Speeches

April 10, 2018

Speaking at Lokmat Awards, in Mumbai

अभी-अभी बताया हमारे बड़े वरिष्ठ नेता नितिन जी, सुधीर भाऊ, देवेन्द्र जी, सभी इसके विजेता रहे हैं | वास्तव में लोकमत ने एक बहुत प्रमुख स्थान ग्रहण किया है भारत की पत्रकारिता में भी और आपने स्वयं विजय जी भारत की राजनीति में | और मैं समझता हूँ राजनीति एक ऐसा क्षेत्र है जो हम सबको मौका देता है कुछ करने का, कुछ करके दिखाने का, समाज में परिवर्तन करने का, एक दूरदृष्टि से किस प्रकार से भारत और भारत के हर एक व्यक्ति के लिए हम कुछ करके दिखा पाएं |

अभी-अभी देवेन्द्र जी लगे हुए हैं भारत को एक प्रकार से जलयुक्त करने में और पूरे प्रदेश में कैसे हर किसान को पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध हो और कभी सूखे की परेशानी न हो | इसी प्रकार से मुझे मौका मिला कि देश में कोई भी व्यक्ति बिजली के बगैर न उसको रहना पड़े, बिजली से वंचित न हो | और मैं समझता हूँ इस मौके के लिए मैं माननीय प्रधानमंत्री जी का भी शुक्रगुजार हूँ कि एक ऐसा मौका मिला कि देश के गरीब से गरीब व्यक्ति के घर तक हम बिजली पहुंचा पाए, देश में पर्याप्त मात्रा में कोयला उपलब्ध करवा पाए, जलवायु परिवर्तन के लिए क्लाइमेट चेंज के विषय में एक बड़ी छलांग लगा पाएं और ऐसा लक्ष्य तय करें जो शायद विश्व के इतिहास में कभी नहीं किया गया |

और अभी-अभी नया खाता मिला है रेलवेज का और रेलवेज में तो अनेक चुनौतियां हैं, अनेक मौके मिलते हैं पर मैं आप सबको विश्वास दिलाता हूँ कि इसी मिट्टी में जन्मा हूँ, इसी मिट्टी का काम करता हूँ, इसी मिट्टी का नमक भी खाया है और जो दो महिलाओं का मेरे जीवन में सबसे ज्यादा योगदान रहा – मेरी माँ आईं हैं आज, सामने बैठी हैं, चंद्रकांता गोयल जी, जिन्होंने मुझे जन्म ही नहीं दिया लेकिन राजनीतिक जीवन और सामाजिक दृष्टिकोण दोनों दिया अपने जीवन में | और मेरी पत्नी सीमा जिसका मैं समझता हूँ त्याग शायद मेरे से अधिक होगा, हम तो फिर भी लाइमलाइट में रहते हैं, स्टेज पर रहते हैं, भाषण देते रहते हैं, स्वाभाविक है, लेकिन देवेन्द्र जी हों, सुधीर भाऊ हों, संजय जी हो, हम सबके जीवन में अगर हम समाज के प्रति कुछ काम कर पाते हैं तो मैं समझता हूँ उसमें जो परिवार का त्याग रहता है और परिवार का जो योगदान रहता है वह अमूल्य रहता है और दोनों महिलाओं को मैं आज नमन करता हूँ, दोनों का धन्यवाद करता हूँ |

एक और बात जो मैं ज़रूर आज इस स्टेज पर कहना चाहूँगा, शिक्षा का कितना महत्वपूर्ण योगदान रहता है हम सबके जीवन में कि आज आपके तीन प्रमुख विजेताओं में पांच में से तीन प्रमुख विजेताओं की शिक्षा डॉन बॉस्को हाई स्कूल में हुई है | रवि शास्त्री मेरे से दो या तीन वर्ष सीनियर थे, अक्षय शायद दो या तीन वर्ष जूनियर थे और हम तीनों ने डॉन बॉस्को में से जो सीखा, of course, अक्षय को तो बहुत थप्पड़ पड़ते थे हमारे एक chemistry teacher से | I think इनको अभी भी याद होगा, पाण्डेय सर? मैं इतना बुरा नहीं था, मुझे थप्पड़-वप्पड नहीं पड़ता था |

लेकिन वास्तव में हम सब महाराष्ट्र के शुक्रगुज़ार हैं, हम सब अपने आपको सौभाग्यशाली मानते हैं कि हमें महाराष्ट्र ने इतना सब दिया, इतना प्यार दिया महाराष्ट्र के लोगों ने इतना हमें समर्थन दिया | और मैं आज आपका भी शुक्रगुज़ार हूँ कि आपने हमको मौका दिया कि हम अपनी भावनाएं सबके सामने व्यक्त कर पाएं |

