Speeches

November 6, 2017

Speaking with ABP News on demonetisation

प्रश्न: नोटबंदी ने क्या देश की अर्थव्यवस्था को पैसेंजर ट्रेन बना दिया, या फिर बुलेट ट्रेन की रफ़्तार आनी अभी बाकी है| नोटबंदी के एक साल पर नोटबंदी की छुक-छुक ने लोगों की धक-धक को कितना कम करने का काम किया है| आज तमाम सवालों का जवाब देंगे रेल मंत्री जी हमारे साथ पहुँच चुके हैं, बहुत स्वागत है सर आपका|

उत्तर: धन्यवाद|

प्रश्न: और इसके पहले कि सवालों के सिलसिले की मैं शुरुआत करूं मैं चाहूंगी कि एक साल में इस देश में क्या बदलाव नोटबंदी के बाद, आप दो मिनट में सर प्लीज अगर वहां पर अपनी बात रख पाएं|

पीयूष: धन्यवाद! अच्छी बात है कि एबीपी नेटवर्क ने एंटी-ब्लैक मनी डे जो 8 नवम्बर को देश भर में मनाया जाने वाला है उसके पूर्वसंध्या पर ही यह कार्यक्रम रखकर इस देश में जागरूकता फ़ैलाने के लिए हमें मदद की, देश को फिर एक बार इस बात को याद दिलाया कि वास्तव में अब भारत भ्रष्टाचार-मुक्त और काले धन के खिलाफ लड़ाई में पूरा देश एकजुट होकर एक प्रकार से परमानेंटली इस समस्या से निजात चाहता है, इस समस्या से अपने आपको, इस देश की छवि को सुधारना चाहता है|

जब यह सरकार 2014 में आई तब एक के बाद एक लगातार कई कदम उठाये गए जिससे काले धन या भ्रष्टाचार पर बड़ी तीव्र लड़ाई लड़ी जाये, एसआईटी बनी पहली कैबिनेट मीटिंग में, विदेश में जो अकाउंट हैं उसके ऊपर प्रहार किया गया, एक आईडिया स्कीम के माध्यम से आखिरी मौका दिया लोगों को कि वह अपने धन के बारे में जानकारी खुली कर लें| सायप्रस, सिंगापुर, स्विट्ज़रलैंड मॉरिशस, इन सबके साथ treaties renegotiate करके जो काला धन round tripping करने का एक माध्यम कई वर्षों से था उसको plug किया| बेनामी संपत्ति का जो कानून है, 28 साल पहले जो बना था लेकिन जिसको लागू नहीं किया गया, उसको लागू भी किया, उसमें संशोधन करके और उसमें कड़े प्रावधान डाले| और ऐसे लगातार एक के बाद एक कदम उठाते हुए जीएसटी को को इस देश के समक्ष लाकर जो इनफॉर्मल इकॉनमी है, उस इनफॉर्मल इकॉनमी को फॉर्मल इकॉनमी की तरफ लेकर जाने का एक फाइनल प्रयास जुलाई से होने जा रहा था|

ऐसे में देश में लाखों करोड़ रुपये जो हाई वैल्यू करेंसी नोट्स के माध्यम से मार्किट में थे उसकी जानकारी भी निकालना और किसके पास यह पैसा है, कौन कैश में व्यापार करता है, आखिर इनफॉर्मल जो transactions हैं, जो व्यापार बिना टैक्स पे करे किया जाता है, स्वाभाविक है वह कैश में किया जाता है| तो एक बार यह पूरे सिस्टम में बड़े नोट किसके पास हैं यह जानकारी सरकार के पास आये, जनता को यह ध्यान आये कि यह डिजिटल इकॉनमी और फॉर्मल इकॉनमी के साथ जुड़ने में लाभ है|

और एक प्रकार से पूरे देश में यह चेतावना हो जाये कि यह काले धन के साथ व्यापार किया हुआ नुकसान पहुंचाएगा, उसकी जानकारियां सरकार के पास पहुंचकर आपको नुकसान होगा, यह दिशा आगे की दिशा तय करने वाला यह कदम विमुद्रीकरण का 8 नवम्बर 2016 को लेकर माननीय प्रधानमंत्री ने इस देश को एक स्पष्ट सन्देश दिया कि काला धन और भ्रष्टाचार, आतंकवाद जिसमें एक प्रकार से फेक करेंसी भी यूज़ होती थी, नोटों का इस्तेमाल करके left-wing extremism छत्तीसगढ़, झारखंड, आंध्र प्रदेश, जम्मू कश्मीर में terrorist activities, इन सबके ऊपर भी प्रहार करने का जो एक महत्वपूर्ण निर्णय 8 नवम्बर को लिया मैं समझता हूँ उसके बाद आज एक वर्ष के बाद when we look back कि क्या हुआ एक वर्ष में तो समाधान होता है, समाधान यह होता है कि जो workers को minimum wages नहीं मिलते थे, पूरी तनख्वाह नहीं मिलती थी आज अधिकांश जगह पर लोगों ने खाते खुलवा लिए workers के, official payment दी जाती है तो स्वाभाविक है कि minimum wages जिसमें 42% की वृद्धि हमारी सरकार ने की कामगारों को वह मिलना शुरू हो गयी, लगभग 1 करोड़ 3 लाख नए provident fund के खाते खुले क्योंकि स्वाभाविक है जब official payment होगी तो provident fund भी पे होगा, insurance का benefit, health insurance, ESIC, इसमें लगभग 1 करोड़ 30 लाख additional खाते खुले तो उतने परिवारों को, लगभग 5-6 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य की सेवाएं मुफ्त में मिलना शुरू हो गयी, लगभग 2,10,000 शैल कम्पनीज को कैंसिल किया गया उनका रजिस्ट्रेशन, उसपर कार्रवाई चल रही है|

और कई बार लोग कहते हैं कि अगर पैसा बैंक में वापिस आ गया तो फायदा क्या हुआ, मैं समझता हूँ यह बड़ी नासमझी है क्योंकि पैसा जो बैंक में वापिस आ गया अब पैसे का ट्रेल भी साथ में मिल गया, अब पता है पैसा किसने जमा किया, किसके खाते में आया| और अब उसकी ट्रेल लेकर तो जो पैसा जमा हुआ है वह और उसके साथ और कितनी transactions उस खाते से हुई हैं वह पूरी जानकारी data mining के माध्यम से अब सरकार के पास है, लगभग 3 लाख से अधिक खातों के ऊपर छानबीन चल रही है, 3-3.5 लाख करोड़ रुपये की जानकारियां निकाली जा रही है कि यह जेन्युइन है या जेन्युइन नहीं है|

