Speeches

July 1, 2018

Speaking at GST Day Ceremony, in New Delhi

Shri Arun Jaitley ji he is not only my elder brother, but he has been a mentor for me all through my life ever since I first met him in 1986, and somebody who has looked after me as much as I would expect my father to look after me. He is recovering very well. He is in good health, and on behalf of all of us in this room, I wish him very speedy recovery and be back on the job quickly.

आदरणीय श्री शिव प्रताप शुक्ल जी, हसमुख अधिया जी, हमारे बाकी सेक्रेटरीगण यहाँ पर मौजूद हैं – Mr Jha, Mr Subhash Garg, Chief Economic Advisor, Arvind Subramaniam ji भी हमारे बीच हैं; Chairman CBIC Shri S Ramesh; Mahendra Singh ji; Chairman CBDT Sushil Chandra ji, कई सारे प्रमुख व्यक्ति जिन्होंने इसमें बहुत बड़ा योगदान दिया – अजय भूषण पांडेय जी यहाँ पर हैं जिनके जीएसटीएन नेटवर्क के भरोसे यह पूरी व्यवस्था हम चला पाए हैं| वास्तव में उनकी और एक बड़ी ज़िम्मेदारी आधार की है जिसके लिए बहुत ही मेहनत और कड़ी लगन से उन्होंने इस देश को जोड़ा है एक प्रकार से आधार के माध्यम से|

अलग-अलग रूप में मिस सरना बैठी हैं पुराने    CBIC Chairperson  थी जिनके नेतृत्व में यह पूरा कारोबार सफल बनाया गया | Mr John  हैं, उपेन्द्र गुप्ता जी हैं, मुझे याद है मैं तो तब वित्त विभाग देखता भी नहीं था पर रात को बारह-एक बजे भी मैंने कई बार उपेन्द्र जी को उठाया है कुछ न कुछ उपभोक्ता की या कोई ट्रेन की प्रॉब्लम लेकर|

हमारे सभी जो ट्रेड और कॉमर्स से रिलेटेड चैम्बर्स हैं – राकेश मित्तल जी सीआईआई से, रशेष शाह जी फिक्की से, संदीप जजोडिया जी एसोचैम से, श्री अनिल खेतान जी पीएचडी चैम्बर से, श्री दिनेश चन्द्र त्रिपाठी जी एफआईएसएमई से – और मैं समझता हूँ कई मित्र जो यहाँ बैठे हैं अलग-अलग प्रकार से जिन्होंने योगदान दिया जीएसटी को सफल बनाने में| और आज के सभी अवार्डीस जिनको हम सन्मानित करेंगे उनके योगदान के लिए, उनके काम के लिए, भाईयों और बहनों|

आज GST Day तो है ही, साथ ही साथ Chartered Accountants’ Day भी है और Doctors’ Day भी है| मुझे याद है पिछले वर्ष जब जीएसटी को हमने लागू किया 1 जुलाई, 2017 को, तब एक विशाल कार्यक्रम के माध्यम से इसको लागू किया गया और कुछ लोगों ने उसकी भी प्रतिक्रिया की| पर शायद उनको ध्यान में नहीं आया कि कितनी दूरगामी इसकी भारत की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा, किस प्रकार से यह पूरे देश को जोड़ेगा, किस प्रकार से इसका सदियों तक एक मिसाल बनेगा दिखाने के लिए कि कैसे भारत एक है, कैसे भारत में फ़ेडरल स्ट्रक्चर जो भारत के संविधान बनाने के योद्धाओं ने हम सबको दिया उसमें मिल जुलकर एक collaborative और cooperative federalism का जो एक प्रतीक बनकर आज जीएसटी उभरा है मैं उसके लिए देश के सभी नेताओं को, राजनीतिक दलों को बहुत-बहुत मुबारकबाद देता हूँ, उनकी सराहना करता हूँ| माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में, माननीय श्री अरुण जेटली जी के नेतृत्व में, सभी प्रदेशों के मुख्यमंत्री और उनके वित्त मंत्रियों के नेतृत्व में और एक प्रकार से अगर देखें तो अलग-अलग राजनीतिक सोच विचार रखने वाली सभी पार्टीज ने कैसे मिलकर पूरी सर्वसम्मति से, अभी बताया गया कि सभी निर्णय unanimously लिए गए, देश के अलग-अलग अधिकारी जो देश भर में केंद्र, राज्य सरकार में काम करते हैं, उपभोक्ताओं ने, व्यापार और उद्योग जगत से जुड़े हुए स्टेकहोल्डर्स ने, सभी ने किस प्रकार से मिलकर इस पूरी व्यवस्था को, नयी व्यवस्था को सफल बनाने में, एक प्रकार से अलग-अलग लोगों ने गिलहरी की तरह छोटा-छोटा योगदान बनाया और इस देश को जोड़ने वाला रामसेतु आज बना है या एक इस पूरे देश को आर्थिक दृष्टि से जोड़ने का जो सिलसिला आज सफलता से एक वर्ष के पूर्व हम देख रहे हैं उभरते हुए, मैं उन सभी को तहे दिल से बधाई भी देता हूँ और सभी का धन्यवाद भी करता हूँ|