बहुत-बहुत धन्यवाद विजय जी |

 

प्रश्न: नमस्कार, मैं हूँ दिबांग, एबीपी न्यूज़ से, और हमारे आज के खास मेहमान रेल मंत्री और बीजेपी के ट्रेजरर, पीयूष गोयल, बड़े सफल ट्रेजरर हैं | रेल मंत्रालय की जब बात होती है तो मुझे हमेशा यह खयाल आता है कि कितनी बड़ी ज़िम्मेदारी है रेल मंत्री होना, यानी ढाई करोड़ लोग, पूरा का पूरा जो ऑस्ट्रेलिया की पापुलेशन है, ढाई करोड़ लोग रोज़ रेल में सफ़र करते हैं, रेल में रहते हैं ढाई करोड़ | और दूसरा, यही नहीं है, कि ज़िम्मेदारी का अहसास, जवाबदेही इतनी कि रेल में और इसका बड़ा खतरा रहता है और मैं हमेशा खतरों के बारे में बड़ा सोचता हूँ – कि यानी दुर्घटना हो जाये तो 1956 में लाल बहादुर शास्त्री इस्तीफ़ा दे चुके हैं, ’99 में नितीश कुमार इस्तीफ़ा दे चुके हैं, ममता बनर्जी ने भी इस्तीफ़ा दिया, मैं आपसे पूछ रहा हूँ कि जब आपको यह ज़िम्मेदारी दी गयी थी तो आपको कभी यह दिमाग में खयाल आया था कि यहाँ से छुट्टी भी बड़ी जल्दी हो जाती है?

उत्तर: नहीं, नहीं, ज़रा भी नहीं दिबांग जी, मैं समझता हूँ कि ज़िम्मेदारी जब मिलती है तब उसमें एक मौका मिलता है कुछ करके दिखाने का | स्वाभाविक है कि जिन परिस्थितियों में मुझे यह ज़िम्मेदारी दी गयी उसमें सुरक्षा एक प्रमुख चिंता थी, नेताओं की भी, पूरे देशवासियों की और लगभग अब मुझे सात महीने हो गए हैं और इन सात महीनों में हमने पूरी तरीके से सुरक्षा के ऊपर बल दिया है, जोर दिया है | कई सारी ऐसी चीज़ों पर आज काम चल रहा है रेलवेज में जो शायद इतिहास में, भारत के रेल के इतिहास में नहीं हुआ |

उदाहरण के लिए, अगर एक छोटा उदाहरण लूं तो आप सब जानते हैं कि ट्रैक्स जब फेल हो जाते हैं, जब बहुत समय तक इस्तेमाल होते हैं तो रिप्लेस करने की आवश्यकता पड़ती है जिसको रेल रिन्यूअल कहते हैं | जब मैं मंत्री बना तब ध्यान में आया कि वर्षों-वर्षों से इसमें बैकलॉग चल रहा है, सालों से कभी ऐसा नहीं हुआ कि पूरी तरीके से इसको पूरा रिप्लेस किया जाये, पैसा दिया जाये |

मैंने प्राथमिकता बनाई पूरे रेलवे की कि हम सुरक्षा पर सबसे अधिक बल दें, आपको जानकर ख़ुशी होगी वही रेल अधिकारी जो पहले भी काम करते थे, वर्षों-वर्षों दशकों से काम कर रहे हैं, जो हर महीने 233 किलोमीटर औसतन  रेल रिन्यूअल करते थे, पिछले महीने मार्च में उन्होंने 650 से ज्यादा किलोमीटर रेल रिन्यूअल करके दिखाया – और ऐसा नहीं एक महीना – दिसंबर, जनवरी, फरवरी, मार्च, चारों महीनों में, एक महीने 476, अगले महीने 576, फिर 563, फिर 650 | एक तेज़ गति से परिवर्तन देश में आ रहा है, रेलवे में आ रहा है और मैं आपके और आपके माध्यम से सभी को आश्वस्त करना चाहूँगा कि हम भारतीय रेल को विश्व की सबसे बेहतरीन, सबसे सुरक्षित रेलवे बनाने में सफल होंगे |

प्रश्न: पीयूष जी, एक बात यह है कि जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चुनाव लड़ रहे थे तो रेलवे के बारे में जब वह बात करते थे, इतनी विस्तार से बात करते थे, कहते थे कि ट्रैक पर पहले टमाटर जायेगा या मार्बल जायेगा यह नहीं तय कर पाते हैं, टमाटर बाद में जाता है मार्बल पहले चला जाता है, चीज़ें सड़ जाती हैं, ख़राब हो जाती हैं | लेकिन एक शिकायत अभी भी बरकरार है, और मैं कई रेल यात्रियों से मैंने बात की जब लोगों को पता चला कि मैं यह इंटरव्यू कर रहा हूँ, मेरे पास ट्विटर पर बहुत सारे आये कि ट्रेनें अभी भी लेट चलती हैं, इसके लिए आप क्या कर रहे हैं? दो बड़े कदम आप क्या उठा रहे हैं?