अभी तक बता रहे थे 5000 कम्पनीज की सिर्फ data mining हुई है इस 3-3.5 लाख की कंपनियों में से उसी में से 4,000 करोड़ रुपये की transactions गलत पाई गयीं| और जैसे-जैसे यह data mining होकर और records निकलेंगे, अब एक permanent name and address बन गया हर रुपये के साथ जितना कैश था सिस्टम में उसका एक name और address identify हो गया| उसकी वजह से लगभग 800 companies delist करने को मिली जिनकी जानकारी मिली कि यह सिर्फ money laundering में काम करती थी या जिनकी transactions genuine नहीं पाई गयी, अब वह companies की भी छानबीन हो सकेगी, जैसे ही इन companies की छानबीन होगी तो पुराने भी सब चित्ता-पट्टा खुलेगा क्या हुआ कैसे यह companies का इस्तेमाल किया गया|

तो वास्तव में कितने हज़ार कितने लाख करोड़ विमुद्रीकरण के कारण तो पकडे ही जायेंगे, टैक्स नेट में आयेंगे लेकिन उसके इलावा और कितनी transactions खुलेंगे जिसका लाभ देश को मिलेगा और सबसे बड़ा जो message गया कि पहली ऐसी सरकार है जो कड़े कदम उठाने को तैयार है| काला धन और भ्रष्टाचार-मुक्त भारत जिससे भारत की छवि भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुधरी है, जिससे भारत में ईमानदार व्यापारी, ईमानदार उद्योग करने वाला एक जो उपभोक्ता है उन सबको भी एक विश्वास जागृत हुआ है कि वास्तव में कोई सरकार, कोई नेतृत्व है जो काला धन और भ्रष्टाचार ख़त्म करने के लिए कड़े कदम उठा सकती है, मुझे लगता है देश भर में उसके बाद जितने चुनाव हुए, जितनी जगह पर जनता को मौका मिला वह हमें …… मिला, उसका रिवॉर्ड मिला, एक प्रकार से जनता ने भारतीय जनता पार्टी को अपना समर्थन, अपना आशीर्वाद देकर एक स्पष्ट मेसेज देश और दुनिया को दिया है कि भारत ईमानदार देश, भारत ईमानदारी के रास्ते पर आगे चलना चाहता है, हर भारतीय नागरिक चाहता है कि देश ईमानदार हो, देश भ्रष्टाचार-मुक्त हो, देश में काला व्यापार, काला धंधा बंद हो, हर एक transaction formal होने से ब्याज के दर कम होते हैं, टैक्स के दर कम हो सकते हैं|

और ऐसे गिनने जायें तो इतने ज्यादा व्यापक रूप में देश में सुधार आने की संभावना खुली है कि मैं समझता हूँ एक वर्ष के बाद संतुष्टि से मैं कह सकता हूँ कि यह कदम, देश हित और जनहित का कदम देश ने भी स्वीकार किया है, अर्थव्यवस्था समझने वालों ने भी स्वीकार किया है कि छोटे-मोटे समय के लिए अगर कठिनाई उठानी पड़ी लेकिन उसके जो लम्बे अरसे के लाभ हैं वह इस देश को बहुत तेज़ गति से विकास के मार्ग पर ले जा पाएंगे|

बहुत-बहुत धन्यवाद|

प्रश्न: बहुत अच्छी बातें भी आपने कहीं और देश को अच्छे दिन दिखाने की भी कोशिश आपकी ओर से की गयी पीयूष जी, लेकिन राहुल गाँधी के शब्दों में मैं अगर कहूँ – ‘आप कहते हैं आप किसी से कम नहीं, मगर आपकी बातों में दम नहीं, पहले नोटबंदी और उसके बाद ‘गब्बर सिंह टैक्स’ और अब उसके फायदे गिनाने में जुटी हुई है भारतीय जनता पार्टी?’

उत्तर: मैं समझता हूँ जो लोगों ने कभी ज़िन्दगी में भ्रष्टाचार और काले धन के खिलाफ लड़ाई लड़ी ही नहीं है, rather जिनकी पार्टी ने तो चाहे वह कोयले का घोटाला हो, टेलिकॉम का घोटाला हो, कॉमनवेल्थ का घोटाला हो, आदर्श का घोटाला हो – आपकी समय-सीमा कितनी है इस शो की, सब घोटाले गिना पाउँगा कि नहीं? नहीं गिना पाउँगा|

इन व्यक्तियों को तो वास्तव में कोई अधिकार ही नहीं है हमारे अच्छे कामों का सवाल पूछने का और जनता ने उसका जवाब बहुत अच्छा दे दिया है, जनता ने बार-बार जवाब दिया है और अब कुछ ही दिनों में 4-5 दिन बाद, 3 दिन बाद तो हिमाचल में मुझे तो कल मैं अभी हिमाचल से ही आ रहा हूँ, कल की जो परिस्थिति और जो उत्साह देखा है हिमाचल में मुझे लगता है उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से भी बड़ी जीत भाजपा की हिमाचल में और उसके बाद गुजरात में होने जा रही है|

प्रश्न: नोटबंदी को इसका श्रेय दे रहे हैं आप?

उत्तर: नहीं, देखिए यह सरकार कोई एक काम के ऊपर टिकती नहीं है, हमारी सरकार कोई एक काम कर लिया और उसपर उठाकर हम कहें कि हमने सब कुछ कर लिया| हमारी सरकार लगातार चौबीस घंटे दिन और रात अलग-अलग विकास के काम, अलग-अलग काम जिसमें जनहित हो, जनता की सेवा हो, किसानों को, गरीबों को एक अच्छा भविष्य मिले, विद्यार्थियों के लिए अच्छी शिक्षा मिले, मुझे लगता है हमारे अन्य कामों में जो काला धन और भ्रष्टाचार पर हमने लड़ाई लड़ी है वह एक बहुत महत्वपूर्ण कड़ी है क्योंकि वास्तव में यह विकास को रुकवाती थी, विकास के बीच में रोड़े डालती थी|

प्रश्न: यह बता दीजिये कि चूँकि एक साल होने जा रहा है नोटबंदी को, लेकिन आज भी देश के मन में यह सवाल है कि नोटबंदी का मकसद क्या था?