Doctors जब अपनी पढ़ाई पूरी करते हैं तो एक oath लेते हैं जिसको Hippocratic Oath कहा जाता है| Hypocrisy word से शायद उसका कुछ न कुछ संबंध रहा होगा originally कि हम अपना काम ईमानदारी से करेंगे, नैतिकता से करेंगे और सेवा भाव से करेंगे यह एक doctors की oath रहती है और मुझे पूरा विश्वास है कि doctors उसको पूरी तरीके से uphold करते हैं| और मैं नहीं समझता हूँ इस रूम में कोई भी व्यक्ति ऐसा होगा जिसको डॉक्टर के पास न जाना पड़ा हो और जिसने डॉक्टर को धन्यवाद न किया हो|

चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के लिए भी वास्तव में कभी-कभी गलत प्रचार होता है लेकिन जो अहम भूमिका चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की रहती है उसको भुलाया नहीं जा सकता है, उसको नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता है| वास्तव में अर्थव्यवस्था को एक अच्छे ढांचे में रखने का बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के ऊपर है और जैसा माननीय प्रधानमंत्री जी ने गत वर्ष कहा था पहली जुलाई, 2017 को CA Day की celebration में जहाँ हजारों की संख्या में chartered accountants, CA students सभी इकट्ठे हुए थे कि उनको पूरा विश्वास है कि chartered accountants की देशभक्ति और माननीय प्रधानमंत्री की देशभक्ति में कोई फर्क नहीं है, दोनों की देशभक्ति उतनी ही इस देश के प्रति समर्पित है|

और मैं समझता हूँ आज जब जीएसटी डे भी इसके साथ जुड़ गया है तो यह देश के हर उद्योग या व्यापार जगत के व्यक्ति और हर उपभोक्ता, तो एक प्रकार से सवा सौ करोड़ भारतवासियों का दिन बन गया है, जिसमें डॉक्टर्स भी सम्मिलित, चार्टर्ड एकाउंटेंट्स भी सम्मिलित हैं, हम सब सम्मिलित हैं| और जब इतना बड़ा बदलाव देश में आता है, इतना transformational reform देश में होता है तो I believe it’s a cause for celebration. It’s a cause for all of us to thank ourselves and compliment each other for its grand success.

