं उन सबको प्रेरित करेगा कि सभी अपने-अपने क्षेत्र में, और क्षेत्र कितना भी बड़ा हो, छोटा हो उससे कोई फर्क नहीं पड़ता है |

मैं समझता हूँ हम सबकी जिम्मेदारियां अनेक हैं, हम सब अपनी जिम्मेदारियों से अच्छी तरीके से परिचित हैं और जितना अच्छा हम अपनी जिम्मेदारियों का तो पालन करेंगे ही लेकिन उसके आगे बढ़कर, उससे ज्यादा जिसको रेस्पोंसिबिलिटी-प्लस कह सकते हैं | जितनी अच्छी हम अपने काम में लगन लगायें, जितना अच्छा सेवा दें देश के यात्रियों के लिए भी, देश की आर्थिक व्यवस्था के लिए भी, मैं समझता हूँ सामूहिक रूप से इस 13 लाख रेलवे के परिवार में इतनी ताकत है, इतनी क्षमता है कि हम अद्भुत  काम कर सकते हैं | और वास्तव में एक कोई भी संस्था या कोई भी व्यवस्था कोई एक्स्ट्राऑर्डिनरी काम के लिए एक्स्ट्राऑर्डिनरी लोग बाहर से आकर नहीं कर सकते हैं |

It is always the ordinary people who give extraordinary performance for an organisation to really flourish.

मैं समझता हूँ आज कुछ लोगों को यह अवार्ड मिला होगा, हो सकता है कुछ लोगों ने और बहुत अच्छे काम किये हों जिनको आज अवार्ड का अवसर ना मिला हो पर वह सिर्फ इसलिए कि  जब  भी कमपैरिसन में या जब भी सिलेक्शन में कोई व्यवस्था चुनती है तो ऐसे कई लोग रह जाते हैं जो अवार्ड के तो वास्तव में हकदार होते हैं, दावेदार होते हैं लेकिन एक कॉम्पिटेटिव स्पिरिट में रह जाता है | मैं समझता हूँ उन सबको भी मैं बधाई दूंगा, उन सबको भी यही कहना चाहूँगा कि आज अवार्ड ना भी मिला हो लेकिन आपकी सेवाओं को हम भलीभांति देखते हैं, आपकी सेवाओं के लिए हम आपके कृतज्ञ हैं और पूरा देश आज रेलवे की व्यवस्था के ऊपर गर्व करता है |

बहुत ख़ुशी की बात है कि गत जो वर्ष गया है उसमें सेफ्टी का भी रिकॉर्ड रेलवे का बहुत बड़े पैमाने  पर सुधरा है और शायद डबल डिजिट पर आ गयी है हमारी जो एक्सीडेंट्स या जो भी कुछ न कुछ कमियां रह गयी हैं | अब हम सबकी सामूहिक ज़िम्मेदारी रहेगी कैसे इसको और सुधार किया जाये, हम सबको अपने-अपने क्षेत्र में नए आइडियाज लाने पड़ेंगे, नयी तरीके से सोचना पड़ेगा, नए काम करने के ढंग निकालने पड़ेंगे जिससे यह लगातार हर वर्ष और सुधरती जाए और आगे चलकर मैं समझता हूँ हम सबमें इतनी ताकत है कि विश्व की सबसे सुरक्षित रेलवे बनाने का हम सब बीड़ा उठाएं और हम सब संकल्प करें |

समय पर ट्रेन चलना, ट्रेन्स में साफ़ सुथरा वातावरण हो, सुरक्षा हो, खाने-पीने की व्यवस्था अच्छी हो, स्टेशन हो या ट्रेन हो दोनों में साफ सुथरा वातावरण मिले, खासतौर पर शौचालय की सुविधा अच्छी बने और अलग-अलग तरीके से कैसे हम रेल के यात्रियों को और खुश कर सकें | जिसको मैंने कई बार कहा – Let’s bring the charm back into rail travel once again.