उत्तर: मैं दोनों विषयों को, एक बार तो जैसे टमाटर और मार्बल का आपने उदाहरण दिया, उसके लिए हमने पारदर्शिता इस सिस्टम में ले आई है | हमने एक वेबसाइट के ऊपर जो भी फ्रेट बुकिंग होती है उसको पारदर्शिता से जनता के समक्ष रखा है | तो हम चाहते हैं कि उससे एक तो मॉनिटरिंग भी हो जायेगा, हमारे काम की जवाबदेही भी हो जाएगी और स्वाभाविक है उससे अपने आपमें सिस्टम में यह कांशसनेस आएगी कि जो पेरिशेबल कमोडिटीज हैं जो किसान से जुड़े हुए वस्तु हैं उनको प्राथमिकता मिलनी चाहिए |

रही बात आपकी कि किस प्रकार से हम रेलवे में बदलाव ला सकें और पंचुऐलिटी  एक ऐसा सब्जेक्ट है जिसमें एक शॉर्ट टर्म पेन फॉर लॉन्ग टर्म गेन जुड़ा हुआ है | आप जानते होंगे कि एक पिछले वर्ष दो बड़े-बड़े एक्सीडेंट हुए थे, उन दोनों एक्सीडेंट की जब रूट कॉज़ एनालिसिस की देखा गया कि उसकी वास्तव में क्या वजह थी उस एक्सीडेंट की तो पाया गया कि जब रिप्लेसमेंट होता है रेलवे का, ट्रैक्स का या कोई रिपेयर्स का काम चल रहा है तो मेंटेनेंस ब्लॉक, यानी ट्रेनों को रोकना जो पड़ता है वह कभी दिया नहीं जाता था | ट्रेनें चल रही हैं और बीच-बीच में उसको सुरक्षा के काम किये जाते थे |

हमने उसमें बदलाव लाया, अब मेंटेनेंस ब्लॉक अनिवार्य कर दिया है जब भी ज़रूरत पड़े, हो सकता है उसकी वजह से शॉर्ट टर्म में पंचुऐलिटी अफ्फेक्ट होगी | पर मैं समझता हूँ देश की जनता भी इसमें समर्थन देगी कि सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाये और लॉन्ग टर्म जो इसके बेनेफिट्स हैं एक बार रेलवे भी सुरक्षित हो, जो ट्रैफिक में स्पीड रेस्ट्रिकशन आते हैं वह भी इससे ख़त्म होंगे | तो एक तो यह बहुत प्रमुख वजह है पंचुऐलिटी  का, जैसे-जैसे, मेरे खयाल से मार्च ‘19 तक फुल बैकलॉग हम ख़त्म कर देंगे, जैसे ही यह बैकलॉग ख़त्म होता है तो इससे पंगक्चूअलिटी सुधरेगी |

और दूसरी, वर्षों से जो पंचुऐलिटी  फिगर्स हैं वह हर वक्त थोड़ी बहुत फज्ड रहते थे, जब हम गहराई में गए तो ध्यान में आया कि यह फिगर्स पर भी कितना हम रिलाय कर सकते हैं | तो अब हम उसके लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल लेकर….

प्रश्न: आंकड़ों से हेर-फेर हो रही है?

उत्तर: हाँ! हम आंकड़ों के बियोंड जाकर हम टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके इसको डायरेक्टली फैक्चुअल फिगर्स ला रहे हैं तो उससे जिम्मेदारियां बढ़ रही हैं, मुझे विश्वास है कि पंचुऐलिटी  में सुधार भी होगा और इस पंचुऐलिटी  के सुधार के साथ-साथ जनता की सेवाएं भी सुधरेंगी |

प्रश्न: एक जो बड़ी चीज़ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कर रहे हैं वह बुलेट ट्रेन वाली कर रहे हैं | मैं बीजिंग गया था और बीजिंग में यूनिवर्सिटी ट्रांसपोर्ट है वहां के जो डीन हैं उनसे मिला था और उनकी राय यह थी कि भारत में अभी बुलेट ट्रेन नहीं लानी चाहिए और उनकी बड़ी वजह थी कि यह बुलेट ट्रेन बहुत महँगी है और उन्होंने कहा कि ट्रैक लगाने में भारतीय हिसाब से 100 से 140 करोड़ रुपये पर किलोमीटर बुलेट ट्रेन का है और जबकि साधारण जो ट्रैक बिछती है जो यहाँ पर ट्रेनें चलती हैं करीब 10 से 12 करोड़ है, टेक्नोलॉजी आएगी, नयी चीज़ें आएँगी, मैं वह समझता हूँ | मैं आपसे यह पूछना चाह रहा हूँ कि दो बड़ी चीज़ें आपको क्या लगता है कि जो बुलेट ट्रेन से होंगी, दो बड़ी चीज़ें, देश के लिए?