और जिस प्रकार से डॉक्टर diagnosis करके बीमारी का इलाज करता है, root cause देखता है कि क्या, जड़ में जाता है कि क्या वास्तव में बीमारी की root cause क्या है और उसके हिसाब से दवाई देता है कि उसको ठीक किया जाये, मैं समझता हूँ माननीय प्रधानमंत्री, माननीय अरुण जेटली जी और सभी देश के राजनीतिक नेता और सभी देश की सरकारों ने मिलकर यह root cause निकाला कि अगर देश की अर्थव्यवस्था को और तेज़ गति से बढ़ाना है, सरल बनाना है तो शायद एक टैक्स में पिरोना 17 टैक्सेज को, 23 सेसिज़ को जिससे उद्योग में जुड़े हुए लोग व्यापार से जुड़े हुए लोग और उपभोक्ता, सबको आगे चलकर सरलता हो, टैक्स रेट्स भी कम करे जा सकें, अफसरशाही को कम किया जा सके, इंस्पेक्टरराज को कम किया जा सके|

और जिस प्रकार से भारत के संविधान निर्माता, एक बहुत महान व्यक्ति, एक बहुत महान देश प्रेमी डॉ बाबासाहेब आंबेडकर ने इस देश को कानूनी प्रक्रिया से जोड़ा, एक संविधान देकर जोड़ा| जिस प्रकार से सरदार वल्लभ भाई पटेल ने इस देश की जियोग्राफी को जोड़ा, इस देश को एक बनाया, इस देश की अखंडता को मज़बूत किया उसी प्रकार से मैं समझता हूँ यह जीएसटी टैक्स ने इस देश को आर्थिक रूप से एक बनाने का बहुत बड़ा योगदान किया है, मैं आप सभी को तहे दिल से बहुत-बहुत बधाई देता हूँ, बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूँ|

कई लोगों ने अलग-अलग प्रकार का प्रचार किया, कई लोगों ने कहा महंगाई बढ़ेगी, यह व्यवस्था चल नहीं सकती है| देश में इतना बड़ा कोई देश नहीं है इस व्यवस्था को लागू करने की हिम्मत नहीं की है, आज भारत पहला देश है विश्व में जिसने हिम्मत दिखाई कि इतना बड़ा परिवर्तन भारत कर सकता है| छोटे देशों ने, कई देशों में जीएसटी लागू हुआ है, कनाडा में हुआ, शायद फ्रांस में हुआ, ग्रेट ब्रिटेन में कुछ मात्रा में है|

लेकिन इतना विशाल देश – 29 राज्य, 7 यूनियन टेरिटरीज, केंद्र की अलग व्यवस्था, अलग-अलग राजनीतिक दल अलग-अलग सरकार चलाते हुए, अलग-अलग सोच – जैसा पहले उद्योग से जुड़े हुए मेरे मित्रों ने कहा गलत व्यापार करने के तरीके भी बड़े रूप में जहाँ पर मौजूद थे| हम सब जानते हैं ट्रक निकलता था मुंबई से दिल्ली के लिए, बिल बनता था, साथ में डाक्यूमेंट्स बनते थे, रास्ते में कोई चेकपोस्ट पर अगर पकड़े गए तो कई तरीके थे उसको निपटाने के| अगर वह निपट जाता और गाड़ी बिना रिपोर्ट हुए दिल्ली तक पहुँच जाती थी तो फ़ोन करके कहा जाता था इस बिल को फाड़कर फेंक दो माल पहुँच गया है, कोई चिंता की बात नहीं है| वह पूरा कारोबार दिखता ही नहीं था किताबों में|

और मैं यह इसलिए हिम्मत कर सकता हूँ बोलने की क्योंकि मैं भी उसी प्राइवेट सेक्टर से आज सरकार में आया हूँ| हम देखते थे कि – अभी-अभी आपने बताया सूटकेस कम्पनीज चलती थी जिनका कारोबार ही यही था कि बिल दो जिसपर लोग मॉडवैट ले सकें या एक्साइज का क्रेडिट ले सकें और फिर गायब हो जाती थी कम्पनीज, जब तक सरकार ढूंढेगी तब तक तो पता नहीं कहाँ का कहाँ पहुँच जाएगा मामला|

