Speeches

September 12, 2018

Briefing Media on Cabinet Decisions, in New Delhi

धन्यवाद धर्मेन्द्र जी, तीन विषयों के बारे में आपको जानकारी दे दूं, एक तो नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ डिज़ाइन, अहमदाबाद में बहुत बढ़िया काम कर रहा है, देश में युवा-युवतियों को तैयार कर रहा है नए कौशल के साथ, और भारत से तैयार हुए हुए डिज़ाइनर सिर्फ भारत नहीं पूरे विश्व में आज प्रसिद्ध हैं| इस सरकार ने चार नए NIDs को लगाने का फैसला किया है जिसकी जानकारी पहले भी आपको दी थी| एक NID विजयवाड़ा अमरावती, एक NID जोरहाट असम, एक NID भोपाल मध्य प्रदेश और एक NID कुरुक्षेत्र हरियाणा| अब इन चारों NIDs को Institutions of National Importance (INI) का दर्जा दिया जायेगा और जो National Institute of Design, Vijaywada थी उसका नाम बदलकर National Institute of Design, Amravati किया जायेगा|

इन दोनों महत्वपूर्ण निर्णयों के लिए जो NID Act 2014 है उसमें परिवर्तन करना पड़ेगा वह amendments आज कैबिनेट ने मंजूरी दी, इसी के साथ-साथ जो principal designer हैं उनको अब professor का equivalent दर्जा दिया जायेगा| हम समझते हैं कि यह महत्वपूर्ण निर्णय इसलिए है कि हमारे भारत के युवा-युवतियों का कौशल पूरे देश में अवेलेबल है उसको प्रोत्साहन मिलेगी, सभी को NID अहमदाबाद की तरफ नहीं जाना पड़ेगा, अब जोरहाट में भी होगा, कुरुक्षेत्र में भी होगा, अमरावती में भी होगा और भोपाल में भी होगा| तो मैं समझता हूँ देश के चारों-पांचों प्रमुख इलाकों में National Institute of Design अब नए तरीके से लोगों को तैयार करेगा, विश्वभर में भारत के डिज़ाइन प्रसिद्ध हैं और इसके माध्यम से हमारे युवा-युवतियों को विश्वभर में जाने का मौका भी मिलेगा|

एक निर्णय मुंबई से संबंधित कई वर्षों से लंबित पड़ा था, राष्ट्रीय केमीकल्स एंड फ़र्टिलाइज़र्स ने कुछ ज़मीन मुंबई में MMRDA और Municipal Corporation को दी थी जिसके तहत वह Eastern Freeway बना था जिसने काफी unclog किया मुंबई के ट्रैफिक को| यह विषय भी कई वर्षों से पेंडिंग पड़ा हुआ था उसमें यह लैंड जो RCF ने दी थी उसके तहत उनको Transferable Development Rights (TDRs) अब महाराष्ट्र की सरकार ने दिए हैं जिसके वह monetize करके RCF को भी आमदनी हो जाएगी और महाराष्ट्र सरकार को लगभग 12 एकड़ ज़मीन एक प्रकार से मुफ्त में मिल जाएगी in view of TDR, उस फैसले को भी आज कैबिनेट ने post facto approval देकर legal weight दे दिया| यह win-win solution है महाराष्ट्र, मुंबई के लिए भी और केंद्र सरकार के उपक्रम RCF के लिए भी| तो यह भी निर्णय आज लिया गया कि यह जो Transferable Development Rights certificates मिलेंगे इसको RCF monetize करके पैसा उसमें से कमा सकती है|

एक महत्वपूर्ण निर्णय एक प्रकार से भारत सरकार जबसे माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने कमान संभाली है 2014 से लगातार जो कोशिश कर रहा है कि भारतीय रेल पूरी तरीके से इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन पर चले और हमारी डिपेंडेंस ऑन इम्पोर्टेड फ्यूल कम हो सके, और रेलवे के खर्चे भी कम हो सकें| बार-बार यह बात निकलती है कि पैसेंजर फेयर कम होने के कारण रेलवे के ऑपरेशनल रेश्यो में काफी कठिनाई है, अभी 7th Pay Commission आने के बाद ऑपरेशनल रेश्यो और बिगड़ भी गया है|

ऐसी परिस्थिति में प्रधानमंत्री जी की इच्छा रहती है कि एफिशिएंसी सुधार करी जाये और कॉस्ट सेविंग के माध्यम से रेलवे को फिर एक बार प्रॉफिट में लाया जाये जिससे पैसेंजर के ऊपर उसका बोझ न आये और पैसेंजर को अच्छी सुविधाएं बिना बोझे के कैसे दे सकें और साथ ही साथ प्रदूषण भी कैसे कम कर सकें क्लाइमेट चेंज के प्रति हमारी ज़िम्मेदारी है, हमारा निश्चय है कि भारत को प्रदूषण-मुक्त किया जाये, कम किया जाये जिसके लिए ट्रेनों में भी डीजल ट्रैक्शन कम करके इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन को प्रोत्साहन देने का निर्णय तीन वर्ष पहले भारत सरकार ने लिए था|