उत्तर: देखिए, भारत के लोग आधुनिक टेक्नोलॉजी से लाभ लेना चाहते हैं और सुरक्षा और कम्फर्ट, दोनों में बुलेट ट्रेन का बहुत लाभ है | आज मैंने देखा है कई बार मैं वाशिंगटन में हूँ और न्यूयॉर्क जाना है तो मैं एयर से जाना नहीं पसंद करता हूँ, मैं एसेला ट्रेन लेना चाहता हूँ |

प्रश्न: हालाँकि वह बुलेट ट्रेन नहीं है वहां पर? वहां पर बुलेट ट्रेन्स नहीं हैं!

उत्तर: Acela is a fast, high-speed train, sir. Acela works at about 250 km/hour. मैं समझता हूँ चाइना डिक्टेट नहीं करेगा भारत के लोगों को क्या चाहिए, भारत के लोगों को जब सुविधा चाहिए और नयी सुविधायें भारत में आती हैं तो उससे जनता खुश होती है | मैं समझता हूँ यह बहुत दकियानूसी दिमाग है जो इस देश में इतने सालों से भारत को आधुनिक टेक्नोलॉजी से जुड़ने नहीं देती है | आपको जानकर हैरानी होगी कि लास्ट फ़ास्ट ट्रेन जो भारत में आई वह 1969 में राजधानी आई थी और तब भी कुछ लोगों ने आलोचना की थी कि राजधानी की क्या ज़रूरत है भारत में | आज राजधानी में सफ़र करने वाले हजारों लाखों लोग हैं |

मैं समझता हूँ ’69 के बाद अब जाकर भारत नयी टेक्नोलॉजी ला रहा है और यह भी टेक्नोलॉजी, शिन्कान्सेन टेक्नोलॉजी जापान में 1964 में इंट्रोड्यूस हुई  थी, मेरे जन्म का वर्ष है 1964 | अब भी हम 50 वर्ष लेट हैं पर फिर भी नयी टेक्नोलॉजी आने से भारत की सोच बदलेगी और एक बार जब पहली लाइन आती है इसके साथ हमने टेक्नोलॉजी ट्रान्सफर लिया है, तो भारत में मेक इन इंडिया के तहत यह सब चीज़ें भारत में बननी शुरू होंगी, भारत में हम इसका जाल बिछाना चाहते हैं तो लगभग 10,000 किलोमीटर – क्यों नहीं आगरा से बनारस, क्यों नहीं कोलकाता से दिल्ली, क्यों नहीं मुंबई से बैंगलोर – मैं समझता हूँ एक जाल जब बिछेगा बुलेट ट्रेन्स का, हाई-स्पीड ट्रेन्स का, तब वास्तव में हम पैसेंजर्स को सुविधा दे पाएंगे और उससे जो अनलॉक होगा ट्रैफिक रेगुलर ट्रैक से वह हमें फ्रेट ट्रेन्स जिसमें कोयला जाना है, लोहा जाना है, इन सब को हम तेज़ गति से अपनी डेस्टिनेशन पर पहुंचा पाएंगे |

प्रश्न: पर आप जानते हैं कि भारत में कुछ भी करने जाओ समस्या हो जाती है, हमने आज ही अख़बार में देख रहे हैं कि 5000 परिवार हैं जो विरोध कर रहे हैं और यह बताया जा रहा है कि 5000 परिवारों की 800 हेक्टेयर ज़मीन ली जायेगा, इसको कैसे सुलझाएंगे आप?