अब इन सब चीज़ों को कभी न कभी तो रोकना था, इस देश की मानसिक सोच को बदलना था, पूरी विचारधारा को बदलने की आवश्यकता थी| क्या इसमें हम में से कोई भी व्यक्ति हो सकता है जो नहीं चाहेगा कि देश की अर्थव्यवस्था ईमानदार हो, देश की अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता हो? और मेरा अनुभव जब जीएसटी इंट्रोड्यूस हुआ कई जगह देश में मुझे जाने का मौका मिला, ट्रेड-कॉमर्स के साथ इंटरैक्ट किया, उपभोक्ताओं के साथ इंटरैक्ट किया|

मेरा अनुभव है कि जो युवा पीढ़ी थी उसने बहुत ही खुले दिल से खुले मन से इसको तुरंत अपनाया, देश के युवा-युवती नहीं चाहते कठिनाई अपने व्यापार में, दो किताबें रखो, दो बहीखाते हो, एक फॉर्मल हो एक इनफॉर्मल हो, एक कच्ची किताब हो, एक पक्की किताब हो| युवा पीढ़ी चाहती है अपना ईमानदारी से काम करेंगे, रात को अच्छी तरीके से जमकर पार्टी करेंगे, चैन की नींद सोयेंगे और बाप-दादा की तरह अगले दिन जब ऑफिस आयेंगे तो हमें टेंशन नहीं चाहिए|

और यह वास्तव में अगर जीएसटी का टैक्स लाया गया है तो यह समर्पित है देश की अगली पीढ़ी के लिए, देश के भविष्य के लिए कि उनको हम चाहते हैं कि अच्छी सीख मिले, उनका कारोबार शुरुआत से ईमानदार कारोबार बने, उनको कभी यह गलत काम करने की आवश्यकता न पड़े, उनके हाथ मज़बूत करने के लिए यह कानून लाया गया है|

और मुझे पूरा विश्वास है जिस सफलता से एक वर्ष में इस कानून को लागू किया गया और बड़ी रेस्पोंसिव व्यवस्था बनी, जैसे-जैसे समस्या आती थी उसका समाधान साथ-साथ में होता था| रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म की तकलीफ आ रही थी, स्थगित कर दिया गया, आगे चलकर एक समिति बैठी है उसके ऊपर भी निर्णय लेने के लिए इसका क्या करना चाहिए|

व्यवस्था अच्छी थी, मैं व्यवस्था को दोष नहीं दूंगा लेकिन हो सकता है वह समय के पहले आ गयी थी| एक समय आएगा जब उसके लिए भी हमारा देश तैयार हो जायेगा, व्यापारी वर्ग समझ जायेगा इस कानून की सरलता और इसके लाभ पर सरकार ने तुरंत उसको और जीएसटी काउंसिल ने तुरंत उसको स्थगित कर दिया|

अलग-अलग वस्तुओं में फिक्सेशन समिति ने सर्वसम्मति से रेट ऐसे तय किये कि जो पहले टैक्स लगता था उतना ही टैक्स अभी भी लगे, टैक्स बढ़े नहीं कोई वस्तु पर, वेटेड एवरेज लिया गया देश भर के हर एक वस्तु पर टैक्स के बारे में और 1200 से अधिक आइटम पर ऐसे निर्णय लिए गए| हो सकता है दो-चार आइटम में कुछ गलती आज भी रह गयी हो, लेकिन आप सब समझ सकते हैं 1200 आइटम इस तरीके से फिक्स करना और अधिकांश मैं समझता हूँ 90-99% सफलतापूर्वक करना जिसमें बोझ बढ़े नहीं लेकिन व्यवस्थित हो जाये पूरा कारोबार|

और मैं समझता हूँ सबसे बड़ा जो उपभोक्ता के लिए जीएसटी कानून ने परिवर्तन किया जो अभी तक शायद हम सबको समझ में नहीं आया वह है पारदर्शिता| पहले उपभोक्ता को पता नहीं था कि कितना टैक्स हम एक-एक वस्तु पर दे रहे हैं क्योंकि कुछ टैक्स फैक्ट्री पर लगता था जिसको एक्साइज ड्यूटी कहते थे, कुछ टैक्स मुंबई जाओ तो ओक्ट्रोई में लगता था, नवी मुंबई जाओ अलग-अलग शहर जाओ तो कोई राज्यों में एंट्री टैक्स लगता था, सर्विस टैक्स लगता था कई चीज़ों पर, कई वस्तुओं में अलग-अलग सेसिज़ लगते थे|