उत्तर: जितने सब लाभ गिनाये वह मकसद था| यह सवाल शायद देश की जनता में कम है और उन लोगों में ज्यादा है जिनको शायद चोट पहुंची है इस पूरी कार्रवाई से|

प्रश्न: सर यह सवाल मैंने आपसे इसलिए पूछा क्योंकि 8 नवम्बर, 2016 को जिस दिन नोटबंदी की घोषणा की गयी थी प्रधानमंत्री की ओर से, उन्होंने एक बार भी डिजिटल इंडिया, कैशलेस इंडिया की बात नहीं कही थी| उन्होंने 18 बार काले धन का ज़िक्र किया था, 5 बार उनकी ओर से जाली नोट का ज़िक्र किया गया था, 27 तारीख को पीएम एक बार फिर से सामने आते हैं और फिर उस दिन वह कैशलेस इंडिया| तो यह बार-बार लोग सवाल पूछ रहे हैं कहीं ऐसा तो नहीं कि जो लक्ष्य था उससे भटक गयी सरकार? और फिर अलग-अलग कारण गिनाये जाने लग गयी कि नोटबंदी हमने इसलिए किया?

उत्तर: I think कोई भी अर्थव्यवस्था समझने वाला व्यक्ति आपको बड़े आसानी से बताएगा कि जब less-cash economy होगी, जब amount of high-value currencies कम होंगी तो स्वाभाविक है कि banking transactions और digitalization और formalization की तरफ लोग जायेंगे, तो वह तो एक logical outcome of demonetization सभी को ध्यान में था| काले धन की बात तो करी और सबसे बड़ा लक्ष्य तो काल धन locate करके उसपर कड़ी….|

प्रश्न: कितना आया? काला धन कितना आ गया देश में?

उत्तर: वह तो अभी पता नहीं, वह अनगिनत उसके तो यह सिलसिला चलता रहेगा, यह जो पैसा बैंक में जमा हुआ है अब इस सबका जैसा मैंने कहा एक एड्रेस है, एक व्यक्ति का नाम है, कोई कंपनी का नाम है, लोगों को जवाब देना पड़ेगा कि यह पैसा मेरे पास टैक्स पेड है या नहीं है| आपको एक उदाहरण देता हूँ, दक्षिण भारत में एक व्यक्ति ने 94 करोड़ रुपये बैंक में डाले, अब जो विपक्ष के नेता हैं उनको यह बात समझ नहीं आ रही है वह कहते हैं कि बैंक में डाल दिया तो काला धन सफ़ेद हो गया, मैंने उनका ऐसा भी एक वक्तव्य सुना था| उनको यह नहीं समझ में आ रहा है कि यह 94 करोड़ जो बैंक में डाले अब उसका जवाब देने के लिए उसके पास कुछ है नहीं, वह समझाने की कोशिश कर रहा है व्यापारी कि 5000 लोग आये, 2-2 लाख रुपये दिए और फ्यूचर में मैं उनको गोल्ड ज्वेलरी कुछ सप्लाई करने वाला हूँ| 2 लाख है इसलिए पैन नंबर नहीं है, 2 लाख है इसलिए मैंने डिटेल्स नहीं रखीं कोई नाम नहीं, पता नहीं, कोई सिक्यूरिटी गार्ड नहीं है जो बैठा था जब 5000 लोग आये| किन व्यक्तियों ने वह पैसा गिना जब पूछा गया सरकार द्वारा तो बोलता है वह लोग भाग गए मेरे पास अब उनका नाम पता नहीं है|

तो स्वाभाविक है अब इसपर कार्रवाई होगी, साथ ही साथ और कितने उसके और काले चिट्टे खुलेंगे पहले के, तो मैं समझता हूँ कि इसका लाभ एक पूरे देश को चेतावनी, पूरे देश में चेतना भी जगाना कि काला धन करने का लाभ नहीं है भाई, फॉर्मल और ईमानदार व्यवस्था से जुडो और साथ ही साथ लाखों करोड़ रुपये सामने आयेंगे जो शायद टैक्स पेड न हो|

प्रश्न: सर आपने काले धन की बात कही, यह सवाल मैंने आपसे इसलिए पूछा क्योंकि 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने काले धन को लेकर जो बातें कहीं थी शब्दशः मैं उसको पढ़ रही हूँ| उन्होंने कहा कि बैंकों में जमा की गयी राशि में 2 लाख करोड़ रुपये काला धन बैंक तक पहुंचाना पड़ा, व्यवस्था के साथ जवाब देने को मजबूर हुए लोग, काले धन के खिलाफ लड़ाई का यह परिणाम है| लेकिन रिज़र्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहीं भी इन बातों का ज़िक्र नहीं किया है और मंत्री भी अलग-अलग बयान देते हैं काले धन को लेकर| इसलिए देश यह जानना चाहता है कि काला धन अगर आया तो उसका एक आंकड़ा तो कोई होगा सरकार के पास?

उत्तर: नहीं, नहीं, आपको मैंने अभी इतने विस्तार से समझाया, पहली बात तो रिज़र्व बैंक काला और सफ़ेद नहीं देखती है, रिज़र्व बैंक का काम तो currency in circulation को मॉनिटर करना है| In fact, रिज़र्व बैंक की रिपोर्ट आई थी कि 6 लाख करोड़ रुपये बड़े नोट, 500 और 1000 के बड़े नोट ऐसे थे जो कभी banking system में circulation में आते ही नहीं थे तो उस समय के 16-17 लाख करोड़ रुपये में से, बड़े नोटों में से, 6 लाख ऐसे थे जो कभी banking system में वापिस पहुँचते ही नहीं थे| इसलिए यह ध्यान आया कि यह 6 लाख करोड़ किधर न किधर ऐसे दबे पड़े हैं जो न टैक्स पे हुआ है, न वह इकॉनमी को हेल्प कर रहे हैं, न बैंक में आ रहे हैं|

जब यह विमुद्रीकरण हुआ तो यह सब नोटों को एक बार जबरन बैंक में आना पड़ा, जैसे ही यह नोट्स बैंक में आये तो जो लोगों के transaction शायद 5 लाख या 10 लाख से अधिक डिपाजिट हुए उन सबको एक ईमेल पर नोटिस भेजा गया, वह नोटिस के रिप्लाई जिन-जिन के आ गए और उनके इनकम प्रोफाइल से टैली हो गए वह लोग तो क्लियर हो गए| उसके बावजूद 2 लाख करोड़ उस समय का आंकड़ा अनुमानित था, आजके दिन वह डेटा माइनिंग से बढ़कर 3,38,000 करोड़ के करीब हो गया है और यह बढ़ते जाता है आंकड़ा| It is a dynamic figure, it is not a static figure.