उत्तर: 500 किलोमीटर की यह बुलेट ट्रेन लगने वाली है और मैं समझता हूँ यह विश्व का सबसे कम ज़मीन लेकर इतना बड़ा प्रोजेक्ट लगने वाला है, कुल इस पूरे प्रोजेक्ट में ही शायद 1400 हेक्टेयर या कुछ ज़मीन लगनी है | यह जो आपने विषय उठाया हमारी पूरी संवेदना है, जिन जिनकी ज़मीन जाती है उनके साथ पूरी संवेदना रहती है, लेकिन आज के जो नए कानून हैं, लैंड एक्वीजीशन एक्ट के, उसके तहत चार गुना जब आपको कंपनसेशन मिलता है तो मैं समझता हूँ आजके दिन तो मुझे ज्यादा करके समस्या यह होती है कि अगर ज़मीन अधिकरण करने जाते हैं तो आजू-बाजू के लोग कहते हैं भाई हमारी भी ले लो, मेरी मत छोड़ो | तो यह कुछ लोगों ने विषय उठाया है, पर हमारे महाराष्ट्र की सरकार और गुजरात की सरकार शत-प्रतिशत सक्षम है उनके साथ चर्चा करके और मुझे लगता है कोई दिक्कत हमें ज़मीन में नहीं आएगी |

प्रश्न: एक विषय जिसपर मैंने बहुत सालों काम किया है और जो मेरे दिल को छूता है वह विषय है जो लोग सर पर मैल उठाते हैं, यानी मैनुअल स्कैवेंजिंग की बात कर रहा हूँ, रेलवे ने कहा और मोदी जी ने भी कहा कि यह बंद होना चाहिए | पहले आंकड़ा आया कि 21 और 22 तक यह बंद हो जायेगा, फिर आंकड़ा आया कि दिसम्बर 2018 तक मैनुअल स्कैवेंजिंग बंद हो जाएगी | कितनी प्रगति हुई है और क्या वाकई में यह बंद हो जायेगा जबकि कानून कहता है कि यह नहीं होना चाहिए इसके बावजूद रेलवे में होता है यह और इसकी वजह भी है |

उत्तर: मैं रेलवे पर ज़रूर एक मिनट में आऊँगा लेकिन भारत में प्रधानमंत्री जी ने जो स्वच्छता का अभियान शुरू किया है और आप जानते हैं आज बहुत ही पावन दिन है, एक प्रकार से हम सबके लिए गर्व की बात है कि आज ही से 100 साल पहले महात्मा गाँधी जी ने चंपारण सत्याग्रह शुरू किया था | और आज उसका जो सेंटिनरी सेलिब्रेशन है उसका आखिरी कार्यक्रम मोतिहारी में, चंपारण में हुआ जिसका शीर्षक माननीय प्रधानमंत्री जी ने ‘सत्याग्रह से स्वच्छाग्रह’ और आज स्वच्छता अपने आप में उतना महत्वपूर्ण पहलू है हमारे सबके जीवन का, इस देश के जीवन का कि हर एक व्यक्ति चाहता है जैसे मेरा घर साफ़ है, जैसे मेरे काम करने की जगह साफ़ है |

आज यह जब यह कार्यक्रम आयोजित किया गया होगा तो ज़रूर यहाँ की स्वच्छता को इतना सुन्दर बनाया गया है | तो मैं समझता हूँ देश अपने आपको विश्वस्तरीय स्वच्छता देखना चाहता है और आज देश में एक कांशसनेस आ गयी है खासतौर पर युवा-युवतियों में कि देश को स्वच्छ बनाना है | आपको जानकर ख़ुशी होगी जो ओडीएफ विलेजिज़ हैं वह आज लगभग 3.8 लाख विलेजिज़ अपने आपमें ओडीएफ हो चुके हैं | माननीय प्रधानमंत्री जी बल दे रहे हैं कि गंगा के साथ-साथ जितने विलेजिज़ हैं उनको लगभग सबको ओडीएफ कर दिया गया है, वहां पर प्लांट्स लगाये जा रहे हैं कि प्रोसेस किया जाये वेस्ट को |

और हमारे साथ अक्षय कुमार जी आज विजेता हैं इससे अच्छा ब्रांड एम्बेसडर स्वच्छता का क्या हो सकता है जिन्होंने ‘टॉयलेट, एक प्रेम कथा’ में रेलवे और शौचालय, दोनों का संबंध बहुत ही सुन्दर तरीके से दिखाया  और मैं तो अपने ह्रदय से उनका धन्यवाद करूँगा क्योंकि उनकी उस पिक्चर को जब मैंने थिएटर में देखा, यह अलग बात है कि आजकल बड़ी महँगी हो गयी है, 2000 रुपये लगते हैं एक-एक टिकट पर जब हम टॉयलेट एक प्रेम कथा देखने जाते हैं दिल्ली में, लेकिन वास्तव में वह पिक्चर देखकर दिल को छूता है और तब समझ में आता है कि जब प्रधानमंत्री जी ने यह बीड़ा उठाया | और आपको जानकर ख़ुशी होगी 6.5 करोड़ से अधिक घरों में आज अपना टॉयलेट बना है, मात्र तीन वर्षों में – 6.83 crores to be more precise in the last 3 years. यह सफलता पायी है |