यह 17 टैक्स और 23 सेसिज़ छोटी-छोटी बकेट्स में अलग-अलग जगह लगते थे, उपभोक्ता को सामने जब बिल आता था ध्यान नहीं था कि जब मैं 100 रुपये दे रहा हूँ उसमें 30 रुपये तो टैक्स है| इस व्यवस्था ने उसको बदला है, इस व्यवस्था ने पारदर्शिता सामने देश के, उपभोक्ताओं के सामने लायी क्योंकि जितना इनपुट टैक्स अलग-अलग स्टेज पर पे होता है वह सब्ज्यूम हो जाता है उसका क्रेडिट ले लिया जाता है और उपभोक्ता को जो बिल मिलता है उसको पूरा टैक्स सामने दिखता है कि मैंने 70 रुपये की वस्तु ली उसपर मुझे इतने रुपये टैक्स लगा कोई छुपे हुए टैक्स अब नहीं हैं इस सिस्टम में|

मैं समझता हूँ यह सबसे बड़ी उपलब्धि है जीएसटी की जिसका शायद आज तक बहुत ज्यादा प्रचार नहीं हुआ है| इसी प्रकार से छोटे व्यापारी के लिए मैं समझता हूँ यह गेम-चेंजिंग रिफॉर्म होने वाला है, छोटे उद्योग, छोटे व्यापारी के लिए| शायद पूरी तरीके से हमने उसका इम्पैक्ट समझा नहीं है, वैसे तो 20 लाख तक के जो बहुत लघु उद्योग हैं, टाइनी इंडस्ट्री, टाइनी व्यापारी हैं, छोटी दुकान चलाता है गाँव में कोने में उसपर तो जीरो टैक्स है वह तो रजिस्टर भी नहीं करना है| 20 लाख से 1 करोड़ तक कम्पोजीशन स्कीम में मात्र एक प्रतिशत टैक्स लगता है, उसको बढ़ाकर अब डेढ़ करोड़ करने का निर्णय ले लिया है| इस सेशन में वह कानून भी इंट्रोड्यूस हो जायेगा तो डेढ़ करोड़ रुपये तक मात्र एक प्रतिशत टैक्स लगेगा, सरलता होगी 3 महीने में एक बार रिटर्न भरना है इनको|

वास्तव में मैं तो.. अब मैं कुछ कहूँगा तो उसका अलग, कहीं हसमुख भाई नाराज़ हो जायेंगे मेरे से, लेकिन वास्तव में मेरा तो मानना है क्यों 3 महीने में  भी हम इसको एनुअल रिटर्न कर सकते हैं, एक सरल साल में एक रिटर्न हो जायेगा इन कम्पोजीशन डीलर्स के लिए|

और हमने छोटे व्यापारी की चिंता इसलिए की, अधिकांश चिंता इसलिए की क्योंकि वास्तव में वह इस देश के अर्थव्यवस्था के रीड की हड्डी है, उसी के भरोसे इस देश में आज इतनी व्यापक अर्थव्यवस्था देश भर में चल रही है| और यह जो एमएसएमई सेक्टर है यह केंद्रबिंदु रहेगा हमारे सभी निर्णयों का, हमारी सारी सोच का और मैं इसलिए यह बात को उजागर कर रहा हूँ क्योंकि देखिए चार या दस दुकान कपड़ा बेचती है कपड़े बाज़ार में| मेरा मानना है, मेरी व्यक्तिगत सोच है कि इस देश का व्यापारी, इस देश का उद्यमी और इस देश का उपभोक्ता मूलतः ईमानदार है, वह गलत काम नहीं करना चाहता है| लेकिन कुछ लोग इस अर्थव्यवस्था को, इस पूरे सिस्टम को बिगाड़ते हैं|