अगर एकदम latest आंकड़ा भी आपको interest हो तो वह भी मैं लेकर आया था आपके शो के लिए कि लगभग 17,73,000 (17.73 lakh) PAN numbers scrutiny में चल रहे हैं अभी| Cash deposit of 3.68 lakh crores (3 करोड़, 68 लाख करोड़) के cash deposits investigation में हैं, 23 lakh accounts के ऊपर investigation चल रही है| तो यह सब figures जब हम देखें तो स्वाभाविक है कि इस सब में कितना बड़ा भंडार खुलेगा वह तो अभी समय बताएगा और यह बढ़ते भी रहेगा, आगे चलकर इसपर कार्रवाई होती रहेगी|

प्रश्न: ठीक है सर, वह कब खुलेगा इसका देश को इन्तिज़ार है लेकिन जो लोग हमारे साथ यहाँ पर मौजूद है उनके सवाल मैं ले लेती हूँ|

उत्तर: कब नहीं, यह लगातार खुलता रहता है, डेटा माइनिंग करके डेटा इनकम टैक्स में जाता है, जो जो अलग-अलग investigative agencies हैं वह उसपर कार्रवाई करती हैं, तो यह तो एक, it’s a continuous process और trail मिलता है| जैसे अभी-अभी माननीय प्रधानमंत्री बता रहे थे कंपनी मिली, शैल कंपनी इसी सब में जिसके शायद हज़ार से ऊपर बैंक खाते हैं, शायद 1100 या 2100 याद नहीं है मुझे, बैंक खाते एक कंपनी के| तो स्वाभाविक है जिसके इतने बैंक खाते हैं तो कोई न कोई गड़बड़ होगी नहीं तो इतने बैंक खाते तो किसी को रखने की आवश्यकता पड़नी नहीं चाहिए|

प्रश्न: एक सवाल ट्विटर से मुझे बताया जा रहा है, ‘पहले आपने 50,000 रुपये पर पैन कार्ड अनिवार्य किया था, बाद में फिर इसको बढ़ाकर 2 लाख रुपये सीमा कर दी, ऐसा क्यों किया गया? सोना खरीदने के लिए अगर काले धन को लेकर सरकार इतनी ज्यादा गंभीर है और वह चाहती है कि सारी चीज़ें नियम के अनुसार चलें?

उत्तर: मैंने कई बार पत्रकारों को भी बताया है, जनता के बीच में भी बात रखी है कि यह बड़ी संवेदनशील सरकार है, पहले 2 लाख रुपये पर पैन कार्ड लगता था व्यवस्था चल रही थी| बीच में डिपार्टमेंट को लगा इसको घटाकर 50,000 कर दिया जाये, कई जगह से representations आये कि इतने छोटे वैल्यू के transactions के ऊपर PAN card demand करना कई बार day to day व्यापार में मुश्किल हो जाता है, कोई महिला गयी, कुछ छोटा सा गहना खरीदने की कोशिश की और उसमें, आजकल तो शायद 10 ग्राम सोना भी 30,000 रुपये का है कितना है मेरे खयाल से, तो एक छोटी सी चेन या कुछ लेने जायें तो भी उसमें पूरा नहीं पड़ेगा, इसलिए वह अब फिर से एक बार, पुनः एक बार 2 लाख की लिमिट स्थापित कर दी गयी| यह दर्शाता है कि यह सरकार कोई निर्णय लेकर अड़ियलपना नहीं करती है, open रहती है to people’s feedback और feedback के हिसाब से सुधार के लिए हम always प्रयत्न करते हैं|

उत्तर: आपने इस सरकार की संवेदनशीलता की बात करी है तो उसी से जुड़ा हुआ सवाल ले लेती हूँ दिल्ली यूनिवर्सिटी से हैं विपुल शुक्ला, वह सवाल पूछ रहे हैं सरकार नोटबंदी के तहत डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने की बात करती रही है और जब आम जनता डिजिटल पेमेंट करने जाती है तो 2000 से ऊपर की पेमेंट कटने पर एक्स्ट्रा चार्ज पे करने पड़ते हैं, तो यहाँ भी आपको अपनी संवेदनशीलता दिखानी चाहिए?

प्रश्न: मेरे खयाल से साधारणतः क्रेडिट कार्ड के ऊपर charges लगते हैं क्योंकि उसमें क्रेडिट जुड़ा हुआ होता है| अगर आप कोई क्रेडिट कार्ड transaction करें तो क्योंकि आपको उसमें क्रेडिट भी मिल रहा है, आपके बैंक खाते में उस दिन पैसा है नहीं है उसके irrespective of that आप क्रेडिट कार्ड से transaction कर सकते हैं, that is your choice कि आप क्रेडिट कार्ड यूज़ कर रहे हैं you pay for those charges. उसमें सरकार के पास कोई नियंत्रण लगाने का कोई प्रावधान नहीं है, जहाँ तक भीम है या Aadhar-based transactions हैं या डेबिट कार्ड के transactions हैं उसमें उपभोक्ता के ऊपर कोई चार्ज नहीं लगता है, चार्ज एक merchant discount rate की तरह जो दुकानदार है जो आपको service provide कर रहा है या जो आपको कुछ सामान बेच रहा है उसके ऊपर MDR लगता है| He is not supposed to pass it on.