आज लगभग 46% रेलवे के रूट एलेक्ट्रिफ़ाइड हैं, 20,000 किलोमीटर पर अब काम चल रहा है जिससे लगभग 78% तक एलेक्ट्रिफाइ हो जायेगा भारतीय रेल| आज कैबिनेट ने बाकी जो बैलेंस 13,000 किलोमीटर रह गए हैं उसको 12,000 करोड़ की लागत पर उसको भी मंजूरी दे दी, 12,134 करोड़ की लागत पर, बैलेंस 13,675 किलोमीटर को एलेक्ट्रिफाइ करने की मंजूरी दे दी| शायद विश्व की पहली इतनी बड़ी रेलवे होगी 1,20,000 किलोमीटर के करीब, लाइन किलोमीटर रेलवे के लगे हुए हैं, इतनी बड़ी रेलवे विश्व में और कोई नहीं है जिसने एलेक्ट्रिफाइ किया हो अपनी रेल व्यवस्था को शत-प्रतिशत|

और मैं समझता हूँ इससे जो बचत होगी, आज का अनुमान है लगभग 13-14,000 करोड़ रुपये की सालाना बचत, आगे चलकर वह बचत और भी बढ़ जाएगी अगर डीजल के दाम, रेलवे के दाम कम नहीं होते हैं| तो मैं समझता हूँ कि एक प्रकार से यह महत्वपूर्ण निर्णय भारत के फॉरेन एक्सचेंज को भी बचाएगा, भारत में प्रदूषण भी कम करेगा और रेलवे फास्टर हो, सेफर हो, सुविधाजनक यात्रा लोगों को मिल सके इन सब चीज़ों के लिए इलेक्ट्रिफिकेशन का एक महत्वपूर्ण योजना रही है|

यह योजना को आज मंजूरी मिली है, इससे लाइन कैपेसिटी भी सुधरेगी, आजके दिन आप जानते हैं कई ट्रेन में कुछ हिस्सा डीजल पर चलता है, कुछ हिस्सा इलेक्ट्रिकल पर चलता है, रेलवे इंजन चेंज करनी पड़ती है, कई जगह पूरी रूट एलेक्ट्रिफाइ नहीं होने के कारण कुछ हिस्से में एलेक्ट्रिफाइ होने के बावजूद डीजल ट्रेन चलती है| इन सब चीज़ों से निजात मिल जाएगी रेलवे को, अब शुरू से अंत तक एक ही इंजन, इलेक्ट्रिक इंजन ही उसको खींचेगी और उससे रेलवे की एफिशिएंसी और पंक्चुअलिटी में भी सुधार होगा और लाइन कैपेसिटी भी और ज्यादा उपलब्ध हो जाएगी|

एक महत्वपूर्ण डायरेक्शन माननीय प्रधानमंत्री जी ने दिया कि एक-एक हिस्से को पूरा एलेक्ट्रिफाइ किया जाये, जैसे अगर मुंबई-दिल्ली जैसे पूरा एलेक्ट्रिफाइड है, अब दिल्ली-हावड़ा को पूरा एलेक्ट्रिफाइ किया जायेगा, हावड़ा-चेन्नई को पूरा एलेक्ट्रिफाइ किया जायेगा, दिल्ली-चेन्नई को पूरा एलेक्ट्रिफाइ किया जायेगा| तो एक-एक सेक्शन को लेकर और प्रमुखतः जो हेवी ड्यूटी सेक्शन्ज़ हैं जहाँ ज्यादा गाड़ियाँ चलती हैं उसको एंड-टु-एंड एलेक्ट्रिफाइ करेंगे जिससे ट्रैक्शन चेंज नहीं करना पड़ेगा|

एक स्वाभाविक है सवाल उठता है कि जो अभी डीजल इंजन हैं रेलवे में उसका क्या होगा? उसके लिए भी रेलवे के इंजीनियरों ने बहुत ही अच्छा शोध करके, रिसर्च करके एक्सिस्टिंग डीजल इंजन को कैसे इलेक्ट्रिक में कन्वर्ट करना यह तैयारी कर ली है| और जब-जब पीरियाडिक ओवरहॉल के लिए डीजल इंजन आएगी तो पीरियाडिक ओवरहॉल को डीजल टु डीजल करने के बदले आधे खर्चे में हम उसको डीजल से इलेक्ट्रिक कर पाएंगे तो यह खर्चा तो अलग बचेगा| जो डीजल से इलेक्ट्रिक कन्वर्ट करके हम जो ओवरहॉलिंग के खर्चे में भी बचत करेंगे यह अलग रेलवे की बचत होगी आगे चलकर|