अब दस दुकानों में अगर एक दुकान पूरी तरीके से टैक्स नहीं भारती है, चोरी करती है, दो बहीखाते रखती है तो स्वाभाविक है उसका सामान सस्ता होगा बाकी 9 दुकानों का महंगा हो जायेगा| अब बाकी 9 लोगों के पास दो ही मार्ग हैं, या तो वह अपना व्यापार बंद कर दें और या वह चोरी में सम्मिलित हो जायें वह भी चोरी करना शुरू कर दें टैक्स| और हम सब अधिकांश लोग यहाँ दिल्ली से बैठे हैं हमको तो पता है कि पूरी मार्किट की मार्किट इस चक्कर में नंबर 2 का धंधा करना शुरू कर गयी है क्योंकि कम्पटीशन में खड़ी कैसी होगी|

लेकिन अगर यह एक व्यक्ति के बारे में बाकी जो 9 लोग हैं, बाकी जो हमारी ट्रेड फेडरेशन है, चैम्बर है या कोई भी व्यक्ति जानकारी दे कि उस एक को बंद करवा दें तो बाकी 9 ईमानदार व्यवस्था से, कम्पीट ईमानदारी से करेंगे इस आधार पर आपकी क्षमता या आपकी सफलता नहीं तय होगी कि आप कितनी टैक्स की चोरी कर सकते हैं, मापदंड बनेगा कि आप कितनी अच्छी उपभोक्ता को सेवा देते हैं, आपके सामान की गुणवत्ता कितनी है – quality of good and quality of service पर आपकी सफलता तय होगी|

और यह काम यह जीएसटी टैक्स करने जा रही है, एक ईमानदार व्यवस्था जिसमें equal opportunity सबको मिले और competition fair हो, competition में सभी को लाभ हो| कुछ लोग यह भी गलत प्रचार करते हैं एक कॉमन रेट होना चाहिए टैक्स का, आप में से भी किसी ने कहा ज़रा.. आपने वैसे यह भी एक्सेप्ट किया रेट अलग-अलग होंगे लेकिन कम रेट होंगे|

आखिर आप सोचिये जब शुरू में यह रेट, टैक्स बनाये गए और इसके लिए मैं डॉक्टर अरविन्द सुब्रमण्यम का धन्यवाद करना चाहूँगा जिन्होंने वास्तव में इतनी अच्छी तरीके से यह कैलकुलेट करके यह निर्णय बताया कि 15.5% revenue neutral rate बनता है उसके पहले जो बाकी अलग-अलग bodies ने बनाया था, किसी ने कहा 22%, किसी ने अलग-अलग आंकड़े दिए जिससे डर लगता था कि अगर revenue neutral rate इतना हाई है तो टैक्स के रेट्स कितने हाई रखने पड़ेंगे?

लेकिन इनके 15.5% के उस कैलकुलेशन के हिसाब से हौसला बना कि अब टैक्स के रेट्स सरल रखे जा सकते हैं, कम रखे जा सकते हैं| और आज तो अधिकांश जो वस्तुएं 95% से ज्यादा वह 18% या उसके कम स्लैब में लगभग 328 चीज़ों पर तो रेट कम किये गए पहली जुलाई के बाद में| और मैं समझता हूँ जितना-जिनता लोग ईमानदार व्यवस्था से और जुड़ेंगे, ई-वे बिल का सक्सेस जब सामने आना शुरू होगा तो हमारे हाथ और मज़बूत होंगे इसको और रेट्स को कम करने के लिए, हो सकता है कुछ स्लैब्स भी कम हो सकें आगे चलकर|