एक समस्या जैसे रेलवेज में ऑनलाइन बुकिंग होती है वह मेरे समक्ष अभी-अभी आई है, रेलवेज में जो सर्विस चार्ज लगते थे वह तो विमुद्रीकरण के समय उड़ा दिए गए थे| जो merchants चार्ज करते हैं, Merchant Discount Rate, वह एक small fee लगती है जब आप online transaction करो, अब मैं उसपर ध्यान दे रहा हूँ कि वह भी अभी आगे से ख़त्म हो जाये|

प्रश्न: चलिए, इसके पहले मैं कुछ और सवाल लूं, यहाँ पर आपके साथ ही मैं अपने दर्शकों को भी बताना चाहूंगी कि एबीपी न्यूज़ का यह खास कार्यक्रम जो इस वक्त लाइव चल रहा है – जन मन धन – यह ट्विटर पर इस वक्त ट्रेंड कर रहा है| तो लगातार आप भी अगर कुछ बात रखना चाहते हैं, आप अपनी राय व्यक्त करना चाहते हैं या पीयूष जी से कुछ सवाल पूछना चाहते हैं तो वह हमें ज़रूर आप hashtag – #ABPNewsJanManDhan लिखकर आप हमें भेज सकते हैं|

फिलहाल आगे बढ़ते हुए अब एक और सवाल है, लेकिन उसके पहले मैं आपसे जानना चाहूंगी, कैशलेस तात्कालिक रूप से तो कामयाब रहा था लेकिन धीरे-धीरे अब ऐसा लग रहा है कि फिर उसी पुराने ….. पर यह देश जा रहा है, लगता है आपको ऐसा?

उत्तर: स्वाभाविक है कि cashless means less cash, कोई विश्व में कोई भी देश ऐसा नहीं है जहाँ cash पूरी तरीके से ख़त्म हो जाता है, कभी छोटी payments वगैरा में लगता भी है| मैं अपने खुद का अनुभव बता सकता हूँ कि मैंने पिछले एक साल में मंदिर में जो चढ़ावा चढ़ाते हैं उसके इलावा कभी कैश नहीं यूज़ किया है| और मुझे लगता है जैसा चल रहा है, जैसे विदेश में तो मंदिर में वह लोग क्रेडिट कार्ड भी लेते हैं यहाँ भी शुरू होने की संभावना मुझे तो दिख रही है|

प्रश्न: पीयूष जी बड़े लोगों के लिए तो चीज़ें आसन है लेकिन जो छोटे लोग हैं जो गरीब जनता है, जो आम लोग हैं उनके लिए तो दिक्कत होगी?

उत्तर: लेकिन इसलिए बता रहा हूँ जितने छोटे नोट पहले थे उससे अधिक छोटे नोट आज अवेलेबल हैं, जो बड़े denomination के notes हैं उसमें लगभग 5-6 लाख करोड़ में कमी आई है, तो यह स्वाभाविक तरीके से दिखाता है कि जो पहले बड़े-बड़े transactions होते थे लाखों करोड़ों में cash में, जो बड़े नोटों के इस्तेमाल से suitcase में डालकर चाहे वह real estate हो, या कोई व्यापार बिना टैक्स पे किये हो उसमें लगता था वह कम होते जा रहा है, बड़े नोट्स की संख्या in circulation बहुत तेज़ गति से घटते जा रही है और एक जागरूकता पैदा हो रही है| Latest statistics अगर निकालें विमुद्रीकरण के पहले और उसके बाद में, 56% transactions बढ़ी हैं digital form से, अब इतना 56% तो it’s not a normal growth, it’s an extraordinary growth in digital transactions.

प्रश्न: अभय जी हैं उनका यह सवाल है, कितना कैशलेस होने के लिए तैयार है इंडिया?

उत्तर: बहुत अच्छी तरीके से तैयार है, सामान्य व्यक्ति और मैं तो आप सबसे अपील करूँगा की आप भी देखिए कि जब आप बिल इंसिस्ट करते हैं, जब आप बिल लेकर चेक से या डिजिटल फॉर्म से पे करते हैं तो आप एक तरीके से देश सेवा कर रहे हैं क्योंकि आप मजबूर कर रहे हो व्यापारी को भी कि वह उस transaction को books में दिखाए, उसपर पूरा tax pay करे| जब सब लोग tax pay करना शुरू कर देंगे तो tax के rates भी घट सकते हैं, अधिक पैसा होगा तो जनता की गरीब, गरीब जनता की सेवा हो सकती है, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं सुधर सकती हैं| तो इसको जो अगर होलिस्टिक अंदाज़ा लगायें तो मैं समझता हूँ अगर देश का हर एक उपभोक्ता और आप भी, अगर यह इंसिस्ट करें कि हमने बिल लेना है चाहे आप पॉपकॉर्न खरीदो पिक्चर देखते हुए, आप जो भी चीज़ खरीदो अगर आप बिल इंसिस्ट करोगे तो यह देश सेवा होगी और इससे देश में formalization of the economy तेज़ गति से बढ़ सकती है|

प्रश्न: वरिष्ठ पत्रकार हैं अशोक वानखेड़े जी, उनका यह सवाल है ‘मोदी जी ने कहा कि इंदिरा जी नोटबंदी करती तो हमें नहीं करना पड़ता, क्या अटल जी ने भी वही गलती की जो इंदिरा गाँधी ने की थी?

उत्तर: यह प्रपोजल इंदिरा के सामने उनके सलाहकार ने रखा था जिसको नकारते हुए और यह रिकार्डेड है, यह कोई मैं नहीं बता रहा हूँ, यह रिकार्डेड है कि उन्होंने शायद ऐसा जवाब दिया कि भाई तुम क्या बात कर रहे हो, नोटबंदी करूँ? मुझे आगे इलेक्शन लड़ने नहीं है क्या? यह आपने शायद पढ़ा भी होगा, अटल जी के सामने ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं था इसलिए शायद उन्होंने नहीं किया होगा|

प्रश्न: नहीं यह सवाल उन्होंने इसलिए पूछा होगा क्योंकि तमाम इसकी खूबियाँ गिनाते हैं प्रधानमंत्री, तो फिर कहीं न कहीं इंदिरा जी ने अगर ऐसा नहीं किया तो फिर बाकी की और बीजेपी की सरकार तो करना चाहिए था?

उत्तर: मैंने वही तो बताया कि उनके समक्ष ऐसा प्रस्ताव नहीं आया होगा, इंदिरा जी के समक्ष प्रस्ताव आया उन्होंने नकार दिया, मोदी जी के समक्ष प्रस्ताव आया उन्होंने उसके लाभ और देश हित का फायदा कितना होगा वह देखा, उन्होंने हिम्मत और साहस दिखाकर यह काम किया|

प्रश्न: रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन, लगातार ख़बरों में भी रहे वह जब उन्होंने टिप्पणी की थी सरकार के इस फैसले को लेकर| उन्होंने कहा है कि आर्थिक रूप से इसे सफल फैसला नहीं कहा जा सकता है?