जहाँ-जहाँ पर डीजल लोकोमोटिव बनते हैं उनको और उनके वेंडर्स के पास जो स्टॉक है उसको एग्जॉस्ट करने के बाद वहां पर भी हम इलेक्ट्रिक इंजन बनाने का कैपेसिटी बढ़ाएंगे और इन वेंडर्स को इलेक्ट्रिक इंजन के कंपोनेंट्स के लिए तैयार करेंगे जो एक प्रकार से विन-विन सलूशन भारतीय रेल के लिए भी, भारतीय रेल की फैक्ट्रीज के लिए भी और भारतीय रेल के सभी स्टेकहोल्डर्स/सप्लायर के लिए भी ढूँढा गया है| और जो हमें डीजल इंजन स्टैंड-बय अरेंजमेंट के लिए कभी इलेक्ट्रिक में फेलियर हो या कोई तकलीफ हो तो डीजल से गाड़ियाँ चलानी पड़ती हैं, या बॉर्डर एरियाज में जहाँ इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन नहीं है वहां पर जो डीजल पर चलती हैं गाड़ियाँ उसके लिए आलरेडी भारत सरकार ने एक नयी फैक्ट्री जो प्रदूषण-मुक्त लगभग, बहुत ही कम प्रदूषण देनी वाली डीजल इंजन बनाएगी और भारतीय रेल की पुर्णतः व्यवस्था अब प्रदूषण-मुक्त करने की तरफ हमने सब कदम ले लिए, यह आखिरी कदम आज लेने का फैसला आज माननीय प्रधानमंत्री जी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने लिए|

बहुत-बहुत धन्यवाद|

 

Q&A

A: This government stands committed to ensuring that farmers get 50% over their cost of production. MSP has been designed and announced based on that for all the crops, in fact, we have expanded the number of crops. Dr. MS Swaminathan has already confirmed and praised Prime Minister Narendra Modi for all his proactive steps towards farmers’ welfare, including implementation of the 50% formula. In addition to that, statistics bear out that this government in four years has provided far-far more funds than any time in the past. As an example, in Maharashtra in the 10 years before the Devendra Fadnavis’ government came in, the total procurement that Maharashtra state government had done was about 400 crore rupees in 10 years, and in two and a half years, Devendra Fadnavis government has procured about six and a half or 7,000 crores worth of food grains and different products.

This government will ensure that farmers get their price that we have assured them. We work in partnership with all stakeholders with the state government, the central government and state governments working together. We will ensure that there is no manipulation of the market through a more transparent market mechanism, and auctions take place, and price determined by auctions will be the price, if at all the state government approaches the centre and wants to participate through the Bhavantar Yojana. We will encourage states and FCI, and all the bodies of the central government to pick up more and more material if there is a price reduction or if the MSP is not available on any product in the market place.

Obviously, you all appreciate it is not that all the products all the time have to be procured fully so that farmers gets MSP. Most products sell at a good price in the market. It depends on market forces and circumstances, different areas occasionally require this kind of support, for which this government stands fully committed. And the figures he read out that where earlier the procurement used to be 3000 crores, this government increased it to 34,000 crores. So, Modi government has already increased procurement 10 times, which is a certificate, which is a proof that we stand committed to actually reaching benefit to the farmers.

Q: You have decided to go 100% electrification of railway tracks, what happens to the GE factory on diesel?

A: I already said it in the opening remarks, you might have missed it. We will need engines for backup wherever there is any problem in the electric system. We will need diesel engines in the border areas, then we can look at exporting these engines also. So various opportunities and possibilities exist, and the process of electrification takes time also. Our idea is that electrification should become the primary source of ensuring that we don’t have pollution and railways works on electric. Diesel will be required always, and all over the world. Switzerland has a 100% electric, but they have a network of standby arrangements which are required in the event of any problem.

Q: So, annually sir, how many diesel engines will you put up on GE?

A: We have estimated about 700 to 1000 engines will be required in the border areas and for stand-by in such a large network.

Q: So from GE you will be procuring that much per year?

A: Over 12 or 14 years, not per year – over 12 or 14 years.

Q: आपने कहा आरसीएफ को लगभग कितनी रकम मिलने की उम्मीद है उसमें?

A: वह अभी टीडीआर ऑक्शन करेंगे, जो ऑक्शन में पैसा आएगा|

Q: इलेक्ट्रिफिकेशन ऑफ़ रेलवेज सर अभी आपने कहा कि आप करने जा रहे हैं, लेकिन अभी की अगर में बात करूँ तो करीबन 18,000 करोड़ के आस पास का डीजल जो है consume करता है, और 300 करोड़ लीटर के आस पास जो है consume रेलवे करता है, 5% डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है उसका रेलवे की प्रोफिटेबिलिटी पर अभी क्या असर दिख रहा है?

A: स्वाभाविक है थोड़ा होता है, उसको हम कम करने के लिए ही तो इलेक्ट्रिफिकेशन को और बढ़ावा दे रहे हैं|

Thank you.

 

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