और मुझे लगता है ऐसे ब्रांड एम्बेसडर अक्षय जी जैसे होंगे तो जो बचे घर हैं उसमें भी हम एक टॉयलेट बनाने में सफल होंगे और मल उठाने का काम पूरी तरीके से ख़त्म कर पाएंगे | रही बात रेलवे की, रेलवे में 8000 से अधिक स्टेशन हैं, मैं सितम्बर तक हर स्टेशन पर एक महिलाओं के लिए और पुरुषों के लिए अलग-अलग टॉयलेट अच्छा बनाने के लिए मैंने बीड़ा उठाया है, उसी के साथ-साथ स्टेशन में वाई-फाई अगले मार्च तक पहुंचे | साथ में इनकी दूसरी फिल्म, और आप लोग सोचेंगे जैसे कोई मैं फिल्म बफ हूँ पर वास्तव में अक्षय जी ने मेरा दिल जीता है, दोनों फिल्में टॉयलेट एक प्रेम कथा और पैडमैन |

और मैंने अपने रेलवे के अधिकारियों को कहा है कि देश में हर रेलवे स्टेशन पर वैसा ही एक सेनेटरी पैड का एक बनाने का सिस्टम लगाया जाये, हम अपनी जगह मुफ्त में देंगे जिससे महिलाओं को गाँव में भी एक रुपये-सवा रुपये में सेनेटरी पैड मिल सके | शायद कल को कोई वैसा व्यक्ति, बहुत ही जज़्बात रखने वाले व्यक्ति को अक्षय कुमार ने जो फिल्म में दिखाया है वैसे परेशानी न उठानी पड़े |

प्रश्न: अक्षय कुमार से आगे बढ़ते हैं, आपसे तीन खबरें जो हाल में सामने आईं उनके बारे में पूछना चाहता हूँ, जानना चाहता हूँ कि आप एक नेता के तौर पर उसको कैसे रिएक्ट करते हैं, यानी रेलवे ने नौकरियां खोली सालों के बाद, 99,000 नौकरियां रेलवे देगा और 99,000 नौकरियों के लिए ढाई करोड़ लोग, यानी पूरी ऑस्ट्रेलिया की पापुलेशन के बराबर लोगों ने आवेदन किया, पीयूष जी क्या दिखाता है यह?

उत्तर: मैं समझता हूँ इसमें तो कोई पहली बार हुआ है ऐसा नहीं है, यह वर्षों से एक हमारे देश में नौजवानों को एक इच्छा रहती है कि सरकारी नौकरी मिले, रेलवे की नौकरी के साथ जुड़ा हुआ है कि यह एक सरकारी नौकरी है इसलिए उसका एक आकर्षण रहता है | तो वैसे कई लोग होंगे जो अपने आपमें उद्यमी होंगे, कोई और जगह काम करते होंगे किसी और फैक्ट्री में करते होंगे, प्राइवेट सेक्टर में करते होंगे और कई लोग ऐसे हैं जो काम की तलाश में भी हैं | तो सभी को रेलवे का एक आकर्षण रहता है, तो स्वाभाविक है बड़ी संख्या में लोग अप्लाई करेंगे, मैं तो इसका स्वागत करता हूँ |

प्रश्न: एक बड़ी खबर आई और उसमें यह आया कि 78,000 करोड़ की जो सिग्नलिंग की व्यवस्था थी वह प्रधानमंत्री ने बंद करवादी क्योंकि मंत्री जी सिर्फ एक ही कंपनी को वह ठेका देना चाहते थे, मंत्रालय के लोगों ने लाल झंडी दिखाई उसमें, इसपर आपको क्या कहना है?

उत्तर: मैं समझता हूँ पत्रकारों को कही-सुनी बातों पर विश्वास कम करना चाहिए और गहराई में जाना चाहिए विषय की | मैं धन्यवाद दूंगा माननीय प्रधानमंत्री जी का कि उन्होंने जब सिग्नलिंग की व्यवस्था की बात हुई तो उनको ध्यान था कि एक टीकैस करके टेक्नोलॉजी भारत में भी डेवेलोप करने की कोशिश कई वर्षों पहले शुरू हुई थी, उन्होंने ऐसा हमें निर्देश दिया कि क्यों ना हम जो भारत की आधुनिक टेक्नोलॉजी है, जो भारत की अपनी खुद की टेक्नोलॉजी है – टीकैस, उसकी भी पूरी जानकारी लें, उसका भी ट्रायल करें और वह ट्रायल करके देखें अगर वह सुविधा दे सकती है, कम खर्चे पर दे सकती है, मेक इन इंडिया के तहत बन सकती है तो उसको भी मौका दिया जाये |