उत्तर: वैसे यह बात उन्होंने नवम्बर, दिसम्बर, जनवरी, फरवरी, नोटबंदी के बाद नहीं कही थी, वह अभी-अभी कही| तो वह तो बहुत बोलते थे, बहुत सारे shows वगैरा करते थे, बहुत इंटरव्यू करते थे, तो अगर उनको इतना तीव्र विरोध था तो मुझे लगता है नवम्बर 8 को जब यह फैसला हुआ उस समय करना चाहिए था|

प्रश्न: भंग हो चुके योजना आयोग के पूर्व सदस्य अरुण मायरा जी की ओर से नोटबंदी पर अपनी टिप्पणी की गयी है, उन्होंने कहा है कि चूँकि नोटबंदी ने गरीबों के ऊपर एक अच्छा प्रभाव डाला, उनके मन में आया कि अमीरों और गरीबों के बीच जो बड़ी खायी थी उसको मोदी ने पाटने का काम किया है, तो क्या यह अमीरों के खिलाफ लिया गया फैसला था?

उत्तर: देखिए अमीर होना कोई गलत नहीं है, कोई गुनाह नहीं है| अगर आदमी ईमानदारी से अपना व्यापार करे, अपना काम करे, टैक्सेज और पूरी तरीके से legitimate business से कमाए तो बहुत अच्छी बात है, उनके खिलाफ तो कोई हमने कार्रवाई नहीं की है| यह कार्रवाई उन लोगों के खिलाफ है जो भ्रष्टाचार करते हैं, उन लोगों के खिलाफ है जो काल बाजारी करते हैं, काले धन का व्यापार करते हैं और उसमें अमीर-गरीब का सवाल नहीं है जो भी काला बाजारी करेगा उसके ऊपर यह एक तरीके से प्रहार है| और मुझे लगता है कि इसने एक बहुत बड़ा मेसेज दिया है पूरे देश को कि वास्तव में ईमानदार होने में ही लाभ है और इसके जो लॉन्ग-टर्म परिणाम होंगे, अगर यह देश जितना ज्यादा फॉर्मल इकॉनमी पर चले जायेगा उतना ज्यादा यहाँ पर निवेश आएगा, उतना ज्यादा यहाँ टैक्स कलेक्शन सुधरेगी, उतना ज्यादा यहाँ सामाजिक न्याय होगा उस समाज के साथ जो बरसों से वंचित रहा है|

प्रश्न: मतलब आपकी बातों से मुझे समझ में आया कि काले धन के खिलाफ लड़ाई तो चल ही रही है, भ्रष्टाचार को लेकर भी, लेकिन इसके इलावा देश को ईमानदारी भी सिखा रही है सरकार?

उत्तर: बहुत ज़रूरी है, और उसके बगैर यह देश उस प्रकार का विकास नहीं कर पायेगा जो रियली इस देश को चाहिए, इस देश की जनता को चाहिए|

प्रश्न: ठीक है, आगे बढ़ते हुए अब मैं जीएसटी से कुछ सवाल आपसे पूछ लेती हूँ, जीएसटी को लेकर शुरू से ही भ्रम रहे हैं और उसके बाद हमने देखा सरकार ने भी बहुत सारे फैसले अपने बदले जो पहले की ओर से लिए गए थे| और खासतौर से अब तो मैंने देखा है चुनावों को देखकर भी सरकार अपने फैसले बदल रही है, गुजरात चुनावों के मद्देनज़र आपने खाखरे पर जो जीएसटी 12% थी और उसको 5% कर दिया| तो पहले बोझ डालो उसके बाद कम करो और फिर मेसेज दो कि सरकार आपके साथ है?

उत्तर: वैसे आप खाखरा खाती हैं कि नहीं?

प्रश्न: जी|

उत्तर: बड़ा टेस्टी होता है, खाइये उसको| पहली बात तो अगर चुनाव को देखकर फैसले लेने होते इस सरकार को तो आप सोचिये, by and large, तब तो शुरू में तो लोगों को लग रहा था कि नोटबंदी से नुकसान होगा, आपको याद है कितना कठिनाई इस देश की जनता ने झेली उस समय| तो हम उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर, पंजाब चुनाव के पहले इतना बड़ा अहम फैसला लेते क्या? अगर जीएसटी से हमको लगता कि चुनाव की हार-जीत तय होने वाली है तो हमें जीएसटी को जुलाई में लेने का कोई पाबंदी या कोई बोझ या कोई compulsion तो नहीं था|

प्रश्न: तो फिर गुजरात के व्यापारी इतने परेशान क्यों है, उनको राहत..?

उत्तर: यह सरकार ऐसी है और मैं खुद कैबिनेट के अन्दर बैठकर मैंने कई बार ऐसा महसूस किया कि कोई फैसला शायद अब न लें, बाद में लें तो ज्यादा लाभ होगा| लेकिन प्रधानमंत्री जी ने हर फैसले पर सिर्फ एक सवाल पूछा – क्या यह जनहित में है, क्या यह देश हित में है? अगर जनहित और देश हित में है तो आज लेना चाहिए, उसको रुकना नहीं है, चुनाव के नतीजे अपनी जगह है, जाकर जनता को हम समझायेंगे यह आपके कैसे लाभ में है, कैसे देश हित में है और फिर जनता अपना फैसला करेगी और जनता ने उनपर विश्वास रखा है, जनता ने समय-समय पर जब-जब मौका मिला आशीर्वाद दिया इनके एक-एक फैसले को| और जहाँ तक जीएसटी का सवाल है, पहली बात तो यह सांझी विरासत है, इसमें कोई केंद्र सरकार का अकेले का वह नहीं है, 29 स्टेट्स के प्रतिनिधि मिलकर unanimous सर्वसम्मति से हर निर्णय लेते हैं क्या प्रोसीजर होगा, क्या टेक्नोलॉजी इस्तेमाल होगी, क्या टैक्स रेट होंगे, यह केंद्र सरकार नहीं determine करती है, खाखरा में कम करना है यह हमने नहीं determine किया, GST Council का unanimous फैसला है| लेकिन आप एक विषय पकड़ रही हैं, उसी के साथ शायद 60-63 और items पर कम हुआ था| ऐसे करके GST लागू करने का निर्णय अपने आप में बहुत ही साहसी निर्णय था, विश्व में इतना बड़ा कोई देश नहीं है, भारत छोडकर जिसने जीएसटी लागू करने की हिम्मत की है, फ्रांस में है, यूके में पर वह छोटे देश हैं|