लेकिन यह जो अलग-अलग स्लैब्स रखे गए हैं इसको इस देश की जो सामाजिक परिस्थिति है उसको देखते हुए रखे गए हैं, क्या गरीब का वस्तु वही रेट पर हो सकता है टैक्स जो एक मर्सिडीज़ या बीएमडब्लू कार पर लगता है, क्या कोई भी व्यवस्था ऐसा कर सकती है कि जो व्यक्ति एक बहुत महँगी कोई घड़ी खरीदता है या बहुत महँगी गाड़ी खरीदता है उसका टैक्स और हवाई चप्पल या छोटे सामान्य व्यक्ति को जो वस्तु लगते हैं उसका टैक्स क्या एक हो सकता है इस देश में या होना चाहिए| हम में से कोई ऐसा सोच सकता है कि गरीब आदमी जो लगभग अपनी पूरी आमदनी खर्च देता है उसपर भी उतना ही टैक्स का बोझ लगे जितना कि एक करोड़पति या बिलियनेयर के ऊपर लगता है|

आखिर उस गरीब व्यक्ति का तो शत-प्रतिशत आमदनी, एक मध्यम वर्गीय परिवार की तो अधिकांश आमदनी खर्चे में लग जाती है| क्या यह इक्विटेबल होगा कि उसके ऊपर भी उतना ही टैक्स लगे जितना कि एक बहुत बड़े अमीर आदमी पर लगे? मैं समझता हूँ इस देश का अमीर भी यह नहीं चाहेगा कि अमीर भी इस देश को योगदान देना चाहता है, इस देश का अमीर भी चाहता है कि मुझे थोड़ा टैक्स ज्यादा लगे मैं सहन कर लूँगा लेकिन देश के गरीबों के वेलफेयर मेजर्स के लिए उनको और सुविधाएं पहुंचाने के लिए मुझे उतना टैक्स देना पड़ेगा|

और मैं तो वास्तव में आज सिर्फ अपील कर सकता हूँ कि हम सब जुडें इस ईमानदार व्यवस्था के साथ, हम सब कोशिश करें कि पूरी तरीके से टैक्स दें क्योंकि जब हम टैक्स की चोरी करते हैं, जब हम पूरी तरीके से अपना टैक्स नहीं देते हैं तो हमारे को याद रहना चाहिए कि शायद हमारा दिया हुआ टैक्स किसी एक गरीब के घर में उज्ज्वला के तहत मुफ्त में एलपीजी सिलिंडर पहुंचाता होगा, या किसी एक गरीब के घर में दिया रोशनी जलाता होगा मुफ्त में बिजली का कनेक्शन देकर| और जब हम टैक्स की चोरी कर रहे हैं तो हम उस गरीब की झोपड़ी से बिजली से उसको वंचित रख रहे हैं या उस गरीब महिला को 400 सिगरेट जैसा धुआं अपने शरीर में लेने के लिए मजबूर कर रहे हैं हमारे टैक्स की चोरी से|

अगर यह भावना इस देश में हम सबके पास, हम सबके ऊपर आ जाये तो मुझे पूरा विश्वास है कि यह देश जल्द से जल्द और फॉर्मल इकॉनमी की तरफ जायेगा, जल्द से जल्द इस देश में सभी को टैक्स पूरी तरीके से भरने के लिए हम सब को प्रोसाहित कर पाएंगे| हसमुख भाई ने कहा अब देखना है एक लाख करोड़ होगा नहीं होगा, हसमुख भाई मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ एक लाख नहीं, एक लाख दस हज़ार करोड़ से ज्यादा मंथली टैक्स आपका कलेक्ट होगा|

आप भी जानते हो, मैं भी जानता हूँ, यहाँ बैठे सब जानते हैं अप्रैल-मई-जून लगभग टैक्स कलेक्शन, इनडायरेक्ट टैक्स कलेक्शन के मामले में हलके महीने रहते हैं| पिछले पांच साल के आंकड़े देखें तो अप्रैल में तो 7.1% indirect tax collect होते थे, उस हिसाब से 94,000 is music to my ears.