आपमें से कई लोगों को याद होगा, मैं कम से कम कई बार याद करता हूँ अपने बचपन के दिन जब हम रेल सफ़र के लिए निकलते थे तो जो वह स्वाद था कटलेट और टोस्ट और चाय का वह आज किधर न किधर रह गया है इतने वर्षों में | क्या हम फिर से वह लेवल ऑफ़ सर्विस, फिर से वह स्वादिष्ट भोजन, फिर से वह आत्मीयता जिससे हमारे रेल के कर्मचारी यात्रियों के साथ व्यवहार करते थे, फिर से वह सुरक्षा का माहौल जिसमें हमारी बहनों को, माताओं को, यात्रियों को सुरक्षा कोई विशेष रूप से न चिंता करनी पड़े, स्वाभाविक रूप से हर एक को सुरक्षित महसूस करने का मौका मिले, क्या ट्रेन एकदम समय पर पहुंचना यानी जैसे स्विट्ज़रलैंड में कई बार कहा जाता है आप अपनी घड़ी का समय गाड़ी के अराइवल और डिपार्चर से मैच कर सकते हैं उस टाइप की प्रिसिशन हमारी रेल सुविधाओं में ट्रैफिक में |

यह चीज़ें छोटी लगती होंगी, इन चीज़ों में कभी-कभी ऐसा लगता है कि यह क्या विषय है रेलवे वीक में डिस्कस करने का लेकिन मैं समझता हूँ जब हम इतना महत्वपूर्ण दिवस, इतना महत्वपूर्ण सप्ताह और 63 वर्ष हो गए हमें रेलवे वीक मनाते-मनाते | यह तो ऐसा दिन होता है जिसमें we rededicate ourselves to new goals, to new ambitions, to better and bigger targets. और जिस प्रकार का सहयोग, जिस प्रकार का involvement मैंने पूरे रेल परिवार में देखा है गत कुछ दिनों में मुझे पूरा विश्वास है कि जो भारतीय रेल को एक नया रूप, नया स्वरूप देने का काम 2014 में माननीय सदानंद गौड़ा जी ने शुरू किया था जिसको माननीय सुरेश प्रभु जी ने तेज़ गति दी और सुरेश जी के साथ मनोज सिन्हा जी, राजन जी पहले से लगे हुए थे |

और अब एक मुझे मौका मिला है आप सबके परिवारों से जुड़ने का और उस काम को और तेज़ गति देने का और नए रूप से आगे बढ़ाने का, मैं समझता हूँ और मुझे पूरा विश्वास है कि यह काम जब हम सब कंधे से कंधा मिलाकर, मिलकर ईमानदारी से और पूरी लगन से जब हम सब इस काम में जुट जायेंगे तो दुनिया की कोई ताकत ऐसी नहीं है जो हमको सफलता से रोक सकेगी, जो हमें रोक सकेगी भारतीय रेल को और बड़ी ऊँचाइयों तक पहुंचाने के लिए, और मुझे पूरा विश्वास है हम सबके संयुक्त प्रयास से भारतीय रेल विश्वस्तरीय आधुनिक टेक्नोलॉजी की रेल बनेगी, विश्वस्तरीय सुविधाओं की रेल बनेगी और शायद विश्व में सबसे सुरक्षित, सबसे अच्छी रेल बनाने का बीड़ा जो हम सबने लिया है उस बीड़ा को पूरी तरीके से पूरा करने का साहस भी हम में है और पूरा करने का पूरी तरीके से ज़िम्मेदारी भी उठाने की ताकत हम सबमें है |

यह मेरा पूरा विश्वास है, यह दृढ़ विश्वास है और मेरा मानना है कि यह पूरे रेलवे के परिवार के हर एक 13 लाख कर्मचारी का यही सपना है कि जब हम सड़क पर उतरें, जब हम किधर जायें कोई शादी ब्याह में, जब हम किधर जायें कोई त्योहार मनाने और किसी को कहें, कोई पूछे हमें हम क्या करते हैं और हम कहें हम भारतीय रेल के सिपाही हैं, हम भारतीय रेल में सेवा करते हैं, हम भारतीय रेल को चलाते हैं, हर रोज़ 20,000 गाड़ियाँ निकलती हैं हमारी सेवाओं से, हमारी देख-रेख में, हमारी निगरानी में, जब हम सड़क पर किसी को कहें कि हम भारतीय रेल में सेवा देते हैं, हम भारतीय रेल के परिवार के अंग हैं तो सामने वाला व्यक्ति सर उठाकर हमारी तरफ देखें और कहे, वाह, क्या बात है |

बहुत-बहुत धन्यवाद|

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