दूसरी बात, अगर चुनाव के हार-जीत और लाभ-नुकसान का सोचते तो आपको पता नहीं जानकारी है कि नहीं कोई भी आजतक सरकार चुनकर वापिस नहीं आई है जिसने जीएसटी लागू किया है| हर एक सरकार जिस भी देश में लागू हुआ है वह अगला चुनाव हारी है| भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री मोदी जी ने उसकी भी चिंता नहीं की, क्योंकि हमें विश्वास था कि जनता समझेगी कैसे देश हित होगा और फिर हमें चुनकर लाएगी|

प्रश्न: तो सर अभी तो राज्यों के चुनाव आपने जीतें हैना, 2019 तो अभी बाकी है?

उत्तर: एक के बाद एक चुनाव तो जीतते जा रहे हैना, अभी महाराष्ट्र में हुआ ग्राम पंचायत का चुनाव, हम चौथी पार्टी हुआ करते थे महाराष्ट्र में, मैं खुद महाराष्ट्र से हूँ| चौथी से नंबर 1 पार्टी बन गए और 50% से अधिक सीटें ग्रामीण इलाकों में भाजपा ने जीती हैं, बाकी सबको एकदम पीछे छोड़ दिया, मतलब हमारे पास 50%, दूसरे सब 12-14% सीटें जीते हैं, तीनों बाकी पार्टीज| तो मैं समझता हूँ चुनाव के हिसाब से कभी हम निर्णय नहीं लेते हैं, प्रधानमंत्री ने पहली जुलाई को ही कहा था कि यह एक नयी चीज़ है, ट्रांजीशन पीरियड में कठिनाई होगी, ट्रांजीशन पीरियड में हम सीखें-समझेंगे कैसे इसके रोल-आउट के परिणाम हो रहे हैं, उसके साथ स्वाभाविक है सुधार की एक लगातार परंपरा चलती रहेगी, उसके बाद 4-5 मीटिंगों में बहुत सारे सुधार हुए हैं तब तो कोई चुनाव नहीं था| तो आप लोग हर एक चीज़ को चुनाव से जोड़ने के बदले मैं समझता हूँ देश और जनता के हित की भी चिंता मीडिया ने भी करनी चाहिए जैसे प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार कर रही है|

प्रश्न: सर हम लोग तो बहुत करते हैं, अब राजनेताओं से राजनीति से जुड़े हुए सवाल ही ज्यादा पूछे जायेंगे क्योंकि ज्यादातर फैसले उसी को ध्यान में रखकर आप लोग लेते हैं| आगे बढ़ते हुए अब मैं ज़रा जीडीपी की बात कर लेती हूँ सर|

उत्तर: मैं फिर एक बार दोहराता हूँ यह एक पहली सरकार ऐसी है जो फैसले जनहित और देश हित में करती है, चुनाव को मद्देनज़र रखते सिर्फ फैसला कभी नहीं किया|

प्रश्न: चलिए ठीक है, आपने अपनी बात रखी, बात अब जीडीपी की, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी…………….

उत्तर: नहीं, आप अगर इसको अगर कांटेस्ट करती हैं तो कुछ प्रमाण रखिए मैं आपका उसका भी जवाब दे दूंगा, पर आपकी बात को ठीक करना भी मेरा एक कर्तव्य है|

प्रश्न: नहीं, नहीं, बिलकुल, आखिरी के 5 मिनट जुड़े हुए हैं इसलिए आप अपनी पूरी बात रखिए और बिलकुल बेबाकी से आपने अपनी बात भी रखी है| लेकिन बड़ा सवाल यह है जीडीपी को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह की ओर से कहा गया था कि इससे नोटबंदी जो बड़ा फैसला लिया गया 2% जीडीपी नीचे आ जाएगी, प्रभावित हो जाएगी| नोटबंदी के पहले के आंकड़े को अगर हम देखें 7.4 और अभी जो स्थिति है 5.7 की, इसका तो सीधा असर देखा जा रहा है, उन्होंने भी बहुत सारी सलाह दी जो आप लोगों ने मानी नहीं?

उत्तर: पहली बात तो इतने बड़े अर्थव्यवस्था समझने वाले पूर्व प्रधानमंत्री, उन्होंने कब यह बात कही थी, नवम्बर में, आपको याद होगा| आप उसके बाद के आंकड़े देख लो जो क्वार्टर गया, कोई 2% कम नहीं हुई है,..

प्रश्न: धीरे-धीरे कम के, सर मेरे पास पूरा आंकड़ा है, धीरे-धीरे करके वह नीचे की तरफ जुलाई से …..?

उत्तर: अभी आंकड़े आते रहेंगे, इसमें स्पष्ट बात यह है कि जब एक informal economy से formal economy में हम move करने के लिए 2 अहम फैसले इतने short period में, एक November में, एक 1st July को, जब 2 अहम फैसले लेते हैं तो देश को उसमें adjust करके एक नयी व्यवस्था से जुड़ने में थोड़ा समय लगना था, हमें पूरा खयाल था कि लगेगा, और वह सोच-समझकर लिया गया क्योंकि कभी न कभी किसी को तो यह साहस लेना पड़ेगा| आखिर उनकी सरकार तो fail हो गयी थी, उन्होंने कब अन्नौंस किया था शायद, 2007 में अन्नौंस किया, 2007-08 में अन्नौंस करके 2014 तक वह तो जीएसटी नहीं लागू कर पाए और हमने भी कैसे लागू किया, कोई जोर-ज़बरदस्ती नहीं की, पार्लियामेंट में सर्वसम्मति से पास हुआ, उनकी पार्टी ने भी समर्थन किया| जो जीएसटी काउंसिल है अभी तक 6 फाइनेंस मिनिस्टर कांग्रेस के भी हैं, अभी तक हम पूरी तरीके से सफल नहीं हुए हैं भ्रष्टाचार-मुक्त और कांग्रेस-मुक्त भारत बनाने में, थोड़ा समय लगेगा यह 6 फाइनेंस मिनिस्टर्स अभी भी हैं जीएसटी काउंसिल में| उन्होंने तो हर निर्णय पर सर्वसम्मति दी, उन्होंने तो कभी वहां पर तो oppose किया नहीं| तो यह क्या बात कर रहे हैं, मतलब एक तरफ उनके फाइनेंस मिनिस्टर्स जीएसटी काउंसिल के हर निर्णय को तय कर रहे हैं और बाहर आकर कुछ और…. These double standards ने ही उस पार्टी को आज 44 सीटों पर पहुंचा दिया है, अगले चुनाव में पता नहीं भगवन जाने क्या होगा|