मुझे लगता है 13 लाख करोड़ से ज्यादा आ जायेगा साल में, और मेरा तो मानना है कि आपके सभी के संयुक्त प्रयासों से जो यह सफलतापूर्वक जीएसटी लागू हुआ है इससे छोटे लघु उद्योग, मध्यम वर्गीय उद्योग को जो लाभ होगा, इससे जो इस देश के उपभोक्ताओं को लाभ होगा और इस देश की सरकार को भी लाभ होगा कि आपको भी और टैक्सेज नहीं लगाने पड़ेंगे, आपको भी फिस्कल डेफिसिट पूरी तरीके से कंट्रोल में लाने के लिए सुविधा देगी, व्यापारियों को अफसरशाही से निजात मिलेगी, उपभोक्ताओं को सस्ते वस्तु मिलना शुरू होगा, एक्सपोर्टर्स के लिए, अलग-अलग इंडस्ट्री सेग्मेंट्स के लिए, एमएसएमईज़ के लिए मैं आप सबसे सुझाव मांगता हूँ, आप खुले दिल से और हम खुले मन से सोचेंगे और देखेंगे, आप अभी भी सुझाव दीजिये अगर और कुछ सुधार की आवश्यकता है| अगर आपको लगता है किसी चीज़ में अभी भी इनवर्टेड ड्यूटी है या किसी चीज़ में और सुधार करने से अर्थव्यवस्था को और गति मिलेगी, एक्सपोर्टर्स के सबके रिफन्ड्स हमने पिछले पखवाड़ा में 30 अप्रैल तक ख़त्म किये हैं, फिर भी किसी को कोई दिक्कत हो तो बताएं|

हमारे दरवाज़े खुले हैं, आप सीधा पत्र लिखें हमें लिखिए, मुझे लिखिए, हसमुख भाई को लिखिए, सीबीआईसी चेयरमैन को लिखिए, चाहिए तो हम एक दिन निर्धारित करेंगे जिसमें ओपन हाउस रहेगा जिसको आना है आकर अपनी बात रख सकता है| वीडियो कांफ्रेंस या फेसबुक पर भी हम अवेलेबल हो जायेंगे अलग-अलग देश की राजधानियों में आप वहां जाकर हमको अपने सुझाव दे सकते हैं|

May be you may like to institutionalize a day and date and time, every month where people can give their grievance. हम हो सकता है 3-4 डिजिट का एक नंबर 15-20 दिन में इशू कर देंगे, अगर आपको लगे कोई बिल नहीं दे रहा है, कोई उपभोक्ता को कोई ऑफर कर रहा है कि भाई टाइल खरीद लो 100 रुपये की और बिल चाहिए तो 118 रुपये, तो उस नंबर पर आप फ़ोन कर दो हम गुप्त रखेंगे आपकी आइडेंटिटी को लेकिन कार्रवाई करेंगे जिससे इस देश की अर्थव्यवस्था और ईमानदार हो सके|

मैं समझता हूँ आप सब और मेरे मीडिया के बंधु जब जनभागीदारी से इस टैक्स को और सफल बनाने में हम सब जुड़ जायेंगे तो इसकी और जब दो वर्ष पूरे होने के कार्यक्रम में हम सब फिर एक बार इकट्ठे होंगे – ऐसा मत सोचिये कि मैं presumptuous हो रहा हूँ क्योंकि वह अगले चुनाव के बाद होगा लेकिन मुझे पूरा विश्वास है जो आज माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की विश्वसनीयता है, जो ईमानदार सरकार आज प्रधानमंत्री मोदी जी ने दी है, जो आधारभूत परिवर्तन इस देश में हुए हैं हर क्षेत्र में, जो इस देश के गाँव-गरीब तक पहली बार विकास पहुंचा है – जो कई naysayers कहते हैं कि जिस सरकार ने जीएसटी लागू किया वह कभी फिर चुनकर नहीं आएगी इस प्रकार के भ्रमों से यह निर्णायक नेतृत्व वाली सरकार कोई विचलित नहीं होती है हम कड़क और अच्छे निर्णय देशहित और जनहित में करते रहेंगे, चुनाव आयेंगे और चुनाव जायेंगे पर यह सरकार जनता के लिए समर्पित रहेगी, जनहित और देशहित में पूरी तरीके से योगदान करेगी|

बहुत-बहुत धन्यवाद|

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