और जहाँ तक रही बात एक कंपनी को देने की मैं समझता हूँ यह तो हमारी सरकार की सफलता है कि हमने सरकारी खरीद का सोच बदला है | पहले सिस्टम क्या था, मैं वैगन का एक एक्साम्प्ल देता हूँ और यही सिग्नलिंग में, हर वस्तु में कैसे खरीदने की व्यवस्था चलती थी | अब वैगन का टेंडर निकला और पांच कंपनियां हैं, जो सबसे लोवेस्ट बिड करेगा उसका 30% ऑर्डर मिलेगा, जो सेकंड है उसको 22%, तीसरा है उसको 20%, यानी किसी को इंसेंटिव ही नहीं है कि कम दाम दे और कम दाम में सप्लाई करे रेलवे में |

हम उसको बदल रहे हैं, हम कह रहे हैं कि सब लोग बिड करें और बकेट फिलिंग एप्रोच होगा, जो पूरी आपकी जो क्षमता है, जो एल-1 बिडर है हम उसको पूरी क्षमता देंगे तो एक अग्रेसिव बिडिंग होगी | अगर आदमी को पता है कि मैं हाई बिड करूँ या लो करूँ मुझे ऑर्डर मिलना ही है तो कौन रेलवे को सस्ता माल देगा | तो हम जो व्यवस्था ला रहे हैं वह ज्यादा पारदर्शी है, ट्रांसपेरेंट है, एफिशियंट है, रेलवे का खर्चा कम करेगी और जब रेलवे का खर्चा कम होगा तब रेल यात्रियों को यह टेंशन नहीं लेना पड़ेगा कि रेल यात्रा के दाम बढ़ने वाले हैं उसके बदले रेल सुविधाएं सस्ते दाम पर सबको मिल पाएंगी |

प्रश्न: पर यह जो खबर है कि जो इस सबके बावजूद जो टेंडर आया उसमें भाव कहीं ज्यादा था?

उत्तर: टेंडर हुआ ही नहीं है, इसलिए कह रहा हूँ न्यूज़पेपर में और टेलीविज़न पर फेक न्यूज़ देना ज़रा कम करें और ज़रा गहराई से जायें कि यह खबर का सोर्स आपका ठीक है, खबर किस से मिली, क्या मिली | अगर आपके सोर्सेज थोड़े अच्छे होते और रिसर्च करते आप लोग भी जैसे आप हमसे चाहते हैं तो मैं समझता हूँ पत्रकारों को इतना एम्बेरेस नहीं होना पड़ता गलत न्यूज़ देने के लिए |

प्रश्न: चलिए आपने खुलकर जवाब दिया इसका यह बड़ा अच्छा किया क्योंकि यह सोशल मीडिया पर कई जगह यह चीज़ उछल रही है आज उसपर एक तरीके से सफाई आ गयी | आपको एक बात की तो बधाई देनी पड़ेगी कि ट्रेजरर के तौर पर, मैं आज ही पढ़ रहा था जो आंकड़ा उछला है पार्टी का वह करीब 81% उछला है, हजारों करोड़ रुपये आते हैं पीयूष जी, मुंबई शहर में हम लोग हैं, कहाँ से आते हैं इतने पैसे?

उत्तर: यह जनता की लोकप्रियता है हमारे प्रधानमंत्री के प्रति, हमारे प्रधानमंत्री आज देश के सर्वश्रेष्ट नेता हैं | भारतीय जनता पार्टी एक ऐसी पार्टी है जो वास्तव में देश हित को सर्वप्रिय रखती है, जिसमें हर एक कार्यकर्ता नेशन-फर्स्ट, पार्टी-नेक्स्ट एंड सेल्फ-लास्ट, इस भावना से सेवा भाव से काम करता है और इस लोकप्रियता का परिणाम है | और हमें पैसा कोई आज सरकार में आये हैं इसलिए नहीं मिलता है, हमें पैसा सालों से मिलते आ रहा है, और सालों से लोग हमारी पार्टी को समर्थन देते हैं, प्यार देते हैं और उन्हीं के समर्थन से मैं समझता हूँ हमारा भी हौसला बुलंद होता है कि जनता की सेवा पारदर्शिता से करें, ईमानदारी से करें |

प्रश्न: एक यह जो आंकड़ा उछल रहा है कि अगले चुनाव में, 2019 में, 34,000 करोड़ रुपये की ज़रूरत पड़ेगी चुनाव लड़ने के लिए, क्या यह सही है आंकड़ा या इतना होता है, आप तो ट्रेजरर हैं, बता सकते हैं?