प्रश्न: देखिए पीयूष जी आप राजनीतिक बातें कर रहे हैं और मुझसे आपने कहा कि राजनीति नहीं करनी चाहिए नोटबंदी और जीएसटी के मुद्दों पर|

उत्तर: नहीं, नहीं, मैंने तो सिर्फ clarify किया कि 6 उनके भी वित्त मंत्री उस जीएसटी काउंसिल में है.. मैं अपनी फेलियर बता रहा था कि हम अभी तक कांग्रेस-मुक्त और भ्रष्टाचार-मुक्त भारत पूरी तरीके से नहीं कर पाए, मैं तो अपनी फेलियर आपके सामने गिना रहा था|

प्रश्न: लेकिन कहा जाता हैना कि निंदक नियरे राखिये|

उत्तर: एकदम| In fact, आप देखिए कल परसों के Indian Express को देखिए, मैं उनके idea exchange में गया था, सब editors सोच रहे थे कि मैं बहुत नाराज़ हूँगा कि उन्होंने 6 series में कोल के ऊपर एक स्टोरी चलाई है आपने भी पढ़ी होगी| सबसे पहली चीज़ तो मैंने उनका धन्यवाद किया, और आप भी अपने पत्रकार बंधु जो मेरे बीट कवर करते हैं या किसी को भी पूछ लीजिये जो भी constructive criticism, जो एक बिना कोई एजेंडा या बिना कोई personal bias से दिया जाता है उसको मैं स्वीकार करता हूँ, उसको मैं स्वागत करता हूँ और उससे सीखकर ठोस कदम उठाता हूँ सुधार कैसे करना है| और transparency जो यह सरकार लायी है, यह पहले 70 वर्ष में नहीं था जिस level की transparency मोदी जी की सरकार ने जनता के समक्ष हर चीज़ open की है क्योंकि हम चाहते हैं कि आप हमारे काम पर निगरानी रखिए, आप समय-समय पर उसकी आलोचना और निंदा भी करें और उस आलोचना-निंदा में जो हम सीखकर अपना काम और अच्छा कर पाएंगे उसके लिए हम प्रतिबद्ध रहेंगे, संकल्पित रहेंगे|

प्रश्न: चलते चलते 2 आखिरी सवाल और पूछ लेती हूँ, यह नोटों की गिनती का काम कितनी जल्दी पूरा कर लिया जायेगा और पूरे आंकड़े देश के सामने कब आने वाले हैं?

उत्तर: यह सवाल आपको RBI को पूछना पड़ेगा क्योंकि नोटों की गिनती सरकार नहीं करती है, लेकिन इतने बड़े पयमाने पर नोटों की गिनती शायद आज तक विश्व के इतिहास में कभी नहीं हुई है| उसकी जो मशीन है गिनने की वह इस रूम से भी बड़ी है, क्योंकि उसमें फेक करेंसी भी डिटेक्ट करती है, काउंटिंग करती है, bundling करती है, उसको डिस्ट्रॉय करने के लिए तैयार करती है| बहुत बड़ा काम है, कभी आज तक किसी कंट्री ने आज तक ऐसा काम किया नहीं है, sudden था decision नोटबंदी का क्योंकि पहले से अन्नौंस कर दें, प्लान कर दें तो विषय ख़त्म हो जाता| इसलिए उनके पास भी व्यवस्था कोई इतनी नहीं थी कि लाखों करोड़ नोट गिन सकें तो अगर टाइम लग रहा है तो स्वाभाविक है, और हम उसके लिए तैयार हैं, उसकी वजह से कोई काला धन के ऊपर जो कारोबार करना है वह हमें कोई देरी नहीं होगी|

प्रश्न: सर अब मेरा एक आखिरी सवाल, कांग्रेस पार्टी ने कहा है कि जैसे ही प्रधानमंत्री मोदी ‘मित्रों’ कहते हैं तो डर लगने लगता है देश की जनता को, फिर मित्रों कह कर कुछ यह 2000 और 500 के नोटों की तरह कोई व्यवस्था तो आगे आने वाले वक्त में नहीं होने जा रही?

उत्तर: ऐसा है कि यह ‘मित्रों’ जब प्रधानमंत्री कहते हैं तो वह अपने मित्र जो इस देश की ईमानदार जनता है उनको संबोधित करते हैं| बेईमान लोग, भ्रष्टाचारी लोगों को ज़रूर डर लगता है क्योंकि उनको लगता है पता नहीं हमारे ऊपर और क्या वार आएगा| लेकिन जो प्रधानमंत्री के सही मित्र हैं जो इस देश की गरीब जनता, जो इस देश की जनता एक ईमानदार व्यवस्था चाहती है, जो परेशान है भ्रष्टाचार से वह स्वागत करती है, समय-समय पर उनको मौका मिलता है तो आशीर्वाद देती है, चुनाव भी जिताती है तो मुझे लगता है जिनको डरना चाहिए उनको अवश्य डरना चाहिए उससे, देश की जनता उससे खुश है|

प्रश्न: लेकिन सरकार को ज्यादा डराना नहीं चाहिए आम लोगों को|

उत्तर: आम लोगों को हम कभी नहीं डराते हैं, आम लोग तो हमारे मित्र हैं, डरते भ्रष्टाचारी और बेईमान लोग हैं|

प्रश्न: बहुत शुक्रिया पीयूष जी जन मन धन एबीपी न्यूज़ के इस खास कार्यक्रम का हिस्सा बनने के लिए और बेहद बेबाक तरीके से अपनी राय रखने के लिए|

उत्तर: धन्यवाद|

 

 

 

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