उत्तर: एक और फेक न्यूज़ का उदाहरण आपने निकाल लिया | अगर 34,000 करोड़ रुपये एक चुनाव में लगते और आप तो शायद गणित अच्छी तरह कर सकते हैं, 543 सीट्स के लिए 34,000 करोड़ रुपये मतलब लगभग आप एस्यूम कर रहे हैं कि 80 करोड़ रुपये पर सीट, अब अगर 80 करोड़ रुपये पर सीट अगर इस देश में खर्च होने लग जायें तो मैं समझता हूँ देश की अर्थव्यवस्था पूरी बिगड़ जाएगी |

यह पिछले चुनाव में कुछ आपके मित्र जो आज विपक्षी पार्टी में बैठे हैं 44 सीट लेकर उन्होंने भी शुरू किया था कि भारतीय जनता पार्टी ने 5000 करोड़ रुपये का एडवरटाइजिंग बजट दे दिया, अब मेरे तो सब फिगर्स ट्रांस्पेरेंटली वेबसाइट पर दिए हुए हैं | 2014 के चुनाव में प्रिंट को कितना दिया, टेलीविज़न को कितना दिया, और आपके चैनल को कितना दिया, सोशल मीडिया पर कितना खर्चा किया, रेडियो पर कितना खर्चा किया | हमारे तो आंकड़े ऑडिट होते हैं, थर्ड पार्टी प्रोफेशनल ऑडिट के माध्यम से बनते हैं, और वेबसाइट पर डाले जाते हैं | मैं समझता हूँ कभी मीडिया हाउसेस अपने खर्चे दिखाएं, मीडिया हाउसेस बताएं कि उनके पास पैसा किधर से आता है, मीडिया हाउसेस बताएं कि इलेक्शन के दौरान हमसे 10 गुना रेट क्यों लेते हैं, माफ़ करिएगा विजय जी, कि भाई नॉर्मल जो रेट एडवरटाइजिंग का अगर 200 रुपये प्रति सेकंड है या 10 सेकंड होता है तो हमसे राजनीति के समय, चुनाव के समय 10 गुना, 20 गुना, 40 गुना पैसा क्यों लेते हैं, मीडिया ज़रा इसका जवाब जनता के समक्ष रखे |

प्रश्न: आपने मीडिया से कई सवाल पूछे, पीयूष जी एक और यह जो आक्रमक मुद्दा है आपकी मुद्रा है मैं इस पीयूष गोयल को बहुत अच्छी तरह से जानता हूँ, मैं आपसे पूछ रहा हूँ कि यह जो बार-बार आजकल खबर आ रही है कि मीडिया पर बड़ा दबाव है, मीडिया को पूरी बात कहने नहीं दी जाती है, करने नहीं दी जाती है, इस सवाल को आप कैसे देखते हैं?

उत्तर: आपके ऊपर कोई दबाव आया है, आज मेरे से पूछने में? भाई अगर आपमें से किसी ने दिबांग जी के ऊपर कोई दबाव डाला है तो आप खड़े हो जाइये और माफ़ी मांगिये इनसे | किसने दबाव डाला है आप बताएं? विजय जी, आई होप आपने कोई इनको रिस्ट्रिक्टेड लिस्ट ऑफ़ क्वेश्चन तो नहीं दिए? मैं समझता हूँ कोई दबाव नहीं है, आपके चैनल पर तो दिन और रात हमारी आलोचना होती है, विजह जी के पेपर में मेरी कितनी आलोचना होती है, जब मैंने कोयले के ब्लॉक्स एलॉट किये थे तो विजय जी के पेपर ने तो एडिटोरियल्ज़ भी लिखे मेरे खिलाफ |

मैं समझता हूँ एक अच्छी डेमोक्रेसी में हमने इसका स्वागत करना चाहिए, हमने एक अच्छी डेमोक्रेसी में डिबेट करना चाहिए और आपसी मतभेदों को पर्सनालाइज़ नहीं करना चाहिए, आपसी मतभेद अपनी जगह है, राजनीति अपनी जगह है लेकिन देश हित सर्वप्रिय रहना चाहिए |

प्रश्न: आखिरी सवाल, आपको क्या लगता है, 2019 में क्या होगा?

उत्तर: 2019 में भारतीय जनता पार्टी अपने बलबूते पर 300 से अधिक सीटें लेकर जीतेगी और हमारे सहयोगी दल जो एनडीए के हमारे सब पार्टनर्स हैं उनको मिलाकर हम दो-तिहाई बहुमत लेकर भारत में फिर से आयेंगे और भारत की जनता की सेवा करने के लिए कटिबद्ध रहेंगे |

धन्यवाद पीयूष गोयल |

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